Friday, 4 March 2016

काँग्रेस और केजरीवाल केंद्र सरकार के विरुद्ध विद्रोह भड़काने के लिए रख रहे हैं कन्हैया के कंधे पर बंदूक !

    JNU ही नहीं देश के सभी शिक्षण संस्थानों के गौरव की रक्षा के लिए भारत वर्ष का बच्चा बच्चा  बलिदान होने को तैयार है किंतु आतंकवादियों उपद्रवियों और आतताइयों के द्वारा आतंक के अड्डे नहीं बनाने दिए जाएँगे शिक्षण संस्थान !
  "भारत तेरे टुकड़े होंगे"ये भी कुछ नेताओं को पसंद आ गया ऐसे नेताओं के समर्थन में वो बेचारे न केवल JNUपहुँच गए अपितु कन्हैया कन्हैया करते घूम रहे हैं कन्हैया  के पीछे पीछे कि कन्हैया घबड़ाकर कहीं इन मोदी द्रोहियों की पोल न खोल दे !
      हे केजरीवाल जी ! हे राहुलगाँधी जी "भारत तेरे टुकड़े होंगे" क्या ऐसे वाक्य  JNU में उस दिन नहीं बोले गए !क्या देश भक्त छात्रों और छात्र नेताओं को ऐसा बोलने वाले  लोगों पर लगाम नहीं लगानी चाहिए थी क्या देश को इस विश्व विद्यालय के अध्यक्ष से इतनी उम्मींद भी नहीं करनी चाहिए और यदि ऐसा करने वालों पर लगाम नहीं लगा पाए तो विरोध करते दिखाई तो पढ़ ही सकते थे ये उन्हें रोक नहीं सकते थे तो क्या ऐसे राष्ट्र द्रोही नारों का विरोध भी उसी सभा में नहीं किया जा सकता था। किसी भी वीडियो में देश के टुकड़े होंगे इस जहर वाक्य का विरोध होते क्यों नहीं दिखाई दे रहा है ।      
     किसी भी वीडियो में "भारत तेरे टुकड़े होंगे" इस जहर वाक्य का विरोध होते क्यों नहीं दिखाई दे रहा है !क्या उस समय उस सभा में भारत माता के प्रति समर्पित ऐसा कोई सपूत नहीं था कि जिसे ये नारे बुरे लग रहे हों !क्या वो पूरी सभा ही राष्ट्र द्रोहियों की थी ?क्या ऐसे वाक्यों का उद्घोष करने के लिए ही सुनियोजित तरीके से ऐसी सभाओं का संयोजन किया जा रहा है क्या केंद्र सरकार के विरुद्ध विद्रोह भड़काने के लिए देश की राष्ट्रीय  पार्टियाँ  अपनी नैतिकता इस स्तर तक खो चुकी हैं कि उन्हें अब देश से भी मोह नहीं रह गया है यदि ये नहीं तो ऐसे उपद्रवियों का  हौसला बढ़ाने के पीछे इनके इरादे क्या क्या हो सकते हैं और ये फैले कहाँ तक हैं ये तो जाँच का विषय होना चाहिए ! 
  "भारत तेरे टुकड़े होंगे" ऐसे नारे लगाने यदि अपराध है तो अक्सर अधिकाँश अपराधी पहले अपनी राजनैतिक पकड़ मजबूत करते हैं बाद में करते हैं अपराध !ताकि अपराधियों पर कार्यवाही होते समय उनके राजनैतिक आका लोग आगे आकर उनके समर्थन में मोर्चा सँभाल लें ! यदि ये बात सच है तो JNU कांडमें देश द्रोहियों के आका कौन हैं ?यदि वो आका सम्मिलित न होते तो  "भारत तेरे टुकड़े होंगे" ऐसे जहरीले वाक्य बोलने वालों के विरुद्ध कानून यदि अपना काम कर रहा है तो वो नेता टाँग फँसाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं !
    हरियाणा में छिड़े आरक्षण नाम के आंदोलन में सम्मिलित बलात्कारी जिस पार्टी के राजनेताओं के गुर्गे थे  JNU कांड भी क्या इन्हीं लोगों ने करवाया है और आज अक्सर वहाँ हाजिरी इसीलिए दे रहे हैं कि भयबश कन्हैया कहीं इनका नाम न कबूल दे इसलिए रटे जा रहे हैं कन्हैया कन्हैया ! इस सभा के आयोजन के लिए वही लोग और वही भावना जिम्मेदार है क्या ?जिन्होंने हरियाणा में आरक्षण आंदोलन के नाम पर किए हैं बलात्कार !अरे देशद्रोही नेताओ ! नरेंद्र मोदी से राजनैतिक बैर निकालने के लिए शिक्षण संस्थानों और छात्रों का दुरुपयोग किया जाना ठीक है क्या ?इतनी नीचता पर उतर जाओगे तुम ये हरोसा नहीं था !       

केजरीवाल जी और काँग्रेस में मुख्य विपक्षी दिखने के लिए चल रहा है कठिन कंपटीशन ! जिसका लाभ लेने के लिए बनाई जाती हैं JNU ,दादरी और  हैदराबाद जैसी परिस्थितियाँ !
      JNU हो या दादरी या फिर हैदराबाद वहाँ वो गए तो वो भी चले गए उन्होंने जाकर मोदी जी की निंदा की तो उन्होंने भी वहीँ पहुँच कर मोदी जी की निंदा की !वस्तुतः ये लोग JNU जाएँ या दादरी या फिर हैदराबाद इन्हें वहाँ घटी घटनाओं या पीड़ित लोगों की संवेदनाओं से कोई लेना देना नहीं होता है और न ही उन घटनाओं के विषय में कोई होमवर्क ही किया होता है बस वहाँ पहुँचते हैं मोदी जी की निंदा करते हैं चले आते हैं काँग्रेस हों या केजरीवाल ये दोनों आपस में एक दूसरे की निंदा नहीं करते क्योंकि राजनीति में निंदा उसकी की जाती है जिसका कोई वजूद हो और जिसका वजूद ही न हो उससे टकराने से मिलेगा क्या ?इसका सीधा सा अर्थ है कि इन दोनों के मन में एक दूसरे का कोई वजूद ही नहीं है वजूद मोदी जी का है तो उन्हीं के पीछे पड़े रहते हैं दोनों !एक सतर्क शिकारी की तरह मुद्दे लूट लेने की बेचैनी इन दोनों के बयानों से साफ झलकती है उसमें समाजहित  कहीं दूर दूर तक नहीं झलकता है !काँग्रेस हों या केजरीवाल ये दोनों बुराई मोदी जी की भले करें किंतु नुक्सान एक दूसरे का ही करते हैं !क्योंकि देश की सरकार 2019 तक के लिए स्थिर है किंतु मुख्य विपक्ष बनने के लिए दोनों कर रहे हैं मारा मारी !    
                काँग्रेस और केजरी वाल
   काँग्रेस ने जब जब जिसे जिसे समर्थन दिया उसे पक्ष विपक्ष दोनों ही भूमिकाओं से हमेंशा हमेंशा के लिए मुक्त कर दिया वो उसके बाद किसी लायक नहीं रहा - श्री चौधरी चरण सिंह जी,श्री चन्द्र शेखर जी, श्री देवगौड़ा जी ,श्री इंद्र कुमार गुजराल जी काँग्रेस के समर्थन से ही प्रधान मंत्री बने थे । श्री देवगौड़ा जी की जगह श्री इंद्र कुमार गुजराल जी को कैसे बनाया गया था प्रधान मंत्री सबने देखा है ?जब संयुक्त मोर्चा की सरकार का केवल सिर बदला गया था !उसी काँग्रेस की कृपा से पहली बार मुख्यमंत्री बने थे  केजरीवाल !
    काँग्रेस जिसे  समर्थन देती है वह चाहे अनचाहे उसका ग्रास बन ही जाता है काँग्रेस किसी दल के साथ कितना भी बुरा बर्ताव क्यों न करे किन्तु जब वह धर्म निरपेक्षता की मौहर बजाने लगती है तब बड़े बड़े मणियारे  बिषैले राजनैतिक दल फन फैला फैला कर नाचते नजर आते हैं!        
       सम्भवतः इसीलिए आम आदमी पार्टी को काँग्रेस जैसे जैसे समर्थन, सुविधाएँ एवं समाधान देती जा रही थी वैसे वैसे केजरी वाल न केवल अपनी शर्तें एवं शंकाएँ बढ़ाते जा रहे थे अपितु पैर एवं दायरा भी फैलाते जा रहे थे ।
      रामायण में एक प्रसंग आता है कि जब हनुमान जी लंका की ओर बढ़ रहे थे  उसी समय सर्पों की माता सुरसा आती है और हनुमान जी को अपने मुख में रखना चाहती है हनुमान जी जैसे जैसे अपना शरीर बढ़ाते हैं वैसे वैसे सुरसा अपना मुख बढ़ाते जाती है ।वही हालात आज दिल्ली की राजनीति में पैदा हो गए हैं काँग्रेस जैसे जैसे केजरीवाल का साथ देने और शर्तें मानने की घोषणा करती चली जा रही थी अरविन्द  केजरीवाल जी वैसे वैसे अपनी शर्तों का पिटारा खोलते  चले जा रहे थे ।
      वैसे मेरा व्यक्तिगत अनुमान है कि जब तक मोदी जी की सरकार केंद्र में रहेगी तब तक काँग्रेस और केजरीवाल जी ऐसे मुद्दे तैयार करते ही रहेंगे जिससे एक दूसरे को अपने से पीछे कर के अपने को फ्रंट पर दिखाया  सके !वैसे दिल्ली में काँग्रेस हार भले गई  हो किंतु केजरीवाल जी की उछलकूद कितने दिन चलने देगी वो !                                                                                                                                                                   जस जस सुरसा बदन बढ़ावा । 
            तासु  दून कपि रूप दिखावा ॥ 
            शत जोजन तेहि आनन कीन्हा।
           अति लघु रूप पवनसुत लीन्हा॥  

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    भारतमाता आनाथ है क्या ? क्यों सह जाएँ देश भक्त लोग देश विरोधी हरकतों को ? ऐसा करने के पीछे उनकी मजबूरी क्या थी ?भारत में भारतविरोधी नारे लगाए जाएँ और भारतमाता के वीर सपूत सह जाएँ  ऐसा कैसे हो सकता है !ऐसे पापियों का मुख नोच लेंगे ! see  more...http://samayvigyan.blogspot.in/2016/02/see-more-at-httpwww.html

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