आम आदमी पार्टी में हमदर्दी की होड़ !
आम आदमी पार्टी के साथ उसके अपने लोग ही हमदर्दी करने के बजाए दिखाने के लिए मारा मारी मचाए हुए हैं !इन नेताओं के बयानों में अपने त्याग और सेवा भाव के संकल्प की सुगंध ही मरती जा रही है इतना अहंकार और इतना असंतोष !
वस्तुतः'अ'अक्षर से प्रारंभ नाम वाले नेता पहले'अ'अक्षर से प्रारंभ नाम वाले अन्नाआंदोलन में सेट नहीं हो पाए और अब 'अ'अक्षर से प्रारंभ नाम वाली आम आदमी पार्टी में अपने को अपने हिसाब से एडजेस्ट नहीं कर पा रहे हैं किंतु कह भी नहीं पा रहे हैं और सह भी नहीं पा रहे हैं तो दूसरों तीसरों में दोष दिखाने की होड़ सी लगी हुई है मुझे डर है कि ये भावना अन्ना आंदोलन की तरह कहीं पार्टी को ही न ले बैठे !अन्यथा जनता ने बहुमत दे दिया है अब काम करो विवाद क्यों ?
'अरविंदकेजरीवाल, अन्नाहजारे,अग्निवेष और असीम त्रिवेदी !तब मात्र ये तीन 'अ' थे ।
अब आमआदमीपार्टी के 'अ' के लिए अरविंदकेजरीवाल स्वयं में एक समस्या और समाधान भी हैं किंतु आशुतोष ,अलकालांबा, आशीष खेतान,अंजलीदमानियाँ,आदर्शशास्त्री,असीमअहमद,अश्विनी, इसी प्रकार से अजेश,अवतार ,अजय,अखिलेश,अनिल,अमान उल्लाह खान आदि 'अ'
से प्रारम्भ नाम वाले लोग न जाने कब किस बात को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना
लें और कितने बड़े भाग को प्रभावित करके कितनी बड़ी समस्या तैयार कर दें कहना
कठिन होगा !इससे पार्टी तो प्रभावित होगी ही सरकार भी प्रभावित होगी
क्योंकि ये छोटी समस्या नहीं तैयार करेंगे !seemore... http://jyotishvigyananusandhan.blogspot.in/2015/02/blog-post_13.html
केजरीवाल की मुशीबत विरोधियों से नहीं अपितु कृत्रिम हमदर्दों से बढ़ रही हैं जिन्हें ये समझ में नहीं आ रहा है
कि पार्टी में होने वाले किसी भी प्रकार के विवाद का नुक्सान पार्टी को
होगा पार्टी की विश्वसनीयता को होगा और अरविंद जी की छवि को होगा। पिछले वार
सरकार छोड़कर भागने के आरोप लगे थे और प्रचारित किया गया था कि इन्हें
सरकार चलाने नहीं आता है इसलिए ये लोग स्वयं विवाद खड़े करते हैं कुछ लोगों का मानना है कि जैसे कुछ मछुआरे समुद्र में दस पाँच किलो मछली पकड़ने के लिए जाल फेकें किन्तु उसमें कोई दो सौ किलो की मछली फँस जाए तो न वो मछली घसीट पाते हैं न जाल निकाल पाते हैं और न जाल छोड़ कर आ पाते हैं तो निराश होकर वे आपस में लड़ने लगते हैं कि हमें यहाँ नहीं आना चाहिए था, जाल ऐसे नहीं फेंकना चाहिए था या हम लोगों को आज आना नहीं चाहिए था आदि आदि एक दूसरे की कमियाँ गिनाने लगते हैं किंतु जैसे उनके अनुमान गलत हैं वही स्थिति आज के आम आदमी पार्टी के विवादों की है !यदि योगेंद्र और प्रशांत जी ने कुछ ऐसा कह भी दिया था कि जिसके संकेत अरविन्द के पद के विरुद्ध जाते थे तो ये लोकतंत्र है आखिर अरविन्द को इस प्रकार की दैवी शक्तिपीठ
के रूप में प्रतिष्ठित करने की कोशिश क्यों की जा रही है जिसे सुझाव भी
नहीं दिए जा सकते हैं जिसकी आलोचना भी नहीं की जा सकती !खैर !कुल मिलाकर कुछ हमदर्दों के द्वारा अरविंद के परिश्रम पर पानी फेरने की चल रही तैयारियाँ घातक हैं जिन्हें अरविंद की सरलता के प्रति समर्पित उन लाखों लोगों की भावनाओं का स्मरण ही नहीं रहा जो अभी तक ठीक से सरकार गठन का जश्न भी नहीं मना पाए थे फिल हाल इस अनावश्यक विवाद को अभी टाला जा सकता था और टालने में ही भलाई है !अपनी अपनी महत्वाकाँक्षाओं की पूर्ति करने का ये सबसे भद्दा ढंग है जिसमें व्यक्ति विशेष को खुश करते दिखने के लिए ऐसे आत्मघाती बयान दिए जा रहे हों !see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/01/blog-post_13.html
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