बाबा धार्मिक भ्रष्टाचार फैला रहे हैं और नेता संवैधानिक भ्रष्टाचार फैला रहे हैं । नेता इस लोक के सपने दिखाते हैं बाबा उस लोक के !
शास्त्रों को मानने वाले बाबा और संविधान को मानने वाले नेता अब कहाँ बचे हैं देश में !बाबाओं में ईश्वर भक्ति एवं नेताओं में देश भक्ति के संस्कार ही मरते जा रहे हैं ! दोनों यहाँ वहाँ का भय देकर डराते धमकाते हैं जबकि लक्ष्य दोनों का अपने लिए सुख सुविधाएँ इकठ्ठा करना होता है जनता कैसे किस पर करे भरोस ! नेताओं और बाबाओं की आपसी साँठगाँठ ने बढ़ाया सभीप्रकार का भ्रष्टाचार और शुरू किया गुप्त एवं बड़े अपराधों का अंत हीन सिलसिला !
बाबा हों या नेता बाबा इन्हें जो करना हो वही करते हैं किन्तु वो शास्त्रों की दुहाई दिया करते हैं वो संविधान की दुहाई दिया करते हैं !जनता बेवकूफ बनी सुना और सहा करती है ये उसकी मजबूरी है !शास्त्रसम्मत बाबाओं एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति अब समाप्त होने की कगार पर है नेता पिटने लगते हैं तो नेता लोग बड़ी बड़ी रैलियाँ करने लगते हैं और बाबा पिटते हैं तो बाबा लोग करने लगते हैं रैलियाँ !बाबा लोग सत्संग शिविर लगाते हैं तो दूसरे एक मंथन शिविर ।बाबा हों या नेता देश का सम्मान स्वाभिमान संपति समेटे फिर रहे हैं दोनों लोग जनता बेचारी विवश
एक महिला अपने परिवार और पति से परेशान होकर आश्रम जाने लगी आश्रम में बाबा जी उस पर मोहित हो गए जब उसने एतराज किया तो बाबा जी ने समझाया कि स्त्रियों का मुख देखकर विश्वामित्र पराशर जैसे पानी वा हवा पीकर रहने वाले ऋषि जब अपने को नहीं सँभाल सके तो हम लोग तो तुच्छ जीव हैं हमें स्त्री पुरुष के भेदभाव से ऊपर उठकर गले लग जाना चाहिए यही विश्वबंधुत्व है हमें अपनी सुन्दरता का अहंकार नहीं करना चाहिए !अंततः उससे बाबाजी के तीन बच्चे हुए !
इसी प्रकार से एक नेता जी के लड़के ने एक गरीब की लड़की से रेप कर दिया बड़ा शोर शराबा मचा पुलिस बोले गई पत्रकार आए नेता जी भी आए जब पत्रकारों ने नेता जी से कहा कि आपके बेटे ने रेप कर दिया है तो नेता जी कहने लगे हमने अपने बेटे से कह रखा है कभी गरीब अमीर में भेद भाव नहीं करना सभी जाति संप्रदाय के लोग समान होते हैं आदि आदि !
कुल मिलाकर अपने अपने मतलब के वाक्य बाबा लोग शास्त्रों से छाँट लेते हैं और नेता लोग संविधान से और आराम से मौज मस्ती की जिंदगी जीते हैं ये बहादुर लोग !ऐसे संपत्ति बली बाबाओं एवं संपत्ति बली नेताओं से निपटा आखिर कैसे जाए ! बाबाओं और नेताओं की आरामगाह बन चुका है देश ! ये दोनों लोग जनता से धन माँग माँग कर धनी हुए और धनवान होने के बाद माँगते हैं सिक्योरिटी ! किंतु इनकी सिक्योरिटी का खर्च देश क्यों उठावे ?ये देश के लिए करते आखिर क्या हैं !जब जनता दो दो पैसे के लिए मर रही होती है तब बाबाओं नेताओं को करोड़ों अरबों फजूल खर्चों में पानी की तरह बहाते देखा जाता है !ये उस देश की हालत है जहाँ किसान कर्ज के कारण आत्म हत्या कर रहे हैं !किंतु ऐसे परिवारों की दुर्दशा देखकर भी इन निष्ठुर कठोरहृदयी संवेदनाशून्य बाबाओं और नेताओं की आत्मा नहीं पिघलती है !ये चले हैं विश्वबंधुत्व का पाठ सिखाने !बारे वसुधैव कुटुम्बकं !जो देश को एक सूत्र में नहीं बाँध सके !जो ग़रीबों अमीरों की समता के लिए कुछ नहीं कर सके !वे हमें समझा रहे हैं कि हम विश्व में देश का सम्मान बढ़ा रहे हैं !लज्जा शून्यता का ये कितना सशक्त उदाहरण है !किंतु इससे देश का सम्मान कैसे बढ़ जाएगा जहाँ परिश्रमी किसान मजदूर दिनरात मेहनत करके भी कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे हों और कामचोर मक्कार धोखेबाज छल छद्म से धन समेटने वाला वर्ग बाँसुरी बजा रहा हो !
जिस पार्टी की सरकार हो उससे जुड़े नेता हों या बाबा सभी निर्दोष और सभी को सिक्योरिटी और जो विरोधी पार्टी के नेता हों या बाबा उनको जेल या फिर इसी प्रकार का कुछ और !जिनकी सरकार न हो उन्हें जेल या फिर उनकी पिटाई ! जो न नेता हों और न बाबा वो बेचारे कहाँ जाएँ !उनकी कौन सुने वो किसे बताएँ अपना दुःखदर्द! नेता और बाबा !
शास्त्रों को मानने वाले बाबा और संविधान को मानने वाले नेता अब कहाँ बचे हैं देश में !बाबाओं में ईश्वर भक्ति एवं नेताओं में देश भक्ति के संस्कार ही मरते जा रहे हैं ! दोनों यहाँ वहाँ का भय देकर डराते धमकाते हैं जबकि लक्ष्य दोनों का अपने लिए सुख सुविधाएँ इकठ्ठा करना होता है जनता कैसे किस पर करे भरोस ! नेताओं और बाबाओं की आपसी साँठगाँठ ने बढ़ाया सभीप्रकार का भ्रष्टाचार और शुरू किया गुप्त एवं बड़े अपराधों का अंत हीन सिलसिला !
बाबा हों या नेता बाबा इन्हें जो करना हो वही करते हैं किन्तु वो शास्त्रों की दुहाई दिया करते हैं वो संविधान की दुहाई दिया करते हैं !जनता बेवकूफ बनी सुना और सहा करती है ये उसकी मजबूरी है !शास्त्रसम्मत बाबाओं एवं संविधान सम्मत नेताओं की पवित्र प्रजाति अब समाप्त होने की कगार पर है नेता पिटने लगते हैं तो नेता लोग बड़ी बड़ी रैलियाँ करने लगते हैं और बाबा पिटते हैं तो बाबा लोग करने लगते हैं रैलियाँ !बाबा लोग सत्संग शिविर लगाते हैं तो दूसरे एक मंथन शिविर ।बाबा हों या नेता देश का सम्मान स्वाभिमान संपति समेटे फिर रहे हैं दोनों लोग जनता बेचारी विवश
एक महिला अपने परिवार और पति से परेशान होकर आश्रम जाने लगी आश्रम में बाबा जी उस पर मोहित हो गए जब उसने एतराज किया तो बाबा जी ने समझाया कि स्त्रियों का मुख देखकर विश्वामित्र पराशर जैसे पानी वा हवा पीकर रहने वाले ऋषि जब अपने को नहीं सँभाल सके तो हम लोग तो तुच्छ जीव हैं हमें स्त्री पुरुष के भेदभाव से ऊपर उठकर गले लग जाना चाहिए यही विश्वबंधुत्व है हमें अपनी सुन्दरता का अहंकार नहीं करना चाहिए !अंततः उससे बाबाजी के तीन बच्चे हुए !
इसी प्रकार से एक नेता जी के लड़के ने एक गरीब की लड़की से रेप कर दिया बड़ा शोर शराबा मचा पुलिस बोले गई पत्रकार आए नेता जी भी आए जब पत्रकारों ने नेता जी से कहा कि आपके बेटे ने रेप कर दिया है तो नेता जी कहने लगे हमने अपने बेटे से कह रखा है कभी गरीब अमीर में भेद भाव नहीं करना सभी जाति संप्रदाय के लोग समान होते हैं आदि आदि !
कुल मिलाकर अपने अपने मतलब के वाक्य बाबा लोग शास्त्रों से छाँट लेते हैं और नेता लोग संविधान से और आराम से मौज मस्ती की जिंदगी जीते हैं ये बहादुर लोग !ऐसे संपत्ति बली बाबाओं एवं संपत्ति बली नेताओं से निपटा आखिर कैसे जाए ! बाबाओं और नेताओं की आरामगाह बन चुका है देश ! ये दोनों लोग जनता से धन माँग माँग कर धनी हुए और धनवान होने के बाद माँगते हैं सिक्योरिटी ! किंतु इनकी सिक्योरिटी का खर्च देश क्यों उठावे ?ये देश के लिए करते आखिर क्या हैं !जब जनता दो दो पैसे के लिए मर रही होती है तब बाबाओं नेताओं को करोड़ों अरबों फजूल खर्चों में पानी की तरह बहाते देखा जाता है !ये उस देश की हालत है जहाँ किसान कर्ज के कारण आत्म हत्या कर रहे हैं !किंतु ऐसे परिवारों की दुर्दशा देखकर भी इन निष्ठुर कठोरहृदयी संवेदनाशून्य बाबाओं और नेताओं की आत्मा नहीं पिघलती है !ये चले हैं विश्वबंधुत्व का पाठ सिखाने !बारे वसुधैव कुटुम्बकं !जो देश को एक सूत्र में नहीं बाँध सके !जो ग़रीबों अमीरों की समता के लिए कुछ नहीं कर सके !वे हमें समझा रहे हैं कि हम विश्व में देश का सम्मान बढ़ा रहे हैं !लज्जा शून्यता का ये कितना सशक्त उदाहरण है !किंतु इससे देश का सम्मान कैसे बढ़ जाएगा जहाँ परिश्रमी किसान मजदूर दिनरात मेहनत करके भी कर्ज के बोझ तले दबे जा रहे हों और कामचोर मक्कार धोखेबाज छल छद्म से धन समेटने वाला वर्ग बाँसुरी बजा रहा हो !
जिस पार्टी की सरकार हो उससे जुड़े नेता हों या बाबा सभी निर्दोष और सभी को सिक्योरिटी और जो विरोधी पार्टी के नेता हों या बाबा उनको जेल या फिर इसी प्रकार का कुछ और !जिनकी सरकार न हो उन्हें जेल या फिर उनकी पिटाई ! जो न नेता हों और न बाबा वो बेचारे कहाँ जाएँ !उनकी कौन सुने वो किसे बताएँ अपना दुःखदर्द! नेता और बाबा !
बाबाओं के संपर्क से नेता ईमानदार दिखने लगते हैं और नेताओं के संपर्क से बाबा सोर्सफुल दिखने लगते हैं !
इस सोर्स के बल पर बाबा लोग वो सारे दुष्कर्म करते हैं जिनकी शास्त्रीय
संत संविधान में निंदा की गई है बड़े बड़े अपराधों को अंजाम देने के बाद भी
उन पर पुलिस प्रशासन जल्दी जल्दी हाथ नहीं डालता है उन नेताओं की इसके बाद
भी
बाबा जिस नेता से संपर्क रखते हैं जिसके साथ उठते बैठते
हैं जिस नेता के यहाँ आते जाते हैं जिस नेता की प्रशंसा करते हैं ऐसे नेता
कितना भी भ्रष्टाचार करते रहें उन पर एक सीमा तक कोई संदेह नहीं करता कि
ये भी भ्रष्टाचारी होंगें अर्थात उन पर ईमानदारी का ठप्पा सा लग जाता है
इसके बाद जनता का ध्यान उधर से हट जाता है इसी ईमानदारी की आड़ में फिर ऐसे
नेता लोग वो सबकुछ कर लेते हैं जिसे संविधान सम्मत नहीं कहा जा सकता !
आज बाबा लोग स्वयं धर्म शास्त्रों के विरुद्ध आचरण अर्थात पाप कर रहे हैं वो किसी और को क्या शिक्षा देंगे !
आजकल जहाँ
जो बाबा लोग पकड़े जा रहे हैं वहाँ वहाँ सेक्स सामग्री जरूर मिल रही है एवं
उनके धनसंग्रह के स्रोत छल फरेब धोखाधड़ी अादि के समुद्र हैं ! आज
नेता लोग स्वयं संविधान के विरुद्ध आचरण अर्थात अपराध कर रहे हैं वो
किसी और को क्या सुरक्षा देंगे ! जो नेता भ्रष्टाचार के किसी भी केस में
पकड़े जा रहे हैं वो केवल अपराधी ही नहीं अपितु बड़े बड़े अपराधियों को अभय
दान देने वाले निकलते हैं
इन का कोई भी आचरण धर्म शास्त्रों से मेल नहीं खाता है ये अपने अपने
पुजवाने के लिए अपनी अपनी सुविधानुशार अपने धर्म कर्मों का निर्माण करते
हैं दोनों कबीर पंथी अर्थात हिन्दू मुस्लिम एकता का ढिंढोरा पीटते हैं ।
बाबाओं और नेताओं के चेले पाखण्ड में इस कदर
समर्पित होते हैं कि मिनटों में गाली गलौच मारपीट आदि पर उतर जाते हैं । दोनों
के अनुयायी दोनों को भगवान बनाकर प्रचारित करते हैं !नेता लोग इसलोक का भय दिखा कर लूटते हैं जबकि बाबा लोग उसलोक का भय दिखा कर लूटते हैं!
यहाँ झूठ फरेब के द्वारा इकट्ठा की गई संपत्ति का
ही बल है उसी के बल पर भंडारा चलता है और जो जो इन बाबाओं का बशीकरणी खीर
प्रसाद खाता है वो कहने लगता है कि वास्तव में बाबा बड़े दयालू हैं !बंधुओ
!अब समय आ गया है जब ऐसे सभी पाखंडों पर विराम लगाना चाहिए और शास्त्रीय
धर्म को ही महत्त्व मिलना चाहिए !
पूज्य संतों एवं शास्त्रों से न जाने किस जन्म की शत्रुता निभा रहे हैं वर्तमान बाबा ! श्रद्धेय देशभक्त नेताओं एवं संविधानभक्त लोगों की कहाँ सुन रही हैं राजनैतिक हस्तियाँ !
बाबा संस्कृति का संकट समाप्त करने के लिए विरक्तों के लिए बनी प्राचीन शास्त्रीय परंपराओं को आगे करना होगा कैसे हो ? बाबाओं और नेताओं ने मिलजुलकर बर्बाद किया है समाज !अभी भी समय है समाज के सावधान होने का !!!
No comments:
Post a Comment