स्कूल न जाने का,कक्षा में न पहुँचने का और पहुँचकर भी बच्चों को न पढ़ाने का केवल बहाना ही खोजा करते हैं आधुनिक सरकारी शिक्षक !
समाज में दूर दूर तक कहीं कोई घटना घट जाए देश में घटे या विदेश में आकाश में हो पाताल में हो धरती पर कहीं हो वो तो अपनी एकदम ख़ास ही होती है मौसम बन बिगड़ रहा हो किसी दिन शर्दी अधिक हो या गर्मी अधिक हो पानी बरस जाए तब तो बात ही और है कोई शादी या तिथि त्यौहार या विद्यालय का कोई उत्सव आदि आने वाला हो या आकर चला गया हो अपने बीते जीवन की चर्चाएँ हों या भावी जीवन संबंधी रोचक चर्चाएँ अक्सर इन्हीं बातों में बीत जाता है अधिकाँश शिक्षकों में पढ़ाने संबंधी रूचि नहीं रही और न ही बच्चों के भविष्य से कोई लगाव दिखता है न ही अपनी कर्तव्यभ्रष्टता पर कोई पछतावा ,न ही अधिकारियों जनप्रतिनिधियों या सरकार से कोई भय और अभिभावकों को ये कुछ समझते नहीं हैं!ऐसी परिस्थिति में जरुरी नहीं है कि उन लापरवाह एवं नाजुक शिक्षकों के कुसंग प्रभाव से बिगड़े बच्चे यदि सरकारी शिक्षक न बन सके तो करेंगे क्या ?परिश्रम करना इनके बश का नहीं होगा ये बच्चे या तो भूखों मरेंगे या फिर अपराध करेंगे !अपराधों पर नियंत्रण करना जब अभी कठिन हो रहा है तो आगे क्या होगा !सरकार शिक्षा के क्षेत्र में क्या कुछ ऐसे कदम उठाएगी जिससे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कुछ बन न सकें तो कुछ बिगडें भी न कम से कम ऐसे संस्कार तो मिल ही जाएँ कि ये बच्चे भविष्य में जहाँ कहीं जो कुछ भी हो पावें कर्तव्य भ्रष्ट न हों अपने परिश्रम की कमाई पर गर्व कर सकें !देश इतने में संतोष कर लेगा !
समाज में दूर दूर तक कहीं कोई घटना घट जाए देश में घटे या विदेश में आकाश में हो पाताल में हो धरती पर कहीं हो वो तो अपनी एकदम ख़ास ही होती है मौसम बन बिगड़ रहा हो किसी दिन शर्दी अधिक हो या गर्मी अधिक हो पानी बरस जाए तब तो बात ही और है कोई शादी या तिथि त्यौहार या विद्यालय का कोई उत्सव आदि आने वाला हो या आकर चला गया हो अपने बीते जीवन की चर्चाएँ हों या भावी जीवन संबंधी रोचक चर्चाएँ अक्सर इन्हीं बातों में बीत जाता है अधिकाँश शिक्षकों में पढ़ाने संबंधी रूचि नहीं रही और न ही बच्चों के भविष्य से कोई लगाव दिखता है न ही अपनी कर्तव्यभ्रष्टता पर कोई पछतावा ,न ही अधिकारियों जनप्रतिनिधियों या सरकार से कोई भय और अभिभावकों को ये कुछ समझते नहीं हैं!ऐसी परिस्थिति में जरुरी नहीं है कि उन लापरवाह एवं नाजुक शिक्षकों के कुसंग प्रभाव से बिगड़े बच्चे यदि सरकारी शिक्षक न बन सके तो करेंगे क्या ?परिश्रम करना इनके बश का नहीं होगा ये बच्चे या तो भूखों मरेंगे या फिर अपराध करेंगे !अपराधों पर नियंत्रण करना जब अभी कठिन हो रहा है तो आगे क्या होगा !सरकार शिक्षा के क्षेत्र में क्या कुछ ऐसे कदम उठाएगी जिससे सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे कुछ बन न सकें तो कुछ बिगडें भी न कम से कम ऐसे संस्कार तो मिल ही जाएँ कि ये बच्चे भविष्य में जहाँ कहीं जो कुछ भी हो पावें कर्तव्य भ्रष्ट न हों अपने परिश्रम की कमाई पर गर्व कर सकें !देश इतने में संतोष कर लेगा !
- जो सरकारी शिक्षक अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं इसका मतलब साफ है कि वो स्वीकार करते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है जबकि इसके लिए जिम्मेदार वे या उन जैसे शिक्षक ही हैं । सरकारी स्कूलों की शिक्षा के विषय में जब इनके इरादे स्पष्ट हो ही चुके तो इनकी सैलरी का बोझ बहन करने की सरकार की क्या मजबूरी है ?
- प्राइवेटस्कूलों के शिक्षक सरकारी स्कूलों की अपेक्षा काफी कम सैलरी में मिल जाते हैं उनकी शिक्षा की गुणवत्ता भी इतनी अधिक अच्छी होती है कि संपन्न वर्ग से लेकर सरकारी अधिकारी कर्मचारी मंत्री संत्री आदि सब जब अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में ही पढ़ाते हैं तो ऐसे अच्छी क्वालिटी के कम सैलरी में मिलने वाले शिक्षक सरकार को नहीं मिलते हैं क्या और यदि मिलते हैं तो सरकार अधिक सैलरी में ऐसे लापरवाह शिक्षकों को क्यों रखती है जो किसी वर्ग का विश्वास जीतने में सक्षम नहीं हैं ?ऐसे शिक्षकों से उन गरीब बच्चों का हित होते सरकार कैसे देखती है जो सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं ?
- सरकारी एक शिक्षक की सैलरी में यदि तीन से पाँच तक वे प्राइवेट शिक्षक रखे जा सकते हैं जिन्होंने अपने परिश्रम से अभिभावकों का विश्वास जीता हुआ है वर्तमान समय शिक्षकों की सैलरी पर खर्च होने वाले अमाउंट में ही यदि जिम्मेदारी पूर्वक काम करने वाले कम से कम उससे तीन गुने अधिक शिक्षक मिल सकते हैं जिससे शिक्षा क्षेत्र में तो सुधार होगा ही साथ ही बेरोजगारी भी घटेगी किंतु ऐसा करने में किस प्रकार की कठिनाई है ?
- हमारी बच्ची दिल्ली के ही एक स्कूल में कक्षा 5 की छात्रा है स्कूल दिल्ली के ही एक केंद्रीय मंत्री के दरवाजे पर है वहाँ शिक्षकों की संख्या लगभग पर्याप्त है किंतु कक्षा तीन में उसे मात्र दो महीने के लिए टीचर मिली फिर वो पढ़ाने नहीं आईं ,कक्षा चार में कभी कोई पढ़ाने आया तो आ गया बाक़ी पूरा साल ऐसे ही बीत गया इस वर्ष कक्षा 5 चल रहा है प्राप्त शिक्षिका CCl पहले 89 दिनों का ले चुकीं इसी सत्र में दोबारा ले लिया 89 दिन का परिस्थिति में कोई राइटिंग लिखने को बता जाता है कोई सवाल लगाने को रैगुलर किसी की कोई जिम्मेदारी नहीं है जबकि वो प्रतिभा के टेस्ट में बैठना चाहती है । माना कि CCl लेना शिक्षिका का विशेषाधिकार है किन्तु जिन छात्रों के बहाने उनको सैलरी मिलती है उनके प्रति भी उनका कोई दायित्व होना चाहिए या नहीं साथ ही उन्हें छुट्टी पास करने वाले लोगों को बच्चों की ओर भी नहीं देखना चाहिए था क्या ?ऐसी बिना प्रेन्सिपल से पूछे कभी कोई
परिश्रम पूर्वक कमाकर खाएँगे ऐसे संस्कार उन्हें अधिकाँश शिक्षकों के किसी आचार व्यवहार से नहीं मिल पा रहे हैं कुछ ऐसे शिक्षकों से ऐसे कर्तव्यभ्रष्ट लोगों के कुसंस्कारों से बच्चों को बचाने के लिए सरकार क्या कुछ कदम उठाएगी क्या ?
का वो बहुमूल्य समय जो सरकार प्राइवेट स्कूलों की अपेक्षा सैलरी रूप में काफी महँगी कीमत देकर खरीदती है शिक्षकों से देश के बच्चों का भविष्य सुधारने के लिए
जुकाम तक हो जाए कोई खरोंच लग जाए !
गा जिसका सैलरी रूप में सरकार पेमेंट देशवासियों द्वारा प्रदत्त कर से प्रसंग अक्सर ऐसी ही चर्चाओं चर्चाओं में पता ही नहीं चल पाती
ता या में ही क्यों न हो या अपने या अपने घर किसी व्यक्ति को जुकाम तक हो जाए या दूर दूर तक की नाते रिश्तेदारी में किसी को कोई सुख दुःख हो जाए वहाँ जाना आना होता हो न होता हो किंतु छुट्टी ! गली में कुछ कुत्ते घेर कर भौंकने लगें किसी को काट खाएँ या विदेश में कुछ घटित हो जाए या आकाश पाताल
जुकाम तक हो जाए उस दिन कहीं कोई और सरकारीशिक्षक ऊपर से सरकार की मेहरबानी केवल सैलरी बढाती जा रही है सरकार
महिला शिक्षिकाओं एँ तो जिनका
जुकाम तक हो जाए कोई खरोंच लग जाए !
गा जिसका सैलरी रूप में सरकार पेमेंट देशवासियों द्वारा प्रदत्त कर से प्रसंग अक्सर ऐसी ही चर्चाओं चर्चाओं में पता ही नहीं चल पाती
ता या में ही क्यों न हो या अपने या अपने घर किसी व्यक्ति को जुकाम तक हो जाए या दूर दूर तक की नाते रिश्तेदारी में किसी को कोई सुख दुःख हो जाए वहाँ जाना आना होता हो न होता हो किंतु छुट्टी ! गली में कुछ कुत्ते घेर कर भौंकने लगें किसी को काट खाएँ या विदेश में कुछ घटित हो जाए या आकाश पाताल
जुकाम तक हो जाए उस दिन कहीं कोई और सरकारीशिक्षक ऊपर से सरकार की मेहरबानी केवल सैलरी बढाती जा रही है सरकार
महिला शिक्षिकाओं एँ तो जिनका
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