Wednesday, 19 October 2016

शिक्षा के लिए दोषी बिहार सरकार को तो शर्म आई किंतु बाकी प्रदेशों की आत्माएँ कब जागेंगी और करेंगी शिक्षा व्यवस्था के साथ न्याय !

"बिहार का टॉपरकांड" पकड़ा गया इसलिए दोषी और जो सतर्कता और चतुराई से शिक्षा का सत्यानाश करने के काम करते हैं उन्हें ईमानदार कैसे मान लिया जाए !उनके काम काज का मूल्यांकन क्यों न किया जाए !हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि स्कूल यदि अच्छे संस्कारों के केंद्र हैं तो बुरे संस्कारों के केंद्र भी वही हैं जो शिक्षक अयोग्य कामचोर आलसी होंगे उनसे बच्चे क्या सीखेंगे !इसीलिए तो अपराधियों की फौज तैयार कर रही हैं दुर्भाग्य पूर्ण शिक्षा नीतियाँ!शिक्षा और संस्कारों के सत्यानाश के लिए सरकार और शिक्षाविभाग ही दोषी है  !
       सारा देश इस बात को स्वीकार करता है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है धनवान लोगों से लेकर विधायक सांसद मंत्री सरकारी अधिकारी कर्मचारी शिक्षक यहाँ तक कि सरकारी शिक्षा को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार अधिकारी और सरकारी शिक्षक भी ये स्वीकार करते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती है इसीलिए तो ये सभी लोग सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं !
    सरकारी शिक्षा को बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और सरकारी शिक्षकों को सैलरी देना सरकार की मजबूरी है नहीं तो वो सरकार के विरुद्ध शोर मचाएँगे ये पूरी तरह खाली लोग हैं इनके पास कोई काम होता नहीं है ये हड़ताल करने की योजना बनाने के लिए मीटिंग करते हैं फिर हड़ताल की तैयारियों के लिए मीटिंग फिर हड़ताल फिर उसकी समीक्षा के लिए मीटिंग केवल मीटिंग मीटिंग हैं बस और है क्या सरकारी शिक्षा और कामकाज में !
    ये शिक्षक पढ़ाना नहीं चाहते या पढ़ा नहीं पाते हैं या इनमें पढ़ाने की योग्यता ही नहीं है क्योंकि भ्रष्टाचार से इनकार तो नहीं किया जा सकता इसीलिए ये बात तो देश के बच्चे बच्चे की जबान पर है कि यदि आपके पास घूस देने के लिए पैसे हैं और सोर्स है तो नौकरी मिलेगी अन्यथा नहीं !ऐसी परिस्थिति में अयोग्य शिक्षक और अधिकारी खाली बैठकर करें क्या इसीलिए तो बेचारों ने मीटिंग और हड़ताल दो पसंदीदा काम चुन रखे हैं वही करते रहते हैं ।
      सरकारें अपने कर्मचारियों के साथ "हम भी खाएँ तुम भी खाओ चुपचाप पड़े रहो"वाले सिद्धांतों के अनुशार चलना चाहती हैं इसीलिए किसी न किसी बहाने से उनकी सैलरी अनाप शनाप बढ़ाती रहती हैं ये खाली लोग फिर भी हड़ताल करने पर उतारू हो जाते हैं ये तो अपना खालीपन  दूर करने के लिए ऐसा करते हैं किंतु सरकारों में सम्मिलित लोग घबड़ा जाते हैं कि कहीं हमारे भ्रष्टाचार की पोल न खोल दें तो सरकारें फिर उन्हें कुछ दे देती हैं ! सरकारों के डरने के कारण ही आज शिक्षकों की सैलरियाँ सातवाँ आसमान चूम रही हैं !प्राइमरी प्राइवेट स्कूलों में शिक्षक जो पढ़ाने वाले हैं वे दस पंद्रह हजार में मिल जाते हैं वही सरकारी स्कूलों को न पढ़ाने वाले शिक्षक बहुत महँगे मिलते हैं अंतर इतना है कि प्राइवेट स्कूलों में मालिक की जेब से पैसे जाते हैं जबकि सरकारी स्कूलों में जनता का पैसा होता है इसलिए उसकी चिंता कौन करे !
      जैसे जब किसी सत्संग कथा कीर्तन आदि में भीड़ नहीं जुटती है तब आयोजक भीड़ जुटाने के लिए कुछ न कुछ बाँटना शुरू करते हैं खाना कपड़ा आदि कुछ भी । यही हाल सरकारी स्कूलों की शिक्षा का भी है पढ़ाई में दम नहीं है इसलिए चीजों का लालच देकर भीड़ें इकठ्ठा की जा रही होती हैं आखिर सरकारी अधिकारियों शिक्षकों को सैलरी देने के लिए कुछ बहाना तो चाहिए ही !अन्यथा लोग कहने लगेंगे जब बच्चे नहीं हैं तो बंद करो स्कूल !इसलिए सरकारें सरकारी स्कूलों में बच्चों की भीड़ दिखाने के लिए खाना कपड़े किताबें दवाइयाँ आदि सब कुछ बाँटती रहती हैं ।इसलिए वहाँ बच्चे भी पढ़ने के लिए कम और खाने के लिए ज्यादा  जाते हैं धीरे धीरे सरकारी स्कूल अब  बाँटने के लिए ही प्रसिद्ध होते जा रहे हैं लंगर चलाने वाले गुरुद्वारों की तरह !     

       सरकारों में साहस हो तो शिक्षकों की परीक्षा लें एक बार उसके लिए ईमानदार एक्जामनर खोजें ईमानदारी से प्रश्न पत्र बनाए जाएँ और इमानदारी से कापियाँ जाँची जाएँ और घोषित हो रिजल्ट !अभी सब दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा !कम से कम 50 प्रतिशत अधिकारी कर्मचारी घर बैठ जाएँगे !उनकी जगहों पर योग्य बेरोजगारों को रोजगार मिल जाएगा और शिक्षा व्यवस्था में सुधार हो जाएगा !किंतु ऐसा कठोर कदम कोई ईमानदार और साहसी सरकार ही उठा सकती है जिसके अपने दामन में दाग न हों !
   " बिहार का टॉपरकांड हो या UP के शिक्षकों की स्पेलिंग मिस्टेक " इसे केवल UP और बिहार के शिक्षकों  तक ही नहीं सीमित माना जाना चाहिए अपितु यही हाल सारे देश का है शिक्षा विभाग की ऐसी हरकतें  कहीं कहीं झलक जाती हैं सरस्वती नदी की तरह किंतु जैसे सरस्वती नदी का रहस्य जानने के लिए भयंकर खुदाई जरूरी है वैसे ही शिक्षा विभाग का भ्रष्टाचार पता लगाने के लिए सरकार को उठाने होंगे कठोर कदम !
        इसके लिए चाहिए देश में ईमानदार ,साहसी और कर्तव्यनिष्ठ  प्रधानमंत्री मुख़्यमंत्री शिक्षामंत्री आदि !वो भ्रष्ट शिक्षकों और अधिकारियों की पहचान करे और फिर जनता को विश्वास में लेकर अपराधियों को न केवल निकाल बाहर करे अपितु उनसे वसूली जाए आज तक दी गई सारी सैलरी !योग्य लोगों के अधिकार अयोग्य लोगों को देने एवं जनता के धन का दुरुपयोग करने की दोषी सरकार इसके लिए जिम्मेदार तत्कालीन अधिकारियों के साथ अपराधियों जैसे कठोर दंड का प्रावधान करे !उनकी चल अचल संपत्तियों को जब्त करे सरकार !देश का बेड़ा गर्क किया  है उन लोगों ने !ऐसे ही अपराधियों के कारण एक से एक पढ़ी लिखी प्रतिभाएँ आज खेती किसानी करने या मेहनत मजदूरी करके दिन काटने पर मजबूर हैं ।
       देश का शिक्षा विभाग भ्रष्टाचार का इतनी बुरी तरह से शिकार है कि नेताओं के साथ लगे रहने वाले ठेलुहेचमचे और उनके नाते रिस्तेदार शिक्षा विभाग के अधिकारियों के परिचित हेती व्यवहारी या घूस देने वाले लोगों को रेवड़ियों की तरह बाँटी जाती हैं नौकरियाँ  जिसमें कहीं किन्हीं नियमों का पालन हुआ होगा !इसीलिए सरकार के हर विभाग की भद्द पिटी पड़ी है हर जगह भ्रष्टाचार है ।
          शिक्षा विभाग की " बिहार का टॉपरकांड हो या UP के शिक्षकों की स्पेलिंग मिस्टेक " इसमें शिक्षकों और शिक्षा विभाग का क्या दोष ! ये तो झलकियाँ हैं हकीकत  तो बहुत खराब है जिनसे जो पूछा  गया वे वो नहीं बता पाए जिनसे पूछा ही नहीं गया उन्हें विद्वान कैसे मान लिया जाए !
     सरकार ने शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने के अलावा शिक्षा के लिए और किया ही क्या है !नौकरियाँ बेच लीं पैसे वालों के हाथ ! शुद्ध शिक्षित लोगों की प्रतिभा पहचानकर उन्हें भी रोजगार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी क्यों नहीं समझी सरकार ने !शिक्षा के लिए कठोर से कठोर परिश्रम करने वालों को ऐसा कौन सा मंच उपलब्ध करवाया गया जहाँ वो भी अपनी प्रतिभा को प्रस्तुत कर सकें !शिक्षित लोग घूस नहीं दे सकते ,उनका सोर्स नहीं है या वो ऊँची जातियों के हैं इसलिए प्रतिभाओं को ठुकराया गया और पैसे को पकड़ा गया है !
   UP: कॉलेजों के कई टीचर नहीं बता सके अंग्रेजी के सामान्य शब्दों की स्पेलिंग !-जनसत्ता 
 see more...http://www.jansatta.com/national/bjp-demands-governor-to-probe-in-up-
teachers-fail-to-spell-english-words/114763/
          अधिकाँश शिक्षकों की स्थिति ये है कि वे जिन कक्षाओं को पढ़ाने के लिए रखे गए हैं उन्हें यदि उन्हीं कक्षाओं की परीक्षाओं में बैठा दिया जाए तो पास होने वाले शिक्षकों की संख्या का परसेंटेज इतना कम होगा कि सरकार देश की जनता के सामने मुख दिखाने लायक नहीं रह जाएगी ! ऐसे लोगों को सैलरी लुटा रही है सरकार !सरकारी स्कूलों की भद्द पिटने का मुख्य कारण यही है जो खुद नहीं पढ़े होंगे ऐसे शिक्षकों को स्कूल देख कर  डर  तो लगेगा ही ! ऐसे लोग कक्षाओं में जाकर छात्रों से आँखें मिलाने की हिम्मत ही नहीं कर पाते हैं बेचारे !इसी लिए किसी न किसी बहाने से गायब रहते हैं शिक्षक ! क्या समय पास करने के लिए बनें हैं स्कूल !जिस गाय के पास दूध ही नहीं होगा वो पेन्हाएगी क्या ख़ाक !दूध देने वाली गउएँ ही बछड़ों को दुलार करती हैं और लुक छिपकर चोरी चोरी दूध पिला देती हैं अपने बछड़ों को ! क्योंकि उन्हें बछड़े की चिंता होती है !काश ! उन पशुओं से ही शिक्षक कुछ सीख पाते तो बच्चों के भविष्य से थोड़ा भी लगाव रखने वाले शिक्षक अपनी माँगें मनवाने के लिए हड़ताल तो नहीं ही करते !क्योंकि इससे नुक्सान ही केवल बच्चों का होता है । 
         स्कूलों में अँगेजी की मीनिंग की स्पेलिंग सही सही कितने शिक्षक लोग बता पाएँगे ये तो आशा ही नहीं करनी चाहिए वो साफ कह देंगे कि हम हिन्दुस्तान पर गर्व करते हैं इसलिए अंग्रेजी क्यों हिंदी क्यों नहीं ! बात यदि हिंदी की है तो मैं सरकार को चुनौती देता हूँ कि वो अपने शिक्षकों से हिंदी की ही परीक्षा लेकर दिखादे ! बशर्ते पेपर बनाते समय सुझाव हमारे भी सम्मिलित किए जाएँ !यदि हिंदी की सामान्य परीक्षा में देश के 50 प्रतिशत शिक्षक भी पास हो जाएँ तो सरकार अपने शासन पर गर्व कर सकती है शिक्षा के हालात इतने अधिक खराब हैं इसलिए जो शिक्षक पास न हों उन्हें खदेड़ बाहर करे सरकार !
      संस्कृत शिक्षा के नाम पर संस्कृत पढ़ाने के लिए जो शिक्षक रखे जाते हैं अक्सर वो कुछ और न पढ़ा सकने योग्य ढीले ढाले जिजीविषा मुक्त शिक्षकों का ही नाम 'शास्त्री जी' रख लिया जाता है और उन्हीं के जर्जर दिमाग के सहारे ढोई जा  रही होती  है संस्कृत ! दूसरी  ओर संस्कृत जानने वाले संस्कृतविद्यालयों के छात्र बेरोजगारी से परेशान  होकर मारे मारे घूम रहे हैं कलश पूजन करवाते शादी विवाह पढ़ते !उनके पास घूस  देने के पैसे  नहीं हैं  सोर्स नहीं है ।
      ये दायित्व सरकार का है कि योग्य लोगों को ही योग्य पदों पर बैठावे !अयोग्य लोगों को योग्य पदों पर बैठकर भारीभरकम  सैलरी देकर पूजने से आज हर किसी की इच्छा है कि सरकारी नौकरी मिले !अगर पूछ दो क्यों तो बोले उसमें पहली बात तो काम नहीं करना पड़ता है और दूसरी बात सैलरी बढ़ाने की चिंता नहीं होती है सरकार खुद बढ़ाती रहती है । सरकार के कई विभाग ऐसे हैं जहाँ ब्रेनडेड आदमी आराम से अपने  दायित्व का निर्वहन कर सकता है ! बारी नौकरी बारे काम ! 
  देखें इसे भी -

UP: कॉलेजों के कई टीचर नहीं बता सके अंग्रेजी के सामान्य शब्दों की स्पेलिंग !-जनसत्ता 
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Sunday, 16 October 2016

समाजवादी पार्टी की लीला है या लड़ाई या फिर अखिलेश को सबसे बलवान सिद्ध करने की है खुद नेता जी चतुराई !

     अमर सिंह जी अबकी ले जाएँगे क्या शिवपाल सिंह जी को भी अपने साथ !और मुलायम सिंह जी को भी संत बता ही चुके हैं साध्वी  जयाप्रदा जी साथ हैं ही पता नहीं शिवपाल जी ढोलक चिमटा कुछ बजा लेते हैं कि नहीं !अब तो बस शिवपाल सिंह जी से इतना ही कहने को बाकी बचा है कि हे अनुज ! अभी तक राजनीति में हमारा साथ देते रहे तो अब साधू बनने में भी दीजिए जैसे अभी तक आप हमारे पीछे पीछे घूमते रहे वैसे ही अब अपने बच्चों को अखिलेश के पीछे पीछे घूमने दीजिए !क्या शिवपाल सिंह जी को बाहर करने के लिए ही पार्टी में लाए  गए थे अमरसिंह जी ?वाह वारी कूटनीति !पुत्र को पार्टी हस्तांतरित करने के लिए की जा रही है इतनी सारी कवायद !अन्यथा शिवपाल सिंह जी को क्यों न घोषित कर दें मुख्यमंत्री !

     जैसे भगवान राम ने घोड़ा छोड़कर लवकुश से पकड़वाकर उनसे युद्ध लीला रचकर पुत्रों को सबसे बड़ा बलवान सिद्ध किया था वही खेल कहे रहे हैं नेता जी इससे और कुछ हो न हो पार्टी पर भाई भतीजों के दावे तो ख़तम हो ही जाएँगे !हो सकता है चाचा के नाते शिवपाल जी सब कुछ सहकर बने भी रहें किंतु बेचारे संत अमरसिंह जी .... !
 मुलायमसिंह जी ने ही करवाई सारी लड़ाई !जानिए कैसे ? 
पुराने समय में लोगों के कई कई बच्चे होते थे तो बुड्ढे लोग उन्हें आपस में लड़ाते रहते थे और उनके फैसले करते रहते थे तो उनके भी बुढ़ापे में रौनक लगी रहती थी इसी बहाने उनका भी बुढ़ापा पास हो जाया करता था कहीं वही आनंद तो नहीं ले रहे हैं मुलायम सिंह जी !अन्यथा जब सब कह रहे हैं कि जो नेता जी चाहेंगे वो होगा तो ये लड़ाई नेता जी के बिना चाहे कैसे हो सकती है !लड़ाई करवाना इनकी आदत में है इन्होंने ही पहले राम मंदिर निर्माण पर लड़ाई करवाई थी अब वही चालें घर में चलने लगे अन्यथा शिवपाल सिंह जी को भी बना देते थोड़े बहुत दिनों के लिए मुख्यमंत्री आखिर क्या बिगड़ जाता वो भी अपने परिवार के सामने बात करने लायक हो जाते आखिर आपके समर्पण में उन्होंने सारा जीवन लगा दिया फिर भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर ही मारा मारी चल रही है ऐसे ओहदे तो उन्हें दूसरी पार्टियाँ भी दे सकती हैं खैर मुझे क्या करना !कहीं ये चुनाव प्रचार का स्टंट भर ही तो नहीं था 5 दिनों तक देश की जनता और मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे चुनाव के समय ऐसे विज्ञापनों का बहुत बड़ा महत्त्व है इसके लिए बहुत खर्चा करना पड़ जाता !देखिए राहुल जी को नहीं मिल पा रही है इतनी कवरेज गाते बजाते घूम रहें हैं वो भी एक पार्टी लिए उत्तर प्रदेश में ! 
मुलायमसिंह जी का समय पास करते रहेंगे दोनों लोग !अब सपा में लगी रहेगी रौनक !
'अ'मरसिंह सपा में कब तक मुलायम सिंह जी से

कहुरहीम कैसे निभिहि केरबेर को संग !

चिपके रहेंगे तब तक !अन्यथा  'अ'मर सिंह जी को 'अ'खिलेश और 'आ'जम खान पचा नहीं पाएँगे !पीढ़ी परिवर्तन के कारण 'अ'खिलेश एक बार सह भी जाएँ किंतु 'आ'जम कैसे भी नहीं सह पाएँगे मरसिंह को।
   'अ'मरसिंह जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं किंतु उनके नाम का पहला अक्षर 'अ'इस कारण 'अ'अक्षर वालों से उनकी पटरी खाएगी ही नहीं किंतु वे चिपकते 'अ'अक्षर वालों से ही हैं अंत में सबसे चोट खानी पड़ती है वो या तो इसके उपाय करें या फिर सावधान रहें !अ अक्षर वाले मर सिंह जी की यात्रा खिलेश,जमखान,मिताभबच्चन,भिषेकबच्चन , निलअम्बानी, जीतसिंह के यहाँ होते हुए फिर पहुँची खिलेश और जमखान  के यहाँ उसी पुराने घर में क्या मुलायम सिंह जी सँभाल पाएँगे अपने पुराने मित्र की मित्रता !

   बंधुओ !अमरसिंह जी की पटरी अजीत सिंह जी से खानी ही नहीं थी जब  अमरसिंह जी जुड़े ही थे अजीत सिंह जी यह तो तभी निश्चित हो गया था कि इन दोनों लोगों की आपस में पटरी नहीं खाएगी उसका कारण है कि अमरसिंह जी  की 'अ' अक्षर वालों से पटती नहीं  है और ये इनका दुर्भाग्य है कि ये मित्रता 'अ' अक्षर वालों से ही करते हैं पहले जब सपा में थे तब से अमरसिंह जी की पटरी आजम खान से नहीं खाती रही किन्तु मुलायम सिंह जी सँभाल लेते रहे किन्तु जब पार्टी में अखिलेश का बर्चस्व बढ़ा तो अमरसिंह जी निकाल दिए गए उधर आजम खान भी अ अक्षर वाले ही हैं अखिलेश सरकार के लिए एक नई समस्या तैयार करते रहते हैं ये भी अब तक कभी के निकाल दिए जाते किन्तु पार्टी के मुस्लिम चेहरा हैं अब इनके प्रति मुस्लिम समाज में भी रोष है इसीलिए सपा अब इन्हें किनारे लगाने की राह पर आगे बढ़ेगी उधर अमर सिंह जी का अजीत सिंह जी के साथ मन नहीं लग रहा है इसलिए अमर सिंह जी भी सपा में आने को तैयार बैठे हैं उधर सपा का भी नया नेतृत्व अबकी लोक सभा चुनावों में चारोचित्त गिरा है तो अब वह भी मुलायम सिंह जी के सामने नत मस्तक है इसीलिए अब मुलायम सिंह जी अपनी सपा को अपने पुराने मित्र अमरसिंह जी के सहयोग से पुनः प्रभावी बनाना चाहते हैं । 


    यह सब तो ठीक है किन्तु अभी भी अमर सिंह की पटरी अखिलेश और आजम खान से बिलकुल नहीं खाएगी इसलिए अमर सिंह जी को यदि साथ लेकर चलना है और हँसी नहीं करनी है तो यह जिम्मेदारी मुलायम सिंह जी को स्वयं उठानी पड़ेगी और अमर सिंह जी को भी मुलायम सिंह जी के प्रति ही समर्पित होकर चलना होगा, रही बात अखिलेश और आजम खान की तो इन्हें अमर सिंह जी के प्रति कोई बात बाया मुलायम सिंह जी के ही कहनी होगी अन्यथा मुलायम सिंह जी  के इस अमर प्रेम में उपहास के अलावा कुछ मिलेगा नहीं !


  इसी विषय से जुड़ा हुआ एक विस्तारित लेख मेरे ब्लॉग पर पड़ा हुआ जिसे पढ़ने के लिए के लिए नीचे दिया गया लेख लिंक खोल सकते हैं -



सोमवार, 10 मार्च 2014



अमरसिंह फिर चले धोखा खाने की राह पर - ज्योतिषवैज्ञानिक डॉ.एस.एन.वाजपेयी





ज्योतिष विज्ञान के दर्पण में अमरसिंह जी का भविष्य -



    बंधुओं ,जो लोग किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर ज्योतिष को विज्ञान नहीं मानते हैं उन्हें मैं मानने के लिए बाध्य भी नहीं करता हूँ किन्तु वैचारिक दृष्टि से जीवित लोग जो ज्योतिष को अपने मन बुद्धि एवं तर्कों see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/blog-post_2579.html


Friday, 14 October 2016

सरकारी नौकरियाँ देने में नियुक्तियों का तो नाम भर होता रहा है बाकी तो भ्रष्टाचार ही सर्वोपरि रहा है !

   भ्रष्टाचार के युग में घूस और सोर्स के बल पर नियुक्त शिक्षक जब खुद नहीं पढ़े होते हैं तो वे आज अचानक कैसे पढ़ाने लगेंगे!
    अयोग्य शिक्षक  लोग परीक्षा लेते हैं वे वास्तव में परीक्षा लेने लायक होते हैं क्या ?उन्हीं परीक्षाओं में उन्हें बैठा दिया जाए तो वे पास हो जाएँगे क्या?यही भ्रष्टाचार के बलपर पात्रता हासिल करने वाले परीक्षा की कॉपियाँ जाँचते हैं इनमें कितने लोग ऐसे हैं जो कापियाँ जांचने की योग्यता रखते हैं !ऐसे अयोग्य असंस्कारित गैर जिम्मेदार झूठे लोगों के पढ़ाए छात्र माता पिता गुरुओं माताओं बहनों आदि का सम्मान नहीं करते और सभी प्रकार के अपराधों में सम्मिलित होते देखे जाते हैं | 
    बिहार टॉपर घोटाला किसका कमाल था ! इसीप्रकार से संस्कृत न जानने वाले शिक्षकों पर संस्कृत पढ़ाने की जिम्मेदारी डालना संस्कृत शिक्षा और जनता के साथ क्या गद्दारी नहीं है!
     ऊपर से सरकारों के शिक्षा मंत्री कहते हैं जब से हमारी  सरकार आई है तब से पढाई अच्छी हो पढ़ाई बहुत अच्छी हो रही है !जब शिक्षक पढ़े ही नहीं होंगे तो पढ़ाएँगे क्या ख़ाक !
     संस्कृत पढ़ाने वाले सरकारी शिक्षकों को यदि संस्कृत परीक्षा में बैठा दिया जाए तो 90 प्रतिशत शिक्षक फेल हो जाएँगे !सरकार सैलरी बाँटे जा रही है !
   संस्कृत पढ़ाने वाले शिक्षक जो संस्कृत बोल नहीं पाते हैं सरकार उनकी छुट्टी करे !ऐसे अनपढ़ों के बजाए  पढ़े लिखे लोगों को नियुक्त करे सरकार !ये सारी दुनियाँ जानती है कि सरकार और सरकारी कर्मचारियों की मिली भगत से भारत में भ्रष्टाचार भयंकर है ऐसी स्थिति में नौकरियों में नियुक्ति का तो नाम भर रहा है । बाकी शिक्षा जगत के जो लोग या शिक्षक जिन पदों पर बैठे हैं या शिक्षक हैं वे अयोग्य हैं तो अपने दायित्वों के साथ न्याय कैसे कर पा रहे होंगे !सरकार ऐसे लोगों से भी तो निपटने के लिए कोई नीति बनावे !
  संस्कृत शिक्षा के साथ इतना बड़ा खिलवाड़ !इसलिए संस्कृत न बोल पाने वाले संस्कृतशिक्षकों को तुरंत सेवामुक्त किया जाए !और नए योग्य लोगों को भर्ती किया जाए !
     संस्कृत एक भाषा है और भाषा बोलने से आती है जो शिक्षक बोल ही नहीं पाते हैं उन्हें संस्कृत आती क्या ख़ाक होगी ! आखिर ऐसे बुद्धू बकस संस्कृत शिक्षक लोग संस्कृत पढ़ने के लिए बच्चों को प्रेरित कैसे कर पाएँगे !बच्चे तो अपने शिक्षकों से ही प्रेरित होते हैं !
    जो शिक्षक अँग्रेज़ी अच्छी बोल लेते हैं उनके विद्यार्थी उनकी नकल करते हैं और उनकी प्रशंसा में कहते हैं कि अमुक शिक्षक अँग्रेजी फर्राटेदार बोल लेते हैं इसलिए बच्चे भी उनकी नकल करते करते बोलने लगते हैं फर्राटेदारअंग्रेजी !किंतु संस्कृत शिक्षकों के पदों की  अघोषित नीलामी होने के कारण योग्य लोग योग्य पदों तक पहुँच ही नहीं पाते हैं अयोग्य लोगों से संस्कृत पढ़वा रहीं सरकारें किंतु सरकारों की ऐसी मजबूरी क्या है !केवल खानापूर्ति के लिए अयोग्य शिक्षकों पर खर्च की जा रही है सैलरी !अरे !सरकार यदि ईमानदार है तो संस्कृत शिक्षकों की नियुक्ति पर पारदर्शी  नीति अपनावे और योग्य लोगों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन करने का अवसर दिया जाए !
    चूंकि समाज संस्कृत समझ नहीं पाता है इसलिए मंदिरों के पुजारी पंडे बाबा कथा भोगवती आदि लोग मूर्ख बनाते जा रहे हैं समाज को !किंतु स्कूलों में संस्कृत शिक्षा का स्तर सुधरते ही ऐसे पाखंडी समाज की भी धाँधली बंद हो जाएगी !अंधविश्वास की घटनाओं में कमी आएगी ।
     मंदिरों के पुजारी और धार्मिक स्थानों या तीर्थ स्थलों के पंडे शतप्रतिशत संस्कृत से अनजान होते हैं संस्कृत न जानने के कारण उनकी कराई  हुई पूजा का फल क्या मिलता होगा भगवान ही जाने !और यदि वो किसी तरह पूजा करवा भी लें तो संकल्प नहीं बोल सकते संकल्प का आधा अंश रटकर बोला भी जा सकता है वो यदि बोल भी लें तो बचा हुआ आधा हिस्सा बोलना उनके बश का इसलिए नहीं होता है क्योंकि वे जिसकी पूजा करवा रहे होते हैं "उनकी परेशानी क्या है पूजा कौन सी है किस देवता या ग्रह की है कितनी है किसलिए है "ये सारी चीजें रटकर नहीं बोली जा सकती हैं और न ही कहीं लिखी मिलती हैं क्योंकि ये सबकुछ सबका अपना अपना और अलग अलग होता है इतना रट पाना संभव ही नहीं है !
    ये बिलकुल उसी तरह की प्रक्रिया है जैसे कोर्ट में रजिस्ट्री आदि के कागज तैयार करने वाले लोग एक प्रोफार्मा टाइप का बनाए होते हैं उसी में अलग अलग क्लाइंटों के हिसाब से अलग अलग नाम गाँव पता आदि जोड़ते जाते हैं किंतु इतना करने के लिए भी तो जैसे अँग्रेजी जानना जरूरी होता है वैसे ही संकल्प बोलने के लिए संस्कृत जानना जरूरी होता है !
     संकल्प के साथ जोड़ी जाने वाली विषय सामग्री का ट्रांसलेशन कर पाना उन पंडे पुजारियों के बश का  ही नहीं होता है जिन्होंने संस्कृत नहीं पढ़ी है !यदि किसी को हमारी बात पर संशय हो तो आप अपने  घर से संबंधित पंडे पुजारी या पंडित जी को यह कह कर कोई पाँच वाक्य संस्कृत में अनुवाद(ट्रांसलेशन) करने के लिए उन्हें दें कि बच्चे को स्कूल में मिले हैं आप कर दीजिए ! अपने सामने बैठाकर करवाएँ तो उनके हाव भाव लेखन शैली और बातों से ही सच्चाई पता लग जाएगी बाकी बात तो बाद में होगी !
       अब आप स्वयं सोचिए कि जैसे रजिस्ट्री ही गलत हो रही हो तो उस जमीन पर क्रेता का अधिकार कितना होना चाहिए उसी प्रकार से संकल्प गलत होने पर पूजा कराने वाला तो बिलकुल खाली हाथ होता है । 
      हाँ संस्कृत विद्वानों का एक बड़ा वर्ग अभी भी ऐसा है जो संस्कृत जानता है और वो पूजा पाठ जैसे कर्म काण्ड के कार्यों में रूचि ले रहा है उन पर संदेह नहीं किया जा सकता है किंतु उनकी पहचान कैसे की जाए !ये कठिन काम है इसके लिए जैसे आप अच्छे डाक्टर खोज लेते हैं वैसे ही उन विद्वानों तक भी पहुंचा जा सकता है । 
     साधू संतों और कथावाचकों का संस्कृत ज्ञान - 
        साधू संतों और कथा वाचकों में पाँच प्रतिशत लोग ही संस्कृत के विद्वान हैं बाकी संस्कृत भाषा  के ज्ञान की दृष्टि से बौड़म हैं किंतु उनको कटघरे में इसलिए नहीं खड़ा किया जा सकता है क्योंकि वो कह देंगे  कि हमें तो भजन करना होता है वो किसी भी भाषा में किया सकता है यहाँ तो मंत्र प्रमुख होते हैं वो रट कर बोले जा सकते हैं और ध्यान तो किया ही जा सकता है !उनकी ये बात सच है किंतु जो साधू संत या कथा वाचक वेदों पुराणों शास्त्रों की चर्चा करते या करना चाहते हैं उनके लिए संस्कृत जानना बहुत जरूरी होता है !अन्यथा वो पढ़ेंगे कैसे !
    वैसे भी आजकल तो भागवत कथाओं में जब से भड़ुए घुस आए और भागवत का बैनर लगाकर 'भोगवत' कर रहे हैं वो !इस मौज मस्ती के काम में अब तो लवलहे लड़के लड़कियाँ इसीलिए कूदने लगे हैं कि इसमें कुछ पढ़ना नहीं पड़ता है और धर्म की आड़ में मौज मस्ती पूरी मिलती है संगीतप्रिय नारद जी को विश्वमोहिनी नहीं मिलीं किंतु इन्हें क्या पता मिल ही जाती हों !ये बात भी सच है इसमें केवल सजना सँवरना होता है जो जितना सुन्दर या जो जितना अधिक फूहड़ हो उसे उतने अधिक पूजने वाले लोग !क्योंकि अच्छे लोगों की भीड़ नहीं होती वो तो बहुत कम होते हैं रिजर्वेशन कोच में जनरल बोगी की अपेक्षा कितने कम होते हैं लोग ! 
       धर्मगुरुओं का संस्कृत ज्ञान -
        इस प्रजाति के अधिकाँश लोग अर्थात 99 प्रतिशत लोग धार्मिक मुद्दों पर बकवास करने के लिए टी.वी.चैनलों के द्वारा ही लाल पीले कलर करके वहीँ गढ़ लिए जाते हैं वही समझा दिया करते हैं कि किसको कितना भूत बनके आना है किसे कितने कलरों में आना है किसके गर्दन में कितने दर्जन किस किस बरायटी के कितने कितने रुद्राक्ष लादकर कर आना है ! कुछ लोगों के पास पैसा अधिक होता है वो धन नोचने के लिए टी.वी.चैनलों वाले लोग इन्हें मजबूरी में 'कुछनहीं' तो 'धर्मगुरु' सही वाली कहावत से उन्हें 'धर्मगुरु' या 'धर्माचार्य' कहने लगते हैं  और बहुरूपियों की तरह इन्हें ही वो ज्योतिषी, विद्वान् ,सिद्धयोगी आदि सभी वेदों शास्त्रों पुराणों मान्यताओं परंपराओं संस्कृतियों का ज्ञाता सिद्ध करके इन्हीं से हर विषय में हुल्लड़ मचवाया करते हैं !ऐसी बहसों का न कोई उद्देश्य होता है और न ही कोई परिणाम !न कोई शंका न समाधान !बेशर्मी पूर्वक चीखने चिल्लाने का अभ्यास जिनका जितना होता है ऐसी जगहों के लिए वही 'धर्मगुरु' और 'धर्माचार्य'आदि बना लिए जाते हैं !कभी कभी इनके भँवर में पढ़े लिखे साधू संत विद्वान आदि भी पड़ जाते हैं वो बेचारे इतने शरीफ होते हैं कि वो मौके की तलाश में ही बैठे रहते हैं तबतक हुल्लड़ी मार ले जाते हैं प्रथम स्थान ! 
      कुल मिलाकर इस प्रकार से चिंता जनक है संस्कृत अध्ययन अध्यापन की स्थिति किंतु स्कूलों में यदि संस्कृत की पढ़ाई की गुणवत्ता प्रयास पूर्वक सुधारी जाए तो जब बच्चे संस्कृत बोलने समझने लगेंगे तो संस्कृत से जुड़े पंडे पुजारियों पंडितों साधू संतों और बाबाओं का वर्गीकरण ठीक ठीक कर सकेंगे वे ! साथ ही इन लोगों को भी मजबूरी में ही सही फिर तो संस्कृत पढ़नी ही पड़ेगी !इसलिए स्कूलों में संस्कृत शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना बहुत जरूरी है !इससे भाषा के साथ साथ संस्कृति की भी रक्षा हो सकेगी क्योंकि भारत का प्राचीन समस्त ज्ञान विज्ञान संस्कृत ग्रंथों में ही है ।
 इसी विषय में पढ़िए हमारा ये लेख -
    संस्कृत न बोल पाने वाले संस्कृतशिक्षकों को तुरंत सेवामुक्त करके बंद किया जाए संस्कृत शिक्षा के साथ खिलवाड़ !seemore... http://bharatjagrana.blogspot.in/2016/06/blog-post_6.html

Monday, 10 October 2016

कल्याणपुर

     आदरणीय उपमुख्यमंत्री श्री केशव मौर्य जी
                                               आपको सादर नमस्कार

    बिषय :हमारे पड़ोसी के द्वारा हमारी दीवार तोड़कर दरवाजा रखने से रोकने हेतु !

     कानपुर के कल्याणपुर 'कला' की हरीसिंह की बगिया नामक मोहल्ले की है यहाँ हमने 1997 में जमीन  खरीद कर घर बनवाया था उसकी पक्की रजिस्ट्री है तबसे उसमें हमारे भाई साहब ब्रजकिशोर वाजपेयी जी उसी घर में सपरिवार रह भी रहे हैं वर्तमान समय मैं दिल्ली में रहता हूँ ।
      हमारे प्लाट के पूर्व दिशा में दीगर भूमि की बाउंड्री वाल है जिसका हमारे इधर से अभी तक कोई लेना देना नहीं है |इसलिए दीगर भूमि वालों की बाउंड्रीदीवार के साथ साथ हमारी दीवार भी बनी है |हमारी  तरफ चौड़ा रोड बनाने के लिए हमारी ओर पहले से जगह छोड़ी गई थी जिसकी कीमत प्लाट के साथ ही हमें चुकानी पड़ी थी यहाँ से रोड बंद है यह सहन देखकर ही हमने यह प्लाट ख़रीदा था | उस समय हमसे यह कहा गया था कि हमारे पूर्व दिशा वाली दीगरभूमि के लोग यदि इस रोड की आवश्यकता समझेंगे तो इस रोड को आगे ले जाने के लिए वे भी अपनी जमीन में से रोड बनाने के लिए जमीन देंगे और इसी रोड को तीस फिट आगे तक ले जाकर आगे वाले सरकारी रोड में मिलाकर हमारी ही तरह वे भी अपनी जगह में दरवाजा खोल सकते हैं |
       इसी नियम के तहत शत्रुघ्न सिंह जी ने अपने सामने वाले रोड को अपनी जमीन में आगे तक ले जाकर सरकारी रोड में मिला लिया है और उसी में  अपनी ही जमीन पर दरवाजा खोल  लिया है |
       महोदय !ऐसी ही परिस्थिति वाले हमारे दूसरे पड़ोसी भी हमारे वाले रोड पर दरवाजा खोलने का प्रयास कार रहे हैं जिसके लिए वे शत्रुघ्न सिंह जी की तरह रोड को आगे तक न ले जाकर अपितु जबर्दश्ती हमारी दीवार तोड़कर हमारे रोड पर दरवाजा खोल लेना चाहते हैं यह उस समझौते के विरुद्ध तो है ही इसके साथ ही हमारे दरवाजे का सहन समाप्त हो जाएगा |जिससे इतना पैसा लगाने के बाद भी हमारा दरवाजा न केवल कंजस्टेड हो जाएगा अपितु रोज विवाद होने की संभावना बनी रहेगी |
     श्रीमान जी !अतएव आपसे मेरा विनम्र निवेदन है कि हमारी इस दीवार को उन्हें तोड़ने न दिया जाए तथा यहाँ की जो स्थिति वर्तमान समय में है उसे ही आगे भी सुरक्षित रखने का निर्देश देकर   इस विवाद को हमेंशा हमेंशा के लिए समाप्त कर दिया जाए |

                                                                             निवेदक :
                                                              डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
                                                            9811226973 \9811226983
                                                         प्लाट नं 27,फूलेश्वर शिव मंदिर के पीछे ,
                                                   हरी सिंह की बगिया ,कल्याणपुर कला,कानपुर
                                                                         उत्तर प्रदेश

      है  वो जमीन गाँवसमाज की सरकारी बताई गई थी। जिस पर  बाद में कब्ज़ा करके घेर लिया गया है पहले यहाँ पर कोई गाँव समाज का कोई तालाब था | ऐसा  बताया जाता है इस विषय में सच्चाई तो सरकार को ही पता होगी किंतु यदि ये जमीन  सरकारी निकलती है तो इस जरूरी रोड को आपस में  मिलाया भी जा सकता है जो जनहित की दृष्टि  से बहुत उचित होगा । 
   आज उस जमीन पर जिनका कब्ज़ा है उन्होंने उसी जमीन की बाउंड्री बना ली है और उसका दरवाजा  हमारी दीवार तोड़कर जबर्दश्ती हमारी ओर खोलने के लिए धमका रहे हैं |कहते हैं कि तुम्हारी इस दीवार को हम तोड़ देंगे | सरकार ने यदि  अपनी जमीन की ठीक से रखवाली की होती तो ये  रोड आपस में जोड़ा जा सकता था !और दीवार को तोड़ने की धमकी भी हमें नहीं मिलती उनकी यहाँ जमीन ही  नहीं होती और न ही उनका यहाँ दरवाजा ही होता !आप भी देखिए - 

      दोनों ओर से मिल रहे एरो के पास बनी हरी रेखा हमारे और दीगर भूमि वालों के बीच की बाउंड्री वाल है इस दीवाल के उधर से हमारा कोई मतलब नहीं है और इधर से उनका कोई मतलब नहीं होना चाहिए इस सिद्धांत का पालन पिछले 19 वर्षों से होता चला आ रहा है । आपसी शर्तों को तोड़ते हुए अब दीगर भूमि वाले लोग इस रोड को आगे बढ़ने से रोकने के लिए तो बीच रोड में दीवार खडी किए हैं इस अस्थाई निर्माण का उद्देश्य ही इस रोड को आगे न बढ़ने देना है । आप स्वयं देखिए -



A-  यह  मेरे घर का गेट है ।
B-दीगर भूमि वालों की काफी लंबी बाउंड्री वाल के साथ साथ बनी छज्जे के नीचे हमारी सफेद सी दीवार !दीगर भूमि वाले लोग इस दीवार को तोड़कर बिलकुल हमारे दरवाजे पर ही गेट रखना चाह रहे हैं |
C- ये  रोड आगे न बन और बढ़ सके इसलिए बीच रोड में किया गया अस्थाई निर्माण !इसके लगभग 25 फिट बाद पनकी रोड का लिंक रोड है जो सीधे पनकी रोड में मिलता है और पनकी रोड जीटी रोड में मिलता है । 
इस  रोड आगे बढ़ने से जबर्दस्ती रोका गया है दोनों तरफ से आए रोडों के आपसी गैप को आप स्वयं देखिए -

 यदि ये रोड आर पार आपस में मिला दिया जाए तो यहाँ रहने वाला बहुत बड़ा वर्ग इससे लाभान्वित हो सकता है यहाँ कितनी घनी बस्ती है आप स्वयं देखिए -


      यह बात लगभग सारे पुराने लोगों को पता है कि जहाँ ये रोड बनने से रोका गया है वो जगह गाँव समाज की होने के नाते सरकारी है । बताया जाता है कि यहाँ कोई तलाब  था उसे बंद करके वो जगह धीरे धीरे घेर ली गई है पहले बाउंड्री बनाई गई फिर  सरकार से डरते डरते अस्थाई निर्माण किए गए अब स्थाई निर्माण किए जाने लगे हैं थोड़े दिन बाद यहाँ बिल्डिंगें खड़ी दिखेंगी !कोई क्या कर लेगा । इसलिए सरकार अभी जाँच करवावे यदि ये जमीन वास्तव में सरकारी है तो फिर क्या दिक्कत है फिर तो दोनों रोडों को आपस में मिला दे ।