Sunday, 16 October 2016

समाजवादी पार्टी की लीला है या लड़ाई या फिर अखिलेश को सबसे बलवान सिद्ध करने की है खुद नेता जी चतुराई !

     अमर सिंह जी अबकी ले जाएँगे क्या शिवपाल सिंह जी को भी अपने साथ !और मुलायम सिंह जी को भी संत बता ही चुके हैं साध्वी  जयाप्रदा जी साथ हैं ही पता नहीं शिवपाल जी ढोलक चिमटा कुछ बजा लेते हैं कि नहीं !अब तो बस शिवपाल सिंह जी से इतना ही कहने को बाकी बचा है कि हे अनुज ! अभी तक राजनीति में हमारा साथ देते रहे तो अब साधू बनने में भी दीजिए जैसे अभी तक आप हमारे पीछे पीछे घूमते रहे वैसे ही अब अपने बच्चों को अखिलेश के पीछे पीछे घूमने दीजिए !क्या शिवपाल सिंह जी को बाहर करने के लिए ही पार्टी में लाए  गए थे अमरसिंह जी ?वाह वारी कूटनीति !पुत्र को पार्टी हस्तांतरित करने के लिए की जा रही है इतनी सारी कवायद !अन्यथा शिवपाल सिंह जी को क्यों न घोषित कर दें मुख्यमंत्री !

     जैसे भगवान राम ने घोड़ा छोड़कर लवकुश से पकड़वाकर उनसे युद्ध लीला रचकर पुत्रों को सबसे बड़ा बलवान सिद्ध किया था वही खेल कहे रहे हैं नेता जी इससे और कुछ हो न हो पार्टी पर भाई भतीजों के दावे तो ख़तम हो ही जाएँगे !हो सकता है चाचा के नाते शिवपाल जी सब कुछ सहकर बने भी रहें किंतु बेचारे संत अमरसिंह जी .... !
 मुलायमसिंह जी ने ही करवाई सारी लड़ाई !जानिए कैसे ? 
पुराने समय में लोगों के कई कई बच्चे होते थे तो बुड्ढे लोग उन्हें आपस में लड़ाते रहते थे और उनके फैसले करते रहते थे तो उनके भी बुढ़ापे में रौनक लगी रहती थी इसी बहाने उनका भी बुढ़ापा पास हो जाया करता था कहीं वही आनंद तो नहीं ले रहे हैं मुलायम सिंह जी !अन्यथा जब सब कह रहे हैं कि जो नेता जी चाहेंगे वो होगा तो ये लड़ाई नेता जी के बिना चाहे कैसे हो सकती है !लड़ाई करवाना इनकी आदत में है इन्होंने ही पहले राम मंदिर निर्माण पर लड़ाई करवाई थी अब वही चालें घर में चलने लगे अन्यथा शिवपाल सिंह जी को भी बना देते थोड़े बहुत दिनों के लिए मुख्यमंत्री आखिर क्या बिगड़ जाता वो भी अपने परिवार के सामने बात करने लायक हो जाते आखिर आपके समर्पण में उन्होंने सारा जीवन लगा दिया फिर भी प्रदेश अध्यक्ष पद पर ही मारा मारी चल रही है ऐसे ओहदे तो उन्हें दूसरी पार्टियाँ भी दे सकती हैं खैर मुझे क्या करना !कहीं ये चुनाव प्रचार का स्टंट भर ही तो नहीं था 5 दिनों तक देश की जनता और मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे चुनाव के समय ऐसे विज्ञापनों का बहुत बड़ा महत्त्व है इसके लिए बहुत खर्चा करना पड़ जाता !देखिए राहुल जी को नहीं मिल पा रही है इतनी कवरेज गाते बजाते घूम रहें हैं वो भी एक पार्टी लिए उत्तर प्रदेश में ! 
मुलायमसिंह जी का समय पास करते रहेंगे दोनों लोग !अब सपा में लगी रहेगी रौनक !
'अ'मरसिंह सपा में कब तक मुलायम सिंह जी से

कहुरहीम कैसे निभिहि केरबेर को संग !

चिपके रहेंगे तब तक !अन्यथा  'अ'मर सिंह जी को 'अ'खिलेश और 'आ'जम खान पचा नहीं पाएँगे !पीढ़ी परिवर्तन के कारण 'अ'खिलेश एक बार सह भी जाएँ किंतु 'आ'जम कैसे भी नहीं सह पाएँगे मरसिंह को।
   'अ'मरसिंह जी बहुत अच्छे व्यक्ति हैं किंतु उनके नाम का पहला अक्षर 'अ'इस कारण 'अ'अक्षर वालों से उनकी पटरी खाएगी ही नहीं किंतु वे चिपकते 'अ'अक्षर वालों से ही हैं अंत में सबसे चोट खानी पड़ती है वो या तो इसके उपाय करें या फिर सावधान रहें !अ अक्षर वाले मर सिंह जी की यात्रा खिलेश,जमखान,मिताभबच्चन,भिषेकबच्चन , निलअम्बानी, जीतसिंह के यहाँ होते हुए फिर पहुँची खिलेश और जमखान  के यहाँ उसी पुराने घर में क्या मुलायम सिंह जी सँभाल पाएँगे अपने पुराने मित्र की मित्रता !

   बंधुओ !अमरसिंह जी की पटरी अजीत सिंह जी से खानी ही नहीं थी जब  अमरसिंह जी जुड़े ही थे अजीत सिंह जी यह तो तभी निश्चित हो गया था कि इन दोनों लोगों की आपस में पटरी नहीं खाएगी उसका कारण है कि अमरसिंह जी  की 'अ' अक्षर वालों से पटती नहीं  है और ये इनका दुर्भाग्य है कि ये मित्रता 'अ' अक्षर वालों से ही करते हैं पहले जब सपा में थे तब से अमरसिंह जी की पटरी आजम खान से नहीं खाती रही किन्तु मुलायम सिंह जी सँभाल लेते रहे किन्तु जब पार्टी में अखिलेश का बर्चस्व बढ़ा तो अमरसिंह जी निकाल दिए गए उधर आजम खान भी अ अक्षर वाले ही हैं अखिलेश सरकार के लिए एक नई समस्या तैयार करते रहते हैं ये भी अब तक कभी के निकाल दिए जाते किन्तु पार्टी के मुस्लिम चेहरा हैं अब इनके प्रति मुस्लिम समाज में भी रोष है इसीलिए सपा अब इन्हें किनारे लगाने की राह पर आगे बढ़ेगी उधर अमर सिंह जी का अजीत सिंह जी के साथ मन नहीं लग रहा है इसलिए अमर सिंह जी भी सपा में आने को तैयार बैठे हैं उधर सपा का भी नया नेतृत्व अबकी लोक सभा चुनावों में चारोचित्त गिरा है तो अब वह भी मुलायम सिंह जी के सामने नत मस्तक है इसीलिए अब मुलायम सिंह जी अपनी सपा को अपने पुराने मित्र अमरसिंह जी के सहयोग से पुनः प्रभावी बनाना चाहते हैं । 


    यह सब तो ठीक है किन्तु अभी भी अमर सिंह की पटरी अखिलेश और आजम खान से बिलकुल नहीं खाएगी इसलिए अमर सिंह जी को यदि साथ लेकर चलना है और हँसी नहीं करनी है तो यह जिम्मेदारी मुलायम सिंह जी को स्वयं उठानी पड़ेगी और अमर सिंह जी को भी मुलायम सिंह जी के प्रति ही समर्पित होकर चलना होगा, रही बात अखिलेश और आजम खान की तो इन्हें अमर सिंह जी के प्रति कोई बात बाया मुलायम सिंह जी के ही कहनी होगी अन्यथा मुलायम सिंह जी  के इस अमर प्रेम में उपहास के अलावा कुछ मिलेगा नहीं !


  इसी विषय से जुड़ा हुआ एक विस्तारित लेख मेरे ब्लॉग पर पड़ा हुआ जिसे पढ़ने के लिए के लिए नीचे दिया गया लेख लिंक खोल सकते हैं -



सोमवार, 10 मार्च 2014



अमरसिंह फिर चले धोखा खाने की राह पर - ज्योतिषवैज्ञानिक डॉ.एस.एन.वाजपेयी





ज्योतिष विज्ञान के दर्पण में अमरसिंह जी का भविष्य -



    बंधुओं ,जो लोग किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर ज्योतिष को विज्ञान नहीं मानते हैं उन्हें मैं मानने के लिए बाध्य भी नहीं करता हूँ किन्तु वैचारिक दृष्टि से जीवित लोग जो ज्योतिष को अपने मन बुद्धि एवं तर्कों see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/03/blog-post_2579.html


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