Friday, 14 September 2018

मित्र और न शत्रु

                             हिंदी केवल भाषा ही नहीं अपितु बहुत बड़ा विज्ञान है !
    हिंदीविज्ञान की वर्णमाला के अक्षर सामान्य अक्षर नहीं अपितु भगवान शंकर की डमरू से निकले सजीव अक्षर हैं ये ये महामंत्र हैं इनका असर मंत्रों की तरह देखा भी जाता है ये बहुत शक्तिशाली ,बहुत प्रभावी एवं अद्भुत  हैं !इनकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है !मैंने इसी विषय से संबंधित थीसिस लिखी है और B.H.U.से Ph. D. की है !
      हिंदीविज्ञान के वर्णों से निर्मित शब्दों का उचितप्रयोग होना बहुत आवश्यक है भाषाशुद्धि इनके प्रयोग करने का पवित्रविधान है! किस अक्षर वाले नाम के व्यक्ति को किस नाम के व्यक्ति से मिलकर ख़ुशी होगी या दुःख होगा या क्रोध आएगा या उससे मित्रता करें तो अच्छी निभ जाएगी !या वो धोखा देगा !इस बात का पूर्वानुमान उन दोनों के नाम के पहले अक्षर को देखकर लगाया जा सकता है !जो इस विद्या को नहीं जानते या नहीं मानते हैं वे दुःख पाते हैं या नष्ट हो जाते हैं !    
      हिंदीविज्ञान के प्रत्येक अक्षर  का अलग अलग स्वभाव होता है प्रत्येक व्यक्ति का स्वभाव उसके नाम के पहले अक्षर की तरह होता है इन्हीं नाम के पहले अक्षरों के आधार पर किन्हीं दो लोगों के आपसी संबंधों का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !

के सामने किस अक्षर के नाम वाले व्यक्ति के आ जाने से उन दोनों का एक दूसरे पर असर अलग अलग पड़ता है जो उस असर को समझ नहीं पाए वो  वे बर्बाद हो गए ऐसे देश नष्ट हुए ,राजपरिवार  नष्ट हुए राजनैतिकदल बर्बाद हुए, सरकारें बदनाम हुईं ,राजनैतिक गठबंधन टूटे, संस्थान चौपट हुए ,संगठन छिन्न भिन्न हुए ,नाते रिश्ते छूटे ,संबंध समाप्त हुए,परिवार टूट गए ,व्यवहार बिगड़ गए ,तलाक हो गए आदि आदि और भी बहुत कुछ !ये सब कुछ हुआ नाम के पहले अक्षर के कारण !किंतु इधर किसी का ध्यान ही नहीं गया ,किसी को विश्वास ही नहीं हुआ कि नाम  का पहला अक्षर इतना अधिक प्रभावी होता है !
        स्वरूप जैसे 'अ' अक्षर है ये छोटा अ हो या बड़ा आ दोनों का स्वभाव एक जैसा होता है! अ अक्षर आंदोलन की प्रवृत्ति का वीर स्वभाव वाला परिश्रमी संघर्षशील एवं कर्मठ तथा महत्वाकाँक्षी होता है!ये जिस स्तर का होता है उस स्तर में अपने को राजा की तरह प्रतिष्ठित करता है !जैसे एक राज्य में दो राजा नहीं रह सके एक माद में दो सिंह नहीं रह सकते उसी प्रकार से अ अक्षर वाले दो या दो से अधिक लोग एक परिवार पार्टी संगठन संस्थान गठबंधन में एक साथ एक जैसे स्तर पर नहीं रह सकते !वो बैर विरोध कितना भी बड़ा हो सकता है !सर्व प्रथम -
                                             
     उदाहरण -
                                                       
                                   हिंदी केवल भाषा ही नहीं अपितु बहुत बड़ा विज्ञान है !

      हिंदीविज्ञान में प्रत्येक अक्षर का अर्थ अलग अलग है प्रत्येक अक्षर के परस्पर एक दूसरे के सामने आ जाने से उनका एक दूसरे के प्रति व्यवहार बदल जाता है !हर किसी के नाम के पहले अक्षर के स्वभाव के अनुसार  हर व्यक्ति का अपना स्वभाव बनता है !इसी प्रकार से जिस अक्षर के नाम वाले व्यक्ति के सामने दूसरा  जिस अक्षर के नाम वाला जो व्यक्ति पड़ता है अलग अलग अक्षरों के होने के कारण उनका उनके प्रति व्यवहार बदला करता है जिसे कोई एक व्यक्ति गलत मान रहा होता है उसी को दूसरा व्यक्ति बहुत अच्छा मान रहा होता है!ये उन दोनों पर उनके नाम के पहले अक्षर का असर होता है !
       नाम के पहले अक्षर के कारण ही तो बहुत लोग संगठन संस्थान पार्टियाँ सरकारें परिवार वैवाहिक जीवन आदि बर्बाद हो गए !राजनैतिक पार्टियों में होने वाले गठबंधन बिगड़ गए !कुछ नेताओं को कुछ राजनैतिक पहले नहीं इस कारण उनका जीवन बर्बाद हो गया !चुनावों में किस नाम के संसदीय दल में किस नाम के प्रत्याशी के सामने किस नाम के प्रत्यासी को चुनाव लड़ाया जाए तो जीत मिलेगी ये नाम के अनुशार होता है किस नाम के नेता के नेतृत्व में किस नेता को चुनाव लड़ाया जाए तो पार्टी जीतेगी ये नाम के अक्षर के अनुशार होता है !किस नाम का नेता किस पार्टी पर भारी है ये उन दोनों के नाम के पहले अक्षर के आधार पर होता है !
उदाहरण - अ अक्षर वाला व्यक्ति यदि अ  अक्षर के सामने आवे तो क्या होता है आप स्वयं देखिए -
 अन्ना आंदोलन बर्बाद क्यों हुआ ?- न्ना,रविंद,ग्निवेश और मित त्रिवेदी आपस में भिड़ गए !
  •  अन्ना का लोकपाल बिल -लोक सभा में पास हुआ राज्यसभा में भिषेकमनुसिंघवी और रुण जेटली में बहस हुई न्ना का लोकपाल बिल रोक दिया गया !
  •  मआदमीपार्टी का नाम अक्षर पर है इसमें शुतोष ,जीत झा,  अलकालांबा,शीष खेतान,अंजलीदमानियाँ ,आनंद जी,दर्शशास्त्री,सीमअहमद जेश ,जय,खिलेश,निल,अमान उल्लाह खान आदि अ अक्षर वाले लोग ऊपरी पंक्ति में थे ये पार्टी उन्हें पचा नहीं सकी बेचारे एक एक करके जाते जा रहे हैं कुछ लोग चले गए शुतोष और शीषखेतान तो अभी गए मानतउल्ला खां ,रुषी ,लकालांबा और रविंदकेजरीवाल जैसे लोग भी अभी तक तो हैं आगे.... !
  • रविंदकेजरीवाल के विवादों का कारण है अक्षर !उपराज्यपाल निल बैजल,मुख्यसचिव अंशुप्रकाश ,दिल्ली पुलिस कमिश्नर के पद पर रहे लोकवर्मा उसके बाद मूल्यपटनायक ,सत्ताधारीदल के अध्यक्ष मितशाह
  • समाजवादी पार्टी में अक्षर -पहले जमखान और मरसिंह तब आजम खान निकाले गए थे फिर खिलेश का प्रवेश हुआ !तो मरसिंह निकल गए जमखान अल्पसंख्यक होने के नाते...!पार्टी में अ अक्षर वाले और भी बड़े लोग हैं !जो अखिलेश को नहीं पचा पाएँगे !
  • समाजवादीपरिवार में खिलेशयादव के छोटे भाई की पत्नी पर्णायादव शिवपाल का पुत्र दित्य, बेटी नुभा यादव /रामगोपाल का पुत्र : क्षय यादव, भांजा रविंद प्रताप यादव परिवार में अ अक्षर वाले और भी लोग हैं !ये अखिलेश को नहीं पचा पाएँगे !
  •  मर सिंह उनके छोटे भाई रविंद सिंह,उनके मित्र मिताभबच्चन, भिषेकबच्चन , अनिलअम्बानी, इसके बाद जीतसिंह की पार्टी में भी गए !
  • अमर सिंह के लिए भाजपा में मित शाह हैं !म आदमी पार्टी में रविन्द केजरीवाल हैं सपा में खिलेश,पश्चिमी उप्र में जीत सिंह जाएँ तो कहाँ !
  • दिल्ली काँग्रेस के पिछले चुनावों में बुरी तरह हारने का कारण -जय माकन ,रविंदर सिंह,शोक वालिया 
  • भाजपा में पहले टल जी थे उनके बाद मितशाह किंतु उप्र में दित्य नाथ ,मित-दित्य ?खैर !
    जिस किसी परिवार संस्थान संगठन पार्टी सरकार आदि में अ अक्षर वाली ये स्थिति है वहाँ यही हो रहा है जब अ अक्षर के नाम वाले व्यक्ति के सामने किसी दूसरे अक्षर वाला व्यक्ति आ जाए तो किस अक्षर वाले के आ जाने से क्या परिस्थिति बनती है ये हर अक्षर के साथ अलग अलग है !इसके बाद किसी दूसरे अक्षर के सामने कोई  दूसरा अक्षर आवे तो परिणाम उस तरह का होता है !





       हिंदी केवल भाषा ही नहीं अपितु विज्ञान भी  है !
     हिंदी भाषा के अक्षरों में बहुत बड़ा विज्ञान छिपा हुआ है !इस भाषा के प्रत्येक अक्षर का अपना स्वभाव होता है !उसी स्वभाव के अनुशार ही उस वर्ण के अन्य वर्णों के साथ संबंध होते हैं अन्य वर्णों में कुछ वर्ण उस वर्ण के मित्र होते हैं कुछ शत्रु होते हैं और कुछ सम होते हैं !प्रत्येक वर्ण का दूसरे वर्ण के साथ मित्र शत्रु सम आदि कोई न कोई संबंध अवश्य होता है !इसी विधि से कुछ अक्षर आपस में किसी दूसरे अक्षर के मित्र कुछ शत्रु कुछ सम होते हैं ऐसे कुछ वर्ण समूह के अक्षर आपस में एक दूसरे के मित्र होते हैं तो कुछ शत्रु और कुछ में सम संबंध होते हैं !
       वर्णों की तरह ही मनुष्यों में भी आपस में एक दूसरे के साथ मित्र शत्रु सम आदि संबंध होते हैं इन्हीं संबंधों के आधार पर संसार के सभी मनुष्य अलग अलग समूहों में  बँटे हुए हैं !और अपने समूह में हर मनुष्य एक दूसरे का मित्र होता है अन्य के साथ सम या शत्रु आदि संबंध होते हैं !
       ट्रेन मेला बाजार या अन्य समूहों संगठनों उत्सवों आदि में सम्मिलित अपने आस पास बहुत लोग होते हैं प्रारंभ में सभी लोग एक दूसरे के लिए अपरिचित ही होते हैं !उन अपरिचित लोगों में से अनायास ही कुछ लोग हमें अपने से लगने लगते हैं उनके साथ हम बात व्यवहार करते करते एक दूसरे के लिए अपनापन परोसने लग जाते हैं !इसी प्रकार से कुछ लोगों से हम बात ही नहीं करना चाहते हैं बात करते हैं तो लड़ाई हो ने लगती है जबकि कुछ लोग न मित्र और न शत्रु होते हैं अपितु सम बने रहते हैं !

आदि संबंध  के एक दूसरे वर्ण के साथ होते हैं आपसे में एक दूसरे वर्ण के मित्र शत्रु आदि होते हैं !अक्षरों की कुछ प्रजातियाँ होती हैं एक प्रजाति में
कुछ अक्षरों का समूह होता है उस समूह के वर्ण आपस में एक दूसरे वर्ण के मित्र होते हैं !इसी प्रकार से समूहों में बटे वर्ण एक दूसरे समूह के मित्र शत्रु सम आदि होते हैं !
       यहाँ ये सब बताने का हमारा उद्देश्य यह है कि सजीव वर्णों की तरह ही सजीवमनुष्यों का भी अपना अपना स्वभाव होता है और एक जैसे स्वभाव के कुछ मनुष्य मिलकर एक समूह बनता है इसी प्रकार से सारे संसार के लोग कई प्रजातियों अर्थात समूहों में बँटे हुए हैं !

अनुशार ही मनुष्यों के कुछ लोग मित्र कुछ शत्रु और कुछ सम आदि होते हैं !अक्षरों की तरह ही मनुष्यों में भी कुछ प्रजातियाँ होती हैं और सभी प्रजातियों में

था इसके कुछ कुछ अक्षर भी हैं शब्द या वाक्य निर्माण या केवल परस्पर बोलचाल के लिए ही नहीं है अपितु इस हिंदीभाषा में छिपा है बहुत बड़ा चमत्कारिक विज्ञान !हिंदी वर्णमाला का प्रत्येक वर्ण सजीव है इसीलिए इस भाषा में जो लिखा जाता है वही पढ़ा जाता है इसमें वर्णों के साइलेंट होने की सुविधा नहीं है !



भी हिंदी भी और विज्ञान भी फिर भी टिल टिल सम्मान के लिए मोहताज है हिंदी !

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