Monday, 8 February 2016

शिक्षकों पर भी ड्रेस कोड लागू किया जाए !

 स्कूलों में शिक्षकों का पहला कर्तव्य शिक्षा देना है क्या ये लागू करवा पाए आप !
     निगम प्रतिभा स्कूलों तक में केवल खाना पूर्ति होने लगी है शिक्षा में सुधार ! केवल इतना हुआ है कि जिस दिन आप या आपके मंत्री संत्री लोग जिस स्कूल में फोटो खिंचवाने जाते हैं वहाँ के शिक्षक सज सँवर कर हाथ बाँधकर निरीह प्राणियों की भाँति उन्हें घेर कर खड़े हो जाते हैं उनके आस पास !आपके लोग ऊंची आवाज में गरज लेते हैं और वो धीमी आवाज में उत्तर दे देते हैं ! आप और आपके लोग तो इससे खुश हैं किंतु इससे जनता का क्या लाभ हुआ ?

           
 शिक्षकों की जाँच जरूरी है किंतु करेगा कौन और हो कैसे ?
शिक्षक जो विषय पढ़ाने के लिए रखे गए हैं वो विषय उन्हें आता है क्या ?दूसरी बात पढ़े लिखे शिक्षकों को भी पढ़ाना आता है क्या ?तीसरी बात शिक्षक क्लास से कितनी देर कितने दिन अनुपस्थित रहते हैं इसका लेखा जोखा रखने वाले प्रधानाचार्यों पर इतना विशवास कैसे कर लिया जाए कि वे सच बोलते होंगे !आदतें तो उनकी भी पुरानी वाली ही पड़ी हैं वो भी विद्यार्थियों की अपेक्षा अपने जूनियर्स का साथ देते हैं ऐसी परिस्थिति में स्कूलों में बच्चों का कौन होता है ?

      शिक्षकों पर भी ड्रेस कोड  लागू किया जाए !
    स्कूल टाईम में शिक्षक घर को छोड़कर जहाँ भी रहें या जाएँ यदि स्कूल में उस दिन की छुट्टी की एप्लीकेशन नहीं लगी है तो ड्रेस में ही जाएँ !जो शिक्षक स्कूल टाइम में बहाने बना बना कर मार्केटिंग आदि करते रहते हैं या घर के अन्य जरूरी काम निपटाते रहते हैं या कुछ युवा शिक्षक शिक्षिकाएँ अपने प्रधानाचार्य को विश्वास में लेकर लव अफेयर आदि के लिए घंटे दो घंटे के लिए किसी बहाने से निकल जाते हैं पार्कों या एकांतिक स्थलों में ऐसे सभी गैर जिम्मेदार लोगों की पहचान हो सके !साथ ही समाज को इस बात के लिए जागरूक किया जाए कि वो शिक्षा में सहयोग करने के लिए ऐसे लोगों की फोटो खींच कर सरकार को भेजे और सरकार ऐसे लोगों की पहचान करके न केवल ऐसे लोगों पर कार्यवाही करे अपितु क्या कुछ हुआ इसकी सूचना बेबसाइट पर भी दे !

कक्षा में शिक्षकों की लापरवाही रोकने के लिए !बनाया जाए एक सतर्कता विभाग !
   कुछ शिक्षक आदतन कक्षाओं में लेट पहुँचते हैं और जल्दी कक्षा छोड़कर निकल आते हैं या कक्षाओं में पहुँचकर इधर उधर की बातें करके बच्चों का मनोरंजन किया करते हैं और चले  आते हैं ,कुछ तो बच्चों को कुछ सरल सा काम देकर अपने मोबाइलों में ही लगे रहते हैं कुछ शिक्षक जिम्मेदारी पूर्वक ठीक से पढ़ाते नहीं हैं या जल्दी जल्दी पढ़ाकर लग जाते हैं मोबाईल आदि के द्वारा अपने निजी कार्यों में !कुछ शिक्षक बच्चों के सामने ही कक्षाओं में  कुछ खाने लगते हैं और भी जो करते हों ऐसे सभी प्रकार के लापरवाह शिक्षकों पर सरकार चाहकर भी अपने संसाधनों से बहुत धन खर्च करके भी निगरानी नहीं कर सकती है !इसलिए यह मानकर कि ऐसे लोगों की लापरवाही का सबसे बड़ा गवाह होता है विद्यार्थी !एक मात्र वही भुक्तभोगी होता है और उसी का भविष्य दाँव पर लगा होता है इसलिए उसे काम से काम इतने अधिकार दिए जाएँ कि वो ऐसी लापरवाहियों के निजी तौर पर आडियो वीडियो आदि बनाकर  सरकारी सतर्कता विभाग को गुप्त रूप से भेज सके ताकि उसकी पहचान प्रकट न हो ! सरकार का विभाग उस पर कार्यवाही करे और उसकी सूचना शिकायती आडियो वीडिया सहित अपनी वेवसाइट पर डाले !इसमें सरकार का कोई खर्च भी नहीं लगेगा और न कोई चेकिंग आदि !

स्कूलों में या कक्षाओं इन कुछ बच्चे नशे का लेन  देन क्रय विक्रय आदि करने लगते हैं ,गाली गलौच या शोर शराबा आदि करते हैं या अपने से छोटों कमजोरों या लड़कियों को तंग करने लगते हैं या कक्षा के अलावा स्कूल में ही कोई ऐसी असमाजिक गतिविधि होने लगती है अक्सर  गंदगी आदि रहती है ऐसी सभी बुराइयों को रोकने की जिम्मेदारी सौंपी जाए छोटे बड़े सभी प्रकार के छात्रों को और उसी का भविष्य दाँव पर लगा होता है इसलिए उसे कम से कम इतने अधिकार दिए जाएँ कि वो ऐसी लापरवाहियों के निजी तौर पर आडियो वीडियो आदि बनाकर  सरकारी सतर्कता विभाग को गुप्त रूप से भेज सके ताकि उसकी पहचान प्रकट न हो ! सरकार का विभाग उस पर ईमानदारी पूर्वक कार्यवाही करे और उसकी सूचना शिकायती आडियो वीडिया सहित अपनी वेवसाइट पर डाले कि किस शिकायत पर क्या हुआ ?जिससे जनता में जागरूकता बढ़े इसमें सरकार का कोई खर्च भी नहीं लगेगा !

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