अपनी नाक तक नौकरों से पोछवाने वाले बनाए जा रहे हैं स्वच्छता अभियान के ब्रांड एंबेसडर !ऐसे लोग स्वच्छता के विषय में क्या सिखा पाएंगे देश को !
जो फिल्मी अभिनेता अभिनेत्रियाँ अपने घर की साफ सफाई खुद न करते हों ! जो अपने घरों में झाड़ू लगाना तो दूर झाड़ू छूने में डरते हों !खुद पोछा न मारते हों कपड़े न धोते हों बाथरूम न साफ करते हों सब कामों के लिए अलग अलग नौकर रखते हों !ऐसे लोगों को ब्रांड एंबेसडर बनाने से देश के लोग आखिर क्या और कैसे प्रेरणा लेंगे !ऐसे लोगों से स्वच्छता के विषय में क्या सीखेंगे !
आधे चौथाई कपड़े पहनने की गन्दगी विदेशों से लाकर फैशन के नाम पर भारत में फैलाने के लिए जिम्मेदार फिल्मी जगत के अधिकांश लोग जिन्हें भारतीय संस्कृति से ऊभन होती हो !ऐसे लोगों के अभिनयों आचारों व्यवहारों के दुष्परिणाम भारतीय लड़कियां महिलाएँ सामाजिक दुर्व्यवहारों के रूप में सहने के लिए मजबूर हों वे लोग यदि बना दिए जाएँ स्वच्छ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर तो बनाने वाले का उद्देश्य आखिर क्या हो सकता है !
ये तो उसी तरह की लापरवाही है जैसे अशिक्षित या अल्पशिक्षित गैर जिम्मेदार और कामचोर घूस खोर लोगों को सरकारी नौकरियों में अधिकारी कर्मचारी बनाकर रख दिया जाए जिन पर काम काज की कोई जिम्मेदारी ही न हो और न ही वो करते ही हों इसके बाद भी वे अधिकारी कर्मचारी आखिर किस बात के !आखिर क्या करते हैं वो !केवल गाड़ियों में बैठकर आऊँ आऊँ करके झाम दिखाते घूमने वाली सरकारी अधिकारियों की प्रजाति से सरकार कभी पूछे तो सही कि उनके पास कितने गरीब मजदूर ग्रामीणों को आने दिया जाता है और जो आने में सफल भी हो जाते हैं उनमें कितने के काम वो कर पाते हैं कितने दीन दुखियों को अपनापन देकर उनके काम आ पाते हैं वे किन्तु भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारों में सम्मिलित नेता लोग जिन अधिकारियों कर्मचारियों के माध्यम से अवैध वसूली करवाते हैं उनसे किस मुख से पूछेंगे वे !और पूछें भी क्यों क्या उन्हें पता नहीं होता है जो पूछें !वैसे भी नेता लोग जिस दिन उनसे हिसाब लेने लगेंगे वे पोल नहीं खोल देंगे इनकी !
सरकारी विभागों की नौकरी में नाम लिखाकर सैलरी उठाने वाले लोग अपने सारे काम प्राइवेट में करवाते हैं अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं चिकित्सा प्राइवेट अस्पतालों में करवाते हैं डाक छोड़ कोरिअर का उपयोग करते हैं सरकारी फोन छोड़ प्राइवेट कंपनियों के मोबाईल उपयोग करते हैं ऐसे लोगों को सरकार नौकरी पर रखती ही क्यों है जिन्हें सरकारी काम काज पर भरोसा ही नहीं है उन्हें सरकार बाँटे जा रही है फोकट में सैलरी !ये अंधेर नहीं तो क्या है ?
जो नेता अशिक्षित या अल्प शिक्षित होने के कारण बोल न पाते हों समझ न पाते हों उन्हें चुनावी टिकट देकर पार्टियां सदस्य बनवाती हैं इसके बाद उनसे हुल्लड़ मचवाकर सदनों की बहुमूल्य कार्यवाही रुकवाती हैं ऐसे लोगों को चुनाव लड़वाने वालों के इरादे ही नेक नहीं होते !वो ऐसे लोगों के साथ काम करना चाहते हैं जो बुद्दू हों उनके भ्रष्टाचार पर अंगुली न उठा सकें !
कुल मिलाकर सरकार के हर काम में अदूर दर्शिता गैरजिम्मेदारी आदि प्रत्यक्ष झलकती है किंतु देश वासी करें आखिर क्या ?अभिनेताओं को किसानों का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया जाता है आखिर उनसे क्या प्रेरणा लेते होंगे किसान !धन्य हैं सरकारें और उनकी कार्यशैली !भगवान् ही मालिक है ऐसे लोकतंत्र का !
जो फिल्मी अभिनेता अभिनेत्रियाँ अपने घर की साफ सफाई खुद न करते हों ! जो अपने घरों में झाड़ू लगाना तो दूर झाड़ू छूने में डरते हों !खुद पोछा न मारते हों कपड़े न धोते हों बाथरूम न साफ करते हों सब कामों के लिए अलग अलग नौकर रखते हों !ऐसे लोगों को ब्रांड एंबेसडर बनाने से देश के लोग आखिर क्या और कैसे प्रेरणा लेंगे !ऐसे लोगों से स्वच्छता के विषय में क्या सीखेंगे !
आधे चौथाई कपड़े पहनने की गन्दगी विदेशों से लाकर फैशन के नाम पर भारत में फैलाने के लिए जिम्मेदार फिल्मी जगत के अधिकांश लोग जिन्हें भारतीय संस्कृति से ऊभन होती हो !ऐसे लोगों के अभिनयों आचारों व्यवहारों के दुष्परिणाम भारतीय लड़कियां महिलाएँ सामाजिक दुर्व्यवहारों के रूप में सहने के लिए मजबूर हों वे लोग यदि बना दिए जाएँ स्वच्छ भारत अभियान के ब्रांड एंबेसडर तो बनाने वाले का उद्देश्य आखिर क्या हो सकता है !
ये तो उसी तरह की लापरवाही है जैसे अशिक्षित या अल्पशिक्षित गैर जिम्मेदार और कामचोर घूस खोर लोगों को सरकारी नौकरियों में अधिकारी कर्मचारी बनाकर रख दिया जाए जिन पर काम काज की कोई जिम्मेदारी ही न हो और न ही वो करते ही हों इसके बाद भी वे अधिकारी कर्मचारी आखिर किस बात के !आखिर क्या करते हैं वो !केवल गाड़ियों में बैठकर आऊँ आऊँ करके झाम दिखाते घूमने वाली सरकारी अधिकारियों की प्रजाति से सरकार कभी पूछे तो सही कि उनके पास कितने गरीब मजदूर ग्रामीणों को आने दिया जाता है और जो आने में सफल भी हो जाते हैं उनमें कितने के काम वो कर पाते हैं कितने दीन दुखियों को अपनापन देकर उनके काम आ पाते हैं वे किन्तु भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकारों में सम्मिलित नेता लोग जिन अधिकारियों कर्मचारियों के माध्यम से अवैध वसूली करवाते हैं उनसे किस मुख से पूछेंगे वे !और पूछें भी क्यों क्या उन्हें पता नहीं होता है जो पूछें !वैसे भी नेता लोग जिस दिन उनसे हिसाब लेने लगेंगे वे पोल नहीं खोल देंगे इनकी !
सरकारी विभागों की नौकरी में नाम लिखाकर सैलरी उठाने वाले लोग अपने सारे काम प्राइवेट में करवाते हैं अपने बच्चे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाते हैं चिकित्सा प्राइवेट अस्पतालों में करवाते हैं डाक छोड़ कोरिअर का उपयोग करते हैं सरकारी फोन छोड़ प्राइवेट कंपनियों के मोबाईल उपयोग करते हैं ऐसे लोगों को सरकार नौकरी पर रखती ही क्यों है जिन्हें सरकारी काम काज पर भरोसा ही नहीं है उन्हें सरकार बाँटे जा रही है फोकट में सैलरी !ये अंधेर नहीं तो क्या है ?
जो नेता अशिक्षित या अल्प शिक्षित होने के कारण बोल न पाते हों समझ न पाते हों उन्हें चुनावी टिकट देकर पार्टियां सदस्य बनवाती हैं इसके बाद उनसे हुल्लड़ मचवाकर सदनों की बहुमूल्य कार्यवाही रुकवाती हैं ऐसे लोगों को चुनाव लड़वाने वालों के इरादे ही नेक नहीं होते !वो ऐसे लोगों के साथ काम करना चाहते हैं जो बुद्दू हों उनके भ्रष्टाचार पर अंगुली न उठा सकें !
कुल मिलाकर सरकार के हर काम में अदूर दर्शिता गैरजिम्मेदारी आदि प्रत्यक्ष झलकती है किंतु देश वासी करें आखिर क्या ?अभिनेताओं को किसानों का ब्रांड एम्बेसडर बना दिया जाता है आखिर उनसे क्या प्रेरणा लेते होंगे किसान !धन्य हैं सरकारें और उनकी कार्यशैली !भगवान् ही मालिक है ऐसे लोकतंत्र का !
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