मौसमविज्ञान -
महोदय,
आदरणीय पृथ्वीविज्ञान मंत्री जी !
आपको सादर नमस्कार !
विषय -मौसम के संबंध में पूर्वानुमान लगाने के संदर्भ में - महोदय,
उपग्रहों रडारों की मदद से आँधी तूफानों या संभावितवर्षा के बादलों को किसी एक स्थान पर देखकर उनकी गति और दिशा के अनुशार ये अंदाजा लगा लिया जाता है कि ये किस दिन कहाँ पहुँचेंगे | इसके अलावा मौसम विज्ञान के क्षेत्र में क्या कोई ऐसी वैज्ञानिक प्रक्रिया भी विकसित की जा सकी है जिसके आधार इस बात का पता लगाया जा सके कि आँधीतूफान या वर्षा जैसी घटनाओं निर्माण किस अवस्था में होता है एवं पूर्वानुमान लगाकर यह बताया जा सके कि आँधीतूफान या वर्षा जैसी घटनाएँ भविष्य में किस वर्ष किस महीने की किन किन तारीखों में घटित हो सकती हैं |
अलनीनों ला-नीना जैसी समुद्री घटनाओं का मौसम संबंधी घटनाओं के घटित होने में कितना योगदान होता है ?ऐसी घटनाओं का आधार केवल कल्पना मात्र है या किसी वैज्ञानिक अनुसंधान से ऐसा प्रमाणित भी हुआ है वह अनुसंधान कौन सा है ?उससे ऐसे क्या प्रमाण मिले जिनसे प्रभावित होकर इस बात पर विश्वास कर लिया गया कि अलनीनों ला-नीना जैसी घटनाएँ भी मौसम संबंधी घटनाओं को प्रभावित करती हैं ?
जलवायुपरिवर्तन:सन 2018 के अगस्त महीने में दक्षिण भारत में हुई भीषण वर्षा और बाढ़ का कारण जलवायुपरिवर्तन को बताया गया था | ऐसी परिस्थिति में जलवायुपरिवर्तन के कारण यदि इतनी भीषण बारिश हो सकती है तो जलवायुपरिवर्तन का या उसके कारण होने वाली भारी बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है क्या ?
भारत में मानसून के आने जाने की तारीखों का निश्चय किस आधार पर किया गया है ?इसका आधार केवल काल्पनिक है या अंदाजा है या इसमें कुछ वैज्ञानिक सच भी है | यदि ये वैज्ञानिक सत्यता पर आधारित है तो मानसून आने जाने का क्रम इन तारीखों पर सही घटित न होने का कारण क्या है ?अब जो मानसून आने जाने की तारीखें बदलने पर बिचार किया जा रहा है उसका कारण क्या है ?यदि मानसून की गति में ही कोई बदलाव आ गया है तो सही किस दशक तक रहा जब निर्धारित तिथियों पर मानसून का आवागमन हुआ करता था जिसके आधार पर इन तारीखों का निश्चय किया गया था ?
अलनीनों लानीना ग्लोबलवार्मिंग जलवायुपरिवर्तन जैसी जो भी प्राकृतिक परिस्थितियाँ आँधी तूफान वर्षा बाढ़ आदि मौसम संबंधी घटनाओं को प्रभावित कर सकती हैं उन प्राकृतिक परिस्थितियों के विषय में पूर्वानुमान लगाए बिना मौसम संबंधी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान कैसे लगा लिया जाता है और उसे कितने प्रतिशत सच माना जाना चाहिए ? कभी यदि 15 दिनों तक लगातार बारिश होती रहती है तो बारिश के प्रारंभ होने से अंत तक का पूर्वानुमान बारिश प्रारंभ होने से कितने दिन पहले लगाया जा सकता है ?
आदरणीय पृथ्वीविज्ञान मंत्री जी !
आपको सादर नमस्कार !
विषय -भूकंप के संबंध में पूर्वानुमान लगाने के संदर्भ में -महोदय,
भूकंप संबंधी अनुसंधान कार्य किया जाना जब प्रारंभ हुआ था तब से आज तक ऐसे अनुसंधानों के विषय में क्या कोई ऐसी नई प्रमाणित और उपयोगी जानकारी जुटाई जा सकी है जो पहले पता नहीं थी और जो जुटाई जा सकी है वो केवल काल्पनिक नहीं है उसमें कुछ वैज्ञानिकता भी है यदि हाँ तो वो क्या है ? भूकंपों के घटित होने का कारण पृथ्वी के अंदर बढ़ने वाला गैसों का दबाव बताया जाता है या लावा पर तैरने वाली भूमिगत प्लेटों का आपस में टकराना बताया जाता है |ये कारण केवल काल्पनिक हैं या इनमें कोई वैज्ञानिक सच्चाई भी है जिसे तर्कों और प्रमाणों के आधार पर प्रत्यक्ष रूप से सिद्ध किया जा सकता हो ?यदि हाँ तो उनके विषय में जानकारी दें |
भूकंपों के घटित होने का कारण पृथ्वी के अंदर बढ़ने वाला गैसों का दबाव बताया जाता है या लावा पर तैरने वाली भूमिगत प्लेटों का आपस में टकराना बताया जाता है |इस प्रकार से सिद्धांततः यदि कारण पता लग ही गया है तो भूकंपों के विषय में पूर्वानुमान लगाने में और दूसरी कठिनाई क्या है ?
अलनीनों लानीना ग्लोबलवार्मिंग जलवायुपरिवर्तन जैसी प्राकृतिक परिस्थितियों का असर भी भूकंप आने न आने पर तथा बार बार आने एवं कम या अधिक तीव्रता के साथ आने की प्रक्रिया पर पड़ता है क्या ?
भूकंपों के पहले या बाद में कई बार आने वाले आँधी, तूफान,अतिवर्षा आदि घटित होते देखे जाते हैं इनका भूकंपों से कोई संबंध होता है क्या ?इस विषय में कोई अनुसंधान किया गया है क्या ?
आदरणीय स्वास्थ्य मंत्री जी !
आपको सादर नमस्कार !
विषय -स्वास्थ्य के संबंध में पूर्वानुमान लगाने के संदर्भ में -महोदय,
चिकित्सा के क्षेत्र में कई बार देखा जाता है कि जिस रोगीको स्वस्थ करने के लिए चिकित्सा की जा रही होती है वह रोगी स्वस्थ तो होता ही नहीं अपितु कई बार तो मृत्यु होते भी देखी जाती है | ऐसी परिस्थिति में भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति में रोगों के पूर्वानुमान की परंपरा थी जिसके आधार पर इस बात का पूर्वानुमान लगा लिया जाता था कि कौन रोगी स्वस्थ होगा कौन नहीं |पूर्वानुमान इस बात का भी लगा लिया जाता था कि किस क्षेत्र में या किस व्यक्ति के शरीर में कब किस प्रकार के रोग पैदा हो सकते हैं और वे कितने समय तक प्रभावी रह सकते हैं उन पर कितने समय तक किसी दवा या चिकित्सा आदि का असर नहीं होगा तथा और कितने समय के बाद बिना चिकित्सा या कम चिकित्सा करने पर भी रोगों से मुक्ति मिल सकती है |
इसी प्रकार से किसी व्यक्ति का मानसिक तनाव कब बढ़ सकता है और वह कितने समय तक रह सकता है आदि बातों का पूर्वानुमान लगाकर ही रोगी की चिकित्सा उसी हिसाब से की जाती थी |
वर्तमान समय में शारीरिक या मानसिक रोगों का पूर्वानुमान लगाने की ऐसी कोई व्यवस्था है क्या और यदि नहीं है तो क्यों ?उसकी आवश्यकता नहीं है या फिर ऐसा करने की तकनीक ही नहीं है ?
शिक्षा के क्षेत्र में -
आदरणीय शिक्षा मंत्री जी
सादर नमस्कार
विषय :प्रकृतिविज्ञान के विषय में -
महोदय,
मैंने ज्योतिष से आचार्य(M.A.)किया है और सन 1999 में काशी हिंदू विश्व विद्यालय से Ph.D. भी की है | मैं अभी तक ज्योतिषशास्त्र के द्वारा प्रकृति और जीवन से संबंधित रहस्यों पर अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ इसके आधार पर और जीवन में घटित होने वाली अच्छी बुरी सभी घटनाओं के कारण एवं उन घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के विषय पर अभी तक अनुसंधान करता चला आ रहा हूँ | दो मित्रों या पारिवारिक सदस्यों पति पत्नी आदि के कौन संबंध कब तक चलेंगे कब तनाव पूर्ण हो जाएँगे इसका भी पूर्वानुमान लगाने की विधि के द्वारा संबंधों को सुदृढ़ बनाने पर अनुसंधान किया है| इसके आधार पर किसी का स्वास्थ्य कब कितना ख़राब या अच्छा रहेगा इसके साथ ही साथ किसी का मन कब प्रसन्न और कब तनावग्रस्त होगा इन विषयों पूर्वानुमान लगाने में काफी सीमा तक सफल हुआ हूँ |
श्रीमान जी !मैंने प्राकृतिक घटनाओं के पूर्वानुमान पर लंबे समय तक काम किया है इसके आधार पर आज वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों वायु प्रदूषण आदि के विषय में पूर्वानुमान लगाने में सफलता हासिल की है | इसके आधार पर पिछले 2 वर्षों से प्रत्येक महीने से संबंधित वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों वायु प्रदूषण आदि के विषय में पूर्वानुमान लगाकर महीना प्रारंभ होने से दो दिन पूर्व मौसमविभाग एवं प्रधानमंत्री जी के जीमेल पर भेजता रहा हूँ जो सही एवं सटीक होते आ रहे हैं उसके हमारे पार पर्याप्त प्रमाण हैं | इनकी एक विशेषता और है कि ये पूर्वानुमान कितने भी पहले लगाए जा सकते हैं |
समस्या यह है कि मौसम विभाग आदि के लोग इस विषय की विशेषताओं की उपेक्षा इसलिए करते जा रहे हैं कि ज्योतिष विषय विज्ञान नहीं है इसलिए इसके द्वारा किए जाने वाले अच्छे अनुसंधानों को भी लगातार ख़ारिज किया जा रहा है |
1.ज्योतिषविषय से संबंधित हमारे द्वारा किए गए अनुसंधान यदि अपने गुणों के कारण समाज की समस्याओं को घटाने में एवं प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है तो क्या इसे भी विज्ञान की श्रेणी में सम्मिलत करके सरकारी अनुसंधान कार्यों में हमें भी सम्मिलित किया जा सकता है ?
2. मंत्री जी !इस विषय में अपने अनुसंधान से संबंधित कुछ प्रपत्र यदि आपके समक्ष प्रस्तुत करना चाहें तो क्या आप मुझे मिलने के लिए समय दे सकेंगे यदि हाँ तो कब ?
समस्या समाधान हेतु
आदरणीय मुख्यमंत्री जी !दिल्ली सरकार
आपको सादर नमस्कार !
विषय - हमारे निवास स्थान से संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु !
महोदय !
A - 7,41 शनिबाजार, लाल क्वार्टर, कृष्णा नगर नामक बिल्डिंग से संबंधित प्रकरण है !इसमें तीन फ्लैट बने हुए हैं जिसमें सेकेंड फ्लोर मेरा है उसमें हमारा परिवार रहता है!हमारी तीन बेटियाँ और एक बेटा है | जो स्कूल में पढ़ने जाते हैं |तीनों फ्लोरों में जाने आने के लिए मेनगेट, रास्ता,सीढ़ियाँ, लिफ्ट आदि हम तीनों के सामूहिक उपयोग के लिए हैं |हम तीनों ने बराबर नाप के फ़्लैट ख़रीदे हैं उतनी ही रजिस्ट्री हम तीनों की है इसलिए इस बिल्डिंग में अधिकार भी हम तीनों के एक समान ही हैं |
यह जानते हुए भी हम तीनों को ही पार्किंग लिखकर दी गई है जबकि पार्किंग न तो बनी है और न ही उसके लिए कोई जगह ही छोड़ी गई है | जगह न होने के बाद भी फ़स्ट और थर्ड फ्लोर वाले अपनी अपनी कारें बिल्डिंग के अंदर रास्ते में घुसा कर खड़ी कर देते हैं जिससे रास्ता रुक जाता है रोकने पर कहते हैं कि हमारी तो रजिस्ट्री में लिखी है |
महोदय !बिल्डिंग के मेनगेट से सीढ़ियाँ,लिफ्ट आदि लगभग 30 फिट दूर पड़ती हैं | गाड़ियाँ खड़ी कर देने के बाद जगह इतनी कम बचती है कि कई बार तो निकलना भी मुश्किल हो जाता है कोई सामान लेकर आनाजाना तो बिलकुल असंभव होता है |यहाँ तक कि कभी कोई बीमार हो जाए और अचानक उसे हॉस्पिटल ले जाना पड़े तो लेकर जाने लायक जगह नहीं होती है |
इसके अलावा भी ये रास्ता लंबा है ऐसी परिस्थिति में किन्हीं दो लोगों का एक साथ दो फिट चौड़े रास्ते से निकल पाना कठिन होता है | विशेषकर महिलाओं के लिए इतनी सँकरी जगह से निकलना तब और कठिन हो जाता है जब दूसरी ओर से कोई पुरुष आ रहा हो| हमारी बेटियों को इसी रास्ते से स्कूल जाना आना होता है कई बार जिधर से हमारी बेटियाँ जा या आ रही होती हैं उसी समय दूसरी ओर से कोई दूसरा व्यक्ति, नौकर ,कूड़ावाला,दूधवाला पानी वाले जैसे अपरिचित लोग भी जा या आ रहे होते हैं |
कई बार पानी बरसते समय इधर उधर से एक दो फिट के साँप के बच्चे या कुत्ते मेन गेट से घुस कर कारों के नीचे छिप जाते हैं वे दूर से दिखाई ही नहीं पड़ते हैं कई बार अचानक वे भी उसी संकरे रास्ते में आ जाते हैं जो कभी भी किसी को काट सकते हैं |इसके अलावा इस रास्ते में गंदगी पड़ी रहती है किंतु कारें खड़ी होने के कारण सफाई करना कठिन होता है इसलिए कभी कभी ही सफाई हो पाती है | जिसके कारण डेंगू मलेरिया के मच्छर आदि पनपते हैं | इस रास्ते में प्रकाश करने के लिए जो लाइटें लगी हुई हैं उनके स्विच के पास कारें खड़ी होती हैं इसलिए उन लाइटों को जलाना असंभव होता है | जिससे वहाँ हमेंशा अँधेला पड़ा रहता है साँप बिच्छु कुत्ते आदि कुछ भी छिपे बैठे हों उसी से निकलना पड़ता है इसीलिए वहाँ दिवाली में भी अँधेरा ही रहेगा |
इसके अलावा फस्ट फ्लोर वालों ने सीढ़ियों पर अपना इन्वर्टर रख दिया है जो आधी सीढियाँ घेर लेता है जिससे टकराकर कई बार लोग गिर चुके हैं किंतु ये लोग हटाने को तैयार नहीं होते हैं |
ऐसी परिस्थिति में आपसे विनम्र निवेदन है कि रास्ते में खड़ी कारें आदि हटवाने का कष्ट करें इसके साथ ही रास्ते में रखा सामान एवं सीढ़ियों पर रखा इन्वर्टर भी हटवाने का कष्ट करें |
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