Thursday, 5 March 2020

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आदरणीय प्रधानमंत्री जी !
                  आपको सादर नमस्कार

विषय :सरकार को एक आवश्यक सुझाव देने हेतु  समय लेने के विषय में !

  महोदय ,

      बनवासियों , गरीबों, ग्रामीणों, किसानों ,सैनिकों,खेलों, राजनैतिक दलों एवं आम लोगों के जीवन से जुड़े बहुत सारे आवश्यक कार्य मौसम के आधीन होते हैं |
     जुलाई अगस्त में बोई जाने वाली फसलों  के लिए किसानों को मार्च अप्रैल में ही कृषि योजना बनानी पड़ती है |वर्षाऋतु में संभावित वर्षा के अनुशार ही उन्हें वर्ष भर के लिए आनाज एवं पशुओं के लिए भूसा आदि का संग्रह करना पड़ता है | सही मौसम पूर्वानुमान पता न लग पाने से उनकी वर्ष भर की  कृषि योजना बिगड़ जाती है | 
      इसी प्रकार सैनिकों को सीमा पर अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों में अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने दायित्व का निर्वहन करना पड़ता है |उसी अवस्था में तरह तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है ऐसी परिस्थिति में यदि उन्हें पहले से मौसम संबंधी पूर्वानुमान पता हों तो वे उन परिस्थितियों में भी अपने जीवन को यथा संभव व्यवस्थित कर सकते हैं अन्यथा उनकी कठिनाइयाँ और अधिक बढ़ जाती हैं |
     खेलों के आयोजन या राजनैतिक दलों के द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभा सम्मलेन आदि हों या खुले मैदान में सरकारी बड़े कार्यक्रमों का आयोजन या फिर आम लोगों के यहाँ होने वाले विवाह आदि कार्यक्रम बहुत पहले से निश्चित करने होते हैं |उतने पहले का मौसम पूर्वानुमान पता लगाने के लिए अभी तक कोई प्रक्रिया विकसित नहीं की जा सकी है इसलिए ये जिस किसी भी दिन आयोजित कर दिए जाते हैं उस दिन यदि आँधी तूफ़ान या भीषण वर्षा जैसी घटनाएँ घटित होने लग जाती हैं | तो उस कार्यक्रम के आयोजन में लगी भारी भरकम धनराशि निरर्थक चली जाती है |
       प्रधानमंत्री जी ! 28 जून 2015 को आपका बनारस में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था किंतु अत्यंत अधिक वर्षा के कारण कैंसिल करना पड़ा उसी कार्यक्रम को दूसरी बार 16 जुलाई 2015 को और अधिक व्यवस्था करके आयोजित किया गया वह भी अधिक वर्षा के कारण कैंसिल करना पड़ा | 
      श्रीमान जी !ऐसी परिस्थिति में एक ओर तो सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन में देशवासियों के टैक्स से प्राप्त धन खर्च हो रहा होता है तो दूसरी ओर मौसम विभाग के संचालन में उनके अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी आदि समस्त सुख सुविधाओं में उनके द्वारा किए जाने वाले मौसमी अनुसंधानों में जनता का जो धन खर्च हो रहा होता है इस धन के बदले में जनता को कुछ मिल नहीं पाता है | 
     मान्यवर ! भारतीय मौसमविज्ञानविभाग की स्थापना हुए लगभग 144 वर्ष हो गए तबसे मौसम संबंधी अनुसंधानों आदि पर देशवासियों की भारीभरकरम धनराशि खर्च करने के बाद भी उन्हें कुछ मिल नहीं पाया है  यदि पिछले दश वर्षों की प्राकृतिक बड़ी घटनाएँ देखी जाएँ तो इसका अनुमान आसानी से लगाया  जा  सकता है | दो चार घटनाओं को छोड़कर बाक़ी अधिकाँश घटनाओं के विषय में कभी कोई पूर्वानुमान घोषित नहीं किया जा सका है और जो घोषित किए भी गए उनमें से अधिकाँश सही नहीं निकले हैं |
     जिस वायुप्रदूषण को कम करने के प्रयासों में प्रतिवर्ष सरकार भारी भरकम धनराशि यूँ  ही खर्च कर देती है उस वायुप्रदूषण के बढ़ने का वास्तविक कारण अभी तक खोजा नहीं जा सका है |कारण को खोजे  बिना उसका निवारण संभव नहीं है | ऐसी परिस्थिति में उसे कम करने के लिए सरकार जितने भी प्रयास करती है उसका आधार और औचित्य समझ से परे है |
      ऐसी परिस्थिति में मौसम पूर्वानुमान के लिए सरकार के द्वारा अन्य विकल्पों पर भी बिचार किया जाना चाहिए | इस विषय में मैंने भारत के प्राचीन विज्ञान के आधार पर एक ऐसी वेदवैज्ञानिक प्रक्रिया का अनुसंधान किया है जो बहुत कम खर्चीली है एवं इसके आधार पर काफी पहले मौसम संबंधी पूर्वानुमान जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप लगाए जा सकते हैं | वो तथ्य आपके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए मैं आपसे मिलने का समय चाहता हूँ  | 


       
आदरणीय राष्ट्रपति  जी !
                  आपको सादर नमस्कार !

विषय : सरकार की मौसम संबंधी पूर्वानुमान प्रक्रिया के विषय में कुछ आवश्यक निवेदन करने हेतु !

  महोदय ,

      बनवासियों , गरीबों, ग्रामीणों, किसानों ,सैनिकों,खेलों, राजनैतिक दलों एवं आम लोगों के जीवन से जुड़े बहुत सारे आवश्यक कार्य मौसम के आधीन होते हैं |
     जुलाई अगस्त में बोई जाने वाली फसलों  के लिए किसानों को मार्च अप्रैल में ही कृषि योजना बनानी पड़ती है |वर्षाऋतु में संभावित वर्षा के अनुशार ही उन्हें वर्ष भर के लिए आनाज एवं पशुओं के लिए भूसा आदि का संग्रह करना पड़ता है | सही मौसम पूर्वानुमान पता न लग पाने से उनकी वर्ष भर की  कृषि योजना बिगड़ जाती है | 
      इसी प्रकार सैनिकों को सीमा पर अत्यंत दुर्गम क्षेत्रों में अत्यंत कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए अपने दायित्व का निर्वहन करना पड़ता है |उसी अवस्था में तरह तरह की प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है ऐसी परिस्थिति में यदि उन्हें पहले से मौसम संबंधी पूर्वानुमान पता हों तो वे उन परिस्थितियों में भी अपने जीवन को यथा संभव व्यवस्थित कर सकते हैं अन्यथा उनकी कठिनाइयाँ और अधिक बढ़ जाती हैं |
     खेलों के आयोजन या राजनैतिक दलों के द्वारा आयोजित किए जाने वाले सभा सम्मलेन आदि हों या खुले मैदान में सरकारी बड़े कार्यक्रमों का आयोजन या फिर आम लोगों के यहाँ होने वाले विवाह आदि कार्यक्रम बहुत पहले से निश्चित करने होते हैं |उतने पहले का मौसम पूर्वानुमान पता लगाने के लिए अभी तक कोई प्रक्रिया विकसित नहीं की जा सकी है इसलिए ये जिस किसी भी दिन आयोजित कर दिए जाते हैं उस दिन यदि आँधी तूफ़ान या भीषण वर्षा जैसी घटनाएँ घटित होने लग जाती हैं | तो उस कार्यक्रम के आयोजन में लगी भारी भरकम धनराशि निरर्थक चली जाती है |
        28 जून 2015 को प्रधानमंत्री जी का बनारस में बड़ा कार्यक्रम आयोजित किया गया था किंतु अत्यंत अधिक वर्षा के कारण उसे कैंसिल करना पड़ा, उसी कार्यक्रम को दूसरी बार 16 जुलाई 2015 को और अधिक व्यवस्था करके आयोजित किया गया वह भी अधिक वर्षा के कारण कैंसिल करना पड़ा था | 
      श्रीमान जी !ऐसी परिस्थिति में एक ओर तो सरकारी कार्यक्रमों के आयोजन में देशवासियों के टैक्स से प्राप्त धन खर्च हो रहा होता है तो दूसरी ओर मौसम विभाग के संचालन में उनके अधिकारियों कर्मचारियों की सैलरी आदि समस्त सुख सुविधाओं में उनके द्वारा किए जाने वाले मौसमी अनुसंधानों में जनता का जो धन खर्च हो रहा होता है इस धन के बदले में जनता को कुछ मिल नहीं पाता है | 
     मान्यवर ! भारतीय मौसमविज्ञानविभाग की स्थापना हुए लगभग 144 वर्ष हो गए तबसे मौसम संबंधी अनुसंधानों आदि पर देशवासियों की भारीभरकरम धनराशि खर्च करने के बाद भी उन्हें कुछ मिल नहीं पाया है  यदि पिछले दश वर्षों की प्राकृतिक बड़ी घटनाएँ देखी जाएँ तो इसका अनुमान आसानी से लगाया  जा  सकता है | दो चार घटनाओं को छोड़कर बाक़ी अधिकाँश घटनाओं के विषय में कभी कोई पूर्वानुमान घोषित नहीं किया जा सका है और जो घोषित किए भी गए उनमें से अधिकाँश सही नहीं निकले हैं |
     जिस वायुप्रदूषण को कम करने के प्रयासों में प्रतिवर्ष सरकार भारी भरकम धनराशि यूँ  ही खर्च कर देती है उस वायुप्रदूषण के बढ़ने का वास्तविक कारण अभी तक खोजा नहीं जा सका है |कारण को खोजे  बिना उसका निवारण संभव नहीं है | ऐसी परिस्थिति में उसे कम करने के लिए सरकार जितने भी प्रयास करती है उसका आधार और औचित्य समझ से परे है |
       ऐसी परिस्थिति में मौसम पूर्वानुमान के लिए सरकार के द्वारा अन्य विकल्पों पर भी बिचार किया जाना चाहिए | इस विषय में मैंने भारत के प्राचीन विज्ञान के आधार पर एक ऐसी वेदवैज्ञानिक प्रक्रिया का अनुसंधान किया है जो बहुत कम खर्चीली है एवं इसके आधार पर काफी पहले मौसम संबंधी पूर्वानुमान जनता की आवश्यकताओं के अनुरूप लगाए जा सकते हैं | वो तथ्य आपके समक्ष प्रस्तुत करने के लिए मैं आपसे मिलने का समय चाहता हूँ  | 


निकट समय में घटित हुई ऐसी ही कुछ प्राकृतिक घटनाएँ -
       ये भूकंप जैसी उस प्रकार की घटनाएँ नहीं हैं जिनके विषय में विश्व वैज्ञानिकों ने पहले से कह रखा है कि हम पूर्वानुमान लगाने में असमर्थ हैं अपितु ये उस प्रकार की वर्षा आँधी तूफ़ान आदि से संबंधित घटनाएँ हैं जिनके विषय में पूर्वानुमान लगा लेने का दावा किया जाता है फिर भी इनके विषय में पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सका !यदि इनके विषय में कोई विज्ञान विकसित किया जा सका होता तो संभवतः ऐसा नहीं होता !आप स्वयं देखिए -

  1. केदारनाथ जी में  16 जून 2013 में केदारनाथ जी में भीषण वर्षा का सैलाव आया हजारों लोग मारे गए  किंतु इसका पूर्वानुमान पहले से बताया गया होता तो जनधन की हानि को कम किया जा सकता था किंतु ऐसा नहीं हो सका ! 
  2. 21अप्रैल 2015 की रात्रि में बिहार में काफी बड़ा तूफ़ान आया था जिससे भारत के बिहार आदि प्रांतों में जन धन की बहुत हानि हुई थी जिसके विषय में कोई भविष्यवाणी नहीं की गई थी ! 
  3.  बनारस में 28 जून 2015 को एवं 16 जुलाई 2015 को भीषण बारिश हुई जिसके कारण बनारस में संभावित तत्कालीन प्रधानमंत्री जी की सभाएँ लगातार दो करनी थीं किंतु वर्षा अधिक होने के कारण दोनों सभाएँ रद्द कर देनी पड़ी थीं जिसके विषय में पहले कोई पूर्वानुमान नहीं बताया जा सका था |
  4. सन2015 के नवंबर महीने में मद्रास में कई दिनों तक लगातार भीषण बारिश हुई थी जिसके कारण मद्रास में भीषण बाढ़ से त्राहि त्राहि मची हुई थी किंतु इसका भी पूर्वानुमान नहीं बताया जा सका था !
  5.  सन 2016 के अप्रैल मई आदि में भारत में अधिक गर्मी पड़ने की घटना घटित हुई थी  नदी कुएँ तालाब आदि तेजी से सूखते चले जा रहे थे ट्रैन से कुछ स्थानों पर पानी भेजा गया था |इसी समय में  आग लगने की घटनाएँ बहुत अधिक संख्या में घटित हुई थीं इसलिए विहार सरकार की ओर से दिन में हवन  न करने एवं चूल्हा न जलाने की सलाह दी गई थी ,किंतु समाज यदि जानना चाहे कि ऐसा इस वर्ष हुआ क्यों?इसका कारण क्या था तथा ऐसा कब तक होता रहेगा ? इनविषयों में कभी कुछ भी नहीं बताया जा सका था | 
  6.  2 मई 2018 को पूर्वी भारत में भीषण आँधी तूफान आया उसके बाद भी उसी मई में कुछ बड़े आँधी तूफ़ान और भी आए जिनमें बड़ी संख्या में जनधन की हानि हुई किंतु उसके विषय में कभी कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकी थी | 
  7.   7 और 8 मई 2018 को बड़े आँधी तूफ़ान आने की भविष्यवाणी की भी गई थी  जिस कारण दिल्ली और उसके आसपास के स्कूल कालेज बंद करा दिए गए थे किंतु उस दिन कोई तूफ़ान क्या आँधी भी नहीं आई  ऐसा कई बार हुआ क्यों ? 
  8. केरल की भीषण बाढ़ - 7 से 15 अगस्त 2018 तक  केरल में भीषण बरसात हुई जिससे केरल वासियों को भारी नुक्सान उठाना पड़ा था जबकि 3 अगस्त 2018 को सरकारी मौसम विभाग के द्वारा अगस्त सितंबर में सामान्य बारिश होने की भविष्यवाणी की गई थी जो गलत साबित हुई |बाद में भी इसके विषय में कोई स्पष्ट पूर्वानुमान नहीं दिया जा सका था ऐसा वहाँ के मुख्यमंत्री ने भी अपने वक्तव्य में स्वीकार किया था |  
  9.  17 अप्रैल 2019 को मध्यभारत में अचानक भीषण बारिश आँधी तूफ़ान आदि आया बिजली गिरने की घटनाएँ हुईं जिसमें लाखों बोरी गेहूँ भीग गया और लाखों एकड़ में खड़ी हुई तैयार फसल बर्बाद हो गई !इस घटना के विषय में भी पहले कभी कोई पूर्वानुमान नहीं बताया जा सका था ! 
  10. सितंबर 2019 के अंतिम सप्ताह में बिहार में भीषण बारिश और बाढ़ की घटना घटित हुई जिसके विषय में कोई स्पष्ट पूर्वानुमान नहीं दिया गया था ऐसा वहाँ के मुख्यमंत्री ने भी अपने वक्तव्य में स्वीकार किया है | इस भीषण बारिस का पूर्वानुमान एवं ऐसा होने का विश्वसनीय कारण मौसम विभाग के द्वारा न बता पाने एवं ढुलमुल भविष्यवाणियों से निराश मुख्यमंत्री एवं केंद्र के एक राज्यमंत्री ने ऐसी भीषण बारिश होने का कारण  हथिया नक्षत्र को बताया था !

       ऐसी और भी कुछ बड़ी प्राकृतिक घटनाएँ घटित हुई हैं जिनके विषय में पूर्वानुमान बताया नहीं जा सका है |उनमें भी जनधन की हानि हुई है उनके विषय में यदि पूर्वानुमान पता होते तो उनके द्वारा हुई जन धन संबंधी हानि की मात्रा को कुछ कम किया जा सकता था | 
     मानसून आने जाने की तारीखें एक आध बार छोड़कर कभी सच नहीं हुईं अब कहा जा रहा है मौसम चक्र बदल गया है इसलिए मानसून आने जाने की तारीखों में बदलाव किया जाएगा | ऐसा ही सभी जगह किया जाता है | 



    बीते 144 वर्षों में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की आज तक की वैज्ञानिक उपलब्धियाँ ! 

   

 वर्षा के विषय में -

  मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा लगाया गया वर्षा संबंधी ऐसा पूर्वानुमान गलत हो जाए या ऐसी घटना जिसका पूर्वानुमान लगाया ही न जा सका हो  तो इसके लिए मौसम विज्ञान एवं मौसम वैज्ञानिकों की कोई जिम्मेदारी नहीं मानी जाती है अपितु इसके लिए 'जलवायुपरिवर्तन' को जिम्मेदार बता दिया जाता है  

  उदाहरण : केरल में आई बाढ़ की बड़ी वजह था जलवायु परिवर्तन : मौसम विभाग के डीजी ने NDTV से कहा see more... https://khabar.ndtv.com/news/india/met-dg-interview-on-kerala-floods-1952552

 चक्रवात और आँधी तूफ़ान के विषय में -

  मौसम वैज्ञानिकों के द्वारा लगाया गया वर्षा संबंधी ऐसा पूर्वानुमान गलत हो जाए या ऐसी घटना जिसका पूर्वानुमान लगाया ही न लगाया जा सका हो  तो इसके लिए मौसमविज्ञान एवं मौसम वैज्ञानिकों की कोई जिम्मेदारी नहीं मानी जाती है अपितु इसके लिए 'जलवायुपरिवर्तन' को जिम्मेदार बता दिया जाता है  

  उदाहरण:चुपके चुपके से आकर नींद उड़ा रहे हैं चक्रवात !see .... 



  वायुप्रदूषण बढ़ने के विषय में -  
दिल्ली में वायुप्रदूषण की असली वजह क्‍या? किसी को नहीं पता ! 
 


     मौसम का पूर्वानुमान लगाना संभव नहीं :
see more...
https://epaper.livehindustan.com/imageview_484316_46643970_4_1_06-01-2020_8_i_1_sf.html

   मौसम विभाग ने माना, मौसम की चरम गतिविधियों का सटीक पूर्वानुमान मुमकिन नहीं see more... https://navbharattimes.indiatimes.com/india/meteorological-department-did-not-accept-accurate-forecast-of-extreme-weather-activities/articleshow/73108146.cms

      दूसरी ओर वेदविज्ञान के द्वारा ऐसा किया जाना संभव है - https://epaper.jansatta.com/2508300/Jansatta/13-January-2020?fbclid=IwAR3uHqAiU1rYP81z6DSWs5lX0LA_IN0f_roA_w7cLsBOLygazUnJsErPkaI#page/7/2

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