Wednesday, 4 March 2015

गो हत्यारों और बलात्कारियों का अंत करने हेतु ही पधारे थे श्री राम !'आज गायों पर हो रहे अत्याचार आखिर कब तक सहते रहेंगे भारतीय ?

   गो दूध पीने वाले देवताओं ने गोमांस खाने वाले राक्षसों का मान मर्दन हमेंशा किया है !आज फिर राक्षस खाए जा रहे हैं गउएँ और संस्कृति रक्षा के नाम पर हम रावण के पुतले ही जलाते रहेंगे क्या ?
    बंधुओ !गायों का दूध संपूर्ण आहार भी है और औषधि भी !उसे नष्ट किए दे रहे हैं आज राक्षस !
     इस सृष्टि का सञ्चालन करने के लिए गो दुग्ध की बहुत बड़ी भूमिका है आदिकाल में जब सृष्टि बनी थी तब दुनियाँ में खाने पीने का सामान नहीं था उस समय गायों ने ही अपना दुग्ध पिलाकर सभी जीवों को जीवन दान दिया था तब केवल गउओं का ही सहारा था उस समय किसी और के दूध की व्यवस्था भी नहीं थी इसीलिए गायों को न केवल माता कहा जाने लगा अपितु उन्हें पूजा भी जाने लगा !गायों ने अन्न उपजाने के लिए अपने बछड़ों को लगाया वो न केवल खेत जोतते थे अपितु जरूरी सामान इधर उधर ले जाने में बड़ी मदद करने लगे !इससे धीरे धीरे जिंदगी आसान होते चली गई !
     उसी समय से मानवता के शत्रु राक्षसों ने मनुष्य जाति  को समाप्त करने के लिए संकल्प सा ले लिया है उनका कहना है कि अपने धर्म की रक्षा करो और उनका अपना धर्म क्या है रावण ने अपने प्रजाजनों को समझाते हुए तीन काम करने को कहे -
      दूसरों की  स्त्रियों से बलात्कार करो -'गमनं व परस्त्रीणां '    
      जीवित पशुओं को आग में फ़ेंक दो -'गलं जग्राह जीवतः'
      दूसरों का धन छीन लो -'पर द्रव्यं प्रमथ्य च'
     उसी रावण के द्वारा समझाई हुई इन्हीं तीनों बातों का पालन आज भी रावण के अनुयायी करते चले आ रहे हैं तथाकथित प्यार के जाल में फँसा कर  बहू बेटियों से बलात्कार कर रहे हैं मानवाधिकारों की रक्षा का हवाला देकर गउएँ खाये जा रहे  हैं ,लूट घसोट और भ्रष्टाचार के द्वारा भले लोगों से धन छीन रहे हैं ये लोग ! रावण भी यही तीनों काम करता था !
       इन्हीं अत्याचारों का अंत करने के लिए प्रभु श्री राम ने अवतार लिया था -         'विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार।
     उन राक्षसों के अनुयायियों ने आज भी तीन काम चला रखे हैं पहला काम गायों की हत्या करो उससे बैल नहीं मिलेंगे खेती नहीं हो पाएगी तो मनुष्य भूख से ब्याकुल होंगे उस समय गौएँ अपने दूध से उनका पोषण न कर सकें इसलिए गौओं को पहले ही मार कर खा जाओ !इससे मनुष्यों को दूध दही मिलेगा ही नहीं वो स्वतः ही मर जाएँगे !बंधुओ !आज भी राक्षसी संस्कृति के लोग उसी काम में लगे हैं आप कल्पना कीजिए कि यदि किसी कारण से प्रकृति प्रदत्त डीजल पेट्रोल नहीं मिल सका तब कैसे होगी खेती कहाँ से मिलेगा अन्न और क्या खाएँगे लोग और बिना खाए जिएँगे कब तक ! राक्षसीवृत्ति के लोग तो फिर भी कुछ समय पार कर लेंगे उनका क्या इमान  धर्म उन्हें खाने के लिए गउएँ नहीं मिलेंगी किसी जीव को खाएँगे वो भी नहीं मिला तो राक्षस लोग आदमियों  को खा जाएँगे इन्हें तो खाने से मतलब ! इसी प्रकार और भी हैं …!
   गो मांस खाने वाले राक्षसों के मानवाधिकार किस बात के ?किसी की हत्या करना या उसका मांस खाना मानवाधिकार नहीं अपितु अपराध माना जाना चाहिए !दूध दिनों दिन महँगा होता जा रहा है फिर भी राक्षस
+    करहिं अनीति जाय नहिं  बरनी ।सीदहिं विप्र धेनु सुर धरनी ॥ 
किसी कमजोर प्राणी का जीवन छीनने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए !
  इसलिए गो रक्षा की उम्मींद राक्षसों से क्यों ?कोई मनुष्य गो मांस खाएगा ही क्यों?जो मनुष्य ही नहीं उसके मानवाधिकार कैसे?गोमांस पर प्रतिबंध से परेशान मनुष्यों के शरीरों में घुसे भेड़ियों को भारी दुःख ऐसे पापियों को आज मानवाधिकारों की चिंता सता रही है !धिक्कार !!
   आज अमानवों को मानवाधिकारों की चिंता सताने लगी है अब मानवाधिकारों की बातें वो लोग आखिर कर क्यों रहे हैं!क्या गायों के अपने कोई अधिकार नहीं होने चाहिए जबकि गायों के संरक्षण का अधिकार उन्हें शास्त्रों से मिला है !अन्यथा ऐसे तो बलात्कारी भी कह सकते हैं कि ये सब हमारे मानवाधिकार हैं जहाँ सामने वाले के जीवन की परवाह ही न हो वही तो आतंकवादी कर रहे हैं ये उनके मानवाधिकार हैं चोर का मानवाधिकार चौर्यकर्म है इस प्रकार से देखा जाए तो हर प्रकार के अपराध को यदि अपराधी की दृष्टि से देखा जाने लगे तब तो वो उसका मानवाधिकार ही होगा क्योंकि वो अपराध को अपना कर्तव्य समझता है !इसी प्रकार वालीवुडी लोग गोमांस पर प्रतिबंध मानवाधिकारों का उल्लंघन बता रहे हैं 
"गोमांस पर प्रतिबंध की बॉलीवुड ने की आलोचना-(जी न्यूज़)" 
     फिल्म निर्देशक ओनिर ने ट्विटर पर लिखा, "गोमांस पर प्रतिबंध मानवाधिकारों का उल्लंघन है। मैं क्या खाऊं यह सरकार तय नहीं कर सकती।"- (जी न्यूज़)
रिचा ने कहा, ‘मैं शाकाहारी हूं। और गोमांस पर प्रतिबंध सांप्रदायिक राजनीति है।'- (जी न्यूज़)
अभिनेता रणवीर शौरी ने ट्विटर पर लिखा, ‘खाने पर प्रतिबंध लगाना बंद करें।- (जी न्यूज़) 
 फरहान ने ट्वीट किया, ‘तो अब महाराष्ट्र में आपको किसी से शिकायत (बीफ) हो सकती है लेकिन आप किसी के साथ बीफ (गोमांस) खा नहीं सकते !- (जी न्यूज़)
निर्देशक शिरीष कुंदरा ने लिखा, ‘गायों को अगर अगले चुनाव में मतदान का अधिकार दे दिया जाए, तो हैरान मत होना।’- (जी न्यूज़)  
       किंतु मानवाधिकारों का उल्लंघन यह कैसे हो गया जो मनुष्य होगा वो गो मांस खाएगा ही क्यों?और जो मनुष्य नहीं होगा उसके मानवाधिकार कैसे ?
इसी विषय में पढ़ें हमारा यह लेख भी-
जो हिन्दू अपनी गो माता की रक्षा नहीं कर सका उससे भारत माता और धरती माता क्या आशा करे ! 
  एक ओर गौ माता की जयकारों के नारे लग रहे हैं तो दूसरी ओर गऊओं की गर्दनों पर आरे चल रहे हैं !धिक्कार है हमारे ऐसे गौ प्रेम को !हममें से बहुत लोग ऐसे हैं जो गौ रक्षा के नाम पर बड़े बड़े see more...http://samayvigyan.blogspot.in/2014/07/blog-post.html

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