राजनैतिक रूक्षता के वातावरण में अपने सरल सहज व्यवहार से अन्य नेताओं पर भारी पड़ते हैं केजरीवाल !
जैसा कि सबका अनुभव होगा कि चुनावों में कोई पद प्रतिष्ठा मिलने से लेकर चुनावी टिकट मिलने पर चुनाव जीतने पर मंत्री वंत्री बनने पर प्रायः राजनेताओं का व्यवहार क्रमशः जहरीला होता चला जाता है इसके बाद और जितना ऊपर पहुँचते जाते हैं उतना अधिक असर होता चला जाता है ।
इसलिए उत्तम पुरुष तो वो होते हैं जो एक की जगह आधी रोटी खाकर दिन काट लेते हैं किन्तु किसी नेता से मिलने नहीं जाते हैं विशेषकर पूर्व परिचित से !
मध्यम लोग वो होते हैं जो किसी काम के होने की और सम्मान पाने की आशा लेकर नेता जी के पास कभी नहीं जाते हैं !
अधम लोग वो होते हैं जो सफल नेताओं के पास जाकर उन्हें उनके पुराने बुरे दिनों, व्यवहारों एवं अपने संबंधों आदि की याद दिलाते हैं !
बंधुओ! यदि नेता जी के किसी काम आ सकने की या उन्हें नुक्सान पहुँचा सकने की आपकी हैसियत नहीं है तो नेता जी आपको सौ बहाने बताएँगे किन्तु आपके किसी काम नहीं आएँगे,यहाँ तक कि आपके नमस्ते तक का जवाब नहीं देंगे ,आपके छोटे बड़े होने का बिना कोई लिहाज किए हुए अपना पैर उठाकर मेज पर आपके मुख के सामने रखेंगे, आपको सामने बैठा देखकर कोई गैर जरूरी फोन मिलाकर उस पर बिना बात की बात करते रहेंगे और इसके बाद मीटिंग का बहाना बताकर अचानक उठकर जाएँगे आप देखते रह जाएँगे !ये चार लोगों का बहुत सम्मान करते हैं
1.जो इन्हें धन दे सकता हो !
2.जो इन्हें पद प्रतिष्ठा दिलाने के काम आ सकता हो !
3.जिससे आशंका हो कि ये समाज में अपमानित कर सकता है या और भी बहुत कुछ … !
4. मीडिया से जुड़े लोग !
बाक़ी इनके लिए सब आम जनता होती है अर्थात जिसे जितना दबाया जाएगा वो उतना रस देगा ! इस भावना से सबसे सम्बन्ध रखते हैं !
इसलिए सहृदय लोगों को चाहिए कि आपका कोई परिचित जब कोई राजनैतिक पद प्रतिष्ठा आदि पाने लगे तो उससे दूरी बनाकर चलोगे तो सुखी रहोगे किसी को मत बताओ कि वे हमारे परिचित हैं कोई यदि याद भी दिलावे तो उसे भी भुलवाने का प्रयास करो सुखी रहोगे !
मेरे बहुत परिचित लोग हैं जो जब जीतने लगते हैं तो हम ज्यादातर तो दूरी ही बना लेते हैं किन्तु यदि कभी उनके पास जाना भी पड़ा तो उनसे बिना किसी अच्छे आचरण की उम्मीद किए हुए सारा अपमान सहने की हिम्मत बाँधकर जाते हैं ।
बंधुओ!कुछ ऐसे हृदयवान लोग राजनीति में भी होते हैं जिन सफलतम सजीव लोगों के व्यक्तित्व और स्वभाव को पद -प्रतिष्ठा का जहर कभी छू भी नहीं पाता है । ऐसे लोगों की मिलनानुभूति को हृदय में सराहते हुए हम भी लौट आते हैं अपने घर !किन्तु मूल्यों के लिए जीने वाले ऐसे स्वभाविक देश भक्तों एवं समाज सेवियों की संख्या बहुत कम है किन्तु नहीं है ऐसा नहीं कहा जा सकता है !
ऐसे लोगों का लाखों केजरीवाल भी कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं किन्तु किसी के नमस्ते का जवाब न देने वाले नमस्तेचोर नेताओं को केजरीवाल की राजनीति से खतरा हो सकता है क्योंकि केजरीवाल चुनाव जीतने के बाद भी मन से हो या बेमन हकीकत हो या बनावट काम करें या न करें किंतु लोगों के हाथ जोड़कर नमस्ते करने का जवाब हाथ जोड़कर हँस कर ही देने की कोशिश करते हैं जिसका जनता पर प्रभाव पड़ता है इससे इंकार नहीं किया जा सकता है ।
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