स्कूलों में राजनीति ! |
स्कूलोंमें नेता दर्शन |
अब तो बहुत लोग कहने भी लगे हैं कि दिल्ली सरकार में केजरीवाल जी के चित्रों को लगाने का बहाना खोजने के लिए बनाई जाती हैं 'ऑडइवन' जैसी योजनाएँ !
कुल मिलाकर दिल्ली सरकार में बैठे नेता नौसिखिए हैं इन्हें केवल निंदा करना
आता है इसलिए इनकी बौद्धिक मदद करने के लिए विपक्षी दलों के अनुभवी नेताओं
को आगे आना चाहिए अन्यथा ये पाँच साल ऐसे ही पार कर देंगे ! विपक्ष के वो
अनुभवी लोग सरकार को प्रचार प्रसार के लिए 'ऑडइवन'जैसी बहु बहुखर्चीली
निरर्थक योजनाओं को रोकने के लिए बाध्य करें !जिससे 'ऑडइवन'जैसी योजनाओं के
प्रचार प्रसार पर जनता के विकास के लिए जनता के द्वारा टैक्स रूप में
प्राप्त धन का दुरूपयोग रोका जा सके ! जनता के धन का सदुपयोग तथा जनता के
हितों की रक्षा करना और जनहित के काम करने के लिए सरकारों को बाध्य करना ये
विपक्ष की अपनी भी जिम्मेदारी है !
'ऑडइवन'में दिल्लीसरकार ने प्रशासन और जनता से लेकर मीडिया तक को उलझा रखा है इस योजना के न कोई तर्क है न कोई परिणाम !केवल ऐसी योजनाओं के प्रचार में पैसा फूँका जा रहा है !टीवी चैनलों से लेकर बैनरों पोस्टरों तक हर जगह 'ऑडइवन'का केवल प्रचार है इसमें पैसे क्या नहीं लग रहे होंगे!आखिर वो पैसे हैं तो दिल्ली की जनता के जो दिल्ली के विकास के लिए देती है जनता !वही जनता परेशान है तो लानत है ऐसी योजनाओं को !
दिल्ली सरकार में बैठे नेता यदि नौसिखिए हैं तो ऐसे नेताओं की बौद्धिक मदद करने के लिए विपक्षी दलों के अनुभवी नेताओं को आगे आना चाहिए और इन्हें समझाना चाहिए कि जनहितकारी योजनाओं को लागू करने का मजा ही तभी है जब जनता तंग न हो ! इतनी बड़ी मेट्रो बनी जनता दुखी नहीं हुई किंतु 'ऑडइवन'से दुखी है ऊपर से चार लफोडे टीवी चैनलों के सामने आकर बोल जाते हैं कि'ऑडइवन'से दिल्ली की जनता तो खुश है पता नहीं इस ख़ुशी के सैम्पल कहाँ से उठाते हैं ये लोग या फिर झूठ बोलते हैं ।
'ऑडइवन' से धनी लोगों को तो कोई ख़ास दिक्कत नहीं वो गाड़ियाँ बढ़ा लेते हैं किंतु मध्यमवर्गीय लोग जिन्होंने लोन पर गाड़ियाँ ली हुई हैं जिसका ब्याज आज भी भर रहे हैं वे उन्हें बिना गाड़ी वाला बना रही गई दिल्ली सरकार !
विपक्ष को चाहिए कि वो सरकार को बाध्य करे कि आम आदमी पार्टी के नेता अपने प्रचार प्रसार के लिए ऐसी निरर्थक बहु बहुखर्चीली योजनाएँ रोकें !'ऑडइवन'जैसी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर जनता के विकास के लिए जनता के द्वारा टैक्स रूप में प्राप्त धन का दुरूपयोग रोका जा सके !
जनता के धन का सदुपयोग तथा जनता के हितों की रक्षा करना और जनहित के काम करने के लिए सरकारों को बाध्य करना ये विपक्ष की अपनी भी जिम्मेदारी है ! दिल्ली को जाम मुक्त बनाने के लिए रोडों पर से अतिक्रमण हटाना बहुत आवश्यक है कई जगह तो जितनी चौड़ी रोडें कागजों में हैं मौके पर उसकी आधी चौथाई ही बची हैं बाक़ी पर लोगों ने कब्ज़ा कर रखा है कई जगह रोडें टूटी पड़ी हैं पूर्वी दिल्ली की कुछ बस्तियां नक्सा पास होने के बाद भी अतिक्रमण के कारण ऐसी हैं कि किसी को अचानक किसी बड़े अस्पताल की जरूरत पड़े तो समय से पहुँच पाना असम्भव होगा !इसमें उनका क्या दोष है ये तो सरकारों की लापरवाही है ।
कई जगह चौराहों पर जाम लगता जाएगा भीड़ बढ़ती जाएगी किंतु वहाँ या तो पुलिस होती नहीं या उसे मतलब नहीं होता है देखा करती है कई बार तो बहुत बड़े बड़े जाम के इतने छोटे छोटे कारण होते हैं कि कोई जरा से इशारा कर दे तो जाम खुल जाए किंतु इतना करने वाले लोग भी उपलब्ध नहीं हैं !पुलिस वाले सामने खड़े होते हैं ।
ऐसी जगहों पर 'ऑडइवन' के समय जाम नहीं लगने पाता क्योंकि इन दिनों में प्रशासन सतर्क रहता है वालेंटियर अपनी सेवाएँ देते हैं मीडिया भी सतर्क रहता है इसलिए जाम लगाने वाले लोग भी चौकन्ने रहते हैं ऐसे कारणों से यदि थोड़ा प्रदूषण घट भी जाए तो सरकार अपनी पीठ थपथपाने लगती है जबकि 'ऑडइवन' के बिना भी रोडों पर यदि ऐसी सतर्कता बरती जाए तो बिना 'ऑडइवन' के भी जाम एवं प्रदूषण पर 'ऑडइवन'जैसा नियंत्रण तो किया ही जा सकता है ।
'ऑडइवन' जैसी सरकारी लीलाओं से आज हर वर्ग परेशान है जिनका संबंध प्रदूषण घटाने से कम अपनी पार्टी नेताओं के चेहरे चमकाने से ज्यादा है । दिल्ली के लोगों की व्यस्ततम जिंदगी में 'ऑडइवन'नामक एक नया बखेड़ा खड़ा कर रही है दिल्ली सरकार जिससे दिल्ली की जनता का कोई विशेष भला होते नहीं दिखता !
'ऑडइवन'में दिल्लीसरकार ने प्रशासन और जनता से लेकर मीडिया तक को उलझा रखा है इस योजना के न कोई तर्क है न कोई परिणाम !केवल ऐसी योजनाओं के प्रचार में पैसा फूँका जा रहा है !टीवी चैनलों से लेकर बैनरों पोस्टरों तक हर जगह 'ऑडइवन'का केवल प्रचार है इसमें पैसे क्या नहीं लग रहे होंगे!आखिर वो पैसे हैं तो दिल्ली की जनता के जो दिल्ली के विकास के लिए देती है जनता !वही जनता परेशान है तो लानत है ऐसी योजनाओं को !
दिल्ली सरकार में बैठे नेता यदि नौसिखिए हैं तो ऐसे नेताओं की बौद्धिक मदद करने के लिए विपक्षी दलों के अनुभवी नेताओं को आगे आना चाहिए और इन्हें समझाना चाहिए कि जनहितकारी योजनाओं को लागू करने का मजा ही तभी है जब जनता तंग न हो ! इतनी बड़ी मेट्रो बनी जनता दुखी नहीं हुई किंतु 'ऑडइवन'से दुखी है ऊपर से चार लफोडे टीवी चैनलों के सामने आकर बोल जाते हैं कि'ऑडइवन'से दिल्ली की जनता तो खुश है पता नहीं इस ख़ुशी के सैम्पल कहाँ से उठाते हैं ये लोग या फिर झूठ बोलते हैं ।
'ऑडइवन' से धनी लोगों को तो कोई ख़ास दिक्कत नहीं वो गाड़ियाँ बढ़ा लेते हैं किंतु मध्यमवर्गीय लोग जिन्होंने लोन पर गाड़ियाँ ली हुई हैं जिसका ब्याज आज भी भर रहे हैं वे उन्हें बिना गाड़ी वाला बना रही गई दिल्ली सरकार !
विपक्ष को चाहिए कि वो सरकार को बाध्य करे कि आम आदमी पार्टी के नेता अपने प्रचार प्रसार के लिए ऐसी निरर्थक बहु बहुखर्चीली योजनाएँ रोकें !'ऑडइवन'जैसी योजनाओं के प्रचार प्रसार पर जनता के विकास के लिए जनता के द्वारा टैक्स रूप में प्राप्त धन का दुरूपयोग रोका जा सके !
जनता के धन का सदुपयोग तथा जनता के हितों की रक्षा करना और जनहित के काम करने के लिए सरकारों को बाध्य करना ये विपक्ष की अपनी भी जिम्मेदारी है ! दिल्ली को जाम मुक्त बनाने के लिए रोडों पर से अतिक्रमण हटाना बहुत आवश्यक है कई जगह तो जितनी चौड़ी रोडें कागजों में हैं मौके पर उसकी आधी चौथाई ही बची हैं बाक़ी पर लोगों ने कब्ज़ा कर रखा है कई जगह रोडें टूटी पड़ी हैं पूर्वी दिल्ली की कुछ बस्तियां नक्सा पास होने के बाद भी अतिक्रमण के कारण ऐसी हैं कि किसी को अचानक किसी बड़े अस्पताल की जरूरत पड़े तो समय से पहुँच पाना असम्भव होगा !इसमें उनका क्या दोष है ये तो सरकारों की लापरवाही है ।
कई जगह चौराहों पर जाम लगता जाएगा भीड़ बढ़ती जाएगी किंतु वहाँ या तो पुलिस होती नहीं या उसे मतलब नहीं होता है देखा करती है कई बार तो बहुत बड़े बड़े जाम के इतने छोटे छोटे कारण होते हैं कि कोई जरा से इशारा कर दे तो जाम खुल जाए किंतु इतना करने वाले लोग भी उपलब्ध नहीं हैं !पुलिस वाले सामने खड़े होते हैं ।
ऐसी जगहों पर 'ऑडइवन' के समय जाम नहीं लगने पाता क्योंकि इन दिनों में प्रशासन सतर्क रहता है वालेंटियर अपनी सेवाएँ देते हैं मीडिया भी सतर्क रहता है इसलिए जाम लगाने वाले लोग भी चौकन्ने रहते हैं ऐसे कारणों से यदि थोड़ा प्रदूषण घट भी जाए तो सरकार अपनी पीठ थपथपाने लगती है जबकि 'ऑडइवन' के बिना भी रोडों पर यदि ऐसी सतर्कता बरती जाए तो बिना 'ऑडइवन' के भी जाम एवं प्रदूषण पर 'ऑडइवन'जैसा नियंत्रण तो किया ही जा सकता है ।
'ऑडइवन' जैसी सरकारी लीलाओं से आज हर वर्ग परेशान है जिनका संबंध प्रदूषण घटाने से कम अपनी पार्टी नेताओं के चेहरे चमकाने से ज्यादा है । दिल्ली के लोगों की व्यस्ततम जिंदगी में 'ऑडइवन'नामक एक नया बखेड़ा खड़ा कर रही है दिल्ली सरकार जिससे दिल्ली की जनता का कोई विशेष भला होते नहीं दिखता !
दिल्ली के स्कूलों में घुसाई जा रही है राजनीति !स्कूलों को आत्म विज्ञापन का माध्यम बनाया जा रहा है एक स्कूल में भारी भरकम चार पोस्टर देखे उनमें जिन नेताओं के चित्र हैं क्या उन्हें शिक्षा का देवता मान लिया जाए !आखिर उनके चित्रों का शिक्षा से क्या संबंध है ?ये लोग नेता हैं क्या ये सच नहीं है नेताओं के प्रति समाज में इतना निरादर है अविश्वास है फिर भी सुकोमल मानस बच्चों के सामने उन्हीं नेताओं के चित्र परोसे जाएँ उन्हें नेता देखने के लिए मजबूर किया जाए ये शिक्षा जगत के लिए और बच्चों के भविष्य के लिए कितना उचित है ! शिक्षा संबंधी विज्ञापनों में स्कूलों छात्रों शिक्षकों के
शिक्षा में चौधराहट ! |
इसी प्रकार से अन्य विभागों से संबंधित विज्ञापनों में भी किया जा रहा
है किंतु ये ढंग तो ठीक नहीं है कि जब आपको अपने चित्रों वाले
पोस्टरों पर धूल मिट्टी लगी दिखने लगती है तो आप किसी योजना का नाम लेकर
उसी के बहाने अपना उद्देश्य पूरा कर लेते हैं और अपने बैनरों पोस्टरों से
पाट देते हैं सारी दिल्ली !
ऐसे 'ऑडइवनों' से तो हर विभाग की असफलता छिपाई जा सकती है जैसे महँगाई बढ़े तो एक एक दिन छोड़कर खाना शुरू करा दिया जाएगा !स्कूलों में बच्चों की भीड़ें कम करने के लिए बच्चों की डेट आफ बर्थ में फिट कर दिया जाएगा 'ऑडइवन' किस दिन किस बच्चे को स्कूल जाना है बता दिया जाएगा ! दिल्ली में यदि बाढ़ आ जाएगी तो दिल्ली वालों के पेशाब करने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा क्या ?
वस्तुतः दिल्ली में'ऑड इवन 'योजना तो दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग के फेल होने की निशानी है जो दिल्ली वालों को उचित रोड मुहैया नहीं करा सकी ! ये बुद्धू लोग उसका भी उत्सव मना रहे हैं !
दिल्ली की जनता के द्वारा दिल्ली के विकास के
लिए दिए गए धन से विज्ञापन बनाने यदि इतने ही जरूरी थे पैसा इतना ही इफरात
था तो उसमें जिसका पैसा लगता है या जिस विषय से संबंधित आफिस आदि होता है चित्र उसके लगने चाहिए नेताओं के क्यों ?
आप सरकार के द्वारा चलाई जा रही 'ऑड इवेन' योजना भी तो इसी मानसिकता की प्रतीक
है!इसका उद्देश्य यदि रोडों पर बाहनों की संख्या घटाना है तो स्वच्छता अभियान
की तरह ही नैतिक निवेदन भी तो किया जा सकता था अन्यथा किस किस विषय में
जनता पर थोपा जाएगा 'ऑड इवन" भीड़ तो हर जगह है और जन संख्या है तो भीड़ तो
होगी ही इसका एक ही रास्ता है या तो संसाधन बढ़ाए जाएँ या फिर भीड़ घटाई जाए !
केजरीवाल जी !अपने चित्रों के प्रचार पसार पर जो भारी भरकम धनराशि आप
खर्च करते हैं वो न आपके पिता जी की कमाई है और न ही आपकी !ये धन दिल्ली
वाले दिल्ली का विकास करने के लिए सरकारों को देते हैं यदि सरकारों में
बैठे लोग उस धन को उन लंबे चौड़े बड़े बड़े पोस्टरों को बनाने और चिपकाने पर
खर्च करने लगें जो केवल आपके चित्रों को घर घर और जन जन तक पहुँचाने के लिए लगाए जाते हों !
हे केजरीवाल जी !आत्म विज्ञापनों में सरकारी नेताओं के द्वारा फूँकी जाने वाली ये
दिल्ली वालों की धनराशि के विषय में क्या आपको पता है कि दिल्ली वाले कितनी
मेहनत से अपना खून जलाकर और पसीना बहाकर कमाते हैं किंतु दिल्ली वालों को आप
अपना नहीं समझते इसीलिए उनके पैसे के विज्ञापनों में बर्बाद होने से आपको दर्द नहीं होता
है !
केजरीवाल जी ! जरा सोचिए आपने अपने पिता जी कमाई से एक कलेंडर भी बनवाकर
पहले कभी लगाया था अपने नाम और चित्र का ! आपने
शिक्षा में इतनी बड़ी सफलता हासिल की थी या इतनी बड़ी पोस्ट मिली थी तब आपको
इतनी ख़ुशी कभी क्यों नहीं हुई कि पोस्टर बनवाकर लगवा लेते ! तो आज दिल्ली
वाले भी संतोष कर लेते कि तुम बचपन से ही पोस्टरों के शौकीन रहे हो !किंतु पहले
ऐसा हुआ नहीं अब फ्री की सरकारी सम्पदा देखकर यदि इसे बर्बाद करने के लिए
मन मचल ही पड़ा है तो ये ढंग ठीक है क्या ?दिल्ली वालों के विकास का धन आज फ्री का
लग रहा है आपको !
केजरीवाल जी !यदि तब पोस्टर नहीं लगे तो नुक्सान क्या हुआ ?आज क्या लोगों
को पता नहीं है कि तुम क्या हो और क्या थे ! जब बिना पोस्टरों प्रचारों के
तुम्हारे विषय में सबको सबकुछ पता हो गया तो दिल्ली वालों के साथ जो भी
अच्छा बुरा करोगे वो भी दुनियाँ को पता हो ही जाएगा उसके लिए इतनी आतुरता
क्यों ?माना कि दिल्ली वालों को आप अपना नहीं मानते इसलिए उनकी परेशानियों
और पैसों से आपको लगाव नहीं है और पिता जी आपके अपने थे इसलिए उनके पैसे
से लगाव था इसीलिए उनकी कमाई को बर्बाद नहीं किया और दिल्ली वालों की कर
रहे हो !
केजरीवाल जी !यदि आप कहें कि और लोग भी तो ऐसा करते हैं तो याद रखिए
करते सब हैं किंतु इतना नहीं करते और इतने भोड़े ढंग से नहीं करते और यदि
करते भी हों तो ये भी सोचिए कि इन्हीं कारणों से उनकी तुम निंदा किया करते
थे तभी तो दिल्ली वाले तुमपर खुश हुए कि चलो ये सादगी पसंद ईमानदार है
इसलिए ऐसा नहीं करेगा किंतु तुम भी यदि सबकुछ वैसा ही करने लगे जिसके लिए
नेताओं की बुराई किया करते थे !तो इसे दिल्ली की जनता अपने साथ हुई धोखा
धड़ी ही मानेगी !
केजरीवाल जी !पोस्टरों से अच्छाई बुराई को कुछ उछाला तो जा सकता है किंतु
बनाया नहीं जा सकता है !यदि ऐसा हो सकता होता तो सारे गंदे और गलत अपराधी
लोग अपने विषय में अच्छी बातें लिखकर पोस्टर लगवा दिया करते और उन्हें लोग
अच्छा समझने लगते !
स्कूलों में राजनीति ! |
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