'कार्यकर्ताओं ने बर्बाद कर दिया' -नव भारत
                                         -मुलायम सिंह यादव
किंतु नेता जी !आपकी पार्टी में कार्यकर्ताओं का रोल ही कितना है वहाँ की सारी शक्तियाँ आपके और आपके परिवारिक लोगों के पास होती हैं और जिनके पास पावर होता है जनता उन्हें ही  पहचानती भी है और चुनावों में उन्हीं  को वोट देकर जिताती भी है बिगत लोक सभा में  एसपी उत्तर प्रदेश में 
80 में से केवल पाँच सीटें ही जीत पाई थी। सभी परिवार के लोग ही जीते थे!  आजमगढ़ सीट से मुलायम खुद जीते 
जबकि उनकी बहू डिंपल यादव, भतीजे धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव व पोते तेज 
प्रताप सिंह यादव क्रमशः कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और मैनपुरी सीटों से 
चुनाव जीते।जिनके पास पावर है जनता ने उन्हें जिताया था कार्यकर्त्ता तो कोई नहीं जीता आखिर क्यों ? यदि चुनाव जीतना उनके वश में होता तो पार्टी चुनाव जीतती या न जीतती किन्तु वो अपनी सीट तो निकालते ही जो वो नहीं कर सके !ये उनकी मजबूरी ही है । 
    उत्तर प्रदेश में सपा सरकार की हालत यह है कि किसी काम के लिए या समस्या समाधान के लिए कोई कम्प्लेन किया जाता है तो   वो काम होगा या नहीं ये तो बाद की बात है उस पत्र का जवाब देना भी लोग जरूरी नहीं समझते !यहाँ तक कि ऐसा कोई शिकायती पत्र भी मिला है इसका  स्वीकारोक्ति संदेश भी नहीं दिया जाता !मैंने भी नैतिक समस्याओं से जुड़े पत्र मुख्यमंत्री जी के लिए आन लाइन भेजे थे दो तीन बार ऐसा करने के बाद हमने अपनी आदत में सुधार कर लिया ! 
    मुझे एक सपा कार्यकर्त्ता के द्वारा ही पता लगा कि  केवल 
सपा के नेताओं एवं उनके नाते रिश्तेदारों के काम करने के लिए ही बनी है सपा सरकार ?कार्यकर्ता तो चुनावों में विजय दिलाने के लिए होता है आखिर आम जनता या कार्यकर्त्ता किससे कहे अपने काम काज जब कोई सुनता ही नहीं
है  ! 
    वस्तुतः उत्तर प्रदेश की सरकार यदि लोक जीवन से
 जुड़े कार्य कर ही रही होती तो  लोक सभा चुनावों में क्यों होती इतनी गंभीर
 दुर्दशा  ? इसके लिए जिम्मेदार भी तो उ.प्र. सरकार ही है!ऐसे ही क्या 
मुलायम सिंह जी के पी.एम. बनने से हो सकता था देशवासियों का भला ?जो पार्टी सीएम बनकर कुछ नहीं कर पा  रही है वो पी.एम.बनकर क्या कर लेती !  
   
यू. पी. में लोकतंत्र तो नाम भर है या यूँ कह लें कि लोकतंत्र की तो खिल्ली
 उड़ाई जा रही है! वहाँ केवल आप हैं आप का प्रिय परिवार है आपके पुरबासी हैं
 आपकी पार्टी के लोग हैं एवं आपकी जाति बिरादरी के लोग हैं और आपकी पार्टी 
की प्रिय भैंसें हैं इसके अलावा उत्तर प्रदेश में और है ही कौन! जिसके विषय
 में सोचे आपकी पार्टी और सरकार ?
    आप एवं आप के कुनबे के जैसा 
कोई दूसरा नेता तो हो ही कैसे सकता है! आपकी जाति  के जैसी कोई दूसरी जाति 
भी नहीं हो सकती है आपके जैसा कोई परिवार तो हो ही नहीं सकता है आपका गाँव 
गाँव है बाक़ी तो सब यों ही हैं आपके गाँव में महोत्सव हो सकता है बाक़ी और 
किसी की भावनाएँ ही कहाँ होती  हैं  और आपकी पार्टी की जैसी दुर्लभ प्रजाति
 की आजमी भैंसों की खोज में सरकार एवं प्रशासन का जो समर्पण दिखा शायद किसी
 का बच्चा खोया होता तो नहीं होती ऐसी तत्परता !किन्तु पार्टी आपकी सरकार 
आपकी भैंसें भी आपकी पुलिस  प्रशासन भी आपका !मुख्य बात तो यही ध्यान देने 
की है कि इससे जो सन्देश समाज तक गया वो ठीक नहीं था क्योंकि इससे साफ तौर 
पर यही दिखाने की कोशिश की गई कि सारा विश्व देख ले कि समाजवादियों की 
सरकार के समय समाजवादियों का रौब किस कदर शिर चढ़कर बोलता है !सपा की भैंसें
 भी खो जाएँ तो बड़े बड़े दमदार अधिकारियों  की जान भी पूँछ हिलाने से ही 
बचती है देखते घबड़ाहट !जहाँ से पावें वहाँ से कूद जाएँ अधिकारी !
       माननीय नेता जी! मैं आपसे 
निवेदन करता हूँ कि यह सरकार  चलाने की कोई स्वस्थ प्रक्रिया बनाइए जिससे 
देश वासियों को भी लगे कि आप एवं आपकी पार्टी को अपनों के अलावा उन परायों 
की भी चिंता है जिनसे लोक लुभावन वायदे करके आप चुनाव के समय जनता के 
सुषुप्त मनों में जिजीविषा पैदा किया करते  हैं। केवल कहने से बात नहीं 
बनेगी !
  
आज आप लोगों की कार्यशैली से 
निस्तब्ध लोग आपस में चर्चा करने लगे हैं कि क्या मुलायम सिंह को बनना 
चाहिए देश का अगला प्रधानमंत्री ? जबकि वो सभी के विषय में सोचते नहीं हैं 
तो सारे लोग उन्हें अपना नेता कैसे मान लें !जब उन पर प्रदेश की 
जनता ने भरोसा किया और वे  उसके नहीं हो सके तो देश उन  पर भरोसा  कैसे करे
 ?  
    सरकारों में बैठे लोगों को 
क्या जनता के प्रति  इतना भी जवाबदेय  नहीं होना चाहिए ! आखिर क्यों उन्हें
 इस बात का संकोच नहीं  होना चाहिए कि वो  जो कर रहे हैं उसका असर उस जनता 
पर क्या पड़ेगा जिसने उन्हें सत्ता सौंपी है !केवल सैफई वालों के वोट से तो 
वे मुख्यमंत्री बन नहीं गए! ऐसा भी नहीं है कि केवल आजम खान को खुश करना ही
 सरकार का केवल लक्ष्य हो !
    मुलायम सिंह जी को समझना 
चाहिए  कि अगर आप वास्तव में समाजवादी हैं तो आपका समाजवाद इतना संकीर्ण 
क्यों है जो  आपको परिवारवादी ,जातिवादी ,सैफईवादी बना देता है और कभी 
कदाचित  मुश्किल से आप यदि इन दीवारों से बाहर  निकले भी तो आपको 
पार्टीवादी बना देता है।आखिर क्या कारण है कि आप प्रदेश और देशवादी नहीं बन
 पाए !मान्यवर !क्या यही आपका समाजवाद है क्या मुख्यमंत्री बनने की आपकी 
यही योग्यता है इसी के बल पर बनना चाहते हैं प्रधानमंत्री !
       काँग्रेस की कमजोरी ,भाजपा
 की कलह,बसपा की संकीर्णता से ऊभ चुकी प्रदेश की जनता ने अपना समझ कर आपको 
सत्ता सौंपी थी किन्तु आप उस जनता के अपने नहीं हो सके मात्र कुछ लोगों के 
होकर रह गए !कितना बुरा तब लगता है जब उत्तर प्रदेश की सरकारी मशीनरी कोई 
काम न करके अपितु किसी परेशान व्यक्ति की मदद नहीं कर रही होती है और वह 
निराश हताश आदमी उस जिले के डी.एम.को लिखित अप्लिकेशन देता है महीनों बीत 
जाने पर भी जब कोई सुनवाई नहीं होती है तो दुबारा वो जब डी.एम. के यहाँ 
जाता है तो उनका पी.ए. उस प्रार्थी के कान में कहता है कि इस समय साहब किसी
 और का कोई काम नहीं सुन रहे हैं केवल मुलायम सिंह जी के घर और पार्टी 
वालों  की ही बात सुनते हैं और उन्हीं का काम करते हैं बाक़ी किसी का नहीं! 
वो कहते हैं कि जब चलनी ही सपा की और उनके लोगों की  है तो पंगा लेकर अपनी 
बेइज्जती क्यों करवाना !यह सुनकर निराश हताश प्रार्थी वहाँ से वापस लौट आता
 है। ये कोई  कल्पना नहीं अपितु वास्तविक घटना है। 
      ऐसे ही अन्य प्रश्न भी हैं 
धन तो पूरे प्रदेश की जनता का खर्च हो किन्तु महोत्सव सैफई में हो आखिर 
क्यों ?क्योंकि सैफई नेता जी की है तो बाकी प्रदेश  किसका है और वहाँ का 
मुख्यमंत्री क्या कोई दूसरा है ?
    इसीप्रकार से किसी का बेटा 
बेटी अपहृत हो जाता या और कोई नुक्सान हो जाता तो भी प्रशासन इतना ही 
मुस्तैद होता क्या?जितना भैंसें खोजने में था उन भैंसों को खोजने के लिए 
क्या कुछ नहीं किया गया फिर भी बेचारे पुलिस वाले …! 
      आजम की  भैंसों की तलाश के लिए पुलिस की चार 
टीमों का गठन किया गया.खोजी कुत्ते, क्राइम ब्रांच और पुलिसकर्मियों ने 
कई बूचड़खानों और मांस की दुकानों पर छापेमारी की.  पड़ोस के कई जिलों में सर्च ऑपरेशन चलाया गया.और भैंसें मिल गईं । 
       इससे सिद्ध भी यही होता है
 कि ये सरकार सपा और केवल सपा के लोगों के लिए ही है उसके अलावा सारा 
प्रदेश जाए जहन्नुम में  !इससे एक बात और सिद्ध होती है कि यदि प्रयास 
पूर्वक भैंसे खोजी जा सकती हैं तो और अपराधी क्यों नहीं !इसका सीधा सा अर्थ
 है कि जो अपराध सपा के छोटे बड़े सभी कार्यकर्ताओं
 के विरुद्ध होगा वो तो अपराध माना जाएगा और उसी को रोकने का भी प्रयास 
होगा बाकी लोग परेशान रहें तो रहें ये सरकार तो सपाइयों की है सपाइयों की 
ही रहेगी, प्रदेश वा देश की जनता का इससे क्या लेना देना !
  
  
     
 
 
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