Monday, 2 November 2015

साईं से करोड़ों अरबों गुना अच्छा था रावण ! उसमें करोड़ों धार्मिक अच्छाइयाँ थीं साईं में तो कुछ भी नहीं है !

   जो सनातन धर्मी समाज सर्वगुण संपन्न रावण की निंदा करता रहा हो वही आज गुणविहीन साईं को पूजे तो दुनियाँ क्या कहेगी !
    ऐ सनातन धर्मियों ! सिंहों की संतानें चूहे पूजें ये उन्हें शोभा नहीं देता ! 
    अपने पवित्र पूर्वजों ने सर्वगुण सम्पन्न रावण को राक्षस मानकर उसके विरुद्ध युद्ध छेड़ा था  उसका बध हो जाने के बाद भी प्रतिवर्ष जलाते हैं उसके पुतले !ये अपनी गौरवमयी संस्कृति है!
   रावण जैसे सर्वगुण संपन्न सोने की लंका के स्वामी  के वैभव के सामने अपने पूर्वजों  की कभी आत्मा नहीं डोली उन्हीं की संतानें आज साईं के चंदे पर और चढ़ावे पर फिदा होकर साईं जैसे एक बाबाफकीर को भगवान मानने लगें !ऐ सनातन धर्मियो ! अपने पूर्वजों ने इतने बड़े बड़े मानक बनाए थे और उनकी संतानें आज साईं पूजें ! आश्चर्य !! यह देखकर दुनियाँ हमारी रामायणों  ,वेदों पुराणों की बातों को बकवास मानकर हँसेगी जरूर ! भारत इतने दिन परतंत्र रहा फिर भी विदेशी लोग हमारी संस्कृति में बहुत कुछ खोजने के स्वार्थ से   हमारी धार्मिक नगरियों की गलियों में ख़ाक छाना करते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इनके धर्म में कुछ बनावटी नहीं है इनका धर्म तो सबसे पुराना है किंतु दुर्भाग्य से वहाँ शुरू हो रहा है आज साईंपाखंड !क्या सोचेंगे वे कि इनसे तो अच्छे हम्हीं लोग हैं हमारा धर्म कम से कम दो हजार वर्ष पुराना तो है इनके साईं तो अभी अभी हुए हैं !इसलिए प्यारे सनातन धर्मियो !सोचो एकबार बहुत कुछ दाँव पर लगाने जा  रहे हो तुम !अभी भी समय है ।
    रावण बहुत धनी  था विद्वान था  बलवान था पराक्रमी था प्रसिद्ध था भक्त था ब्रह्मा जिसके यहाँ वेद पढ़ते थे शिव जी पूजा करवाने आते थे इंद्र माली बने थे वायु देवता बुहारू देते थे  नवग्रह सीढ़ियाँ बने थे काल को भी बाँध रखा था उसने !बृहस्पति नारद तुम्बुरु जैसे देवताओं को डाँट कर यह कहते हुए चुप करा दिया जाता था कि आज लंकेश्वर स्वस्थ नहीं हैं । षष्ठी और कात्यायनी देवियाँ रावण के बच्चों का पालन पोषण करती थीं उसके यहाँ वेदों का उद्घोष सुन कर ब्रह्म मुहूर्त में हनुमान जी भी दो घड़ी  अर्थात 48 मिनट तक ऐसा मुग्ध हुए कि ये होश ही नहीं रहा कि मेरे यहाँ आने का प्रयोजन क्या है कितना सुन्दर लगा उन्हें वह  वेदोद्घोष !
   इच्छित मृत्यु के लालच में भगवती सीता का हरण करते समय भी रावण ने प्रणाम किया था माता सीता को !उनकी इच्छा के अनुरूप ही उन्हें अशोक वाटिका में रखा गया था ! भगवान स्वयं पधारे थे रावण को मुक्ति देने के लिए  ! उस सर्वगुण संपन्न रावण को तो  हमने राक्षस मानकर मरवा डाला प्रभु श्रीराम से प्रार्थना करके आखिर क्या कभी थी उसमें ?दूसरी ओर साईं को भगवान मानने जा रहे हैं क्या अच्छाई है उनमें ?धिक्कार है हमें और हमारी गिरी हुई सोच को !
    जो लोग कहते हैं कि साईं भगवान नहीं थे वो तो एक सामाजिक कार्यकर्ता भर थे उन्होंने बहुत अच्छे कार्य   किए इसलिए उनका सम्मान होना चाहिए !बंधुओ ! साईं यदि भगवान नहीं थे तो उनके स्टैच्यू मंदिरों में लगाए क्यों गए ? उन्होंने यदि बहुत अच्छे कार्य किए थे तो इसके लिए उनका सम्मान तो होना ही चाहिए किंतु मंदिरों में स्थापित करके नहीं अपितु म्यूजियमों  में रख दिए जाने चाहिए थे उनके स्टैच्यू !लोग देख देख कर जिनसे प्रेरणा लेते रहते आखिर अन्य महापुरुषों का भी तो सम्मान किया ही जाता है साईं उनसे अलग कैसे हैं !
   बंधुओ ! साईं सबकी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं विज्ञापन माध्यमों से इस झूठ का सत्य की तरह बार बार प्रचार करवाया गया झूठे किस्से लिखवाए गए देवी देवताओं के साथ साईं के पोस्टर छपवाए गए देवी देवताओं की तरह ही उनके स्टैच्युओं को मूर्ति बताया गया उसी प्रकार से मंदिरों में रखवाए गए वो साईं पत्थर !देवीदेवताओं की तरह ही वहाँ आरती पूजा घंटा घड़ियाल बजाए गए भोग लगाए गए बिरुदावली बांची जाने लगी लड्डू भोग लगने लगे खड़ाऊँ पूजी जाने लगीं  और क्या क्या नहीं हुआ ?
    अरे प्यारे सनातन धर्मी भाई बहनो !आप स्वयं सोचिए इतने सारे आडम्बर यदि किसी और के लिए भी किए गए होते तो वहाँ भी भीड़ लगने लग जाती चढ़ावा चढ़ने लग जाता !
   बंधुओ ! कई बार आपने देखा होगा कि जन्म लेते समय किन्हीं कारणों से यदि बालक की नाक लम्बी हो जाए तो समाज उसे सूँड़ मानकर गणेश जी समझ लेता है और उसे पूजने लगता है चढ़ावा चढ़ाने लगता है ! ऐसा कई बंदरों कुत्तों बछड़ों के साथ भी होते देखा होगा उन्हें देखने वालों की भीड़ें उमड़ने लगती हैं चढ़ावा चढ़ने लगता है तो क्या भीड़ें और चढ़ावा देखकर उन बन्दर कुत्ते बिल्लियों को भी मंदिरों में घुसा कर उनकी भी आरती पूजा करनी शुरू कर दी जाए और यदि ऐसा कर ही दिया जाए तो इस देश में वो भी इतना अधिक पुजेंगे और उनके नाम पर इतना चंदा जुटेगा  कि वो साईं को भी फेल कर सकते हैं बशर्ते !साईं गिरोह की तरह ही उन्हें भी कोई बड़ा गिरोह प्रमोट करे !पहले पैसा लगाकर बाद में चंदा इकठ्ठा कर ही लिया जाता है इसी पद्धति से ही कुछ चालाक प्रमोटरों ने कई बाबा बबाइनें पुजवा डालीं जो आज खेल रहे हैं हजारों करोड़ में ! 
    यदि भगवान ने चाहा और उनके नूडल ऐसे ही बिकते रहे तो अगले सौ पचास साल में हर ओर बाबा का अपना अपना पर्सनल गिरोह होगा उनकी मूर्तियाँ होंगी उनके उनके पास भी भाड़े के प्रशंसा कर्मी होंगे वे एक नए साईं बाबा दिखेंगे !टी वी चैनलों को पैसे दे देकर अपने अपने बाबाओं की प्रशंसा में लोग काढेंगे कसीदे वो बनावटी बाबाओं की बोलियाँ लगाकर करेंगे उनका पेमेंट और खरीद लेंगे उनकी लोभी आत्माओं को ! सनातन धर्मी साधू संतों को गाली देने के लिए ड्यूटी सौंपी जाएगी उन्हें !
  ऐसे पाखंडियों के बड़े बड़े हुजूम जब अपने अपने बाबाओं के स्टैच्यू लेकर बढ़ेंगे मंदिरों की ओर तो उन्हें कैसे मना किया जा सकेगा !वो गिरोह जब अपने अपने बाबापत्थरों को मंदिरों में घुसाने का प्रयास करेगा तब उन्हें कैसे रोका  जाएगा !मेरे प्यारे सनातनधर्मी भाई बहनो !इतने सारे आडम्बर होंगे कि सनातनधर्मियों ने यदि अभी ध्यान नहीं दिया तो साईं गिरोह की तरह ही भविष्य के धार्मिक नासूर बन जाएँगे ये लाखों बनावटी बाबा बबाइनें ये सब भविष्य के साईं बाबा ही समझो !       इसलिए जिसे जिसको जो कुछ मानना है वो उसे माने जिसे अपना भगवान मानना हो वो भी माने किंतु ये सारी गंदगी धर्म कर्म एवं देवी देवताओं के मंदिरों से दूर रखे !साईं को भी कोई भगवान माने तो माने किसी को क्या आपत्ति किंतु मंदिरों पर क्यों थोपे जा रहे हैं साईं ?
       बंधुओ !साईं का पक्ष लेने वाले 99 प्रतिशत बाबा लोग संस्कृत नहीं जानते हैं वो बेचारे संस्कृत बोल नहीं सकते संस्कृत समझने में  लाचार है ऐसे बौद्धिक विकलांगों को शास्त्रों का ज्ञान इसलिए नहीं हैं क्योंकि उन्हें संस्कृत का ज्ञान नहीं हैं और संस्कृत का ज्ञान न होने के कारण धर्म को वो लोग स्वयं नहीं समझ पा रहे हैं समझावें क्या ? 
   वैसे भी शास्त्र की सच्चाई को समझना उनके वश की बात ही नहीं है !वो तो पैसे ले लेकर साईं के समर्थन में बकवास कर रहे हैं अन्यथा यदि हिम्मत है तो खुले मंच पर शास्त्रार्थ का सामना करें समाज स्वयं समझ जाएगा कि कितने गहरे पानी में हैं वे और दाढ़ा झोटा बढ़ा बढ़ाकर क्यों छीछालेदर करवा रहे हैं धर्म की !
     बंधुओ !जो सामाजिक संगठन साईं पूजा का समर्थन करने लगे हैं उनकी मजबूरी है कि उन्हें भीड़ चाहिए कोई भी संगठन अकेले नहीं चलाया जा सकता इसलिए भीड़ भावना से ऐसे लोग साईं समर्थन में खड़े जरूर दिखाई देते हैं किंतु मानते वो लोग भी श्री राम को ही हैं अन्यथा 'जय श्री राम' की जगह 'जय श्री साईं ' क्यों नहीं बोलते हैं वे लोग !
     जो लोग अनुयायियों और अधिक चढ़ावा के नाम पर किसी को भगवान सिद्ध करना चाहते हैं उनके लिए तो ओसामा बिन लादेन भी भगवान हो सकता था क्यों फालोवर उसके भी बहुत थे और सुना जाता है कि धन भी उसके पास बहुत था तो उनकी नज़रों में तो वो भी भगवान हो गए !
     मीडिया साईं का पक्ष इसलिए लेता है क्योंकि मीडिया बुरी बातों को ही खबर मानता है कोई किसी को गाली दे दे वो दिन भर दिखाएगा किंतु अच्छी बातें या तो दिखाएगा नहीं या थोड़ी बहुत दिखाकर आगे बढ़ जाएगा !वैसे भी सुना जाता है कि मीडिया को वहाँ से पैसा मिलता है और पैसे का पीर मीडिया बड़े बड़े मूर्खों को जब  'ज्योतिषाचार्य' (MA in Jyotish),धर्मगुरु या धर्माचार्य बताकर उनकी विद्वत्ता के समर्थन में बड़े बड़े कसीदे पढ़ता है उस समय मन होता है कि समाज में फैल रहे सभी प्रकार के अपराधों के लिए ठहरा दूँ मीडिया को ही जिम्मेदार ! किंतु केवल मीडिया हो तो निपटा जाए यहाँ तो कुएँ में ही भाँग पड़ी है । मीडिया को मेरी चुनौती है कि धर्मगुरु या धर्माचार्य बताकर वो धर्म की बहस जिन बाबाओं से करवाता है उनमें किसी से संस्कृत बोलवा सकता है क्या पाँच लाइनें !और यदि हाँ तो स्वीकार करे साईं विषय में शास्त्रार्थ की चुनौती और यदि नहीं तो बेचारे वे क्या समझेंगे शास्त्र और क्या करेंगे शास्त्रार्थ !जो संस्कृत नहीं जानते । वो तो धन  लोभी भोंपू हैं कोई भी पैस दे और बजाता रहे उसके पक्ष में बजने लगेंगे !किंतु धर्म को ऐसे भोपुओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता !   धर्म  तो शास्त्र के अनुशार ही चलेगा !यदि साईं के समर्थन में किसी के  पास शास्त्रीय तर्क हैं तो वो प्रमाण प्रस्तुत किए जाएँ तो उनका  सम्मान किया जाएगा । 
      मीडिया पर दया तब आती है जब फर्जी डिग्री वाले नेताओं डाक्टरों इंजीनियरों के खिलाफ तो चिल्ला चिल्लाकर शोर मचा रहे होते हैं वहीँ दूसरी और यही पक्षपाती मीडिया फर्जी ज्योतिषियों को अपने चैनलों पर बैठा बैठाकर ऐसा अंधविश्वास  फैला रहे होते  हैं कि कुछ पूछो मत !
   ये झुट्ठे उन ज्योतिषीय पाखंडियों को 'ज्योतिषाचार्य' (MA in Jyotish), कहते हैं जबकि ज्योतिष की दृष्टि से अक्सर  अँगूठाटेक होते हैं वे लोग ! किंतु मीडिया ऐसे झुट्ठों को प्रमोट करने पर केवल इसलिए विश्वास करता है कि उनसे पैसे मिलेंगे !ऐसा लालची मीडिया साईं के समर्थन में खड़ा हो जाए तो इसमें क्या आश्चर्य !वहाँ तो सनातन हिन्दू धर्म को नष्ट करने के लिए इकट्ठे किए गए चंदे को वो लोग चढ़ावा बोलते हैं । मैंने सुना है कि साईं गिरोह से जुड़े लोग भाड़े के प्रशंसा कर्मी भी रखते हैं जो पूरे देश में घूम घूम कर ये बताते फिरते हैं कि मेरा ये काम हो गया मेरा वो काम हो गया !रही बात फिल्मी अभिनेता अभिनेत्रियों की वो अपने आचार व्यवहार से धर्म कर्म को जितना कमजोर कर लेंगे उतनी ज्यादा पाश्चात्य सभ्यता वाली उनकी फिल्में चलेंगी । इसलिए ऐसे कमजोर चरित्र के लोग यदि साईं  का समर्थन करने भी लगें तो उससे धर्म का क्या लेना देना ।
    साईं वालों ने पोस्टर छाप छाप कर साईं को भगवान बना  दिया जब मन आया तो शिव जी के साथ बैठा दिया जब मन आया तो राम जी के साथ जब मन आया तो साईं के मुख में बाँसुरी घुसाकर उन्हें श्री कृष्ण बता दिया नवरात्र आए तो लाली लिपस्टिक लगा कर उन्हें साईं माता कहने लगे !इस साईं बकवास से तो दुनियाँ दूर ही  रहे इसी में भलाई है ।
   

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