प्रधानमंत्री जी
महोदय,
वैज्ञानिकों के द्वारा कोरोना महामारी पैदा होने एवं उसकी लहरों के आने और जाने के लिए तापमान घटने को जिम्मेदार बताया जाता रहा है | वायुप्रदूषण बढ़ने को जिम्मेदार बताया जाता रहा है | कुछ वैज्ञानिकों के द्वारा वर्षा होने को भी महामारी पैदा होने एवं उसकी लहरों के आने के लिए जिम्मेदार बताया जाता रहा है | इसलिए सरकार के द्वारा महामारी संबंधी अनुसंधानों को करने की प्रक्रिया में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की भी मदद ली जा रही है | इसके लिए सही मौसम पूर्वानुमानों की आवश्यकता है |
1. मौसमवैज्ञानिकों के द्वारा मानसून आने और जाने के लिए लगाए गए पूर्वानुमान कितने प्रतिशत सच निकलते हैं ?
2. मौसमवैज्ञानिकों के द्वारा लगाए गए वर्षा संबंधी दीर्घावधि या मध्यावधि पूर्वानुमान कितने प्रतिशत सच निकलते हैं ?
3. तापमान अधिक बढ़ने और घटने के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान कितने प्रतिशत सच निकलते हैं ?
4. वायु प्रदूषण बढ़ने के विषय में लगाए गए पूर्वानुमान कितने प्रतिशत तक सच निकलते हैं |
आयुष मंत्रालय
महोदय,
आयुर्वेद की चरक संहिता के जनपदोध्वंस अध्याय में महामारी का पूर्वानुमान लगाने की जो विधि बताई गई है |सरकार आयुर्वेद संबंधित ऐसे विषयों में निरंतर अनुसंधान करवाया ही करती है |ऐसे विषयों पर भी अनुसंधान करवाया गया होगा | उसी विषय में कुछ आवश्यक जानकारी उपलब्ध करवाने हेतु विनम्र निवेदन !
1. चरकसंहिता में वर्णित ज्योतिषीयविधि के आधार पर महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए आयुर्वैदिक पाठ्यक्रम में क्या व्यवस्था की गई है | ?
2.महामारी या उसकी लहरों के आने के विषय में कब क्या पूर्वानुमान लगाए गए ?
3. महामारी से बचाव या संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए आयुर्वेद की क्या भूमिका रही ?
4. आयुर्वेद में कोरोना महामारी आने के विषय में सरकार को कब और कैसे पता लगा ?
स्वास्थ्य मंत्रालय
महोदय,
1. महामारी या उसकी लहरों के विषय में कब क्या पूर्वानुमान लगाए ?
2. कोरोना महामारी आने के विषय में सरकार को कब और कैसे पता लगा ?
3.महामारी के विषय में वैज्ञानिकलोग किस विज्ञान के आधार पर पूर्वानुमान लगाते थे ?
4. महामारी से बचाव करने में कोविड नियमों के पालन से क्या मदद मिली ?
5. महामारी का आना और जाना प्राकृतिक है या मनुष्यकृत ?सरकार का निश्चित मत क्या है ?
शिक्षामंत्रालय
महोदय
सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों के पाठ्यक्रम में ज्योतिषशास्त्र को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है |इसमें वृहत्संहिता जैसे वे ग्रंथ भी विषय के रूप में पढ़ाए जाते हैं | जिनमें मौसम एवं महामारी जैसी घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने की विधि बताई गई है | ज्योतिषशास्त्र के जो रीडर प्रोफेसर मौसम एवं महामारी के विषय में पूर्वानुमान लगाने की विधि विद्यार्थियों को पढ़ा लेते हैं |वे ऐसी घटनाओं के विषय में स्वयं भी तो पूर्वानुमान लगा लेते होंगे | उसी विषय में कुछ आवश्यक जानकारी लेने हेतु !
1.ज्योतिष शिक्षकों के द्वारा वर्षा बाढ़ आँधी तूफानों के विषय में अभीतक लगाए गए पूर्वानुमान मुझे उपलब्ध करवाइए !
2. कोरोना महामारी या उसकी लहरों के आने जाने के विषय में ज्योतिष शिक्षकों के द्वारा जब जो पूर्वानुमान लगाए गए हों उन्हें मुझे उपलब्ध करवाइए |
3. महामारी मनुष्यकृत थी या प्राकृतिक इस विषय में वैदिक विधि से किए गए अनुसंधानों से प्राप्त जानकारी मुझे उपलब्ध करवाई जाए !
3. भूकंप संबंधी घटनाओं के विषय में अभी तक जो शोध किए गए हों वह जानकारी उपलब्ध करवाई जाए !
शिक्षामंत्रालय
महोदय
आगम ग्रंथों में या वैदिक
कर्मकांड में वर्णित है कि यज्ञों के द्वारा प्राकृतिक आपदाओं एवं
महामारियों के वेग को यज्ञों के द्वारा कम किया जा सकता है | प्राचीनकाल में ऐसे यज्ञप्रयोगों के द्वारा जनधन की सुरक्षा की जाती रही है | उन्हीं विषयों को उसी भावना से सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों में पाठ्यक्रम के रूप में पढ़वाया जा रहा है| उसी से संबंधित जानकारी उपलब्ध करवाने हेतु !
1. प्राकृतिक आपदाओं से जनधन की सुरक्षा करने के लिए वेदों के विद्वान रीडरों प्रोफेसरों से उस प्रकार के प्रयोग न करवाने का कारण क्या है ?उसे बताने का कष्ट करें ?
2. कोरोना महामारी से पीड़ित समाज की सुरक्षा के लिए सरकार ने ऐसा कोई यज्ञ प्रयोग करवाया था क्या ?वह जानकारी उपलब्ध करवाई जाए |
3.वेदों के विद्वान रीडरों प्रोफेसरों ने ऐसे किसी वैदिक प्रयोग के द्वारा जनधन की सुरक्षा करने में सफलता पाई हो | वह जानकारी मुझे उपलब्ध करवाई जाए ?
4 . आगमविभाग के विद्वानों ने अपने मंत्र प्रयोगों के द्वारा कोरोना महामारी से जनधन सुरक्षा करने में कोई सफलता पाई हो !उस जानकारी को मुझे उपलब्ध करवाया जाए !
प्रधानमंत्री जी !
चिकित्सा की शिक्षा जो विश्व विद्यालयों में दी जाती है |उसके अतिरिक्त चिकित्सा करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाती है | ऐसे ही ज्योतिष तंत्रमंत्र वेद आदि जब सरकारी संस्कृत विश्व विद्यालयों के ज्योतिष विभाग,आगमविभाग एवं वेदविभाग में पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाए जाते हैं | परीक्षाएँ होती हैं डिग्रियाँ दी जाती हैं | उनके अतिरिक्त ऐसे विषयों को बिना पढ़े भी बहुत लोग ऐसे विषयों में समाज की आस्था के साथ खिलवाड़ किया करते हैं |ऐसे लोग किसी के मन की बातें बताने के लिए भविष्य की जानकारी देने के लिए पर्ची निकालते हैं | किसी के बड़े बड़े असाध्य रोगों को ठीक करने का दावा करते हैं | इसीलिए उनके पास भीड़ लगती है | उन दावों का परीक्षण करके यदि गलत हों तो उन पर प्रतिबंध लगाया जाए और यदि सही हों तो प्राकृतिक आपदाओं एवं महामारियों से जनधन की सुरक्षा करने के लिए उनकी योग्यता का उपयोग किया जाए !उसीविषय में कुछ आवश्यक जानकारी लेने हेतु !
1. कोरोना जैसी इतनी बड़ी महामारी के विषय में ऐसे लोगों ने सरकार को क्या कभी पूर्वानुमान उपलब्ध करवाए या सरकार ने उनसे ऐसी कोई जानकारी माँगी क्या ?इस विषय में मुझे जानकारी उपलब्ध करवाई जाए !
2.बड़े बड़े असाध्य रोगों को ठीक करने के दावे करने वाले लोगों ने महामारी संक्रमितों को स्वस्थ करने के लिए सरकार का कोई सहयोग किया क्या या सरकार ने इनसे कोई मदद माँगी क्या ?
3. सरकार यदि ऐसे दावे करने वालों पर विश्वास करती है तो उनका जनहित में उपयोग क्यों नहीं किया जाता है | यदि इन पर भरोसा नहीं करती है तो उसका कारण क्या है ?
4. शास्त्रीय ज्ञान विज्ञान को विज्ञान की श्रेणी में न रखने का कारण क्या है ?
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