"गायों का
मांस खाने से दूर होते हैं रोग " 'वैज्ञानिक पीएम भार्गव ' का अवैज्ञानिक बयान !
ऐसा बोलकर उत्तेजना फैलावें वैज्ञानिक पीएम
भार्गव और बढ़ती असहिष्णुता के लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा नरेंद्र मोदी जी को !
ये कहाँ का न्याय है ! ऐसी भड़कीली भाषा का जवाब यदि गोभक्त हिंदू देंगे तो
असहिष्णुता का रोना रोया जाएगा अन्यथा मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा किया
जाएगा !
बंधुओ ! अखलाक की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या देश
और समाज की एक बड़ी क्षति है इसमें कोई संदेह नहीं किंतु कुछ लोगों के दिमाग में केवल कुछ
लोगों का ही जीवन इतना मूल्यवान
क्यों है !बाकी लोगों की मौत उनके लिए कोई मायने क्यों नहीं रखती उनके प्रति ऐसे
लोगों के मन में कोई संवेदना क्यों नहीं है
और यदि है तो आज तक प्रकट क्यों नहीं हुई !हत्याएँ तो अन्य सरकारों के शासन काल में भी होती रही
हैं किंतु केवल मोदी सरकार के समय ही सहिष्णुता की
टोकरियाँ सर पर उठाए क्यों घूम रहे हैं कुछ साहित्यकार और वैज्ञानिक !
मोदी जी की
सरकार को बदनाम करने वाले लोग अपने क्षुद्र
स्वार्थों से ऊपर उठकर क्यों नहीं सोचना चाहते कि मोदी जी की जगह अगर हम होते तो आखिर क्या कर लेते !
कोई भी अपराध घटित होने के बाद होने वाली कानूनी
कार्यवाही ही तो करते वो आज भी हो रही है फिर भी मोदी सरकार दोषी आखिर क्यों ? मोदी जी के संयमी परिश्रमी एवं
ईमानदार जीवन शैली की प्रशंसा होनी चाहिए
उनकी सजीव सक्रियता एवं राष्ट्र
निष्ठा में उनके किस आचार व्यवहार के कारण संदेह हो रहा है ये स्पष्ट किया जाना चाहिए !वैसे भी इस संशय में देशवासी सम्मिलित नहीं
हैं निजी स्वार्थों से केवल मुट्ठीभर
लोग ही शंका की दृष्टि से देख रहे हैं मोदी सरकार को !ऐसे ही लोग मोदी सरकार के विरुद्ध
पूरे देश में फैला रहे हैं भ्रम !
वैज्ञानिक पीएम भार्गव को ही लें उन्होंने शास्त्रों के नाम पर आयुर्वेद के
नाम पर समाज में कितना बड़ा
शास्त्रों की भाषा समझने की सामर्थ्य हर किसी में
नहीं होती इसीलिए शास्त्रों को समझने के लिए गुरु
शिष्य संबंधों की परिकल्पना की गई है ,अन्यथा शास्त्रों का अर्थ भले ही कोई समझ भी ले किंतु भावार्थ समझ पाना अत्यंत कठिन होता है ।
वैज्ञानिक पीएम भार्गव जी जैसे
सम्मानित लोग यदि गायों का मांस खाने के समर्थन में ऊट पटांग
तर्क नहीं गढ़ने लगेंगे तो !इज्जत इसी में है कि शास्त्रों से दूर ही
रहें !
बंधुओ !
"आयुर्वेद के अनुशार
गायों का मांस खाने से दूर होते हैं रोग !- वैज्ञानिक पीएम भार्गव
see more....
http://navbharattimes.indiatimes.com/state/other-states/bangalore/chennai/ayurveda-prescribes-beef-for-several-disorders-scientist/articleshow/49743696.cms"
मांस के सामान्य गुण :-
कोई भी मांस बृंहण एवं बर्धक होता है !
"हितं मांसं बृंहणं बल बर्द्धनम् "-चरक संहिता
चरक
संहिता
गाय के मांस के गुण :-
बात रोग जुकाम बिषमज्वर शुष्क कास थकावट अति तीक्ष्णाग्नि मांसक्षय
में हितकर होता है
गव्यं केवल वातेषु
पीनसे बिषमज्वरे ।
शुष्ककास श्रमात्यग्नि
मांसक्षय हितं च तत् ॥ चरक
संहिता
सुश्रुत संहिता -
ग्राम्य
पशुओं
में ही गाय को सम्मिलित किया गया है वहाँ लिखा गया है कि इनका मांस
वातनाशक
बृंहण कफपित्त
कारक,मधुर रस मधुर विपाक होता है ।
ग्राम्या वातकरा सर्वे बृंहणाः कफ पित्तलाः ।
मधुराः रस पाकाभ्यां दीपना बल बर्धनाः ॥- सुश्रुत संहिता -
अष्टांग हृदये
गाय
के मांस से सूखी खाँसी थकान तीक्षाणग्नि भस्मक रोग विषम ज्वर पीनस कृशता और वात
जनित रोग दूर होते हैं ।
शुष्ककास श्रमात्यग्नि बिषमज्वर पीनसान् |
कार्श्य केवल वातांश्च गोमांसं संनियच्छति ॥ -अष्टांग हृदये
भावप्रकाशनिघंटु -
वातनाशक
अग्नि दीपक कफ तथा पित्त कारक रास तथा विपाक में मधुर
रस युक्त बृंहण एवं बल को बढ़ाने वाला होता है
ग्राम्यः वात हराः सर्वे दीपनाः कफ पित्तलाः ।
मधुराः रस पाकाभ्यां बृंहणा बल बर्द्धनः ॥ -
भावप्रकाशनिघंटु
चरक ने गोमांस खाने
के लिए रोका है
-यथा -
पशुओं
के मांस में गोमांस स्वभाव से ही अन्न पान में सबसे अहितकर माना गया है ।
"गोमांसं मृग मांसानां "प्रकृत्यैव अहित
तमानामाहार विकाराणां प्रकृष्टतमानि द्रव्याणि व्याख्यातानि भवन्ति | - चरक
संहिता
No comments:
Post a Comment