Friday, 29 June 2018

mausam

आदरणीय आपको सादर नमस्कार !

    विषय -प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमान के  विषय में -
      श्रीमान जी ,
      मौसमविभाग के द्वारा की जाने वाली मौसम संबंधी भविष्यवाणियों में  सबसे अधिक भविष्यवाणियाँ हमेंशा गलत सिद्ध होती हैं !इससे तो वो किसान अच्छे थे जो पुराने समय में आकाशीय या प्राकृतिक लक्षणों को आधार पर पूर्वानुमान लगाया करते थे इतने तो वो भी सही हो जाया करते थे!फिर वही  तीर  तुक्के लगाने के लिए किसी मंत्रालय के संचालन तथा वहाँ की सुख सुविधाओं एवं उससे संबंधित कर्मचारियों की सैलरी आदि सारे खर्च बहन करना संघर्ष पूर्ण परिशानी का जीवन जीने वाले गरीबों किसानों मजदूरों की तुलना में कितना न्यायोचित है !
     किस खेत में क्या बोया जाए ,अभी पानी फसलों को अभी पानी दिया जाए या कुछ रुककर कर दिया जाए अन्न की उपज को अभी बेचा जे या रूककर बेचा जाए  चारा बोया जाए न बोया जाए आदि बातों का निर्णय मौसम के आधार पर किसान लेते हैं इसलिए कृषि कार्यों के लिए किसानों को मौसम संबंधी पूर्वानुमान एक दो महीने पहले चाहिए होते  हैं !जो मौसमविभाग न तो  बताता है और न  ही बता सकता है इस  बारे में जो झूठ साँच  बोलता भी है वो 100 प्रतिशत गलत होता है !भूकम्पों का पूर्वानुमान किया ही नहीं जा सकता !इस वर्ष आँधी इतनी अधिक और इतनी हिंसक क्यों आयीं इसका मौसम विभाग के पास कोई जवाब ही नहीं है !पर्यावरण पर कोई अनुसन्धान ही नहीं है सब जगह खाना पूर्ति हो रही है ऐसी परिस्थिति में घाटे पर चल रहे सरकार के ऐसे मंत्रालयों या सरकारी विभागों के औचित्य पर प्रश्न उठना स्वाभाविक है और यदि ये अपने उद्देश्य को पूर्ण कर पाने में सफल नहीं हैं तो इनके विषय में पुनर्विचार क्यों नहीं किया जाना चाहिए !
    


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