हमारी छत खाली हो जाएगी ,शर्दियों में धूप मिलेगी गर्मियों में खुली हवा
में बैठ सकेंगे रेडिएशन का भय नहीं रहे साथ ही अपरिचित लोगों का बिल्डिंग
में घुसना बंद हो जाएगा !आज की ये स्थिति है कोई कितना भी
पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर में k-71 दुग्गल बिल्डिंग नाम से एक चार मंजिला बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट हैं बिल्डर सारे फ्लैट बेचकर चला गया था ! सामूहिक छत होने के कारण शर्दी में धूप सेकते एवं गर्मियों में बिजली चले जाने पर लोग खुली हवा में छत पर लेट जाया करते थे !
कुछ वर्ष बाद बिल्डिंग में रहने वालों की जानकारी के बिना बिल्डर से किसी ने आधी छत खरीद ली और उस पर बिल्डिंग में रहने वालों से बिना कोई सलाह मशविरा किए बिना ही एक मोबाईल टावर लगवा दिया जिसका किराया वो लेता है जबकि वो बिल्डिंग में रहता भी नहीं है और न ही बिल्डिंग में उसका कोई फ्लैट ही है । शुरू में कहा गया था कि बिल्डिंग के मेंटिनेंस के रूप में 4000 रूपए महीने एवं एक गार्ड देख रेख के लिए बिल्डिंग वालों को दिया जाएगा उस हिसाब से अब तक लाखों में बनते हैं किंतु न तो कुछ दिया गया और न ही कोई गार्ड आया !
रेडिएशन का खतरा है या नहीं सुना है कि इस पर रिसर्च चल रही है किंतु यदि बाद में पता लगा कि रेडिएशन का खतरा है तो ये खतरा बिल्डिंग में रहने वाले लोग अभी तक क्यों भोगते आ रहे हैं जबकि उनका उस टावर से कोई लेना देना नहीं है किराया वो ले रहा है और खतरा बिल्डिंग वाले उठा रहे हैं ।इसका जवाब देने के लिए कोई अधिकारी तैयार नहीं है ।
दूसरी बात टावर में अक्सर कुछ न कुछ ठीक करने के बहाने अपरिचित लोग बिल्डिंग में बिना पूछे बताए घुसते रहते हैं अगर वो कभी कोई बारूद रख कर भी चले जाएँ तो पता तभी चलेगा जब विस्फोट होगा । लापरवाही सरकार की भोग रहे हैं बिल्डिंग वाले ! इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है ?
बिल्डिंग वालों ने अपरिचित देखकर कई बार एतराज किया तो वो लड़के लड़ने लगे तब पुलिस बोलाई गई किंतु पुलिस को उन लोगों ने प्रसन्न कर लिया और दसपाँच लोग लेकर बिल्डिंग में रहने वालों को वो लोग धमका गए खबरदार जो अबकी शिकायत की आदि आदि और भी बड़ी बड़ी धमकियाँ !तब से बिल्डिंग वाले बेचारे पूरी तरह शांत हो गए हैं अब कोई कुछ भी करे उनकी बला से !किंतु बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए क्या ये सही है !
दिल्ली प्रशासन की ये लापरवाही देखकर पीड़ित सक्षम लोग तो बिल्डिंग छोड़कर चले गए हैं कुछ किराए पर उठकर बाहर रहने को मजबूर हैं जबकि अक्षम लोग अभी भी यहीं रह रहे हैं कहाँ जाएँ वो ?अब तो कहीं कोई शिकायत करके भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं यहाँ तक कि आज उन पर क्या बीत रही है पूछने पर भी वो बताने में डरते हैं। उन्हें MCD या पुलिस आदि प्रशासन पर भरोसा तो अब बिलकुल नहीं रहा इसलिए सारी समस्याएँ सह रहे हैं बेचारे !
बिल्डिंग वालों की इसी कमजोरी का लाभ उठाने के लिए बिल्डिंग में सबसे ऊपर जिनका फ्लैट है वो अब अपने को ShO बताने लगे हैं अब उन्हें भी चाहिए धन ! उन्होंने टावर लगने से बची आधी छत पर भी लगभग पिछले एक वर्ष से किसी को टंकियाँ देखने जाने तक के लिए मना कर रखा है !दूसरी ओर छत पर कुछ जगह और खाली है उसके नीचे रहने वाले व्यक्ति अब अपने को वकील कहने लगे हैं उन्हें भी कुछ चाहिए अन्यथा उनके लिए टंकियाँ रखने की बात तो दूर छत पर से पानी का पाइप भी नहीं निकलने देते हैं लापरवाह अधिकारियों की कृपा से ये रौब है उनका !इस प्रकार से उन दोनों लोगों ने बिल्डिंग वालों का सामूहिक ताला बदल दिया है अब छत पर जाने के लिए लोग उन्हीं लोगों की कृपा पर आश्रित हैं , ताली उन्हीं लोगों के पास है !इतना डेंगू का शोर मचा रहा टंकियाँ साफ रखने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन दिखाई सुनाई पड़ते रहे किंतु उन लोगों ने साफ साफ कह दिया कि जिससे जिसको शिकायत करनी हो कर दे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता !आदि आदि !
पहले भी कुछ वर्षों से कभी टंकियाँ फाड़ दी जाती रही हैं कभी गोबर कुत्ते की बीट कूड़ा आदि डाल दिए जाते रहे हैं यहाँ तक कि एक बार तो मरी हुई बिल्ली जो पहले छत पर पड़ी हुई देखी गई थी वो उठाकर टंकी में डाल दी गई थी लोग उसी पानी से बर्तन धोते नहाते कुल्ला आदि करते रहे । जब बिल्ली बिलकुल गल गई तब बिल्डिंग वालों को पता लगा तब साफ कराई गईं टंकियाँ !
अब तो वो लोग यहाँ तक कहने लगे हैं कि छत हमने खरीद ली है और बिल्डिंग वालों को धमकाकर पानी बिलकुल बंद कर रखा है कई महीनों से ये यातनाएँ झेल रहे लोग आज भी उन लोगों के विरुद्ध मुख खोलने को तैयार नहीं हैं !
बिल्डिंग दिनोंदिन पुरानी होती जा रही है कभी कभी वेसमेंट में पानी भर जाता है लोग डरते हुए भी उसे इसलिए ठीक नहीं करवा रहे हैं कि बिल्डिंग का मेन्टीनेंश जो तय हुआ था वो या तो टावर वाले दें बिल्डिंग की रिपेयरिंग करवायी जाए अन्यथा टावर तुरंत हटाया जाए तो हम लोग खुद रिपेयरिंग करवा लेंगे !
अंधेर तो ये है कि अब तो सबसे नीचे की फ्लोर वाले भी वेसमेंट में ताला डालने की चर्चा करने लगे हैं वहाँ पीने के पानी की मोटरें लगी हैं जिनसे काम चल रहा है ! यहाँ एक दो लोग व्यापारिक कार्य कर रहे हैं उन्हें उतनी दिक्कत नहीं है !इसलिए वो क्यों बोलें ! कुल मिलाकर बिल्डिंग वालों को न तो कानून व्यवस्था का भय है और न ही कानून व्यवस्था पर भरोसा ही है इसलिए वो किसी एप्लीकेशन पर साइन तक करने से डरते हैं इतने डराए धमकाए जा चुके हैं ।
अब तो सरकार की ईमानदारी पर ही भरोसा है कि वो सक्षम अधिकारियों को भेजकर वस्तुस्थिति समझें और रहने वाले लोगों से उनकी परेशानियाँ पूछें छत खोलवावें टंकियों की स्थिति देखें स्वतः पता चल जाएगा लोगों की परेशानियों का ! लोगों से सच्चाई समझने के लिए उन्हें विश्वास में लेना होगा क्योंकि शासन प्रशासन से कई बार धोखा खा चुके हैं वो लोग ! इसलिए वो इतनी आसानी से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं ।
पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर में k-71 दुग्गल बिल्डिंग नाम से एक चार मंजिला बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट हैं बिल्डर सारे फ्लैट बेचकर चला गया था ! सामूहिक छत होने के कारण शर्दी में धूप सेकते एवं गर्मियों में बिजली चले जाने पर लोग खुली हवा में छत पर लेट जाया करते थे !
कुछ वर्ष बाद बिल्डिंग में रहने वालों की जानकारी के बिना बिल्डर से किसी ने आधी छत खरीद ली और उस पर बिल्डिंग में रहने वालों से बिना कोई सलाह मशविरा किए बिना ही एक मोबाईल टावर लगवा दिया जिसका किराया वो लेता है जबकि वो बिल्डिंग में रहता भी नहीं है और न ही बिल्डिंग में उसका कोई फ्लैट ही है । शुरू में कहा गया था कि बिल्डिंग के मेंटिनेंस के रूप में 4000 रूपए महीने एवं एक गार्ड देख रेख के लिए बिल्डिंग वालों को दिया जाएगा उस हिसाब से अब तक लाखों में बनते हैं किंतु न तो कुछ दिया गया और न ही कोई गार्ड आया !
रेडिएशन का खतरा है या नहीं सुना है कि इस पर रिसर्च चल रही है किंतु यदि बाद में पता लगा कि रेडिएशन का खतरा है तो ये खतरा बिल्डिंग में रहने वाले लोग अभी तक क्यों भोगते आ रहे हैं जबकि उनका उस टावर से कोई लेना देना नहीं है किराया वो ले रहा है और खतरा बिल्डिंग वाले उठा रहे हैं ।इसका जवाब देने के लिए कोई अधिकारी तैयार नहीं है ।
दूसरी बात टावर में अक्सर कुछ न कुछ ठीक करने के बहाने अपरिचित लोग बिल्डिंग में बिना पूछे बताए घुसते रहते हैं अगर वो कभी कोई बारूद रख कर भी चले जाएँ तो पता तभी चलेगा जब विस्फोट होगा । लापरवाही सरकार की भोग रहे हैं बिल्डिंग वाले ! इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है ?
बिल्डिंग वालों ने अपरिचित देखकर कई बार एतराज किया तो वो लड़के लड़ने लगे तब पुलिस बोलाई गई किंतु पुलिस को उन लोगों ने प्रसन्न कर लिया और दसपाँच लोग लेकर बिल्डिंग में रहने वालों को वो लोग धमका गए खबरदार जो अबकी शिकायत की आदि आदि और भी बड़ी बड़ी धमकियाँ !तब से बिल्डिंग वाले बेचारे पूरी तरह शांत हो गए हैं अब कोई कुछ भी करे उनकी बला से !किंतु बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए क्या ये सही है !
दिल्ली प्रशासन की ये लापरवाही देखकर पीड़ित सक्षम लोग तो बिल्डिंग छोड़कर चले गए हैं कुछ किराए पर उठकर बाहर रहने को मजबूर हैं जबकि अक्षम लोग अभी भी यहीं रह रहे हैं कहाँ जाएँ वो ?अब तो कहीं कोई शिकायत करके भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं यहाँ तक कि आज उन पर क्या बीत रही है पूछने पर भी वो बताने में डरते हैं। उन्हें MCD या पुलिस आदि प्रशासन पर भरोसा तो अब बिलकुल नहीं रहा इसलिए सारी समस्याएँ सह रहे हैं बेचारे !
बिल्डिंग वालों की इसी कमजोरी का लाभ उठाने के लिए बिल्डिंग में सबसे ऊपर जिनका फ्लैट है वो अब अपने को ShO बताने लगे हैं अब उन्हें भी चाहिए धन ! उन्होंने टावर लगने से बची आधी छत पर भी लगभग पिछले एक वर्ष से किसी को टंकियाँ देखने जाने तक के लिए मना कर रखा है !दूसरी ओर छत पर कुछ जगह और खाली है उसके नीचे रहने वाले व्यक्ति अब अपने को वकील कहने लगे हैं उन्हें भी कुछ चाहिए अन्यथा उनके लिए टंकियाँ रखने की बात तो दूर छत पर से पानी का पाइप भी नहीं निकलने देते हैं लापरवाह अधिकारियों की कृपा से ये रौब है उनका !इस प्रकार से उन दोनों लोगों ने बिल्डिंग वालों का सामूहिक ताला बदल दिया है अब छत पर जाने के लिए लोग उन्हीं लोगों की कृपा पर आश्रित हैं , ताली उन्हीं लोगों के पास है !इतना डेंगू का शोर मचा रहा टंकियाँ साफ रखने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन दिखाई सुनाई पड़ते रहे किंतु उन लोगों ने साफ साफ कह दिया कि जिससे जिसको शिकायत करनी हो कर दे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता !आदि आदि !
पहले भी कुछ वर्षों से कभी टंकियाँ फाड़ दी जाती रही हैं कभी गोबर कुत्ते की बीट कूड़ा आदि डाल दिए जाते रहे हैं यहाँ तक कि एक बार तो मरी हुई बिल्ली जो पहले छत पर पड़ी हुई देखी गई थी वो उठाकर टंकी में डाल दी गई थी लोग उसी पानी से बर्तन धोते नहाते कुल्ला आदि करते रहे । जब बिल्ली बिलकुल गल गई तब बिल्डिंग वालों को पता लगा तब साफ कराई गईं टंकियाँ !
अब तो वो लोग यहाँ तक कहने लगे हैं कि छत हमने खरीद ली है और बिल्डिंग वालों को धमकाकर पानी बिलकुल बंद कर रखा है कई महीनों से ये यातनाएँ झेल रहे लोग आज भी उन लोगों के विरुद्ध मुख खोलने को तैयार नहीं हैं !
बिल्डिंग दिनोंदिन पुरानी होती जा रही है कभी कभी वेसमेंट में पानी भर जाता है लोग डरते हुए भी उसे इसलिए ठीक नहीं करवा रहे हैं कि बिल्डिंग का मेन्टीनेंश जो तय हुआ था वो या तो टावर वाले दें बिल्डिंग की रिपेयरिंग करवायी जाए अन्यथा टावर तुरंत हटाया जाए तो हम लोग खुद रिपेयरिंग करवा लेंगे !
अंधेर तो ये है कि अब तो सबसे नीचे की फ्लोर वाले भी वेसमेंट में ताला डालने की चर्चा करने लगे हैं वहाँ पीने के पानी की मोटरें लगी हैं जिनसे काम चल रहा है ! यहाँ एक दो लोग व्यापारिक कार्य कर रहे हैं उन्हें उतनी दिक्कत नहीं है !इसलिए वो क्यों बोलें ! कुल मिलाकर बिल्डिंग वालों को न तो कानून व्यवस्था का भय है और न ही कानून व्यवस्था पर भरोसा ही है इसलिए वो किसी एप्लीकेशन पर साइन तक करने से डरते हैं इतने डराए धमकाए जा चुके हैं ।
अब तो सरकार की ईमानदारी पर ही भरोसा है कि वो सक्षम अधिकारियों को भेजकर वस्तुस्थिति समझें और रहने वाले लोगों से उनकी परेशानियाँ पूछें छत खोलवावें टंकियों की स्थिति देखें स्वतः पता चल जाएगा लोगों की परेशानियों का ! लोगों से सच्चाई समझने के लिए उन्हें विश्वास में लेना होगा क्योंकि शासन प्रशासन से कई बार धोखा खा चुके हैं वो लोग ! इसलिए वो इतनी आसानी से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं ।
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