-: भूमिका :-
सवर्ण क्रांति का आह्वान ! हे ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्यो ! तुम अपने पवित्र पूर्वजों पर गर्व करो !
क्षत्रिय राजालोग आपस में लड़कर मरते रहे !क्षत्रियों ने परशुराम के खानदान वालों को मारा ,परशुराम ने क्षत्रियों को मारा फिर श्री राम ने ब्राह्मणों को मारा !ऐसे घट गई सवर्णों की संख्या !
हे वोटबल से कमजोर सवर्णों ! तुम्हारे त्यागी तपस्वी पवित्र पूर्वजों पर लगाया जा रहा है दलितों के शोषण का आरोप ! तुम सुन रहे हो धिक्कार है तुम्हारे ज्ञान विज्ञान को ! तुम उनसे पूछ नहीं सकते कि तुम्हारे पास था क्या जिसका शोषण किया होगा हमारे पूर्वजों ने !संख्या बल में अधिक तुम्हारे पूर्वजों ने शोषण सहा क्यों ? तुम्हारे पूर्वजों ने क्यों नहीं लिखे वेदों शास्त्रों पुराणों उपनिषदों स्मृतियों जैसे पवित्र ग्रंथ ? किसने रोका थाउन्हें ?
यदि हमारे पूर्वज तुम्हारा छुआ खाना नहीं कहते थे तो तुम हमारा छुआ खाना खाना बंद कर दो ! यदि हमारे पूर्वज अपने बेटा बेटियों का विवाह तुम्हारे यहाँ नहीं करते थे तो तुम भी हमारा बहिष्कार कर दो और मत करो हमारे यहाँ अपने बेटा बेटियों का विवाह !किंतु हमारे पवित्र पूर्वजों की निंदा मत करो !
युद्धों से डरने वाले जो बूढ़े बूढ़े लोग हमारे छोटे छोटे बच्चों के पैर छू छू कर तारीफ कर करके उन्हें झाड़ पर चढ़ाते रहे उन्हें समझाते रहे कि तुम्हारे बाप दादा जब तक रहे तब तक हमारा बाल भी बाँका नहीं हुआ अब तो 'मालिक' आपका ही सहारा है आप ही हमारी रक्षा करना ! यह सुनकर फड़क उठते रहे सवर्ण और युद्धों में शहीद होते रहे !निरंतर मारे जाने से सवर्णों की संख्या घट गई !और वो लोग मेहनत मजदूरी खेत खलिहान भले करते रहे मैले कुचैले कपड़े भले ही पहनते रहे हों किंतु उन्होंने अपनों को मरने से बचा लिया उनकी ये चालाकी सवर्ण लोग समझ नहीं सके या अत्यंत आत्म विश्वास में मारे गए बेचारे !इस प्रकार से बड़ी संख्या में सवर्णों का संहार हुआ !आज परिस्थिति ये पैदा हो गई कि ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य तीनों की संख्या एक साथ मिल आए तो भी उस अकेले एक वर्ण की जन संख्या की बराबरी नहीं कर सकते !कल्पना कीजिए कि उस युग में सवर्णों का कितना बड़ा संहार हुआ होगा !कितनी विशाल संख्या में मारे गए होंगे सवर्ण !
जिन ब्राह्मणों क्षत्रियों वैश्यों का संहार इतनी विशाल संख्या में हुआ होगा उनके पास जगह जमीनें संपत्तियाँ तो अधिक होनी ही थीं जब लोग ही नहीं बचे तो जो बचे उन्हीं में बँटती रहीं हमारे पूर्वजों की संपत्तियाँ !दूसरी और वो लोग थे जो केवल जन संख्या ही बढ़ाते रहे इसके अलावा किया क्या !कितने युद्ध लड़े उन्होंने !कहाँ दिया अपनों का बलिदान !सरे लोग फलते फूलते रहे जनसंख्या बढ़ती चली गई तो संपत्तियाँ तो कम पड़नी थीं अब सवर्णों की संपत्तियाँ देख देखकर उन्हें लालच बढ़ने लगा !कुछ सेवा करके लेते रहे कुछ चाटुकारिता करके माँगते रहे कुछ हैरानी परेशानी बता कर माँग लेते रहे अब अधिकार बता कर माँग रहे हैं कहते हैं कि ये हमारा हक़ है हिस्सा है इसलिए हमें चाहिए आरक्षण ! अरे !आरक्षण न किसी का हक़ है और न ही किसी का हिस्सा !ये तो सरकारी भिक्षा है !भिक्षा से न किसी का सम्मान बढ़ता है और न ही स्वाभिमान न आत्म गौरव न प्रतिभा केवल पेट भरा जा सकता है !पेट तो हर जीव जंतु भर लेता है पेट भरने के लिए भिक्षा क्यों ?
राजनीति में सिद्धांत नहीं चला करते यहाँ तो संख्या का महत्त्व होता है जिसकी संख्या अधिक वही विधायक सांसद मंत्री मुख्य मंत्री प्रधानमंत्री आदि सबकुछ !इसलिए संख्या जुटाने के लिए संख्याधिपतियों अर्थात दलितों या दूसरे संख्याबलियों सम्प्रदायावलंबियों समूहों को खुश करने के लिए वोट भिक्षुक राजनैतिक दल इनकी जातिगत आरक्षण जैसी निराधार ऊटपटाँग बातों का न केवल समर्थन किया करते हैं अपितु आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए उन्हें जातिगत सुविधाएँ मुहैया कराया करते हैं ये उनकी मजबूरी है ।
-: इति भूमिका :-
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