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समय और बदलाव !
समय के कारण ही होते हैं सभी प्रकार के बदलाव !प्रकृति में शरीरों में तथा सभी वस्तुओं में होने वाले प्रतिपल परिवर्तनों को देखकर लगता है कि समय बीत रहा है!जो कुछ जैसा कल था वो आज वैसा नहीं है इससे लगता है कि समय बीत रहा है !कुल मिलाकर प्रकृति से लेकर शरीरों तक सबमें हर क्षण कुछ न कुछ बदल रहा होता है समय जब जैसा चल रहा होता है तब तैसे बदलाव होते रहते हैं !
प्राकृतिक आपदाओं से लेकर शारीरिक ,मानसिक पारिवारिक व्यापारिक आदि रोग तनाव समेत सभी प्रकार की समस्याएँ और उनके समाधान समय के बदलाव के कारण ही तो घटित हो रहे होते हैं !
समय दो प्रकार का होता है -
प्राकृतिक और व्यक्तिगत भेद से समय दो प्रकार का होता है !प्राकृतिक समय का प्रभाव प्रकृति से लेकर जन जीवन तक सारे संसार पर एक साथ एक जैसा पड़ता है !सर्दी की ऋतु में प्रकृति में सर्दी का वातावरण होता है तो लोगों को भी सर्दी लगती है और उन्हें सर्दी से संबंधित रोग भी हो रहे होते हैं !
व्यक्तिगत समय सबका अपना अपना होता है !इसका प्रभाव सभी जीवों व्यक्तियों आदि के अपने अपने अच्छे बुरे समय के अनुशार सब पर अलग अलग पड़ते देखा जाता है !इसीलिए सभी लोग एक साथ रोगी निरोग ,सुखी दुखी सफल असफल हानि लाभ युक्त आदि नहीं होते हैं !
समय अच्छा और बुरा दोनों प्रकार का होता है !
अच्छे समय में सभी लोग सुखी निरोग प्रसन्न संतुष्ट आदि होते हैं !आवश्यकता के अनुशार बादल बरसते हैं हवाएँ चलती हैं उचित मात्रा में उचित समय पर सर्दी गर्मी आदि ऋतुएँसभी चराचर जगत के लिए सुखदायिनी होती हैं !
बुरे समय में प्रकृति पर समय का बुरा असर पड़ने से प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं भूकंप अधिक वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफान आदि के रूप में बुरे समय का प्रभाव दिखाई पड़ता है बुरा समय प्राणियों में सामूहिक रोग पैदा करता है मानसिक तनाव एवं सभी प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न करता है !
समय के प्रभाव के अनुसार होते हैं समस्याएँ और उनके समाधान !
एक जैसा कभी नहीं रहता है समय का प्रभाव !अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के समयों का असर कभी कम होता है और कभी अधिक !प्रकृति में हो या जीवन में जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसा असर हो रहा होता है !अच्छे समय में अच्छा असर होता है और बुरे समय में बुरा असर समय के वेग के अनुसार हो रहा होता है !
बुरे समय का असर जब जैसा जिस व्यक्ति पर पड़ता है तब तैसी समस्याएँ उस व्यक्ति के शरीर मन परिवार व्यापार आदि में घटित होती हैं !उसी प्रकार का असर उसके प्रति उससे संबंधित सगे सम्बन्धियों के स्वभावों शरीरों आदि पर पड़ रहा होता है!
बुरे समय का प्रभाव शरीरों को रोगी बनाता है !मन में चिंता और तनाव पैदा करता है !घर ,परिवार ,व्यवहार व्यापार आदि में बाधाएँ उत्पन्न करता है सगे संबंधियों को अपने से दूर करता है !स्वास्थ्य और मन के लिए हानिकारक परिस्थितियाँ पैदा करता है बुरा समय !
समय कब कैसा चलेगा और उसमें तीव्रता कितनी होगी ?
कब कैसा चलेगा समय और उसमें तीव्रता कितनी होगी ! ये सबकुछ अनिश्चित नहीं है और न ही कुछ अचानक घटित हो रहा होता है अपितु उसका निश्चित सिद्धांत होता है !उस सिद्धांत का ज्ञान रखने वाले लोग इस बात का पूर्वानुमान लगा लेते हैं कि भविष्य में किस वर्ष या महीने में प्रकृति में या व्यक्तिगत कब कैसा समय आएगा और उसमें तीव्रता कितनी कम या अधिक होगी !
समय के पूर्वानुमान के आधार पर वे भविष्य में घटित होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का एवं किसी की शारीरिक मानसिक पारिवारिक व्यापारिक आदि समस्याओं का पूर्वानुमान लगा लिया करते हैं !
समय का पूर्वानुमान लगाने का आधार क्या है ?
को जानने समझने वाले जिसका पूर्वानुमान सूर्य और चंद्र की गति युति आदि के आधार पर लगाया जा सकता है इसे सूर्य और चंद्र की गति युति आदि को सूर्यसिद्धांत में वर्णित गणित के द्वारा समझा जा सकता है !गणित के द्वारा इसका पूर्वानुमान सैकड़ों वर्ष पहले से भी लगाया जा सकता है इसी पद्धति के आधार पर सुदूर आकाश में घटित होने वाली सूर्य चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाओं का पूर्वानुमान गणित के द्वारा बहुत पहले लगा लिया जाता है !
उसे रोगी यही समय जब किसी का व्यक्तिगत रूप सभी जीव जंतुओं सभी लोग प्रभावित होते हैं
प्रकृति और शरीरों में हर क्षण होने वाले बदलाव समय के कारण होते हैं समय अच्छा और बुरा दो प्रकार का होता है अच्छा समय सब कुछ अच्छा अच्छा करता है और बुरा समय सब कुछ बुरा बुरा करता है !
ये बदलाव अच्छे और बुरे दो प्रकार के होते हैं अच्छे बदलाव सब कुछ अच्छा करते हैं और बुरे बदलाव सबकुछ बुरा करते हैं ! इनके बदलने का कारण है समय
को समझने का साधन हैं सूर्य चंद्र -
समय दो प्रकार का होता है एक सामूहिक समय तो दूसरा व्यक्तिगत समय होता है तो दूसरा बीतता है
पूर्वानुमान -
मौसमसंबंधी घटनाएँ जो भविष्य में घटित होने की संभावनाएँ दिखती हैं जैसे -वर्षा कब होगी ?तूफान कब आएगा ?भूकंप कब आएगा ?आदि !ऐसी घटनाओं के विषय में पहले से पता लगा लेने को मौसम संबंधी पूर्वानुमान कहते हैं !
पूर्वानुमान के लाभ -
वर्षा तूफान या भूकंप आदि के विषय में पूर्वानुमान प्राप्त हो जाने से ऐसी प्राकृतिक आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता किंतु पहले से पता लग जाने के कारण ऐसी घटनाओं के द्वारा भविष्य में होने वाले संभावित नुकसान को प्रयास पूर्वक कम अवश्य किया जा सकता है !
जीवन से संबंधित विषयों में भी होता है पूर्वानुमान -
किसी के जन्मसमय का वह छोटा सा समयविंदु बहुत महत्वपूर्ण होता है !वह उसके सारे जीवन की अधिकाँश अच्छाई बुराइयों को अपने में समेटे होता है वही जन्मक्षण जीवन में घटित होने वाली सभी प्रकार की अच्छाइयाँ और बुराइयाँ सूक्ष्म रूप में विद्यमान होती हैं !यदि उस जन्मक्षण का अनुसंधान सही प्रक्रिया से कर लिया जाए तो उस जीवन में अचानक घटित होने वाली बहुत सारी अच्छाइयों बुराइयों का पूर्वानुमान बहुत पहले से लगाकर उनसे सावधान हुआ जा सकता है संभावित विपरीत परिस्थितियों से बचने का प्रयास किया जा सकता है एवं अनुकूल परिस्थितियों का अधिक से अधिक सदुपयोग किया जा सकता है !
स्वास्थ्य और रोग के विषय में पूर्वानुमान -
जीवन का कौन वर्ष स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा या खराब होगा किस वर्ष में किस प्रकार के रोग होने की संभावनाएँ विशेष अधिक होंगी तथा किस वर्ष में चोट चभेट लगने या किसी दूसरे के द्वारा अपने स्वास्थ्य के साथ कोई दुर्घटना घटित होने की संभावना बनेगी आदि बातों का पूर्वानुमान शरीर के रोगी होने से बहुत पहले लगाकर संभावित शारीरिक संकटों से बचने के लिए सावधान हुआ जा सकता है!
चिकित्सा के विषय में पूर्वानुमान -
जन्मक्षण के आधार परइस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि किसके शरीर में जीवन के किस वर्ष में हुआ कौन सा रोग कितने समय तक रहेगा !जितने समय तक जिस शरीर के रोगी होने का समय रहता है उतने समय तक उसे निरोग बनाने के लिए चिकित्सकों के द्वारा किए जाने वाले अच्छे से अच्छे प्रयास भी निरर्थक सिद्ध होते रहते हैं !अच्छी से अच्छी औषधियों के प्रयोग भी ऐसे रोगियों पर निष्फल होते देखे जाते हैं !समय यदि अधिक विपरीत हुआ तो कई बार उन प्रयासों के दुष्परिणाम होते देखे जाते हैं !समय यदि कम विपरीत हुआ तो उन चिकित्सकीय प्रयासों औषधियों आदि का असर भी दिखाई देने लगेगा !जब समय बिल्कुल
बदलकर अच्छा हो जाता है तो चिकित्सा के लिए किए गए सामान्य प्रयासों के या सामान्य रोगों में बिना चिकित्सा के भी स्वस्थ होते देखा जाता है !
मनोरोग और तनाव -
इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि उसके जीवन के किस वर्ष में किस प्रकार का स्वभाव एवं कैसी सोच बनेगी किस प्रकार के विचार आएँगे !कैसी पसंद होगी ! कैसे लोग या कार्य अच्छे लगेंगे कैसे लोगों विचारों कार्यों से अरुचि होगी !विचार आएँगे क्या भविष्य में घटित होने वाली वह कब कितना स्वस्थ रहेगा और कब कितना अस्वस्थ !उसके जीवन का कौन वर्ष किस प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा होगा और किस प्रकार के कार्यों के लिए बुरा !कब सुखी रहेगा कब दुखी !कब संपन्न रहेगा और कब असम्पन्न !कब तनाव रहेगा और कब नहीं !कब हानि होगी कब लाभ !के उस जीवन से संबंधित
शिक्षा के विषय में पूर्वानुमान-
संबंधों में पूर्वानुमान -
विवाह या प्रेम संबंधों में पूर्वानुमान -
चिकित्सा के विषय में पूर्वानुमान-
व्यापार के बनने बिगड़ने के विषय में पूर्वानुमान -
पद प्रतिष्ठा या नौकरी के विषय में पूर्वानुमान -
तनाव के कारणों की खोज -
किसी के विवाह या प्रेम संबंधों में चल रहे तनाव कारणों की खोज ?
सरकारी विभागों या निजी संस्थानों में विकास विषयक पूर्वानुमान -
प्राइवेटसंगठनों आपसी तालमेल विषयक पूर्वानुमान-
राजनैतिक दलों
पूर्वानुमान यदि मौसम के लिए आवश्यक हैं तो जीवन के लिए क्यों नहीं ?
पूर्वानुमान केवल तूफान बाढ़ भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं के लिए ही आवश्यक नहीं है अपितु इनकी आवश्यकता मानव जीवन से संबंधित सभी विषयों में होती है जैसे समय के प्रभाव से प्रकृति में हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है उसी प्रकार से शरीरों में ,चिंतन में ,परिस्थितियों में सभी प्रकार के बदलाव होते रहते हैं ये बदलाव कुछ अच्छे और कुछ बुरे होते हैं अच्छे बदलाव तो हर कोई आसानी से सह लेता है जबकि बुरे बदलावों को सहना कठिन होता है इसलिए हर व्यक्ति अपने जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित बुरे प्रभावों को कम करने एवं अच्छे प्रभावों को बढ़ाने के प्रयाव में आजीवन रहता है !यदि उसे उसकी भविष्य में घटित होने वाली उन अच्छाइयों या बुराइयों के संभावित समय की जानकारी पहले से मिल जाए तो वो सतर्कता संयम पथ्य परहेज आदि करके प्रयास पूर्वक अच्छाइयों को और अधिक बढ़ा सकता है और बुरे एवं हानिकर परिस्थितियों को प्रयास पूर्वक कम कर सकता है ! इससे काफी बचाव हो जाता है ! इसलिए पूर्वानुमानों की आवश्यकता केवल मौसम के विषय में ही नहीं अपितु सारे जीवन एवं उसमें घटित होने वाली घटनाओं के विषय में होती है !
पूर्वानुमानों के विषय में सबसे बड़ा भ्रम -
वस्तुतः पूर्वानुमानों की परिकल्पना केवल वर्षा तूफान या भूकंप आदि प्राकृतिक घटनाओं के लिए ही नहीं की गई थी अपितु प्रकृति और शरीर का एक दूसरे से सीधा संबंध है जैसे प्रकृति में वर्षा बाढ़ आँधी तूफान भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती रहती हैं वैसे ही शरीरों में अनेकों प्रकार के रोग एवं मानसिक परिस्थितियाँ बनती बिगड़ती रहती हैं !हमारे कहने का मतलब मन शरीर और प्रकृति तीनों एक साथ साथ चल रहे होते हैं !इसीलिए जिस समय वर्षा बाढ़ आँधी तूफान या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ जैसे प्रकृति में घटित हो रही होती है यही प्रभाव मनुष्यों पशुओं पक्षियों आदि में शरीरों और मानों पर भी पड़ रहा होता है जिससे उन्हें तरह तरह की बीमारियाँ एवं मानसिक तनाव आदि होते देखे जाते हैं !इसलिए जैसे प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान किया जाता है वैसे ही शारीरिक रोगों और मानसिक अवसाद आदि का पूर्वानुमान किया जा सकता है !
प्रकृति में या जीवन में बदलाव होने का कारण है समय -
इन बदलावों से ही हमें पता लग पाता है कि समय बीत रहा है ये परिवर्तन समय के व्यतीत होने की पहचान हैं !कल जैसा था आज वैसा नहीं है इससे समय बीतने का अनुमान होता है और जो आज जैसा है वो कल वैसा नहीं रहेगा उसमें बदलाव आएँगे और उन बदलावों में क्या क्या किस किस प्रकार से बदलने की सम्भावना है इसकी जानकारी आगे से आगे करते रहना ही समय का पूर्वानुमान है !
जाएगा कल ऐसे बदलावों के होने का कारण प्रकृति से लेकर शरीरों मनोदशाओं परिस्थितियों आदि पर पड़ने वाला समय का प्रभाव होता है समय के अनुशार होने वाले बदलाव स्वतंत्र रूप से हो रहे होते हैं किंतु इन परिवर्तनों से जब जिसका हित होने लगता है तब वो उस परिस्थिति को अच्छा मानने लगता है और जो उसके हित में नहीं होता है वो उसे बुरा कहने लगता है !
उद्देश्य किसी को सुख या दुःख देना नहीं होता है ऐसे बदलावों जिसे सुख व जो जिसके पक्ष में होते हैं वो उन्हें अच्छा मान लेता है समय के प्रभाव हैं हैं इन समय के साथ
में अच्छे या बुरे इसका कारण है समय !समय के साथ साथ सब कुछ से
प्रत्येक क्षेत्र में से होने वाले संभावित नुक्सान को कम करने के लिए पूर्वानुमान बहुत सहायक होते हैं !इसी प्रकार से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित भविष्य में पैदा होने वाली समस्याओं का पूर्वानुमान लगाकर उनसे होने वाले संभावित नुक्सान को प्रयास पूर्वक घटाया जा सकता है !ऐसी संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लग जाने से कईबार तो इनसे पूरी तरह बचाव हो जाता है !
किसी बच्चे का स्वास्थ्य यदि बिगड़ने वाला है या भविष्य में जिस वर्ष स्वास्थ्य बिगड़ सकता है जितने समय के लिए बिगड़ सकता है यदि इसका पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो खान पान रहन सहन में सावधानी वरत कर संभावित रोग से होने वाले नुक्सान को घटाया जा सकता है या फिर पूरी तरह से ही सुरक्षित बचा जा सकता है !
दुर्घटना -
पैदा होने वाली छोटी बड़ी सभी प्रकार की समस्याओं ,व्यापारिक नुकसानों पूर्वानुमानों का सहारा लेकर
पूर्वानुमान विज्ञान क्या है ?
समय और बदलाव !
समय के कारण ही होते हैं सभी प्रकार के बदलाव !प्रकृति में शरीरों में तथा सभी वस्तुओं में होने वाले प्रतिपल परिवर्तनों को देखकर लगता है कि समय बीत रहा है!जो कुछ जैसा कल था वो आज वैसा नहीं है इससे लगता है कि समय बीत रहा है !कुल मिलाकर प्रकृति से लेकर शरीरों तक सबमें हर क्षण कुछ न कुछ बदल रहा होता है समय जब जैसा चल रहा होता है तब तैसे बदलाव होते रहते हैं !
प्राकृतिक आपदाओं से लेकर शारीरिक ,मानसिक पारिवारिक व्यापारिक आदि रोग तनाव समेत सभी प्रकार की समस्याएँ और उनके समाधान समय के बदलाव के कारण ही तो घटित हो रहे होते हैं !
समय दो प्रकार का होता है -
प्राकृतिक और व्यक्तिगत भेद से समय दो प्रकार का होता है !प्राकृतिक समय का प्रभाव प्रकृति से लेकर जन जीवन तक सारे संसार पर एक साथ एक जैसा पड़ता है !सर्दी की ऋतु में प्रकृति में सर्दी का वातावरण होता है तो लोगों को भी सर्दी लगती है और उन्हें सर्दी से संबंधित रोग भी हो रहे होते हैं !
व्यक्तिगत समय सबका अपना अपना होता है !इसका प्रभाव सभी जीवों व्यक्तियों आदि के अपने अपने अच्छे बुरे समय के अनुशार सब पर अलग अलग पड़ते देखा जाता है !इसीलिए सभी लोग एक साथ रोगी निरोग ,सुखी दुखी सफल असफल हानि लाभ युक्त आदि नहीं होते हैं !
समय अच्छा और बुरा दोनों प्रकार का होता है !
अच्छे समय में सभी लोग सुखी निरोग प्रसन्न संतुष्ट आदि होते हैं !आवश्यकता के अनुशार बादल बरसते हैं हवाएँ चलती हैं उचित मात्रा में उचित समय पर सर्दी गर्मी आदि ऋतुएँसभी चराचर जगत के लिए सुखदायिनी होती हैं !
बुरे समय में प्रकृति पर समय का बुरा असर पड़ने से प्राकृतिक आपदाएँ घटित होती हैं भूकंप अधिक वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफान आदि के रूप में बुरे समय का प्रभाव दिखाई पड़ता है बुरा समय प्राणियों में सामूहिक रोग पैदा करता है मानसिक तनाव एवं सभी प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न करता है !
समय के प्रभाव के अनुसार होते हैं समस्याएँ और उनके समाधान !
एक जैसा कभी नहीं रहता है समय का प्रभाव !अच्छे और बुरे दोनों प्रकार के समयों का असर कभी कम होता है और कभी अधिक !प्रकृति में हो या जीवन में जब जैसा समय चल रहा होता है तब तैसा असर हो रहा होता है !अच्छे समय में अच्छा असर होता है और बुरे समय में बुरा असर समय के वेग के अनुसार हो रहा होता है !
बुरे समय का असर जब जैसा जिस व्यक्ति पर पड़ता है तब तैसी समस्याएँ उस व्यक्ति के शरीर मन परिवार व्यापार आदि में घटित होती हैं !उसी प्रकार का असर उसके प्रति उससे संबंधित सगे सम्बन्धियों के स्वभावों शरीरों आदि पर पड़ रहा होता है!
बुरे समय का प्रभाव शरीरों को रोगी बनाता है !मन में चिंता और तनाव पैदा करता है !घर ,परिवार ,व्यवहार व्यापार आदि में बाधाएँ उत्पन्न करता है सगे संबंधियों को अपने से दूर करता है !स्वास्थ्य और मन के लिए हानिकारक परिस्थितियाँ पैदा करता है बुरा समय !
समय कब कैसा चलेगा और उसमें तीव्रता कितनी होगी ?
कब कैसा चलेगा समय और उसमें तीव्रता कितनी होगी ! ये सबकुछ अनिश्चित नहीं है और न ही कुछ अचानक घटित हो रहा होता है अपितु उसका निश्चित सिद्धांत होता है !उस सिद्धांत का ज्ञान रखने वाले लोग इस बात का पूर्वानुमान लगा लेते हैं कि भविष्य में किस वर्ष या महीने में प्रकृति में या व्यक्तिगत कब कैसा समय आएगा और उसमें तीव्रता कितनी कम या अधिक होगी !
समय के पूर्वानुमान के आधार पर वे भविष्य में घटित होने वाली प्राकृतिक आपदाओं का एवं किसी की शारीरिक मानसिक पारिवारिक व्यापारिक आदि समस्याओं का पूर्वानुमान लगा लिया करते हैं !
समय का पूर्वानुमान लगाने का आधार क्या है ?
को जानने समझने वाले जिसका पूर्वानुमान सूर्य और चंद्र की गति युति आदि के आधार पर लगाया जा सकता है इसे सूर्य और चंद्र की गति युति आदि को सूर्यसिद्धांत में वर्णित गणित के द्वारा समझा जा सकता है !गणित के द्वारा इसका पूर्वानुमान सैकड़ों वर्ष पहले से भी लगाया जा सकता है इसी पद्धति के आधार पर सुदूर आकाश में घटित होने वाली सूर्य चंद्र ग्रहण जैसी खगोलीय घटनाओं का पूर्वानुमान गणित के द्वारा बहुत पहले लगा लिया जाता है !
उसे रोगी यही समय जब किसी का व्यक्तिगत रूप सभी जीव जंतुओं सभी लोग प्रभावित होते हैं
प्रकृति और शरीरों में हर क्षण होने वाले बदलाव समय के कारण होते हैं समय अच्छा और बुरा दो प्रकार का होता है अच्छा समय सब कुछ अच्छा अच्छा करता है और बुरा समय सब कुछ बुरा बुरा करता है !
ये बदलाव अच्छे और बुरे दो प्रकार के होते हैं अच्छे बदलाव सब कुछ अच्छा करते हैं और बुरे बदलाव सबकुछ बुरा करते हैं ! इनके बदलने का कारण है समय
को समझने का साधन हैं सूर्य चंद्र -
समय दो प्रकार का होता है एक सामूहिक समय तो दूसरा व्यक्तिगत समय होता है तो दूसरा बीतता है
पूर्वानुमान -
मौसमसंबंधी घटनाएँ जो भविष्य में घटित होने की संभावनाएँ दिखती हैं जैसे -वर्षा कब होगी ?तूफान कब आएगा ?भूकंप कब आएगा ?आदि !ऐसी घटनाओं के विषय में पहले से पता लगा लेने को मौसम संबंधी पूर्वानुमान कहते हैं !
पूर्वानुमान के लाभ -
वर्षा तूफान या भूकंप आदि के विषय में पूर्वानुमान प्राप्त हो जाने से ऐसी प्राकृतिक आपदाओं को रोका तो नहीं जा सकता किंतु पहले से पता लग जाने के कारण ऐसी घटनाओं के द्वारा भविष्य में होने वाले संभावित नुकसान को प्रयास पूर्वक कम अवश्य किया जा सकता है !
जीवन से संबंधित विषयों में भी होता है पूर्वानुमान -
किसी के जन्मसमय का वह छोटा सा समयविंदु बहुत महत्वपूर्ण होता है !वह उसके सारे जीवन की अधिकाँश अच्छाई बुराइयों को अपने में समेटे होता है वही जन्मक्षण जीवन में घटित होने वाली सभी प्रकार की अच्छाइयाँ और बुराइयाँ सूक्ष्म रूप में विद्यमान होती हैं !यदि उस जन्मक्षण का अनुसंधान सही प्रक्रिया से कर लिया जाए तो उस जीवन में अचानक घटित होने वाली बहुत सारी अच्छाइयों बुराइयों का पूर्वानुमान बहुत पहले से लगाकर उनसे सावधान हुआ जा सकता है संभावित विपरीत परिस्थितियों से बचने का प्रयास किया जा सकता है एवं अनुकूल परिस्थितियों का अधिक से अधिक सदुपयोग किया जा सकता है !
स्वास्थ्य और रोग के विषय में पूर्वानुमान -
जीवन का कौन वर्ष स्वास्थ्य के लिए कितना अच्छा या खराब होगा किस वर्ष में किस प्रकार के रोग होने की संभावनाएँ विशेष अधिक होंगी तथा किस वर्ष में चोट चभेट लगने या किसी दूसरे के द्वारा अपने स्वास्थ्य के साथ कोई दुर्घटना घटित होने की संभावना बनेगी आदि बातों का पूर्वानुमान शरीर के रोगी होने से बहुत पहले लगाकर संभावित शारीरिक संकटों से बचने के लिए सावधान हुआ जा सकता है!
चिकित्सा के विषय में पूर्वानुमान -
जन्मक्षण के आधार परइस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि किसके शरीर में जीवन के किस वर्ष में हुआ कौन सा रोग कितने समय तक रहेगा !जितने समय तक जिस शरीर के रोगी होने का समय रहता है उतने समय तक उसे निरोग बनाने के लिए चिकित्सकों के द्वारा किए जाने वाले अच्छे से अच्छे प्रयास भी निरर्थक सिद्ध होते रहते हैं !अच्छी से अच्छी औषधियों के प्रयोग भी ऐसे रोगियों पर निष्फल होते देखे जाते हैं !समय यदि अधिक विपरीत हुआ तो कई बार उन प्रयासों के दुष्परिणाम होते देखे जाते हैं !समय यदि कम विपरीत हुआ तो उन चिकित्सकीय प्रयासों औषधियों आदि का असर भी दिखाई देने लगेगा !जब समय बिल्कुल
बदलकर अच्छा हो जाता है तो चिकित्सा के लिए किए गए सामान्य प्रयासों के या सामान्य रोगों में बिना चिकित्सा के भी स्वस्थ होते देखा जाता है !
मनोरोग और तनाव -
इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि उसके जीवन के किस वर्ष में किस प्रकार का स्वभाव एवं कैसी सोच बनेगी किस प्रकार के विचार आएँगे !कैसी पसंद होगी ! कैसे लोग या कार्य अच्छे लगेंगे कैसे लोगों विचारों कार्यों से अरुचि होगी !विचार आएँगे क्या भविष्य में घटित होने वाली वह कब कितना स्वस्थ रहेगा और कब कितना अस्वस्थ !उसके जीवन का कौन वर्ष किस प्रकार के कार्यों के लिए अच्छा होगा और किस प्रकार के कार्यों के लिए बुरा !कब सुखी रहेगा कब दुखी !कब संपन्न रहेगा और कब असम्पन्न !कब तनाव रहेगा और कब नहीं !कब हानि होगी कब लाभ !के उस जीवन से संबंधित
शिक्षा के विषय में पूर्वानुमान-
संबंधों में पूर्वानुमान -
विवाह या प्रेम संबंधों में पूर्वानुमान -
चिकित्सा के विषय में पूर्वानुमान-
व्यापार के बनने बिगड़ने के विषय में पूर्वानुमान -
पद प्रतिष्ठा या नौकरी के विषय में पूर्वानुमान -
तनाव के कारणों की खोज -
किसी के विवाह या प्रेम संबंधों में चल रहे तनाव कारणों की खोज ?
सरकारी विभागों या निजी संस्थानों में विकास विषयक पूर्वानुमान -
प्राइवेटसंगठनों आपसी तालमेल विषयक पूर्वानुमान-
राजनैतिक दलों
पूर्वानुमान यदि मौसम के लिए आवश्यक हैं तो जीवन के लिए क्यों नहीं ?
पूर्वानुमान केवल तूफान बाढ़ भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं के लिए ही आवश्यक नहीं है अपितु इनकी आवश्यकता मानव जीवन से संबंधित सभी विषयों में होती है जैसे समय के प्रभाव से प्रकृति में हर पल कुछ न कुछ बदलता रहता है उसी प्रकार से शरीरों में ,चिंतन में ,परिस्थितियों में सभी प्रकार के बदलाव होते रहते हैं ये बदलाव कुछ अच्छे और कुछ बुरे होते हैं अच्छे बदलाव तो हर कोई आसानी से सह लेता है जबकि बुरे बदलावों को सहना कठिन होता है इसलिए हर व्यक्ति अपने जीवन के सभी क्षेत्रों से संबंधित बुरे प्रभावों को कम करने एवं अच्छे प्रभावों को बढ़ाने के प्रयाव में आजीवन रहता है !यदि उसे उसकी भविष्य में घटित होने वाली उन अच्छाइयों या बुराइयों के संभावित समय की जानकारी पहले से मिल जाए तो वो सतर्कता संयम पथ्य परहेज आदि करके प्रयास पूर्वक अच्छाइयों को और अधिक बढ़ा सकता है और बुरे एवं हानिकर परिस्थितियों को प्रयास पूर्वक कम कर सकता है ! इससे काफी बचाव हो जाता है ! इसलिए पूर्वानुमानों की आवश्यकता केवल मौसम के विषय में ही नहीं अपितु सारे जीवन एवं उसमें घटित होने वाली घटनाओं के विषय में होती है !
पूर्वानुमानों के विषय में सबसे बड़ा भ्रम -
वस्तुतः पूर्वानुमानों की परिकल्पना केवल वर्षा तूफान या भूकंप आदि प्राकृतिक घटनाओं के लिए ही नहीं की गई थी अपितु प्रकृति और शरीर का एक दूसरे से सीधा संबंध है जैसे प्रकृति में वर्षा बाढ़ आँधी तूफान भूकंप आदि घटनाएँ घटित होती रहती हैं वैसे ही शरीरों में अनेकों प्रकार के रोग एवं मानसिक परिस्थितियाँ बनती बिगड़ती रहती हैं !हमारे कहने का मतलब मन शरीर और प्रकृति तीनों एक साथ साथ चल रहे होते हैं !इसीलिए जिस समय वर्षा बाढ़ आँधी तूफान या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ जैसे प्रकृति में घटित हो रही होती है यही प्रभाव मनुष्यों पशुओं पक्षियों आदि में शरीरों और मानों पर भी पड़ रहा होता है जिससे उन्हें तरह तरह की बीमारियाँ एवं मानसिक तनाव आदि होते देखे जाते हैं !इसलिए जैसे प्राकृतिक आपदाओं का पूर्वानुमान किया जाता है वैसे ही शारीरिक रोगों और मानसिक अवसाद आदि का पूर्वानुमान किया जा सकता है !
प्रकृति में या जीवन में बदलाव होने का कारण है समय -
इन बदलावों से ही हमें पता लग पाता है कि समय बीत रहा है ये परिवर्तन समय के व्यतीत होने की पहचान हैं !कल जैसा था आज वैसा नहीं है इससे समय बीतने का अनुमान होता है और जो आज जैसा है वो कल वैसा नहीं रहेगा उसमें बदलाव आएँगे और उन बदलावों में क्या क्या किस किस प्रकार से बदलने की सम्भावना है इसकी जानकारी आगे से आगे करते रहना ही समय का पूर्वानुमान है !
जाएगा कल ऐसे बदलावों के होने का कारण प्रकृति से लेकर शरीरों मनोदशाओं परिस्थितियों आदि पर पड़ने वाला समय का प्रभाव होता है समय के अनुशार होने वाले बदलाव स्वतंत्र रूप से हो रहे होते हैं किंतु इन परिवर्तनों से जब जिसका हित होने लगता है तब वो उस परिस्थिति को अच्छा मानने लगता है और जो उसके हित में नहीं होता है वो उसे बुरा कहने लगता है !
उद्देश्य किसी को सुख या दुःख देना नहीं होता है ऐसे बदलावों जिसे सुख व जो जिसके पक्ष में होते हैं वो उन्हें अच्छा मान लेता है समय के प्रभाव हैं हैं इन समय के साथ
में अच्छे या बुरे इसका कारण है समय !समय के साथ साथ सब कुछ से
प्रत्येक क्षेत्र में से होने वाले संभावित नुक्सान को कम करने के लिए पूर्वानुमान बहुत सहायक होते हैं !इसी प्रकार से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से संबंधित भविष्य में पैदा होने वाली समस्याओं का पूर्वानुमान लगाकर उनसे होने वाले संभावित नुक्सान को प्रयास पूर्वक घटाया जा सकता है !ऐसी संभावित समस्याओं का पूर्वानुमान लग जाने से कईबार तो इनसे पूरी तरह बचाव हो जाता है !
किसी बच्चे का स्वास्थ्य यदि बिगड़ने वाला है या भविष्य में जिस वर्ष स्वास्थ्य बिगड़ सकता है जितने समय के लिए बिगड़ सकता है यदि इसका पूर्वानुमान लगा लिया जाए तो खान पान रहन सहन में सावधानी वरत कर संभावित रोग से होने वाले नुक्सान को घटाया जा सकता है या फिर पूरी तरह से ही सुरक्षित बचा जा सकता है !
दुर्घटना -
पैदा होने वाली छोटी बड़ी सभी प्रकार की समस्याओं ,व्यापारिक नुकसानों पूर्वानुमानों का सहारा लेकर
पूर्वानुमान विज्ञान क्या है ?
कल की चिंता अथवा भविष्य का भय समाप्त करता है पूर्वानुमान विज्ञान !भविष्य के लिए सावधान करता है पूर्वानुमान विज्ञान !संसार का प्रत्येक व्यक्ति इस बात का पूर्वानुमान लगाकर चलता है कि कल क्या होगा ? अर्थात जो कार्य हम शुरू करने जा रहे हैं उसका परिणाम क्या होगा ?भले उसका लगाया गया अनुमान गलत ही क्यों न निकले किंतु वो लगता अवश्य है !यहाँ पूर्वानुमान के नाम पर भविष्य में मिलने वाले परिणामों के विषय में सब कुछ अच्छा अच्छा सोच लेता है किंतु जब वैसा नहीं होता है तब उसे तनाव होता है !
पूर्वानुमान जरूरी क्यों है ?
अनुमान और पूर्वानुमान में क्या अंतर है ?
पूर्वानुमान उसे कहते हैं जब कोई घटना किसी भी रूप प्रारंभ ही न हुई हो उसके दूर दूर तक कोई लक्षण प्रकट या परोक्ष रूप में दिखाई ही न पड़ रहे हों किन्हीं अन्य लक्षणों के द्वारा उस घटना के भविष्य में घटित होने का पूर्वानुमान लगा लिया जाए !जैसे समुद्रताप के द्वारा वर्षा के संबंध में पूर्वानुमान किया जाना ये पूर्वानुमान पद्धति की श्रेणी में आता है किंतु सुदूर आकाश में लगे रडारों की मदद से किसी क्षेत्र में बनते दिख रहे वर्षा या आँधी तूफान को देखकर उसके चलने की दिशा और गति आदि के द्वारा अनुमान लगाकर किसी क्षेत्र में आँधी या वर्षा होने का अंदाजा लगा लेना ये अनुमान हो सकता है किंतु पूर्वानुमान नहीं !यही कारण है कि कई बार कई कई दिनों तक लगातार चलने वाली वर्षा बाढ़ के समय आधुनिक मौसम वैज्ञानिक दो दो तीन तीन दिन बढ़ाते चले जाते हैं ऐसे आज आज कल कल करते करते वे कई कई सप्ताह निकाल ले जाते हैं !एक बार तेज तूफान आ जाए तो बेचारे अपनी वास्तविकता खुल जाने के भय से इतने ज्यादा डर जाते हैं कि भविष्यवाणियों के नाम पर कई कई सप्ताह तक दो दो चार चार दिन के अंतर से तूफान आने की अफवाहें फैलाते रहते हैं ! जिनमें अधिकाँश गलत ही होती रहती हैं !यही स्थिति अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के विषय में करते रहते हैं !वर्षा और तूफानों के विषय में झूठ साँच तीर तुक्के मारा करते हैं सही हो गए तो ठीक और गलत हो गए तो ठीक !फिर भी वर्षा तूफान प्रदूषण आदि विषयों में तो इधर का विक्षोभ उधर का विक्षोभ या कुछ नहीं तो ग्लोबल वार्मिंग जैसे भ्रामक शब्दों का प्रयोग करके बच निकलते हैं किंतु भूकंपों संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में ऐसी कलाएँ काम नहीं आती हैं !वर्षा के विषय में तो इधर का विक्षोभ उधर चला गया या कुछ और गढ़ बनाकर बोला जा सकता है किंतु भूकंपों के विषय में ये कला काम नहीं आती है उसमें तो जिस दिन जहाँ भूकंप आने की भविष्यवाणी की जाएगी वहाँ भूकंप आएगा तभी माना जाएगा अन्यथा यह मौसम विज्ञान वाला झूठ भूकंप के पूर्वानुमानों के विषय में कैसे चलाया जा सकता है !
पूर्वानुमान की प्रचलित प्राचीन परंपराएँ -
प्राचीन काल से ही किसी न किसी रूप में विश्व के हर कोने में और हर कार्य के विषय में पूर्वानुमान लगाने के मानव ने अपने अपने अनुभवों के आधार पर मान्यताएँ बना रखी हैं जो कभी गलत तथा कभी सही निकल जाया करते हैं जब सही निकल जाते हैं तब वो प्रसन्न हो लेते हैं और जब गलत निकल जाते हैं तब उसे अपने से हुई कोई चूक मानकर भुला देते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं !सैकड़ों वर्षों से यही विधा प्रायः सभी जगहों परम्पराओं में देखने सुनने को मिलती रही है !इसके लिए वे स्वप्न,अंग फड़कने ,पशुओं पक्षियों आदि के स्वभाव एवं व्यवहार परिवर्तनों के आधार पर अनुमान लगाते रहे हैं !आकाशीय गतिविधियों एवं वृक्षोंबनस्पतियों आदि प्राकृतिक बदलावों के आधार पर पर भी प्रकृति सम्बन्धी पूर्वानुमान लगाते रहे हैं जो सही और गलत दोनों होते रहे हैं !
पूर्वानुमान विज्ञान की आवश्यकता -
पूर्वानुमान विज्ञान का अतिविशाल क्षेत्र है इस संसार में जो भी कार्य अपने आपसे हो रहा है या द्वारा किया जा रहा है या प्रकृति में स्वयं घटित हो रहा है पूर्वानुमान तो सभी क्षेत्रों में आवश्यक हैं क्योंकि पूर्वानुमान आगे से आगे सावधान रहने में मदद करता है नुक्सान होते समय बचाव कार्यों के लिए उचित समय देता है इसलिए पूर्वानुमानविज्ञान की आवश्यकता प्रकृति से लेकर जीवन तक के सभी क्षेत्रों में है !
पूर्वानुमान विज्ञान का वास्तविक आधार क्या है ?
विडंबना इस बात की है कि पूर्वानुमानविज्ञान अभी तक केवल तीर तुक्का मात्र ही बनकर रह गया है क्योंकि प्रचलित परम्पराओं से लेकर आधुनिक विज्ञान तक किसी के पास किसी भी विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए कोई प्रमाणित आधार नहीं है जिसके आधार पर वो कह सके कि ऐसा होगा!सब कुछ कपोल कल्पना पर चल रहा है ! वैसे भी पूर्वानुमान को लोग इतने छिछलेपन से ले रहे हैं जो मन आता है सो बोल दिया जाता है !जो हो जाता है सो ठीक और जो नहीं हो जाता है वो उनकी बला से !केवल परंपराएँ ही नहीं अपितु सरकारों के द्वारा भारी भरकम धनराशि खर्च करके चलाए जा रहे प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान भी इसी सोच के साथ आगे बढ़ाए जा रहे हैं !उनके पास भी कोई आधार ही नहीं है !
पूर्वानुमान के क्षेत्र में आधुनिक विज्ञान की भूमिका ! चिकित्सा हो या प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित सभी प्रकार के पूर्वानुमानों की दृष्टि से आधुनिक विज्ञान बिल्कुल खाली हाथ है !इनके पास पूर्वानुमान करने लायक प्रामाणिक तौर पर कुछ भी नहीं है ! गाँवों में जैसे किसी के घर से धुआँ उठता देखकर आग जलने का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है और साथ ही इस बात का भी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि भोजन का समय है संभवतः भोजन बन रहा होगा !ठीक इसी पद्धति से चलाया जा रहा है आधुनिक मौसम विज्ञान !
ये तो अनुमान है इसमें सच्चाई कुछ और भी हो सकती है !हो सकता है भोजन न बन रहा हो किसी अन्य कारण से आग जलाई गई हो आदि आदि !आधुनिक मौसम विज्ञान आजादी के बाद से आजतक इसी प्रक्रिया से आगे बढ़ता जा रहा है !जिसके संचालन सैलरी रिसर्च अदि पर सरकारें भारी भरकम धनराशि खर्च किया करती हैं उस शोध का परिणाम न आज तक कुछ सामने आया है और न ही भविष्य में आने की उम्मींद है क्योंकि रिसर्च की दिशा ही भटकी हुई है !भूकंप ढूँढने के लिए गहरे गड्ढे खोदना फिर उसमें मिट्टी भरना यदि इसे ही अनुसंधान माना जा रहा है तो मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि भूकंप संबंधी पूर्वानुमान ही नहीं की जानी चाहिए !
मौसम का पूर्वानुमान करना आधुनिकविज्ञान के बश की बात ही नहीं है !जानिए क्यों ?
वस्तुतः सर्दी और गर्मी दो प्रकार का मौसम होता है कहने को तो सर्दी का कारक चंद्र और गर्मी का कारक सूर्य होता है !किंतु चंद्र का प्रभाव भी सूर्य के ही आधीन है क्योंकि सूर्य का प्रभाव अर्थात गर्मी बढ़ेगी तो चंद्र का प्रभाव अर्थात सर्दी घटेगी !इसी प्रकार से सूर्य और चंद्र के संयुक्त प्रभाव से वायु का निर्माण होता है !
इस प्रकार से प्रकृति में होने वाले सभी परिवर्तनों का कारक सूर्य ही है इतना ही नहीं अपितु यही सूर्य भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि सभी घटनाओं का प्रमुख कारक है !सूर्य के द्वारा ही गर्मी सर्दी वर्षा आदि ऋतुओं का निर्माण होता है !इसलिए प्राकृतिक आपदाओं को समझने के लिए सूर्य को ही समझना पड़ेगा ! सूर्य की ही गतिविधियों पर नजर रखनी होगी सूर्य में समय समय पर होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना होगा !इसके लिए वैदिक विज्ञान का विश्व प्रसिद्ध 'सूर्यसिद्धांत'नामक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ है जिसमें गणित के द्वारा सूर्य में होने वाले परिवर्तनों गति एवं गति विधियों का अध्ययन किया जाता है ! जिसके आधार पर आकाश में घटने वाली सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं का एक एक सेकेण्ड सटीक पूर्वानुमान सैकड़ों वर्ष पहले लगा लिया जाता है !उसी सूर्य सिद्धांत की गणित पद्धति से भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि सभी घटनाओं का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है !इसके अलावा आधुनिक विज्ञान के पास प्रकृति आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाने का और दूसरा कोई विकल्प है ही नहीं !
रोगों का पूर्वानुमान -
जिस प्रकार से प्रकृति में सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होने का वास्तविक कारण सूर्य और चंद्र होता है उसी प्रकार से शरीरों में होने वाले प्रायः अधिकाँश रोग सर्दी और गर्मी का अनुपात बिगड़ने से होते हैं !इसलिए सभी प्रकार के रोगों का भी वास्तविक कारण सूर्य और चंद्र ही होते हैं ! क्योंकि रोग भी तो सर्दी गर्मी से ही होते हैं इसमें भी मुख्यकारण तो सूर्य ही है !सूर्य प्रभाव के अनुशार ही शरीर और संसार में एक साथ एक प्रकार की घटनाएँ घटित हो रही होती हैं वातावरण में यदि अधिक ठंढक होगी तो प्रकृति में सर्दी से संबंधित प्राकृतिक आपदाएँ घटित होंगी और शरीरों में अधिक सर्दी से होने वाले रोग पनपेंगे !इसलिए कोई भी व्यक्ति कब अर्थात किस वर्ष कितने समय के लिए रोगी होगा इसका पूर्वानुमान उस पर पड़ने वाले सूर्य के प्रभाव का अध्ययन और अनुसंधान करना होता है !जिसके लिए उसका वास्तविक जन्म समय आवश्यक होता है !
किसी रोगी पर कितना होगा चिकित्सा का असर ?इस बात का पूर्वानुमान !
एक जैसे सौ रोगियों की चिकित्सा यदि एक प्रकार की औषधियों से एक ही प्रक्रिया से एक ही चिकित्सक करता है !तो उसके परिणाम स्वरूप कुछ रोगी स्वस्थ हो जाते हैं कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं !इससे ये प्रश्न उठता है कि किसी रोगी के स्वस्थ होने या अस्वस्थ बने रहने या मर जाने में यदि सारी भूमिका चिकित्सकों की चिकित्सा प्रक्रिया की और औषधियों की ही होती तो परिणाम भी सभी अर्थात सौ रोगियों के साथ एक जैसा ही घटित होना चाहिए था !रोगी के अस्वस्थ बने रहने या उसके मर जाने के लिए न तो चिकित्सक ने प्रयास किया और न ही रोगी ही ऐसा चाहता था !
ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक की चिकित्सा प्रक्रिया के विरुद्ध ,सेवन की जा रही औषधियों के स्वभाव के विरुद्ध चिकित्सक के प्रयासों के विरुद्ध और रोगी की इच्छा के विरुद्ध परिणाम देने का प्रमुख कारण इन चारों से अलग कुछ और होता है !वस्तुतः किसी व्यक्ति के जन्म समय में उसके ऊपर पड़ने वाले सूर्य और चंद्र के प्रभाव की सबसे बड़ी भूमिका होती है !अलग अलग जन्म समयों में और भिन्न भिन्न जन्म स्थानों में पैदा होने के कारण सभी रोगियों पर भिन्न भिन्न प्रकार से सूर्य और चंद्र का प्रभाव पड़ता है !
सूर्य और चंद्र का प्रभाव जिस रोगी पर जब और जितने समय तक उचित अनुपात में पड़ रहा होता है तब तक वह व्यक्ति स्वस्थ रहता है और जैसे ही जिस व्यक्ति पर सूर्य और चंद्र के प्रभाव का अनुपात विगड़ जाता है वैसे ही वो रोगी होने लगता है !चूँकि व्यक्तियों पर पड़ने वाला यह सूर्य और चंद्र का प्रभाव सूर्य और चंद्र की गति और समय बीतने के साथ साथ बदलता रहता है! वही सूर्य और चंद्र का प्रभाव कब किस व्यक्ति पर कैसा पड़ेगा इसका पूर्वानुमान उस व्यक्ति के जन्म समय और जन्म स्थान का अनुसंधान करके उसके रोगी होने से बहुत पहले लगा लिया जा सकता है उसके रोगी होने का पूर्वानुमान !
ऐसे प्रकरणों में सूर्य गणित के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि कौन व्यक्ति रोगी कब होगा और स्वस्थ कब होगा !चिकित्सा पद्धतियाँ भी रोगी के जन्म समय के अनुशार ही फल देती हैं !तभी तो अक्सर देखा जाता है कोई दवा एक डाक्टर एक ही तरह के रोगियों में एक तरह की चिकित्सा करके भी सबको सभी रोगियों को स्वस्थ नहीं कर पाते हैं किन्हें स्वस्थ होना है उसका पूर्वानुमान उनके जन्म समय के अनुशार ही उन पर वर्तमान समय में पड़ने वालेसूर्य और चंद्र के प्रभाव का अध्ययन करके लगाया जा सकता है !
मौसम , शिक्षा ,स्वास्थ्य , संबंध,
चिकित्सा के विषय में पूर्वानुमान -
मौसम के विषय में पूर्वानुमान -
संबंधों के विषय में पूर्वानुमान
किस बच्चे की शिक्षा कैसी रहेगी ?
किस बच्चे की शिक्षा के लिए कौन वर्ष अच्छा होगा !
किस बच्चे की शिक्षा के लिए कौन विषय अच्छा रहेगा
कौन किस वर्ष विषय को पढ़कर सफल हो सकता है
कौन क्या पढ़कर कितनी तरक्की कर सकता है इसका पूर्वानुमान !
कौन किसके साथ पार्टनरसिप व्यापार कर सकता है इसका पूर्वानुमान !
किसे किस प्रकार के व्यापार में सफलता मिल सकती है इसका पूर्वानुमान
किसी को तनाव कब होगा कितने दिन रहेगा इसका पूर्वानुमान !
तनावग्रस्त किस रोगी पर कैसी काउंसलिंग का असर होगा इसका पूर्वानुमान !
पति पत्नी के बीच तनाव कब होगा कितने दिन चलेगा इसका पूर्वानुमान ?
तलाक लेना चाहिए या सब कुछ ठीक हो जाएगा इसका पूर्वानुमान ?
प्रेमी प्रेमिका के संबंध चलेंगे या नहीं चलेंगे तो कब तक इसका पूर्वानुमान !
किसे किसके सामने चुनाव लड़ाया जाए तो जीत सकता है इसका पूर्वानुमान !
देश के किस भाग में दंगा फैल सकता है इसका पूर्वानुमान ?
देश के किस भाग में कब आतंकी हमला हो सकता है इसका पूर्वानुमान ?
देश के किस भाग में कब किस प्रकार के रोग फैल सकते हैं इसका पूर्वानुमान !
वर्षा कब होगी इसका पूर्वानुमान ?
आँधी कब आएगी इसका पूर्वानुमान ?
पूर्वानुमान लगाया कैसे जाए ?
प्रकृति में ,समाज में और किसी के व्यक्तिगत जीवन में कल अर्थात भविष्य में क्या होगा !यह जानने की इच्छा मानव समाज में हमेंशा से रही है !
पूर्वानुमान जरूरी क्यों है ?
अनुमान और पूर्वानुमान में क्या अंतर है ?
पूर्वानुमान उसे कहते हैं जब कोई घटना किसी भी रूप प्रारंभ ही न हुई हो उसके दूर दूर तक कोई लक्षण प्रकट या परोक्ष रूप में दिखाई ही न पड़ रहे हों किन्हीं अन्य लक्षणों के द्वारा उस घटना के भविष्य में घटित होने का पूर्वानुमान लगा लिया जाए !जैसे समुद्रताप के द्वारा वर्षा के संबंध में पूर्वानुमान किया जाना ये पूर्वानुमान पद्धति की श्रेणी में आता है किंतु सुदूर आकाश में लगे रडारों की मदद से किसी क्षेत्र में बनते दिख रहे वर्षा या आँधी तूफान को देखकर उसके चलने की दिशा और गति आदि के द्वारा अनुमान लगाकर किसी क्षेत्र में आँधी या वर्षा होने का अंदाजा लगा लेना ये अनुमान हो सकता है किंतु पूर्वानुमान नहीं !यही कारण है कि कई बार कई कई दिनों तक लगातार चलने वाली वर्षा बाढ़ के समय आधुनिक मौसम वैज्ञानिक दो दो तीन तीन दिन बढ़ाते चले जाते हैं ऐसे आज आज कल कल करते करते वे कई कई सप्ताह निकाल ले जाते हैं !एक बार तेज तूफान आ जाए तो बेचारे अपनी वास्तविकता खुल जाने के भय से इतने ज्यादा डर जाते हैं कि भविष्यवाणियों के नाम पर कई कई सप्ताह तक दो दो चार चार दिन के अंतर से तूफान आने की अफवाहें फैलाते रहते हैं ! जिनमें अधिकाँश गलत ही होती रहती हैं !यही स्थिति अन्य प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं के विषय में करते रहते हैं !वर्षा और तूफानों के विषय में झूठ साँच तीर तुक्के मारा करते हैं सही हो गए तो ठीक और गलत हो गए तो ठीक !फिर भी वर्षा तूफान प्रदूषण आदि विषयों में तो इधर का विक्षोभ उधर का विक्षोभ या कुछ नहीं तो ग्लोबल वार्मिंग जैसे भ्रामक शब्दों का प्रयोग करके बच निकलते हैं किंतु भूकंपों संबंधी पूर्वानुमानों के विषय में ऐसी कलाएँ काम नहीं आती हैं !वर्षा के विषय में तो इधर का विक्षोभ उधर चला गया या कुछ और गढ़ बनाकर बोला जा सकता है किंतु भूकंपों के विषय में ये कला काम नहीं आती है उसमें तो जिस दिन जहाँ भूकंप आने की भविष्यवाणी की जाएगी वहाँ भूकंप आएगा तभी माना जाएगा अन्यथा यह मौसम विज्ञान वाला झूठ भूकंप के पूर्वानुमानों के विषय में कैसे चलाया जा सकता है !
पूर्वानुमान की प्रचलित प्राचीन परंपराएँ -
प्राचीन काल से ही किसी न किसी रूप में विश्व के हर कोने में और हर कार्य के विषय में पूर्वानुमान लगाने के मानव ने अपने अपने अनुभवों के आधार पर मान्यताएँ बना रखी हैं जो कभी गलत तथा कभी सही निकल जाया करते हैं जब सही निकल जाते हैं तब वो प्रसन्न हो लेते हैं और जब गलत निकल जाते हैं तब उसे अपने से हुई कोई चूक मानकर भुला देते हैं और फिर आगे बढ़ जाते हैं !सैकड़ों वर्षों से यही विधा प्रायः सभी जगहों परम्पराओं में देखने सुनने को मिलती रही है !इसके लिए वे स्वप्न,अंग फड़कने ,पशुओं पक्षियों आदि के स्वभाव एवं व्यवहार परिवर्तनों के आधार पर अनुमान लगाते रहे हैं !आकाशीय गतिविधियों एवं वृक्षोंबनस्पतियों आदि प्राकृतिक बदलावों के आधार पर पर भी प्रकृति सम्बन्धी पूर्वानुमान लगाते रहे हैं जो सही और गलत दोनों होते रहे हैं !
पूर्वानुमान विज्ञान की आवश्यकता -
पूर्वानुमान विज्ञान का अतिविशाल क्षेत्र है इस संसार में जो भी कार्य अपने आपसे हो रहा है या द्वारा किया जा रहा है या प्रकृति में स्वयं घटित हो रहा है पूर्वानुमान तो सभी क्षेत्रों में आवश्यक हैं क्योंकि पूर्वानुमान आगे से आगे सावधान रहने में मदद करता है नुक्सान होते समय बचाव कार्यों के लिए उचित समय देता है इसलिए पूर्वानुमानविज्ञान की आवश्यकता प्रकृति से लेकर जीवन तक के सभी क्षेत्रों में है !
पूर्वानुमान विज्ञान का वास्तविक आधार क्या है ?
विडंबना इस बात की है कि पूर्वानुमानविज्ञान अभी तक केवल तीर तुक्का मात्र ही बनकर रह गया है क्योंकि प्रचलित परम्पराओं से लेकर आधुनिक विज्ञान तक किसी के पास किसी भी विषय में पूर्वानुमान लगाने के लिए कोई प्रमाणित आधार नहीं है जिसके आधार पर वो कह सके कि ऐसा होगा!सब कुछ कपोल कल्पना पर चल रहा है ! वैसे भी पूर्वानुमान को लोग इतने छिछलेपन से ले रहे हैं जो मन आता है सो बोल दिया जाता है !जो हो जाता है सो ठीक और जो नहीं हो जाता है वो उनकी बला से !केवल परंपराएँ ही नहीं अपितु सरकारों के द्वारा भारी भरकम धनराशि खर्च करके चलाए जा रहे प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान भी इसी सोच के साथ आगे बढ़ाए जा रहे हैं !उनके पास भी कोई आधार ही नहीं है !
पूर्वानुमान के क्षेत्र में आधुनिक विज्ञान की भूमिका ! चिकित्सा हो या प्राकृतिक आपदाओं से संबंधित सभी प्रकार के पूर्वानुमानों की दृष्टि से आधुनिक विज्ञान बिल्कुल खाली हाथ है !इनके पास पूर्वानुमान करने लायक प्रामाणिक तौर पर कुछ भी नहीं है ! गाँवों में जैसे किसी के घर से धुआँ उठता देखकर आग जलने का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है और साथ ही इस बात का भी पूर्वानुमान लगा लिया जाता है कि भोजन का समय है संभवतः भोजन बन रहा होगा !ठीक इसी पद्धति से चलाया जा रहा है आधुनिक मौसम विज्ञान !
ये तो अनुमान है इसमें सच्चाई कुछ और भी हो सकती है !हो सकता है भोजन न बन रहा हो किसी अन्य कारण से आग जलाई गई हो आदि आदि !आधुनिक मौसम विज्ञान आजादी के बाद से आजतक इसी प्रक्रिया से आगे बढ़ता जा रहा है !जिसके संचालन सैलरी रिसर्च अदि पर सरकारें भारी भरकम धनराशि खर्च किया करती हैं उस शोध का परिणाम न आज तक कुछ सामने आया है और न ही भविष्य में आने की उम्मींद है क्योंकि रिसर्च की दिशा ही भटकी हुई है !भूकंप ढूँढने के लिए गहरे गड्ढे खोदना फिर उसमें मिट्टी भरना यदि इसे ही अनुसंधान माना जा रहा है तो मैं विश्वास पूर्वक कह सकता हूँ कि भूकंप संबंधी पूर्वानुमान ही नहीं की जानी चाहिए !
मौसम का पूर्वानुमान करना आधुनिकविज्ञान के बश की बात ही नहीं है !जानिए क्यों ?
वस्तुतः सर्दी और गर्मी दो प्रकार का मौसम होता है कहने को तो सर्दी का कारक चंद्र और गर्मी का कारक सूर्य होता है !किंतु चंद्र का प्रभाव भी सूर्य के ही आधीन है क्योंकि सूर्य का प्रभाव अर्थात गर्मी बढ़ेगी तो चंद्र का प्रभाव अर्थात सर्दी घटेगी !इसी प्रकार से सूर्य और चंद्र के संयुक्त प्रभाव से वायु का निर्माण होता है !
इस प्रकार से प्रकृति में होने वाले सभी परिवर्तनों का कारक सूर्य ही है इतना ही नहीं अपितु यही सूर्य भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि सभी घटनाओं का प्रमुख कारक है !सूर्य के द्वारा ही गर्मी सर्दी वर्षा आदि ऋतुओं का निर्माण होता है !इसलिए प्राकृतिक आपदाओं को समझने के लिए सूर्य को ही समझना पड़ेगा ! सूर्य की ही गतिविधियों पर नजर रखनी होगी सूर्य में समय समय पर होने वाले परिवर्तनों का अध्ययन करना होगा !इसके लिए वैदिक विज्ञान का विश्व प्रसिद्ध 'सूर्यसिद्धांत'नामक अत्यंत प्राचीन ग्रंथ है जिसमें गणित के द्वारा सूर्य में होने वाले परिवर्तनों गति एवं गति विधियों का अध्ययन किया जाता है ! जिसके आधार पर आकाश में घटने वाली सूर्य और चंद्र ग्रहण जैसी घटनाओं का एक एक सेकेण्ड सटीक पूर्वानुमान सैकड़ों वर्ष पहले लगा लिया जाता है !उसी सूर्य सिद्धांत की गणित पद्धति से भूकंप वर्षा बाढ़ आँधी तूफान आदि सभी घटनाओं का पूर्वानुमान भी लगाया जा सकता है !इसके अलावा आधुनिक विज्ञान के पास प्रकृति आपदाओं से संबंधित पूर्वानुमान लगाने का और दूसरा कोई विकल्प है ही नहीं !
रोगों का पूर्वानुमान -
जिस प्रकार से प्रकृति में सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ घटित होने का वास्तविक कारण सूर्य और चंद्र होता है उसी प्रकार से शरीरों में होने वाले प्रायः अधिकाँश रोग सर्दी और गर्मी का अनुपात बिगड़ने से होते हैं !इसलिए सभी प्रकार के रोगों का भी वास्तविक कारण सूर्य और चंद्र ही होते हैं ! क्योंकि रोग भी तो सर्दी गर्मी से ही होते हैं इसमें भी मुख्यकारण तो सूर्य ही है !सूर्य प्रभाव के अनुशार ही शरीर और संसार में एक साथ एक प्रकार की घटनाएँ घटित हो रही होती हैं वातावरण में यदि अधिक ठंढक होगी तो प्रकृति में सर्दी से संबंधित प्राकृतिक आपदाएँ घटित होंगी और शरीरों में अधिक सर्दी से होने वाले रोग पनपेंगे !इसलिए कोई भी व्यक्ति कब अर्थात किस वर्ष कितने समय के लिए रोगी होगा इसका पूर्वानुमान उस पर पड़ने वाले सूर्य के प्रभाव का अध्ययन और अनुसंधान करना होता है !जिसके लिए उसका वास्तविक जन्म समय आवश्यक होता है !
किसी रोगी पर कितना होगा चिकित्सा का असर ?इस बात का पूर्वानुमान !
एक जैसे सौ रोगियों की चिकित्सा यदि एक प्रकार की औषधियों से एक ही प्रक्रिया से एक ही चिकित्सक करता है !तो उसके परिणाम स्वरूप कुछ रोगी स्वस्थ हो जाते हैं कुछ अस्वस्थ बने रहते हैं और कुछ मर जाते हैं !इससे ये प्रश्न उठता है कि किसी रोगी के स्वस्थ होने या अस्वस्थ बने रहने या मर जाने में यदि सारी भूमिका चिकित्सकों की चिकित्सा प्रक्रिया की और औषधियों की ही होती तो परिणाम भी सभी अर्थात सौ रोगियों के साथ एक जैसा ही घटित होना चाहिए था !रोगी के अस्वस्थ बने रहने या उसके मर जाने के लिए न तो चिकित्सक ने प्रयास किया और न ही रोगी ही ऐसा चाहता था !
ऐसी परिस्थिति में चिकित्सक की चिकित्सा प्रक्रिया के विरुद्ध ,सेवन की जा रही औषधियों के स्वभाव के विरुद्ध चिकित्सक के प्रयासों के विरुद्ध और रोगी की इच्छा के विरुद्ध परिणाम देने का प्रमुख कारण इन चारों से अलग कुछ और होता है !वस्तुतः किसी व्यक्ति के जन्म समय में उसके ऊपर पड़ने वाले सूर्य और चंद्र के प्रभाव की सबसे बड़ी भूमिका होती है !अलग अलग जन्म समयों में और भिन्न भिन्न जन्म स्थानों में पैदा होने के कारण सभी रोगियों पर भिन्न भिन्न प्रकार से सूर्य और चंद्र का प्रभाव पड़ता है !
सूर्य और चंद्र का प्रभाव जिस रोगी पर जब और जितने समय तक उचित अनुपात में पड़ रहा होता है तब तक वह व्यक्ति स्वस्थ रहता है और जैसे ही जिस व्यक्ति पर सूर्य और चंद्र के प्रभाव का अनुपात विगड़ जाता है वैसे ही वो रोगी होने लगता है !चूँकि व्यक्तियों पर पड़ने वाला यह सूर्य और चंद्र का प्रभाव सूर्य और चंद्र की गति और समय बीतने के साथ साथ बदलता रहता है! वही सूर्य और चंद्र का प्रभाव कब किस व्यक्ति पर कैसा पड़ेगा इसका पूर्वानुमान उस व्यक्ति के जन्म समय और जन्म स्थान का अनुसंधान करके उसके रोगी होने से बहुत पहले लगा लिया जा सकता है उसके रोगी होने का पूर्वानुमान !
ऐसे प्रकरणों में सूर्य गणित के द्वारा इस बात का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है कि कौन व्यक्ति रोगी कब होगा और स्वस्थ कब होगा !चिकित्सा पद्धतियाँ भी रोगी के जन्म समय के अनुशार ही फल देती हैं !तभी तो अक्सर देखा जाता है कोई दवा एक डाक्टर एक ही तरह के रोगियों में एक तरह की चिकित्सा करके भी सबको सभी रोगियों को स्वस्थ नहीं कर पाते हैं किन्हें स्वस्थ होना है उसका पूर्वानुमान उनके जन्म समय के अनुशार ही उन पर वर्तमान समय में पड़ने वालेसूर्य और चंद्र के प्रभाव का अध्ययन करके लगाया जा सकता है !
मौसम , शिक्षा ,स्वास्थ्य , संबंध,
चिकित्सा के विषय में पूर्वानुमान -
मौसम के विषय में पूर्वानुमान -
संबंधों के विषय में पूर्वानुमान
किस बच्चे की शिक्षा कैसी रहेगी ?
किस बच्चे की शिक्षा के लिए कौन वर्ष अच्छा होगा !
किस बच्चे की शिक्षा के लिए कौन विषय अच्छा रहेगा
कौन किस वर्ष विषय को पढ़कर सफल हो सकता है
कौन क्या पढ़कर कितनी तरक्की कर सकता है इसका पूर्वानुमान !
कौन किसके साथ पार्टनरसिप व्यापार कर सकता है इसका पूर्वानुमान !
किसे किस प्रकार के व्यापार में सफलता मिल सकती है इसका पूर्वानुमान
किसी को तनाव कब होगा कितने दिन रहेगा इसका पूर्वानुमान !
तनावग्रस्त किस रोगी पर कैसी काउंसलिंग का असर होगा इसका पूर्वानुमान !
पति पत्नी के बीच तनाव कब होगा कितने दिन चलेगा इसका पूर्वानुमान ?
तलाक लेना चाहिए या सब कुछ ठीक हो जाएगा इसका पूर्वानुमान ?
प्रेमी प्रेमिका के संबंध चलेंगे या नहीं चलेंगे तो कब तक इसका पूर्वानुमान !
किसे किसके सामने चुनाव लड़ाया जाए तो जीत सकता है इसका पूर्वानुमान !
देश के किस भाग में दंगा फैल सकता है इसका पूर्वानुमान ?
देश के किस भाग में कब आतंकी हमला हो सकता है इसका पूर्वानुमान ?
देश के किस भाग में कब किस प्रकार के रोग फैल सकते हैं इसका पूर्वानुमान !
वर्षा कब होगी इसका पूर्वानुमान ?
आँधी कब आएगी इसका पूर्वानुमान ?
पूर्वानुमान लगाया कैसे जाए ?
प्रकृति में ,समाज में और किसी के व्यक्तिगत जीवन में कल अर्थात भविष्य में क्या होगा !यह जानने की इच्छा मानव समाज में हमेंशा से रही है !
किसी के यहाँ बच्चा पैदा होते ही माता पिता आदि उसके भविष्य के विषय में अनेकों प्रकार के पूर्वानुमान लगा लेना चाहते हैं कि बच्चा भविष्य में क्या बनेगा , पढ़ाई में कैसा रहेगा ,उसका स्वास्थ्य कैसा रहेगा या तरक्की कितनी कर पाएगा !आदि !!
किसी बच्चे की शिक्षा के लिए सर्व प्रथम पूर्वानुमान किया जाना चाहिए कि कौन बच्चा किस वर्ष में शिक्षा के लिए कैसा रहेगा एवं किस प्रकार के विषयों को पढ़ने में उसकी रूचि किस वर्ष होगी ?
इसी प्रकार से विवाह के समय हर कोई पूर्वानुमान जान लेना चाहता है कि ये दोनों एक दूसरे के साथ कुशलता पूर्वक कब तक रह पाएँगे आपस में कोई तनाव तो नहीं होगा या तलाक जैसी परिस्थिति तो पैदा नहीं होगी !संतान होगी क्या ?
कोई लड़का या लड़की जब एक दूसरे से जुड़ना प्रारंभ करते हैं तो उन्हें इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि उन दोनों के जुड़ने से एक दूसरे से किसको कितने लाभ या हानि की संभावना है और या संबंध कब तक चलेगा तथा किसकी किस प्रकार की लापरवाही एक दूसरे के लिए कितनी घातक बन सकती है ?
जो व्यक्ति जिस देश शहर या जिस घर में रहने जा रहा है या रह रहा है वो उसके लिए और उसके परिवार के किस सदस्य के लिए कैसा रहेगा ?
कोई व्यक्ति किसी वस्तु का व्यापार करता है उस वस्तु के व्यापार से उसे लाभ होना संभव है क्या ?
कोई व्यक्ति कुछ लोगों की साझेदारी में कोई व्यापार कर रहा है उसमें किस व्यक्ति से उसे कितना सावधान रहना चाहिए तथा किससे कितने लाभ हानि होने की संभावना है !
किसी परिवार के कई सदस्यों में से किस किस का स्वभाव सोच विचार आदि कैसा रहेगा उसके साथ रहने के लिए परिवार के किस सदस्य को किस सदस्य का कितना क्या क्या सहना पड़ेगा !
किसी कंपनी संस्था संस्थान संगठन सरकार या राजनैतिक दल की तरक्की के लिए उसमें प्रभावी पदों पर बैठे नीति निर्धारक लोगों में से कौन सदस्य किस सदस्य के विषय में कैसे विचार रखता है !कौन किससे किस प्रकार से मिलकर चल सकता है !कौन किसके नीचे या ऊपर रहकर सकता है !कौन किस विषय से संबंधित काम कितने अच्छे ढंग से सँभाल सकता है !आदि बातों का पूर्वानुमान हर कोई लगा लेना चाहता है !
प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के प्रत्येक वर्ष आदि के विषय में इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि कौन वर्ष हमारे स्वास्थ्य अथवा मानसिक तनाव की दृष्टि से कितना अच्छा या बुरा होगा ?
हर किसी को इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि किस वर्ष में उसे किस प्रकार की शारीरिक मानसिक आर्थिक पारिवारिक व्यवहारिक व्यापारिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है ?
इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि किसे किस वर्ष में सर्दी या गर्मी से कितना सावधान रहने की आवश्यकता है ?
सेना के क्षेत्र में जाने वाले प्रत्येक सैनिक को अपने शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का पूर्वानुमान अवश्य होना चाहिए ?
स्वास्थ्य के विषय में हर चिकित्सक को इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि उसके द्वारा की जा रही चिकित्सा से किस रोगी को कितना लाभ हो सकता है !
प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि उसे इस वर्ष जो रोग हुआ है वो रहेगा या जाएगा या कहीं ये आयु समाप्ति का संकेत तो नहीं है !
जिसे जब जो चोट लगती है या रोग प्रारंभ होता है उसे इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि इस रोग या चोट से कितने समय में मुक्ति मिलेगी !कहीं ये किसी बड़े रोग की शुरुआत तो नहीं है !
सरकार के किसी विभाग या किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते समय इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि इस जगह हमारे ऊपर नीचे काम करने वाला कौन व्यक्ति हमसे कैसी अपेक्षा रखता है !
सरकार के किसी विभाग या किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते समय इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि इस जगह हमारे ऊपर नीचे काम करने वाला कौन व्यक्ति हमसे कैसी अपेक्षा रखता है !
अपने विषय में इस बात का पूर्वानुमान होना चाहिए कि में
करते रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के स्वभाव सोच विचार आदि का पूर्वानुमान हो कि
लोग जानना चाहते हैं
उसके पास धन कैसा रहेगा पढ़ेगा नहीं पढ़ेगा, कम पढ़ेगा या अधिक पढ़ेगा आदि !
के लिए हर कोई चिंतित है !इसके आने वाले समय में इस बात को पहले से जान लेना ही तो पूर्वानुमान है !इसलिए इसे और पूर्वानुमान
wether(मौसम )
वर्षा , आँधी तूफान,सर्दी -गर्मी
प्राकृतिक आपदाएँ -Natural Disasters
स्वास्थ्य -
सामूहिक रोग-Collective Disease
पारिवारिक रोग -Familial Disease
व्यक्तिगत रोग -Personal Disease
तनाव - stress
राष्ट्रीय तनाव - National Stress -
सामाजिक तनाव - Social Stress
वैवाहिक तनाव - Marital Stress
व्यक्तिगततनाव - Personal stress
अतिरिक्त समस्याएँ -Additional Problems
संबंध - Relation
अंतर्राष्ट्रीय संबंध -International Relations
राजनैतिक संबंध - Political Relations
सामुदायिक संबंध -Community Relations
पारिवारिक संबंध -Family Relations
वैवाहिक संबंध -Matrimonial connection
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