सभी प्रकार अपराधों की जड़ स्वरूप ऐसे तथाकथित प्रेम  सम्बन्धों को प्रतिबंधित क्यों नहीं कर दिया जाता !
गर्लफ्रेंड नहीं मिली तो प्राइवेट पार्ट ही काट लिया-नवभारत टाइम्स 
   बंधुओ !  गर्लफ्रेंड को लेकर हमेंशा भ्रम का वातावरण बनाया जाता रहा है कहा तो मित्र जाता है किन्तु माना  सेक्स पार्टनर ही जाता रहा है ऐसा अनेकों प्रकरणों से स्पष्ट हो चुका  है ।      
     अगर फ्रेंड का मतलब मित्रता ही है तो मित्रता मन से होती है हृदय से होती है धोखा मिलने पर ठेस भी मन या हृदय में ही लगती है किन्तु  यदि किसी को  मित्रता में ठेस मिले तो वो
 अपना प्राइवेट पार्ट काट ले ये बात समझ से बाहर है । कुछ दिन पहले ऐसी ही 
एक घटना  मीडिया के माध्यम से पढ़ने को मिली कि प्रेमिका नहीं आई तो 
घोड़ी से सेक्स किया !
    
 सभी  बंधु बहनों को इस विषय पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए कि जो 
आचार व्यवहार इतना हिंसक होता चला जा रहा हो जिसमें अपनी या औरों की जिंदगी
 की परवाह ही न की जा रही हो जिसमें आत्म हत्या से लेकर अपने प्रेमी और 
प्रेमिका की हत्या अपने घर वालों से लेकर प्रेमी और प्रेमिका के परिवार 
वालों की हत्या तक कुल मिलाकर इन तथाकथित प्रेम संबंधों में जो बाधक बना 
उसे बीच से हर प्रकार से हटा दिया जाता है उसके लिए कितना भी बड़ा अपराध 
क्यों न करना पड़े !आजकल अक्सर हत्या के केसों में कोई न कोई प्रेम सम्बन्ध 
ही निकलता है ऐसे प्रेम संबंधों को समाज हित में प्रतिबंधित क्यों न कर  दिया जाए !
     इसी प्रकार से कम कमाई वाले प्रेमी लोग अपनी   प्रेमिकाओं को खुश करने या उनकी डिमांड पूरी करने के लिए अक्सर अपराधों का सहारा लेते हैं कोई किसी की चैन खींचता है और कोई किसी का  पर्स मारता है । जहाँ ऐसे सभी प्रकार के अपराध  देखे जा रहे हों ऐसे प्रेम संबंधों को जनहित में प्रतिबंधित क्यों न कर दिया  जाए ! 
     कुछ लोग मानते हैं कि प्रेम संबंधों का मतलब सेक्स नहीं होता है ये शुद्ध मित्रता भी तो हो सकती
 है किन्तु जब जब कोई कांड खुल कर सामने  आता है तो बात बनते बिगड़ते 
पहुँचती  सेक्स  पर ही है और अगर सेक्स की ही इतनी अधिक आवश्यकता है तो 
फिर  इतनी हत्याएँ या आत्म हत्याएँ आदि क्यों होती हैं और क्यों होते हैं अन्य प्रकार के अपराध !
    इसलिए जिसको जिससे जहाँ लिपटे चिपटे चूमते चाटते देखे उसका विवाह वहीँ उसी से क्यों न करवा दिया जाए टंटा टूटे ,कम से कम समाज तो इस बढ़ती पशुता से बच जाएगा, ऐसे तो बड़े बड़े पार्क पार्किंगें मैट्रो या स्टेशन 
और भी झाड़ी  जंगल सुनसान गाड़ियों में थोड़ा भी मौका  मिलते ही या न मौका 
मिले  सही सभी के सामने भी  बड़ी बेशर्मी पूर्वक आँखें  झुका करके कुत्ते बिल्ली बंदरों की तरह अश्लील हरकतें करने लगते हैं ऐसे जोड़ों का वहीँ हाथ के हाथ सीधे सीधे विवाह ही क्यों नहीं करवा दिया जाता है ताकि बाकी समाज को तो ये नरपशु दूषित न कर  पाएँ !ऐसे तो चिपका चिपकी के खेल खेलते तो खुद हैं और पटरी न खाने पर बदनाम सारे समाज को करते हैं । कई तो ऐसे खेल  सालों साल तक खेला  करते हैं और जब अपनी शर्तें पूरी होते  नहीं दिखती हैं तो पता लगता है कि इतने वर्षों से अब तक बलात्कार हो रहा  था !ऐसी बातें समझ से परे एवं भ्रामक हैं । 
 
 
 
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