Friday, 13 May 2016

कुंभ का गौरव घटाया है कंडोम वाले बड़े बड़े बाबाओं ने ! आखिर क्या है कुंभ और कंडोम का संबंध और कैसे होती है कमाई !

  साधक साधू संतों को ऐसी दृष्टि से न देखा जाए !तपस्वी साधू संतों की आवश्यकताएँ समाज हमेंशा से पूरी करता आ रहा है और उन्हें भी उतने में संतोष हो जाता रहा है किंतु बाबाओं का उतने में गुजारा नहीं होता वो धन संग्रह करके भारी भरकम संपत्ति जुटाकर बाबा शरीर से ही सारे भोग भोग लेना चाहते हैं ।इसलिए वो अपनी कमाई बढ़ाने के लिए हर हथकंडा अपनाते रहते हैं !जानिए कैसे !
   आश्रमों में बाबाओं के पास बिना कुछ किए धरे इतना पैसा आता कहाँ से है और इनकी सोर्स आफ इनकम के साधन होते क्या हैं !ये हर कोई जानना चाहता है किंतु यह सोचकर संतोष कर लेता है कि लोग देते होंगे किंतु  ये सच नहीं है भीख के पैसे में इतनी दम नहीं होती है कि उसके बलपर कोई गोली चला देगा !धन कमाने के शौक़ीन बाबाओं के भी अपनी आमदनी के साधन हैं वो भीख के भरोसे नहीं रहते ये सतयुगी साधू संत नहीं हैं ये तो कलियुगी बाबा हैं !
    ये केवल बाबा बनकर उतना धन इकठ्ठा कर लेते हैं जितना गृहस्थ जीवन भर परिश्रम पूर्वक कमाई करके नहीं कर पाते !कई लोग तो व्यापार करने के लिए बाबा बनकर पहले पूँजी जुटाते हैं फिर करते हैं व्यापार !ऐसे समाज को चकमा दे जाते हैं किंतु खाने वाले  दाँत ये दिखाते कभी नहीं हैं !आखिर गृहस्थ लोग बाबाओं की तरह के ऐसे धंधा व्यापार क्यों नहीं कर पाते हैं कि फटाफट रूपए छापते चले जाएँ !क्या वो प्रयास नहीं करते होंगे धन कमाने का किंतु धन कमाने में गृहस्थ लोग सफल क्यों नहीं होते और बाबा लोग असफल क्यों नहीं होते !
      किसान, मजदूर ,दुकानदार आदि घर गृहस्थी वाले लोग दिन रात मेहनत करके मुश्किल से अपने बच्चों का भरण पोषण कर पाते हैं दूसरी ओर बाबा लोग जो बिना कुछ रोजी रोजगार के  बिना किसी कामधाम के बड़ी बड़ी बिल्डिंगें आश्रम योगपीठें बनाते चले जाते हैं हजारों करोड़ के बड़े बड़े व्यापार खड़े करते चले जाते हैं उनका ये सब करना कैसे संभव हो पाता है !ये कहना सरासर झूठ है कि भगत लोग दे देते होंगे आखिर क्यों दे देंगे भगत लोग !ये कलियुग है बिना स्वार्थ के लोग जन्म देने वाले माता पिता को रोटियाँ नहीं देते वे आश्रमों पर क्यों मेहरवान होंगे और अपने खून पसीने की कमाई क्यों लुटा आएँगे बाबाओं पर कुछ तो स्वार्थ होता होगा उनका भी !
आमदनी के साधन -
      आश्रमी  बाबा पूरे देश में घूम घूम  कर सत्संग शिविरों या योग शिविरों का आयोजन करते हैं जिनके माध्यम से  उन  लोगों को अघोषित जीवनसाथी चुनने का अवसर उपलब्ध करवाया जाता है जो अपने गृहस्थ जीवन से असंतुष्ट हैं !या अविवाहित हैं और अपने प्रेमी प्रेमिका  के साथ पति पत्नी की तरह गृहस्थी धर्म का पूर्वाभ्यास करना चाहते हैं ऐसे लोगों को आश्रम न केवल जीवन साथी उपलब्ध करवाते हैं अपितु बिछुड़े प्रेमी प्रेमिकाओं को मिलाने का काम भी करते हैं ऐसे सभी भूखे प्यासे लोगों के लिए आश्रय स्थल बनते हैं आश्रम !सत्संग शिविरों और आश्रमों के नाम पर गंदे से गंदे गलत से गलत काम करने पर भी लोग ऐसे लोगों पर शक नहीं करते हैं माता पिता भी अपने बेटा बेटियों को बेझिझक भेज देते  हैं वहाँ संस्कार सुधारने के नाम पर !
      कई ऐसे भी आश्रम देखे जाते हैं जिनमें बाबा जी साल में दो एक दिन के लिए ही आते हैं कई आश्रमों में तो कई कई वर्ष तक नहीं आते हैं किंतु ऐसे आश्रमों की भी देख रेख साफ सफाई आदि निर्माण कार्यों में करोड़ों रूपए महीने खर्च हो रहे होते हैं आश्रम चमकाए जा रहे होते हैं बाबा जी को पता भी नहीं होता है ।ऐसे आश्रमों पर धन लुटा रहा होता है यही सफेदपोस ऐय्यास वर्ग !            बाबा जी बेचारे तो फ़ोकट में बदनाम  हो रहे होते हैं जबकि बाबा जी का  फोटो उपयोग करने का सप्ताह  महीना या साल के हिसाब से बाबा जी के एकाउंटों में पहुँचा दिया   जाता है । यह सफेद पोस ऐय्यास वर्ग जब अपने अपने कार्यस्थलों से आश्रमों के लिए निकलता है तब उनके कर्मचारियों के या अपने घर वालों के या अपने मुख से यह कहने में कितना अच्छा लगता है कि साहब या बाबू जी कुटिया पर या आश्रमों  में गए हैं !इसप्रकार से शाम को तरो ताजा होकर तैयार होते हैं इन्हें गाड़ी में डालकर ड्राइवर उनके घर फेंक आता है सुबह फिर घर से उठा लाता है ।  
      ऐसे ही आश्रमों के मालिक एक बाबाजी का लड़का भी जब बाबा जी के काम में हाथ बटाने लगा अर्थात  वो भी उसी धंधे में आ गया तो वो जिस जिस शहर में जाए पूछे कि यहाँ अपने कितने आश्रम हैं चेलालोग संख्या गिनकर बता दें  उसे भी सेवा पानी का खर्च आदि  दे दें आवभगत कर दें !किंतु वो इतने से संतुष्ट न था वो उन लोगों से आश्रमों की मल्कियत के कागज़ माँगने लगा !बाबाजी की मलकीयत थी नहीं वहाँ तो हफता महीने वर्ष के हिसाब से तय था !किंतु उनके बेटे को बाबाजी  की गणित समझ में नहीं आई  कागज़ माँगने के लिए बाबाजी के रसूक की धमकियाँ देने लगा अंत में उनके भक्त साधकों ने उन्हें वहाँ पहुँचाया जहाँ जाकर वो साधना कर सकें !ऐसे लोगों को साधू संत नहीं माना जा सकता है ।
       बाबा जी के ऐय्यास भक्तों को लगा कि कहीं मुझे भी वहीँ न पहुँचा दिया जाए तो उन्होंने ने फटाफट बाबा जी के पोस्टर फाड़ डाले नाम मिटा दिया और कह दिया कि यहाँ तो उन्होंने जबर्दश्ती कब्ज़ा किया था किंतु कोई अकेला बाबा इतना बड़ा मौन आतंक कैसे फैला सकता है । ये खबर जरूर पढ़ें- see more... http://aajtak.intoday.in/crime/story/baba-had-sexually-assaulted-female-devotees-in-barabanki-of-up-porn-videos-viral-1-868793.html

नितीश जी ! "संघमुक्तभारत' तो नारा है किंतु इशारा तो संघ की गोद में बैठने का है मौका खोज रहे हैं आप ?

    हे नीतीश जी ! पिछले जन्म में आपने लालू मुक्त विहार का भी नारा तो दिया था क्या हुआ उसका ? कक्षा 9 फेल की हाँ हुजूरी करके बितानी पड़  रही है जिंदगी ! 
   नितीश जी ! "संघमुक्तभारत' का सपना कभी साकार नहीं होगा !क्योंकि संघी शिवभक्त होते हैं और भक्तों  को छोड़कर कैसे रह पाएँगे बाबा विश्वनाथ !साथ ही उन्हें यह भी पता है कि नितीश जी केवल राजनीति करने के लिए गंगा पूजने आए हैं !वैसे भी नेताओं की बातों का भरोसा इंसान नहीं करते  भगवान क्या करेंगे !
      लालू मुक्त बिहार का नारा देकर लालूयुक्त सरकार बनाने वाले चतुर नेता नितीश जी !आपके "संघमुक्तभारत" का मतलब भी  लोग समझने लगे हैं कि संघ के दरवाजे पर नाक रगड़ने की जुगत भिड़ा रहे  हैं आप ! इसका सीधा सा मतलब है कि बिहार में बढ़ते अपराधों का ठीकरा जंगलनरेश के कक्षा 9 तक पढ़े होनहार जंगली राजकुमार पर फोड़ेंगे आप ! और खिसक लेंगे रामादल की ओर !आइडिया बुरा नहीं है आपका !वैसे भी युग पुरुषअटल जी के मंत्रिमंडल में सहयोगी होने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके आपको कक्षा 9 वाले से पूछ पूछ कर काम करना पड़ रहा है आजकल !ऐसे सहयोगी के सीनियर होने से अच्छा था अटल जी के जूनियर कहलाकर ही जीवन गुजार लेते आप तो इतनी भद्द नहीं पिटती जितनी आज पिटवा रहे हैं लालूकुमार !
    नितीश जी ! सत्ता का नशा शराब से ज्यादा भयंकर होता है बिहार में अपराधोत्सव' मना रहे हैं आपके गण !नितीश जी ! सत्ता का नशा शराब से ज्यादा भयंकर होता है बिहार में 'अपराधोत्सव' मना रहे हैं आपके गण !
जंगलराज के 15 वर्ष और मंगलराज के दस वर्ष अब जंगलमंगल के गठबंधन के पाँच वर्ष ! हे नितीश जी ! जिस 'लालूराज' को 'जंगलराज' कहने का श्री गणेश सर्व प्रथम आपने ही अपने 'श्रीमुख' से किया था और उस समय जंगलराज से मुक्ति दिलाने का संकल्प भी लिया करते थे आप किंतु आज उसी जंगलराज को गले में लटकाए घूम रहे हैं आप और उसीजंगलनरेश के दरवाजे पर नाक रगड़नी पड़ रही है आपको !उसी की हाँ हुजूरी कर रहे हैं आप !इसी प्रकार से आज आप संघ मुक्त भारत का नारा दे रहे हैं कल संघ के दरवाजे पर भी नाक रगड़नी पड़ेगी आपको ! हे नितीश जी !आपके जूनियर श्री जंगली राजकुमार जी समाज से पूछते घूम रहे हैं कि जंगल राज होता क्या है इन्हें एक दिन घर बैठा कर आप समझा दीजिए कि आपके पिता श्री की शासन शैली के लिए 'जंगलराज' जैसे महान शब्द की खोज आपने ही की थी ! महोदय !आजकल जंगलीराजकुमार के तुलनात्मक विचारों से दहशत में है विहार !जिस परिवार के बेटे की हत्या की गई है उस पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है उसे कितनी भी कानूनी या आर्थिक मदद दे दी जाए किंतु वो मदद उस बेदना को घटा नहीं सकती !उस परिवार के घाव भरने के लिए सामाजिक संवेदनाओं का लेप लगाना बहुत आवश्यक है आप मुख्यमंत्री होने के नाते बिहार परिवार के मुखिया हैं आप उस परिवार का बेटा तो नहीं लौटा सकते किंतु इस दुःख की घड़ी में संवेदनाओं की कमी मत पड़ने दीजिए नरेश !ये आपका पवित्र कर्तव्य है !आपके जूनियर सहयोगी अन्य राज्यों के अपराधों से तुलना करते घूम रहे हैं बारेजंगल राजकुमार !बारे आपके जूनियर !ये किसी लायक ही होते तो दशवीं पास न कर लेते ! केले के पेड़ और बेर के पेड़ में गठबंधन किया तो जा सकता है किंतु बिजयी बेर ही होता है केले के पत्ते तो फट जाते हैं वही स्थिति आज बिहार की है बेचारे केले सुरक्षित नहीं है ! मैं निजी तौर पर मानता हूँ कि इतने दिन बाद लालू जी को सत्ता मिली है तब भी उनके गण ख़ुशी न मनावें क्या ?बिहार की बुद्धिमान जनता ने 15 वर्ष लालू जी के जंगल राज का स्वाद लिया देखा और फिर नितीश का दस साल मंगल राज देखा अब जंगल और मंगल का महागठबंधन हो गया है अब जंगल में मंगल है या मंगल में जंगल किंतु जनता जंगल और मंगल के मिले जुले स्वाद को पचा नहीं पा रही है मंगल पर भारी पड़ रहा है जंगल !नीतीश जी भ्रष्टाचार पकड़ने का दावा करते है और लालू जी स्वयं साक्षात मूर्तिमान भ्रष्टाचार आरोपी हैं भ्रष्टाचार में पकड़े गए थे बेचारे!लालू जी के जिस जंगल राज को समाप्त करने का नारा देकर नीतीश जी नेता बनेथे आज उसी जंगल के साथ नीतीश जी का गठबंधन है । लालू जी और नीतीश जी एक दूसरे से उल्टा सोचते हैं उल्टा बोलते हैं उल्टा चलते हैं फिर भी गठबंधन !

Thursday, 12 May 2016

नितीश जी ! सत्ता का नशा शराब से ज्यादा भयंकर होता है बिहार में 'अपराधोत्सव' मना रहे हैं आपके गण !

    जंगलराज के 15 वर्ष और मंगलराज के दस वर्ष अब जंगलमंगल के गठबंधन के पाँच वर्ष !
    हे नितीश जी ! जिस 'लालूराज' को 'जंगलराज' कहने का श्री गणेश सर्व प्रथम आपने ही अपने 'श्रीमुख' से किया था और उस समय जंगलराज से मुक्ति दिलाने का संकल्प भी लिया करते थे आप किंतु आज उसी जंगलराज को गले में लटकाए घूम रहे हैं आप और उसी जंगलनरेश के दरवाजे पर नाक रगड़नी पड़  रही है आपको !उसी की हाँ हुजूरी कर रहे हैं आप !इसी प्रकार से आज आप संघ मुक्त भारत का नारा  दे रहे हैं कल संघ के दरवाजे पर भी नाक रगड़नी पड़ेगी आपको !
    हे नितीश जी !आपके जूनियर श्री जंगलीराजकुमार जी समाज से पूछते घूम रहे हैं कि जंगल राज होता क्या है इन्हें एक दिन घर बैठा कर आप समझा दीजिए कि आपके पिता श्री की शासन शैली के लिए 'जंगलराज' जैसे महान शब्द की खोज आपने ही की थी !
    महोदय !आजकल जंगलीराजकुमार के तुलनात्मक विचारों से दहशत में है विहार ! जिस परिवार के बेटे की हत्या की गई है उस पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है उसे कितनी भी कानूनी या आर्थिक मदद दे दी जाए किंतु वो मदद उस बेदना को घटा नहीं सकती !उस परिवार के घाव भरने के लिए सामाजिक संवेदनाओं का लेप लगाना बहुत आवश्यक है आप मुख्यमंत्री होने के  नाते बिहार परिवार के मुखिया हैं आप उस परिवार का बेटा तो नहीं लौटा सकते किंतु इस दुःख की घड़ी में संवेदनाओं की कमी मत पड़ने दीजिए नरेश !ये आपका पवित्र कर्तव्य है !आपके जूनियर सहयोगी  अन्य राज्यों के अपराधों से तुलना करते घूम रहे हैं बारे जंगल राजकुमार !बारे आपके जूनियर !ये किसी लायक ही होते तो दशवीं पास न कर लेते ! 
      केले के पेड़ और बेर के पेड़ में गठबंधन  किया तो जा सकता है किंतु बिजयी  बेर ही होता है केले के पत्ते तो फट जाते हैं वही स्थिति आज बिहार की है बेचारे केले सुरक्षित नहीं है !
   मैं निजी तौर पर मानता हूँ कि इतने दिन बाद लालू जी को सत्ता मिली है तब भी उनके गण ख़ुशी न मनावें क्या ?बिहार की बुद्धिमान जनता ने 15 वर्ष लालू जी के जंगल राज का स्वाद लिया देखा और फिर नितीश का दस साल मंगल राज देखा अब जंगल और मंगल का महागठबंधन हो गया है अब जंगल में मंगल है या मंगल में जंगल किंतु जनता जंगल और मंगल के मिले जुले स्वाद को पचा नहीं पा रही है मंगल पर भारी पड़ रहा है जंगल !नीतीश जी भ्रष्टाचार पकड़ने का दावा करते है और लालू जी स्वयं साक्षात मूर्तिमान भ्रष्टाचार आरोपी हैं भ्रष्टाचार में पकड़े गए थे बेचारे  !लालू जी के जिस जंगल राज को समाप्त करने का नारा देकर नीतीश जी नेता बने थे आज उसी जंगल के साथ नीतीश जी का गठबंधन है । लालू जी और नीतीश जी एक दूसरे से उल्टा सोचते हैं उल्टा बोलते हैं उल्टा चलते हैं फिर भी गठबंधन !

     

आमआदमीपार्टी के प्रेत खोज रहे हैं मोदी जी की डिग्री !अरे आपियो ! ये मोदी जी डिग्रियाँ हैं इनका तुम पार नहीं पा सकते !

    ये डिग्रियाँ ही नहीं अपितु ये वो बाँस का खंभा हैं जिस पर ये आपिए जीवन भर चढ़ते उतरते रहें पार नहीं सकते !सीनियर आपियों ने अपने जूनियरों को  मोदी जी की डिग्रियों के बहाने उस प्रेत की तरह ही ऐसा काम सौंपा है कि किसान के आँगन में गड़े बाँस के खंभे पर चढ़ते उतरते रहो !वैसे भी आम आदमी पार्टी में जो कुछ करने धरने लायक थे उन्हें ज़िम्मेदारियाँ मिलीं जो किसी लायक नहीं थे उनसे कहा गया जाओ खोजो मोदी की डिग्री !
   एक गाँव का एक केजरीवाल जी की तरह का एक किसान काम की अधिकता से बहुत परेशान रहता था।वह हमेशा तनाव में रहने लगा।एक दिन एक अन्ना जी की तरह महात्मा जी के दर्शन करने गया तो उन्होंने किसान से कहा जो माँगना हो माँग  ले ! सुनकर वो बोला कि महात्मा जी मुझे कोई भूत, प्रेत या जिन्न ऐसा दे दीजिये जो मेरे सारे काम किया करे। उन्होंने मंत्र पढ़ा !! तुरंत एक भूत किसान के सामने आ खड़ा हुआ। भूत ने किसान के साथ जाने के लिए एक शर्त रखी कि यदि तुम मुझे कोई काम नहीं दोगे तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा।किसान ने सोचा मेरे पास तो बहुत काम है। भूत को काम से फुर्सत ही नहीं मिलेगी। और किसान भूत की शर्त मान कर उसे घर ले गया।
      किसान जो काम बताता भूत उस काम को झट से पूरा कर किसान के सामने आ खड़ा होता और काम मांगने लगता।कोई काम सूझ नहीं रहा था तभी देर होते देख भूत बोला जल्दी काम बताओ !! नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा। किसान ने कहा एक मिनट ठहरो ! मैं जरा लघु शंका करके आता हूँ।ये कहके पिछले दरवाजे से निकल भागा और दौड़ा दौड़ा महात्मा जी के पास जा पहुंचा। महात्मा जी भूत से मेरी जान बचाइये। महात्मा जी ने सारी बात सुनी। किसान को भूत से बचने और काम लेने का उपाय बता कर घर भेज दिया।किसान ने जाते ही उसे आदेश दिया कि जाओ जल्दी से जंगल से एक मजबूत बाँस काट के लाओ।भूत बाँस काट के झट से ले आया।किसान ने कहा। कि इस आँगन में इस बाँस का एक खम्भा गाड़ दो। भूत ने झट से खम्भा भी गाड़ दिया और बोला की अब क्या करूँ ?"किसान ने भूत से इत्मीनान से कहा कि इस खम्भे पर चढ़ते उतरते रहो!"

अरे आपियो ! "PM की डिग्रियाँ असली हैं - DU "! हे केजरीवाल जी ! शर्म हो तो अब चुल्लू भर पानी में.....!  अरे दिल्लीवालो ! अपने मुख्यमंत्री को सँभालो !
    ये देश के दुश्मनों को खुश करने के लिए अपने राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों के विरुद्ध कैसे करता है दुष्प्रचार !

    जिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,मंत्री, सांसदोंं आदि  को जनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनती है उनकी निंदा करता है ये !देश के दुश्मनों की तरह भारत सरकार को अपना दुश्मन समझता है।PM मनमोहन सिंह हों या नरेंद्रमोदी या कोई और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है इसे !लगता है कि इसका उद्देश्य ही देश के दुश्मनों के सामने भारत सरकार को नीचा दिखाना होता है इसीलिए यह निंदा केवल भारत सरकार में सम्मिलित लोगों की करता है !यही आतंकवादी करते हैं हो सकता है कि इसकी ऐसी हरकतों से वे देश के दुश्मन खुश होते हों !इसके मुखसे राष्ट्रविरोधी ताकतों या आतंकवादियों की निंदा किसने कितने बार सुनी है किंतु भारत सरकार की निंदा तो रोज करता है।पुलिस को ठुल्ला कहता है ये !  
   कुल मिलाकर देश के सम्मानजनक पदों पर बैठे हर व्यक्ति की निंदा करता है ये !पहले कहता था -"राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
     बंधुओ! दुश्मन देश भी तो यही करना चाहते हैं कि विश्व मंचों पर भारत के प्रधान मंत्री को झूठा, बेईमान ,लप्फाज, अविश्वसनीय ,धोखाधड़ी आदि करने वाला सिद्ध किया जाए !ताकि विश्व की  विरादरी भारत के प्रधानमन्त्री की कही हुई बातों पर दिए हुए बचनों पर भरोसा न करे ! हे केजरीवाल जी ! हे आशुतोष जी !हे आशीष खेतान जी !और सभी हे! .... जी ,हे..... जी आपियो !भारत के प्रधानमन्त्री को बदनाम करके किसके लिए काम कर रहे हैं आप ?देश आप लोगों  पर भरोसा करे या न करे ! जिस व्यक्ति पर प्रधानमंत्री के रूप में सारे  भारत ने भरोसा किया है आप लोग उसे बदनाम करना चाहते हैं !क्या आप भारतवासियों की भावना के साथ नहीं हैं तो हैं किसके साथ? अब तो बता दीजिए !भारतवर्ष आपलोगों पर भरोसा करे या न करे !
        देश जानना चाहता है कि आप लोग  आतंकवादियों देश द्रोहियों के लिए भी जिस तरह की भाषा का प्रयोग करते नहीं सुने जाते हैं किंतु वैसी भाषा का प्रयोग देश के प्रधान मंत्री के लिए बार बार करते हैं क्यों ?आप लोग हमेंशा देश के प्रधानमंत्री के लिए दुष्प्रचार किया करते हैं देश के प्रधानमन्त्री जी यदि आपके आरोपों पर सफाई दें तो उनका स्तर गिरता है इतने घटिया होते हैं आप लोगों के आरोप !उनकी मज़बूरी ये है कि अक्सर उन्हें विश्व विरादरी के साथ बैठकर आँख मिलाकर बात करनी और भारत की विश्वसनीयता बढ़ानी होती है उन्हीं लोगों में यदि कोई कह दे कि आपके देश का एक मुख्यमंत्री ही आपकी बातों पर भरोसा नहीं करता है तो मैं कैसे करूँ !
    हे केजरीवाल जी !इस बात और भावना से होने वाला नुक्सान केवल मोदी जी का होगा या देश का !अब आप सोचिए कि आप लोग मोदी जी से अपनी दुश्मनी निकाल रहे हैं या देश से !आखिर ऐसी  देशविरोधी गतिविधियों में आप लोग अक्सर सम्मिलित क्यों पाए जाते हैं !
    हे अरविंद केजरीवाल जी ! ऐसी ही राष्ट्रविरोधी समाज विरोधी हरकतें आप हमेंशा से करते आए हैं किंतु लब्धप्रतिष्ठ लोग आपको मुख  नहीं लगाते रहे और आप अकेले भौंकते रहे वो तो राष्ट्रपति बन गए देश  ने उन्हें सम्मान दिया !seemore...-https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es
महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के विषय में भी आपने कहा था -
राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने योग्य नहीं: टीम अन्नाsee more...http://khabar.ibnlive.com/news/desh/141497.html
 "भ्रष्टाचारी प्रणव कैसे बन सकते हैं तीनों सेनाओंके अध्यक्ष:टीमअन्ना!
      प्रणब मुखर्जी पर आरोप लगाते हुए टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा "प्रणब मुखर्जी पर भ्रष्टाचार के दो बहुत संगीन मामले हैं.उन्होंने कहा बगैर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के उनका राष्ट्रपति के तौर पर तीनों सेनाओं का कमांडर बनना  उचित नहीं होगा!".
see more.... http://www.samaylive.com/nation-news-in-hindi/154987/corruption-army-chief-presidential-candidates-congress-pranab-mu.html
विशेषबात
     भाजपा समेत समस्त राजनैतिक पार्टियों से मेरा विनम्र निवेदन है कि देश के प्रतिष्ठा पूर्ण पदों पर बैठे लोगों के विरुद्ध दुष्प्रचार न सहें न करें जो करे उसका सामूहिक बहिष्कार करें !अन्यथा विश्व के किसी भी प्रतिष्ठपूर्ण मंच पर भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे लोग भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर पाएँगे !जब देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों को भ्रष्ट ही सिद्ध कर दिया जाएगा तो आखिर कौन रखेगा विश्व मंचों पर भारत का पक्ष !
      दूसरी जरूरीबात दिल्ली भाजपा के लिए -
   केजरीवाल जैसे जनभाषाभाषियों को जवाब इसी भाषा में देकर दिल्ली में ही घेरना होगा इन्हें इनकी योजनाओं में भी पोलखोलने का पाखण्ड इन्हीं की तरह करना होगा इनकी कामचोरी मक्कारी विज्ञापनों में उलखर्ची आदि बातें जनता तक पहुँचानी होंगी अन्यथा ये ऐसे ही देश की सरकार के विरुद्ध गोबर उगलते रहेंगे क्योंकि इन्हें पता है जिसके विरुद्ध हम गोबर उगलेंगे वहाँ इतनी गंध हो जाएगी कि हम्हीं हम बचेंगे दूसरा कोई शर्मदार व्यक्ति ऐसा कर ही नहीं पाएगा !इसी बलपर  दिल्ली का CM पद इन्होंने पाया है !इसलिए इनके मनोबल और बढ़े हैं अब तो सबके सब गोबर उगलते घूम रहें हैं बेशर्मी की हद है !
    भाजपा चाहे तो राजनैतिक प्रदूषण को रोकने सम्बन्धी अभियान में मेरी सेवाएँ भी ले सकती है ।क्योंकि मैं इस प्रकरण को राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहा हूँ और ऐसा करना अपना दायित्व समझता हूँ ।

Wednesday, 11 May 2016

PM की डिग्रियाँ असली हैं - DU ! हे केजरीवाल जी ! शर्म हो तो अब चुल्लू भर पानी में.....!

   अरे दिल्लीवालो ! अपने मुख्यमंत्री को सँभालो !
    ये देश के दुश्मनों को खुश करने के लिए अपने राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों के विरुद्ध कैसे करता है दुष्प्रचार !
    जिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,मंत्री, सांसदोंं आदि  को जनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनती है उनकी निंदा करता है ये !देश के दुश्मनों की तरह भारत सरकार को अपना दुश्मन समझता है।PM मनमोहन सिंह हों या नरेंद्रमोदी या कोई और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है इसे !लगता है कि इसका उद्देश्य ही देश के दुश्मनों के सामने भारत सरकार को नीचा दिखाना होता है इसीलिए यह निंदा केवल भारत सरकार में सम्मिलित लोगों की करता है !यही आतंकवादी करते हैं हो सकता है कि इसकी ऐसी हरकतों से वे देश के दुश्मन खुश होते हों !इसके मुखसे राष्ट्रविरोधी ताकतों या आतंकवादियों की निंदा किसने कितने बार सुनी है किंतु भारत सरकार की निंदा तो रोज करता है।पुलिस को ठुल्ला कहता है ये !  
   कुल मिलाकर देश के सम्मानजनक पदों पर बैठे हर व्यक्ति की निंदा करता है ये !पहले कहता था -"राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
     बंधुओ! दुश्मन देश भी तो यही करना चाहते हैं कि विश्व मंचों पर भारत के प्रधान मंत्री को झूठा, बेईमान ,लप्फाज, अविश्वसनीय ,धोखाधड़ी आदि करने वाला सिद्ध किया जाए !ताकि विश्व की  विरादरी भारत के प्रधानमन्त्री की कही हुई बातों पर दिए हुए बचनों पर भरोसा न करे ! हे केजरीवाल जी ! हे आशुतोष जी !हे आशीष खेतान जी !और सभी हे! .... जी ,हे..... जी आपियो !भारत के प्रधानमन्त्री को बदनाम करके किसके लिए काम कर रहे हैं आप ?देश आप लोगों  पर भरोसा करे या न करे ! जिस व्यक्ति पर प्रधानमंत्री के रूप में सारे  भारत ने भरोसा किया है आप लोग उसे बदनाम करना चाहते हैं !क्या आप भारतवासियों की भावना के साथ नहीं हैं तो हैं किसके साथ? अब तो बता दीजिए !भारतवर्ष आपलोगों पर भरोसा करे या न करे !
        देश जानना चाहता है कि आप लोग  आतंकवादियों देश द्रोहियों के लिए भी जिस तरह की भाषा का प्रयोग करते नहीं सुने जाते हैं किंतु वैसी भाषा का प्रयोग देश के प्रधान मंत्री के लिए बार बार करते हैं क्यों ?आप लोग हमेंशा देश के प्रधानमंत्री के लिए दुष्प्रचार किया करते हैं देश के प्रधानमन्त्री जी यदि आपके आरोपों पर सफाई दें तो उनका स्तर गिरता है इतने घटिया होते हैं आप लोगों के आरोप !उनकी मज़बूरी ये है कि अक्सर उन्हें विश्व विरादरी के साथ बैठकर आँख मिलाकर बात करनी और भारत की विश्वसनीयता बढ़ानी होती है उन्हीं लोगों में यदि कोई कह दे कि आपके देश का एक मुख्यमंत्री ही आपकी बातों पर भरोसा नहीं करता है तो मैं कैसे करूँ !
    हे केजरीवाल जी !इस बात और भावना से होने वाला नुक्सान केवल मोदी जी का होगा या देश का !अब आप सोचिए कि आप लोग मोदी जी से अपनी दुश्मनी निकाल रहे हैं या देश से !आखिर ऐसी  देशविरोधी गतिविधियों में आप लोग अक्सर सम्मिलित क्यों पाए जाते हैं !
    हे अरविंद केजरीवाल जी ! ऐसी ही राष्ट्रविरोधी समाज विरोधी हरकतें आप हमेंशा से करते आए हैं किंतु लब्धप्रतिष्ठ लोग आपको मुख  नहीं लगाते रहे और आप अकेले भौंकते रहे वो तो राष्ट्रपति बन गए देश  ने उन्हें सम्मान दिया !seemore...-https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es
महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के विषय में भी आपने कहा था -
राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने योग्य नहीं: टीम अन्नाsee more...http://khabar.ibnlive.com/news/desh/141497.html
 "भ्रष्टाचारी प्रणव कैसे बन सकते हैं तीनों सेनाओंके अध्यक्ष:टीमअन्ना!
      प्रणब मुखर्जी पर आरोप लगाते हुए टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा "प्रणब मुखर्जी पर भ्रष्टाचार के दो बहुत संगीन मामले हैं.उन्होंने कहा बगैर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के उनका राष्ट्रपति के तौर पर तीनों सेनाओं का कमांडर बनना  उचित नहीं होगा!".
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विशेषबात
     भाजपा समेत समस्त राजनैतिक पार्टियों से मेरा विनम्र निवेदन है कि देश के प्रतिष्ठा पूर्ण पदों पर बैठे लोगों के विरुद्ध दुष्प्रचार न सहें न करें जो करे उसका सामूहिक बहिष्कार करें !अन्यथा विश्व के किसी भी प्रतिष्ठपूर्ण मंच पर भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे लोग भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर पाएँगे !जब देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों को भ्रष्ट ही सिद्ध कर दिया जाएगा तो आखिर कौन रखेगा विश्व मंचों पर भारत का पक्ष !
      दूसरी जरूरीबात दिल्ली भाजपा के लिए -
   केजरीवाल जैसे जनभाषाभाषियों को जवाब इसी भाषा में देकर दिल्ली में ही घेरना होगा इन्हें इनकी योजनाओं में भी पोलखोलने का पाखण्ड इन्हीं की तरह करना होगा इनकी कामचोरी मक्कारी विज्ञापनों में उलखर्ची आदि बातें जनता तक पहुँचानी होंगी अन्यथा ये ऐसे ही देश की सरकार के विरुद्ध गोबर उगलते रहेंगे क्योंकि इन्हें पता है जिसके विरुद्ध हम गोबर उगलेंगे वहाँ इतनी गंध हो जाएगी कि हम्हीं हम बचेंगे दूसरा कोई शर्मदार व्यक्ति ऐसा कर ही नहीं पाएगा !इसी बलपर  दिल्ली का CM पद इन्होंने पाया है !इसलिए इनके मनोबल और बढ़े हैं अब तो सबके सब गोबर उगलते घूम रहें हैं बेशर्मी की हद है !
    भाजपा चाहे तो राजनैतिक प्रदूषण को रोकने सम्बन्धी अभियान में मेरी सेवाएँ भी ले सकती है ।क्योंकि मैं इस प्रकरण को राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहा हूँ और ऐसा करना अपना दायित्व समझता हूँ ।

Monday, 9 May 2016

जनता के पैसों से चलने वाली संसद में केवल जनता से जुड़े मुद्दे ही उठाए जाएँ !

  अपने निजी मुद्दे हों या अपनी पार्टी मालिक मालकिनों से संबंधित मुद्दे उठाने के लिए जनता का पैसा बर्बाद न करें उसका फैसला कोर्ट से कराएँ और अपना पैसा खर्च करके अपना स्वतन्त्र विज्ञापन करके जनता को समझाएँ कि वो कितने कर्मठ और ईमानदार हैं !सांसद में ब्लेक मेलिंग बंद हो कि यदि ऐसा नहीं मनोज तो संसद नहीं चलने  जाएगी !
   नेता लोग अपने एवं अपनी पार्टियों से जुड़े मुद्दे समाज में उठाएँ या कोर्ट जाएँ उसके लिए संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद न करें !क्योंकि संसद न केवल जनता के खून पसीने की कमाई से चलती है !और जनता बड़ी मुशीबत में कमाती है एक एक पैसा !संवेदनाशून्य नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए !
       ऐसे लोग जनता के पैसे से चलने वाली संसद का बहुमूल्य समय जनता के काम नहीं आने देते वो  औरों को बेईमान और अपने को ईमानदार सिद्ध करने में बर्बाद कर देते हैं सारा समय !जबकि ये राजनेताओं और उनकी पार्टियों के अपने निजी मुद्दे हैं इससे उनका अपना हानि लाभ है जनता का नहीं तो ऐसे मुद्दों को जनता के पैसों से चलने वाली संसद में क्यों उठाया जाए फिर इनके लिए संसद की कार्यवाही रोकने का का मतलब क्या ये नहीं होता कि इनके भ्रष्टाचार पर यदि पर्दा नहीं डाला जाएगा तो ये संसद की कार्यवाही रोककर रखेंगे नहीं चलने देंगे !संसद चलाना सरकार की मजबूरी होती है । ऐसे तो  भ्रष्टाचार का कोई केस खुलेगा ही नहीं ये तो सीधी सीधी ब्लैकमेलिंग है अन्यथा ऐसे मुद्दों के लिए पार्टियाँ कोर्ट जाएँ या फिर जनता को सच्चाई समझावें !    लोकतंत्र की खाल में घुसे घूम रहे हैं काँग्रेस ,सपा बसपा राजद जैसे ठेकेदारी पर राजनीति करवाने वाले गिरोहों की बराबरी राजनैतिक पार्टियों से कैसे की जा सकती है ! कहाँ है इनमें लोकतंत्र ?
    पार्टियों में लोकतंत्र स्थापित होते ही शिक्षित,सदाचारी और समझदार लोगों को भी उनकी कार्यक्षमता के आधार पर अवसर मिलने लगेंगे !ये शिक्षित सांसद संसद की चर्चाओं में भाग लेंगे इन्हें चर्चा  की समझ होगी दूसरे की सुनेंगे अपनी सुनाएँगे औरों के अच्छे बिचार मानेंगे अपने प्रेम पूर्वक औरों को मनवाएँगे !हुल्लड़ नहीं मचाएँगे इससे संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद नहीं जाएगा !जनता के पैसों से चलने वाली संसद का एक एक सेकेण्ड जनता के काम आएगा !भारतीय संसद विश्व के लिए आदर्श बनेगी ।
      जो सांसद शिक्षित नहीं होते वो अपने विचार रख नहीं पाते औरों के समझ नहीं पाते पार्टियों के सरदार लोग ऐसे लोगों का उपयोग हुल्ल्ड़ मचाने,माइकफेंकवाने ,कुर्सियाँ तोड़वाने या  मारपीट आदि करने करवाने में किया करते हैं चूँकि शिक्षित और  समझदार लोग उनके कहने से ऐसा नहीं करेंगे वे अपना भी दिमाग लगाएँगे अपनी भी समझदारी का उपयोग करेंगे और पार्टी के सरदारों के कहे हुए गलत काम नहीं करेंगे इसीलिए राजनीति के स्वयंभू ठेकेदारों की पहली पसंद हैं अशिक्षित और दुर्गुणी लोग !
     चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य करने जैसी चर्चा चलते ही राजनैतिक सामन्तवादी गिरोहों के सरदार लोग दलितों सवर्णों ,अगड़ों पिछड़ों ,हिन्दू मुस्लिमों आदमी औरतों, गरीबों अमीरों के भेदभाव भरने लगते हैं समाज में !ये मक्कावर्ग ऐसे ही बहानों के बल पर पिछले कई दशकों से शिक्षित सदाचारी लोगों के राजनीति में जाने का रास्ता रोककर खड़ा हुआ है ।राजनीति का आपराधीकरण ऐसे ही नेताओं की देन है क्योंकि समाज को अपनी बात मनवाने के लिए इन्हें अपराधियों की  जरूरत पड़ा करती है अपराधियों का उपयोग ये करते  हैं तो अपराधी इनका उपयोग करते हैं !रास्ते चलते लोगों को गोली मार देते हैं लूट लेते हैं लड़कियों को उठा ले जाते हैं बलात्कार करते हैं और कुछ दिन एकांत बास करते हैं तब तक यही नेता लोग रफा दफा करा देते हैं केस !इसलिए राजनैतिक पार्टियों के अंदर लोकतंत्र एवं शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए !
     अलोकतांत्रिक  राजनैतिक पार्टियों के  सरदार दलितों सवर्णों ,अगड़ों पिछड़ों ,हिन्दू मुस्लिमों, आदमियों  औरतों, गरीबों अमीरों के बीच खाई खींचकर आपस में इन्हें लड़ाया करते हैं और अपने घर भरा करते हैं !दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों के हितों के नाम पर चलाई जाने वाली हर योजना का सारा धन इन्हीं लोगों के अपने घरों में रखा मिलेगा सारा  धन बड़ी चालाकी पूर्वक ये खुद खा जाते हैं दलितों के सामने सवर्णों को ,पिछड़ों के सामने अगड़ों को  ,मुस्लिमों के सामने हिन्दुओं को , औरतों के सामने आदमियों को  और  गरीबों के सामने अमीरों को दोषी ठहराकर सारा धन खुद खा जाते हैं जनता की भलाई के लिए पास हुआ सारा धन ! इन राजनैतिक ठेकेदारों का न कोई धंधा होता है न व्यापार न नौकरी दिन भर खाली घूमते हैं जब राजनीति में आए थे तब कंगले थे आज अरबोंपति हैं आखिर कहीं से तो आया होगा ये धन किसी को नोचा होगा इन्होंने !यही धन पचाने और रखाने के लिए इन्हें चाहिए होता है अपराधियों का साथ ऐसे हो रहा है राजनीति का अपराधीकरण ! दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों के हितों से इन राजनैतिक सरदारों का कोई लेना देना नहीं होता है ।अपने हितों की बातें मनवाने के लिए ये गिनाते  हैं दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों के नाम !
  दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों से इनका कोई लेना देना नहीं होता है अपितु इनका उद्देश्य तो केवल मूर्खों को अपने मातहत रखकर भाड़े पर राजनीति करवाना  होता है !इसीलिए ये राजनैतिक माफियावर्ग  शिक्षित समझदार  लोगों को या तो राजनीति में घुसने नहीं देता है या फिर अपना भाड़े का टट्टू बना कर रखता  है ऐसे टट्टू विधायकों सांसदों की बातों को तो छोड़िए यदि ऐसे लोग प्रधानमंत्री भी बन जाएँ तो भी ये पार्टी मालिकों की हाँ हुजूरी ही किया करते हैं !एक प्रधानमंत्री की मालकिन के बेटे ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास किए गए अध्यादेश के पन्ने फाड़ कर फेंकने के लिए बाकायदा मीडिया बुलाई थी केवल यह दिखाने के लिए कि केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों की हमारे सामने क्या औकात है !यह देखकर भी प्रधानमंत्री समेत सारे मंत्रिमंडल को साँप सूँघ गया था ये है विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हाल जहाँ  PM को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है किंतु इन राजनैतिक माफियाओं ठेकेदारों के सामने प्रधानमंत्री जैसे ताकतवर व्यक्ति को भी दुम दबाकर जाना होता है !
     जैसे  भाजपा में पार्टीअध्यक्ष बनने का सपना हर कार्यकर्ता देख सकता है वैसी सुविधा अन्य पार्टियों में क्यों  नहीं होने दे रहे हैं उन राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग !भ्रष्टाचार के जन्मदाता हैं ये लोग !इनके चुनाव हारने के बाद भी अधिकारी लोग इनके भ्रष्टाचार पर हाथ डालने में डरते हैं क्योंकि जब सत्ता में आएँगे तब बदला लेंगे !दूसरी राजनैतिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार का शोर मचाकर सत्ता में तो आ जाती हैं  अलोक तांत्रिक पार्टियों के सरदारों पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही कैसे करें जब सत्ता में वो आएँगे तो बदला  लेंगे दूसरी बात पार्टिसरदारों को अपने लाखों कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त होता जब चाहेंगे तब आंदोलनों के नामपर देश के कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा देंगे ईमानदार सरकारें इस गुंडागर्दी के कारण डर जाती हैं भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से लड़ने में !इसीलिए भ्रष्टाचारी पहलीबात तो जेल जा नहीं पाते हैं और गए भी तो कानून को ठेंगा दिखाते हुए गंगा सी नहा  कर निकल आते हैं!
         सोनियाँ जी ,लालू जी ,मुलायमसिंह जी ,मायावती जी आदि लोग अपनी पार्टी के कितने योग्य समझदार व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के नीचे ही दबा कर रखते हैं ताकि वो सिर न उठा सके और उनके सामने आँख मिलाकर बात न कर सके !इनकी यही समस्या वहाँ होती है जब चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य करने की बात आती है तो इन पार्टियों के मालिक घबड़ा जाते हैं कि पढ़े लिखे समझदार लोगों को टिकट देना  अपने ऊपर भारी पड़ेगा !  जिन पार्टियों में अध्यक्ष केवल एक परिवार का ही सदस्य हो सकता है वो अपने को लोकतान्त्रिक पार्टी कैसे कह सकती हैं वो राजतांत्रिक पार्टियाँ हैं इसीलिए वो राजाओं की तरह का सलूक करती हैं अपने कार्यकर्ताओं और देश वासियों के साथ !  जैसे अकर्मण्य चालाक और भ्रष्ट ऐय्यास राजा लोग अपनी कुर्सी कायम रखने के लिए जनता को आपस में लड़ाया करते थे और खुद चौधराहट किया करते थे वही ये कर रहे हैं आज  । 
     काँग्रेस क्या ख़ाक बचाएगी लोकतंत्र ! लोकतंत्र की समझ नहीं है तो भाजपा से सीख ले या फिर PK से पूछ ले !क्या होता है लोकतंत्र !जानिए कैसे ?
   काँग्रेस अपना अध्यक्ष चुनती है क्या ?मनमोहन सिंह जी को PM जनता की रूचि से बनाया गया था क्या ?मनमोहन सिंह जी किस लोक सभाक्षेत्र से जीते थे चुनाव !काँग्रेस बताएगी क्या ?लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा बने फिरते हैं लोकतंत्र बचाओ रैली निकालते !अपनी अकल इंद्रिय खराब है तो कम से कम PK से ही पूछ लिया होता रैली निकालने से पहले कि  इससे भद्द तो नहीं पिटेगी !
    लोकतंत्र  है भाजपा में जहाँ पार्टी अध्यक्ष और PM प्रत्याशी के चयन में देखी जाती है पार्टी कार्यकर्ताओं की रूचि !रही बात प्रधानमंत्री बनाने की तो अपने PM प्रत्याशी के गले में बँधा पार्टीबंधन खोलकर स्वतंत्र छोड़ देती है पार्टी जनता का भरोसा जीतने के लिए !यदि उसके समर्थन में देश की जनता मोहर मारती है तब बाद में पार्टी मारती है मोहर ! जाओ तुमने पार्टी के अनुशासित सिपाही के नाते जनता का विश्वास जीतकर प्रधानमंत्री बनने की पात्रता सिद्ध की है इसलिए बनो प्रधानमंत्री !
      भाजपा के अलावा देश की लगभग अन्य सभी पार्टियों में लोकतंत्र का तो बस नाम भर है बाक़ी एक परिवार की ही मलकीयत चलती है और जिन पार्टियों के मालिक  फिक्स हैं उन पार्टियों को लोकतांत्रिक कैसे कहा जा सकता है ! जो काँग्रेस पार्टी अपना अध्यक्ष चुनने के लिए  सदस्यों की परवाह न करती हो देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए देश की जनता की इच्छा जानने की जरूरत ही न समझती हो वो बचाने निकली है लोकतंत्र !बारे लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा लोगो  !
     मनमोहन सिंह एक लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मन नहीं जीत सके वे देश के प्रधानमंत्री बनाए गए केवल पार्टी की मालकिन की इच्छा पर और हमेंशा  उसी प्रकार का व्यवहार भी करते रहे !मनमोहन सिंह जी की पार्टी की मालकिन के लड़के ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास कराया गया अध्यादेश फाड़ने के लिए बकायदा प्रेसकांफ्रेंस की थी ! यदि वो पार्टी की मालकिन के लड़के सहमत नहीं थे तो एकांत में बात भी की जा सकती थी मनमोहन सिंह जी से वे विद्वान हैं वयोवृद्ध हैं हैं शिष्ट शालीन अनुभवी आदि और भी बहुत कुछ हैं उनसे इस विषय में बात कर लेने में कौन सी बेइज्जती हो जाती या वो कौन  इनकार कर देते और यदि कर देते तो कितने घंटे रह पाते कृपा पूर्वक प्राप्त उस कुर्सी पर !ये तो दुनियाँ जानती है फिर भी दुनियाँ को दिखाकर अध्यादेश की कापी फाड़ने को मनमोहन सिंह जी की सरकार के लिए चुनौती क्यों न माना जाए लोकतंत्र कैसे मान लिया जाए ! 
    इसीप्रकार से मनमोहन सिंह जी की सरकार की मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए गैस सिलेंडरों की संख्या घटाकर पहले 9 की गई थी फिर मालकिन के लड़के से एक सभा में कहलवाया गया कि अब 12 कर दो सुनते ही पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा -"सब्सिडी वाले सस्ते रसोई गैस सिलेंडरों का सालाना कोटा नौ से बढ़ाकर 12 किया जाएगा।" मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए जनता को ऐसे तंग किया जाता रहा इसे लोकतंत्र मान लिया जाए क्या ?
          इसप्रकार से सपा बसपा राजद आदि सभी पार्टियों में अध्यक्ष नहीं अपितु मालिक हैं इसीलिए भारतीय जनता पार्टी काँग्रेस समेत सभी पार्टियों को सिखा सकती है कि क्या होता है लोकतंत्र ! क्योंकि भाजपा "लोकतंत्र बचाओ" के नारे नहीं लगाती अपितु देश के लोकतंत्र के लिए साक्षात संजीवनी है ! लोकतंत्र  बचाने वाली एकमात्र पार्टी है भाजपा जिसमें अध्यक्ष बनने या प्रधानमंत्री बनने का सपना पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता देख सकता है बशर्ते उसे पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता का विश्वास जीतना होता है इसे कहते हैं लोकतंत्र !जो लोक इच्छा  से बनता है ।बाकी पार्टियों में लोकतांत्रिक दृष्टि से  अध्यक्ष चुनने के नाम पर  लोकतंत्र को केवल ठेंगा दिखाया जाता है ! जिस पार्टी में अध्यक्ष चुनने की जगह एक परिवार की मलकियत चलती हो !वे  सोनियाँ जी और मनमोहन जी क्या बचाएँगे लोकतंत्र !


राजनैतिक पार्टियों के अंदर लोकतंत्र एवं चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य की जाए !

   लोकतंत्र की खाल में घुसे घूम रहे हैं काँग्रेस ,सपा बसपा राजद जैसे  गिरोहराजनैतिक पार्टियाँ हैं क्या ? कहाँ है इनमें लोकतंत्र ?
       ऐसे लोग जनता के पैसे से चलने वाली संसद का बहुमूल्य समय जनता के काम नहीं आने देते वो  औरों को बेईमान और अपने को ईमानदार सिद्ध करने में बर्बाद कर देते हैं !जबकि ये राजनेताओं और उनकी पार्टियों के अपने निजी मुद्दे हैं इससे उनका अपना हानि लाभ है जनता का नहीं तो ऐसे मुद्दों को जनता के पैसों से चलने वाली संसद में क्यों उठाया जाए फिर इनके लिए सांसद की कार्यवाही रोकने का का मतलब क्या ये नहीं होता कि इनके भ्रष्टाचार पर यदि पर्दा नहीं डाला  जाएगा तो ये संसद  नहीं चलने देंगे !संसद चलाना सरकार की मजबूरी होती है । ऐसे  भ्रष्टाचार का कोई केस खुलेगा ही नहीं ये तो सीधी सीधी ब्लैकमेलिंग है अन्यथा ऐसे मुद्दों के लिए पार्टियाँ कोर्ट जाएँ या फिर जनता को सच्चाई समझावें !
          पार्टियों में लोकतंत्र स्थापित होते ही शिक्षित,सदाचारी और समझदार लोगों को भी उनकी कार्यक्षमता के आधार पर अवसर मिलेंगे !ये शिक्षित सांसद संसद की चर्चाओं में भाग लेंगे इन्हें चर्चा  की समझ होगी दूसरे की सुनेंगे अपनी सुनाएँगे औरों के अच्छे बिचार मानेंगे अपने प्रेम पूर्वक औरों को मनाएँगे !हुल्लड़ नहीं मचाएँगे इससे संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद नहीं जाएगा !जनता के पैसों से चलने वाली संसद का एक एक सेकेण्ड जनता के काम आएगा !जो सांसद शिक्षित नहीं होते वो अपने विचार रख नहीं पाते औरों के समझ नहीं पाते पार्टियों के सरदार लोग ऐसे लोगों का उपयोग हुल्ल्ड़ मचाने,माइकफेंकवाने ,कुर्सियाँ तोड़वाने में किया करते हैं चूँकि शिक्षित और  समझदार लोग अपना भी दिमाग लगाएँगे और पार्टी के सरदारों के कहे हुए गलत काम नहीं करेंगे इसीलिए राजनीति के स्वयंभू ठेकेदार दलितों सवर्णों ,अगड़ों पिछड़ों ,हिन्दू मुस्लिमों आदमी औरतों, गरीबों अमीरों के हिसाब से अवसर देने का राग  अलापने लगते हैं जबकि इनका दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों से कोई लेना देना नहीं होता है अपितु इनका उद्देश्य केवल मूर्खों को अपने मातहत रखकर भाड़े पर राजनीति करवानी होती है !ऐसे भाड़े के टट्टू विधायकों सांसदों की बातो तो छोडिए यदि ऐसे लोग प्रधानमंत्री भी बन जाएँ तो भी ये पार्टी मालिकों की हाँ हुजूरी ही किया करते हैं !एक प्रधानमंत्री की मालकिन के बेटे ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास किए गए अध्यादेश के पन्ने फाड़ कर फेंकने के लिए बाकायदा मीडिया बुलाई थी केवल यह दिखाने के लिए कि केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों की हमारे सामने क्या औकात है !यह देख जान कर भी प्रधानमंत्री समेत सारे मंत्रिमंडल को साँप सूँघ गया था जबकि लोकतंत्र में PM को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है किंतु इन पार्टी ठेकेदारों के सामने प्रधानमंत्री जैसे ताकतवर व्यक्ति को भी दुम दबाकर जाना होता है !

     जैसे  भाजपा में पार्टीअध्यक्ष बनने का सपना हर कार्यकर्ता देख सकता है वैसी सुविधा अन्य पार्टियों में क्यों  नहीं होने दे रहे हैं उन राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग !भ्रष्टाचार के जन्मदाता हैं ये लोग !इनके चुनाव हारने के बाद भी अधिकारी लोग इनके भ्रष्टाचार पर हाथ डालने में डरते हैं क्योंकि जब सत्ता में आएँगे तब बदला लेंगे !दूसरी राजनैतिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार का शोर मचाकर सत्ता में तो आ जाती हैं  अलोक तांत्रिक पार्टियों के सरदारों पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही कैसे करें जब सत्ता में वो आएँगे तो बदला  लेंगे दूसरी बात पार्टिसरदारों को अपने लाखों कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त होता जब चाहेंगे तब आंदोलनों के नामपर देश के कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा देंगे ईमानदार सरकारें इस गुंडागर्दी के कारण डर जाती हैं भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से लड़ने में !इसीलिए भ्रष्टाचारी पहलीबात तो जेल जा नहीं पाते हैं और गए भी तो कानून को ठेंगा दिखाते हुए गंगा सी नहा  कर निकल आते हैं!
       
        

इसलिए लोकतांत्रिक पार्टी है भाजपा ! ही नहीं !
       सोनियाँ जी ,लालू जी ,मुलायमसिंह जी ,मायावती जी आदि लोग अपनी पार्टी के कितने योग्य समझदार व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के नीचे ही दबा कर रखते हैं ताकि वो सिर न उठा एके और उनके सामने आँख मिलाकर बात न कर सके !इनकी यही समस्या वहाँ होती है जब चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य करने की बात आती है तो इन पार्टियों के मालिक घबड़ाजाते हैं कि नियम से तो पढ़े लिखे समझदार लोगों को टिकट देना
  जिन पार्टियों में अध्यक्ष केवल एक परिवार का ही सदस्य हो सकता है वो अपने को लोकतान्त्रिक पार्टी कैसे कह सकती हैं वो राजतांत्रिक पार्टियाँ हैं इसीलिए वो राजाओं की तरह का सलूक करती हैं अपने कार्यकर्ताओं और देश वासियों के साथ !
        जैसे अकर्मण्य चालाक और भ्रष्ट ऐय्यास राजा लोग अपनी कुर्सी कायम रखने के लिए जनता को
आपस में लड़ाया करते थे और खुद चौधराहट  बनने के लिए कोई एक व्यक्ति या परिवार निश्चित नहीं है का सपना हर कार्यकर्ता देख सकता है इसलिए 


काँग्रेस क्या ख़ाक बचाएगी लोकतंत्र ! लोकतंत्र की समझ नहीं है तो भाजपा से सीख ले या फिर PK से पूछ ले !क्या होता है लोकतंत्र !जानिए कैसे ?
   काँग्रेस अपना अध्यक्ष चुनती है क्या ?मनमोहन सिंह जी को PM जनता की रूचि से बनाया गया था क्या ?मनमोहन सिंह जी किस लोक सभाक्षेत्र से जीते थे चुनाव !काँग्रेस बताएगी क्या ?लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा बने फिरते हैं लोकतंत्र बचाओ रैली निकालते !अपनी अकल इंद्रिय खराब है तो कम से कम PK से ही पूछ लिया होता रैली निकालने से पहले कि  इससे भद्द तो नहीं पिटेगी !
    लोकतंत्र  है भाजपा में जहाँ पार्टी अध्यक्ष और PM प्रत्याशी के चयन में देखी जाती है पार्टी कार्यकर्ताओं की रूचि !रही बात प्रधानमंत्री बनाने की तो अपने PM प्रत्याशी के गले में बँधा पार्टीबंधन खोलकर स्वतंत्र छोड़ देती है पार्टी जनता का भरोसा जीतने के लिए !यदि उसके समर्थन में देश की जनता मोहर मारती है तब बाद में पार्टी मारती है मोहर ! जाओ तुमने पार्टी के अनुशासित सिपाही के नाते जनता का विश्वास जीतकर प्रधानमंत्री बनने की पात्रता सिद्ध की है इसलिए बनो प्रधानमंत्री !
      भाजपा के अलावा देश की लगभग अन्य सभी पार्टियों में लोकतंत्र का तो बस नाम भर है बाक़ी एक परिवार की ही मलकीयत चलती है और जिन पार्टियों के मालिक  फिक्स हैं उन पार्टियों को लोकतांत्रिक कैसे कहा जा सकता है ! जो काँग्रेस पार्टी अपना अध्यक्ष चुनने के लिए  सदस्यों की परवाह न करती हो देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए देश की जनता की इच्छा जानने की जरूरत ही न समझती हो वो बचाने निकली है लोकतंत्र !बारे लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा लोगो  !
     मनमोहन सिंह एक लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मन नहीं जीत सके वे देश के प्रधानमंत्री बनाए गए केवल पार्टी की मालकिन की इच्छा पर और हमेंशा  उसी प्रकार का व्यवहार भी करते रहे !मनमोहन सिंह जी की पार्टी की मालकिन के लड़के ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास कराया गया अध्यादेश फाड़ने के लिए बकायदा प्रेसकांफ्रेंस की थी ! यदि वो पार्टी की मालकिन के लड़के सहमत नहीं थे तो एकांत में बात भी की जा सकती थी मनमोहन सिंह जी से वे विद्वान हैं वयोवृद्ध हैं हैं शिष्ट शालीन अनुभवी आदि और भी बहुत कुछ हैं उनसे इस विषय में बात कर लेने में कौन सी बेइज्जती हो जाती या वो कौन  इनकार कर देते और यदि कर देते तो कितने घंटे रह पाते कृपा पूर्वक प्राप्त उस कुर्सी पर !ये तो दुनियाँ जानती है फिर भी दुनियाँ को दिखाकर अध्यादेश की कापी फाड़ने को मनमोहन सिंह जी की सरकार के लिए चुनौती क्यों न माना जाए लोकतंत्र कैसे मान लिया जाए ! 
    इसीप्रकार से मनमोहन सिंह जी की सरकार की मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए गैस सिलेंडरों की संख्या घटाकर पहले 9 की गई थी फिर मालकिन के लड़के से एक सभा में कहलवाया गया कि अब 12 कर दो सुनते ही पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा -"सब्सिडी वाले सस्ते रसोई गैस सिलेंडरों का सालाना कोटा नौ से बढ़ाकर 12 किया जाएगा।" मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए जनता को ऐसे तंग किया जाता रहा इसे लोकतंत्र मान लिया जाए क्या ?
          इसप्रकार से सपा बसपा राजद आदि सभी पार्टियों में अध्यक्ष नहीं अपितु मालिक हैं इसीलिए भारतीय जनता पार्टी काँग्रेस समेत सभी पार्टियों को सिखा सकती है कि क्या होता है लोकतंत्र ! क्योंकि भाजपा "लोकतंत्र बचाओ" के नारे नहीं लगाती अपितु देश के लोकतंत्र के लिए साक्षात संजीवनी है ! लोकतंत्र  बचाने वाली एकमात्र पार्टी है भाजपा जिसमें अध्यक्ष बनने या प्रधानमंत्री बनने का सपना पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता देख सकता है बशर्ते उसे पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता का विश्वास जीतना होता है इसे कहते हैं लोकतंत्र !जो लोक इच्छा  से बनता है ।बाकी पार्टियों में लोकतांत्रिक दृष्टि से  अध्यक्ष चुनने के नाम पर  लोकतंत्र को केवल ठेंगा दिखाया जाता है ! जिस पार्टी में अध्यक्ष चुनने की जगह एक परिवार की मलकियत चलती हो !वे  सोनियाँ जी और मनमोहन जी क्या बचाएँगे लोकतंत्र !