आदरणीय श्रीमान मंत्री जी !
सादर नमस्कार
बिषय : महामारी से संबंधित अनुसंधान के बिषय में सहयोग हेतु !
मान्यवर,
महामारियों के समय होने वाले रोगों के बिषय में चरकसंहिता के
जनपदोध्वंस अध्याय में भगवान पुनर्वसु आत्रेय ने अपने शिष्य अग्निवेश को
उपदेश करते हुए कहा है कि सर्वप्रथम महामारी का पूर्वानुमान लगाया जाना
चाहिए !उसके आधार पर महामारी प्रारंभ होने से पूर्व ही महामारी से मुक्ति
दिलाने वाली बनौषधियों का संग्रह करके औषधिनिर्माण करना चाहिए | महामारीकाल
में होने वाले रोगों से मुक्ति दिलाने में केवल वही औषधियाँ सक्षम होती
हैं |
भगवान पुनर्वसु आत्रेय ने खगोलीय परिवर्तनों के कारण महामारियों का होना बतलाया है इसलिए खगोलीय परिवर्तनों का अनुसंधान करके ही महामारियों का पूर्वानुमान लगाने का उपदेश किया गया है क्योंकि खगोलीय परिवर्तनों से मानव जीवन प्रभावित होता है |
ऐसी परिस्थिति में मैं पिछले 25 वर्षों से रोगों या महारोगों(महामारियों) में खगोलीय परिवर्तनों के प्रभाव को बिषय बनाकर अनुसंधान करता आ रहा हूँ !इस बिषय में आज तक के अनुसंधान अनुभव के आधार पर यह कहा जा सकता है कि इससे महामारियों को समझने में महत्त्वपूर्ण सफलता मिली है | मुझे विश्वास है कि इसके आधार पर महामारियों से संबंधित अनुसंधान के बिषय में भविष्य में भी बहुत मदद मिल सकती है |
इसी अनुसंधान के आधार पर कोरोनामहामारी के बिषय में मेरे द्वारा काफी कुछ जानकारी प्रारंभिक काल में ही पता लगा ली गई थी संक्रमण बढ़ने एवं घटने के बिषय में पूर्वानुमान लगा लिया गया था |महामारी का विस्तार क्षेत्र एवं प्रसार माध्यम खोज लिया गया था | महामारी की उत्पत्ति का आधार खोज लिया था तथा प्रतिरोधक क्षमता के द्वारा महामारी को जीतने के बिषय में भी जानकारी प्राप्त कर ली गई थी | कोरोना के स्वरूप बदलने एवं इसकी औषधि निर्माण न हो पाने के बिषय में भी मार्च 2020 में ही न केवल खोज लिया था अपितु पीएमओ की मेल के माध्यम से माननीय प्रधानमंत्री जी के पास 19 मार्च 2020 को पत्र भी भेज दिया था !जो अभी भी प्रमाण रूप में देखे जाने योग्य है |
कोरोनासंक्रमण के दूसरे चरण के बिषय में 8 अगस्त से 24 सितंबर तक कोरोना संक्रमण क्रमशः बढ़ने एवं 25 सितंबर से 16 नवंबर 2020 तक क्रमशः घटने तथा 16 नवंबर 2020 से कोरोना संक्रमण हमेंशा हमेंशा के लिए समाप्त होने के बिषय में खगोल विज्ञान के आधार पर पूर्वानुमान लगाकर 16 जून 2020 को ही माननीय प्रधानमंत्री जी के मेल पर मैंने भेज दिया था वह भी प्रमाण रूप में अभी भी विद्यमान है |
श्रीमान जी !इसके आधार पर लगाए गए पूर्वानुमान तो सफल हुए ही हैं इसके साथ ही महामारी को समझने में भी सुविधा हुई है | चरक संहिता सुश्रुत संहिता आदि में वर्णित निदान एवं चिकित्सा में खगोलीय परिवर्तनों के प्रभाव पर आगे भी मैं अनुसंधान चलाना चाहता हूँ संसाधनों के अभाव में कठिनाई हो रही है | इस अनुसंधान को और आगे बढ़ाने के लिए मैं आपसे मदद की अपेक्षा करता हूँ | मुझे विश्वास है कि यह अनुसंधान भविष्य में मानवता के लिए अत्यंत हितकारी होगा |
निवेदक
डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
sushil.rg@nic.in
singh.kk@nic.in
secy-ayush@nic.in
secy-ayush@nic.in
as-ayush@gov.in
roshan.jaggi@gov.in
jspnrk-ayush@gov.in
manoj.nesari@nic.in
dckatoch@rediffmail.com
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