Tuesday, 19 July 2016

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" श्रीकृष्णं वंदे जगद्गुरुम् "
 दो. जगदगुरु श्रीकृष्ण हैं सकल ज्ञान भंडार ।
       सबके अंदर बैठि के बाँटत बुद्धि अपार ॥
      जहाँ सहारा कोई नहिं मिलत  न कैसेहु थाह ।
       अँगुरी पकरे कृष्ण जी तबहुँ दिखावत राह ॥
        कृपाचार्य गुरुद्रोण ने भी जब छोड़ा साथ ।
        तब निराश लखि द्रोपदिहिं  वस्त्र बने यदुनाथ ॥
           गीता को उपदेश उत रथ हाँकत यदुनाथ । 
        कहौ गुरू अस कौन जग जो रण में जूझत साथ ॥
          ग्वाल बाल अरु गोपियाँ कहहु कवन विद्वान ।
          ते ऊधौ ते आस भिड़े कि फिरत बचावत प्रान ॥
        

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