अपराधियों के कमाए हुए धन से नेता रईस होते हैं क्या ?आखिर अपराधियों की कमाई जाती कहाँ है और नेताओं के पास धन आता कहाँ से है आखिर कितनी हैं किस नेता की संपत्तियाँ और क्या हैं उनके कमाने के स्रोत !और कब सँभालते हैं वे अपना कामकाज !सभी विन्दु सार्वजनिक किए जाएँ !
अपराधी लोग सोना चाँदी हीरे मोती के बहुमूल्य गहने लूटने के लिए दिन रात मेहनत करते हैं किंतु जब पकड़े जाते हैं तो वही फटी चप्पल फटे कपड़े दुबला पतला शरीर और गरीबत झेल रहा परिवार !किंतु नेता लोग प्रायः कभी कुछ नहीं करते देखे जाते हैं दिन भर राजनैतिक बकवास किया करते हैं फिर भी अथाह संपत्तियाँ इकट्ठी होती हैं उनके पास !उनकी कोठी आलीशान गाड़ी घोड़ा नौकर चाकर आदि सबकुछ कपडे लट्टे गहने आदि अकूत संपत्तियाँ होती हैं !
अपराधी लोग यदि अपनी कमाई के लिए अपराध करते तो अपराध से कमाया हुआ धन तो उनके पास होना चाहिए !भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों के पास यदि अपराधियों की कमाई न आ रही होती तो उनके पास अकूत संपत्तियाँ इकट्ठी कैसे होतीं ?छोटे छोटे क्लर्कों के यहाँ से निकलती हैं बड़ी बड़ी अवैध सपत्तियाँ और अकूत धन क्यों !
गरीबों को अपराध के धंधे एक बार फँसा लेने वाले लोग जीवन भर उन्हें अपराधी बनाए रखते हैं और खाया करते हैं उनकी कमाई वो जेलें काटते फिरते हैं बेचारे भटकते रहते हैं उनके बच्चे !ऐसे लोग यदि अपराध छोड़ना भी चाहें तो वो अधिकारी कर्मचारी और नेता जैसे सक्षम लोग अपनी पोल न खोल दें इसलिए उन्हें आपराधिक दलदल से बाहर कभी नहीं निकलने देते हैं !
जो खुद फटे पुराने कपड़े पहनता हो दुबला पतला गंदा हो ऐसे ही उसका परिवार बच्चे आदि दुःख भोग रहे हों फिर उस अपराधी की कमाई जाती कहाँ है ?
अधिकारी कर्मचारी नौकरी शुरू करते समय कितने पैसे वाले थे आज कितनी प्रापर्टियाँ हैं उनके पासआय स्रोत से मेल खाती हैं क्या यदि नहीं तो कहाँ से आईं ?
इसीप्रकार पहली बार चुनाव लड़ते समय नेताओं के पास कितना धन था और आज कितना है उसके स्रोत क्या हैं ?व्यापार किया नहीं नौकरी लगी नहीं फिर आया ये धन कहाँ से ?
अच्छे कमाऊ पदों पर बैठे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी और और नेता अक्सर अपनी कमाई बढ़ाने के लिए गरीबों को अपराधी बना लेते हैं फिर उन्हीं से अपने लिए इकट्ठा करवाया करते हैं धन !उन बेचारों को तो दिहाड़ी भी ठीक से नहीं देते हैं जिस दशा का बयान कर रही होती है अपराधियों और उनके बच्चों ,परिवारों की दयनीय स्थिति !
जिस क्षेत्र में जिस प्रकार के अपराध रोकने के लिए सरकार जिन्हें भारी भरकम सैलरी देती है !वो सैलरी ले कर भी उनके लिए काम नहीं करते हैं जिनके लिए रखे गए हैं अपितु उनके लिए काम करते हैं जो उन्हें घूस देते हैं वो ,इसके बाद वो कैसा भी अपराध करते रहें अधिकारी कर्मचारी सब कुछ देखते जानते हुए भी शांत बने रहते हैं उससे पीड़ित लोग पार्षद विधायक सांसद आदि के यहाँ सिफारिस के लिए जाते हैं तो उन्हें नेता जी की अपनी मशीनरी ऐसा सिफारिशी लेटर पकड़ा देती हैं जिसका कहीं कोई महत्त्व ही नहीं होता है |
समाज में जहाँ जहाँ जो जो अवैध कब्जे किए गए हैं या अवैध काम काज चलाए जा रहे हैं सबके बदले पैसे ले चुके होंगे भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी और नेता खूँटा जैसे धन दौलत के लालची लोग !
सरकार ऐसे नेताओं अधिकारियों कर्मचारियों की संपत्तियाँ छीनती क्यों नहीं हैं उन्हें आज तक बेकार में दी गई सैलरी वापस क्यों नहीं लेती है सरकार !विश्वासघात के लिए उन पर कठोर दंडात्मक कार्यवाही क्यों नहीं करती है सरकार !उन्हें पहचानने में सरकार से भूल क्यों हुई यदि वे काम नहीं कर रहे थे तो सरकार उन्हें सैलरी क्यों दिए जा रही थी अभी तक !