लोकसभा
चुनावों में भाजपा को मिली जीत का श्रेय समेटने की तब तो लगी थी होड़ !कोई समझने
को ही तैयार नहीं था कि लोकसभा चुनावों में मिली जीत की वास्तविक वजह आखिर है क्या?
दिल्ली और बिहार की पराजय में मुख चुराते घूमना ठीक नहीं है !उचित यही है
कि बिना किसी पूर्वाग्रह के खोजे जाएँ दिल्ली और बिहार चुनावों में पार्टी
की पराजय के कारण और उनसे कुछ सीखा जाए !अन्यथा आगामी उत्तर प्रदेश के
चुनावों में पार्टी के पक्ष में बहुत कुछ अच्छा होते नहीं दिखता है । वैसे
भी लोकतांत्रिक पार्टियों में किसी भी नेता को देवी देवता मानकर नहीं चला
जा सकता ! गलती मनुष्य से ही होती है सुधार संभव है बशर्ते गलतियों की
जानकारी सही सही ढंग से की जाए और उनके समाधान खोजने में ईमानदारी बरती जाए
!
विगत लोकसभा चुनावों में भाजपा की भारी विजय उसके अपने किसी नेता की वजह
से हुई थी या भाजपा की अच्छी नीतियों या नैतिकता के कारण विजय हुई थी यह
ठीक नहीं है क्योंकि ऐसा मानने वाले चाहें तो उस समय की भाजपा की
लोकप्रियता को अभी भी कसौटी पर कस सकते हैं भाजपा के पक्ष में तब भी कोई
हवा हिलोर नहीं थी और ऐसा होता भी कैसे इसके लिए भाजपा के किसी नेता ने
बीते दस वर्षों में पार्टी के पक्ष में जन जागरण करने के लिए कोई बड़ा
प्रयास किया हो ऐसा मुझे तो याद नहीं आता !उस समय भाजपा की निष्क्रियता का
आलम यह था कि केंद्र सरकार के विरुद्ध उमड़ा जनाक्रोश अन्ना हजारे जैसे समाज
सुधारकों के साथ खड़ा हो गया ! जिसका परिणाम है वर्तमान दिल्ली सरकार
!अन्यथा अरविन्द केजरीवाल का अपना राजनैतिक वजूद ही क्या था !
दस वर्ष तक मनमोहन सरकार चलती रही यदि उसने जनता के साथ कुछ गलत भी
किया था तो उसका प्रतीकार करने के लिए भाजपा ने क्या किया था ! रही बात
नरेंद्र मोदी जी या अमित शाह जी की ये तो दोनों ही लोग जनता के दुःख दर्द
बाँटना तो दूर झाँकने के लिए भी कभी नहीं घूमें पूरा देश और न ही जनता को
कोई आश्वासन ही दिया । उनके केवल चुनावी भाषणों से प्रभावित होकर जनता इतना
बड़ा जनादेश दे देगी !आश्चर्य !! ऐसे नेताओं को लोक सभा चुनावों में विजय
का चाणक्य और न जाने क्या क्या बता दिया गया ! बाबा राम देव ने भी विजय का
श्रेय खूब समेटा जिनके अपने ऊपर जब रामलीला मैदान में पुलिस ने बर्बरता की
थी तब परिश्रम पूर्वक लाए गए चेला चेली बिना बताए भाग खड़े हुए किसी ने
इतनी हिम्मत तक नहीं की कि बाबा रामदेव के समर्थन में कहीं धरना प्रदर्शन
ही करते !उस दिन नहीं तो अगले दिन सही किंतु ऐसा कहीं कुछ देखने सुनने को
नहीं मिला !वे बाबा राम देव कहते हैं कि भाजपा को जिताने में मेरा बड़ा
योगदान है ।अरे जिस जनता ने आपको बचाने में कोई योगदान नहीं दिया उसने आपके प्रभाव से भाजपा को जिताने में कितनी मदद दी होगी ये भगवान ही जाने !
कुल मिलाकर सत्य से मुख मोड़ते हुए ऐसे झूठ साँच त्याग बलिदान को लोक सभा चुनावों में भाजपा की विजय का श्रेय दे दिया गया जबकि UPA के विरुद्ध उमड़ा जनाक्रोश NDA की विजय के रूप में परिवर्तित हुआ इसके अलावा UPA को हटाने का जनता के पास और कोई उत्तम विकल्प ही नहीं था जिन जिन प्रदेशों में UPA के घटक दल अधिक थे उन उन उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेशों में उन सारे UPA घटक दलों का सूपड़ा ही साफ हो गया और NDA के प्रत्याशी विजयी हुए जिसमें जनता के मूड को भाँपने की बजाय तत्कालीन NDA प्रमुख लोग NDA को मिली भारी विजय में अपनी अपनी पीठें थपथाने लगे ! ये बनावटी बहादुरी और बड़े बड़े लक्षेदार भाषण आज क्यों नहीं प्रभावित कर पा रहे हैं लोगों को !इसका सीधा सा मतलब है कि बहादुरी न तब थी और न अब है न तब कोई लहर थी और न अब है किंतु इतना है कि तब UPA के विरुद्ध उपजे आक्रोश के बलपर
NDA को मिल गया था भारी बहुमत किंतु हर जगह ऐसी ही परिस्थिति मिले इसकी आशा
भाजपा को भी नहीं करनी चाहिए उसे अपने प्रयासों से भी जन समर्थन हासिल
करने का प्रयास करना चाहिए जो दिल्ली और बिहार में नहीं किया गया !वोट जनता से मिलना है यह जानते के हुए भी भाजपायी जनता की ओर तो देखते ही नहीं हैं केवल 'मोदी' 'मोदी' करके जीत लेना चाहते थे चुनाव किंतु गेम खाली चला गया !बंधुओ ! अच्छे अच्छे देश भक्त कर्मठ सेवा भावना से युक्त लोग भाजपा में सम्मिलित होकर देश सेवा करना चाहते हैं किंतु वर्तमान भाजपा न जाने क्यों अपने प्रति समर्पित लोगों समर्पण को समझने को तैयार ही नहीं है !
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