Saturday, 15 August 2015

उमाभारती जी विवाहिता नहीं हैं किंतु महिला तो हैं ! 'श्रीमती' शब्द का प्रयोग महिलाओं को सम्मान देने के लिए किया जाता है |

किसी को सम्मान देने के लिए बनाए गए हैं'श्री' 'श्रीमान्' 'श्रीमती' 'श्रीमत्' आदि शब्द !
"श्रीमती उमाभारती'संबोधन पर गूंजा ठहाका,उमाभारती बोलीं-अध्यक्षजी मेरा विवाह नहीं हुआ है-see more....http://zeenews.india.com/hindi/india/uma-bharati-tells-lok-sabha-speaker-i-am-not-married-nor-going-to-marry/266835
      किंतु विवाह न होने से श्रीमती शब्द का क्या संबंध ?विवाहिता नहीं हैं किंतु महिला तो हैं ! 'श्रीमती' शब्द का प्रयोग महिलाओं को सम्मान देने के लिए किया जाता है। 
 जानिए   श्री 'श्रीमान्' 'श्रीमती' 'श्रीमत्' आदि शब्दों का प्रयोग किसके लिए किया जाता है !
देवी देवताओं आदि दिव्य शक्तियों के नाम के साथ श्री लगाते हैं क्योंकि इनका लिंग किसी को पता ही नहीं है कि ये स्त्री हैं या पुरुष इसीलिए इनके नाम के साथ केवल श्री लगाया जाता है। कुछ सिद्ध संत जो स्त्री पुरुष के भेद भाव से ऊपर उठ चुके हैं उनके नाम के साथ भी "श्रीश्री 108 या 1008 "आदि लिखने की परंपरा रही है । 
    इसी प्रकार से पुरुषों को सम्मान देने के लिए 'श्रीमान्' और महिलाओं को सम्मान देने के लिए 'श्रीमती' शब्द का प्रयोग किया जाता है और नपुंसक लिंग में सम्मान के लिए  'श्रीमत्' का प्रयोग किया जाता है जैसे -"श्रीमद् भागवत " या "श्रीमद् भगवद् गीता "आदि !
        बंधुओ !कुछ लोगों का अज्ञानवश  मानना है कि विवाहिता स्त्रियों के नाम के पहले ही 'श्रीमती' शब्द का प्रयोग किया जा सकता है यदि ऐसा होता तो श्री सीता जी, श्री पार्वती जी, श्री राधिका जी आदि शब्दों का प्रयोग क्यों किया जाता !तब तो इनके नाम के साथ "श्रीमती" शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए था किंतु ऐसा नहीं किया जाता है इसका सीधा सा मतलब है कि "श्रीमती"शब्द स्त्री पुरुष का भेद तो करता है किंतु विवाहिता अविवाहित से इसका कोई लेना देना है ही नहीं !
      वैसे "श्री" का अर्थ लक्ष्मी भी होता है किंतु यहाँ इस अर्थ में 'लक्ष्मी'शब्द से कोई लेना देना नहीं है । 
    आनंद रामायण में वर्णन मिलता है कि जब रामायण का बँटवारा तीनों लोकों के बीच हुआ था तो उसमें बचे हुए 'राम' शब्द को शिव जी ने अपने पास रख लिया था और सम्मान के लिए " श्री" शब्द को भगवान विष्णु ने ले लिया था " मानार्थे श्रीरिति विष्णुना धृतम् "आदि आदि ! 
   चूँकि उमा भारती जी भी अपने को महिला श्रेणी में ही रखती हैं वे अपने विषय में चर्चा करते समय 'मैं कहती हूँ '  'मैं काम करूँगी' आदि क्रियाओं का ही प्रयोग करती हैं चूँकि ये क्रियाएँ स्त्रीलिंग की ही हैं इसलिए उनके नाम के साथ सम्मान देने के लिए आदर सूचक शब्द भी 'श्रीमती' ही लगेगा न कि 'श्री' 'श्रीमान्' और 'श्रीमत्' आदि शब्दों का प्रयोग उनके लिए किया जाएगा !वैसे भी व्याकरण की दृष्टि में 'सुश्री' कोई शब्द ही नहीं है ।

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