दो वर्षों तक अधिकारी लोग अनजान कैसे बने रहे !क्या इसका सच भी पता लग पाएगा समाज को !आखिर देश ने दो अधिकारी खोए हैं ये बड़ी चोट है देश अपराध के हर मामले की तरह ही क्या इसे भी सह जाएगा !या अपराध के उन असली मास्टरमाइंडों को खोज निकालेगा
!
आखिर उन्हें पता नहीं था या जानने की जरूरत नहीं समझी या किसी के दबाव में जानकर भी दबाते रहे इस मामले को !या फिर आर्थिक दासता के शिकार थे अन्यथा अपराधी में इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि किसी नेता के संरक्षण और भ्रष्ट अफसरों की मदद के बिना कोई कर ले अपराध ! अपराधी की हिम्मत बँधाने वाला कोई तो होता है हर अपराध में वही बचा दिया जाता हैं क्योंकि वो गरीब नहीं होता और रईसों को अपराधी मानने की अपने यहाँ परंपरा नहीं है । इसलिए हर अपराध में अपराधियों के आका बच जाने के कारण वो नया अपराधी तैयार कर लिया करते हैं इसीलिए अपराध रुक नहीं रहे हैं !
पुलिस पर हमला करने का दुस्साहस करने वालों की राजनैतिक पकड़ जरूर बहुत मजबूत रही होगी !इसमें जो मास्टर माइंड बताया जा रहा है यदि ये बात मान भी ली जाए तो भी इतनी बड़ी घटना के पीछे का सच केवल एक व्यक्ति की सनक नहीं हो सकती अपितु ये स्क्रिप्ट किसकी है खोज उसकी होनी चाहिए !दो वर्षों तक प्रशासन आखिर मूकदर्शक क्यों बना रहा ?
अपराधियों को गले लगाते हैं गुंडे और गुंडों को गले लगाती हैं राजनैतिक पार्टियाँ ! किसी अपराधी के पीछे हमेंशा कोई और होता है जिसकी हिम्मत से अपराधों को अंजाम देता है अपराधी !अन्यथा अपराधी में इतनी हिम्मत कहाँ होती है !
अपराध के कारोबार से कमाई करते हैं अपराधी और अपराधियों से कमाई करते हैं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी !यदि सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो न हत्याएँ होतीं न होते बलात्कार !कुल मिलाकर सभी प्रकार के अपराध बंद हो सकते थे । इसलिए अपराधियों पर अंकुश लगाने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर काबू पावे सरकार !उसके पहले विकास संबंधी सारी बातें बेकार !
प्रधानमंत्री जी ! सरकार के हाथ पैर तो सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही होते हैं जिनके अच्छे बुरे व्यवहार के आधार पर ही सरकार के काम काज का मूल्यांकन होता है क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों से ही जनता को जूझना पड़ता है वो ही यदि भ्रष्टाचारी हैं तो आप कितने भी अच्छे बने रहें किंतु जनता के मन में आपकी छवि भ्रष्टाचार समर्थक के रूप में ही बनी रहेगी !अपराधों पर अंकुश लगाने के नाम पर भाषण चाहें जितने हों किंतु काम बिलकुल नहीं हो रहा है !
जेल में बैठकर मीटिंगें करते सुने जाते हैं अपराधी !एक साधारण किसान की गारंटी पर हजारों करोड़ का लोन मिल जाता है माल्या जैसे व्यक्ति को !सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ऐसे असंख्य अपराध कर रहे हैं किंतु इन्हें कोई देखने रोकने वाला है कौन!और इन पर अकुंश लगाए बिना अपराधों के विरुद्ध भाषण चाहें जितने दिए जाएँ सब बेकार हैं ।इसीलिए तो अंकुश नहीं लग पा रहा है अपराधों पर !
सरकारी नीतियाँ इतनी अंधी हैं कि अधिकारियों कर्मचारियों से काम लेना तो सरकार के बश का है ही नहीं और जनता की बात वो सुनते नहीं हैं अब तो इनके भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाना सरकार के बश का नहीं रहा फिर भी समस्या को समझे बिना इनकी सैलरी क्यों बढ़ाए जा रही है सरकार !आखिर जनता से भी तो एक बार पूछा जाए कि सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के काम काज से वे कितना संतुष्ट हैं !साथ ही ये भी कि उन्हें किसी पागल कुत्ते ने काटा है उन्हें अपना काम करवाने के लिए घूस क्यों देती पड़ती है या वे अपनी खुशी से देते हैं ।सरकारी हर काम काज का भट्ठा बैठता जा रहा है फिर भी अपने कर्मचारियों से आखिर सरकार इतनी खुश क्यों है!
सरकारी शिक्षा विभाग ,डाकविभाग दूरसंचार विभाग चिकित्साविभाग चौपट तो इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों ने कर रखा है इनसे बहुत कम सैलरी पाकर भी प्राइवेट टीचर, कोरियरकर्मी, प्राइवेटदूर संचार कर्मी,चिकित्साकर्मी अपने अपने क्षेत्र में कितनी अच्छी अच्छी सेवाएँ दे रहे हैं ।
सरकार के कर्मचारी तो इतने कामचोर हैं कि जिस आफिस के कर्मचारियों की एक एक महीने की सैलरी पर पचासों लाख रूपए खर्च हो रहे होते हैं उस आफिस के कर्मचारी अपना कम्प्यूटर और प्रिंटर बिगाड़ कर उसी बहाने कई कई दिन काम न करके जनता को टरकाया करते हैं ऊपर से जनता के साथ मिलकर वो लोग भी सरकार तथा सरकारी व्यवस्थाओं को गालियाँ देते हैं ! इनके काउंटरों पर नंबर की तलाश में खड़ी जनता को जानवरों की तरह कभी भी खदेड़ देते हैं ये लोग इंटरनेट न आने का बहाना बनाकर!कई कई दिन बीत जाने पर भी काम न होने पर घूस देने को मजबूर कर दी जाती है जनता !उसके पास इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं होता है । सरकारी तंत्र की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहाँ जनता इस विश्वास के साथ शिकायत करे कि उसका काम समय से हो जाएगा !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम कराने के लिए घूस देने के अलावा जनता के पास कोई अधिकार नहीं है और न ही उसकी बात कोई सुनता है । जिस अधिकारी से शिकायत की जाती है वो उलटे जनता को ही काटने दौड़ता है सरकार तक जनता की पहुँच नहीं होती है !
कुल मिलाकर अपराध छोटे हों या बड़े इसे करने वाला किसी न किसी कोने में मूर्ख होता है तभी तो ऐसा रास्ता चुनता है ।अपराधी केवल यंत्र की भाँति होता है इसी कारण ऐसे लोगों का ऊपरी कमाई के लालच में उपयोग करते हैं भ्रष्टअधिकारी कर्मचारी और गुंडेनेता !जहाँ अधिकारियों कर्मचारियों की ऊपरी कमाई का साधन बने हैं अपराधी वहीँ भ्रष्टनेताओं का दबदबा बनाने में सहायक होते हैं अपराधी !यही अधिकारी और यही नेता उन अपराधियों की हर समय हर प्रकार से रक्षा करते रहते हैं इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है इसलिए ऐसे लोगों पर अंकुश लगाए बिना अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है ।
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