भूमिका
समय
बीतता जा रहा है उसके साथ साथ प्रकृति और जीवन में अच्छी बुरी प्राकृतिक
घटनाएँ हमेंशा घटित होती रहती हैं जिनकी तरफ हर समय हर किसी का ध्यान नहीं
जाता है किंतु उनमें कुछ ऐसी विशेष या बड़ी घटनाएँ होती हैं जिनकी तरफ
सरकारों से लेकर आम जीवन तक हर किसी का ध्यान जाता ही है कई बार इसलिए जाता
है कि ऐसी कुछ बड़ी घटनाओं में जान धन की भारी हानि होते देखी जाती है
इसलिए ऐसी प्राकृतिक घटनाओं के लिए स्वदेश से लेकर विदेश तक सभी का चिंतत
होना स्वाभाविक है !
ऐसी घटनाओं के विषय में यदि घटनाएँ घटित होने से पहले समय से पूर्वानुमान
पता लग जाते हैं तो समाज को अपने बचाव के लिए कुछ समय मिल भी जाता है किंतु
पूर्वानुमान पता न लग पाने से कुछ घटनाओं में तो भारी जनधन की हानि होते
देखी जाती है !ये ऐसी घटनाएँ होती हैं जिनके पूर्वानुमान किसी भी रूप में
बताए नहीं गए होते हैं !जबकि सरकारों ने ऐसी प्राकृतिक घटनाओं पर अनुसंधान
करने करवाने के लिए एवं प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित पूर्वानुमान उपलब्ध
कराने के लिए अधिकाँश देशों की सरकारों ने बड़े बड़े मंत्रालय बनाए हुए
हैंउसमें अधिकारी कर्मचारी रखे हुए हैं बड़े बड़े वैज्ञानिक रखे हुए हैं
उनमें अनुसंधान के लिए अनेकों प्रकार से प्रयत्न भी किए जाते हैं उसके लिए
उपयोगी यंत्र भी ख़रीदे जाते हैं और भी आवश्यक सभी संसाधन उपलब्ध करवाए जाते
हैं !उनके कहने पर तमाम उपग्रहों रडारों सुपर कंप्यूटरों आदि का भारी भरकम तामझाम सरकारें उन्हें उपलब्ध करवाती हैं !
मंत्रालय में सेवाएँ देने वाले अधिकारियों कर्मचारियों पर एवं
संबंधित वैज्ञानिकों पर एवं उनके अनुसंधान संसाधनों पर सरकारें पानी की तरह
पैसा बहाती हैं उनकी सैलरी से लेकर मंत्रालयों में बिलासितापूर्ण रहन सहन
समेत समस्त सुखसुविधाओं में सरकारों के द्वारा खर्च किया जाने वाला
संपूर्णधन देश की जनता के द्वारा अत्यंत परिश्रम पूर्वक कमाया हुआ धन होता
है !जो टैक्स रूप में सरकारों को प्राप्त होता है !जनता के खून पसीने की
गाढ़ी कमाई से टैक्स रूप में लिया गया धन सरकारें जिस किसी मंत्रालय या
विभाग पर खर्च करती हैं उससे जनता को मिलता क्या है और सरकार के उस
मंत्रालय या विभाग से समाज को कैसे अधिक से अधिक लाभान्वित किया जाए इस
विषय में भी बिचार किया जाना चाहिए !
विशेष कर वैज्ञानिकविषयों से संबंधित अनुसंधानों के परिणाम निकलने
में कुछ अधिक समय लगता है किंतु उसकी भी कोई तो सीमा रखनी होती होगी यदि
ऐसा न हो तो हमारा अनुसंधान सही दिशा में जा रहा है या नहीं इसका निर्णय
किए बिना भी बहुत लंबे समय तक अनुसंधान के नाम पर समय पास किया जा सकता है
!भूकंप जैसे कई ऐसे विषय हैं जो इस प्रकार की अनुसंधान भावना के शिकार हैं
!जिनके विषय में अभी तक यह ही नहीं पता है कि अनुसंधान करने के नाम पर अभी
तक जो जो कुछ किया गया है वह सही दिशा में था भी या नहीं !अर्थात वह किया
जाना चाहिए भी था या नहीं जिस पर अनुसंधान करने के नाम पर धन समय एवं
संसाधनों को लगाया जाता रहा है !
इसका एक पक्ष यह भी है कि जिस वैज्ञानिक प्रक्रिया के आधार पर
भूकंपों का पूर्वानुमान लगाना तो दूर अभी तक यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा
सकता है कि भूकंप घटित होने का कारण क्या है क्योंकि यह जिस दिन पता लग
जाएगा उसी दिन उन कारणों के आधार पर अनुसंधान पूर्वक भूकंपों से संबंधित
घटनाओं का पूर्वानुमान लगाना सफल हो सकता है !
इस प्रकार से अपने द्वारा किए गए भूकंपों से संबंधित अनुसंधानों के
विषय में जिस वैज्ञानिक प्रक्रिया के आधार पर आगे बढ़ा जा रहा है वह
प्रक्रिया उस विषय के विज्ञान से संबंधित है भी या नहीं !भूकंपों का रहस्य
उद्घाटित हुए बिना किसी भी प्रक्रिया को केवल कल्पना के आधार पर उस विषय का
विज्ञान कैसे माना जा सकता है !जिस विषय दे द्वारा अभी तक विज्ञान सिद्ध
होकर विश्वसनीय परिणाम प्राप्त कर पाने में अभी तक सफलता ही न मिल पाई हो
उस विषय को विज्ञान माना जाना उसे शिक्षा में सम्मिलित किया जाना और उसके
कुछ लोगों को उन विषयों का वैज्ञानिक माना जाना कहाँ तक तर्क संगत हैं
!भूकंप विज्ञान के साथ यही हो रहा है !कल्पनाओं के घोड़े दौड़कर डिग्रियों की
एवं वैज्ञानिकों जैसी पद प्रतिष्ठा की रेवड़ियाँ बाँटी जा रही हैं !कल को
भूकंपों से संबंधित रहस्यों का उद्घाटन यदि किसी अन्य प्रक्रिया के द्वारा
होता है तब तो भूकंपविज्ञान कहलाने का वास्तविक अधिकार तो उसी प्रक्रिया
के पास होगा और उसकी खोज करने वाले लोग ही वास्तविकवैज्ञानिक कहलाने के
अधिकारी होंगे !
भूकंपविज्ञान की तरह ही मौसम विज्ञान है जिस विज्ञान के द्वारा अभी
तक आँधी तूफान वर्षा सूखा बाढ़ आदि के विषय में अभीतक पूर्वानुमान लगाया
जाना संभव ही न हो पाया हो वो कैसा मौसम विज्ञान !मौसम संबंधी घटनाओं का
निर्माण जिन समूद्री भागों में होता है वहाँ से उपग्रहों रडारों आदि के
माध्यम से ऐसी घटनाओं के प्रारंभिक चित्र ले लेना और वे घटनाएँ किस दिशा
में कितनी तेजी से बढ़ रही हैं उसी हिसाब से अंदाजा लगाकर ये बता दिया जाता
है कि यह घटना किस दिन किस देश प्रदेश या शहर आदि में पहुँचने की संभावना
है उसी हिसाब से अंदाजा लगाकर भविष्यवाणी कर दी जाती है !उससे कई बार कुछ
मदद मिल भी जाती है इसके बाद भी इसमें भविष्यवाणी जैसा कुछ होता नहीं है और
न ही इसमें कहीं कोई विज्ञान ही अंश होता है !क्योंकि ऐसे अंदाजे तो आम
जीवन में पग पग पर प्रत्येक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में लगाने
पड़ते हैं !तो ऐसे सभी अंदाजों को विज्ञान कैसे माना जा सकता है !
पूर्वानुमान का विज्ञान तो उसे कहा जा सकता है जो किसी भी विषय में किसी भी प्रकार के लक्षण प्रकट होने से पूर्व ही निश्चय पूर्वक बता दे कि ऐसा होगा और वैसा हो जाए वह तो विज्ञान अन्यथा किस बात का विज्ञान ! लक्षण प्रकट हो जाने के बाद तो अपने अपने क्षेत्रों में अनुमान सभी लगा लेते हैं किंतु उन्हें विज्ञान नहीं माना जा सकता !किसी व्यक्ति के अस्वस्थ होने से पूर्व यदि कोई वैज्ञानिक उसके अस्वस्थ होने की सही सही भविष्यवाणी कर देता है !इसका मतलब है कि वो उस विषय का वैज्ञानिक है तभी ऐसा कर पाया है !
भारतीय प्राचीन वैज्ञानिकों ने प्रकृति और जीवन से संबंधित सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाने के लिए अत्यंत उच्च कोटि के अनुसंधान करके उन्हें गणित के सूत्रों में बाँध दिया है कुछ आकाशीय ,प्राकृतिक एवं शारीरिक लक्षणों से संबंद्ध हैं उनका पारस्परिक तारतम्य है यहाँ अभी यदि ऐसा हो रहा है तो वहाँ उस समय वैसा होगा इस प्रकार से उन्होंने अधिकाँश क्षेत्रों में पूर्वानुमान लगाने की प्रक्रिया व्यवस्थित की है !इसी प्रकार से गणित के सूत्रों में बाँध कर भी पूर्वानुमानों के विज्ञान को विकसित किया गया है जिससे तो सैकड़ों हजारों वर्ष पहले की प्राकृतिक एवं जीवन संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !ग्रहण संबंधी पूर्वानुमान प्रक्रिया विकसित करके उन्होंने अपनी इस वैज्ञानिक विधा को प्रमाणित भी कर दिया था !उसके आधार पर आज भी किसी ग्रहण के विषय में लगाया गया पूर्वानुमान एक एक मिनट तक सही एवं सटीक होता है और सैकड़ों वर्ष पहले ही ग्रहण संबंधी घटनाओं के घटित होने का पूर्वानुमान लगा लिया जाता है !यह प्राकृतिक घटनाओं के घटित होने से बहुत पहले पूर्वानुमान लगाने की सबसे अधिक सही एवं सटीक प्रक्रिया है !
जीवन से संबंधित घटनाओं का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है इस विषय में तो वर्तमान आधुनिक विज्ञान से संबंधित पूर्वानुमान वैज्ञानिकों में दूर दूर तक कहीं कोई चर्चा ही नहीं है जबकि भारत के प्राचीन विज्ञान के हिसाब से ऐसा किया जा सकता है यह प्रमाणित भी हो चुका है !ऐसी परिस्थिति में आधुनिक विज्ञान की तरह ही भारत के प्राचीन विज्ञान के विषय में भी अनुसंधान के लिए संसाधन एवं सुविधाएँ उपलब्ध करवाने में सरकारें सहयोग करें तो ग्रहण के पूर्वानुमान की तरह ही उसी गणित विज्ञान द्वारा प्रकृति और जीवन से संबंधित लगभग सभी प्रकार की घटनाओं का सही एवं सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है !
पूर्वानुमान अनुसंधान की आवश्यकता !
जीवन से संबंधित घटनाओं का भी पूर्वानुमान लगाया जा सकता है इस विषय में अनुसंधान करने की बात तो दूर इस विषय में सोच बनाने में भी अभी तक असफल रहे वैज्ञानिकों के एक वर्ग ने तो हाथ खड़े कर रखे हैं उनका मानना है कि जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाया ही नहीं जा सकता है !शरीरों में अचानक पनप रहे रोगों से संबंधित विषय में पूर्वानुमान लगाए जाने चाहिए किंतु नहीं लगाए जाते हैं इसके अभाव में रोगों का लक्षण जब तक पता लग पाता है तब तक देर हो चुकी होती है ! मानसिक तनाव बढ़ने के विषय में पूर्वानुमान खोजा जाना बहुत आवश्यक है !आम आदमी की कौन कहे बड़े बड़े पढ़े लिखे उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों कर्मचारियों नेताओं अभिनेताओं को भी तनाव ग्रस्त होते देखा जाता है !तनाव से प्रभावित हुए बहुत लोग धैर्य छोड़ देते हैं और नशा या अपराध में संलिप्त हो जाते हैं हत्या या आत्महत्या करते देखे जाते हैं !
संबंधों के विषय में जिस देश के पूर्वजों का "वसुधैवकुटुंबकं" अति प्रिय उद्घोष रहा हो जिसमें सारे संसार को एक परिवार की तरह प्रेम पूर्वक व्यवस्थित करने का संकल्प रहा हो जिसके कारण पहले बड़े बड़े संयुक्त परिवार होते देखे जाते थे सभी लोग एक साथ प्रेम पूर्वक रह लिया करते थे !यह उस समय में प्रचलित संबंधविज्ञान की ही देन थी जिसके आधार पर लोग सभी प्रकार के संबंधों के चलने न चलने एवं किस प्रकार से चलने का पूर्वानुमान लगा लिया करते थे और उसी प्रकार से जीवन से जुड़े सभी प्रकार के संबंधों का निर्वाह कर लिया करते थे !वर्तमान समय में तो संबंधों के विषय में पूर्वानुमान की प्रक्रिया न होने के कारण सारे संसार को एक परिवार की तरह प्रेम पूर्वक व्यवस्थित करने का संकल्प तो न जाने कहाँ खो गया है अब तो पति पत्नी, भाई भाई , भाई -बहन,पिता -पुत्र जैसे नितांत नजदीकी संबंध भी आए दिन टूटते देखे जाते हैं !
इसी प्रकार से प्रकृति के संबंध में वर्षा बाढ़ सूखा आँधी तूफ़ान भूकंप आदि जितने भी प्रकार की प्राकृतिक घटनाएँ हो सकती हैं वे किसी न किसी रूप में जीवन को प्रभावित अवश्य करती हैं !यदि इनसे संबंधित पूर्वानुमानों के विषय में लोगों को पहले से पता हो तो लोग अपने को सतर्क सावधान रहकर समय उपस्थित होने पर अपना एवं अपनों का यथा संभव बचाव कर सकते हैं !
इसी प्रकार से प्रकृति और जीवन से संबंधित लगभग सभी क्षेत्रों में पूर्वानुमानों की बहुत बड़ी आवश्यकता है किंतु पूर्वानुमान पद्धति के आधार पर पूर्वानुमान लगाने में आधुनिक विज्ञान असफल रहा है और प्राचीन विज्ञान को विज्ञान माना नहीं जा रहा है इसलिए सरकारों के द्वारा अभी तक प्राचीनविज्ञान को उस प्रकार से प्रोत्साहित नहीं किया जा सका है !
जिस वैदिकविज्ञान ने ग्रहण घटित होने से हजारों वर्ष पूर्व ही उसके विषय में गणित के द्वारा पूर्वानुमान लगाने का विज्ञान विकसित कर लिया हो !जिससे एक एक मिनट सही एवं सटीक पूर्वानुमान लगा लिया जाता हो वह गणित विज्ञान जीवन और प्रकृति से संबंधित प्रत्येक विषय का पूर्वानुमान लगाने में सक्षम है इसे भी आधुनिक विज्ञान की तरह ही व्यवस्थित किए जाने की आवश्यकता है !
इस विषय में मेरा आग्रह ऐसा भी नहीं है कि भारत वर्ष के प्राचीन वैदिक विज्ञान के आधार पर ही प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाए अपितु मेरा निवेदन मात्र इतना है कि प्राचीन विज्ञान या आधुनिक विज्ञान आदि जिस किसी के द्वारा भी प्रकृति एवं जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जितना अधिक सही एवं सटीक उपलब्ध करवाया जा सकता हो सरकार के द्वारा उस विधा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए !
यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रकृति और जीवन से संबंधित पूर्वानुमानों के अभाव में अब समाज को और अधिक प्रतीक्षा नहीं कराई जानी चाहिए !
पूर्वानुमान विज्ञान को न समझने वाले लोगों के द्वारा लगाई जाने वाली अटकलें !
जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के विषय में कभी कोई प्रयास आधुनिक वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया हो ऐसा मैंने नहीं सुना हैं !प्रकृति से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान प्रायः प्रत्येक देश सरकारें लगवाती हैं वो सही हों या गलत ये और बात है किंतु प्राकृतिक घटनाओं में विषय में भी जो पूर्वानुमान लगाए जाते हैं वो भी बताते समय उतनी निश्चिंतता निर्भीकता आदि नहीं होती है ! उनके द्वारा की गई मौसमसंबंधी सभी प्रकार की भविष्यवाणियाँ गलत हो सकती हैं ऐसा पूर्वानुमान बताने के प्रकार से पहले ही पता लग जाता है !सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियों में कोई न कोई ऐसी कहानी गढ़ ली गई है जिससे भविष्यवाणी गलत होते ही सारा दोष उस पर मढ़ दिया जाता है !ये कहानी प्रत्येक विषय से संबंधित भविष्यवाणी में साथ साथ चला करती है भविष्यवाणी पर गलत होने का आरोप लगने से पहले ही संपूर्ण भविष्यवाणी ही उसी कल्पित कहानी की गोद में डाल दी जाती है और इससे भविष्यवक्ताओं की प्रतिष्ठा बच जाती है !
भूकंप की भविष्यवाणी - भूकंप से संबंधित भविष्यवाणियाँ समय समय पर भूकंप वैज्ञानिकों के द्वारा की जाती रहती हैं वो गलत होती जाती हैं !उन्हीं वैज्ञानिकों के द्वारा भविष्यवाणियों के साथ साथ भूकंप आने का कारण भी बताया जाता है कि धरती के अंदर संचित गैसों के दबाव के कारण भूकंप आता है !इसके अलावा जमीन के अंदर कुछ टैक्टॉनिक प्लेटें हैं जिनके टकराने से भूकंप आता है !ऐसे ही भूकंपजोन के हिसाब से भारतवर्ष को पाँच श्रेणियों में चिन्हित किया गया है ! ऐसी बातें देख सुनकर लगता है कि भूकंपों के स्वभाव से सुपरिचित वैज्ञानिक लोग इस प्रकार की बातें बोल रहें हैं केवल इतना ही नहीं इसके बाद वे भूकंपों के घटित होने कीभविष्यवाणि भी करते हैं और यह भी बताते हाँ कि उस भूकंप की तीव्रता कितनी होगी !यह सब कोई सुविज्ञ भूकंप वैज्ञानिक ही कर सकता है !
कुछ वैज्ञानिक समूहों के द्वारा अलग अलग रिसर्च करने के बाद नवंबर 2018 में भविष्यवाणी की गई कि " हिमालय क्षेत्र में 8.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है !" जवाहरलाल नेहरू सेंटर के भूकंप विशेषज्ञ सीपी राजेंद्रन ने कहा -"हिमालयी क्षेत्र में भारी मात्रा में तनाव है जो भविष्य में केंद्रीय हिमालय में 8.5 या उससे अधिक की तीव्रता का एक भूकंप दर्शाता है।" 'जियोलॉजिकल जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन के अनुशार -" "अध्ययन हमें यह निष्कर्ष निकालने के लिए मजबूर करता है कि केंद्रीय हिमालय में 15 मीटर की औसत सरकने के कारण 1315 और 1440 के बीच खिंचाव 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का एक बड़ा भूकंप इस क्षेत्र में आ सकता है !" "नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) की अगुवाई में एक रिसर्च टीम ने भी पाया था कि मध्य हिमालय क्षेत्रों में रिएक्टर पैमाने पर आठ से साढ़े आठ तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने का खतरा है।"
अचानक भूकंप आ जाने पर - अचानक कहीं कोई भूकंप आ जाता है और उससे जनधन की भारी हानि हो जाती है ऐसे भूकंपों के विषय में किसी के द्वारा कोई पूर्वानुमान नहीं बताया गया होता है !उस समय जनता के मन में प्रश्न उठता है कि एक ओर तो इतनी बड़ी बड़ी भविष्यवाणियाँ भूकंप आने के विषय में की जा रही थीं संभावित भूकंप की तीव्रता भी बताई जा रही थी तो दूसरी ओर जो भूकंप आया उसके विषय में कोई भविष्यवाणी नहीं की गई जिससे इतनी जनधन की हानि हो गई ऐसा क्यों ?
ऐसी परिस्थिति में भूकंप वैज्ञानिकों का एक ही जवाब होता है कि "किसी भूकंप के विषय में सफल भविष्यवाणी कर पाना असंभव है !" उस कल्पित कहानी का ऐसे उपयोग किया जाता है !
इस विषय में मेरा आग्रह ऐसा भी नहीं है कि भारत वर्ष के प्राचीन वैदिक विज्ञान के आधार पर ही प्रकृति और जीवन से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जाए अपितु मेरा निवेदन मात्र इतना है कि प्राचीन विज्ञान या आधुनिक विज्ञान आदि जिस किसी के द्वारा भी प्रकृति एवं जीवन से संबंधित पूर्वानुमान जितना अधिक सही एवं सटीक उपलब्ध करवाया जा सकता हो सरकार के द्वारा उस विधा को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए !
यह अत्यंत आवश्यक है कि प्रकृति और जीवन से संबंधित पूर्वानुमानों के अभाव में अब समाज को और अधिक प्रतीक्षा नहीं कराई जानी चाहिए !
पूर्वानुमान विज्ञान को न समझने वाले लोगों के द्वारा लगाई जाने वाली अटकलें !
जीवन से संबंधित घटनाओं के विषय में पूर्वानुमान लगाने के विषय में कभी कोई प्रयास आधुनिक वैज्ञानिकों के द्वारा किया गया हो ऐसा मैंने नहीं सुना हैं !प्रकृति से संबंधित घटनाओं का पूर्वानुमान प्रायः प्रत्येक देश सरकारें लगवाती हैं वो सही हों या गलत ये और बात है किंतु प्राकृतिक घटनाओं में विषय में भी जो पूर्वानुमान लगाए जाते हैं वो भी बताते समय उतनी निश्चिंतता निर्भीकता आदि नहीं होती है ! उनके द्वारा की गई मौसमसंबंधी सभी प्रकार की भविष्यवाणियाँ गलत हो सकती हैं ऐसा पूर्वानुमान बताने के प्रकार से पहले ही पता लग जाता है !सभी प्रकार की प्राकृतिक घटनाओं से संबंधित भविष्यवाणियों में कोई न कोई ऐसी कहानी गढ़ ली गई है जिससे भविष्यवाणी गलत होते ही सारा दोष उस पर मढ़ दिया जाता है !ये कहानी प्रत्येक विषय से संबंधित भविष्यवाणी में साथ साथ चला करती है भविष्यवाणी पर गलत होने का आरोप लगने से पहले ही संपूर्ण भविष्यवाणी ही उसी कल्पित कहानी की गोद में डाल दी जाती है और इससे भविष्यवक्ताओं की प्रतिष्ठा बच जाती है !
भूकंप की भविष्यवाणी - भूकंप से संबंधित भविष्यवाणियाँ समय समय पर भूकंप वैज्ञानिकों के द्वारा की जाती रहती हैं वो गलत होती जाती हैं !उन्हीं वैज्ञानिकों के द्वारा भविष्यवाणियों के साथ साथ भूकंप आने का कारण भी बताया जाता है कि धरती के अंदर संचित गैसों के दबाव के कारण भूकंप आता है !इसके अलावा जमीन के अंदर कुछ टैक्टॉनिक प्लेटें हैं जिनके टकराने से भूकंप आता है !ऐसे ही भूकंपजोन के हिसाब से भारतवर्ष को पाँच श्रेणियों में चिन्हित किया गया है ! ऐसी बातें देख सुनकर लगता है कि भूकंपों के स्वभाव से सुपरिचित वैज्ञानिक लोग इस प्रकार की बातें बोल रहें हैं केवल इतना ही नहीं इसके बाद वे भूकंपों के घटित होने कीभविष्यवाणि भी करते हैं और यह भी बताते हाँ कि उस भूकंप की तीव्रता कितनी होगी !यह सब कोई सुविज्ञ भूकंप वैज्ञानिक ही कर सकता है !
कुछ वैज्ञानिक समूहों के द्वारा अलग अलग रिसर्च करने के बाद नवंबर 2018 में भविष्यवाणी की गई कि " हिमालय क्षेत्र में 8.5 तीव्रता का भूकंप आ सकता है !" जवाहरलाल नेहरू सेंटर के भूकंप विशेषज्ञ सीपी राजेंद्रन ने कहा -"हिमालयी क्षेत्र में भारी मात्रा में तनाव है जो भविष्य में केंद्रीय हिमालय में 8.5 या उससे अधिक की तीव्रता का एक भूकंप दर्शाता है।" 'जियोलॉजिकल जर्नल' में प्रकाशित अध्ययन के अनुशार -" "अध्ययन हमें यह निष्कर्ष निकालने के लिए मजबूर करता है कि केंद्रीय हिमालय में 15 मीटर की औसत सरकने के कारण 1315 और 1440 के बीच खिंचाव 8.5 या उससे अधिक तीव्रता का एक बड़ा भूकंप इस क्षेत्र में आ सकता है !" "नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) की अगुवाई में एक रिसर्च टीम ने भी पाया था कि मध्य हिमालय क्षेत्रों में रिएक्टर पैमाने पर आठ से साढ़े आठ तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आने का खतरा है।"
अचानक भूकंप आ जाने पर - अचानक कहीं कोई भूकंप आ जाता है और उससे जनधन की भारी हानि हो जाती है ऐसे भूकंपों के विषय में किसी के द्वारा कोई पूर्वानुमान नहीं बताया गया होता है !उस समय जनता के मन में प्रश्न उठता है कि एक ओर तो इतनी बड़ी बड़ी भविष्यवाणियाँ भूकंप आने के विषय में की जा रही थीं संभावित भूकंप की तीव्रता भी बताई जा रही थी तो दूसरी ओर जो भूकंप आया उसके विषय में कोई भविष्यवाणी नहीं की गई जिससे इतनी जनधन की हानि हो गई ऐसा क्यों ?
ऐसी परिस्थिति में भूकंप वैज्ञानिकों का एक ही जवाब होता है कि "किसी भूकंप के विषय में सफल भविष्यवाणी कर पाना असंभव है !" उस कल्पित कहानी का ऐसे उपयोग किया जाता है !