महान जाति वैज्ञानिक महर्षि ने लाखों वर्ष पहले लोगों के चेहरे देखकर पहचान लिया था कि ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्यों के स्वाभिमान को कोई राजा आरक्षण जैसा लोभ देकर गिरवी नहीं कर सकता ! इनकी संतानों में भी अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने की भावना होगी इन स्वाभिमानी लोगों की संतानें त्याग तपस्या पूर्वक अपना लक्ष्य हासिल करने पर भरोसा करेंगी !आरक्षण जैसा कोई लोभ देकर इन्हें इनके सिद्धांतों से बिचलित नहीं किया जा सकता !
यद्यपि कलियुग के प्रभाव से कुछ सैद्धांतिक शिथिलता सवर्णों में भी आई है उनका प्रतिशत बहुत कम है आज भी सवर्ण शिक्षा और परिश्रम के बल पर तरक्की करने पर भरोसा करते हैं सवर्ण लोग आज भी अपने परिवारों के भरण पोषण के लिए सरकारों की ओर ताकते ! अपने परिवारों के भरण पोषण की जिम्मेदारियाँ सवर्ण लोग स्वयं उठाते हैं ऐसा कभी नहीं करते कि शादी खुद करें एवं बच्चे खुद पैदा करें और उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी सरकारों पर छोड़ दें उनकी तरक्की के लिए आरक्षण माँगने लगें या दूसरों को जिम्मेदार ठहराने लगें जैसे आजकल सवर्णों पर शोषण के आरोप लगाए जा रहे हैं किंतु सवर्ण ऐसा कभी नहीं कर सकते
कि अपने परिवार के भरण पोषण के लिए सत्ता के मठाधीशों के सामने जाकर गिड़गिडाएँ कि तुम आरक्षण नहीं दोगे तो हम और हमारे बच्चे तरक्की नहीं कर सकते !
सवर्ण आरक्षण न मांगकर अपनी योग्यता बढ़ाते हैं अपनी कार्यक्षमता बढ़ाते हैं अधिक परिश्रम कर्ट हैं जिसके बलपर वो विशाल विश्व में कहीं भी जाकर अपने तरक्की की सम्भावनाएँ खोज सकते हैं किंतु यदि सवर्ण भी आरक्षण की भीख के भरोसे जीन चाहते तो उनके और उनके परिवारों के बोझ को केवल भारत सरकार ही मजबूरी में धो सकती थी क्योंकि उसे वोट लेना था बाकि अन्य देश भारत के बीमारों को क्यों देते आरक्षण !
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