अरविन्द अरविन्द जी ! जनता जानना चाहती है कि दूसरी पार्टियों और नेताओं का पोल खोलने के लिए बात बात में पोथी पत्रा लेकर मीडिया के सामने पोल खोलने के लिए बैठ जाने वाले आप आज मौन क्यों हैं आखिर इतना बीमार तो नहीं ही माना जा सकता कि आप बोल नहीं सकते !आखिर ऐसा क्या हुआ है कि आपने जनता के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट करना भी जरूरी नहीं समझा है। क्या जनता को इतना जानने का हक़ भी नहीं है कि आप बीमार होने के कारण मौन हैं या कोई व्रत चल रहा है या किसी समय की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि जब ऐसा होगा तब बोलेंगे या जाने अनजाने में पार्टी से कोई गलती हो गई है जिसे न कहा जा पा रहा हो और न सहा जा रहा हो ! पार्टी में मची ये भगदड़ उसी की सड़ांध का प्रतीक तो नहीं है आखिर कारण क्या है ?
अरविन्द जी !जिस दिल्ली की जनता ने तुम्हें इतना दुलार दिया है कि जो दिल्ली के चुनावी इतिहास में किसी दूसरे पार्टी और नेता को नहीं मिला है जनता ने बीसों बर्ष पुरानी पार्टियों एवं उनके अनुभवी और चिर परिचित नेताओं के विश्वास को दरकिनार करते हुए अरविंद तुम्हारी सरलता सहजता ईमानदारी विनम्रता एवं भाषाई शालीनता पर अपने को न्योछावर कर दिया है !समाज जिस समय सरकार एवं सरकारी कर्मचारियों के भ्रष्टाचारों से रौंदा जा रहा है जब बड़े बड़े पढ़े लिखे लोगों का जीवन केवल अनपढ़ नेताओं मंत्रियों की चाटुकारिता के लिए जाना जाने लगा था उस समय शिक्षित और सामान्य समाज की आशा की किरण बनकर अरविन्द तुम प्रकट हुए जिन्हें देखकर शिक्षित समाज को आशा बँधी कि मैं भी कुछ कर सकता हूँ इसलिए अरविंद जी शिक्षित और लेखक होने के नाते मैं निजी तौर पर आपसे आशान्वित हूँ कि आप अपने उद्देश्यों में सफल हों और यदि आप असफल हुए तो हमारे जैसे हजारों हृदय यह सोचकर हताश हो जाएँगे कि जो सपना आपने दिखाया था वो टूट गया !इसलिए अरविन्द जी !तुम कुछ कर पाओ या न कर पाओ वो आपकी परिस्थितियाँ हो सकती हैं जिन्हें जनता सह जाएगी किंतु जनता के सामने आकर अपनी बात तो बताओ !जनता आज भी आपके साथ है । आखिर मीडिया में ख़बरें आ रही हैं कि मीटिंग में तुम रोने लगे थे गिर पड़े थे आशुतोष और अंजली दमानियाँ जैसे लोगों ने आपको सँभाला था !इतनी बड़ी बड़ी बातें हो गईं दिल्ली की जनता को कुछ पता ही नहीं लगा !जरा जरा सी बात जनता के सामने बताने वाले तुम इतनी बड़ी बात छिपा गए रामलीला मैदान से आंदोलन के समय कपिल सिब्बल से बात करने आप लोग गए थे वहाँ जिस उपेक्षात्मक ढंग से आप से व्यवहार किया गया था वो बिना संकोच के आपने मंच से जनता के सामने बताया था किंतु …!और जनता ने आप लोगों के अपमान को अपना अपमान समझा था इसीलिए न केवल आपका साथ दिया अपितु उन अहंकार मूर्च्छित लोगों से बदला भी ले लिया । अरविन्द जी !आप दिल्ली की सरकार छोड़कर गए थे जनता के मन में आक्रोश था किंतु आपने जनता से माफी माँगी जनता ने आपको न केवल माफ किया और न ही केवल गले लगाया अपितु गोद उठा लिया तुम्हें !कितना दुलार दिया है तुम्हें दिल्ली वालों ने !इतना बड़ा विश्वास जीत पाना अरविन्द !एक जन्म के पुण्यों का प्रभाव नहीं है इसलिए वह आपके लिए विश्वास सबसे अधिक मूल्यवान होना चाहिए !
अतएव आपसे से एक ही निवेदन है कि आप मीडिया में आकर अपने मुख से बोलिए कि आपकी मजबूरी आखिर क्या है क्यों पार्टी में नित नूतन विवाद जन्म ले रहे हैं !आप कोशिश कीजिए ताकि पार्टी की निर्विवादिता बचाई जा सके अन्यथा बहुत देर हो चुकी होगी !
भवदीय -
डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
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