Saturday, 15 August 2015

15 महीने की केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप न हों तो भी जनता संतुष्ट है क्या ?



    देखना यह चाहिए कि जनता को हमने ऐसा नया क्या दिया है जो पहले नहीं दिया जा सका था अन्य सरकारें नहीं दे सकती थीं !रही बात विपक्ष की तो तो चूँकि उन्होंने कुछ नहीं किया है इसी लिए जनता ने उन्हें बुरी तरह से पराजित  किया है अब सरकारी लोग यदि बार बार विपक्षी सरकारों की लापरवाही के उदाहरण  देते हैं इसका मतलब सरकारी तंत्र पराजय की ओर बढ़ रहा है इसलिए सरकार को जान सेवा के नए मानक गढ़ने चाहिए जिसमें सरकार अभी तक सफल नहीं हो पायी है भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए कोई ठोस योजना बनकर सामने नहीं आ पायी है सरकारी आफिसों में काम अभी भी उन्हीं की मर्जी से होता है वो चाहें तो करें न चाहें तो न करें या जिसे कोई जरूरी काम करवाना हो वो पैसे देकर करवावे वो और बात है किन्तु सरकार ने जनता को उन्हीं सरकारी कर्मचारियों के रहमोकरम पर छोड़ रखा है जहाँ पहले थी । महिलाएँ सुरक्षित तब भी नहीं थीं अब भी नहीं हैं सरकारी स्कूलों में पढाई तब भी नहीं थी अब भी नहीं है सरकारी अस्पातालों का जो हाल तब था वही आज भी है! कुल मिलाकर बदला  क्या जा सका है !

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