समय शास्त्र का महत्व -
वेद में समय के विषय में 'कालो ब्रह्म' कहा गया है अर्थात समय ही भगवान है !
दूसरी बात कही गई - 'काले सर्वं प्रतिष्ठितं' अर्थात सब कुछ समय में ही विद्यमान है !क्या कब कहाँ किसके विषय में हुआ था या होगा ये सब कुछ समय में ही प्रतिष्ठित है अर्थात समय में ही विद्यमान है !
तीसरी बात बताई गई-
'कालः सृजति भूतानि कालः संहरते प्रजाः '
अर्थात समय ही सबको जन्म देता है और समय ही सबका संहार करता है !
एक और बहुत बड़ी बात कही गई है - 'अग्नि सोमात्मकं जगत 'अर्थात यह संपूर्ण संसार अग्नि अर्थात सूर्य और सोम अर्थात चंद्र (जल)मय है !
इसलिए प्रकृति से लेकर मानवजीवन तक से संबंधित समस्त समस्याओं एवं समाधानों का प्रमुख कारण समय ही है और समय की गति का ज्ञान सूर्य और चंद्र के संचार से ही होता है !इसलिए समयके संचार को समझने के लिए सूर्य और चंद्र की गति को ही समझना होगा !
सूर्य और चंद्र की गति को गणित से समझा जा सकता है जिस गणित से सूर्य और चंद्र आदि ग्रहों की वर्तमान गति निकाली जा सकती है उसी गणित से तो सूर्य और चंद्र आदि ग्रहों की भविष्य संबंधी गति उपस्थिति आदि जानी जा सकती है उसी गणित के द्वारा ही तो जैसे सैकड़ों वर्ष पहले के सूर्य चन्द्रादि ग्रहणों का पता लगा लिया जाता है वैसे ही उसी गणित के द्वारा वर्षा बाढ़ आँधी तूफान एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लेकर मनुष्यों के स्वास्थ्य एवं मानसिक तनावों का पूर्वानुमान वर्षों पहले क्यों नहीं लगाया जा सकता है !
इसी दृढ़ निश्चय के बलपर भारत के पूर्व मनीषियों ने ग्रह गणित पर बहुत परिश्रम पूर्वक अनुसन्धान किए जिसके बल पर समय को समझने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त की है ! उसी समय संबंधी अनुसंधान के बल पर प्राचीन भारत कई बड़ी समस्याओं के समाधान आसानी से खोज लेता रहा है !इसके अभाव में वर्तमान विश्व कई बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है जिनका समाधान कहीं नहीं मिल पा रहा है समय अच्छा और बुरा दो प्रकार का होता है जिसका प्रभाव प्रकृति शरीर और समाज तीनों पर पड़ते देखा जाता है समय अच्छा होता है तब तो सब जगह अच्छा अच्छा दिखाई पड़ता है और समय बुरा होता है तब सब जगह बुरा घटित होने लगता है इसी कारण से प्रकृति शरीर और समाजसे संबंधित कई बड़ी समस्याएँ स्वयं ही पैदा होती और समाप्त होती रहती हैं !किंतु प्रकृति की स्वयं घटित होने वाली ऐसी अवस्था में बुरा समय तो समुद्र की लहर की तरह आकर चला जाता है किंतु उसके दुष्प्रभाव से जो घटनाएँ घटित हो जाती हैं उनकी भरपाई लंबे समय में भी नहीं हो पाती है !
वेद में समय के विषय में 'कालो ब्रह्म' कहा गया है अर्थात समय ही भगवान है !
दूसरी बात कही गई - 'काले सर्वं प्रतिष्ठितं' अर्थात सब कुछ समय में ही विद्यमान है !क्या कब कहाँ किसके विषय में हुआ था या होगा ये सब कुछ समय में ही प्रतिष्ठित है अर्थात समय में ही विद्यमान है !
तीसरी बात बताई गई-
'कालः सृजति भूतानि कालः संहरते प्रजाः '
अर्थात समय ही सबको जन्म देता है और समय ही सबका संहार करता है !
एक और बहुत बड़ी बात कही गई है - 'अग्नि सोमात्मकं जगत 'अर्थात यह संपूर्ण संसार अग्नि अर्थात सूर्य और सोम अर्थात चंद्र (जल)मय है !
इसलिए प्रकृति से लेकर मानवजीवन तक से संबंधित समस्त समस्याओं एवं समाधानों का प्रमुख कारण समय ही है और समय की गति का ज्ञान सूर्य और चंद्र के संचार से ही होता है !इसलिए समयके संचार को समझने के लिए सूर्य और चंद्र की गति को ही समझना होगा !
सूर्य और चंद्र की गति को गणित से समझा जा सकता है जिस गणित से सूर्य और चंद्र आदि ग्रहों की वर्तमान गति निकाली जा सकती है उसी गणित से तो सूर्य और चंद्र आदि ग्रहों की भविष्य संबंधी गति उपस्थिति आदि जानी जा सकती है उसी गणित के द्वारा ही तो जैसे सैकड़ों वर्ष पहले के सूर्य चन्द्रादि ग्रहणों का पता लगा लिया जाता है वैसे ही उसी गणित के द्वारा वर्षा बाढ़ आँधी तूफान एवं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से लेकर मनुष्यों के स्वास्थ्य एवं मानसिक तनावों का पूर्वानुमान वर्षों पहले क्यों नहीं लगाया जा सकता है !
इसी दृढ़ निश्चय के बलपर भारत के पूर्व मनीषियों ने ग्रह गणित पर बहुत परिश्रम पूर्वक अनुसन्धान किए जिसके बल पर समय को समझने में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त की है ! उसी समय संबंधी अनुसंधान के बल पर प्राचीन भारत कई बड़ी समस्याओं के समाधान आसानी से खोज लेता रहा है !इसके अभाव में वर्तमान विश्व कई बड़ी समस्याओं से जूझ रहा है जिनका समाधान कहीं नहीं मिल पा रहा है समय अच्छा और बुरा दो प्रकार का होता है जिसका प्रभाव प्रकृति शरीर और समाज तीनों पर पड़ते देखा जाता है समय अच्छा होता है तब तो सब जगह अच्छा अच्छा दिखाई पड़ता है और समय बुरा होता है तब सब जगह बुरा घटित होने लगता है इसी कारण से प्रकृति शरीर और समाजसे संबंधित कई बड़ी समस्याएँ स्वयं ही पैदा होती और समाप्त होती रहती हैं !किंतु प्रकृति की स्वयं घटित होने वाली ऐसी अवस्था में बुरा समय तो समुद्र की लहर की तरह आकर चला जाता है किंतु उसके दुष्प्रभाव से जो घटनाएँ घटित हो जाती हैं उनकी भरपाई लंबे समय में भी नहीं हो पाती है !
इसी कारण भीषणबाढ़,आँधीतूफान एवं भूकंप आदि घटनाएँ घटित होते देखी जाती हैं सामूहिक और व्यक्तिगत बड़ी बड़ी बीमारियाँ होते देखी जाती हैं !मनोरोग तनाव आदि बढ़ते देखे जाते हैं !सामाजिक उन्माद जैसी घटनाएँ देखने को मिलती हैं !पारिवारिक संबंध बिगड़ने लगते हैं परिवार टूटने लगते हैं पति पत्नी के बीच आपसी तनाव होने लगता है संबंध विच्छेद होते देखा जाता है !ऐसी सभी समस्याओं का समय विज्ञान की दृष्टि से पूर्वानुमान लगाकर उनका समाधान भी समय के आधार पर ही कर लिया जाता था किंतु समय विज्ञान की उपेक्षा से ऐसी समस्याएँ समाज को नीरस बनाती जा रही हैं !
समय की इसी महत्ता को विदेशी विद्वान् भी भारत का सम्मान करते रहे हैं और उन्होंने ने भी अपने अपने काल खंड में अपने अपने देशों में समय विज्ञान पर महत्वपूर्ण कार्य किया है कई ने तो किताबें तक लिखी हैं !
अलबरूनी - संस्कृत और ज्योतिष दोनों विषयों के विद्वान थे उन्होंने लिखा है कि 'ज्योतिष शास्त्र में हिन्दू
लोग संसार की सभी जातियों से बढ़कर हैं। मैंने अनेक भाषाओं के अंकों के नाम
सीखे हैं, पर किसी जाति में भी हजार से आगे की संख्या के लिए मुझे कोई नाम
नहीं मिला। हिन्दुओं में 18 अंकों तक की संख्या के लिए नाम हैं जिनमें
अंतिम संख्या का नाम परार्ध बताया गया है।'उन्होंने इंडिका नाम से एक पुस्तक भी लिखी है जिसका जर्मन में अनुवाद एडवर्ड सी सात्रो ने करवाया !अलबरूनी के अलावा अल्फजारी ,याकूब बिन तारिक ,सब अलहसन आदि इस्लामिक विद्वानों ने भी समय विज्ञान पर बहुत काम किया है !
प्रो. मैक्समूलर ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि
'भारतवासी आकाशमंडल और नक्षत्रमंडल आदि के बारे में अन्य देशों के ऋणी नहीं
हैं। इन वस्तुओं के मूल आविष्कर्ता वे ही हैं।'
फ्रांसीसी पर्यटक फ्राक्वीस वर्नियर भी भारतीय
ज्योतिष-ज्ञान की प्रशंसा करते हुए लिखते हैं कि 'भारतीय अपनी गणना द्वारा
चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण की बिलकुल ठीक भविष्यवाणी करते हैं। इनका ज्योतिष
ज्ञान प्राचीन और मौलिक है।'
फ्रांसीसी यात्री टरवीनियर ने भी भारतीय ज्योतिष की प्राचीनता और विशालता से प्रभावित होकर कहा है कि 'भारतीय ज्योतिष ज्ञान प्राचीनकाल से ही अतीव निपुण हैं।'
इन्साइक्लोपीडिया ऑफ ब्रिटैनिका में लिखा है कि 'इसमें कोई संदेह नहीं कि हमारे (अंग्रेजी) वर्तमान अंक-क्रम की उत्पत्ति भारत से है।
ग्रीक के प्रसिद्ध विद्वान् मार्सेली फिकिनों ने समय विज्ञान की महत्ता
समझते हुए इसी संदर्भ में 'लिबर्टीबिटा' नाम से एक पुस्तक भी लिखी है !
इसी प्रकार से इब्नबबूता
इसी प्रकार से इब्नबबूता
अकबर
के नव रत्नों में अब्दुल रहीम खानखाना भी थे उन्होंने मानव जीवन से
संबंधित समस्याओं के समाधान हेतु इसी समयविज्ञान को अत्यंत उपयोगी और
प्रभावी माना है ! न केवल इतना अपितु इस विषय में 'खेटकौतुकं' और
'द्वाविंशद्योगावली'नामक उन्होंने दो पुस्तकें भी लिखी हैं !
प्रसिद्ध विद्वान् पैरासेल्सस प्रसिद्ध चिकित्सा शास्त्री थे उन्होंने चिकित्सा जगत के लिए समय विज्ञान को अत्यंत उपयोगी बताया है !शरीर की क्रियाओं और औषधियों पर पड़ने वाले समय के प्रभाव का उन्होंने विस्तार पूर्वक वर्णन किया है !उन्होंने अपनी पुस्तक 'दि फ़ण्डामेंटो सेपियेण्टी' में लिखा कि प्रचलित चिकित्सा प्रणाली मनुष्य के केवल स्थूल शरीर के लिए समर्पित है जबकि रोग केवल स्थूल शरीर में ही नहीं होते हैं !दूसरी बात वर्तमान चिकित्सा पद्धति शरीर में विद्यमान रोगों के प्रति ही समर्पित है किंतु इसमें उस रोग के अतीत का यथार्थ आकलन नहीं होता एवं उसके भविष्य में संभावित बदलाव पर कोई यथार्थ आकलन नहीं होता !स्वस्थ होने की आशा से चिकित्सा प्रारंभ की जाती है जबकि रोग के विपरीत दिशा में बढ़ने की आशंका बनी रहती है
!इसलिए उन्होंने चिकित्सा के विषय में समय विज्ञान को अत्यंत उपयोगी माना है !
विश्व के इतने बड़े बड़े विद्वानों ने भारत के जिस समय विज्ञान को भविष्य संबंधी पूर्वानुमान लगाने में अत्यंत सक्षम माना है तो उचित है कि उसी के द्वारा भविष्य संबंधी रोगों तनावों एवं प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित सभी प्रकार के पूर्वानुमानों के लिए अनुसंधान किए जाने चाहिए !
इसके अतिरिक्त जो लोग समय विज्ञान से संबंधित ग्रह विज्ञान आदि को मानने में संकोच करते हों या इसे अंध विश्वास आदि मानते हों उन्हें इसके अलावा किसी अन्य पद्धति से भी भविष्य संबंधी पूर्वानुमान लगाने लिए स्वतंत्र प्रयास करने चाहिए जो तर्क की कसौटी पर कैसे जा सकें !
विश्व के इतने बड़े बड़े विद्वानों ने भारत के जिस समय विज्ञान को भविष्य संबंधी पूर्वानुमान लगाने में अत्यंत सक्षम माना है तो उचित है कि उसी के द्वारा भविष्य संबंधी रोगों तनावों एवं प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित सभी प्रकार के पूर्वानुमानों के लिए अनुसंधान किए जाने चाहिए !
इसके अतिरिक्त जो लोग समय विज्ञान से संबंधित ग्रह विज्ञान आदि को मानने में संकोच करते हों या इसे अंध विश्वास आदि मानते हों उन्हें इसके अलावा किसी अन्य पद्धति से भी भविष्य संबंधी पूर्वानुमान लगाने लिए स्वतंत्र प्रयास करने चाहिए जो तर्क की कसौटी पर कैसे जा सकें !