Monday, 14 March 2016

RSS के हॉफपैंट से परास्त काँग्रेस अब कैसे जूझेगी फुलपैंट से !उधर लालू जी पूँछ उठाए चिल्ला रहे हैं अलग से !

   काँग्रेस की जी हुजूरी में दुम हिलाकर जो आदमी केंद्र की सरकार में चौधराहट चमकाता रहा हो उसकी कर्मकुंडली इतनी अच्छी कि चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं !उसे देश वासियों ने शक्त हिदायद पूर्वक खदेड़ कर घुसा दिया है केवल एक प्रदेश में !खबरदार जो दिल्ली की ओर देखा तो !यहीं बको जो कुछ बकना है ऐसी चीजें खुले में नहीं छोड़ी जातीं !दिल्ली की आवाज विश्व सुनता है ऐसे बड़बोले लोग संघ की हॉफपैंट तो झेल नहीं पाए उनके बश की है क्या कि वो फुल पैंट का सामना करेंगे ! 
     आरएसएस परिवार की हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान की निष्ठा पर  भरोसा करके लोगों ने हिंदुत्ववादी शक्तियों के हाथ में सत्ता सौंपकर हिंदुत्व पर भरोसा किया है! जनता के उस निर्णय को झुठलाना चाहता है विपक्ष !हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान की गरिमा के प्रति समर्पित NDA को जनता ने चुना है जब विरोधी UPA ने हिन्दी हिन्दू हिंदुस्तान का भरोसा तोड़ा है तो जनता क्या करे UPA को धक्का देना उसकी मजबूरी थी ! 
     अब देश की जनता जो चाहेगी वो होगा कुछ लोगों के शोर मचाने से कुछ नहीं होगा !संघ परिवार की हिन्दू राष्ट्रवादी भावना से विश्व सुपरिचित है देश सुपरिचित है देश के सभी राजनैतिक दल एवं उनके नेता सुपरिचित हैं देशवासी सुपरिचित हैं देश का मीडिया सुपरिचित है !इसीलिए भाजपा समेत समस्त आनुषांगिक  संगठनों के साथ सम्पूर्ण संघ परिवार  की  ही दशकों से आलोचना भी होती रही फिर भी अर्थात् वो सब कुछ सहते हुए भी संघ परिवार ने अपनी पहचान इसी रूप में बना रखी है।       दूसरी ओर देश के राजनैतिक वातावरण में दो प्रमुख गठबंधन हैं NDA और UPA, हिंदुत्व समर्थक लोग NDA से जुड़ते गए और जो विरोधी थे वो UPA से  जुड़ते चले गए ! इसी प्रकार से  भाजपा में मोदी जी की पहचान भी कट्टर हिन्दू के रूप में ही बनी हुई है ।मोदी जी को P.M. प्रत्याशी के रूप में जैसे ही आगे बढ़ाया गया वैसे ही एक तथाकथित धर्म निरपेक्ष दल NDA को छोड़कर चला गया था !इन सब बातों से ये प्रमाणित हो ही चुका था कि अबकी NDA हिंदुत्व के पथ पर आगे बढ़ेगा  इसी बात का प्रचार प्रसार UPA वालों ने खूब जोर शोर से किया भी था इसके बाद भी देश की जनता ने हिंदुत्व(NDA) को चुना और उस बनावटी धर्मनिरपेक्षता (UPA)को नकारा है ! इसलिए अब तथाकथित धर्मनिरपेक्ष लोगों एवं दलों को साम्प्रदायिकता का हो हल्ला करना बंद कर देना चाहिए !और उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए कि देश की जनता का विश्वास उनसे टूट चुका है !   
    संघ जैसे राष्ट्र प्रहरी संगठन एवं भाजपा को लेकर क्यों किया जाता है अक्सर दुष्प्रचार !? देश ,समाज और संस्कृति के प्रति समर्पित है आर .एस.एस. ! बंधुओ !विश्वास किया जाना चाहिए कि देश के प्रति स्वश्रृद्धा से समर्पित आर. एस. एस. के ये ऐसे पवित्र प्रचारक हैं जो अपने दुलारे देश के विरुद्ध कुछ करने और बोलने की बात तो दूर कुछ सोच भी नहीं सकते, कुछ सह नहीं सकते।राष्ट्रनिष्ठा के प्रति ये इतने कट्टर लोग हैं ये अत्यंत ऊँची राष्ट्रवादी सोच के धनी लोग हैं जो तुच्छ जिजीविषा कभी नहीं स्वीकार करेंगे।देश और समाज के लिए जिन्होंने अपना जीवन ही दाँव पर लगा रखा है अपने देश और समाज पर कोई हमला करे वो दुर्दिन देखने के लिए ये जीवित रहना भी पसंद नहीं करेंगे मैं इनकी राष्ट्र निष्ठा से निजी तौर पर भी सुपरिचित हूँ जहाँ तक मेरी समझ मेरा साथ देती है मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि ये अपने देश के विरुद्ध कुछ होते देखकर भी जीने के लिए पैदा ही नहीं हुए हैं ऐसे सज्जनों की आवश्यकता देश को है।जिस किसी को न हो तो न रहे बाक़ी देश को है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों की पवित्र एवं विरक्त जीवन शैली होती है उनका वाणी एवं आचरण पर अद्भुत संयम देखा जाता है भारतीय समाज एवं संस्कृति के प्रति समर्पित उनका आचार व्यवहार है देश ही उनका परिवार है।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ साथ उसके अतिरिक्त भी समाज के ऐसे सभी सज्जन एवं साधु चरित्र लोगों पर एवं देश की रक्षा में समर्पित बंदनीय सैनिकों के ऊपर कोई भी टिप्पणी सात्विक शब्दों में अत्यंत सावधानी पूर्वक की जानी चाहिए।मैं मानता हूँ कि संत वही है जिसका आचरण सदाचारी और विरक्त हो। जाति,क्षेत्र,समुदाय,संप्रदाय वाद से ऊपर उठकर ऐसे लोगों के प्रति सम्मान भावना का संस्कार नौजवानों में डालना ही चाहिए । 
 मोहन भागवत जी एक सक्षम विचारक हैं उन्होंने अपना सारा जीवन देश और समाज के लिए समर्पित कर रखा है उनके सक्षम संगठन के विभिन्न आयाम देश के कोने कोने में जनहित में विभिन्न प्रकार के काम कर रहे हैं।गरीबों, बनबासियों, आदिवासियों, ग्रामों, नगरों, शहरों के साथ साथ स्वदेश से लेकर विदेशों तक का उनका अपना अनुभव है।वो ग्रामों, शहरों की संस्कृति से अपरिचित नहीं अपितु सुपरिचित हैं। इसके अलावा भी भाजपा समेत इसके समस्त संगठनों की आलोचना जितनी निर्ममता पूर्वक विभिन्न राजनैतिक दलों या नेताओं के द्वारा की जाती है किसी लज्जावान व्यक्ति या समूह के लिए ऐसा कर पाना सम्भव नहीं है ! आप स्वयं देखिए कि गुजरात की जनता मोदी जी के विषय में चिल्ला चिल्लाकर न केवल यह कहती रही कि मोदी जी अच्छी सरकार चला रहे हैं अपितु उनका समर्थन भी बार बार करती रही तभी तो उनकी सरकार हर बार बनती रही फिर भी गुजरात में चुनावों के समय दिल्ली से नेता लाद लाद कर गुजरात की जनता को यह समझाने के लिए भेजे जा रहे थे कि मोदी जी गलत हैं या मोदी जी धर्म विशेष के लोगों के लिए खतरा हैं आखिर इसे झगड़ा भड़काने की साजिश क्यों न समझा जाए ! जो गुजरात की जनता को नहीं पता था वो स्वप्न इन्होंने कैसे देख लिया होगा उसके आधार इनके पास क्या थे ! फिर भी इन्हें लग रहा था कि हम्हीं समझदार हैं किन्तु जनता इन्हें बार बार इस बात का एहसास करवाती रही कि वास्तव में समझदार कौन है !यही हाल अबकी पूरे देश की जनता ने किया फिर भी इन्हें समझ में नहीं आ रहा है !इन्हें इस बात का भी अनुमान नहीं है कि अब आर.एस.एस. या भाजपा को तालिबानी कहने का अर्थ सम्पूर्ण भारत वर्ष की जनता को चुनौती देना है क्योंकि सत्ता तो उन्हें देश की जनता ने सौंपी है एक राजनैतिक दल की हैसियत सुरक्षित रखने की दृष्टि से भी किसी दल के लिए आर. एस. एस. या भाजपा की निराधार आलोचना करना इसलिए भी ठीक नहीं है क्योंकि इस समय जनता उनके साथ उन्हें अच्छा समझ कर ही खड़ी हुई है और लोकतंत्र में जनता से बड़ा कोई होता नहीं है !
 किसी भी राजनैतिक सामाजिक संगठन को चाहिए कि वो आर. एस. एस.जैसे संगठनों में सम्मिलित होकर इनकी गतिविधियाँ देखे एवं इनकी सामाजिक सांस्कृतिक साधना की सराहना करें इन्हें प्रोत्साहित करें इनका सहयोग करें और कहीं शंका लगती है तो उस पर चर्चा करें या शंका समाधान करें ,किन्तु ऐसा बिना कुछ किए ही बिना किसी आधार प्रमाण के इनके विषय में कुछ अनर्गल बोलते रहना ठीक पद्धति नहीं है !            आज आर .एस.एस. की तुलना कोई तालिबान से कर रहा है तो कोई भगवा आतंकवाद बता रहा है कोई देश और समाज को तोड़ने वाला बता रहा है वो भी वो लोग जो देश की सरकार में अभी तक रह चुके हों फिर प्रश्न तो उठता है कि यदि ये गलत हैं तो ऐसे लोगों के विरुद्ध इन्होंने कोई जाँच क्यों नहीं करवाई !     एक बार एक राष्ट्रीय राजनैतिक दल  के मंथन शिविर में भाजपा को आर.एस.एस.की कठपुतली बताया गया और भाजपा का रिमोट आर.एस.एस. के हाथ में बताया गया आखिर क्यों ?और यदि ऐसा है भी तो संघ जैसे चरित्र प्रहरी संगठन के प्रति इतनी आशंकाएँ क्यों हैं आखिर क्या भूल हुई है उससे ! केवल यही न कि देश की गौरव रक्षा हेतु वो मर मिटने के लिए तैयार है! वो स्वदेशियों को स्वाभिमानी बनाना चाहता है आर. एस. एस.की सोच में ही नहीं है कि कोई राष्ट्रवादी भारतीय किसी विदेशी के सामने गिड़गिड़ाकर राजनैतिक या गैर राजनैतिक पद प्रतिष्ठा पाने के लिए दुम हिलाए या  भीख माँगे !       आर.एस.एस.एक स्वतंत्र संगठन है राष्ट्रभक्ति की भावना से कार्य करने की उनकी अपनी शैली है।सत्ता सुख की ईच्छा छोड़कर देश के लाखों लोग उनके साथ जुड़कर समाज सुधार के विभिन्न कार्यों में लगे रहते हैं ।वे मंत्री मुन्त्री पद के लोभ में किसी अभारतीय का चरण चुम्बन नहीं करना चाहते हैं तो इसमें उनका दोष क्या है?वो भारतीयता पर गर्व करते हैं इसमें किसी को बुरा क्यों लगे और लगे तो लगे।आखिर उन्हें अनावश्यक रूप से क्यों कोसा जाता है ?
       आर .एस.एस. की विचार धारा में स्वदेश के प्राचीन पवित्र संस्कारों के आधार पर जीना सिखाया जाता है। जिसमें न तो आधुनिक लव है और न ही लव मैरिज।ऐसे लव लबाते लोग किसी पवित्र संगठन में सड़ांध पैदा करें इससे अच्छा है कि ऐसे लोग दूर ही रहें और उन्हें उनकी शैली में काम करने दें। आखिर बलात्कार, भ्रष्टाचार,महँगाई से लुटे पिटे बचे खुचे देश का पुनर्निमाण करने के लिए जिन देश भक्त स्वयं सेवकों की जरूरत देश को है उनके निर्माण कार्य में ऐसे संगठन निरंतर प्रशंसनीय कार्य करते चले आ रहे हैं।अपने आकाओं को प्रसन्न करने एवं सत्ता पाने के लालच में आर .एस.एस. की आलोचना कितनी न्यायोचित है ?ये अकारण निंदा करने की परंपरा ठीक नहीं है । अब बात यहाँ संस्कारों की है लव मैरिज के लालच में लोग पहले लव करते हैं फिर लव मैरिज ।लव में असफल होने पर बलात्कार करते हैं उसके बाद हत्या करते हैं जो आज देश की सबसे बड़ी समस्या बनती जा रही है!ऐसा होने पर बलात्कारी नवजवानों को फाँसी की सजा की माँग उठती है ।यदि फाँसी की सजा हो जाए तो फाँसी के फंदे पर लटकने वाला भारतीय नवजवान ही होगा।जिसकी ऊर्जा कभी देश हित में काम आ सकती थी उसे प्रेम प्यार के चक्कर में पड़कर मनोरंजन के लिए जिंदगी गँवानी पड़ी।
     इस प्रेम प्यार के चक्कर में पड़कर मरने और मारने वाले दोनों युवक युवतियाँ भारतीय ही तो हैं इसलिए संस्कारों के अभाव में यह नुकसान देश को उठाना पड़ता है इसलिए यह चिंतन भी होना चाहिए कि ऐसा क्या किया जाए जिससे भारतीय युवा वर्ग लव वब के चक्कर में न पड़े और अपने प्राचीन संस्कारों पर न केवल गर्व करें अपितु उन्हें अपने आचरण में भी उतारें । इससे जब लव मैरिज का लालच ही नहीं होगा तो लोग  लव  वब के चक्कर में  पड़ेंगे ही क्यों ?और जब इस चक्कर में ही नहीं  पड़ेंगे तो उन्हें प्रेम पंथ में असफल होने का दुःख ही क्यों होगा ?इसलिए वो  बलात्कार जैसा जघन्य अपराध नहीं करेंगे तो किसी की हत्या करने की आवश्यकता ही क्यों पड़ेगी ? जब बलात्कार  ही नहीं होगा तो नवजवानों को फाँसी की सजा नहीं होगी यदि फाँसी की सजा न हुई तो बलात्कार से पीड़ित एवं बलात्कारी दोनों युवा सुसंस्कारित हो कर देश के काम आ सकेंगे ये ही भारत के प्राचीन संस्कार हैं इन्हें हर भारतीय प्रचारित करे तो इससे किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए, और आर.एस.एस. की विचारधारा में स्वदेश के प्राचीन पवित्र संस्कारों के आधार पर ही यदि  जीना सिखाया जाता है तो और अच्छी बात है यदि इससे देश की एक बड़ी पार्टी भाजपा भी जुड़ी है तो यह  सबसे अच्छी बात है।इससे किसी को तकलीफ क्यों होनी चाहिए?हाँ जिन पार्टियों में भारतीय संस्कारों की कमी के कारण उनके वरिष्ठ लोग ही लव और लव मैरिज में जब रूचि ले रहे हों  तो वो किसी और को कैसे रोक  सकेंगे ?और उन्हें  आर.एस.एस. बुरा तो लगेगा ही जहाँ तक आर.एस.एस. की विचार धारा की कठपुतली जैसी शब्दावली भाजपा के लिए यदि कोई प्रयोग करता है तो वह हीन भावना से ग्रस्त ही माना जाएगा । 
     आर.एस.एस. राष्ट्रवाद की बात करता है भारतीयों के प्राचीन संस्कारों एवं प्राचीन विद्याओं की बात करता है।अपने दुलारे भारतवर्ष को सबल सक्षम समृद्ध एवं संस्कारी बनाने का सपना लिए ऋषि तुल्य हजारों विरक्त, तपस्वी, पवित्र, प्रचारकों ने अविवाहित रहकर अपना जीवन देश लिए समर्पित कर रखा है।वे लोग देश के कोने कोने के गाँव गाँव में जन जन से मिलकर प्राचीन राष्ट्र भक्तों का बताया हुआ सन्देश प्रचारित करते हैं।उनका सादा जीवन एवं सहज रहन सहन होता है। इसलिए जो लोग आर.एस.एस.की कठपुतली कहकर भाजपा की निंदा करना चाहते हैं उन्हें यह भी जानना चाहिए कि उनसे निंदा नहीं अपितु भाजपा के संस्कारों की प्रशंसा हो रही है ।
 



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