Monday, 6 July 2015

'आमआदमीपार्टी ' नेताओं में न सादगी थी न सेवा भावना !ये श्लोगन किसी की नक़ल थे पढ़िए उसे भी!

    हमारे इस लेख से लिए गए आम आदमी पार्टी का नाम और रीति रिवाज सादगी साधुता आदि आदि !और चुनाव जीतने के बाद भाग गई सारी सादगी ! देखा देखी में ओढ़ी हुई चीजें बहुत समय तक नहीं चल पातीं !हाँ यदि ये सादगी उनके अपने वास्तविक स्वभाव में होती तो सादगी इतनी जल्दी बोझ नहीं बनती ! 
    दूसरों को बेईमान और चोर बताने वाले ये आपिए खुद कितने ईमानदार हैं? वे कितना सच बोलते हैं,उनका रहन सहन क्या वास्तव में इतना ही सादगी पूर्ण है या अतीत में भी ऐसा ही रहा है?मेरा अनुमानित आरोप है कि  मेरे लेख से चुराई हुई आम आदमी की रहन सहन शैली का  अभिनय और आडम्बर मात्र करते हुए वैसा ही बनने और  दिखने का प्रयास अचानक किया जाने लगा है !अन्यथा ये सुख सुविधापूर्ण जीवन जीने वाले ,गाड़ियों से चलने एवं अच्छे अच्छे भवनों में रहने और महँगे महँगे स्कूलों में अपने बच्चे पढ़ाने वाले केजरीवाल एवं उनके साथी लोग रातोंरात आम आदमी आखिर कैसे हो गए !
   बंधुओं !  मैं अपने ब्लॉग पर  31 October 2012 को प्रकाशित अपने उस लेख का लिंक रख रहा हूँ जिसे पढ़कर एवं उसी से प्रभावित होकर उसके मात्र छब्बीस दिन बाद 26 नवम्बर 2012 को आम आदमी पार्टी बनाई गई है ऐसा मेरा आरोप है । साथ ही मेरा आरोप यह भी है कि इस पार्टी के नाम का बिचार भी  उसी लेख से चुराया गया है! जिसे पढ़कर आप स्वयं समझ लेंगे ! मैं शपथ पूर्वक कह सकता हूँ कि उस लेख को एक बार लिखने के बाद उसमें किसी भी  प्रकार का फेर बदल नहीं किया गया है इसके लिए कोई भी जाँच कराई जा सकती है मैं उसका सामना करने को तैयार हूँ !
    मेरे कहने का मतलब यह सादगी केजरीवाल की मूल  विचारधारा बिलकुल  नहीं है मैं विश्वास से कह सकता हूँ कि यदि इन नेताओं के अतीत के रहन सहन की शैली को खंगाला जाए तो इस सच्चाई की पोल भी खुल जाएगी !आप लोग मेरा यह लेख अवश्य पढ़ें -
Wednesday, 31 October 2012
ऐ मेरे देश के शासको! अब तो विश्वास भी टूट रहा है!
  आम आदमी और नेताओं  में  इतनी दूरी आश्चर्य !
     इस देश  का आम आदमी कहॉं जाए अपनी पीड़ा किसे सुनावे ?जो न हिंदू और न ही मुशलमान है न हरिजन और न ही सवर्ण है।न स्त्री न ही पुरुष  है। न बच्चा न बूढ़ा है।वो केवल इंसान है। अब तो उसका भी जीना मुश्किल है।
       गरीब हो या अमीर, भूखप्यास, सुख दुख, बीमारी आरामी, शिक्षा दीक्षा आदि सभी प्रकार की सुख सुविधाएँ तो सबको चाहिए किंतु ये आज भारतवर्ष  की सच्चाई नहीं है  

                   आम आदमी पार्टी के आदर्शों की उत्पत्ति कहाँ से हुई ?
     बंधुओ !आम आदमी पार्टी का नाम और उसके नेताओं की प्रचारित सादगी कहीं हमारे इस लेख का अभिनय मात्र तो नहीं है मुझे तो उनका सारा आडम्बर हमारे इस लेख की नक़ल जैसी ही लगती है तभी तो वो सादगी आज उन लोगों को बोझ बनती जा रही है क्योंकि नक़ल तो नक़ल ही होती है ! 
   बंधुओ !   26 नवम्बर 2012 को आम आदमी पार्टी बनाई गई  उसके 26 दिन पहले अर्थात 31 October 2012 को मैंने  अपने ब्लॉग पर यह लेख प्रकाशित किया था जो बिना किसी संशोधन के वहाँ वैसा ही अभी तक पढ़ा जा रहा है इसकी जाँच भी कराई जा सकती है !आप भी एक बार जरूर पढ़ें और अवगत करावें अपने विचारों से -कि इस पार्टी के नाम और बिचार क्या इसी लेख से चुराए गए आपको भी लगते हैं और यदि हाँ तो इन ईमानदारों को क्या कहूँ जिन्होंने मुझे बिना किसी सूचना के ऐसा किया है खैर पढ़ें आप भी -seemore....http://snvajpayee.blogspot.in/2012/10/blog-post_4683.html

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