Monday, 30 May 2016

The impact of the earthquake in China is getting Barsha! Indian summer events like droughts and fires are also the effects of the earthquake!

10 -4-1016 earthquake are increasing due to the heat of fire accidents and rapid rivers, ponds, wells are dry! Facing drought! The earthquake, while in areas where this is happening!13-4-2016 high rainfall in the area affected by the earthquake, flooding and waterborne diseases chaotically public life! This is the same area where the quake! Here's how!
   
If the government should cooperate on disaster management can get big support from our Research! His discovery in the context I am ready to testify anywhere ever give the government the opportunity!
    
Bndhuo! Most disasters are causing earthquakes, floods, storms, drought and fire incidents like plurality of projections weaknesses! Rain forecast usually get about two to four, but eight days before finding out how it rains and the flooding of the flood This will create conditions still very difficult to be predicted.If you already know the exact forecast disaster management using adequate preparations can be more effectively achieved due to circumstances otherwise sudden Bchavkaryon face particular difficulty.
      
Sir! For this purpose I have almost 20 years ago in order to make more accurate weather forecasts and ancient 'Smayvigyan' by natural disasters since the research was undertaken to continue our efforts in this so long-standingIf caught a second vein to think of not only more accurate but also will be easier.
     
Sir! The science of natural phenomena such as earthquakes occur by day, time and place on that basis points Risrckrke many natural events predicted to happen is useless to date at the time the Events happen earthquake and date, time and place in this research is key. Some earthquakes related to earthquake prediction by the same mode as the day they were published on a blog that has not been modified in any way re-examined it can be too! Future based on some of those earthquakes These events are forecast -
 
25-4-2015 22 -4-2015 arrived in Nepal because of the storm because of the earthquake and 25-4-20l5ko earthquake after shocks up to 10 -6 -2015 have taken place concerning the forecast right.Similarly, 26 -10-2015 from the Hindukush to India such as Madras earthquake caused severe flooding in cities along the sea, which was predicted has come true.10 -4-2016 from the effects of the earthquake in the earthquake affected areas well into rivers and ponds were drying very fast, is very high heat and fire-related incidents began to grow very fast events such forecast 10 -4 -2 016 is the same thought had been proved true.13 -4-2016 earthquake China, India, etc. Bagladesh which country, region or city, etc., that were affected by the quake earthquake tremor was felt in the cities of those countries, territories and the quake caused heavy rain 13 -4-2016 been imposed to forecast flooding was proved true.If the impact is seen as being due to the horrific earthquake of 13 -4-2016 Warshat May 7, 2016 earthquake in Assam and Meghalaya was halted abruptly in areas affected by the earthquake! Categories of the different types of earthquakes, and their fruit does not predict an earthquake like the date, time and location etc. is put on!
         
Therefore, you are requested persistent helped me to pursue my research as well as provide us the resources to go to work, so I continued my research progressed, I can! I believe that I have found to help you with sudden changes in the nature of natural events to happen, a number of diseases and related subjects can be successful in forecasting.
                                                     
-nivedk Yours -
                    
राजेश्वरीप्राच्यविद्याशोधसंस्थान(रजि.)
           
Vajpayee ------------- ------------ AcharydokseshnaraynM. A. (Grammarian), M. A. (Astrologer) -Sampurnanand Sanskrit University, VaranasiM. A.hindi -kanpur University \ PGD journalism Uday Pratap College, VaranasiPh.D. Hindi (astrology) -bnaras Hindu University (BHU), VaranasiK -71, Chhachhi Building, Krishna Nagar, New Delhi -110 051Tel: + 91-11-22002689, + 91-11-22096548Mobile: +919811226973,

मोदी सरकार के दोसाला 'खुशीपर्व' का महत्त्व जनता को नौकर समझने वाले घमंडीनेता क्या समझेंगे !

   जिनका CM पद ही भूकंप जोन में आता हो वे भी PM  बनने  का सपना देख रहे हैं उधर जनता मोदी के नाम पर अभी भी  मोहर लगाए जा रही है ?मोदी सरकार जनता के इसी विश्वास को बरकरार रखने का जश्न मना रही है !PM के रूप में अभी भी जनता की पहली पसंद हैं वे !जश्न मनाने के लिए किसी उपलब्धि से ये कम है क्या ! 
      मोदी सरकार को लगातार नोचने वाले गिद्धों के पास आज भी PM पद लायक मोदी के कद का नेता नहीं है ! जनता स्वामी होती है सरकार सेवक !सच्चे सेवक के लिए तो उसका स्वामी ही सबसे बड़ा सम्राट होता है जो सेवक अपने स्वामी को खुश कर लेता है वो कर्तव्य के द्वंद्व में विश्व का सबसे बड़ा विजेता होता है अपने स्वामी का मन जीतना आसान काम है क्या ?मोदी सरकार ने दो वर्ष बाद भी जनता का भरोसा  बरकरार रखा है ये सर्वे बता रहे हैं ये छोटी उपलब्धि तो नहीं है । 
    इसी समय देश में दो तीन लोग ही हैं जिन्हें प्रधानमंत्री बनने की ज्यादा खुजली लगी है वे ही  ज्यादा मचले घूम रहे हैं उनमें से एक को तो जो लिखकर दे दिया जाता बस उतना बोल लेते हैं वे कहीं कुछ सन्देश लिखना हुआ तो मोबाईल में कोई मैसेज भेज देता है तो वो देख देख कर लिख देते हैं मोदी जी सूट पहन लें तो सूट  बूट चिल्लाने लगते हैं कुर्ता पजामा पहन लें तो कुर्ता कुर्ता करने लगते हैं ये पागलों वाली हरकतें करने वाला कोई भी व्यक्ति इतने बड़े देश का प्रधानमंत्री बनने लायक है क्या ?
    दूसरे को भी PM की दौड़ में धकियाया था एक राजनैतिक कॉमेडीकिंग ने किंतु उन्हें समझ में आ गई अपनी औकात अब कहते हैं हम नहीं हैं PMकी दौड़ में !उन्हें पता है कि जिस सरकार में वे बैठे हैं उस कुर्सी की मात्र दो टाँगें ही मजबूत हैं रही दो टाँगें वो तो कॉमेडीकिंग के हाथों में हैं कभी खींच लेंगे !
      मामामारीच  में यदि इतनी ही हिम्मत थी तो बनारस से चुनाव हार कर क्यों भाग आये थे दिल्ली वहाँ  गंगा जी में डूब मरने भर का पानी तो था !आज जनता ने जो काम सौंपा है उसे करने के बजाए दिन भर मोदी और मोदी सरकार की निंदा करते रहते हैं !क्या जनता ने इसलिए सौंपी है दिल्ली की गद्दी कि खुद कुछ न करना दूसरों के दोष गिनाते रहना !सोचो भला ऐसा व्यक्ति यदि देश का प्रधानमंत्री बन भी जाए तो कुछ करेगा ही नहीं करने की अकल तो है ही नहीं वहाँ पहुँच कर पडोसी देशों की बुराई करेगा यहाँ दिल्ली पुलिस माँगता है वहाँ वीटो पावर माँगते माँगते समय पार कर लेगा ! माँगना ऐसी चीज जो मिल नहीं सकती ! 
     मोदी जी के विकासकार्य जनता तक भले न पहुँचे हों किंतु सर्वे अभी भी नंबर एक पर दिखा रहे हैं उन्हें ये भरोसा जीतना और बरकरार रखना कम है क्या ?  इसकी ठंडक भले जनता को न मिल पायी हो अभी तक जनता तक किंतु मोदी जी PM के रूप में जनता की अभी भी पहली पसंद हैं ।

Sunday, 29 May 2016

मौसम विभाग के द्वारा मौसम संबंधी पूर्वानुमानों

                           प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान 'समय विज्ञान' की दृष्टि से - 
      'समयविज्ञान' के द्वारा मैं स्वभावों और स्वभाव परिवर्तनों पर रिसर्च कार्य कर रहा हूँ जिसका जब जैसा समय होता  है तब तैसा स्वभाव बदलता रहता है क्योंकि समय परिवर्तन शील है इसीलिए स्वभाव भी परिवर्तन शील होता है समय की शिराएँ हर पल बदल रही हैं । सभी प्राणियों के जन्म ,कर्म,रोग -चिकित्सा और प्रकृति में जन्म लेने वाली भूकंप आदि घटनाएँ अपने घटित होने के तिथि समय और स्थान के आधार पर ही फल देती हैं अर्थात इसी के आधार पर जीवन और प्रकृति  में परिवर्तन होते रहते हैं । प्रकृति भी तो नेचर अर्थात स्वभाव ही है चूँकि स्वभाव समय के आधीन होता है ऐसा समझकर ही प्रकृति का अध्ययन करने के लिए मैंने 'समयविज्ञान' जैसी वैज्ञानिक विधा को आधार बनाया है ।
      इसी 'समयविज्ञान' के आधार पर ही मैं समझ सका हूँ कि प्रकृति में घटने वाली अधिकाँश घटनाएँ एक दूसरे से संबंधित होती हैं जिनका पूर्वानुमान लगाने के लिए प्रकृति में घटित  हुई हर बड़ी घटना के तिथि समय और स्थान का अध्ययन होना चाहिए ! संभव है कि उनमें से कुछ घटनाओं का संबंध भविष्य में घटित होने वाली घटनाओं से भी हो !यदि ऐसा होता है तो भविष्य में उससे संबंधित घटनाओं का  पूर्वानुमान लगा पाना काफी आसान हो जाएगा !
      ऐसे ही कुछ भूकंपों के आने के तिथि समय और स्थान का अध्ययन करके इन भावी घटनाओं की विवेचना की गई है जो सच साबित हुई है जो भूकंप आने के  दिन  ही ब्लॉग पर प्रकाशित की गई थीं उनका पुनः संशोधन नहीं किया गया है विश्वास के लिए इस बात की जाँच भी की जा सकती है -  
    जैसे-  नेपाल में 21 \ 22 -4-2015 को आए तूफान के कारण 25-4-2015 को भूकंप आया था और 25-4-2015को भूकंप आने के कारण 10 -6 -2015 तक आफ्टर शॉक्स आने के विषय में पूर्वानुमान सही घटित हुए हैं ।
  1.       इसी प्रकार से 26 -10-2015 को हिंदूकुश से भारत तक आए भूकंप के कारण नदी या समुद्र के किनारे के शहरों में भीषण बाढ़ का पूर्वानुमान लगाया गया था जो मद्रास में हुई लंबी अवधि की बर्षात के रूप में सही साबित हुआ है ।
  2. 10 -4-2016 को आए भूकंप से प्रभावित क्षेत्रों में नदियाँ कुएँ तालाब आदि बहुत तेजी से सूखने लगे ,गर्मी बहुत अधिक बढ़ गई एवं आग लगने संबंधी  घटनाएँ बहुत तेजी से बढ़ने लगीं ऐसी सभी घटनाओं का पूर्वानुमान 10 -4-2016 को ही लगा लिया गया था जो सच साबित हुआ है ।
  3.      13 -4-2016 को आए भूकंप से चीन ,भारत ,बँगलादेश आदि जो जो देश ,प्रदेश या शहर आदि इस भूकंप से प्रभावित हुए थे अर्थात इस भूकंप का जहाँ जैसा कम्पन महसूस किया गया था उन उन देशों प्रदेशों शहरों में भूकंप आने के  बाद हुई भीषण वर्षा और भयंकर बाढ़ का पूर्वानुमान 13 -4-2016 को ही प्रकाशित किया जा चुका था !जो सच साबित हुआ है । 
        ऐसे सभी प्रकार के भूकंपों के कारण हुए उत्पातों का असर अगले 45 दिनों तक अधिक दिखता है यद्यपि रहता तो 6 महीने तक है समय के साथ धीरे धीरे सामान्य होता चला जाता है। 
 

महिलाओं में हिम्मत है तो अपने शरीर को उभारने की जगह अपने गुणों को उभारें !

 खजाने से भरी खुली टोकरी गरीबों की बस्ती से लेकर क्यों गुजरना !अकाल पीड़ित भूखे लोगों को यदि रोटी देनी न हो तो  दिखानी ही क्यों । किसी भी चीज की जरूरत व्यक्ति को बेईमान बना देती है अंधा बना देती है मरने पर मजबूर कर देती है डिपेंड करता है उसके जरूरत के लेवल पर अर्थात जरूरत कैसी है और आपूर्ति कैसी है यदि आवश्यकता और आपूर्ति में अधिक अंतर होगा तो आवश्यकतावान व्यक्ति अपनी जरूरत पूरी करने के लिए किसी भी स्तर पर उतर जाएगा पानी की शार्टेज होती है तो पानी का टैंकर लूट लिया जाता है यही तो बलात्कार है अपनी जरूरत को पूर करने के लिए मरने मारने पर उतारू हो जाना !
     महिलाओं के अंग प्रदर्शन का मतलब क्या है यदि इसे फैशन कहा जाए तो ये फैशन बना कैसे और बनाया किसने और इसका उद्देश्य क्या है आखिर फैशन कहने मात्र से तो बात नहीं बन जाएगी फैशन के पीछे भी तो अपनी अपनी पसंद ही मूलकारण होती है अन्यथा हर आदमी वैसा ही घूमने लगता !हर महिला तो अंग प्रदर्शन पर विश्वास नहीं रखती आखिर क्यों ? क्योंकि जो चीज बिकाऊ नहीं है उसे क्यों दिखाना अच्छी बुरी जो भी है वो उनकी अपनी है और अपने पास है और सबसे बड़ी बात उनके पास वैकेंसी ही नहीं खाली है फिर किसी को प्रभावित करके उसे परेशान क्यों करना और जिसे हम परेशान करेंगे उससे अच्छे व्यवहार की उम्मींद कैसे की जा सकती है   

महिलाएँ अपने को केवल शरीर ही समझती हैं क्यों ?समाज को प्रभावित करने के लिए महिला शरीरों की नुमाइश क्यों ? 
      महिलाएँ शरीरों को प्रदर्शित करेंगी तो शरीरों के कस्टमर जुड़ने लगेंगे और और गुणों को प्रदर्शित करें तो गुणों के ग्राहक जुड़ेंगे ये महिलाओं को स्वयं सोचना होगा कि वो कैसे लोगों के संपर्क में रहना चाहती हैं क्योंकि हमारा रहन सहन हमारा आचार व्यवहार हमारी बोली भाषा हमारी वेष भूषा ही तो हमारा परिचय देते हैं कि हमें कैसा रहन सहन और कैसा वातावरण पसंद है आपके साथ वैसे ही लोग जुड़ते चले जाते हैं । यदि हम अपने शरीर पर मांस का लोथड़ा रखकर चलेंगे तो हमारे ऊपर गिद्ध टूटने लगेंगे वही हमें नोचने लगेंगे अपने को शुद्ध पवित्र समझने वाले लोग हमसे किनारा करने लगेंगे  ! फिर भी लोग अगर कहें कि नहीं साहब उन्हें तो गिद्ध उड़ाने चाहिए थे किंतु क्यों उन्हें अपनी जिंदगी की जिम्मेदारियाँ भूलकर दूसरों के गिद्ध उड़ाने में लग जाना चाहिए वो भी तब जबकि उन्हें ये पता हो कि ये गिद्ध उसने स्वयं पाल रखे हैं अन्यथा क्या जरूरत थी मांस का लोथड़ा शिर पर रखकर घूमने की !
      कुछ लोग तर्क देते हैं कि गिद्धों के टूटने का कारण मांस लोथड़ा सिर पर रखना नहीं है कि यदि ऐसा होता तो शरीर में भी तो मांस है उसकी ऊपर तो नहीं टूटते !ऐसे लोगों को ये कैसे समझाया जाए कि गन्ने के रस से निर्मित गुड़ चीनी बताशे मिठाइयों आदि में कितना भी उड़ाओ किंतु मक्खियाँ भिनभिनाया ही करती हैं किंतु गन्ने के पेड़ में तो नहीं लगती हैं मक्खियाँ आखिर मीठा तो वो भी होता है । 
       




        कुछ चीजों में तर्क नहीं चलते मछलियाँ केंचुए खाने की लालची होती हैं यह जानकर ही तो मच्छली पकड़ने वाले अपने काँटे में केंचुए चुभा लेते हैं ताकि केंचुए खाने के लालच में फँस जाएँगी मछलियाँ और फँस भी जाती हैं इसका सीधा सा मतलब है कि किसी को ये केंचुए वाली गणित समझ में आवे या न आवे किंतु इस गणित को मछुआरा भी समझ रहा है और मछली भी समझ रही है तभी तो वो उसे  फँसाने के लिए इतने सारे प्रयास करता है और वो फँस जाती है इसका स्पष्ट मतलब है कि तीर निशाने पर लगा है किंतु केंचुए के स्वाद में अंधी मछली काँटे का एहसास होने पर भी केंचुए के स्वाद में ही रमी रही उसने काँटे को भुला दिया इसका ये कतई मतलब नहीं है कि उसे काँटे का एहसास नहीं था । 

वैसे भी इतना मूर्ख तो उन्हें भी नहीं  समझना  चाहिए कि उन्हें इतनी भी समझ नहीं होगी कि वो इतना तो समझ ही सकते हैं कि मांस का लोथड़ा अपने शिर पर रखकर घूमने वाले को भी इतना तो पता ही होगा कि  मांस लोथड़ा गिद्धों को बहुत प्रिय है 


 उन्हें तो गिद्ध इसमें उन्हें गलत  क्या है


दूर होने   से लगाकर चाहेंगे
      गुणों को ही प्रदर्शित करें गुणों पर ही गर्व करें गुणों को ही सजाएँ सँवारें जो लोग उनके गुणों को महत्त्व दें केवल उन्हीं की बातों को महत्त्व दें बाकी सामान्य संपर्क सबसे रखें !

 महिलाएँ अपने को शरीर समझने लगीं तो लोग भी उन्हें केवल शरीर ही समझने लगे और शरीर निर्जीव होता है इसलिए पुरुषों ने महिलाओं की भावनाओं की परवाह करनी छोड़ दी शरीरों का प्रदर्शन 
से ऊपर उठकर गुणों के आधार पर जिएँ जिंदगी अभी घट जाएँगे 
जीवन का मतलब है 

Friday, 27 May 2016

बाबाओं को बलात्कारी बता दिया गया और महिलाओं को भोली भाली !आखिर क्यों ?

       धार्मिक बलात्कार , आर्थिक बलात्कार ,कामनात्मकबलात्कार,मोक्षात्मक बलात्कार,भाग्यबर्द्धकबलात्कार ,ज्योतिषीयबलात्कार , तंत्रमांत्रिकबलात्कार, भागवती बलात्कार ,मोहित बलात्कार ,,फैशनेबल बलात्कार,व्यापारिक बलात्कार ,  चमत्कारिक बलात्कार ,यौगिक बलात्कार ,प्रमोशनिक बलात्कार ,नौकरीप्रद बलात्कार ,वैवाहिक बलात्कार ,अत्याचरिक बलात्कार ,होशहीन बलात्कार ,असंतोषी बलात्कार, आक्रोशीबलात्कार 
 कंजूस बलात्कार- कई महिलाएँ काम के बदले पर्याप्त मजदूरी नहीं देना चाहती हैं केवल हँस मुस्कुराकर अपने आस पास के लोगों से हर प्रकार के काम करवा लिया करती हैं ऐसी महिलाएँ अन्य लोगों को अपने चक्कर में फाँसे ही रहती हैं पंडित पुजारी तांत्रिकों साधू संतों तक को अपने चंगुल में फँसा लेने की ताक में हमेंशा बनी रहती रहती हैं और जब तक वो बात मंटा रहा तब तक तो ठीक और जैसे ही इंकार किया वैसे ही बलात्कार का केस !
 रिसर्चात्मक बलात्कार- रिसर्च करवाने के बदले अपनी स्कॉलर से शारीरिक संबंध बनाने वाले शिक्षकों की चर्चाएँ तो अक्सर देखी सुनी जाती हैं कई बार स्कॉलर यदि उनकी सेक्स शर्त नहीं स्वीकार करती है तो वो थीसिस को गलत बता बता कर अड़ंगा दल करते हैं ऐसे में कई छात्राएँ लोउनकी शर्त स्वीकार करके अपना काम निकाल लेती हैं और जब सब कुछ निपट जाता है तब करती है बलात्कार का केस !
  राजनैतिक बलात्कार- नेताओं की शादियाँ गरीबत में होती हैं सफलता मिलने पर बड़े लोगों में उठना बैठना हो जाता है उसी के अनुरूप बीबी की वैकेंसी भरने के चक्कर में तरह तरह के लोभ देकर करते रहते हैं बलात्कार कई तो शादी भी कर लेते हैं जो शादी कर लेते हैं उन्होंने कई तरबूजे कटे होंगे तब कोई एक लाल निकला  होगा !
                        धार्मिक बलात्कारों का अक्सर यही हश्र होता है क्यों ?
    महिलाओं में सेक्स भावना पुरुषों की अपेक्षा आठ गुणा अधिक बताई गई है शास्त्रों में इस आठ गुने से ही पुराने ऋषि मुनि डरते थे महिलाओं से !तुलसी दास जी ने लिखा है -
                     भ्राता पिता पुत्र उरगारी । पुरुष मनोहर निरखति नारी !
होइ बिकल सक मनहि न रोकी। जिमि रबिमनि द्रव रबिहि बिलोकी॥3॥
भावार्थ : (काकभुशुण्डिजी कहते हैं-) हे गरुड़जी! स्त्री मनोहर पुरुष को देखकर, चाहे वह भाई, पिता, पुत्र ही हो, विकल हो जाती है और मन को नहीं रोक सकती। जैसे सूर्यकान्तमणि सूर्य को देखकर द्रवित हो जाती है
कहने का आशय कि सुंदर पुरुष देखकर भाई पिता पुत्र जैसे संबंधों को भी भूल जाती हैं महिलाएँ !
    शंकराचार्य जी ने कहा वीर उसी को कहा जा सकता है जो महिलाओं की काम दृष्टि से भी पराजित न हो !
                                    प्राप्तो न मोहं ललना कटाक्षैः |
भागवतकार तो लिखते हैं कि -अर्थात स्त्रियों का हृदय छूरे की धार के समान तेज होता है उनकी इच्छाओं को समझा  नहीं जा सकता है ।
हृदयं क्षुर-धाराभं स्त्रीणां को वेद चेष्टितम्। 
   ऐसी महिलाओं को भोली भाली कह देने का मतलब आखिर क्या है क्या उन्हें इंद्रिय सुख नहीं चाहिए या उनमें काम बासना नहीं होती है महाभारत में एक कथा आती है कि काम अर्थात सेक्स का सबसे अधिक आनंद नारी शरीर से ही प्राप्त किया जा सकता है । 
    इसलिए भोली भाली महिलाएँ कहना कतई  ठीक नहीं होगा अंतर केवल इतना हो सकता है कि पुरुष प्रत्यक्ष रूप से सेक्स भावनाएँ प्रकट कर देते हैं महिलाएँ अप्रत्यक्ष रूप से प्रकट करती हैं । पुरुष जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं जबकि महिलाएँ देर से किंतु पुरुषों की बासना एक सामान्य लहार होती है जबकि कि महिलाओं की बासना साक्षात  सुनामी होती है । 
      सेक्स भावना प्रदर्शित करने के  लिए ही तो फैशन के नाम पर कामोत्तेजक अंगों को हाईलाइट करने या दिखाने या उन पर ध्यान आकर्षित करने के लिए क्या क्या नहीं करती हैं महिलाएँ उनका उठाना बैठना बोलना चालना भी उन्हीं लोगों के  साथ अधिक होता है जो उनके उन  उत्तेजक परिधानों पर निगाहें गड़ाए रहते हैं इतने टाइट कपड़े  कि शरीर की सिमटने तक दिखाई पड़ती हैं ।

 महिलाएँ भी करती हैं बलात्कार 

ये महिलाएं पुरुषों का करती थीं बलात्कार!see more.... http://www.youngisthan.in/hindi/rapist-women-of-zimbabwe-3534/

जब एक मर्द का रेप हो जाए see more.... http://www.bbc.com/hindi/india/2015/03/150331_male_rape_india_sr

16 वर्ष के बच्चे के साथ एक महिला ने किया रेप???see more.... http://www.bikimedia.com/a-woman-rapped-a-teenager/

 

वेदप्रताप वैदिक- महिलाएं भी करती हैं बलात्कार...see more... http://hindi.webdunia.com/article/regional-hindi-news/%E0%A4%B5%E0%A5%87%E0%A4%A6%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%AA-%E0%A4%B5%E0%A5%88%E0%A4%A6%E0%A4%BF%E0%A4%95-%E0%A4%AE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82-%E0%A4%AD%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A5%80-%E0%A4%B9%E0%A5%88%E0%A4%82-%E0%A4%AC%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%B0-113010700110_1.htm

रेप के लिए महिलाओं का पहनावा जिम्मेदार: हां या ना?see more....http://www.ichowk.in/society/do-women-who-dress-provocatively-invite-rape/story/1/1387.html

वीर्य के लिए महिलाओं ने किया पुरुष का रेपsee more.... http://www.samaylive.com/news-diffrent/134781/women-rape-rape-with-men-zimbawbe-semen-.html

 

 

गर्भवती महिला ने किया पुरुष से रेप!seemore..http://hindi.webdunia.com/international-hindi-news/rape-with-man-115052500034_1.html

 

 महिला ने 11 साल के बच्‍चे से 20 बार किया रेपsee more... http://aajtak.intoday.in/story/woman-had-an-eight-month-sexual-relationship-with-son-11-of-family-friend-1-739274.html


...जब प्रेगनेंट महिला ने घर में घुस कर किया पुरुष का रेप!see more... http://abpnews.abplive.in/ajab-gazab/pregnant-mother-of-four-pleads-guilty-to-raping-240-pound-man-while-he-slept-115853/

 

...और ड्रग्स देकर महिला ने पूरी रात किया पुरुष का रेप!see more... http://abpnews.abplive.in/ajab-gazab/woman-drugs-man-repeatedly-rapes-through-night-115108/

 

बाबाओं के सेक्स बहाने -

see more... http://www.rochakpost.com/2016/05/baba-dez-post-in-hindi.html

संतान देने वाले बाबा see more... http://www.navodayatimes.in/news/crime-plus/raping-more-than-100-women-in-the-name-of-the-baba-arrested/6409/

आशीर्वाद देने के बहाने see more... .... http://mediadarbar.com/21802/asaram-touched-my-private-parts/ 

 

Sunday, 22 May 2016

मोदी जी ! भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर सबसे पहले अंकुश लगाइए ! इनके सताए हुए लोग अभी भी कंप्लेन करने से डरते हैं !

 मोदी  सरकार के दो वर्ष होने का पर्व जनता भी मना रही है क्या ?या केवल सरकार में सम्मिलित लोग और केवल पार्टी के पदाधिकारी ही !कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि जनता को भी विश्वास में लिया जाए और जनता भी मोदी सरकार के वर्षद्वय पर में भावनात्मक रूप से सम्मिलित हो !अन्यथा वर्तमान खुशफहमी कहीं अटल जी की सरकार का फीलगुड बन कर न रह जाए !  

   मोदी जी ! जनता का बहुत बड़ा वर्ग भ्रष्टअधिकारियों और भ्रष्टनेताओं की धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है उसे बचने के लिए कुछ कीजिए !ये दोनों लोग ही करवा रहे हैं सभी प्रकार के अपराध !अन्यथा अपराधियों में इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि वो अपने बल पर अपराध करें और उनके पास इतना धन कहाँ होता है कि वे घूस देकर बच जाएँ किंतु मददगारों के बल पर वो उठा जाते हैं बड़े बड़े कदम !इस लिए उन मदद गारों की पहचान करके उन पर अंकुश लगाना होगा !इन लोगों पर अंकुश लगाए बिना 2019 की वैतरणी पार कर पाना आसान नहीं होगा !
इसके अलावा मोदी जी आखिर कैसे बंद हों अपहरण हत्या बलात्कार जैसे अपराध ! अपराधियों को गले लगाते हैं गुंडे और गुंडों को गले लगाती हैं राजनैतिक पार्टियाँ !इसी प्रकार से अपराध के कारोबार से कमाई करते हैं अपराधी और अपराधियों से कमाई करते हैं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी !यदि सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो न हत्याएँ होतीं न होते बलात्कार !इसलिए अपराधियों पर अंकुश लगाने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर काबू पावे सरकार !उसके पहले विकास संबंधी सारी बातें बेकार ! 
    प्रधानमंत्री जी ! सरकार के हाथ पैर तो सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही होते हैं जिनके अच्छे बुरे व्यवहार के आधार पर ही सरकार के काम काज का मूल्यांकन  होता है क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों से ही जनता को जूझना पड़ता है वो ही यदि भ्रष्टाचारी हैं तो आप कितने भी अच्छे बने रहें किंतु जनता के मन में आपकी छवि भ्रष्टाचार समर्थक के रूप में  ही बनी रहेगी !अपराधों पर अंकुश लगाने के नाम पर भाषण चाहें जितने हों किंतु काम बिलकुल नहीं हो रहा है ! 
   जेल में बैठकर  मीटिंगें कर रहे हैं अपराधी !एक साधारण किसान की गारंटी पर हजारों करोड़ का लोन मिल जाता है ऐसे असंख्य अपराध कर रहे हैं सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी इन्हें कोई देखने रोकने वाला ही नहीं है तभी तो अंकुश नहीं लग पा रहा है अपराधों पर !        सरकारी नीतियाँ इतनी अंधी हैं कि अधिकारियों कर्मचारियों से काम लेना तो सरकार के बश का ही नहीं है इनके  भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी सरकार के बश का नहीं है फिर भी इनकी सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार जबकि सरकारी हर काम काज का भट्ठा बैठा रखा  है इन्होंने !आखिर सरकार अपने  कर्मचारियों से इतनी खुश क्यों है!
    सरकारी शिक्षा विभाग ,डाकविभाग दूरसंचार विभाग चिकित्साविभाग चौपट तो इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों ने कर  रखा है इनसे बहुत कम सैलरी पाकर भी प्राइवेट टीचर, कोरियरकर्मी, प्राइवेटदूर संचार कर्मी,चिकित्साकर्मी अपने अपने क्षेत्र में कितनी अच्छी अच्छी सेवाएँ दे रहे हैं । 
    सरकार के कर्मचारी तो इतने कामचोर हैं कि जिस आफिस के कर्मचारियों की एक एक महीने की सैलरी पर पचासों लाख रूपए खर्च हो रहे होते हैं उस आफिस के कर्मचारी अपना कम्प्यूटर और प्रिंटर बिगाड़ कर उसी बहाने कई कई दिन काम न करके जनता को टरकाया करते हैं ऊपर से जनता के साथ मिलकर वो लोग  भी सरकार तथा सरकारी व्यवस्थाओं को गालियाँ देते हैं !         इनके काउंटरों पर नंबर की तलाश में खड़ी जनता को जानवरों की तरह कभी भी खदेड़ देते हैं ये इटरनेट न आने का बहाना बनाकर!कई कई दिन बीत जाने पर भी काम  न होने पर घूस देने को मजबूर कर दी जाती है जनता !उसके पास इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं होता है । सरकारी तंत्र की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहाँ जनता इस विश्वास के साथ शिकायत करे कि उसका काम समय से हो जाएगा !
       सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम कराने के लिए घूस देने के अलावा जनता के पास कोई अधिकार नहीं हैं जिस अधिकारी से शिकायत की जाती है वो उलटे जनता को ही काटने दौड़ता है सरकार तक जनता की पहुँच नहीं होती है !
     कुल मिलाकर अपराध छोटे हों या बड़े इसे करने वाला किसी न किसी कोने में मूर्ख होता है तभी तो ऐसा  रास्ता चुनता है ।अपराधी केवल यंत्र की भाँति होता है इसी कारण ऐसे लोगों का ऊपरी कमाई के लालच में उपयोग करते हैं भ्रष्टअधिकारी कर्मचारी और गुंडेनेता !जहाँ अधिकारियों कर्मचारियों की ऊपरी कमाई का साधन बने हैं अपराधी वहीँ भ्रष्टनेताओं  का दबदबा बनाने में सहायक होते हैं  अपराधी !यही अधिकारी और यही नेता उन अपराधियों की हर समय हर प्रकार से रक्षा करते रहते हैं इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है इसलिए  ऐसे लोगों पर अंकुश लगाए बिना अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है । 
     

Friday, 13 May 2016

कुंभ का गौरव घटाया है कंडोम वाले बड़े बड़े बाबाओं ने ! आखिर क्या है कुंभ और कंडोम का संबंध और कैसे होती है कमाई !

  साधक साधू संतों को ऐसी दृष्टि से न देखा जाए !तपस्वी साधू संतों की आवश्यकताएँ समाज हमेंशा से पूरी करता आ रहा है और उन्हें भी उतने में संतोष हो जाता रहा है किंतु बाबाओं का उतने में गुजारा नहीं होता वो धन संग्रह करके भारी भरकम संपत्ति जुटाकर बाबा शरीर से ही सारे भोग भोग लेना चाहते हैं ।इसलिए वो अपनी कमाई बढ़ाने के लिए हर हथकंडा अपनाते रहते हैं !जानिए कैसे !
   आश्रमों में बाबाओं के पास बिना कुछ किए धरे इतना पैसा आता कहाँ से है और इनकी सोर्स आफ इनकम के साधन होते क्या हैं !ये हर कोई जानना चाहता है किंतु यह सोचकर संतोष कर लेता है कि लोग देते होंगे किंतु  ये सच नहीं है भीख के पैसे में इतनी दम नहीं होती है कि उसके बलपर कोई गोली चला देगा !धन कमाने के शौक़ीन बाबाओं के भी अपनी आमदनी के साधन हैं वो भीख के भरोसे नहीं रहते ये सतयुगी साधू संत नहीं हैं ये तो कलियुगी बाबा हैं !
    ये केवल बाबा बनकर उतना धन इकठ्ठा कर लेते हैं जितना गृहस्थ जीवन भर परिश्रम पूर्वक कमाई करके नहीं कर पाते !कई लोग तो व्यापार करने के लिए बाबा बनकर पहले पूँजी जुटाते हैं फिर करते हैं व्यापार !ऐसे समाज को चकमा दे जाते हैं किंतु खाने वाले  दाँत ये दिखाते कभी नहीं हैं !आखिर गृहस्थ लोग बाबाओं की तरह के ऐसे धंधा व्यापार क्यों नहीं कर पाते हैं कि फटाफट रूपए छापते चले जाएँ !क्या वो प्रयास नहीं करते होंगे धन कमाने का किंतु धन कमाने में गृहस्थ लोग सफल क्यों नहीं होते और बाबा लोग असफल क्यों नहीं होते !
      किसान, मजदूर ,दुकानदार आदि घर गृहस्थी वाले लोग दिन रात मेहनत करके मुश्किल से अपने बच्चों का भरण पोषण कर पाते हैं दूसरी ओर बाबा लोग जो बिना कुछ रोजी रोजगार के  बिना किसी कामधाम के बड़ी बड़ी बिल्डिंगें आश्रम योगपीठें बनाते चले जाते हैं हजारों करोड़ के बड़े बड़े व्यापार खड़े करते चले जाते हैं उनका ये सब करना कैसे संभव हो पाता है !ये कहना सरासर झूठ है कि भगत लोग दे देते होंगे आखिर क्यों दे देंगे भगत लोग !ये कलियुग है बिना स्वार्थ के लोग जन्म देने वाले माता पिता को रोटियाँ नहीं देते वे आश्रमों पर क्यों मेहरवान होंगे और अपने खून पसीने की कमाई क्यों लुटा आएँगे बाबाओं पर कुछ तो स्वार्थ होता होगा उनका भी !
आमदनी के साधन -
      आश्रमी  बाबा पूरे देश में घूम घूम  कर सत्संग शिविरों या योग शिविरों का आयोजन करते हैं जिनके माध्यम से  उन  लोगों को अघोषित जीवनसाथी चुनने का अवसर उपलब्ध करवाया जाता है जो अपने गृहस्थ जीवन से असंतुष्ट हैं !या अविवाहित हैं और अपने प्रेमी प्रेमिका  के साथ पति पत्नी की तरह गृहस्थी धर्म का पूर्वाभ्यास करना चाहते हैं ऐसे लोगों को आश्रम न केवल जीवन साथी उपलब्ध करवाते हैं अपितु बिछुड़े प्रेमी प्रेमिकाओं को मिलाने का काम भी करते हैं ऐसे सभी भूखे प्यासे लोगों के लिए आश्रय स्थल बनते हैं आश्रम !सत्संग शिविरों और आश्रमों के नाम पर गंदे से गंदे गलत से गलत काम करने पर भी लोग ऐसे लोगों पर शक नहीं करते हैं माता पिता भी अपने बेटा बेटियों को बेझिझक भेज देते  हैं वहाँ संस्कार सुधारने के नाम पर !
      कई ऐसे भी आश्रम देखे जाते हैं जिनमें बाबा जी साल में दो एक दिन के लिए ही आते हैं कई आश्रमों में तो कई कई वर्ष तक नहीं आते हैं किंतु ऐसे आश्रमों की भी देख रेख साफ सफाई आदि निर्माण कार्यों में करोड़ों रूपए महीने खर्च हो रहे होते हैं आश्रम चमकाए जा रहे होते हैं बाबा जी को पता भी नहीं होता है ।ऐसे आश्रमों पर धन लुटा रहा होता है यही सफेदपोस ऐय्यास वर्ग !            बाबा जी बेचारे तो फ़ोकट में बदनाम  हो रहे होते हैं जबकि बाबा जी का  फोटो उपयोग करने का सप्ताह  महीना या साल के हिसाब से बाबा जी के एकाउंटों में पहुँचा दिया   जाता है । यह सफेद पोस ऐय्यास वर्ग जब अपने अपने कार्यस्थलों से आश्रमों के लिए निकलता है तब उनके कर्मचारियों के या अपने घर वालों के या अपने मुख से यह कहने में कितना अच्छा लगता है कि साहब या बाबू जी कुटिया पर या आश्रमों  में गए हैं !इसप्रकार से शाम को तरो ताजा होकर तैयार होते हैं इन्हें गाड़ी में डालकर ड्राइवर उनके घर फेंक आता है सुबह फिर घर से उठा लाता है ।  
      ऐसे ही आश्रमों के मालिक एक बाबाजी का लड़का भी जब बाबा जी के काम में हाथ बटाने लगा अर्थात  वो भी उसी धंधे में आ गया तो वो जिस जिस शहर में जाए पूछे कि यहाँ अपने कितने आश्रम हैं चेलालोग संख्या गिनकर बता दें  उसे भी सेवा पानी का खर्च आदि  दे दें आवभगत कर दें !किंतु वो इतने से संतुष्ट न था वो उन लोगों से आश्रमों की मल्कियत के कागज़ माँगने लगा !बाबाजी की मलकीयत थी नहीं वहाँ तो हफता महीने वर्ष के हिसाब से तय था !किंतु उनके बेटे को बाबाजी  की गणित समझ में नहीं आई  कागज़ माँगने के लिए बाबाजी के रसूक की धमकियाँ देने लगा अंत में उनके भक्त साधकों ने उन्हें वहाँ पहुँचाया जहाँ जाकर वो साधना कर सकें !ऐसे लोगों को साधू संत नहीं माना जा सकता है ।
       बाबा जी के ऐय्यास भक्तों को लगा कि कहीं मुझे भी वहीँ न पहुँचा दिया जाए तो उन्होंने ने फटाफट बाबा जी के पोस्टर फाड़ डाले नाम मिटा दिया और कह दिया कि यहाँ तो उन्होंने जबर्दश्ती कब्ज़ा किया था किंतु कोई अकेला बाबा इतना बड़ा मौन आतंक कैसे फैला सकता है । ये खबर जरूर पढ़ें- see more... http://aajtak.intoday.in/crime/story/baba-had-sexually-assaulted-female-devotees-in-barabanki-of-up-porn-videos-viral-1-868793.html

नितीश जी ! "संघमुक्तभारत' तो नारा है किंतु इशारा तो संघ की गोद में बैठने का है मौका खोज रहे हैं आप ?

    हे नीतीश जी ! पिछले जन्म में आपने लालू मुक्त विहार का भी नारा तो दिया था क्या हुआ उसका ? कक्षा 9 फेल की हाँ हुजूरी करके बितानी पड़  रही है जिंदगी ! 
   नितीश जी ! "संघमुक्तभारत' का सपना कभी साकार नहीं होगा !क्योंकि संघी शिवभक्त होते हैं और भक्तों  को छोड़कर कैसे रह पाएँगे बाबा विश्वनाथ !साथ ही उन्हें यह भी पता है कि नितीश जी केवल राजनीति करने के लिए गंगा पूजने आए हैं !वैसे भी नेताओं की बातों का भरोसा इंसान नहीं करते  भगवान क्या करेंगे !
      लालू मुक्त बिहार का नारा देकर लालूयुक्त सरकार बनाने वाले चतुर नेता नितीश जी !आपके "संघमुक्तभारत" का मतलब भी  लोग समझने लगे हैं कि संघ के दरवाजे पर नाक रगड़ने की जुगत भिड़ा रहे  हैं आप ! इसका सीधा सा मतलब है कि बिहार में बढ़ते अपराधों का ठीकरा जंगलनरेश के कक्षा 9 तक पढ़े होनहार जंगली राजकुमार पर फोड़ेंगे आप ! और खिसक लेंगे रामादल की ओर !आइडिया बुरा नहीं है आपका !वैसे भी युग पुरुषअटल जी के मंत्रिमंडल में सहयोगी होने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके आपको कक्षा 9 वाले से पूछ पूछ कर काम करना पड़ रहा है आजकल !ऐसे सहयोगी के सीनियर होने से अच्छा था अटल जी के जूनियर कहलाकर ही जीवन गुजार लेते आप तो इतनी भद्द नहीं पिटती जितनी आज पिटवा रहे हैं लालूकुमार !
    नितीश जी ! सत्ता का नशा शराब से ज्यादा भयंकर होता है बिहार में अपराधोत्सव' मना रहे हैं आपके गण !नितीश जी ! सत्ता का नशा शराब से ज्यादा भयंकर होता है बिहार में 'अपराधोत्सव' मना रहे हैं आपके गण !
जंगलराज के 15 वर्ष और मंगलराज के दस वर्ष अब जंगलमंगल के गठबंधन के पाँच वर्ष ! हे नितीश जी ! जिस 'लालूराज' को 'जंगलराज' कहने का श्री गणेश सर्व प्रथम आपने ही अपने 'श्रीमुख' से किया था और उस समय जंगलराज से मुक्ति दिलाने का संकल्प भी लिया करते थे आप किंतु आज उसी जंगलराज को गले में लटकाए घूम रहे हैं आप और उसीजंगलनरेश के दरवाजे पर नाक रगड़नी पड़ रही है आपको !उसी की हाँ हुजूरी कर रहे हैं आप !इसी प्रकार से आज आप संघ मुक्त भारत का नारा दे रहे हैं कल संघ के दरवाजे पर भी नाक रगड़नी पड़ेगी आपको ! हे नितीश जी !आपके जूनियर श्री जंगली राजकुमार जी समाज से पूछते घूम रहे हैं कि जंगल राज होता क्या है इन्हें एक दिन घर बैठा कर आप समझा दीजिए कि आपके पिता श्री की शासन शैली के लिए 'जंगलराज' जैसे महान शब्द की खोज आपने ही की थी ! महोदय !आजकल जंगलीराजकुमार के तुलनात्मक विचारों से दहशत में है विहार !जिस परिवार के बेटे की हत्या की गई है उस पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है उसे कितनी भी कानूनी या आर्थिक मदद दे दी जाए किंतु वो मदद उस बेदना को घटा नहीं सकती !उस परिवार के घाव भरने के लिए सामाजिक संवेदनाओं का लेप लगाना बहुत आवश्यक है आप मुख्यमंत्री होने के नाते बिहार परिवार के मुखिया हैं आप उस परिवार का बेटा तो नहीं लौटा सकते किंतु इस दुःख की घड़ी में संवेदनाओं की कमी मत पड़ने दीजिए नरेश !ये आपका पवित्र कर्तव्य है !आपके जूनियर सहयोगी अन्य राज्यों के अपराधों से तुलना करते घूम रहे हैं बारेजंगल राजकुमार !बारे आपके जूनियर !ये किसी लायक ही होते तो दशवीं पास न कर लेते ! केले के पेड़ और बेर के पेड़ में गठबंधन किया तो जा सकता है किंतु बिजयी बेर ही होता है केले के पत्ते तो फट जाते हैं वही स्थिति आज बिहार की है बेचारे केले सुरक्षित नहीं है ! मैं निजी तौर पर मानता हूँ कि इतने दिन बाद लालू जी को सत्ता मिली है तब भी उनके गण ख़ुशी न मनावें क्या ?बिहार की बुद्धिमान जनता ने 15 वर्ष लालू जी के जंगल राज का स्वाद लिया देखा और फिर नितीश का दस साल मंगल राज देखा अब जंगल और मंगल का महागठबंधन हो गया है अब जंगल में मंगल है या मंगल में जंगल किंतु जनता जंगल और मंगल के मिले जुले स्वाद को पचा नहीं पा रही है मंगल पर भारी पड़ रहा है जंगल !नीतीश जी भ्रष्टाचार पकड़ने का दावा करते है और लालू जी स्वयं साक्षात मूर्तिमान भ्रष्टाचार आरोपी हैं भ्रष्टाचार में पकड़े गए थे बेचारे!लालू जी के जिस जंगल राज को समाप्त करने का नारा देकर नीतीश जी नेता बनेथे आज उसी जंगल के साथ नीतीश जी का गठबंधन है । लालू जी और नीतीश जी एक दूसरे से उल्टा सोचते हैं उल्टा बोलते हैं उल्टा चलते हैं फिर भी गठबंधन !

Thursday, 12 May 2016

नितीश जी ! सत्ता का नशा शराब से ज्यादा भयंकर होता है बिहार में 'अपराधोत्सव' मना रहे हैं आपके गण !

    जंगलराज के 15 वर्ष और मंगलराज के दस वर्ष अब जंगलमंगल के गठबंधन के पाँच वर्ष !
    हे नितीश जी ! जिस 'लालूराज' को 'जंगलराज' कहने का श्री गणेश सर्व प्रथम आपने ही अपने 'श्रीमुख' से किया था और उस समय जंगलराज से मुक्ति दिलाने का संकल्प भी लिया करते थे आप किंतु आज उसी जंगलराज को गले में लटकाए घूम रहे हैं आप और उसी जंगलनरेश के दरवाजे पर नाक रगड़नी पड़  रही है आपको !उसी की हाँ हुजूरी कर रहे हैं आप !इसी प्रकार से आज आप संघ मुक्त भारत का नारा  दे रहे हैं कल संघ के दरवाजे पर भी नाक रगड़नी पड़ेगी आपको !
    हे नितीश जी !आपके जूनियर श्री जंगलीराजकुमार जी समाज से पूछते घूम रहे हैं कि जंगल राज होता क्या है इन्हें एक दिन घर बैठा कर आप समझा दीजिए कि आपके पिता श्री की शासन शैली के लिए 'जंगलराज' जैसे महान शब्द की खोज आपने ही की थी !
    महोदय !आजकल जंगलीराजकुमार के तुलनात्मक विचारों से दहशत में है विहार ! जिस परिवार के बेटे की हत्या की गई है उस पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा है उसे कितनी भी कानूनी या आर्थिक मदद दे दी जाए किंतु वो मदद उस बेदना को घटा नहीं सकती !उस परिवार के घाव भरने के लिए सामाजिक संवेदनाओं का लेप लगाना बहुत आवश्यक है आप मुख्यमंत्री होने के  नाते बिहार परिवार के मुखिया हैं आप उस परिवार का बेटा तो नहीं लौटा सकते किंतु इस दुःख की घड़ी में संवेदनाओं की कमी मत पड़ने दीजिए नरेश !ये आपका पवित्र कर्तव्य है !आपके जूनियर सहयोगी  अन्य राज्यों के अपराधों से तुलना करते घूम रहे हैं बारे जंगल राजकुमार !बारे आपके जूनियर !ये किसी लायक ही होते तो दशवीं पास न कर लेते ! 
      केले के पेड़ और बेर के पेड़ में गठबंधन  किया तो जा सकता है किंतु बिजयी  बेर ही होता है केले के पत्ते तो फट जाते हैं वही स्थिति आज बिहार की है बेचारे केले सुरक्षित नहीं है !
   मैं निजी तौर पर मानता हूँ कि इतने दिन बाद लालू जी को सत्ता मिली है तब भी उनके गण ख़ुशी न मनावें क्या ?बिहार की बुद्धिमान जनता ने 15 वर्ष लालू जी के जंगल राज का स्वाद लिया देखा और फिर नितीश का दस साल मंगल राज देखा अब जंगल और मंगल का महागठबंधन हो गया है अब जंगल में मंगल है या मंगल में जंगल किंतु जनता जंगल और मंगल के मिले जुले स्वाद को पचा नहीं पा रही है मंगल पर भारी पड़ रहा है जंगल !नीतीश जी भ्रष्टाचार पकड़ने का दावा करते है और लालू जी स्वयं साक्षात मूर्तिमान भ्रष्टाचार आरोपी हैं भ्रष्टाचार में पकड़े गए थे बेचारे  !लालू जी के जिस जंगल राज को समाप्त करने का नारा देकर नीतीश जी नेता बने थे आज उसी जंगल के साथ नीतीश जी का गठबंधन है । लालू जी और नीतीश जी एक दूसरे से उल्टा सोचते हैं उल्टा बोलते हैं उल्टा चलते हैं फिर भी गठबंधन !

     

आमआदमीपार्टी के प्रेत खोज रहे हैं मोदी जी की डिग्री !अरे आपियो ! ये मोदी जी डिग्रियाँ हैं इनका तुम पार नहीं पा सकते !

    ये डिग्रियाँ ही नहीं अपितु ये वो बाँस का खंभा हैं जिस पर ये आपिए जीवन भर चढ़ते उतरते रहें पार नहीं सकते !सीनियर आपियों ने अपने जूनियरों को  मोदी जी की डिग्रियों के बहाने उस प्रेत की तरह ही ऐसा काम सौंपा है कि किसान के आँगन में गड़े बाँस के खंभे पर चढ़ते उतरते रहो !वैसे भी आम आदमी पार्टी में जो कुछ करने धरने लायक थे उन्हें ज़िम्मेदारियाँ मिलीं जो किसी लायक नहीं थे उनसे कहा गया जाओ खोजो मोदी की डिग्री !
   एक गाँव का एक केजरीवाल जी की तरह का एक किसान काम की अधिकता से बहुत परेशान रहता था।वह हमेशा तनाव में रहने लगा।एक दिन एक अन्ना जी की तरह महात्मा जी के दर्शन करने गया तो उन्होंने किसान से कहा जो माँगना हो माँग  ले ! सुनकर वो बोला कि महात्मा जी मुझे कोई भूत, प्रेत या जिन्न ऐसा दे दीजिये जो मेरे सारे काम किया करे। उन्होंने मंत्र पढ़ा !! तुरंत एक भूत किसान के सामने आ खड़ा हुआ। भूत ने किसान के साथ जाने के लिए एक शर्त रखी कि यदि तुम मुझे कोई काम नहीं दोगे तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा।किसान ने सोचा मेरे पास तो बहुत काम है। भूत को काम से फुर्सत ही नहीं मिलेगी। और किसान भूत की शर्त मान कर उसे घर ले गया।
      किसान जो काम बताता भूत उस काम को झट से पूरा कर किसान के सामने आ खड़ा होता और काम मांगने लगता।कोई काम सूझ नहीं रहा था तभी देर होते देख भूत बोला जल्दी काम बताओ !! नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊँगा। किसान ने कहा एक मिनट ठहरो ! मैं जरा लघु शंका करके आता हूँ।ये कहके पिछले दरवाजे से निकल भागा और दौड़ा दौड़ा महात्मा जी के पास जा पहुंचा। महात्मा जी भूत से मेरी जान बचाइये। महात्मा जी ने सारी बात सुनी। किसान को भूत से बचने और काम लेने का उपाय बता कर घर भेज दिया।किसान ने जाते ही उसे आदेश दिया कि जाओ जल्दी से जंगल से एक मजबूत बाँस काट के लाओ।भूत बाँस काट के झट से ले आया।किसान ने कहा। कि इस आँगन में इस बाँस का एक खम्भा गाड़ दो। भूत ने झट से खम्भा भी गाड़ दिया और बोला की अब क्या करूँ ?"किसान ने भूत से इत्मीनान से कहा कि इस खम्भे पर चढ़ते उतरते रहो!"

अरे आपियो ! "PM की डिग्रियाँ असली हैं - DU "! हे केजरीवाल जी ! शर्म हो तो अब चुल्लू भर पानी में.....!  अरे दिल्लीवालो ! अपने मुख्यमंत्री को सँभालो !
    ये देश के दुश्मनों को खुश करने के लिए अपने राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों के विरुद्ध कैसे करता है दुष्प्रचार !

    जिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,मंत्री, सांसदोंं आदि  को जनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनती है उनकी निंदा करता है ये !देश के दुश्मनों की तरह भारत सरकार को अपना दुश्मन समझता है।PM मनमोहन सिंह हों या नरेंद्रमोदी या कोई और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है इसे !लगता है कि इसका उद्देश्य ही देश के दुश्मनों के सामने भारत सरकार को नीचा दिखाना होता है इसीलिए यह निंदा केवल भारत सरकार में सम्मिलित लोगों की करता है !यही आतंकवादी करते हैं हो सकता है कि इसकी ऐसी हरकतों से वे देश के दुश्मन खुश होते हों !इसके मुखसे राष्ट्रविरोधी ताकतों या आतंकवादियों की निंदा किसने कितने बार सुनी है किंतु भारत सरकार की निंदा तो रोज करता है।पुलिस को ठुल्ला कहता है ये !  
   कुल मिलाकर देश के सम्मानजनक पदों पर बैठे हर व्यक्ति की निंदा करता है ये !पहले कहता था -"राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
     बंधुओ! दुश्मन देश भी तो यही करना चाहते हैं कि विश्व मंचों पर भारत के प्रधान मंत्री को झूठा, बेईमान ,लप्फाज, अविश्वसनीय ,धोखाधड़ी आदि करने वाला सिद्ध किया जाए !ताकि विश्व की  विरादरी भारत के प्रधानमन्त्री की कही हुई बातों पर दिए हुए बचनों पर भरोसा न करे ! हे केजरीवाल जी ! हे आशुतोष जी !हे आशीष खेतान जी !और सभी हे! .... जी ,हे..... जी आपियो !भारत के प्रधानमन्त्री को बदनाम करके किसके लिए काम कर रहे हैं आप ?देश आप लोगों  पर भरोसा करे या न करे ! जिस व्यक्ति पर प्रधानमंत्री के रूप में सारे  भारत ने भरोसा किया है आप लोग उसे बदनाम करना चाहते हैं !क्या आप भारतवासियों की भावना के साथ नहीं हैं तो हैं किसके साथ? अब तो बता दीजिए !भारतवर्ष आपलोगों पर भरोसा करे या न करे !
        देश जानना चाहता है कि आप लोग  आतंकवादियों देश द्रोहियों के लिए भी जिस तरह की भाषा का प्रयोग करते नहीं सुने जाते हैं किंतु वैसी भाषा का प्रयोग देश के प्रधान मंत्री के लिए बार बार करते हैं क्यों ?आप लोग हमेंशा देश के प्रधानमंत्री के लिए दुष्प्रचार किया करते हैं देश के प्रधानमन्त्री जी यदि आपके आरोपों पर सफाई दें तो उनका स्तर गिरता है इतने घटिया होते हैं आप लोगों के आरोप !उनकी मज़बूरी ये है कि अक्सर उन्हें विश्व विरादरी के साथ बैठकर आँख मिलाकर बात करनी और भारत की विश्वसनीयता बढ़ानी होती है उन्हीं लोगों में यदि कोई कह दे कि आपके देश का एक मुख्यमंत्री ही आपकी बातों पर भरोसा नहीं करता है तो मैं कैसे करूँ !
    हे केजरीवाल जी !इस बात और भावना से होने वाला नुक्सान केवल मोदी जी का होगा या देश का !अब आप सोचिए कि आप लोग मोदी जी से अपनी दुश्मनी निकाल रहे हैं या देश से !आखिर ऐसी  देशविरोधी गतिविधियों में आप लोग अक्सर सम्मिलित क्यों पाए जाते हैं !
    हे अरविंद केजरीवाल जी ! ऐसी ही राष्ट्रविरोधी समाज विरोधी हरकतें आप हमेंशा से करते आए हैं किंतु लब्धप्रतिष्ठ लोग आपको मुख  नहीं लगाते रहे और आप अकेले भौंकते रहे वो तो राष्ट्रपति बन गए देश  ने उन्हें सम्मान दिया !seemore...-https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es
महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के विषय में भी आपने कहा था -
राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने योग्य नहीं: टीम अन्नाsee more...http://khabar.ibnlive.com/news/desh/141497.html
 "भ्रष्टाचारी प्रणव कैसे बन सकते हैं तीनों सेनाओंके अध्यक्ष:टीमअन्ना!
      प्रणब मुखर्जी पर आरोप लगाते हुए टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा "प्रणब मुखर्जी पर भ्रष्टाचार के दो बहुत संगीन मामले हैं.उन्होंने कहा बगैर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के उनका राष्ट्रपति के तौर पर तीनों सेनाओं का कमांडर बनना  उचित नहीं होगा!".
see more.... http://www.samaylive.com/nation-news-in-hindi/154987/corruption-army-chief-presidential-candidates-congress-pranab-mu.html
विशेषबात
     भाजपा समेत समस्त राजनैतिक पार्टियों से मेरा विनम्र निवेदन है कि देश के प्रतिष्ठा पूर्ण पदों पर बैठे लोगों के विरुद्ध दुष्प्रचार न सहें न करें जो करे उसका सामूहिक बहिष्कार करें !अन्यथा विश्व के किसी भी प्रतिष्ठपूर्ण मंच पर भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे लोग भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर पाएँगे !जब देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों को भ्रष्ट ही सिद्ध कर दिया जाएगा तो आखिर कौन रखेगा विश्व मंचों पर भारत का पक्ष !
      दूसरी जरूरीबात दिल्ली भाजपा के लिए -
   केजरीवाल जैसे जनभाषाभाषियों को जवाब इसी भाषा में देकर दिल्ली में ही घेरना होगा इन्हें इनकी योजनाओं में भी पोलखोलने का पाखण्ड इन्हीं की तरह करना होगा इनकी कामचोरी मक्कारी विज्ञापनों में उलखर्ची आदि बातें जनता तक पहुँचानी होंगी अन्यथा ये ऐसे ही देश की सरकार के विरुद्ध गोबर उगलते रहेंगे क्योंकि इन्हें पता है जिसके विरुद्ध हम गोबर उगलेंगे वहाँ इतनी गंध हो जाएगी कि हम्हीं हम बचेंगे दूसरा कोई शर्मदार व्यक्ति ऐसा कर ही नहीं पाएगा !इसी बलपर  दिल्ली का CM पद इन्होंने पाया है !इसलिए इनके मनोबल और बढ़े हैं अब तो सबके सब गोबर उगलते घूम रहें हैं बेशर्मी की हद है !
    भाजपा चाहे तो राजनैतिक प्रदूषण को रोकने सम्बन्धी अभियान में मेरी सेवाएँ भी ले सकती है ।क्योंकि मैं इस प्रकरण को राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहा हूँ और ऐसा करना अपना दायित्व समझता हूँ ।

Wednesday, 11 May 2016

PM की डिग्रियाँ असली हैं - DU ! हे केजरीवाल जी ! शर्म हो तो अब चुल्लू भर पानी में.....!

   अरे दिल्लीवालो ! अपने मुख्यमंत्री को सँभालो !
    ये देश के दुश्मनों को खुश करने के लिए अपने राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों के विरुद्ध कैसे करता है दुष्प्रचार !
    जिन राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ,मंत्री, सांसदोंं आदि  को जनता लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनती है उनकी निंदा करता है ये !देश के दुश्मनों की तरह भारत सरकार को अपना दुश्मन समझता है।PM मनमोहन सिंह हों या नरेंद्रमोदी या कोई और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है इसे !लगता है कि इसका उद्देश्य ही देश के दुश्मनों के सामने भारत सरकार को नीचा दिखाना होता है इसीलिए यह निंदा केवल भारत सरकार में सम्मिलित लोगों की करता है !यही आतंकवादी करते हैं हो सकता है कि इसकी ऐसी हरकतों से वे देश के दुश्मन खुश होते हों !इसके मुखसे राष्ट्रविरोधी ताकतों या आतंकवादियों की निंदा किसने कितने बार सुनी है किंतु भारत सरकार की निंदा तो रोज करता है।पुलिस को ठुल्ला कहता है ये !  
   कुल मिलाकर देश के सम्मानजनक पदों पर बैठे हर व्यक्ति की निंदा करता है ये !पहले कहता था -"राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
     बंधुओ! दुश्मन देश भी तो यही करना चाहते हैं कि विश्व मंचों पर भारत के प्रधान मंत्री को झूठा, बेईमान ,लप्फाज, अविश्वसनीय ,धोखाधड़ी आदि करने वाला सिद्ध किया जाए !ताकि विश्व की  विरादरी भारत के प्रधानमन्त्री की कही हुई बातों पर दिए हुए बचनों पर भरोसा न करे ! हे केजरीवाल जी ! हे आशुतोष जी !हे आशीष खेतान जी !और सभी हे! .... जी ,हे..... जी आपियो !भारत के प्रधानमन्त्री को बदनाम करके किसके लिए काम कर रहे हैं आप ?देश आप लोगों  पर भरोसा करे या न करे ! जिस व्यक्ति पर प्रधानमंत्री के रूप में सारे  भारत ने भरोसा किया है आप लोग उसे बदनाम करना चाहते हैं !क्या आप भारतवासियों की भावना के साथ नहीं हैं तो हैं किसके साथ? अब तो बता दीजिए !भारतवर्ष आपलोगों पर भरोसा करे या न करे !
        देश जानना चाहता है कि आप लोग  आतंकवादियों देश द्रोहियों के लिए भी जिस तरह की भाषा का प्रयोग करते नहीं सुने जाते हैं किंतु वैसी भाषा का प्रयोग देश के प्रधान मंत्री के लिए बार बार करते हैं क्यों ?आप लोग हमेंशा देश के प्रधानमंत्री के लिए दुष्प्रचार किया करते हैं देश के प्रधानमन्त्री जी यदि आपके आरोपों पर सफाई दें तो उनका स्तर गिरता है इतने घटिया होते हैं आप लोगों के आरोप !उनकी मज़बूरी ये है कि अक्सर उन्हें विश्व विरादरी के साथ बैठकर आँख मिलाकर बात करनी और भारत की विश्वसनीयता बढ़ानी होती है उन्हीं लोगों में यदि कोई कह दे कि आपके देश का एक मुख्यमंत्री ही आपकी बातों पर भरोसा नहीं करता है तो मैं कैसे करूँ !
    हे केजरीवाल जी !इस बात और भावना से होने वाला नुक्सान केवल मोदी जी का होगा या देश का !अब आप सोचिए कि आप लोग मोदी जी से अपनी दुश्मनी निकाल रहे हैं या देश से !आखिर ऐसी  देशविरोधी गतिविधियों में आप लोग अक्सर सम्मिलित क्यों पाए जाते हैं !
    हे अरविंद केजरीवाल जी ! ऐसी ही राष्ट्रविरोधी समाज विरोधी हरकतें आप हमेंशा से करते आए हैं किंतु लब्धप्रतिष्ठ लोग आपको मुख  नहीं लगाते रहे और आप अकेले भौंकते रहे वो तो राष्ट्रपति बन गए देश  ने उन्हें सम्मान दिया !seemore...-https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es
महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के विषय में भी आपने कहा था -
राष्ट्रपतिप्रणव मुखर्जी भ्रष्ट , प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भ्रष्ट  ,उनके 15 मंत्री भ्रष्ट , 162 सांसद दागी !आदि आदि और भी बहुत कुछ -see more... https://www.youtube.com/watch?v=ivi5XO08_es 
प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बनने योग्य नहीं: टीम अन्नाsee more...http://khabar.ibnlive.com/news/desh/141497.html
 "भ्रष्टाचारी प्रणव कैसे बन सकते हैं तीनों सेनाओंके अध्यक्ष:टीमअन्ना!
      प्रणब मुखर्जी पर आरोप लगाते हुए टीम अन्ना के वरिष्ठ सदस्य अरविंद केजरीवाल ने कहा "प्रणब मुखर्जी पर भ्रष्टाचार के दो बहुत संगीन मामले हैं.उन्होंने कहा बगैर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के उनका राष्ट्रपति के तौर पर तीनों सेनाओं का कमांडर बनना  उचित नहीं होगा!".
see more.... http://www.samaylive.com/nation-news-in-hindi/154987/corruption-army-chief-presidential-candidates-congress-pranab-mu.html
विशेषबात
     भाजपा समेत समस्त राजनैतिक पार्टियों से मेरा विनम्र निवेदन है कि देश के प्रतिष्ठा पूर्ण पदों पर बैठे लोगों के विरुद्ध दुष्प्रचार न सहें न करें जो करे उसका सामूहिक बहिष्कार करें !अन्यथा विश्व के किसी भी प्रतिष्ठपूर्ण मंच पर भारत के राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री जैसे लोग भारत का प्रतिनिधित्व कैसे कर पाएँगे !जब देश के राष्ट्रपति प्रधानमंत्रियों मंत्रियों सांसदों को भ्रष्ट ही सिद्ध कर दिया जाएगा तो आखिर कौन रखेगा विश्व मंचों पर भारत का पक्ष !
      दूसरी जरूरीबात दिल्ली भाजपा के लिए -
   केजरीवाल जैसे जनभाषाभाषियों को जवाब इसी भाषा में देकर दिल्ली में ही घेरना होगा इन्हें इनकी योजनाओं में भी पोलखोलने का पाखण्ड इन्हीं की तरह करना होगा इनकी कामचोरी मक्कारी विज्ञापनों में उलखर्ची आदि बातें जनता तक पहुँचानी होंगी अन्यथा ये ऐसे ही देश की सरकार के विरुद्ध गोबर उगलते रहेंगे क्योंकि इन्हें पता है जिसके विरुद्ध हम गोबर उगलेंगे वहाँ इतनी गंध हो जाएगी कि हम्हीं हम बचेंगे दूसरा कोई शर्मदार व्यक्ति ऐसा कर ही नहीं पाएगा !इसी बलपर  दिल्ली का CM पद इन्होंने पाया है !इसलिए इनके मनोबल और बढ़े हैं अब तो सबके सब गोबर उगलते घूम रहें हैं बेशर्मी की हद है !
    भाजपा चाहे तो राजनैतिक प्रदूषण को रोकने सम्बन्धी अभियान में मेरी सेवाएँ भी ले सकती है ।क्योंकि मैं इस प्रकरण को राष्ट्र की प्रतिष्ठा से जोड़कर देख रहा हूँ और ऐसा करना अपना दायित्व समझता हूँ ।

Monday, 9 May 2016

जनता के पैसों से चलने वाली संसद में केवल जनता से जुड़े मुद्दे ही उठाए जाएँ !

  अपने निजी मुद्दे हों या अपनी पार्टी मालिक मालकिनों से संबंधित मुद्दे उठाने के लिए जनता का पैसा बर्बाद न करें उसका फैसला कोर्ट से कराएँ और अपना पैसा खर्च करके अपना स्वतन्त्र विज्ञापन करके जनता को समझाएँ कि वो कितने कर्मठ और ईमानदार हैं !सांसद में ब्लेक मेलिंग बंद हो कि यदि ऐसा नहीं मनोज तो संसद नहीं चलने  जाएगी !
   नेता लोग अपने एवं अपनी पार्टियों से जुड़े मुद्दे समाज में उठाएँ या कोर्ट जाएँ उसके लिए संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद न करें !क्योंकि संसद न केवल जनता के खून पसीने की कमाई से चलती है !और जनता बड़ी मुशीबत में कमाती है एक एक पैसा !संवेदनाशून्य नेताओं को यह ध्यान रखना चाहिए !
       ऐसे लोग जनता के पैसे से चलने वाली संसद का बहुमूल्य समय जनता के काम नहीं आने देते वो  औरों को बेईमान और अपने को ईमानदार सिद्ध करने में बर्बाद कर देते हैं सारा समय !जबकि ये राजनेताओं और उनकी पार्टियों के अपने निजी मुद्दे हैं इससे उनका अपना हानि लाभ है जनता का नहीं तो ऐसे मुद्दों को जनता के पैसों से चलने वाली संसद में क्यों उठाया जाए फिर इनके लिए संसद की कार्यवाही रोकने का का मतलब क्या ये नहीं होता कि इनके भ्रष्टाचार पर यदि पर्दा नहीं डाला जाएगा तो ये संसद की कार्यवाही रोककर रखेंगे नहीं चलने देंगे !संसद चलाना सरकार की मजबूरी होती है । ऐसे तो  भ्रष्टाचार का कोई केस खुलेगा ही नहीं ये तो सीधी सीधी ब्लैकमेलिंग है अन्यथा ऐसे मुद्दों के लिए पार्टियाँ कोर्ट जाएँ या फिर जनता को सच्चाई समझावें !    लोकतंत्र की खाल में घुसे घूम रहे हैं काँग्रेस ,सपा बसपा राजद जैसे ठेकेदारी पर राजनीति करवाने वाले गिरोहों की बराबरी राजनैतिक पार्टियों से कैसे की जा सकती है ! कहाँ है इनमें लोकतंत्र ?
    पार्टियों में लोकतंत्र स्थापित होते ही शिक्षित,सदाचारी और समझदार लोगों को भी उनकी कार्यक्षमता के आधार पर अवसर मिलने लगेंगे !ये शिक्षित सांसद संसद की चर्चाओं में भाग लेंगे इन्हें चर्चा  की समझ होगी दूसरे की सुनेंगे अपनी सुनाएँगे औरों के अच्छे बिचार मानेंगे अपने प्रेम पूर्वक औरों को मनवाएँगे !हुल्लड़ नहीं मचाएँगे इससे संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद नहीं जाएगा !जनता के पैसों से चलने वाली संसद का एक एक सेकेण्ड जनता के काम आएगा !भारतीय संसद विश्व के लिए आदर्श बनेगी ।
      जो सांसद शिक्षित नहीं होते वो अपने विचार रख नहीं पाते औरों के समझ नहीं पाते पार्टियों के सरदार लोग ऐसे लोगों का उपयोग हुल्ल्ड़ मचाने,माइकफेंकवाने ,कुर्सियाँ तोड़वाने या  मारपीट आदि करने करवाने में किया करते हैं चूँकि शिक्षित और  समझदार लोग उनके कहने से ऐसा नहीं करेंगे वे अपना भी दिमाग लगाएँगे अपनी भी समझदारी का उपयोग करेंगे और पार्टी के सरदारों के कहे हुए गलत काम नहीं करेंगे इसीलिए राजनीति के स्वयंभू ठेकेदारों की पहली पसंद हैं अशिक्षित और दुर्गुणी लोग !
     चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य करने जैसी चर्चा चलते ही राजनैतिक सामन्तवादी गिरोहों के सरदार लोग दलितों सवर्णों ,अगड़ों पिछड़ों ,हिन्दू मुस्लिमों आदमी औरतों, गरीबों अमीरों के भेदभाव भरने लगते हैं समाज में !ये मक्कावर्ग ऐसे ही बहानों के बल पर पिछले कई दशकों से शिक्षित सदाचारी लोगों के राजनीति में जाने का रास्ता रोककर खड़ा हुआ है ।राजनीति का आपराधीकरण ऐसे ही नेताओं की देन है क्योंकि समाज को अपनी बात मनवाने के लिए इन्हें अपराधियों की  जरूरत पड़ा करती है अपराधियों का उपयोग ये करते  हैं तो अपराधी इनका उपयोग करते हैं !रास्ते चलते लोगों को गोली मार देते हैं लूट लेते हैं लड़कियों को उठा ले जाते हैं बलात्कार करते हैं और कुछ दिन एकांत बास करते हैं तब तक यही नेता लोग रफा दफा करा देते हैं केस !इसलिए राजनैतिक पार्टियों के अंदर लोकतंत्र एवं शिक्षा अनिवार्य होनी चाहिए !
     अलोकतांत्रिक  राजनैतिक पार्टियों के  सरदार दलितों सवर्णों ,अगड़ों पिछड़ों ,हिन्दू मुस्लिमों, आदमियों  औरतों, गरीबों अमीरों के बीच खाई खींचकर आपस में इन्हें लड़ाया करते हैं और अपने घर भरा करते हैं !दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों के हितों के नाम पर चलाई जाने वाली हर योजना का सारा धन इन्हीं लोगों के अपने घरों में रखा मिलेगा सारा  धन बड़ी चालाकी पूर्वक ये खुद खा जाते हैं दलितों के सामने सवर्णों को ,पिछड़ों के सामने अगड़ों को  ,मुस्लिमों के सामने हिन्दुओं को , औरतों के सामने आदमियों को  और  गरीबों के सामने अमीरों को दोषी ठहराकर सारा धन खुद खा जाते हैं जनता की भलाई के लिए पास हुआ सारा धन ! इन राजनैतिक ठेकेदारों का न कोई धंधा होता है न व्यापार न नौकरी दिन भर खाली घूमते हैं जब राजनीति में आए थे तब कंगले थे आज अरबोंपति हैं आखिर कहीं से तो आया होगा ये धन किसी को नोचा होगा इन्होंने !यही धन पचाने और रखाने के लिए इन्हें चाहिए होता है अपराधियों का साथ ऐसे हो रहा है राजनीति का अपराधीकरण ! दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों के हितों से इन राजनैतिक सरदारों का कोई लेना देना नहीं होता है ।अपने हितों की बातें मनवाने के लिए ये गिनाते  हैं दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों के नाम !
  दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों से इनका कोई लेना देना नहीं होता है अपितु इनका उद्देश्य तो केवल मूर्खों को अपने मातहत रखकर भाड़े पर राजनीति करवाना  होता है !इसीलिए ये राजनैतिक माफियावर्ग  शिक्षित समझदार  लोगों को या तो राजनीति में घुसने नहीं देता है या फिर अपना भाड़े का टट्टू बना कर रखता  है ऐसे टट्टू विधायकों सांसदों की बातों को तो छोड़िए यदि ऐसे लोग प्रधानमंत्री भी बन जाएँ तो भी ये पार्टी मालिकों की हाँ हुजूरी ही किया करते हैं !एक प्रधानमंत्री की मालकिन के बेटे ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास किए गए अध्यादेश के पन्ने फाड़ कर फेंकने के लिए बाकायदा मीडिया बुलाई थी केवल यह दिखाने के लिए कि केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों की हमारे सामने क्या औकात है !यह देखकर भी प्रधानमंत्री समेत सारे मंत्रिमंडल को साँप सूँघ गया था ये है विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का हाल जहाँ  PM को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है किंतु इन राजनैतिक माफियाओं ठेकेदारों के सामने प्रधानमंत्री जैसे ताकतवर व्यक्ति को भी दुम दबाकर जाना होता है !
     जैसे  भाजपा में पार्टीअध्यक्ष बनने का सपना हर कार्यकर्ता देख सकता है वैसी सुविधा अन्य पार्टियों में क्यों  नहीं होने दे रहे हैं उन राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग !भ्रष्टाचार के जन्मदाता हैं ये लोग !इनके चुनाव हारने के बाद भी अधिकारी लोग इनके भ्रष्टाचार पर हाथ डालने में डरते हैं क्योंकि जब सत्ता में आएँगे तब बदला लेंगे !दूसरी राजनैतिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार का शोर मचाकर सत्ता में तो आ जाती हैं  अलोक तांत्रिक पार्टियों के सरदारों पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही कैसे करें जब सत्ता में वो आएँगे तो बदला  लेंगे दूसरी बात पार्टिसरदारों को अपने लाखों कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त होता जब चाहेंगे तब आंदोलनों के नामपर देश के कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा देंगे ईमानदार सरकारें इस गुंडागर्दी के कारण डर जाती हैं भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से लड़ने में !इसीलिए भ्रष्टाचारी पहलीबात तो जेल जा नहीं पाते हैं और गए भी तो कानून को ठेंगा दिखाते हुए गंगा सी नहा  कर निकल आते हैं!
         सोनियाँ जी ,लालू जी ,मुलायमसिंह जी ,मायावती जी आदि लोग अपनी पार्टी के कितने योग्य समझदार व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के नीचे ही दबा कर रखते हैं ताकि वो सिर न उठा सके और उनके सामने आँख मिलाकर बात न कर सके !इनकी यही समस्या वहाँ होती है जब चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य करने की बात आती है तो इन पार्टियों के मालिक घबड़ा जाते हैं कि पढ़े लिखे समझदार लोगों को टिकट देना  अपने ऊपर भारी पड़ेगा !  जिन पार्टियों में अध्यक्ष केवल एक परिवार का ही सदस्य हो सकता है वो अपने को लोकतान्त्रिक पार्टी कैसे कह सकती हैं वो राजतांत्रिक पार्टियाँ हैं इसीलिए वो राजाओं की तरह का सलूक करती हैं अपने कार्यकर्ताओं और देश वासियों के साथ !  जैसे अकर्मण्य चालाक और भ्रष्ट ऐय्यास राजा लोग अपनी कुर्सी कायम रखने के लिए जनता को आपस में लड़ाया करते थे और खुद चौधराहट किया करते थे वही ये कर रहे हैं आज  । 
     काँग्रेस क्या ख़ाक बचाएगी लोकतंत्र ! लोकतंत्र की समझ नहीं है तो भाजपा से सीख ले या फिर PK से पूछ ले !क्या होता है लोकतंत्र !जानिए कैसे ?
   काँग्रेस अपना अध्यक्ष चुनती है क्या ?मनमोहन सिंह जी को PM जनता की रूचि से बनाया गया था क्या ?मनमोहन सिंह जी किस लोक सभाक्षेत्र से जीते थे चुनाव !काँग्रेस बताएगी क्या ?लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा बने फिरते हैं लोकतंत्र बचाओ रैली निकालते !अपनी अकल इंद्रिय खराब है तो कम से कम PK से ही पूछ लिया होता रैली निकालने से पहले कि  इससे भद्द तो नहीं पिटेगी !
    लोकतंत्र  है भाजपा में जहाँ पार्टी अध्यक्ष और PM प्रत्याशी के चयन में देखी जाती है पार्टी कार्यकर्ताओं की रूचि !रही बात प्रधानमंत्री बनाने की तो अपने PM प्रत्याशी के गले में बँधा पार्टीबंधन खोलकर स्वतंत्र छोड़ देती है पार्टी जनता का भरोसा जीतने के लिए !यदि उसके समर्थन में देश की जनता मोहर मारती है तब बाद में पार्टी मारती है मोहर ! जाओ तुमने पार्टी के अनुशासित सिपाही के नाते जनता का विश्वास जीतकर प्रधानमंत्री बनने की पात्रता सिद्ध की है इसलिए बनो प्रधानमंत्री !
      भाजपा के अलावा देश की लगभग अन्य सभी पार्टियों में लोकतंत्र का तो बस नाम भर है बाक़ी एक परिवार की ही मलकीयत चलती है और जिन पार्टियों के मालिक  फिक्स हैं उन पार्टियों को लोकतांत्रिक कैसे कहा जा सकता है ! जो काँग्रेस पार्टी अपना अध्यक्ष चुनने के लिए  सदस्यों की परवाह न करती हो देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए देश की जनता की इच्छा जानने की जरूरत ही न समझती हो वो बचाने निकली है लोकतंत्र !बारे लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा लोगो  !
     मनमोहन सिंह एक लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मन नहीं जीत सके वे देश के प्रधानमंत्री बनाए गए केवल पार्टी की मालकिन की इच्छा पर और हमेंशा  उसी प्रकार का व्यवहार भी करते रहे !मनमोहन सिंह जी की पार्टी की मालकिन के लड़के ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास कराया गया अध्यादेश फाड़ने के लिए बकायदा प्रेसकांफ्रेंस की थी ! यदि वो पार्टी की मालकिन के लड़के सहमत नहीं थे तो एकांत में बात भी की जा सकती थी मनमोहन सिंह जी से वे विद्वान हैं वयोवृद्ध हैं हैं शिष्ट शालीन अनुभवी आदि और भी बहुत कुछ हैं उनसे इस विषय में बात कर लेने में कौन सी बेइज्जती हो जाती या वो कौन  इनकार कर देते और यदि कर देते तो कितने घंटे रह पाते कृपा पूर्वक प्राप्त उस कुर्सी पर !ये तो दुनियाँ जानती है फिर भी दुनियाँ को दिखाकर अध्यादेश की कापी फाड़ने को मनमोहन सिंह जी की सरकार के लिए चुनौती क्यों न माना जाए लोकतंत्र कैसे मान लिया जाए ! 
    इसीप्रकार से मनमोहन सिंह जी की सरकार की मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए गैस सिलेंडरों की संख्या घटाकर पहले 9 की गई थी फिर मालकिन के लड़के से एक सभा में कहलवाया गया कि अब 12 कर दो सुनते ही पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा -"सब्सिडी वाले सस्ते रसोई गैस सिलेंडरों का सालाना कोटा नौ से बढ़ाकर 12 किया जाएगा।" मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए जनता को ऐसे तंग किया जाता रहा इसे लोकतंत्र मान लिया जाए क्या ?
          इसप्रकार से सपा बसपा राजद आदि सभी पार्टियों में अध्यक्ष नहीं अपितु मालिक हैं इसीलिए भारतीय जनता पार्टी काँग्रेस समेत सभी पार्टियों को सिखा सकती है कि क्या होता है लोकतंत्र ! क्योंकि भाजपा "लोकतंत्र बचाओ" के नारे नहीं लगाती अपितु देश के लोकतंत्र के लिए साक्षात संजीवनी है ! लोकतंत्र  बचाने वाली एकमात्र पार्टी है भाजपा जिसमें अध्यक्ष बनने या प्रधानमंत्री बनने का सपना पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता देख सकता है बशर्ते उसे पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता का विश्वास जीतना होता है इसे कहते हैं लोकतंत्र !जो लोक इच्छा  से बनता है ।बाकी पार्टियों में लोकतांत्रिक दृष्टि से  अध्यक्ष चुनने के नाम पर  लोकतंत्र को केवल ठेंगा दिखाया जाता है ! जिस पार्टी में अध्यक्ष चुनने की जगह एक परिवार की मलकियत चलती हो !वे  सोनियाँ जी और मनमोहन जी क्या बचाएँगे लोकतंत्र !


राजनैतिक पार्टियों के अंदर लोकतंत्र एवं चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य की जाए !

   लोकतंत्र की खाल में घुसे घूम रहे हैं काँग्रेस ,सपा बसपा राजद जैसे  गिरोहराजनैतिक पार्टियाँ हैं क्या ? कहाँ है इनमें लोकतंत्र ?
       ऐसे लोग जनता के पैसे से चलने वाली संसद का बहुमूल्य समय जनता के काम नहीं आने देते वो  औरों को बेईमान और अपने को ईमानदार सिद्ध करने में बर्बाद कर देते हैं !जबकि ये राजनेताओं और उनकी पार्टियों के अपने निजी मुद्दे हैं इससे उनका अपना हानि लाभ है जनता का नहीं तो ऐसे मुद्दों को जनता के पैसों से चलने वाली संसद में क्यों उठाया जाए फिर इनके लिए सांसद की कार्यवाही रोकने का का मतलब क्या ये नहीं होता कि इनके भ्रष्टाचार पर यदि पर्दा नहीं डाला  जाएगा तो ये संसद  नहीं चलने देंगे !संसद चलाना सरकार की मजबूरी होती है । ऐसे  भ्रष्टाचार का कोई केस खुलेगा ही नहीं ये तो सीधी सीधी ब्लैकमेलिंग है अन्यथा ऐसे मुद्दों के लिए पार्टियाँ कोर्ट जाएँ या फिर जनता को सच्चाई समझावें !
          पार्टियों में लोकतंत्र स्थापित होते ही शिक्षित,सदाचारी और समझदार लोगों को भी उनकी कार्यक्षमता के आधार पर अवसर मिलेंगे !ये शिक्षित सांसद संसद की चर्चाओं में भाग लेंगे इन्हें चर्चा  की समझ होगी दूसरे की सुनेंगे अपनी सुनाएँगे औरों के अच्छे बिचार मानेंगे अपने प्रेम पूर्वक औरों को मनाएँगे !हुल्लड़ नहीं मचाएँगे इससे संसद का बहुमूल्य समय बर्बाद नहीं जाएगा !जनता के पैसों से चलने वाली संसद का एक एक सेकेण्ड जनता के काम आएगा !जो सांसद शिक्षित नहीं होते वो अपने विचार रख नहीं पाते औरों के समझ नहीं पाते पार्टियों के सरदार लोग ऐसे लोगों का उपयोग हुल्ल्ड़ मचाने,माइकफेंकवाने ,कुर्सियाँ तोड़वाने में किया करते हैं चूँकि शिक्षित और  समझदार लोग अपना भी दिमाग लगाएँगे और पार्टी के सरदारों के कहे हुए गलत काम नहीं करेंगे इसीलिए राजनीति के स्वयंभू ठेकेदार दलितों सवर्णों ,अगड़ों पिछड़ों ,हिन्दू मुस्लिमों आदमी औरतों, गरीबों अमीरों के हिसाब से अवसर देने का राग  अलापने लगते हैं जबकि इनका दलितों पिछड़ों मुस्लिमों औरतों गरीबों से कोई लेना देना नहीं होता है अपितु इनका उद्देश्य केवल मूर्खों को अपने मातहत रखकर भाड़े पर राजनीति करवानी होती है !ऐसे भाड़े के टट्टू विधायकों सांसदों की बातो तो छोडिए यदि ऐसे लोग प्रधानमंत्री भी बन जाएँ तो भी ये पार्टी मालिकों की हाँ हुजूरी ही किया करते हैं !एक प्रधानमंत्री की मालकिन के बेटे ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास किए गए अध्यादेश के पन्ने फाड़ कर फेंकने के लिए बाकायदा मीडिया बुलाई थी केवल यह दिखाने के लिए कि केंद्र सरकार और उसके मंत्रियों की हमारे सामने क्या औकात है !यह देख जान कर भी प्रधानमंत्री समेत सारे मंत्रिमंडल को साँप सूँघ गया था जबकि लोकतंत्र में PM को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है किंतु इन पार्टी ठेकेदारों के सामने प्रधानमंत्री जैसे ताकतवर व्यक्ति को भी दुम दबाकर जाना होता है !

     जैसे  भाजपा में पार्टीअध्यक्ष बनने का सपना हर कार्यकर्ता देख सकता है वैसी सुविधा अन्य पार्टियों में क्यों  नहीं होने दे रहे हैं उन राजनैतिक पार्टियों के मालिक लोग !भ्रष्टाचार के जन्मदाता हैं ये लोग !इनके चुनाव हारने के बाद भी अधिकारी लोग इनके भ्रष्टाचार पर हाथ डालने में डरते हैं क्योंकि जब सत्ता में आएँगे तब बदला लेंगे !दूसरी राजनैतिक पार्टियाँ भ्रष्टाचार का शोर मचाकर सत्ता में तो आ जाती हैं  अलोक तांत्रिक पार्टियों के सरदारों पर भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्यवाही कैसे करें जब सत्ता में वो आएँगे तो बदला  लेंगे दूसरी बात पार्टिसरदारों को अपने लाखों कार्यकर्ताओं का समर्थन प्राप्त होता जब चाहेंगे तब आंदोलनों के नामपर देश के कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ा देंगे ईमानदार सरकारें इस गुंडागर्दी के कारण डर जाती हैं भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों से लड़ने में !इसीलिए भ्रष्टाचारी पहलीबात तो जेल जा नहीं पाते हैं और गए भी तो कानून को ठेंगा दिखाते हुए गंगा सी नहा  कर निकल आते हैं!
       
        

इसलिए लोकतांत्रिक पार्टी है भाजपा ! ही नहीं !
       सोनियाँ जी ,लालू जी ,मुलायमसिंह जी ,मायावती जी आदि लोग अपनी पार्टी के कितने योग्य समझदार व्यक्ति को अपने और अपने परिवार के नीचे ही दबा कर रखते हैं ताकि वो सिर न उठा एके और उनके सामने आँख मिलाकर बात न कर सके !इनकी यही समस्या वहाँ होती है जब चुनाव लड़ने के लिए शिक्षा अनिवार्य करने की बात आती है तो इन पार्टियों के मालिक घबड़ाजाते हैं कि नियम से तो पढ़े लिखे समझदार लोगों को टिकट देना
  जिन पार्टियों में अध्यक्ष केवल एक परिवार का ही सदस्य हो सकता है वो अपने को लोकतान्त्रिक पार्टी कैसे कह सकती हैं वो राजतांत्रिक पार्टियाँ हैं इसीलिए वो राजाओं की तरह का सलूक करती हैं अपने कार्यकर्ताओं और देश वासियों के साथ !
        जैसे अकर्मण्य चालाक और भ्रष्ट ऐय्यास राजा लोग अपनी कुर्सी कायम रखने के लिए जनता को
आपस में लड़ाया करते थे और खुद चौधराहट  बनने के लिए कोई एक व्यक्ति या परिवार निश्चित नहीं है का सपना हर कार्यकर्ता देख सकता है इसलिए 


काँग्रेस क्या ख़ाक बचाएगी लोकतंत्र ! लोकतंत्र की समझ नहीं है तो भाजपा से सीख ले या फिर PK से पूछ ले !क्या होता है लोकतंत्र !जानिए कैसे ?
   काँग्रेस अपना अध्यक्ष चुनती है क्या ?मनमोहन सिंह जी को PM जनता की रूचि से बनाया गया था क्या ?मनमोहन सिंह जी किस लोक सभाक्षेत्र से जीते थे चुनाव !काँग्रेस बताएगी क्या ?लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा बने फिरते हैं लोकतंत्र बचाओ रैली निकालते !अपनी अकल इंद्रिय खराब है तो कम से कम PK से ही पूछ लिया होता रैली निकालने से पहले कि  इससे भद्द तो नहीं पिटेगी !
    लोकतंत्र  है भाजपा में जहाँ पार्टी अध्यक्ष और PM प्रत्याशी के चयन में देखी जाती है पार्टी कार्यकर्ताओं की रूचि !रही बात प्रधानमंत्री बनाने की तो अपने PM प्रत्याशी के गले में बँधा पार्टीबंधन खोलकर स्वतंत्र छोड़ देती है पार्टी जनता का भरोसा जीतने के लिए !यदि उसके समर्थन में देश की जनता मोहर मारती है तब बाद में पार्टी मारती है मोहर ! जाओ तुमने पार्टी के अनुशासित सिपाही के नाते जनता का विश्वास जीतकर प्रधानमंत्री बनने की पात्रता सिद्ध की है इसलिए बनो प्रधानमंत्री !
      भाजपा के अलावा देश की लगभग अन्य सभी पार्टियों में लोकतंत्र का तो बस नाम भर है बाक़ी एक परिवार की ही मलकीयत चलती है और जिन पार्टियों के मालिक  फिक्स हैं उन पार्टियों को लोकतांत्रिक कैसे कहा जा सकता है ! जो काँग्रेस पार्टी अपना अध्यक्ष चुनने के लिए  सदस्यों की परवाह न करती हो देश का प्रधानमंत्री बनाने के लिए देश की जनता की इच्छा जानने की जरूरत ही न समझती हो वो बचाने निकली है लोकतंत्र !बारे लोकतंत्र के स्वयंभू मसीहा लोगो  !
     मनमोहन सिंह एक लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का मन नहीं जीत सके वे देश के प्रधानमंत्री बनाए गए केवल पार्टी की मालकिन की इच्छा पर और हमेंशा  उसी प्रकार का व्यवहार भी करते रहे !मनमोहन सिंह जी की पार्टी की मालकिन के लड़के ने उनके मंत्रिमंडल के द्वारा पास कराया गया अध्यादेश फाड़ने के लिए बकायदा प्रेसकांफ्रेंस की थी ! यदि वो पार्टी की मालकिन के लड़के सहमत नहीं थे तो एकांत में बात भी की जा सकती थी मनमोहन सिंह जी से वे विद्वान हैं वयोवृद्ध हैं हैं शिष्ट शालीन अनुभवी आदि और भी बहुत कुछ हैं उनसे इस विषय में बात कर लेने में कौन सी बेइज्जती हो जाती या वो कौन  इनकार कर देते और यदि कर देते तो कितने घंटे रह पाते कृपा पूर्वक प्राप्त उस कुर्सी पर !ये तो दुनियाँ जानती है फिर भी दुनियाँ को दिखाकर अध्यादेश की कापी फाड़ने को मनमोहन सिंह जी की सरकार के लिए चुनौती क्यों न माना जाए लोकतंत्र कैसे मान लिया जाए ! 
    इसीप्रकार से मनमोहन सिंह जी की सरकार की मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए गैस सिलेंडरों की संख्या घटाकर पहले 9 की गई थी फिर मालकिन के लड़के से एक सभा में कहलवाया गया कि अब 12 कर दो सुनते ही पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने कहा -"सब्सिडी वाले सस्ते रसोई गैस सिलेंडरों का सालाना कोटा नौ से बढ़ाकर 12 किया जाएगा।" मालकिन के लड़के को प्रमोट करने के लिए जनता को ऐसे तंग किया जाता रहा इसे लोकतंत्र मान लिया जाए क्या ?
          इसप्रकार से सपा बसपा राजद आदि सभी पार्टियों में अध्यक्ष नहीं अपितु मालिक हैं इसीलिए भारतीय जनता पार्टी काँग्रेस समेत सभी पार्टियों को सिखा सकती है कि क्या होता है लोकतंत्र ! क्योंकि भाजपा "लोकतंत्र बचाओ" के नारे नहीं लगाती अपितु देश के लोकतंत्र के लिए साक्षात संजीवनी है ! लोकतंत्र  बचाने वाली एकमात्र पार्टी है भाजपा जिसमें अध्यक्ष बनने या प्रधानमंत्री बनने का सपना पार्टी का कोई भी कार्यकर्ता देख सकता है बशर्ते उसे पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता का विश्वास जीतना होता है इसे कहते हैं लोकतंत्र !जो लोक इच्छा  से बनता है ।बाकी पार्टियों में लोकतांत्रिक दृष्टि से  अध्यक्ष चुनने के नाम पर  लोकतंत्र को केवल ठेंगा दिखाया जाता है ! जिस पार्टी में अध्यक्ष चुनने की जगह एक परिवार की मलकियत चलती हो !वे  सोनियाँ जी और मनमोहन जी क्या बचाएँगे लोकतंत्र !