Thursday, 2 July 2015

'राष्ट्र सेवाव्रती मंच ' से जुड़ें ! और और संकल्प लें 'सजीव समाज निर्माण' के लिए विनम्र सेवाव्रती बनने का !

 अशिक्षितों ,गरीबों, सज्जनों और ईमानदार लोगों के छीने जा रहे उनके जीने के आवश्यक अधिकारों को वापस दिलाने का एक प्रयास !  देश, समाज और परिवारों को टूटने बिखरने से बचाने की जिम्मेदारी मिलजुल कर हम आप स्वयं सँभालें !   
                  राजेश्वरी प्राच्यविद्या शोध संस्थान के तत्वावधान में गठित -
'राष्ट्र सेवाव्रती मंच ' से जुड़ने का आह्वान !
भेदभाव के घाव भरने के प्रयास में चाहिए आपका भी बहुमूल्य योगदान ! संपर्क सूत्र -   'राष्ट्र सेवा व्रती मंच '    के -71, छाछी बिल्डिंग चौक,कृष्णा नगर, दिल्ली-110051\दूरभाष : 01122002689, 01122096548,  मो. 9811226973, 9968657732 ई - मेल : vajpayeesn @gmail.com 
 भाई बहनों !क्या आप मुझे अपने साथ जोड़ने के इच्छुक हैं यदि हाँ  तो  मेरा आप से अत्यंत आत्मीय और विनम्र निवेदन !
     बंधुओ ! वर्तमान समय में गैर राजनैतिक जिम्मेदारी एवं भ्रष्टाचार के भयावह वातावरण से बचाकर ये देश और दुनियाँ रहने लायक बनी रहे ऐसे प्रयास हम सभी लोगों को मिलजुल कर करने में अब देरी नहीं करनी चाहिए !इसके लिए सरकारें सहयोग दें तो न दें तो उसके बिना भी जिसका जितना सहयोग मिल जाए उसी के सहारे आगे बढ़ना प्रारंभ किया जाए !राजनीति हो या सरकारी विभाग आखिर उनमें भी कुछ ईमानदार लोग तो होंगे ही जो स्वयं भी समाज में बढ़ते भ्रष्टाचार अत्याचार अपराध आदि को लेकर चिंतित होंगे मेरा ऐसा अनुमान है कि ऐसे सभी सजीव लोगों के साथ मिलजुल कर समाज में नैतिक मूल्यों की स्थापना करके वर्तमान देश दुनियाँ को सजाने सँवारने सुशोभित करने के लिए हम सभी लोगों को अपने अपने स्तर से प्रयास प्रारंभ करना चाहिए !सारी समस्याओं के समाधान राजनीति में ही खोजने की आलसी आदत अब हमें छोड़ देनी चाहिए !नेता सब कुछ ठीक कर लेंगे ऐसी भ्हवनाओं पर विराम लगाया जाना चाहिए । 
      सरकारी प्राइमरी शिक्षकगण ट्रेंड होते हैं प्राइवेट से अधिक सैलरी लेते हैं किंतु न सरकार उनसे दबाव देकर काम को कह पाती है और न ही वो करते हैं यही स्थिति सरकारी अस्पतालों की है प्राइवेट वाले उन पर भारी पड़ते जा रहे हैं सरकारी डाक व्यवस्था प्राइवेट कोरियर के सामने आजकल कहाँ ठहर पा रही है! सरकारी फोन मोबाईल प्राइवेट कंपनियों से पिटे पड़े हैं नैतिक भ्रष्टाचार होने के कारण सरकार एवं सरकारी कर्मचारी जनता की भावनाओं पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं । इसलिए देश में  नैतिक वातावरण निर्माण करने के लिए अधिक से अधिक विचारवान नैतिक एवं  सजीव लोगों को इस  'राष्ट्र सेवाव्रती मंच 'से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है जिसमें आप सभी से सादर सुझाव आमंत्रित हैं वैसे इस मंच के गठन का उद्देश्य जनहित में जो जिस लायक प्रयास कर सकता हो वो समर्पण पूर्वक करे और अपने उस आदर्श व्यवहार को ' राष्ट्र प्रहरी मंच ' के सिपाही के रूप में फेसबुक पर शेयर करता रहे ताकि आपके इस पवित्र प्रयास से अन्यलोग भी प्रेरित हो सकें !इस प्रकार के छोटे छोटे प्रयासों से प्रारम्भ करके और भी आप सभी के बहुमूल्य सुझावों को  आगे बढ़ा जाएगा !
     बंधुओ !आप किसी भी संगठन या दल से जुड़े हों उससे कोई बाधा नहीं है मेरी आप सभी से प्रार्थना है कि हम लोग केवल अपने और अपनों के लिए ही न जिएँ अपितु उनके लिए भी जिएँ जिन्हें हम प्रत्यक्ष रूप से नहीं जानते हैं किंतु उन्हें हमारी आवश्यकता है अर्थात यदि हम उनसे जुड़ें तो उनकी समस्याएँ कुछ घट सकती हैं और यदि न भी ऐसा हो तो भी हम प्रयास तो कर ही सकते हैं !
      ऐसा ही आचार व्यवहार बनाने  के लिए हम आप सभी एक मंच पर संगठित होकर क्यों न एक सामूहिक प्रयास करें ! इसके लिए हर प्रदेश और जिले से पदाधिकारियों को सादर आमंत्रित किया जाता है !हमें चाहिए आपका संपर्क सूत्र -कृपया उपलब्ध कराएँ !
   बंधुओ ! आपमें असीम शक्ति है मेरा मानना है कि आपके साथ मिलकर दिया जा सकता है समाज को असीम उत्साह !और आपके थोड़े से सहयोग से समाज की कम की जा सकती हैं कई बड़ी बड़ी समस्याएँ -
    बंधुओ !इस व्रत के निर्वाह करने में हम लोगों को हमारे अनुमान से धन की शक्ति 20 प्रतिशत, तन (शरीर) की शक्ति 30 प्रतिशत एवं मन की शक्ति 50 प्रतिशत लगाकर अत्यंत उत्साह एवं पवित्र जन सेवा संकल्प से काम करना होगा । इससे हम लोग बदल सकते हैं समाज का एक बड़ा वर्ग और बना सकते हैं अपने समाज को खुश हाल !आप कॉमेंट की जगह दे सकते हैं अपने संपर्क सूत्र !
   हमारा आपसे आपसी विचार विमर्श :   बंधुओ !पिछले कुछ दशकों से सरकारों और नेताओं एवं सरकारी विभागों में मनमानी जारी है सरकारें बदल कर देख लिया गया ,बड़े बड़े लोगों के दावे खोखले साबित होते जा रहे हैं  भ्रष्टाचार इस देश का भाग्य बनता जा रहा है ,अप्रत्यक्ष रूप से अशिक्षितों ,गरीबों एवं सज्जन और ईमानदार लोगों से उनके जीने के अधिकार छीने जा रहे हैं राजनैतिक पार्टियाँ भी सज्जन गुणवान एवं ईमानदार लोगों को मुख लगाने के पक्ष में अब नहीं दिख रही हैं, हर पार्टी ने भले और योग्य लोगों का प्रवेश अपनी पार्टी में अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिबंधित सा कर रखा है फिर भी ऐसे किसी भाग्यशाली को यदि कोई पार्टी  अपने दल में सम्मिलित करके कोई सम्मानित स्थान दे ही देती है तो हमारे हिसाब से सज्जन ईमानदार और भले लोगों पर ये उस पार्टी का इस युग में बहुत बड़ा एहसान ही माना जाना चाहिए !
   बंधुओ ! मैंने कई योग्य ईमानदार सुशिक्षित समाज सेवियों के  वायोडाटा प्रार्थना पत्र सहित भिजवाए हैं कई पार्टी प्रमुखों के पास कि वे समाज के लिए कुछ अच्छा कर सकते हैं उनमें ये योग्यता है उन्हें अपनी पार्टी में उनकी योग्यता के अनुशार स्थान देने का कष्ट करें किंतु उनके पत्रों के जवाब भी देने जरूरी नहीं समझे इन राजनैतिक घमण्डियों ने !ऐसी परिस्थिति में अपने पास राष्ट्र स्वयं सेवा व्रत के अलावा और कोई विकल्प भी नहीं बचता  है या तो अपनी समाज सेवा की भावना को ही समाप्त कर दिया जाए !
   बंधुओ !वर्तमान समय में राजनैतिक उद्योग के सारे कल कारखाने बंद पड़े हैं  नेतृत्व निर्माण के क्षेत्र में  प्रोडक्सन बिलकुल न के बराबर हो पा रहा है, हर पार्टी का मठाधीश केवल राजनैतिक ट्रेडिंग पर भरोसा करने लगा है वो या तो किसी अन्य पार्टी का नेता औने पौने भाव में इम्पोर्ट कर लेता है या फिर वो राजनैतिक ठेकेदार जाति क्षेत्र संप्रदाय आदि के आधार पर तरह तरह की आकृति प्रकृति के हँसते मुस्कुराते हुए मुखौटे कुछ लोभ लालच देकर चुनावों में उतारता है जैसे कबाड़ी दरवाजे दरवाजे आवाजें लगाकर कबाड़ इकठ्ठा करते हैं और बाद में अपनी अपनी तयशुदा आढ़तों पर बेच आते हैं फिर वो आढ़ती उससे करते हैं अच्छी खासी कमाई ! 
   वर्तमान समय चुनाव प्रक्रिया लगभग कुछ इसीप्रकार की थ्योरी पर चलाई जा रही है और बनाई जा रही  हैं अधिकांश अप्राकृतिक सरकारें !जिसमें सरकारों का सारा समय सरकारें बनाने और उनके एडजेस्टमेंट में ही चला जाता है सरकारी पदाधिकारी काम कब करें सरकार बनाना और बचाना फिर चुनाव लड़ना और जीतना इन चार बातों पर ही उनका फोकस रहता है बस !आखिर वो काम कब करें !
    अब राजनीति में भी ठेकेदारी चलती है कुछ लोग कुछ जातियों या धर्मों के ठेकेदार हैं जिनमें उन जातियों के अब दस पैसे भी गुण नहीं बचे हैं यहाँ तक कि उनके यहाँ सुख दुःख में भी अब उनकी जाति बिरादरी के लोग भी कम ही दिखाई पड़ते हैं अब तो पक्ष विपक्ष के नेता लोग आपस में ही मिलजुलकर कर लेते हैं अपने विवाहादि कामकाज !हाँ चुनावों के समय अपनी अपनी जातियों के ठेकेदार बन कर बेचने लगते हैं अपने अपने वर्गों का जन समर्थन और करने लगते हैं मोलभाव ! 
   राष्ट्रीय पार्टियाँ उन तथाकथित दलितों पिछड़ों के चेहरे दिखा चमकाकर खोल लेती हैं सरकार बनाने की बड़ी बड़ी आढतें,जिनमें नेता लोग नमाज भी करते हैं आरती भी उतारते हैं अंबेडकर साहब की फोटो जेब में रखकर चलने लगते हैं ऐसे सभी हथकंडों से जिस नेता को जितना भी जन समर्थन जिस प्रकार से भी मिलता है वो सारे हथकंडे अपनाता  है और अंत में वह प्राप्त अपनी सीटें उन्हीं बड़ी आढ़तों में लेकर पहुँचता है वहाँ उसकी लगाई जाती है बोली और अपनी अपनी सुविधानुशार मोलभाव करके मंत्री वंत्री  पदों का सौदा करके बिक जाते हैं बड़े बड़े नेता लोग !
    बंधुओ ! ऐसे छद्म लोकतंत्र से आप क्या आशा कर  सकते हैं कि ये समाज में चरित्र निर्माण करने के लिए कोई आदर्श प्रस्तुत करेंगे !
    मित्रो ! आज देश में राजनीति और बाबागिरी ये दो सबसे अधिक  कमाऊ धंधे हैं आप बाबा बनकर जहर भी बेचते हैं तो वेष पर श्रद्धा होने के कारण लोग भरोसा करके ख़रीद ही लेंगे किंतु इस भरोसे को बाबाओं ने व्यापार या राजनीति में कन्वर्ट करना प्रारम्भ कर दिया है इसलिए समाज में गिरते नैतिक मूल्यों को सुरक्षित रखने का उनका अपना मुख्य काम गौण होता जा रहा है । जिसकी भरपाई कहीं और  से होती नहीं दिख रही है उसका परिणाम ये हुआ है कि लोगों के वैवाहिक सम्बन्ध टूट रहे हैं परिवार बिखर रहे हैं तलाक शुदा लोगों के बच्चे भटक रहे हैं वृद्ध लोगों के प्रति सम्मान समाप्त होता जा रहा है उनका जैसे ही शरीर  थकने लगता है वैसे ही उनकी उपेक्षा प्रारम्भ हो जाती है अंततः उन्हें केवल मृत्यु की प्रतीक्षा करते हुए जीवन यापन करना पड़ता है । कन्याओं की उपेक्षा एवं असंवेदना चिंतनीय है !
    शिक्षा, दीक्षा(आध्यात्मिक चेतना ) और चिकित्सा जो गरीब अमीर सबके लिए आवश्यक है किंतु दुर्भाग्य से आज ये तीनों ही व्यापार बन चुके हैं और व्यापार तो धन पर आश्रित होता है इस देश में धन हीन  लोगों की संख्या बहुत अधिक है आखिर वो कहाँ जाएँ उनकी कौन सुनेगा !और यदि उनके लिए शिक्षा, दीक्षा(आध्यात्मिक चेतना ) और चिकित्सा जैसी सुविधाएँ देने और दिलाने के लिए समय रहते नहीं सोचा गया तो समाज में आराजकता फैल जाएगी ! हर गरीब सोचेगा कि जब शिक्षा के अभाव में हमें और हमारे बच्चों को निरक्षरता भोगनी ही है इसीप्रकार से चिकित्सा के अभाव में दुःख भोगना ही है तो हम ऐसी आजादी पर गर्व क्यों करें क्यों डालने जाएँ वोट ,क्यों मानें धर्म निरपेक्षता आदि आदि !
      बंधुओ ! अब इनकी भरपाई सुनिश्चित कैसे की जाए !
    राजनीति में घुसते समय एक एक पाई के लिए जूझने वाले गरीब से गरीब लोग दस पाँच वर्ष में ही राजनीति में करोड़ों अरबों पति हो जाते हैं आखिर कैसे !ये सारा पैसा भ्रष्टाचार का होता है जो सरकारी कर्मचारियों के माध्यम से उगाही करवाई जाती है बाद में कुछ अंश उन्हें भी मुख बंद रखने के लिए दिया जाता होगा यदि ऐसा न होता तो सरकारें अपने कर्मचारियों से दबाव देकर काम क्यों नहीं ले पाती हैं !
     भ्रष्टाचार का धंधा आज रोके क्यों  नहीं रुक रहा है ?
   बंधुओ ! जिस बच्चे से आप चोरी करवाओगे वो बच्चा आपका अनुशासन कभी नहीं मानेगा !यही कारण है कि कम सैलरी पाने वाले प्राइवेट स्कूलों के अनट्रेंड शिक्षकों की शिक्षा सेवा हो या कुछ और किसी का प्राइवेट काम सरकारी की अपेक्षा कम सैलरी में और अच्छी क्वालिटी का होता है फिर भी उनमें नैतिकता होती है अनुशासन होता है और जनता का विश्वास जीतने की ललक होती  है जो सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों में दूर दूर तक नहीं दिखाई पड़ती  है  और जब  शिक्षा, चिकित्सा ,दूरसंचार एवं डाक जैसे विभागों के काम का बहुत बड़ा बोझ प्राइवेट वाले लोग सँभाल रहे हैं तब भी सरकार के ये विभाग जनता का विश्वास जीतने में अभी तक असफल रहे हैं तो भ्रष्टाचार और अपराध आदि रोकने की जिम्मेदारी निभाने वाले पुलिस जैसे विभाग भी तो सरकारी ही हैं केवल उन्हीं से भ्रष्टाचार मुक्त ईमानदारी युक्त अपराध निरोधक आत्मीय सेवा की अपेक्षा कैसे की जा सकती है । दूसरी बात पुलिस जैसे विभागों में तो प्राइवेट के सहयोग का भी विकल्प नहीं है तो फिर इन पर इतना विश्वास कैसे कर लिया जाए कि अकेले पुलिस विभाग ही सारी समाज को सुधार लेगा और बना लेगा अपराध मुक्त !


No comments:

Post a Comment