Thursday, 15 January 2015

साईं वाले

                                                                                       

 साईं वाले भी साईं पर भरोसा नहीं करते हैं !
इसलिए वो न केवल श्री राम से भी चिपके रहना चाहते हैं अपितु साईं को भी श्री राम से चिपका कर रखना चाहते हैं इसीलए  तो  साईं के नाम में भी श्री राम के नामको बिल्डिंग करा रखा है ! ये साईं वाले धार्मिक मनोरंजन  तो साईं के साथ करना चाहते हैं किन्तु भरोसा  श्री राम पर ही करते हैं ।

     साईं वाले जिसको पूजते हैं उस पर विश्वास नहीं करते और जिस पर विश्वास करते उसे पूजते नहीं !  
 साईं वालों की अजीब दुविधा है जिसकी पूजा करते हैं उस पर भरोसा  नहीं करते और जिन  पर भरोसा करते हैं उन्हें पूजने से मन ऊभ गया है ।
साईं वालों की ऐसी मजबूरी क्या थी कि वे देवी देवताओं के रहते किसी बुड्ढे आदमी को पूजने लगे !
 क्योंकि वे देवी देवता कहते हैं कि चोरी छिनारा हत्या बलात्कार आदि पाप छोड़ कर हमारी पूजा करो तो लाभ मिलेगा तो साईं वालों ने कहा सब  कुछ करते रहे और बाबा के पास आते रहो क्योंकि बाबा बहुत दयालू  हैं यह सुनते ही पाप की कमाई से कालाधन  नीलाधन  हराधन गुलाबीधन आदि रखने वाले पापप्रिय लोग सारे अपराधों में संलिप्त रहते हुए भी साईं पत्थरों पर चढाने लगे सोने चंडी के मुकुट हार पादुकाएं आदि आदि और भी बहुत कुछ !ऊपर से  यहाँ तो चढ़ावा बहुत आता है किन्तु ऐसा आता है यह नहीं बताते देने वालों की संपत्ति स्रोतों की एक बार यदि ईमानदारी पूर्वक जाँच हो जाए तो न केवल सारे दाँत बाहर आ जाएँ अपितु काला,  नीला,  हरा और  गुलाबी आदि सभी प्रकार का धन मिनटों में खटाखट गिरने लगेगा !और सबको पता लग जाएगा कि बाबा कितने बड़े दयालू हैं !

      साईं वाले कहते हैं कि 'बाबा बड़े दयालू हैं !'  यदि ऐसा है तो वो देवी देवताओं को क्या मानते हैं !और यदि देवी देवताओं की दया पर भरोसा नहीं है तो क्या झख मारने जाते हैं देव मंदिरों में !
         बंधुओ ! ये भटके हुए लोग बुड्ढे की प्रशंसा और प्रचार प्रसार में ऐसे ऐसे तर्क देते हैं जो किसी जी भी जीवित व्यक्ति के गले नहीं उतरते हैं ,आप स्वयं सोचिए बाबा बड़े दयालू हैं तो कृपासिंधु श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवता क्या दयालू नहीं हैं ! साईं वाले ये निरक्षर भट्टाचार्य लोग वेद शास्त्रअभी   सम्मत एवं वेद मन्त्रों के द्वारा पीढ़ियों से पुजते चले आ रहे श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवताओं को सस्पेंड करना चाह रहे हैं और वहाँ साईं पत्थरों को फिट करना चाह रहे हैं !ऐसे टुच्चे लोगों की ऐसी वेद शास्त्र निन्दित घिनौनी हरकतों को क्या सह जाएगा सनातन धर्मी हिन्दू समाज !

 साईं वालों को यह नहीं सोचना चाहिए कि कलियुग के कारण भगवान को भूल जाएँगे लोग !
          साईं व्यापारियों को इस धोखे में नहीं रहना चाहिए कि कलियुग के प्रभाव के कारण लोग श्री राम कृष्ण आदि देवी देवताओं को भूल जाएँगे और साईं जैसे भूत प्रेतों को पूजने लगेंगे ! अपने देवी देवताओं के प्रति सनातन धर्मी हिन्दुओं का समर्पण इतना अधिक है कि जब जब उनके सम्मान स्वाभिमान पर आँच आती है तब तब हिंदू बेचैन हो उठता है अाखिर अभी अयोध्या आंदोलन को बहुत वर्ष नहीं बीते हैं सरकारों के छक्के छुड़ा दिए थे राम भक्तों ने ,सारा भारतवर्ष रोड़ों पर उमड़ पड़ा था विश्व के विराट फलक पर असंख्य बार प्रमाणित हो चुका है कि किसी भी कीमत में अपने देवी देवताओं की प्रतिष्ठा से समझौता सनातन धर्मी हिन्दू नहीं कर सकते ! जैसे अगर कोई अपना बाप बदल ले तो उसका खानदान अपने आप ही बदल जाता है वो अलग से बदलना नहीं पड़ता !ठीक इसी प्रकार से जो अपना ईश्वर बदल ले उसे अपना धर्म बदलना नहीं पड़ता है वो अपने आप ही बदल  जाता है ! इसलिए जो श्री राम को छोड़ कर साईंराम का हो  गया वो हिंदू किस बात का !


साईं नाम से शिरडी संस्थान में केवल दो ही काम होते हैं!
पहला काम केवल लड्डू बनाए और बेचे जाते हैं दूसरा काम चन्दा इकठ्ठा किया जाता है वहाँ धर्म जैसा आडम्बर करके धर्म का धंधा जरूर किया जाता है किन्तु धर्म नाम की कोई चीज  नहीं है !साईं के यहाँ धर्म को न किसी ने पढ़ा है और न समझा है केवल धन इकठ्ठा करने किए बिना शिर पैर वाले साईं जैसे काल्पनिक पात्रों की मूर्तियाँ बनवाकर मंदिरों में देवी देवताओं की तरह पुजने  पुजाने का ड्रामा करना ही साईं संस्थान का काम है जो ठीक नहीं है !
 

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