Sunday, 16 August 2015

सपा तो 'वाद' भण्डार पार्टी है ये भाजपा के कलाम वाद को कैसे समझ सकेगी !

 "स्वतंत्रता दिवस पर मुलायम का पीएम मोदी पर हमला, कहा झूठे नारों से चुनकर आई सरकार-एक खबर"                                                                                          किंतु बंधुओ ! भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो राष्ट्रपति पद पर उन कलाम साहब को बैठाती है जिनका राजनैतिक स्वभाव ही नहीं था वो देश सेवक थे तो  दूसरी ओर सपा है जहाँ पद ही अपने एवं अपनों को दिए जाते हैं देश की जनता को भूल कर अपनी जाति का चयन करना,देश के अन्य गाँवों को भूलकर केवल  सैफई महोत्सव मनाना ,यादवों में भी अपने नाते रिश्ते दारों को महत्त्व देना ,अपने परिवार वालों को महत्त्व देना और जब बात पुत्र की आवे तो भाइयों को भी पीछे छोड़ देना !ऐसा स्वार्थी सपा नेतृत्व भाजपा के उदारवाद को कैसे समझ सकता है !
     "स्वतंत्रता दिवस पर मुलायम का पीएम मोदी पर हमला, कहा झूठे नारों से चुनकर आई सरकार -एक खबर"
   किंतु मुलायम सिंह जी !चुनाव केवल मोदी ने नहीं जीता  है चुनाव भाजपा जीती है भाजपा के आदर्श विजयी हुए हैं भाजपा का सुसंस्कारित अतीत विजयी हुआ है भाजपा के अटल आडवाणी जी जैसे शीर्ष नेताओं की ईमानदारी के  प्रति बना जनता का विश्वास विजयी हुआ है और वर्तमान नेतृत्व भी उसी विश्वास को जीतने के प्रयास में लगा दिखाई दे रहा है ।
 वैसे मुलायम सिंह जी ! आपका अपना अनुभव ठीक है कि सरकारें अक्सर बनती ही झूठे नारों से हैं क्योंकि योग्य ईमानदार चरित्रवान राजनेता राजनीति में सारा जीवन खपा देते हैं तब कभी कुछ बन पाते हैं कभी नहीं भी बन पाते हैं कभी बनकर भी छोड़देना पड़ता है उन्हें !वो अपने व्यक्तित्व को लोगों की नज़रों में गिरने नहीं देते ! देखो लाल बहादुर शास्त्री जी को ,देखो अटल जी को जिनकी सरकार एक वोट से गिरी थी मंडी में बिकाऊ माल तब भी बहुत था किंतु उन्होंने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया था । " रो चला था देश देख उनकी विनम्रता को तरह दिनों का ताज हँस के उतार था ।"
       अटल जी ! ब्राह्मण हैं किंतु कभी ब्राह्मणवादी नहीं रहे वे जन्म भूमिवादी कभी नहीं रहे वे कान्यकुब्जजाति के ब्राह्मण हैं किंतु कान्यकुब्ज वादी कभी नहीं रहे उनके परिवार नाते रिश्तेदारों को कितने लोग जानते हैं अर्थात उन्होंने देश के नेतृत्व के साथ कभी समझौता नहीं किया ! नेतृत्व की योग्यता का निर्णय करते समय स्वार्थ समूहों को रौंदते हुए भाजपा ने अनुपमेय उदाहरण प्रस्तुत किए हैं अपने एवं अपनों के हितों से ऊपर उठकर कलाम जैसे  व्यक्ति को राष्ट्रपति जैसे बड़े पद के लिए चुना जाना आदर्श नैतिक नेतृत्व के प्रति भाजपा के समर्पण को ही प्रस्तुत करता है !जिस युग में ग्राम प्रधानी तक के पद के लिए मारा मारा होती हो उस युग में राष्ट्रपति पद पर पार्टी के बाहर के किसी व्यक्ति को बैठने का निर्णय करना अत्यंत उत्तम निर्णय  था ।
    सपा तो वाद भण्डार पार्टी  है घर वाद, परिवारवाद ,गाँववाद जातिवाद पार्टीवाद आदि  के लिए समर्पित सपा भाजपा  के आदर्श आचार व्यवहारों को कैसे पचा पाएगी !इसलिए मोदी जी झूठे हैं या सच्चे ये तो 5 वर्ष बाद ही पता चलेगा किंतु भाजपा संकीर्ण नहीं है अटल अडवाणी युग इसका गवाह है !

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