अँग्रेजों के शासन में इतना भ्रष्टाचार और अपराध कहाँ सह पाते वो लोग !
आत्महत्या करते किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों पर भी आजादी के बादल कभी बरसेंगे क्या !
आत्महत्या करते किसानों मजदूरों गरीबों ग्रामीणों पर भी आजादी के बादल कभी बरसेंगे क्या !
सर्व प्रथम आजादी के महान पर्व पर देश के श्रद्धेय पूर्वजों एवं देश की सीमाओं पर तैनात देश के स्वाभिमान की सुरक्षा के लिए समर्पित सैनिकों को सादर नमन !
अब बारी स्वतंत्रता दिवस पर बधाई देने की --
नेताओं एवं सरकारी कर्मचारियों को बहुत बहुत बधाई !
हमारे नेता और हमारे कर्तव्य भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी लोग अंग्रेजों के रहते जो सुख नहीं भोग सकते थे उनके जाने के बाद आज तक जो वो लोग आजादी का आनंद भोग रहे हैं उसके लिए उन्हें बहुत बहुत बधाई !
बेटियाँ बलात्कारियों के आतंक से भयभीत होकर स्कूल जाना छोड़ रही हैं रेप
और गैंग रेप हो रहे हैं हत्या बलात्कार लूटपाट बंद करने के लिए जिम्मेदार
अधिकारियों कर्मचारियों को आजादी भोगने के लिए स्वतंत्रता दिवस पर बहुत
बहुत बधाई !
सरकारी शिक्षकों एवं शिक्षा जगत से जुड़ेसभी अधिकारियों कर्मचारियों को बहुत बहुत बधाई !
सरकारी शिक्षा की भद्द पीटने और गरीबों के बच्चों की जिंदगी चौपट करने
वाले शिक्षा जगत से जुड़े उन सभी अधिकारियों कर्मचारियों को आजादी भोगने के लिए
बहुत बहुत बधाई !हे देश की शिक्षा में टॉपर कांड करवाने वाले मास्टरमाइंडों !सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए घूस लेकर रखे गए अशिक्षित
अयोग्य संस्कार विहीन शिक्षको !सरकारीशिक्षा के पतन के लिए जिम्मेदार एवं सरकारी सैलरी लेकर प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चे पढ़ाने वाले अधिकारीकर्मचारियो ! आजादी भोगने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई !
ब्यभिचारी और ब्यापारी बाबाओं को बहुतबहुत बधाई !
जिनके षड्यंत्रों से ईमानदार व्यापारी भिखारी
होते जा रहे हैं ।'ढोंगी'उद्योगी लोग योगी होते जा रहे हैं । 'योगियों'के गर्भ से उद्योग पैदा होने लगा है ! व्यापार शुरू करने से पहले बड़े बड़े व्यापारी लोग भी अब अपने बच्चों को बाबा बनने की
ट्रेनिंग करवाने लगे हैं ताकि वो भी बेशर्म होकर धड़ाधड़ झूठ बोल सके !ऐसे सभी प्रकार के पाखंडियों को बहुत बहुत बधाई !
सरकारी सिक्योरिटी के भरोसे जिन्दा रहने वाले संन्यासियों को बधाई !
ईमानदार किसान मजदूर गरीब ग्रामीण लोग भगवान् के भरोसे जंगलों में भी निर्भीक घूमते हैं और दूसरी ओर बेईमान तथा डरपोक बाबा लोग अपने पाप कर्मों से इतना अधिक डरने लगे हैं कि भगवान का भरोसा छोड़ कर बड़े बड़े महलों में भी सरकारी सिक्योरिटी के भरोसे ज़िंदा रह रहे हैं पाखंडी लोग !ऐसे सत्यानाशियों को बहुत बहुत बधाई !
चुनाव जीतने के लिए सवर्णों की निंदाकरना हर पार्टी के लिए जरूरी होता जा रहा है ।गंभीर चर्चाओं के लिए प्रसिद्ध संसद और विधान सभाओं में अनपढ़ नेता भेजे जा रहे हैं जो न चर्चा कर सकें न समझ सकें केवल अपनी पार्टी के मालिकों के आदेशानुसार अँगूठा लगाते चले जाएँ !
सरकारी सिक्योरिटी के भरोसे जिन्दा रहने वाले संन्यासियों को बधाई !
ईमानदार किसान मजदूर गरीब ग्रामीण लोग भगवान् के भरोसे जंगलों में भी निर्भीक घूमते हैं और दूसरी ओर बेईमान तथा डरपोक बाबा लोग अपने पाप कर्मों से इतना अधिक डरने लगे हैं कि भगवान का भरोसा छोड़ कर बड़े बड़े महलों में भी सरकारी सिक्योरिटी के भरोसे ज़िंदा रह रहे हैं पाखंडी लोग !ऐसे सत्यानाशियों को बहुत बहुत बधाई !
चुनाव जीतने के लिए सवर्णों की निंदाकरना हर पार्टी के लिए जरूरी होता जा रहा है ।गंभीर चर्चाओं के लिए प्रसिद्ध संसद और विधान सभाओं में अनपढ़ नेता भेजे जा रहे हैं जो न चर्चा कर सकें न समझ सकें केवल अपनी पार्टी के मालिकों के आदेशानुसार अँगूठा लगाते चले जाएँ !
सरकारों के द्वारा बनाए जाने वाले कानून भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों
द्वारा उचित मूल्य पर अपराधियों के हाथों बेच दिए जाते हैं जिनके बल पर
अपराधी लोग डंके की चोट पर करते हैं अपराध !सरकारी कर्मचारियों को सेवक कहा
जाता था और सेवा कार्यों में सैलरी नहीं मिलती है किंतु ये भारी भरकम
सैलरी भी लेते हैं फिर भी सेवक हैं !स्वतंत्रता दिवस पर ऐसे सभी देश भक्तों
को बहुत बहुत बधाई !
सरकार यदि ईमानदार है तो घूसखोर अधिकारियों के विरुद्ध छेड़े अभियान तथा
विकसित करे अपना निगरानी तंत्र और जिम्मेदारी पूर्वक कसे भ्रष्ट
अधिकारियों की नकेल ! स्वच्छता अभियान हो या सर्व शिक्षा अभियान या कोई और
अभियान किंतु भ्रष्टाचार विरोधी अभियान छेड़े बिना सरकार के सारे अभियान
और सरकार के द्वारा चलाई जाने वाली सारी योजनाएँ निरर्थक हैं !
सरकारों में सम्मिलित नेता होते हैं अनपढ़ या कम पढ़े लिखे उनमें इतनी
बुद्धि कहाँ होती है कि वो IAS ,IPS अधिकारियों से कुछ काम ले सकें
!इसीलिए सरकारें बड़े बड़े कानून बनाती हैं बड़ी बड़ी योजनाएँ चलाती हैं किंतु
वे लागू करें न करें ये अधिकारियों
की मर्जी !मोदी जी या केजरीवाल जैसे लोग बड़ी बड़ी बातें कर के सत्ता में
आए थे क्या हुआ आप अपने किसी नाते रिस्तेदार या परिचित को फोन करके पूछ
लीजिए उसके जीवन में कोई परिवर्तन हुआ क्या ?सरकारें बदलती हैं अधिकारी
कर्मचारी तो वही रहते हैं और काम उन्हीं को करना है वो करें न करें उनकी
मर्जी !उनका क्या बिगाड़ लेगी सरकार !
कानपुर की एक घटना है किसी को धमकी दी गई थी उनके घर की लीगल दीवार
गिरा देने की तो वो जिम्मेदार अपने थाने में गए वहाँ उनसे कुछ डिमांड रखी
गई तो वो मरे ठसक में दिल्ली गृहमंत्री जी के यहाँ पहुँचे मुश्किल से
प्रवेश मिला उन्होंने लेटर देकर शिकायत की वहाँ से जाँच के लिए लेटर उन्हीं
के पास पहुँचा जिनसे असंतुष्ट होकर पीड़ित व्यक्ति गृहमंत्री जी के पास गया
था !वो साहब इन्क्वारी के लिए गए तो उन्होंने साफ साफ कहा कि इससे ऊपर
कहाँ जाओगे लिख के तो हमें ही भेजना है मैं कुछ भी लिखूँ ये मेरी मर्जी
!कोई गृहमंत्री हमारी कलम पकड़ लेगा क्या या तेरी दीवार देखने आएगा
!तुम्हारी इस कार्यवाही से केवल इतना फर्क पड़ा है कि पहले तुम्हें केवल
हमें खुश करना था अब कुछ अधिकारी और भी सम्मिलित हो गए हैं क्योंकि ये
एप्लिकेशन सबके पास घूम के आई है और सबको कुछ कुछ देती जाएगी अन्यथा खाली
जाएगी !
अपराधियों के आका भ्रष्टअधिकारियों पर कार्यवाही करके सरकार रोक सकती है
सभी प्रकार के अपराध ! घूसबल समाप्त होते ही अपराधियों में मच जाएगा
हाहाकार !अपराधी या तो अपराध छोड़ देंगे या फिर उन्हें तुरंत छोड़ना पड़ेगा
देश !भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी ही अपराधियों को मुहैया करवाते हैं अपराध की
सारी सुविधाएँ !इसलिए सभी प्रकार के अपराधों के लिए वरदान है सरकारी
भ्रष्टाचार!भ्रष्ट अधिकारी ही अपराधियों के लिए एक तरह के सुरक्षा कवच हैं
!किसी के कवच का भेदन किए बिना उसे नष्ट नहीं किया जा सकता !
भ्रष्टाचार की कमाई से सुख सुविधाएँ भोगना बंद करें नेता(मंत्री)लोग !
भ्रष्ट अधिकारी हर अपराधी को बताते हैं कि आपका दिया हुआ पैसा ऊपर तक जाता है जनता भी इस बात को समझती है कि सरकारों में सम्मिलित लोग जब राजनीति में आए थे तब किराया खर्च करने के लिए दूसरों की जेबें ताकते थे वही आज अरबो खरबों पति बने बैठे हैं ये धन इनके पास आया आखिर कैसे !
आखिर नेताओं ने कैसे कौन सा रोजगार व्यापार किया वो भी कब !जो अचानक दूध देने लगा !यदि नेताओं को कमाई का ऐसा ही कोई सरल फार्मूला पता है तो देश के गरीबों मजदूरों किसानों क्यों नहीं बता देते हैं । वो भी लाभ ले लें बेचारे !
ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को सैलरी क्यों ?सरकार उनकी पहचान क्यों नहीं करती क्यों नहीं छेड़ती है कोई "भ्रष्टाचार मिटाओ अभियान!" गैंगरेप आदि सभी प्रकार के अपराध रोकना है तो सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध छेड़े अभियान !अधिकारियों को जिम्मेदार बनाने के लिए बने कठोर कानून!अपराधियों से ज्यादा कठोर कानून बनने चाहिए भ्रष्ट अधिकारियों के लिए !
भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के संरक्षण में फूल फल रहे हैं सभी प्रकार के अपराध !जैसे जमींन के अंदर हर जगह पानी है किंतु जहाँ खोदाई हो वहाँ निकलता है वैसे ही सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार है ! जहाँ जाँच होती है वहाँ निकलता है और जब ऊपर वालों का हिस्सा पहुँचना बंद होता है तब जाँच होती है या फिर मीडिया का हिस्सा जब मीडिया को नहीं मिलता है तो मीडिया तब तक शोर मचाता है जबतक मीडिया को मैनेज न किया जाए !अन्यथा भ्रष्टाचार पकड़वाकर ही दम लेता है मीडिया !
सरकार जो नियम बनाती है सरकारी मशीनरी का एक बड़ा वर्ग उन्हें बेच कर पैसे कमाता है भारी भरकम सैलरी भी उठाता है ।सरकारी निगरानी तंत्र इतना लचर या भ्रष्ट है कि नियमों कानूनों को तोड़ने जोड़ने बेचने खरीदने की मंडी बन गया है सरकारी कामकाज !लगभग हर आफिस में अलग अलग काम के हिसाब से घूस के पैसे फिक्स हैं !भ्रष्टाचार की भारत बहुत बड़ीमंडी है !जहाँ भ्रष्ट लोग नित्यप्रति करोड़ों का कारोबार उस भ्रष्टाचार के बल पर चला रहे हैं जिसे सरकारी नियम कानून गलत मानते हैं ।जिन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी सरकार की है ये सरकारों का फेलियर नहीं तो क्या है !फिर भी सैलरी !
सरकारी आफिसों में भ्रष्टाचार के जन्मदाता सरकार के भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी ही तो होते हैं जिनसे गलत काम करवाकर दलाल लोग काली कमाई करने वालों से करोड़ों रूपए कमीशन कमा लेते हैं तो कल्पना कीजिए कितनी कमाई होगी उन भ्रष्ट अधिकारीकर्मचारियों की !ऊपर से हजारों लाखों की सैलरी !उसके ऊपर वेतन आयोगों की सरकारी कृपा !बारी सरकारी नौकरी !इनकी इतनी सुख सुविधाएँ और अपना इतना संघर्ष पूर्ण जीवन देखकर किसान आत्म हत्या न करें तो क्या करें !
अपराधीलोग, गुंडेलोग और काली कमाई करने वाले धनीलोगों को इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से वो अघोषित रेटलिस्ट मिलती है कि सरकार के द्वारा बनाया गया कौन सा नियम कितने पैसे में तोड़ा जा सकता है ।यही कारण है कि अपराधियों में कानून का खौफ नहीं है । जिस अपराधी की जेब में जितना पैसा है सो कर रहा है उतना बड़ा अपराध !
मोदी जी ! किसानों गरीबों मजदूरों का भी कोई वेतन आयोग बनाइए आखिए वे भी देश सेवा का ही काम कर रहे हैं उनकी उपेक्षा क्यों ?किसान आत्महत्या करते जा रहे हैं सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाई जा रही है !दाल और टमाटर महँगे होने की चिंता तो है किंतु किसानों की रक्षा के लिए पहले उठाए जाएँ कठोर कदम !बाद में बढ़ाई जाए कर्मचारियों की सैलरी !वे सैलरी बढ़ाए बिना मरे नहीं जा रहे उन्हें आलरेडी इतना मिल रहा है पहले किसानों मजदूरों गरीबों की ओर देखिए मोदी जी !
किसानों गरीबों मजदूरों की आमदनी की कितने गुने सैलरी होनी चाहिए सरकारी कर्मचारियों की इसकी भी कोई नीति बनाइए !एक तरफ हजारों का ठिकाना नहीं एक तरफ लाखों बढ़ाए जा रहे हैं ये कुंठा ही गरीबों के अंदर आपराधिक प्रवृत्ति को जन्म देती है ।
आम जनता के टैक्स दी जाने वाली सैलरी कब बढ़ाई जाए कितनी बढ़ाई जाए इसके लिए जनता से क्यों नहीं पूछा जाता जनता के बीच सर्वे क्यों नहीं कराया जाता !सारे फैसले सरकार खुद ले लेती है तभी तो सरकारी आफिसों के लोग आम जनता को कुछ समझते नहीं हैं सरकारी आफिसों में काम के लिए जाने वाली जनता को खदेड़ कर भगा देते हैं सरकारी लोग !कोई सीधे मुख बात नहीं करता है वहाँ । जनता की कोई सुनने वाला नहीं होता है !
सरकार में सम्मिलित लोग और सरकारी कर्मचारी यदि जनता का ध्यान नहीं रखते तो ये लोकतंत्र के नाम पर कलंक है कि जनता आज भी सरकारी अधिकारियों को अपनी समस्या बताने में डरती है उसके चार प्रमुख कारण हैं पहली बात वो सुनेंगे नहीं !दूसरी बात वो कुछ करेंगे नहीं ! तीसरी बात वो पैसे माँगेंगे !चौथी बात वो समस्या बढ़ा देंगे !
कई बार लोगों को जो तंग कर रहा होता है उसके विरुद्ध किए गए कम्प्लेन की सूचना सरकारी विभाग से उस अपराधी को दी जाती है जाती है जो तंग कर रहा होता है फिर अपराधी ही कम्प्लेनर पर करता है अत्याचार !ये सारी कमियाँ दूर किए बिना सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार !अफसोस !ये सरकारें आम जनता के लिए चुनी जाती हैं पेट केवल अपना और अपनों का भरा करती हैं ।
मोदी सरकार के दो वर्ष होने का पर्व जनता भी मना रही है क्या ?या केवल सरकार में सम्मिलित लोग और केवल पार्टी के पदाधिकारी ही !कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि जनता को भी विश्वास में लिया जाए और जनता भी मोदी सरकार के वर्षद्वय पर में भावनात्मक रूप से सम्मिलित हो !अन्यथा वर्तमान खुशफहमी कहीं अटल जी की सरकार का फीलगुड बन कर न रह जाए ! मोदी जी ! जनता का बहुत बड़ा वर्ग भ्रष्टअधिकारियों और भ्रष्टनेताओं की धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है उसे बचने के लिए कुछ कीजिए !ये दोनों लोग ही करवा रहे हैं सभी प्रकार के अपराध !अन्यथा अपराधियों में इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि वो अपने बल पर अपराध करें और उनके पास इतना धन कहाँ होता है कि वे घूस देकर बच जाएँ किंतु मददगारों के बल पर वो उठा जाते हैं बड़े बड़े कदम !इस लिए उन मदद गारों की पहचान करके उन पर अंकुश लगाना होगा !इन लोगों पर अंकुश लगाए बिना 2019 की वैतरणी पार कर पाना आसान नहीं होगा !
इसके अलावा मोदी जी आखिर कैसे बंद हों अपहरण हत्या बलात्कार जैसे अपराध ! अपराधियों को गले लगाते हैं गुंडे और गुंडों को गले लगाती हैं राजनैतिक पार्टियाँ !इसी प्रकार से अपराध के कारोबार से कमाई करते हैं अपराधी और अपराधियों से कमाई करते हैं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी !यदि सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो न हत्याएँ होतीं न होते बलात्कार !इसलिए अपराधियों पर अंकुश लगाने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर काबू पावे सरकार !उसके पहले विकास संबंधी सारी बातें बेकार !
प्रधानमंत्री जी ! सरकार के हाथ पैर तो सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही होते हैं जिनके अच्छे बुरे व्यवहार के आधार पर ही सरकार के काम काज का मूल्यांकन होता है क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों से ही जनता को जूझना पड़ता है वो ही यदि भ्रष्टाचारी हैं तो आप कितने भी अच्छे बने रहें किंतु जनता के मन में आपकी छवि भ्रष्टाचार समर्थक के रूप में ही बनी रहेगी !अपराधों पर अंकुश लगाने के नाम पर भाषण चाहें जितने हों किंतु काम बिलकुल नहीं हो रहा है !
जेल में बैठकर मीटिंगें कर रहे हैं अपराधी !एक साधारण किसान की गारंटी पर हजारों करोड़ का लोन मिल जाता है ऐसे असंख्य अपराध कर रहे हैं सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी इन्हें कोई देखने रोकने वाला ही नहीं है तभी तो अंकुश नहीं लग पा रहा है अपराधों पर ! सरकारी नीतियाँ इतनी अंधी हैं कि अधिकारियों कर्मचारियों से काम लेना तो सरकार के बश का ही नहीं है इनके भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी सरकार के बश का नहीं है फिर भी इनकी सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार जबकि सरकारी हर काम काज का भट्ठा बैठा रखा है इन्होंने !आखिर सरकार अपने कर्मचारियों से इतनी खुश क्यों है!
सरकारी शिक्षा विभाग ,डाकविभाग दूरसंचार विभाग चिकित्साविभाग चौपट तो इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों ने कर रखा है इनसे बहुत कम सैलरी पाकर भी प्राइवेट टीचर, कोरियरकर्मी, प्राइवेटदूर संचार कर्मी,चिकित्साकर्मी अपने अपने क्षेत्र में कितनी अच्छी अच्छी सेवाएँ दे रहे हैं ।
सरकार के कर्मचारी तो इतने कामचोर हैं कि जिस आफिस के कर्मचारियों की एक एक महीने की सैलरी पर पचासों लाख रूपए खर्च हो रहे होते हैं उस आफिस के कर्मचारी अपना कम्प्यूटर और प्रिंटर बिगाड़ कर उसी बहाने कई कई दिन काम न करके जनता को टरकाया करते हैं ऊपर से जनता के साथ मिलकर वो लोग भी सरकार तथा सरकारी व्यवस्थाओं को गालियाँ देते हैं ! इनके काउंटरों पर नंबर की तलाश में खड़ी जनता को जानवरों की तरह कभी भी खदेड़ देते हैं ये इटरनेट न आने का बहाना बनाकर!कई कई दिन बीत जाने पर भी काम न होने पर घूस देने को मजबूर कर दी जाती है जनता !उसके पास इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं होता है । सरकारी तंत्र की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहाँ जनता इस विश्वास के साथ शिकायत करे कि उसका काम समय से हो जाएगा !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम कराने के लिए घूस देने के अलावा जनता के पास कोई अधिकार नहीं हैं जिस अधिकारी से शिकायत की जाती है वो उलटे जनता को ही काटने दौड़ता है सरकार तक जनता की पहुँच नहीं होती है !
कुल मिलाकर अपराध छोटे हों या बड़े इसे करने वाला किसी न किसी कोने में मूर्ख होता है तभी तो ऐसा रास्ता चुनता है ।अपराधी केवल यंत्र की भाँति होता है इसी कारण ऐसे लोगों का ऊपरी कमाई के लालच में उपयोग करते हैं भ्रष्टअधिकारी कर्मचारी और गुंडेनेता !जहाँ अधिकारियों कर्मचारियों की ऊपरी कमाई का साधन बने हैं अपराधी वहीँ भ्रष्टनेताओं का दबदबा बनाने में सहायक होते हैं अपराधी !यही अधिकारी और यही नेता उन अपराधियों की हर समय हर प्रकार से रक्षा करते रहते हैं इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है इसलिए ऐसे लोगों पर अंकुश लगाए बिना अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है ।
भ्रष्टाचार की कमाई से सुख सुविधाएँ भोगना बंद करें नेता(मंत्री)लोग !
भ्रष्ट अधिकारी हर अपराधी को बताते हैं कि आपका दिया हुआ पैसा ऊपर तक जाता है जनता भी इस बात को समझती है कि सरकारों में सम्मिलित लोग जब राजनीति में आए थे तब किराया खर्च करने के लिए दूसरों की जेबें ताकते थे वही आज अरबो खरबों पति बने बैठे हैं ये धन इनके पास आया आखिर कैसे !
आखिर नेताओं ने कैसे कौन सा रोजगार व्यापार किया वो भी कब !जो अचानक दूध देने लगा !यदि नेताओं को कमाई का ऐसा ही कोई सरल फार्मूला पता है तो देश के गरीबों मजदूरों किसानों क्यों नहीं बता देते हैं । वो भी लाभ ले लें बेचारे !
ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों को सैलरी क्यों ?सरकार उनकी पहचान क्यों नहीं करती क्यों नहीं छेड़ती है कोई "भ्रष्टाचार मिटाओ अभियान!" गैंगरेप आदि सभी प्रकार के अपराध रोकना है तो सरकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध छेड़े अभियान !अधिकारियों को जिम्मेदार बनाने के लिए बने कठोर कानून!अपराधियों से ज्यादा कठोर कानून बनने चाहिए भ्रष्ट अधिकारियों के लिए !
भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों के संरक्षण में फूल फल रहे हैं सभी प्रकार के अपराध !जैसे जमींन के अंदर हर जगह पानी है किंतु जहाँ खोदाई हो वहाँ निकलता है वैसे ही सरकार के हर विभाग में भ्रष्टाचार है ! जहाँ जाँच होती है वहाँ निकलता है और जब ऊपर वालों का हिस्सा पहुँचना बंद होता है तब जाँच होती है या फिर मीडिया का हिस्सा जब मीडिया को नहीं मिलता है तो मीडिया तब तक शोर मचाता है जबतक मीडिया को मैनेज न किया जाए !अन्यथा भ्रष्टाचार पकड़वाकर ही दम लेता है मीडिया !
सरकार जो नियम बनाती है सरकारी मशीनरी का एक बड़ा वर्ग उन्हें बेच कर पैसे कमाता है भारी भरकम सैलरी भी उठाता है ।सरकारी निगरानी तंत्र इतना लचर या भ्रष्ट है कि नियमों कानूनों को तोड़ने जोड़ने बेचने खरीदने की मंडी बन गया है सरकारी कामकाज !लगभग हर आफिस में अलग अलग काम के हिसाब से घूस के पैसे फिक्स हैं !भ्रष्टाचार की भारत बहुत बड़ीमंडी है !जहाँ भ्रष्ट लोग नित्यप्रति करोड़ों का कारोबार उस भ्रष्टाचार के बल पर चला रहे हैं जिसे सरकारी नियम कानून गलत मानते हैं ।जिन्हें पकड़ने की जिम्मेदारी सरकार की है ये सरकारों का फेलियर नहीं तो क्या है !फिर भी सैलरी !
सरकारी आफिसों में भ्रष्टाचार के जन्मदाता सरकार के भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी ही तो होते हैं जिनसे गलत काम करवाकर दलाल लोग काली कमाई करने वालों से करोड़ों रूपए कमीशन कमा लेते हैं तो कल्पना कीजिए कितनी कमाई होगी उन भ्रष्ट अधिकारीकर्मचारियों की !ऊपर से हजारों लाखों की सैलरी !उसके ऊपर वेतन आयोगों की सरकारी कृपा !बारी सरकारी नौकरी !इनकी इतनी सुख सुविधाएँ और अपना इतना संघर्ष पूर्ण जीवन देखकर किसान आत्म हत्या न करें तो क्या करें !
अपराधीलोग, गुंडेलोग और काली कमाई करने वाले धनीलोगों को इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से वो अघोषित रेटलिस्ट मिलती है कि सरकार के द्वारा बनाया गया कौन सा नियम कितने पैसे में तोड़ा जा सकता है ।यही कारण है कि अपराधियों में कानून का खौफ नहीं है । जिस अपराधी की जेब में जितना पैसा है सो कर रहा है उतना बड़ा अपराध !
मोदी जी ! किसानों गरीबों मजदूरों का भी कोई वेतन आयोग बनाइए आखिए वे भी देश सेवा का ही काम कर रहे हैं उनकी उपेक्षा क्यों ?किसान आत्महत्या करते जा रहे हैं सरकारी कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाई जा रही है !दाल और टमाटर महँगे होने की चिंता तो है किंतु किसानों की रक्षा के लिए पहले उठाए जाएँ कठोर कदम !बाद में बढ़ाई जाए कर्मचारियों की सैलरी !वे सैलरी बढ़ाए बिना मरे नहीं जा रहे उन्हें आलरेडी इतना मिल रहा है पहले किसानों मजदूरों गरीबों की ओर देखिए मोदी जी !
किसानों गरीबों मजदूरों की आमदनी की कितने गुने सैलरी होनी चाहिए सरकारी कर्मचारियों की इसकी भी कोई नीति बनाइए !एक तरफ हजारों का ठिकाना नहीं एक तरफ लाखों बढ़ाए जा रहे हैं ये कुंठा ही गरीबों के अंदर आपराधिक प्रवृत्ति को जन्म देती है ।
आम जनता के टैक्स दी जाने वाली सैलरी कब बढ़ाई जाए कितनी बढ़ाई जाए इसके लिए जनता से क्यों नहीं पूछा जाता जनता के बीच सर्वे क्यों नहीं कराया जाता !सारे फैसले सरकार खुद ले लेती है तभी तो सरकारी आफिसों के लोग आम जनता को कुछ समझते नहीं हैं सरकारी आफिसों में काम के लिए जाने वाली जनता को खदेड़ कर भगा देते हैं सरकारी लोग !कोई सीधे मुख बात नहीं करता है वहाँ । जनता की कोई सुनने वाला नहीं होता है !
सरकार में सम्मिलित लोग और सरकारी कर्मचारी यदि जनता का ध्यान नहीं रखते तो ये लोकतंत्र के नाम पर कलंक है कि जनता आज भी सरकारी अधिकारियों को अपनी समस्या बताने में डरती है उसके चार प्रमुख कारण हैं पहली बात वो सुनेंगे नहीं !दूसरी बात वो कुछ करेंगे नहीं ! तीसरी बात वो पैसे माँगेंगे !चौथी बात वो समस्या बढ़ा देंगे !
कई बार लोगों को जो तंग कर रहा होता है उसके विरुद्ध किए गए कम्प्लेन की सूचना सरकारी विभाग से उस अपराधी को दी जाती है जाती है जो तंग कर रहा होता है फिर अपराधी ही कम्प्लेनर पर करता है अत्याचार !ये सारी कमियाँ दूर किए बिना सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार !अफसोस !ये सरकारें आम जनता के लिए चुनी जाती हैं पेट केवल अपना और अपनों का भरा करती हैं ।
मोदी सरकार के दो वर्ष होने का पर्व जनता भी मना रही है क्या ?या केवल सरकार में सम्मिलित लोग और केवल पार्टी के पदाधिकारी ही !कोशिश ऐसी होनी चाहिए कि जनता को भी विश्वास में लिया जाए और जनता भी मोदी सरकार के वर्षद्वय पर में भावनात्मक रूप से सम्मिलित हो !अन्यथा वर्तमान खुशफहमी कहीं अटल जी की सरकार का फीलगुड बन कर न रह जाए ! मोदी जी ! जनता का बहुत बड़ा वर्ग भ्रष्टअधिकारियों और भ्रष्टनेताओं की धोखाधड़ी का शिकार हो रहा है उसे बचने के लिए कुछ कीजिए !ये दोनों लोग ही करवा रहे हैं सभी प्रकार के अपराध !अन्यथा अपराधियों में इतनी हिम्मत कहाँ होती है कि वो अपने बल पर अपराध करें और उनके पास इतना धन कहाँ होता है कि वे घूस देकर बच जाएँ किंतु मददगारों के बल पर वो उठा जाते हैं बड़े बड़े कदम !इस लिए उन मदद गारों की पहचान करके उन पर अंकुश लगाना होगा !इन लोगों पर अंकुश लगाए बिना 2019 की वैतरणी पार कर पाना आसान नहीं होगा !
इसके अलावा मोदी जी आखिर कैसे बंद हों अपहरण हत्या बलात्कार जैसे अपराध ! अपराधियों को गले लगाते हैं गुंडे और गुंडों को गले लगाती हैं राजनैतिक पार्टियाँ !इसी प्रकार से अपराध के कारोबार से कमाई करते हैं अपराधी और अपराधियों से कमाई करते हैं भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारी !यदि सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ होते तो न हत्याएँ होतीं न होते बलात्कार !इसलिए अपराधियों पर अंकुश लगाने से पहले भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर काबू पावे सरकार !उसके पहले विकास संबंधी सारी बातें बेकार !
प्रधानमंत्री जी ! सरकार के हाथ पैर तो सरकारी अधिकारी और कर्मचारी ही होते हैं जिनके अच्छे बुरे व्यवहार के आधार पर ही सरकार के काम काज का मूल्यांकन होता है क्योंकि अधिकारियों और कर्मचारियों से ही जनता को जूझना पड़ता है वो ही यदि भ्रष्टाचारी हैं तो आप कितने भी अच्छे बने रहें किंतु जनता के मन में आपकी छवि भ्रष्टाचार समर्थक के रूप में ही बनी रहेगी !अपराधों पर अंकुश लगाने के नाम पर भाषण चाहें जितने हों किंतु काम बिलकुल नहीं हो रहा है !
जेल में बैठकर मीटिंगें कर रहे हैं अपराधी !एक साधारण किसान की गारंटी पर हजारों करोड़ का लोन मिल जाता है ऐसे असंख्य अपराध कर रहे हैं सरकारी अधिकारी ,कर्मचारी इन्हें कोई देखने रोकने वाला ही नहीं है तभी तो अंकुश नहीं लग पा रहा है अपराधों पर ! सरकारी नीतियाँ इतनी अंधी हैं कि अधिकारियों कर्मचारियों से काम लेना तो सरकार के बश का ही नहीं है इनके भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना भी सरकार के बश का नहीं है फिर भी इनकी सैलरी बढ़ाए जा रही है सरकार जबकि सरकारी हर काम काज का भट्ठा बैठा रखा है इन्होंने !आखिर सरकार अपने कर्मचारियों से इतनी खुश क्यों है!
सरकारी शिक्षा विभाग ,डाकविभाग दूरसंचार विभाग चिकित्साविभाग चौपट तो इन्हीं सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों ने कर रखा है इनसे बहुत कम सैलरी पाकर भी प्राइवेट टीचर, कोरियरकर्मी, प्राइवेटदूर संचार कर्मी,चिकित्साकर्मी अपने अपने क्षेत्र में कितनी अच्छी अच्छी सेवाएँ दे रहे हैं ।
सरकार के कर्मचारी तो इतने कामचोर हैं कि जिस आफिस के कर्मचारियों की एक एक महीने की सैलरी पर पचासों लाख रूपए खर्च हो रहे होते हैं उस आफिस के कर्मचारी अपना कम्प्यूटर और प्रिंटर बिगाड़ कर उसी बहाने कई कई दिन काम न करके जनता को टरकाया करते हैं ऊपर से जनता के साथ मिलकर वो लोग भी सरकार तथा सरकारी व्यवस्थाओं को गालियाँ देते हैं ! इनके काउंटरों पर नंबर की तलाश में खड़ी जनता को जानवरों की तरह कभी भी खदेड़ देते हैं ये इटरनेट न आने का बहाना बनाकर!कई कई दिन बीत जाने पर भी काम न होने पर घूस देने को मजबूर कर दी जाती है जनता !उसके पास इसके अलावा और कोई दूसरा विकल्प ही नहीं होता है । सरकारी तंत्र की ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जहाँ जनता इस विश्वास के साथ शिकायत करे कि उसका काम समय से हो जाएगा !
सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से काम कराने के लिए घूस देने के अलावा जनता के पास कोई अधिकार नहीं हैं जिस अधिकारी से शिकायत की जाती है वो उलटे जनता को ही काटने दौड़ता है सरकार तक जनता की पहुँच नहीं होती है !
कुल मिलाकर अपराध छोटे हों या बड़े इसे करने वाला किसी न किसी कोने में मूर्ख होता है तभी तो ऐसा रास्ता चुनता है ।अपराधी केवल यंत्र की भाँति होता है इसी कारण ऐसे लोगों का ऊपरी कमाई के लालच में उपयोग करते हैं भ्रष्टअधिकारी कर्मचारी और गुंडेनेता !जहाँ अधिकारियों कर्मचारियों की ऊपरी कमाई का साधन बने हैं अपराधी वहीँ भ्रष्टनेताओं का दबदबा बनाने में सहायक होते हैं अपराधी !यही अधिकारी और यही नेता उन अपराधियों की हर समय हर प्रकार से रक्षा करते रहते हैं इस सच्चाई से इनकार नहीं किया जा सकता है इसलिए ऐसे लोगों पर अंकुश लगाए बिना अपराधों पर नियंत्रण नहीं पाया जा सकता है ।
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