BJP सरकार ने रद्द किया मुस्लिम आरक्षण- एक खबर
किंतु केवल मुस्लिमों का ही क्यों सभी का क्यों नहीं ? जाति धर्म के नाम पर दिया जाने वाला आरक्षण लोगों को बिकलांग बना देता है !
आरक्षण के बल पर जीने वाली जातियाँ सवर्णों की बराबरी कभी नहीं कर सकतीं !
जो लोग घर की रसोई का खर्च अपनी बुद्धि और बल से कमा कर नहीं चला सकते उसके लिए भी आरक्षण माँगते हैं वो उन सवर्णों की बराबरी कैसे कर सकेंगे जो गरीब होने के बाद भी अपने पौरुष के बल पर अपनी तरक्की करते हैं सरकार से आरक्षण की भीख माँगकर नहीं !अपने संघर्ष से प्राप्त सफलता का स्वाद ही कुछ और होता है !
साईं को सनातन धर्म का अपराधी बनाया गया है उन्हें आखिर क्यों घुसाया गया मंदिरों में ?हमें मंदिरों में शास्त्रीय मर्यादाओं का निर्वाह कर लेने दिया जाता साईं पत्थरों को कहीं और रखकर पूज लेते सनातन अधर्मी लोग ! कम से कम मंदिर तो पवित्र बने रहने दिए जाते !
'क्या साईं मुशलमान थे ?-(ये किसी का प्रश्न है !)'
बंधुवर ! यदि साईं बुड्ढे को मुशलमान न भी माना जाए तो भी उन्हें हिंदू तो
नहीं माना जा सकता है क्योंकि कोई हिंदू कितना भी पतित हो जाए किंतु इतना
गद्दार तो नहीं ही हो सकता है कि भगवान के लिए बनाए गए मंदिरों में भगवानों
के साथ बैठकर अपने चेलों से अपनी आरती पूजा करवावे और भगवान टुकुर टुकुर
देखते रहें !हमारे एक से एक बड़े संत महा पुरुष हुए किंतु उन्होंने
मंदिरों की मर्यादा कभी नहीं लाँघी किंतु साईं वालों ने तोड़ी हैं मर्यादा
की सनातनधर्मी दीवारें ! मुझे विश्वास है कि इन सनातन धर्म के अपराधियों को
ईश्वर कभी माफ नहीं करेगा !अब दिल्ली सरकार अशुद्ध सचिवालय से ही काम चलाएगी क्या ?
अगली बार जाउंगा दिल्ली सचिवालय: अन्ना हजारे-ABP NEWS
किन्तु तब तक सारे नीतिनिर्णयों में नैतिकता और ईमानदारी आदि सद्गुणों को परिपालन कैसे हो सकेगा !और यदि ये सब कुछ हो ही जाएगा तो सचिवालय अशुद्ध कैसे !और यदि अशुद्ध नहीं तो अन्ना जी से सचिवालय को शुद्ध करने का आग्रह क्यों ?मेरे विचार से तो यदि अरविन्द जी को सचिवालय अशुद्ध लग ही रहा था तो वहाँ प्रवेश ही बाद में करते पहले उसे शुद्ध करवाते !कोई बहम पाल कर नहीं रखना चाहिए या तो बहम करे नहीं करे तो माने अन्यथा आप थोड़ा बहम करेंगे कोई अधिक भी कर सकता है अब कुछ लोगों को ऐसा भी लग सकता है कि पिछले एक वर्ष तक कोई सरकार बन नहीं पाई और बानी तो टिक नहीं पाई इ कहीं उसी अशुद्धि का प्रतिफल तो नहीं है । seemore... http://bharatjagrana.blogspot.in/2015/02/ibn-7-see-more.html
इंसान भगवान तक पहुँचे कैसे धार्मिक दलालों ने रास्ता रोक रखा है !
धर्म के क्षेत्र में धर्म एवं धर्मशास्त्रों के अनुशार चलने वाले लोग दिनोंदिन समाप्त होते जा रहे हैं एवं धर्म और धर्म शास्त्रों को अपने अनुशार चलाने वाले लोग बढ़ते जा रहे हैं । लोगों का ध्यान ईश्वर पूजा से हटाकर अपनी पूजा कराने के लिए प्रेरित करने में लगा है आधुनिक धार्मिक समाज !कुलमिलाकर जिसकी पूजा करना है उसे न पूजो अपितु उन्हें पूजो जिन्हें छूने में अशुद्ध हो जाने का भय है । ऐसे दलालों से बचते बचाते जो आगे बढ़ेगा वही ईश्वर के परं पद के श्रेष्ठ पथ पर अग्रसर होगा !
मुलायम सिंह जी ! UP में क्या राम राज्य है ?
मोदी और भाजपा ने जनता को दिया धोखा : मुलायम (Zee news)
किंतु मुलायम सिंह जी !आज जनता को धोखा दे कौन नहीं रहा है आज की राजनीति में न तो राज है और न ही नीति है यदि कुछ है तो बस केवल धोखाधड़ी !आपने उत्तर प्रदेश में क्या रामराज्य दे रखा है जबकि आपतो सारा खानदान मिलकर चला रहे हैं सरकार !मोदी जी को तो अकेले पूरा देश देखना है फिर भी और अच्छा करना चाहिए किन्तु जनता कह सकती है आप कुछ कहने लायक नहीं हैं । जब एक प्रदेश में आप अपने सारे नाते रिश्तेदार घर खानदान वाले मिलकर कानून व्यवस्था कायम नहीं कर पा रहे हैं और न ही अन्य प्रकारों से जनता की अपेक्षाओं पर ही खरे उतर पा रहे हैं स्वयं मैंने विभिन्न नैतिक समस्याओं पर आज तक बीस से अधिक लेटर उत्तर प्रदेश सरकार को लिखे किन्तु न ही किसी लेटर पर कोई जवाब आया और न ही कोई कार्यवाही हुई मैं समझता हूँ ऐसा ही औरों के साथ भी होता होगा !इसप्रकार से जनता निराश है लेकिन आपकी सरकार केवल अपनों के लिए चलती जा रही है जनता का आपकी सरकार से कोई लेना देना नहीं है आखिर जनता के प्रति क्यों नहीं जवाब देय है आपकी सरकार और यदि नहीं है तो इसे धोखा धड़ी न कहा जाए तो आखिर कहा क्या जाए आपही बता दीजिए !
राजनीति में दल बदलू लोग होते हैं डेंगू मच्छरों की तरह !
जैसे डेंगू मच्छर साफ पानी में होते हैं उसी प्रकार से दल बदलू लोग अपने को शुद्ध पवित्र बताते हुए चुनावों में पराजित दल को छोड़कर वहाँ से भाग खड़े होते हैं और सत्तासीन दल के पास दुम हिलाते हैं उसे खुश करने के लिए अपने पुराने दल की निंदा किया करते हैं !किन्तु इनका भरोसा करे सो …!
दल बदलू जो नेता लोग !उन्हें चाहिए सत्ता भोग !!
जब तक जिस दल के पास सत्ता रहती है तब तक ये उस दल में रहते हैं सत्ता छिनते ही उस दल के लोगों की निंदा करते हुए और सत्ता वाई नए दल में सम्मिलित हो जाते हैं तब शुरू होता है उसे बर्बाद करने का दौर !भगवान बचाए ऐसे लोगों से !राजनीति को गंदा करने का सारा श्रेय इन्हीं को जाता है ।
भ्रष्टाचार पर कार्यवाही क्यों नहीं हो पाती !
बड़ा से बड़ा भ्रष्टाचार करने वाला नेता अच्छे ढंग से समझता है कि भ्रष्टाचार को संरक्षण सत्तापक्ष से अधिक और कहीं नहीं मिल सकता है इसलिए वो सरकार बदलते ही उन दलों में चले जाते हैं जो सरकार में होते हैं इससे उन पर कभी न तो कोई जाँच हो पाती है और न ही कार्यवाही ! बर्बाद करने वाले रणबाँकुरे अब भागने लगे सत्तासीन दलों की ओर !अब उन्हें बर्बाद करेंगे !
राजनैतिक पार्टियों को बर्बाद करने वाले सत्तालु लोग भागते हैं सत्ता की ओर !
उनकी मक्खनवाजी करते हैं जिनके पास सत्ता है वस्तुतः ये मूल्य विहीन , सिद्धांत विहीन ,नैतिकता विहीन सेवा भावना विहीन लोग होते हैं जिनकी निष्ठा किसी के प्रति नहीं होती ये सत्ता के घाघ होते हैं इन्हें सत्ता को भोगना आता है इन्हें चाटुकारिता की वो भाषा पता होती है जिस भाषारूपी बीन वानी पर सत्ता के मद में मतवाला मनियार सर्प झूम उठता है ! और उन भ्रष्टाचारियों पर फुंकार मारना बंद कर देता है !
चुनाव प्रचार कार्य का मतलब विरोधियों की निंदा !किन्तु ऐसा क्यों ?
नियमतः चुनाव प्रचार में अपनी एवं अपनी पार्टी की भावी योजनाएँ समाज को
बतानी चाहिए पहले के किए गए अपने अच्छे काम गिनाने चाहिए ! प्रायः ऐसा ही
करते रहे हैं किंतु काम करने के जिन मक्कारों के इरादे ही न हों और और जिन
कामचोरों ने जनसेवा या विकास संबंधी कभी कोई काम किए ही न हों ऐसे लोग
जनता का ध्यान भटकाने के लिए औरों की ही निंदा किया करते हैं क्योंकि अपने
विषय में बताने के लिए उन बेचारों के पास कुछ होता ही नहीं है ।
बिहार चुनावों में आजकल काँग्रेस की निंदा कोई नहीं कर रहा है आखिर क्यों !
जो जिसकी निंदा करे समझ लो कि ये
इससे डर रहा है किंतु काँग्रेस से आज कोई नहीं डर रहा है !
बिना पैसे के चुनाव कैसे लड़ें !
जिसका मन तो चुनाव लड़ने का हो किन्तु पैसे पास न हों वो कैसे लड़े चुनाव !
चुनावी खर्च जुटाने के लिए कई लोग बाबा बन गए !आखिर कहाँ से लावें पैसा ?
चुनाव लड़ने में आजकल बहुत पैसा लगता है किंतु जिसके पास पैसा न हो उन्हें चुनाव लड़ने का उपाय !
पाँच साल तक कथा कीर्तन करके चन्दा इकट्ठा कर लो इसके बाद लड़ जाओ चुनाव!
जीत जाओ तो हार जाओ फिर कथा प्रवचन नाच गाना आदि आदि बहुत कुछ !
दो.जगज्जननि जगदम्बिके सरस्वती सुखदानि ।
कृपाकरहु हे कृपामयि सादर वीणापानि ॥
फेस बुक पर गाली लिखने वालों के लिए !
गधे हर किसी को गधा समझते हैं और कुत्ते हर किसी को कुत्ता किन्तु न हर कोई गधा होता है और न हर कोई कुत्ता ये समझने वाले की ना समझी होती है इसी तरह मूर्ख लोग अपने जैसा समझकर हर किसी को मूर्ख समझने लगते हैं इसी तरह आयुर्वेद को न वाले अपने जैसा…!
कश्मीर की समस्याओं के समाधान में इतनी रुकावटें क्यों आती है ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर हमेंशा से विवादित रहने पर भी हर किसी को इतना प्यारा क्यों है ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर का मोह छोड़ पाना किसी के लिए भी कठिन है ।see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
किसी सुंदरी स्त्री को पाने को चाहत की भाँति कश्मीर को पाने के लिए कितने लोग मार दिए गए कितने मर गए किन्तु कश्मीर किसका है किसी को नहीं पता !वैसे है तो भारत का किन्तु धारा 370 क्यों ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर में सरकार बनते बनते लटकी जा रही है !see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर का हर कुछ बीच में ही क्यों अटक जाता है ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर हमेंशा से विवादित क्यों रहा है ?see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर का भारत की ओर घूँघट और पाक की ओर इशारे !आखिर क्यों ? see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
इसी कश्मीर में नारद का बन्दर जैसा मुख हुआ था see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
इसी कश्मीर में भगवान को स्त्री विरह का शाप मिला था , see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
यहीं पर रुद्रगणों को राक्षस होने का शाप मिला था ये माया नगर कभी निर्विवाद नहीं रहा see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
कश्मीर में सरकार तो बनी किंतु चलेगी कब तक ! see more...http://bharatjagrana.blogspot.in/2014/12/blog-post_30.html
बलात्कार बंद करने के लिए कर क्या रही है सरकार ?
केवल कठोर कानूनों से बलात्कार बंद होने होते तो अबतक हो जाते ! अपराध सोचा मन से और किया तन से जाता है। अपराध करने पर लगाम लगाने के लिए तो कठोर कानूनों का सहारा लिया जा सकता है किन्तु आपराधिक सोच पर लगाम लगाने के लिए धर्म एवं संस्कृति के विस्तार के लिए क्या कर रही है सरकार ?
भारत का हिँदू
भारत का हिँदू जन्म से लेकर मृत्यु पर्यंत हिँदू संस्कृति की धार्मिक आस्थाओँ से जुड़े रहता हैँ।
ये धार्मिक आस्थाएं पुराणोँ द्वारा हिँदू जाति को निरंतर विचारोँ के सदप्रवाह से प्राप्त हुई हैँ।
वर्णाश्रम धर्म व्यवस्था, रजोवीर्य शुद्धिमूलक जातिभेद, सतीत्व धर्ममूलक
स्त्रीजाति की पवित्रता, प्रवृतिमूलक ब्रह्मचर्य, संवेदनशील गृहस्थाश्रम,
पूर्वजोँ का आदर, निर्बलोँ से स्नेह, निवृतिमूलक वानप्रस्थ एवं संन्यास,
परोपकार और दानवृति, अतिथि देवो भवः, पितृदेवो भवः और गुरुदेर्वो भवः की
अटूट आस्था, इष्ट के प्रति सर्मपण भाव,
सत्संग, सद्आचरण तथा दीनोँ के प्रति दया भाव जिस धर्म के अंग होँगे, व धर्म
पुराणोँ एवं संहिताओँ से प्राप्त अखंड भारत का सनातन हिँदू धर्म हैँ।
दो. मंगलमय बीते दिवस सुदिन सुमंगल होय ।
नृसिंह प्रभू की कृपा से दुःख पावहु जनि कोय ॥
बंधुओ ! आज धुलेठी पर्व की आप सबको बहुत बहुत बधाई !! आखिर क्यों मनाया जाता है धुलेठी पर्व ?
बंधुओ !इस त्यौहार की मर्यादा बनाए रखने में ही भलाई है अन्यथा कुछ विधर्मी लोग हमारे पर्वों को बदनाम करने के लिए कीचड़ कैमिकल आदि हानि कारक चीजें भी चलाने लगे हैं बहुत मजनूँ लोगों को तो यह त्यौहार केवल इसीलिए अधिक प्रिय है क्योंकि इस दिन वो लोग कुछ उन लोगों के उन अंगोपांगों को रंग लगाने के बहाने छू पाते हैं जिनके लिए वर्ष भर तरसा करते हैं ऐसे लोगों को तो न तो प्रह्लाद जी से कुछ लेना देना होता है न ही होलिका से उन्हें तो केवल अश्लील हरकतें करने के लिए ये दिन सबसे अधिक सुविधाजनक लगता है जो अशोभनीय है इससे अपने त्योहारों की गलत छवि विधर्मी see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/03/blog-post_10.html
बंधुओ ! आज धुलेठी पर्व की आप सबको बहुत बहुत बधाई !! आखिर क्यों मनाया जाता है धुलेठी पर्व ?
बंधुओ !इस त्यौहार की मर्यादा बनाए रखने में ही भलाई है अन्यथा कुछ विधर्मी लोग हमारे पर्वों को बदनाम करने के लिए कीचड़ कैमिकल आदि हानि कारक चीजें भी चलाने लगे हैं बहुत मजनूँ लोगों को तो यह त्यौहार केवल इसीलिए अधिक प्रिय है क्योंकि इस दिन वो लोग कुछ उन लोगों के उन अंगोपांगों को रंग लगाने के बहाने छू पाते हैं जिनके लिए वर्ष भर तरसा करते हैं ऐसे लोगों को तो न तो प्रह्लाद जी से कुछ लेना देना होता है न ही होलिका से उन्हें तो केवल अश्लील हरकतें करने के लिए ये दिन सबसे अधिक सुविधाजनक लगता है जो अशोभनीय है इससे अपने त्योहारों की गलत छवि विधर्मी see more....http://samayvigyan.blogspot.in/2015/03/blog-post_10.html
राष्ट्र के नैतिक जन जागरण के महान अभियान में चाहिए आप सबका योगदान !
अपने सभी प्रिय एवं आदरणीय मित्रों से चाहिए मुझे एक सलाह एवं सहयोग !
समाज में आज अनेकों प्रकार की समस्याएँ हर समस्या के समाधान के लिए हम लोग सरकारों की ओर ही क्यों देखते हैं क्या हम सब अपने में कुछ नहीं हैं हमारा अपना कोई आस्तित्व नहीं है क्या हमें अपने स्तर से कुछ नहीं करना चाहिए !
बंधुओ ! माना कि राजनीति बहुत कुछ है किन्तु सबकुछ नहीं है
यदि आप अच्छे विद्वान ,समझदार एवं उच्च कोटि के विचारक हैं और देश एवं समाज के लिए बहुत कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो अधिकांश राजनैतिक पार्टियाँ एवं राजनेता लोग हर संभव प्रयास करके आपको राजनीति में सक्रिय नहीं होने देंगे और यदि होने भी देंगे तो किसी ऐसी जगह फिट करेंगे जहाँ स्थापित रह कर धीरे धीरे आप नैतिक एवं वैचारिक रूप से नपुंसक होते चले जाएँ कुछ दिन आप
कुछ कामों में हम और आप
बंधुओ ! यदि संभव हो तो हम लोग आपस में एक दूसरे की वाल पर टैग करना बंद
करके एक ऐसे मंच की स्थापना कर लें जिसमें हम सभी लोग अपने अपने जीवित
विचारों का समाजहित आदान प्रदान करते रहें और एक दूसरे के मतों पर अपनी
अपनी राय देते रहें उसमें हमें और आपको जिसका जो विचार जितना समाज हित
में लगे वो अपनी इच्छानुशार उसे प्रोत्साहित करे !यह काम सबके प्रति अत्यंत
आत्मीय भावना पूर्वक आप सबकी सहमति से करना होगा ताकि किसी को भी अप्रिय न
लगे !अपने पुरुष मित्रों से निवेदन है कि अपने साथ जो बहने जुड़ी हैं
उनकी मर्यादा का भी पूरा सम्मान रखते हुए विचार व्यक्त किए जाएँ !
हम सभी लोगों को मिलजुलकर करना होगा एवं धार्मिक जगत में शास्त्रीय मूल्यों की स्थापना आदि के माध्यम से हम लोगों हमारा और आपका फेस बुक पर साथ साथ चला पाना कठिन होगा ! आपका साथ छोड़ने से हमारा नुक्सान होगा ! इसलिए आपका साथ चलने आप अपनी वाल पर लिखा करें मैं वहीँ पढ़ लूँगा !
हम सभी लोगों को मिलजुलकर करना होगा एवं धार्मिक जगत में शास्त्रीय मूल्यों की स्थापना आदि के माध्यम से हम लोगों हमारा और आपका फेस बुक पर साथ साथ चला पाना कठिन होगा ! आपका साथ छोड़ने से हमारा नुक्सान होगा ! इसलिए आपका साथ चलने आप अपनी वाल पर लिखा करें मैं वहीँ पढ़ लूँगा !
छठ पर्व पर आपको बधाई तथा सभी भक्तों एवं भगवान को प्रणाम !
छंद - छठ पर्व की पावन छटा पर हो बधाई आपको ।
सब सूर्य साधक साधिकाओं को न तृण संताप हो ॥
इस धर्म व्रत की महा महिमा मानते ते धन्य हैं ।
ऐसे तपस्वी नारि नर सब भाँति पूत प्रणम्य हैं ॥
ईश्वर करे इनके लिए दिन दिन महा मंगल मिले ।
भगवान ऐसी कृपा करना हर समस्या हल मिले ॥
पूर्वांचली मम बंधु भगिनी हैं समर्पित धर्म को ।
भक्त दिनकर के दुलारे जानते इस मर्म को ॥
दो. कृपा करो हे दिवसकर फूलै फलै बिहार ।
भक्तन्ह को कीजै भला सुखी होय संसार ॥
लेखक -डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
हिन्दू मंदिरों में साईं पहुंचे आखिर कैसे !किसी चर्च,मस्जिद,या गुरुद्वारा में क्यों नहीं ?
ईसाई लोगों का बाइबल अंग्रेजी भाषा में है इसलिए वो अंग्रेजी पढ़ते हैं जिससे बाइबल पढ़ते और समझते हैं ।
मुस्लिम लोगों का कुरान उर्दू भाषा में है इसलिए वो उर्दू पढ़ते हैं जिससे कुरान पढ़ते और समझते हैं ।
सिक्ख लोगों का पवित्र गुरुग्रंथ साहब पंजाबी भाषा में है इसलिए वो पंजाबी पढ़ते हैं जिससे गुरुग्रंथ साहब पढ़ते और समझते हैं ।
सनातनधर्मी हिन्दुओं के वेद आदि पवित्र ग्रन्थ संस्कृत भाषा में
हैं किंतु हिन्दू लोग संस्कृत भाषा पढ़ते नहीं हैं इसलिए वे न वेद समझ पाते
हैं न पुराण न गीता न भागवत ! इसीलिए उन्हें उनके धर्म के नाम पर कोई कुछ
भी सिखा समझाकर चला जाता है इसीलिए हिन्दुओं के धर्म स्थलों मंदिरों
में कोई किसी की मूर्ति लगाकर चला जाता है कोई किसी की और कह देता है
संस्कृत भाषा न पढ़ने के कारण तुम्हें तुम्हारे धर्म का ज्ञान नहीं है इसलिए
भोगो इसका पाप और अपने सक्षम देवी देवताओं की उपस्थिति में भी अपने
मंदिरों में ही पूजो साईं बुड्ढे को !अगले जन्म में जब संस्कृत पढ़ोगे तब
पता लगेगा कि अपने देवी देवताओं को छोड़कर साईं को पूजकर कितना बड़ा पाप
किया है तब करना पड़ेगा इसका प्रायश्चित्त !
दो. विद्वानों के दास ही होते हैं विद्वान ।
विद्वद सेवा के बिना कैसे संभव ज्ञान ॥
जन्म दिन के शुभ अवसर पर -
बंधुओ ! प्रणाम प्रथम मेरा इस अवसर पर स्वीकार करो।
अभिभूत आपके भावों से उन्नत प्रेरणा प्रदान करो ॥
सबके प्रति आदर भाव मेरा शास्त्रों के पथ का राही हूँ ।
धार्मिक पाखंडों के खंडन करने का नम्र सिपाही हूँ ॥
यह 'वाजपेयी' रूपी जीवन सबके आशीषों का प्रतीक ।
आशीर्वाद से स्वजनों के सन्मार्ग मिले पग पढ़ें ठीक ॥
बंधुओ !कृतज्ञ भावना से पढ़ता हूँ मित्रों सबके सँदेश ।
बहनों का भी सहयोग यहाँ पाता रहता हूँ मैं विशेष ॥
आप सभी सुधी स्वजनों के प्रति सादर श्रद्धावनत
-आपका अपना 'वाजपेयी '
होली रंगों का त्यौहार है न कि नंगों का !
बंधुओ !कुछ भाई बहन होली के नाम पर अश्लीलता फैला रहे हैं नग्न चित्रों पर रंग लगाकर टैग कर रहे हैं ऐसे हिन्दू पर्व द्रोहियों का बहिष्कार कीजिए !
दो. दीवाली पावन परम पर्व मनोहर मानि ।
मेरी हैं शुभ कामना सुहृद्भाव पहचानि ॥
महाराष्ट्र में गो हत्या पर प्रतिबंध होली की सबसे बड़ी सौगात !
भारत वर्ष अहिंसा पूजक क्या युद्धों से डरता है ।
हिंसक पर्व पृथा वालों से आश शान्ति की करता है ॥
केर बेर का साथ चलेगा कब तक कैसे हो त्योहार ।
पशुओं से क्यों छीना जाए उनके जीने का अधिकार ॥
जियो और जीने दो सबको सबका हो आपस में प्यार ।
सारी धरती अपना आँगन सारा जग अपना परिवार ॥
सबको ख़ुशी बाँट सकते हो सबसे कर सकते हो प्यार ।
सबके दुःख कम करके देखो ऐसे दिन होते त्यौहार
-डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
जो कुतर्क करते हैं कि ज्योतिष के द्वारा बताए गए समय में श्री राममंदिर न बन सका तब ज्योतिष का क्या होगा ?उनके लिए सादर समर्पित -
कोई निःसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए अपनी पत्नी का इलाज करवाने के लिए किसी डाक्टर के पास जाए इसका मतलब ये कतई नहीं होता कि वो डाक्टर ही पुत्र पैदा करके दे देगा !यदि वो पुरुष ऐसी आशा करता है तो निंदनीय है अरे !पुरुष भी तो नपुंसक हो सकता है तो संतान कैसे होगी ?इसका इलाज तो उसे अलग से ही करवाना पड़ेगा !
इसलिए किस कार्य के लिए कौन समय कब अनुकूल होगा ज्योतिष शास्त्र केवल इसकी सूचना देता है जीवन में ऐसे शुभ समयों को ब्यर्थ में गँवा कर ऐसे अकर्मण्य कायर कामचोर लोग केवल ज्योतिषियों के भरोसे पड़े पड़े अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। ऐसे में ज्योतिष का तो कुछ होता नहीं है उनके सारे करम हो जाते हैं ।
सृष्टि के हम सभी जीव आपस में भाई भाई हैं !
पशु भाइयों को ही चारा(भोजन) मानने वाले विकृत भाई चारे के प्रतीक किसी भी उत्सव पर्व पार्टी की हम निंदा करते हैंबेजुबान दूसरे जीवों के गला काटकर हम अपनों से गले मिलें इन कुकर्मों को भाईचारे का त्योहार बताया जाए हम अपने त्यौहार नहीं मना सकते !
ज्योतिषी बनना और ज्योतिष पढ़कर ज्योतिषी होना दोनों शब्दों में अंतर है ! आजकल ज्योतिष को बिना पढ़े समझे भी लोग अपने को ज्योतिषी वास्तुविद आदि बहुत कुछ कहते चले जा रहे हैं ज्योतिष के नाम पर जो मन आ रहा है वो बक रहे हैं बिना शिर पैर के उपाय बता रहे हैं जिनका ज्योतिष ग्रंथों से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं हैं ये उसी सन्दर्भ में लिखा गया एक व्यंग लेख है जिसे ज्योतिष पढ़े लिखे लोग तो समझ सकते हैं हिंदी पढ़े लिखे लोग भी समझ सकते हैं बाकी लोग यदि अभिप्रायार्थ समझने में सक्षम न हों उसमें हमारा क्या दोष है हम तो लिख ही सकते हैं कम से कम कुछ बुद्धि पढने वाले भी लगावें तब तो बात समझाई जा सकती है !किन्तु ज्योतिष को शास्त्रीय ढंग से जानने समझने वाले लोगों की संख्या आज बहुत कम है इसी प्रकार से शास्त्रीय ज्योतिष को समझने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम है ज्योतिष को शास्त्रीय ढंग से पढ़ने लिखने वाले विद्वानों की पीड़ा आखिर कौन समझेगा ! बंधुओ ! हम हर किसी की बात का जवाब नहीं दे सकते ! हाँ ,सुशिक्षित हर किसी की शैक्षणिक प्रोफाइल हम पहले चेक करते हैं जिनकी शास्त्रीय शिक्षा होती है उन्हीं की बातों का जवाब मैं जरूर देने का प्रयास करता हूँ शेष सभी लोगों से राम !!
साईं नाम से शिरडी संस्थान में केवल दो ही काम होते हैं!
पहला काम केवल लड्डू बनाए और बेचे जाते हैं दूसरा काम चन्दा इकठ्ठा किया जाता है वहाँ धर्म जैसा आडम्बर करके धर्म का धंधा जरूर किया जाता है किन्तु धर्म नाम की कोई चीज नहीं है !साईं के यहाँ धर्म को न किसी ने पढ़ा है और न समझा है केवल धन इकठ्ठा करने किए बिना शिर पैर वाले साईं जैसे काल्पनिक पात्रों की मूर्तियाँ बनवाकर मंदिरों में देवी देवताओं की तरह पुजने पुजाने का ड्रामा करना ही साईं संस्थान का काम है जो ठीक नहीं है !
जब नेताओं से उठने बैठने बोलने
देश के प्रधान मंत्री श्री मोदी जी आपकी विनम्रता शालीनता के लिए आपको बहुत बहुत बधाई !
कुछ राजनेताओं की मजबूरी गंदा बोलना, इसमें उनका दोष भी क्या है उन बेचारों को पता ही नहीं होता है कि वो बोल क्या रहे हैं , क्या सोचकर बोल रहे हैं ,उनके मुख से निकल क्या रहा है जबकि वो कहना क्या चाह रहे हैं और जोकुछ भी वो कह रहे हैं उसका अर्थ क्या निकल रहा है आदि आदि बातों के भ्रम राजनैतिक समाज में हैं
रावण से साईं की क्या तुलना !
सनातनधर्मी लोग अपने मंदिरों में रावण की प्रतिमालगाकर उसे तो पूज सकते हैं किन्तु साईं को नहीं !क्योंकि रावण का वर्णन तो हमारे धर्म ग्रंथों रामायणों में मिलता है साईं का कहीं अता पता ही नहीं है ये भी नहीं पता कि साईं नाम का भरम डाला किसने क्योंकि इस नाम से कभी कहीं कोई व्यक्ति हुआ हो ऐसा तो बर्णन ही नहीं मिलता है इस नाम से कभी कोई संत भी नहीं हुआ अन्यथा उसका संत इतिहास में तो इनका नाम होता ! किन्तु ये तो " मान न मान मैं तेरा मेहमान" !
कहाँ रावण कहाँ साईं ! गए दोनों विजय दशमी के दिन ही रावण गया किन्तु साईं ले जाए गए !
बलिष्ठा कर्मणां गतिः (कर्मों की गति बड़ी बलवान होती है)
बंधुओ ! प्रणाम प्रथम मेरा इस अवसर पर स्वीकार करो।
अभिभूत आपके भावों से उन्नत प्रेरणा प्रदान करो ॥
सबके प्रति आदर भाव मेरा शास्त्रों के पथ का राही हूँ ।
धार्मिक पाखंडों के खंडन करने का नम्र सिपाही हूँ ॥
यह 'वाजपेयी' रूपी जीवन सबके आशीषों का प्रतीक ।
आशीर्वाद से स्वजनों के सन्मार्ग मिले पग पढ़ें ठीक ॥
बंधुओ !कृतज्ञ भावना से पढ़ता हूँ मित्रों सबके सँदेश ।
बहनों का भी सहयोग यहाँ पाता रहता हूँ मैं विशेष ॥
आप सभी सुधी स्वजनों के प्रति सादर श्रद्धावनत
-आपका अपना 'वाजपेयी '
होली रंगों का त्यौहार है न कि नंगों का !
बंधुओ !कुछ भाई बहन होली के नाम पर अश्लीलता फैला रहे हैं नग्न चित्रों पर रंग लगाकर टैग कर रहे हैं ऐसे हिन्दू पर्व द्रोहियों का बहिष्कार कीजिए !
दो. दीवाली पावन परम पर्व मनोहर मानि ।
मेरी हैं शुभ कामना सुहृद्भाव पहचानि ॥
महाराष्ट्र में गो हत्या पर प्रतिबंध होली की सबसे बड़ी सौगात !
भारत वर्ष अहिंसा पूजक क्या युद्धों से डरता है ।
हिंसक पर्व पृथा वालों से आश शान्ति की करता है ॥
केर बेर का साथ चलेगा कब तक कैसे हो त्योहार ।
पशुओं से क्यों छीना जाए उनके जीने का अधिकार ॥
जियो और जीने दो सबको सबका हो आपस में प्यार ।
सारी धरती अपना आँगन सारा जग अपना परिवार ॥
सबको ख़ुशी बाँट सकते हो सबसे कर सकते हो प्यार ।
सबके दुःख कम करके देखो ऐसे दिन होते त्यौहार
-डॉ. शेष नारायण वाजपेयी
जो कुतर्क करते हैं कि ज्योतिष के द्वारा बताए गए समय में श्री राममंदिर न बन सका तब ज्योतिष का क्या होगा ?उनके लिए सादर समर्पित -
कोई निःसंतान दंपति संतान प्राप्ति के लिए अपनी पत्नी का इलाज करवाने के लिए किसी डाक्टर के पास जाए इसका मतलब ये कतई नहीं होता कि वो डाक्टर ही पुत्र पैदा करके दे देगा !यदि वो पुरुष ऐसी आशा करता है तो निंदनीय है अरे !पुरुष भी तो नपुंसक हो सकता है तो संतान कैसे होगी ?इसका इलाज तो उसे अलग से ही करवाना पड़ेगा !
इसलिए किस कार्य के लिए कौन समय कब अनुकूल होगा ज्योतिष शास्त्र केवल इसकी सूचना देता है जीवन में ऐसे शुभ समयों को ब्यर्थ में गँवा कर ऐसे अकर्मण्य कायर कामचोर लोग केवल ज्योतिषियों के भरोसे पड़े पड़े अपनी जिंदगी बर्बाद कर लेते हैं। ऐसे में ज्योतिष का तो कुछ होता नहीं है उनके सारे करम हो जाते हैं ।
सृष्टि के हम सभी जीव आपस में भाई भाई हैं !
पशु भाइयों को ही चारा(भोजन) मानने वाले विकृत भाई चारे के प्रतीक किसी भी उत्सव पर्व पार्टी की हम निंदा करते हैंबेजुबान दूसरे जीवों के गला काटकर हम अपनों से गले मिलें इन कुकर्मों को भाईचारे का त्योहार बताया जाए हम अपने त्यौहार नहीं मना सकते !
ज्योतिषी बनना और ज्योतिष पढ़कर ज्योतिषी होना दोनों शब्दों में अंतर है ! आजकल ज्योतिष को बिना पढ़े समझे भी लोग अपने को ज्योतिषी वास्तुविद आदि बहुत कुछ कहते चले जा रहे हैं ज्योतिष के नाम पर जो मन आ रहा है वो बक रहे हैं बिना शिर पैर के उपाय बता रहे हैं जिनका ज्योतिष ग्रंथों से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं हैं ये उसी सन्दर्भ में लिखा गया एक व्यंग लेख है जिसे ज्योतिष पढ़े लिखे लोग तो समझ सकते हैं हिंदी पढ़े लिखे लोग भी समझ सकते हैं बाकी लोग यदि अभिप्रायार्थ समझने में सक्षम न हों उसमें हमारा क्या दोष है हम तो लिख ही सकते हैं कम से कम कुछ बुद्धि पढने वाले भी लगावें तब तो बात समझाई जा सकती है !किन्तु ज्योतिष को शास्त्रीय ढंग से जानने समझने वाले लोगों की संख्या आज बहुत कम है इसी प्रकार से शास्त्रीय ज्योतिष को समझने वाले लोगों की संख्या भी बहुत कम है ज्योतिष को शास्त्रीय ढंग से पढ़ने लिखने वाले विद्वानों की पीड़ा आखिर कौन समझेगा ! बंधुओ ! हम हर किसी की बात का जवाब नहीं दे सकते ! हाँ ,सुशिक्षित हर किसी की शैक्षणिक प्रोफाइल हम पहले चेक करते हैं जिनकी शास्त्रीय शिक्षा होती है उन्हीं की बातों का जवाब मैं जरूर देने का प्रयास करता हूँ शेष सभी लोगों से राम !!
व्यंजना साहित्य की एक विधा है जिसे मजाक नहीं कहा जा सकता ! अभिधा
,लक्षणा और व्यंजना इनमें से किसी का आश्रय लेकर कोई लेख लिख जा सकता है
! जहाँ तक बात शास्त्रीय विषयों की है इसमें किसी भी प्रकार का पाखण्ड
बर्दाश्त नहीं किया जा सकता चूँकि ज्योतिष विज्ञान है धर्म नहीं और
विज्ञान नियमों सिद्धांतों से चलता है भावुकता आदि से नहीं ! जहाँ तक
हमारे लेख में ज्योतिष पर व्यंग हो इसका सवाल ही नहीं उठता अब अगर किसी के
समझ में न आवे तो मैं क्या कर सकता हूँ मैं कल्पित ज्योतिषी नहीं हूँ
मुझे अपनी सीमाओं की समझ है जिनका मैं कभी अतिक्रमण नहीं करता , ज्योतिष
शास्त्र के लिए जीवन दिया है इसलिए ज्योतिष शास्त्र को भड़भूजों से
बचाकर रखना हमारा नैतिक दायित्व है जिसका मैं पालन कर रहा हूँ मेरा
मानना है कि जिसने ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन किया होगा वो ज्योतिष के नाम
पर चलाई जाने वाली धोखाधड़ी जैसी छीछालेदर जब देखता है ! उसे जो पीड़ा होती
है उसी को मैं विभिन्न विधाओं से प्रकट किया करता हूँ जिसे समझ में आवे
सो समझ ले जिसे न आवे उसे राम राम !
गोबर्धन पूजा के पावन पर्व पर बधाई समस्त प्राणियों को !
गोबर्धन पूजा के पावन पर्व पर बधाई समस्त प्राणियों को !
संत होकर व्यापार करने से एक व्यवस्था भंग होती है केवल इसलिए गलत है !
किसी भी व्यक्ति के लिए संभव हो तो वर्ण व्यवस्था का पालन करे न संभव
हो तो समाज के द्वारा बनाई गई किसी व्यवस्था को तो अंगीकार करना ही चाहिए
और उसके अनुशार चलना चाहिए ताकि सम्पूर्ण समाज नियमानुशार विधि विधान
पूर्वक चलता रहे !
आपने सुना होगा बिहार के शिक्षक मटुकनाथ और एक लड़की के बीच गुरु -शिष्या
जैसा पवित्र सम्बन्ध था और उनका अपनी पत्नी के साथ पति पत्नी जैसा
सर्वस्वीकृत सम्बन्ध था किन्तु समस्या तब पैदा हुई जब मटुकनाथ उस शिष्या से
सेक्स संबंधों में न केवल संलिप्त हुए अपितु उससे प्रेम विवाह किया !
बंधुओ ! यहाँ सोचना ये पड़ता है कि वो केवल एक लड़की नहीं अपितु उनकी
शिष्या थी और शिष्या पुत्रीवत होती है और यदि पुत्री से भी बासनात्मक
सम्बन्ध बनाए जाने लगें तो ऐसे पापी पुरुषों और पशुओं में क्या अंतर है !
इसका अन्य शिक्षकों पर या प्रभाव पड़ा होगा !अन्य युवावर्ग पर क्या असर हुआ
होगा ! इसके साथ ही एक बड़ा पक्ष इन दोनों लोगों के परिवार वालोंको कितनी
सामजिक जलालत झेलनी पड़ी होगी जिन बेचारों का कोई दोष ही नहीं था !
साईं की भक्ति कुत्ते की पूँछ की तरह है !
जैसे कुत्ता अपनी पूछ से तो अपने गुप्तांग छिपा सकता है और न ही अपनी शरीर में काटने वाले मक्खी मच्छर ही भगा सकता है !
यही साईं भक्तों का हाल है यदि वो साईं को भगवान मानते हैं तो साईं का न
कोई इतिहास है न भूगोल न कोई शिक्षा न सभ्यता न कोई नियम न संयम न सदाचार न
सामाजिक कोई योगदान यहाँ तक कि अंग्रेजों से भयभीत साईं आजादी
की लड़ाई से नदारद रहे न जाने कहाँ पानी से दीपक जलाते रहे और जलाते भी रहे
या नहीं कौन वहाँ देखने गया था उनके आसपास झुट्ठों का जमघट रहता ही है
जैसे आज झूठ मूठ का साईं संध्या ,जागरण ,साईं जन्म मरण आदि सब कुछ मना रहे
हैं वैसे ही पहले भी यही सब कुछ करते रहे होंगे बस केवल एक बात कि वो
पानी से दीपक जला लेते इसका भी क्या पता कितनी सच है कितनी झूठ !और यदि जला
भी लेते हों तो जनता के किस काम का ,इससे मिटटी का तेल उनका बचा होगा आम
जनता को इससे क्या लेना देना ! हाँ आजादी की लड़ाई में कुछ मदद करते तो कुछ
बात समझ में आती भी ,खैर ! इन्हीं सब झूठ साँच को ध्यान में रखते हुए साईं
वाले भी साईं पर भरोसा नहीं करते हैं इसलिए वो न केवल श्री राम से भी
चिपके रहना चाहते हैं अपितु साईं को भी श्री राम से चिपका कर रखना चाहते
हैं इसीलए तो साईं के नाम में भी श्री राम के नामको बिल्डिंग करा रखा है !
ये साईं वाले धार्मिक मनोरंजन तो साईं के साथ करना चाहते हैं किन्तु
भरोसा श्री राम पर ही करते हैं । साईं वालों की अजीब दुविधा है जिसकी पूजा
करते हैं उस पर भरोसा नहीं करते और जिन पर भरोसा करते हैं उन्हें पूजने
से मन ऊभ गया है ।
साईं को भगवानों की तरह क्यों पूजने लगे लोग ?
सभी प्रकार के पाप छोड़कर शुद्ध मन से भगवानों की पूजा करनी होती है क्योंकि वे देवी देवता कहते हैं कि चोरी छिनारा हत्या बलात्कार आदि पाप छोड़ कर हमारी पूजा करो तो लाभ मिलेगा !
इस पर साईं वालों ने नया नारा दिया कि पाप करते रहे और बाबा के पास आते रहो क्योंकि बाबा बहुत दयालू हैं यह सुनते ही पाप की कमाई से कालाधन नीलाधन हराधन गुलाबीधन आदि रखने वाले पापप्रिय लोग सारे अपराधों में संलिप्त रहते हुए भी साईं पत्थरों पर चढाने लगे सोने चाँदी के मुकुट हार पादुकाएं आदि आदि और भी बहुत कुछ !ऊपर से कहते हैं यहाँ तो चढ़ावा बहुत आता है किन्तु कैसा आता है यह नहीं बताते देने वालों की संपत्ति स्रोतों की एक बार यदि ईमानदारी पूर्वक जाँच हो जाए तो न केवल सारे दाँत बाहर आ जाएँ अपितु काला, नीला, हरा और गुलाबी आदि सभी प्रकार का धन मिनटों में खटाखट गिरने लगेगा !और सबको पता लग जाएगा कि बाबा कितने बड़े दयालू हैं !
देवी देवताओं को सस्पेंड करके साईं पत्थर फिट करने की हरकतों का विरोध आमरण चलेगा !
बंधुओ ! ये भटके हुए लोग बुड्ढे की प्रशंसा और प्रचार प्रसार में ऐसे ऐसे तर्क देते हैं जो किसी जी भी जीवित व्यक्ति के गले नहीं उतरते हैं ,आप स्वयं सोचिए बाबा बड़े दयालू हैं तो कृपासिंधु श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवता क्या दयालू नहीं हैं ! साईं वाले ये निरक्षर भट्टाचार्य लोग वेद शास्त्र अभी सम्मत एवं वेद मन्त्रों के द्वारा पीढ़ियों से पुजते चले आ रहे श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवताओं को सस्पेंड करना चाह रहे हैं और वहाँ साईं पत्थरों को फिट करना चाह रहे हैं !ऐसे टुच्चे लोगों की ऐसी वेद शास्त्र निन्दित घिनौनी हरकतों को क्या सह जाएगा सनातन धर्मी हिन्दू समाज !
जो श्री राम को छोड़ कर साईंराम का हो गया वो हिंदू किस बात का !
साईं को भगवानों की तरह क्यों पूजने लगे लोग ?
सभी प्रकार के पाप छोड़कर शुद्ध मन से भगवानों की पूजा करनी होती है क्योंकि वे देवी देवता कहते हैं कि चोरी छिनारा हत्या बलात्कार आदि पाप छोड़ कर हमारी पूजा करो तो लाभ मिलेगा !
इस पर साईं वालों ने नया नारा दिया कि पाप करते रहे और बाबा के पास आते रहो क्योंकि बाबा बहुत दयालू हैं यह सुनते ही पाप की कमाई से कालाधन नीलाधन हराधन गुलाबीधन आदि रखने वाले पापप्रिय लोग सारे अपराधों में संलिप्त रहते हुए भी साईं पत्थरों पर चढाने लगे सोने चाँदी के मुकुट हार पादुकाएं आदि आदि और भी बहुत कुछ !ऊपर से कहते हैं यहाँ तो चढ़ावा बहुत आता है किन्तु कैसा आता है यह नहीं बताते देने वालों की संपत्ति स्रोतों की एक बार यदि ईमानदारी पूर्वक जाँच हो जाए तो न केवल सारे दाँत बाहर आ जाएँ अपितु काला, नीला, हरा और गुलाबी आदि सभी प्रकार का धन मिनटों में खटाखट गिरने लगेगा !और सबको पता लग जाएगा कि बाबा कितने बड़े दयालू हैं !
देवी देवताओं को सस्पेंड करके साईं पत्थर फिट करने की हरकतों का विरोध आमरण चलेगा !
बंधुओ ! ये भटके हुए लोग बुड्ढे की प्रशंसा और प्रचार प्रसार में ऐसे ऐसे तर्क देते हैं जो किसी जी भी जीवित व्यक्ति के गले नहीं उतरते हैं ,आप स्वयं सोचिए बाबा बड़े दयालू हैं तो कृपासिंधु श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवता क्या दयालू नहीं हैं ! साईं वाले ये निरक्षर भट्टाचार्य लोग वेद शास्त्र अभी सम्मत एवं वेद मन्त्रों के द्वारा पीढ़ियों से पुजते चले आ रहे श्री राम,श्री कृष्ण,श्री शिव जी एवं श्री दुर्गा आदि देवी देवताओं को सस्पेंड करना चाह रहे हैं और वहाँ साईं पत्थरों को फिट करना चाह रहे हैं !ऐसे टुच्चे लोगों की ऐसी वेद शास्त्र निन्दित घिनौनी हरकतों को क्या सह जाएगा सनातन धर्मी हिन्दू समाज !
जो श्री राम को छोड़ कर साईंराम का हो गया वो हिंदू किस बात का !
साईं व्यापारियों को इस धोखे में नहीं रहना चाहिए कि कलियुग के प्रभाव के
कारण लोग श्री राम कृष्ण आदि देवी देवताओं को भूल जाएँगे और साईं जैसे भूत
प्रेतों को पूजने लगेंगे ! अपने देवी देवताओं के प्रति सनातन धर्मी
हिन्दुओं का समर्पण इतना अधिक है कि जब जब उनके सम्मान स्वाभिमान पर आँच
आती है तब तब हिंदू बेचैन हो उठता है अाखिर अभी अयोध्या आंदोलन को बहुत
वर्ष नहीं बीते हैं सरकारों के छक्के छुड़ा दिए थे राम भक्तों ने ,सारा
भारतवर्ष रोड़ों पर उमड़ पड़ा था विश्व के विराट फलक पर असंख्य बार प्रमाणित
हो चुका है कि किसी भी कीमत में अपने देवी देवताओं की प्रतिष्ठा से समझौता
सनातन धर्मी हिन्दू नहीं कर सकते ! जैसे अगर कोई अपना बाप बदल ले तो उसका
खानदान अपने आप ही बदल जाता है वो अलग से बदलना नहीं पड़ता !ठीक इसी प्रकार
से जो अपना ईश्वर बदल ले उसे अपना धर्म बदलना नहीं पड़ता है वो अपने आप ही
बदल जाता है ! इसलिए जो श्री राम को छोड़ कर साईंराम का हो गया वो हिंदू किस बात का !
साईं नाम से शिरडी संस्थान में केवल दो ही काम होते हैं!
पहला काम केवल लड्डू बनाए और बेचे जाते हैं दूसरा काम चन्दा इकठ्ठा किया जाता है वहाँ धर्म जैसा आडम्बर करके धर्म का धंधा जरूर किया जाता है किन्तु धर्म नाम की कोई चीज नहीं है !साईं के यहाँ धर्म को न किसी ने पढ़ा है और न समझा है केवल धन इकठ्ठा करने किए बिना शिर पैर वाले साईं जैसे काल्पनिक पात्रों की मूर्तियाँ बनवाकर मंदिरों में देवी देवताओं की तरह पुजने पुजाने का ड्रामा करना ही साईं संस्थान का काम है जो ठीक नहीं है !
जब नेताओं से उठने बैठने बोलने
देश के प्रधान मंत्री श्री मोदी जी आपकी विनम्रता शालीनता के लिए आपको बहुत बहुत बधाई !
साध्वी के विषय में लोकसभा में बोले मोदी, ' गांव से हैं माफ कर दो'--अमर उजाला
मोदी जी !जैसे विनम्र एवं शालीन नेताओं की ही जरूरत है देश को ,जिसे क्षमा
माँगने में शर्म नहीं आती है ।चुनावों के समय भी मोदी जी के धैर्य को देश
ने देखा है जिनके लिए विरोधी पार्टियों के कुछ नेताओं ने कुत्ता, गधा,
नीच, मौत का सौदागर,हत्यारा आदि जैसे अत्यंत निंदनीय शब्दों का प्रयोग
किया किन्तु मोदी जी ने उनका जवाब या तो दिया नहीं या फिर शालीनता पूर्वक
दिया था , जब उन्हें एक नेता ने कुत्ते का बड़ा भाई कहा इस पर एक निजी टीवी
चैनल के पत्रकार ने जब उनसे प्रतिक्रिया पूछी तो उन्होंने कहा कि कुत्ता
बफादार होता है हो सकता है उन्होंने देश के प्रति हमारी बफादारी देखकर ऐसा
कहा हो !
बंधुओ ! प्रधान मंत्री होने के नाते संसद चलाने के लिए जीतनी जिम्मेदारी
सरकार की होती है उतनी ही विपक्ष की भी होती है यदि सरकारी पक्ष के मुखिया
होने के नाते मोदी जी "साध्वी के विषय में लोकसभा में बोले मोदी, ' गांव से
हैं माफ कर दो'" ऐसा कह सकते हैं तो संसद का गतिरोध तोड़ने के लिए विपक्ष
अपने दायित्व का निर्वाह क्यों नहीं कर रहा है !
कुछ राजनेताओं की मजबूरी गंदा बोलना, इसमें उनका दोष भी क्या है उन बेचारों को पता ही नहीं होता है कि वो बोल क्या रहे हैं , क्या सोचकर बोल रहे हैं ,उनके मुख से निकल क्या रहा है जबकि वो कहना क्या चाह रहे हैं और जोकुछ भी वो कह रहे हैं उसका अर्थ क्या निकल रहा है आदि आदि बातों के भ्रम राजनैतिक समाज में हैं
साध्वी माफी माँग चुकी हैं संसद को चलने दें -मोदी -IBN -7
किंतु प्रधान मंत्री जी ! माफी की बात तो अलग है मुख्यबात तो साध्वी से
यह पूछी जानी चाहिए कि उन्होंने हरामजादा कहा किसे है ! उनका इशारा था किसकी
ओर ! दूसरी बात उनके ऐसा कहने का प्रयोजन क्या था ! तीसरी बात उन्हें
हरामजादा का मतलब पता भी था क्या क्योंकि आजकल नेता और साधू शिक्षा की
दृष्टि लगभग ब्रह्मचारी ही होते है बड़ी बिडम्बना है कि शास्त्रीय ज्ञान
रखने वाले साधुओं की संख्या एवं संविधान की जानकारी रखने वाले नेताओं की
संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है इसका प्रमुख कारण ज्ञानी चरित्रवान तपस्वी
साधुओं का सम्मान और चरित्रवान नेताओं का सम्मान दिनोंदिन घटता जा रहा है
। इसलिए शिक्षित लोगों की शार्टेज राजनीति और सधुअई दोनों जगह है फिर
नेताओं की बातों का बुरा क्यों मानना !सब अपने ही हैं !
हाफिज सईद ने दी भारत को बर्बाद करने की धमकी - अमर उजाला
बंधुओ ! अत्याचारियों के ऐसे आक्रामक बयानों का हो न हो कोई आधार ही हो और
इसके लिए इन लोगों ने कुछ तयारी भी कर रखी हो इसलिए सत्ता पक्ष और विपक्ष
को मिलजुलकर ऐसी बातों पर विचार करना चाहिए !जबकि इस समय विपक्ष एक संसद
सदस्या साध्वी के बया न के पीछे पड़ा हुआ है !अगर यही करना है तो हाफिज के
बयान के पीछे क्यों नहीं पड़ते जिसने भारत को बर्बाद करने की धमकी दी है
क्या वो उतना बुरा नहीं लगा है जितना साध्वी का बयान ! विपक्ष यदि चुनाव
में पराजित हुआ है तो अपने समय को संसद की कार्य वाही रोक कर ही पास करेगा
क्या !
रावण से साईं की क्या तुलना !
सनातनधर्मी लोग अपने मंदिरों में रावण की प्रतिमालगाकर उसे तो पूज सकते हैं किन्तु साईं को नहीं !क्योंकि रावण का वर्णन तो हमारे धर्म ग्रंथों रामायणों में मिलता है साईं का कहीं अता पता ही नहीं है ये भी नहीं पता कि साईं नाम का भरम डाला किसने क्योंकि इस नाम से कभी कहीं कोई व्यक्ति हुआ हो ऐसा तो बर्णन ही नहीं मिलता है इस नाम से कभी कोई संत भी नहीं हुआ अन्यथा उसका संत इतिहास में तो इनका नाम होता ! किन्तु ये तो " मान न मान मैं तेरा मेहमान" !
कहाँ रावण कहाँ साईं ! गए दोनों विजय दशमी के दिन ही रावण गया किन्तु साईं ले जाए गए !
बलिष्ठा कर्मणां गतिः (कर्मों की गति बड़ी बलवान होती है)
दशहरा पर्व शिर्ड़ी साईं बाबा और रावण बाबा दोनों का ही निर्वाण दिवस है रावण भी अपने को पुजाना चाहता था और साईं ने भी अपने गिरोह के सदस्यों को ऐसी ही सीख दे कर गए हैं अंतर इतना है रावण विद्वान था तपस्वी था पराक्रमी था और भगवान शंकर का उपासक था इसलिए रावण को मुक्ति देने के लिए प्रभु श्री राम स्वयं पधारे और उसपर कृपा की ,प्रभु ने उसका दाह संस्कार भी करवाया ताकि भूत प्रेत बनकर साईं की तरह भटकता न घूमै ! किन्तु बेचारे साईं जिन्हें कभी किसी मंदिर जाते देवी देवता की आराधना करते किसी ने नहीं देखा उनपर कैसे हो सकती थी प्रभु की कृपा !इसलिए रावण के तपस्या आदि गुणों से प्रभावित होकर प्रभु श्री राम के हाथों उसकी मृत्यु हुई किंतु उसी विजय दशमी को साईं बेचारे अपने आप शर्म से.……!
दशहरा पर्व के दिन ही रावण का भी निर्वाण दिवस है रावण के पास भी सोना चाँदी का चढ़ावा बहुत आता था उसकी तो लंका भी धीरे धीरे सोने की बन गई थी !रावण के अनुयायी भी बहुत थे धन संपत्ति उसके पास भी बहुत थी हमें ये नहीं पता है कि रावण के यहाँ लड्डुओं का व्यापार होता था या नहीं हाँ मुकुट उसके भी भक्तों ने उसे सोने का दे रखा होगा क्योंकि वो भी लगाता सोने का मुकुट ही था उसने भी शास्त्रीय सनातन धर्मियों के साथ बड़ा उपद्रव किया था खैर जो भी हो पहले तो रावण के अनुयायी भी बहुत जोर पड़ते रहे थे किन्तु जब से हनुमान जी ने पूँछ घुमाई तो फिर सब धीरे धीरे धीरे ठंढे पड़ते चले गए अब देखो कब दया करते हैं हनुमान जी !क्योंकि मंदिरों की मर्यादा और सनातन धर्म की प्रतिष्ठा एक बार फिर धार पर लगी है !
"साईं संप्रदाय का सबसे बड़ा झूठ 'साईं डे ' अर्थात साईं बाबा का दिन "
बृहस्पति वार से साईं का सम्बन्ध क्या है ?इस दिन अनंत काल से बृहस्पति देवता एवं भगवान विष्णु की पूजा होती चली आ रही है सारी दुनियाँ जानती भी इस दिन को इसी नाम से है ये करोड़ों वर्षों की शास्त्रीय संस्कृति भी है और परंपराओं में भी यही माना जाता रहा है और अभी तक यही माना जा रहा है इसी बात के प्रमाण भी हैं किन्तु अभी कुछ वर्षों से साईं के घुसपैठियों ने इस बृहस्पति वार में साईं बुड्ढे को जबर्दश्ती घुसाना शुरू कर दिया है इसके पीछे इन लोगों के पास न कोई तर्क है न कोई प्रमाण न और कोई आधार !है तो केवल निर्लज्जता !!see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/07/blog-post_31.html
बृहस्पति वार से साईं का सम्बन्ध क्या है ?इस दिन अनंत काल से बृहस्पति देवता एवं भगवान विष्णु की पूजा होती चली आ रही है सारी दुनियाँ जानती भी इस दिन को इसी नाम से है ये करोड़ों वर्षों की शास्त्रीय संस्कृति भी है और परंपराओं में भी यही माना जाता रहा है और अभी तक यही माना जा रहा है इसी बात के प्रमाण भी हैं किन्तु अभी कुछ वर्षों से साईं के घुसपैठियों ने इस बृहस्पति वार में साईं बुड्ढे को जबर्दश्ती घुसाना शुरू कर दिया है इसके पीछे इन लोगों के पास न कोई तर्क है न कोई प्रमाण न और कोई आधार !है तो केवल निर्लज्जता !!see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/07/blog-post_31.html
जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईंवार कैसे हो सकता है?
साईं घुसपैठियों का बृहस्पतिवार को साईं वार कहने का ड्रामा !बृहस्पतिवार को साईं वार कहना कितना सही है !आप स्वयं सोचिए कि ग्रहों के दिन वही हो सकते हैं जिनके नाम के आकाश में ग्रह होते हैं वो ग्रह अपने अपने दिनों में शुभ या अशुभ फल दिया करते हैं किन्तु साईं वार का मतलब क्या है क्या इन्होंने साईं नाम का कोई ग्रह बनवाकर साईं पत्थरों को मंदिरों में घुसाने की तरह ही आकाश में भी साईं पत्थर घुसा कर टाँग रखा है क्या ?और यदि नहीं तो फिर ये धोखाधड़ी क्यों !आखिर क्यों मिस गाइड किया जा रहा है समाज को ? जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईं वार कैसे हो सकता है !फिर भी साईं घुस पैठियों के द्वारा शास्त्रीय मान्यताओं से समाज को भटकाने का उद्देश्य आखिर क्या है इसकी जाँच होनी चाहिए ! see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/07/blog-post_31.html
साईं घुसपैठियों का बृहस्पतिवार को साईं वार कहने का ड्रामा !बृहस्पतिवार को साईं वार कहना कितना सही है !आप स्वयं सोचिए कि ग्रहों के दिन वही हो सकते हैं जिनके नाम के आकाश में ग्रह होते हैं वो ग्रह अपने अपने दिनों में शुभ या अशुभ फल दिया करते हैं किन्तु साईं वार का मतलब क्या है क्या इन्होंने साईं नाम का कोई ग्रह बनवाकर साईं पत्थरों को मंदिरों में घुसाने की तरह ही आकाश में भी साईं पत्थर घुसा कर टाँग रखा है क्या ?और यदि नहीं तो फिर ये धोखाधड़ी क्यों !आखिर क्यों मिस गाइड किया जा रहा है समाज को ? जब साईं नाम का कोई ग्रह ही नहीं है तो साईं वार कैसे हो सकता है !फिर भी साईं घुस पैठियों के द्वारा शास्त्रीय मान्यताओं से समाज को भटकाने का उद्देश्य आखिर क्या है इसकी जाँच होनी चाहिए ! see more... http://snvajpayee.blogspot.in/2014/07/blog-post_31.html
मैंने
सुना है कि इनका वास्तविक नाम साईं बाबा भी नहीं था कुछ लोग इन्हें साईं
बाबा कहने लगे थे किन्तु इन्हें साईं राम कहने के कोई प्रमाण ही नहीं मिलते
!
वस्तुतः
साईं धर्मी भी साईं पर पूरा भरोसा नहीं करते इसीलिए पहले इन्हें वो साईं
बाबा कहते थे किंतु जब इन्हें भ्रम हुआ कि बुड्ढे का भरोसा जा इसी जिंदगी
में नहीं है तो मरने के बाद तो यमराज के कटघरे में जैसे हम खड़े होंगे वैसे
ही बुढ़ऊ बाबा भी वहाँ जाकर खड़े हो जाएँगे वहाँ तो न इनकी चलेगी और न ही
हमारी वहाँ तो सीधे श्री राम जी की ही चलेगी उनकी ही हमें भी माननी पड़ेगी
और उन्हीं की साईं बुढ़ऊ को भी माननी पड़ेगी इसलिए केवल इनके चक्कर में पड़कर
जिंदगी क्यों बर्बाद करनी हमें तो भरोसा श्री राम जी का ही है तब उन लोगों
ने चाहते हुए भी बहम के कारण साईं को छोड़ा तो नहीं किन्तु अपने प्यारे
प्रभु श्री राम का नाम भी साथ जोड़ लिया अन्यथा यदि ऐसा न होता तो
साँय(साईं) साँय(साईं) ही करते रहते !इनके साथ श्री राम का नाम क्यों लगाते
!
किसी अनजान लड़के या लड़की को आप पति या पत्नी नहीं बोल सकते ,प्रेमी या
प्रेमिका नहीं बोल सकते , 'मैडम या सर' रसहीन शब्द हैं आप किसी कितने भी
अनजान को 'भाई साहब' या 'बहन जी' कहकर तो देखिए कितना उमड़ता है पारस्परिक
पवित्र प्रेम !
बहनो !किसी अनजान लड़के को आप भाई या भाई साहब कहकर सम्बोधित करते हुए
उसका चेहरा पढ़ें यदि उसे बुरा लगने लगता है तो उससे सतर्क रहें अर्थात उसकी
नजर में आपके प्रति खोट है !
अर्जी हमारी मर्जी आपकी
पत्नी से बहुत स्नेह करो क्योंकि उसका जीवन आपके लिए समर्पित होता है
किन्तु बहनों के प्रेम का अकाउंट इतना अलग अवश्य रखो ताकि बहनें भी कभी
अपना दुःख दर्द आपसे और केवल आपसे कह कर अपना मन हल्का कर लें !अन्यथा
भाभी के संकोच में नहीं बता पाती हैं अपने मन की बातें ! ननद और भाभियों के
सम्बन्ध तो गिफ्ट लेन देन का व्यापार मात्र बनता जा रहा है जिसका
गिफ्ट जितना बहुमूल्य उसका स्नेह उतना प्रगाढ़ !किन्तु भाइयों ! तुम्हें पता
है क्या कि अपने बूढ़े माता पिता की छवि आपमें देखती हैं आपकी बहनें, कोई
भी बड़ी से बड़ी परेशानी आपके बल पर सह लेती हैं ,ससुरा!ल की स्वाभाविक
कठिनाइयों से तंग आकर आपके स्नेह की याद करके एकांत में जी भर रो लेती
हैं आपकी बहनें ! आपकी निंदा करने वाले अनेक ससुरालियों से उन्हीं के घर
में रहकर अकेली लड़ती हैं आपकी बहनें !यह जानते हुए भी कि जीवन उनके साथ
गुजारना है कमाई उस घर की खानी है आपके यहाँ कोई काम काज पड़ने पर उपहार भी
उन्हीं से लेकर आना है फिर भी उपहारों का मायके में मूल्यांकन !यह सुनकर
कितना कष्ट होता है कि आपकी बहनें आपकी पत्नी के ताने इसलिए सहती हैं कि
उन्हें आपसे लगाव होता है और इसलिए सहती हैं कि उन्हें अपने बचपन के घर की
दीवारें देखने का मन होता है क्या कभी कल्पना की है कि बचपन की खेली हुई
अँगनाई स्वप्न में देखकर सिसक उठती हैं आपकी बहनें !अपने भाइयों पर कितना
गर्व करती हैं बहनें इसका एहसास काश !भाइयों को भी होता !कई बार ऐसी घटनाएँ
सामने आती हैं जब मानसिक दबाब में आकर बहनें जीवन छोड़ देती हैं यदि भाइयों
पर भरोसा होता तो कह सकती थीं उनसे अपने मन की पीड़ा और हल्का कर सकती थीं
अपने मन का बोझ !और बचाया जा सकता था उनका बहुमूल्य जीवन !
दो.बहुत बधाई आपको जन्मदिवस की तात ।
कृपा करहिं रघुनाथ जू सदा रहउ हरषात ॥
शुभ प्रभात सतीश जी गति प्रबल पैरों में भरी ।
फिर क्यों खड़ा होना किसी दर रास्ता लंबी परी॥
'चरैवेति' 'चरैवेति' शास्त्र का पैगाम ऐसा ।
चलना ही है जीवंतता मंजिल बिना विश्राम कैसा ॥
-डॉ.शेष नारायण वाजपेयी
जिन लोगों की शिक्षा के स्तर से मैं परिचित नहीं हूँ उनकी बातों का जवाब देना अपना स्वभाव नहीं है अन्यथा मैं इस बात का उत्तर जरूर देता कि डॉक्टर क्यों लगाया जाता है और ये कैसे सही है किन्तु यदि कोई शिक्षित होता तो वो ऐसे बेहूदे प्रश्न छेड़ेगा ही क्यों उसे पता होना चाहिए कि देश का संविधान जो डिग्री देगा वो स्वीकार करनी ही पड़ेगी इससे बचने का एक ही साधन है अनपढ़ बने रहो !
साईं संग से दूषित हुए लोगों को ईश्वर सदाचरण सहने की सामर्थ्य दे !
एक अशिक्षित मजदूर भी परिश्रम पूर्वक अपना उदर पोषण कर लेता है किन्तु वो अपना पेट भरने के लिए किसी और के बाप को बाप नहीं कहता है फिर उन ब्राह्मणों की मजबूरी क्या है जो कामचोरी के कारण अपने सनातन धर्म के साथ गद्दारी केवल इसलिए कर रहे हैं कि वो कमा खा नहीं सकते क्या वो बिकलांग हैं ! आखिर साईँ मंदिरों के पुजारियों के विषय में इतनी दया भावना पूर्वक सोचने की जरूरत क्या है ! रही बात साईं को सोने का मुकुट मिलने की तो इसमें नया क्या है समाज से सोना माँगने के लिए किसी अज्ञात व्यक्ति को साईं बना दिया गया हो ऐसे धार्मिक तस्करों ने उदरपूर्ति के लिए साईं नाम का बवंडर गढा है वस्तुतः ऐसा कोई व्यक्ति कहीं हुआ ही नहीं जिसका नाम साईँ रहा हो! बिना परिश्रम किए झूठ साँच के बल पर रोटियों का जुगाड़ करने वाले अकर्मण्य लोगों का पेट पालन के लिए साईं नामक सगूफा है जिसकी सच्चाई के कहीं कोई प्रमाण नहीं मिलते हैं इनका कोई सिद्धांत नहीं हैं अन्यथा जो व्यक्ति जीवन भर मस्जिदों में रहा हो उसे मरते समय मंदिरों में बैठाने की मजबूरी क्या थी बस वही उदर पूर्ति या कुछ और !
जिन लोगों की शिक्षा के स्तर से मैं परिचित नहीं हूँ उनकी कुतर्की बातों का जवाब देना अपना स्वभाव नहीं है अन्यथा शिक्षित लोगों के साथ शास्त्रीय संवाद करने में अपनी रूचि है और सत्य स्वीकार करने में हमें कोई संकोच भी नहीं होता है पहली बात तो जो शिक्षित होगा वो बेहूदे प्रश्न छेड़ेगा ही क्यों उसे पता होना चाहिए कि वह क्या बोल रहा है शास्त्रीय तर्क हैं तो रखे अन्यथा केवल गाली देने से बात कैसे बन सकती है । प्रायः जिसको जो बात समझ में नहीं आती है वो उसे बकवास ही समझता है ये उसकी मजबूरी भी है किन्तु कोई सुबुद्ध व्यक्ति भी ऐसे बीमारों की दवा कैसे कर सकता है । वैसे भी शेर की खाल ओढ़ कर कुछ देर के लिए तो गधे भी शेर बन सकते हैं किन्तु उनके चीपों चीपों बोलने से उनकी पोल खुल ही जाती है कई लोग अपने नाम के साथ देखा देखी ब्राह्मण जातियाँ लगा लेते हैं किन्तु ब्राह्मण जन्म और कर्म दोनों से मिलकर बनता है इसलिए साईं बाबा निर्मल बाबा या और भी ऐसे लोगों का पूजन भजन करने वाले लोग ब्राह्मण कैसे हो सकते हैं ब्राह्मण तो गायत्री का उपासक होता है वो श्री राम जी,श्री कृष्ण जी ,श्री शिव जी,,श्री गणेश जी,,श्री दुर्गा जी आदि देवी देवताओं की जगह साईं टाईप के लोगों को कैसे पूज सकता है !गाय का दूध छोड़कर गधी का दूध पीने वाले की गो निष्ठा पर केवल यह कह देने मात्र से भरोसा कैसे कर लिया जाए कि वह तो गो भक्त है क्योंकि यदि यह सच होता तो वह गधी का दूध पीता ही क्यों ?इसी प्रकार से श्री राम जी,श्री कृष्ण जी ,श्री शिव जी,,श्री गणेश जी,,श्री दुर्गा जी आदि देवी देवताओं पर अविश्वास करके साईं पूजने वाले लोगों को सनातन धर्मी मान ही कैसे लिया जाए !
इसे साईं पूजा बिलकुल नहीं कहा जा सकता ये पूजा शब्द का अपमान है अपितु यह तो कुछ अकर्मण्य बेरोजगारों के द्वारा चंदा इकठ्ठा करने एवं लड्डू बेचने के लिए साईँ षड्यंत्र चलाया जा रहा है जिसे बहुत पहले रोका चाहिए जाना था !
सनातन धर्मी लोगों को पहले ये भरोसा ही नहीं था कि साईँ धर्मी भुक्खड़ अपने बीबी बच्चे परिश्रम पूर्वक कमा कर नहीं पाल पाएँगे, ये लोग अपने परिवार के पोषण हेतु चंदा इकठ्ठा करने के लिए एक नया बुड्ढा भगवान बना डालेंगे !आज बताते हैं इतना सोना मिला इतना चांदी मिली बहुत लोग भिक्षा वृत्ति से कोठियाँ बना लेते हैं !इसका मतलब वो भगवान हो गए क्या ? पहले किसी को इतना भरोसा ही नहीं था कि ये साईँ चरण चंचरीक अपने को सनातन धर्मी कहते कहते सनातन धर्म के साथ इतनी बड़ी गद्दारी कर जाएँगे !
केयूराणि न भूषयन्ति पुरुषं हारा न चन्द्रोज्ज्वला
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालंकृता मूर्धजा: ।
वाण्येका समलंकरोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम् ।।
-- नीतिशतकम्, भर्तृहरि:
****************************** *******
पुरुष की शोभा अपने बाहु में केयूर पहनने से नहीं होती,
न ही चन्द्रमा जैसे उज्ज्वल हार पहनने से; स्नान, चन्दन लेप,
पुष्प शृंगार से अथवा केश सॅवारने से भी नहीं होती है। अपितु
एकमात्र सुसंस्कृत एवं परिशुद्ध वाणी ही सुशोभित करती है।
क्योंकि भूषण तो घिसकर नष्ट हो जाते हैं लेकिन वाणी ही सदा
के लिए भूषण है, जो नष्ट नहीं होती
बाबा विश्वनाथ जी के श्री चरणों में प्रार्थना है कि प्रभो ! श्रद्धेय जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज जी को दीर्घायुष्य एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें !
अमित शाह ने भगवान कृष्ण से की बाबा रामदेव की तुलना -पंजाब केशरी
किन्तु यह तुलना कहाँ तक तर्कसंगत है पता नहीं क्या समानता देखी गई दोनों में खैर जो भी हो ये तो नेता लोग हैं ये तो सर्वतंत्र स्वंतत्र होते ही हैं वैसे भी जब पावर अपने हाथ में हो तो बहुत सोच बिचार कर बोलने की जरूरत भी क्या है फिर भी खोजते हैं दोनों में क्या हैं समानताएँ जैसे ' यादव ' कुल से दोनों सम्बंधित हैं अर्थात यादवों के यहाँ गौएँ श्री कृष्ण जी ने भी चराई थीं और बाबा जी तो पैदाइसी यादव हैं, श्री कृष्ण जी योग योगेश्वर थे और बाबा जी के पास भी योग का ऐश्वर्य है । श्री कृष्ण जी के पास रानियाँ बहुत थीं बाबा जी .... !श्री कृष्ण जी पांडवों के दूत भी बने थे और बाबा जी ....!श्री कृष्ण जी ने गीता कही थी और बाबा जी ....! ब्राह्मणों की सेना आते देखकर श्री कृष्ण जी भाग खड़े हुए थे पुलिस वाले देखकर महिलाओं के कपड़ों में बाबा जी भी .... !श्री कृष्ण जी के पास द्वारिका का साम्राज्य था तो बाबा जी के पास पतंजलि का ! श्री कृष्ण जी कहीं एक जगह डट कर नहीं रहे तो बाबा जी किसी एक मुद्दे पर डट कर नहीं रहते ! काला मन शुद्ध करने के लिए साधुत्व,फिर काला तन अर्थात अस्वस्थ शरीर शुद्ध करने के लिए दवा दारू बेचना इसी प्रकार से सुना है कि अब कालाधन खोज रहे हैं !होंगी और भी समानताएँ जो हम सबको पता नहीं हैं गोबर्धन उठाते किसी ने देखा नहीं है !
बंधुओ !और जो हो सो हो किन्तु उपमा और तुलना में भगवानों की मर्यादा बनी और बची रहने दी जाए वही अधिक अच्छा होगा अन्यथा इन्हीं बातों से प्रेरित होकर कुछ लोग साईं की तुलना भगवान से करते करते आज मंदिरों में साईं की मूर्तियाँ भी रखने लगे भगवान की तरह उनकी पूजा भी करने लगे !
साईं पूजा और गो रक्षा के प्रयास साथ साथ नहीं किए जा सकते !
साईं पूजा भी होती रहे और गो हत्या भी बंद हो जाए ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकतीं !जिसे लगता है हो सकती हैं वो कर के देख ले उसे रोक किसने है!
जो लोग कहते हैं साईं का पूजन तो करने दिया जाए किन्तु गो रक्षा के विरुद्ध आंदोलन किया जाए ऐसे किसी गो भक्त ने हमें पहले भी सलाह दी थी किन्तु जब हमने उसकी सच्चाई पता लगाई तो पता चला कि गो रक्षा के नाम पर वो वसूल रहे हैं मोटा फंड और करते कुछ नहीं हैं इसलिए ऐसे लोग गो रक्षा की केवल चर्चा करते रहना चाहते हैं करना कुछ नहीं चाहते ये उनकी धार्मिक कायरता है अन्यथा गो रक्षा के लिए भी साथ साथ ही प्रयास किए जाएं और ऐसा कुछ हो जो दिखाई भी पड़े !अन्यथा साईं पूजन का समर्थन और गो रक्षा के प्रयास साथ साथ हो ही नहीं सकते हँसना और गाल फुलाना एक साथ कैसे संभव है !ऐसी धार्मिक कायरता धारण करने की अपेक्षा मौन ही क्यों न रहा जाए !यह तो उसी तरह का फौरी और काम चलाऊ इलाज है वस्तुतः अशास्त्रीय परंपराओं के विरुद्ध लड़ा जाना चाहिए एक वैचारिक युद्ध !
यदि हम साईं का अशास्त्रीय पूजन मंदिरों में होना बंद नहीं करा सकते तो हम न तो गो हत्या बंद करा सकते और न ही नशा बंद करा सकते हैं क्योंकि साईं मांस भी खाते थे साईं चिलम भी पीते थे !जिस चीज को हम पूजते हैं उसका विरोध कैसे कर सकेंगे ?
सुना है साईंयों ने सनातनधर्मियों के विरुद्ध कंप्लेन की है !
ये तो उसी तरह की बात हुई कि चोर किसी के घर में घुसा हो और घर वाले पकड़ कर धुनाई कर रहे हों इसके बाद चोर ही पुलिस कंप्लेन की बात कहकर धमका रहा हो तो मुश्किल में पकड़ आने वाले चोर को घर वाले छोड़ देंगे क्या ! पंगा साईं ने लिया है घुसपैठ भी साईं ने की है सजा के हकदार साईं और उनके अनुयायी हैं पंगा उन्होंने लिया है ! न वो सनातन धर्म के मंदिरों में साईँ नाम की छीछालेदर फैलाते और न ही यह समस्या पैदा होती !अब साईंयों के लिए उचित तो यह है कि अपनी गन्दगी वे खुद साफ करें !अन्यथा केस करें या क्लेश किन्तु अब बुड्ढे को पूजने नहीं दिया जाएगा !
अब सनातन धर्मियों को हर हाल में साईं मुक्त मंदिर चाहिए !
यदि इस्लामधर्म को कुरआन के आधार पर चलाया जा सकता है, ईसाई धर्म बाइबिल के आधार पर चलाया जा सकता है तो सनातन धर्म अपने धर्मशास्त्रों के आधार पर क्यों नहीं चलाया जा सकता ? जिन साईं का समर्थन तो छोड़िए नाम तक सनातन धर्म में नहीं है भारतीय महापुरुषों की श्रेणी तक में नहीं है ऐसे घुसपैठियों से सनातन धर्मी अपना कोई सम्बन्ध तक स्वीकार नहीं कर सकते ! इसलिए साईंधर्मी इस सच्चाई को ठीक से समझ लें कि सनातन धर्म के मंदिर सनातन धर्म शास्त्रों के आधार पर ही चलेंगे इसमें किसी के कहने पर या किसी के दबाव पर या किसी द्रव्यक्रीत मीडिया कर्मी तथा बाबा बैरागियों आदि के कहने पर भी समझौता नहीं किया जा सकता !
सनातन धर्म केवल अपने धर्म शास्त्रों के प्रति जवाब देय है
जो धर्म शास्त्रों को मानेगा उसे सनातन धर्मी अपना मानेंगे जो धर्मशास्त्रीय मर्यादाओं के समर्थन में प्राण प्राण से समर्पित हैं उन्हें ही अपना संत धर्माचार्य आदि माना जाएगा !सनातन धर्मी ऐसे किसी व्यक्ति को संत या धर्माचार्य मानने के लिए बाध्य नहीं है जो सनातन धर्म एवं धर्मशास्त्रों के विरुद्ध रची जा रही साजिश में न केवल सम्मिलित हों अपितु द्रव्य लोभ से साईँ जैसों की दलाली करते घूम रहे हों !यदि हमारी इस बात से किसी सनातन धर्मी को ठेस लगती हो तो साईं को भगवान बताकर पूजने के समर्थन में कोई एक भी शास्त्रीय सूत्र उन्हें देना चाहिए अन्यथा सनातन धर्म को शास्त्रों के हिसाब से चाहिए !
कहने पर
साईं वाले सनातन धर्म वालों को साईं विरोध के लिए कानून की दृष्टि से सजा दिलवाना चाह रहे हैं ये तो ऐसे उताने चल रहे हैं जैसे जो यह कहेंगे वही कानून में मान लिया जाएगा ! क्या सनातन धर्मियों की पीड़ा वहाँ सुनी ही नहीं जाएगी और सनातन धर्मी लटका दिए जाएँगे शूली पर !
आम औरतों की तरह हमें भी इज्जत दें : दीपिका पादुकोण - जी न्यूज़
किन्तु रहना भी तो आपको आम औरतों की तरह ही चाहिए किसी को इज्जत दी नहीं जाती अपितु उसका रहन सहन आचार व्यवहार सदाचार आदि इतना उन्नत होता है कि उसका शिर श्रद्धा से झुक ही जाता है । इसी प्रकार से नग्न या अर्धनग्न रहकर नंगपन से पैसे कमाने के लिए अशोभनीय आचरण करने वाले स्त्री पुरुषों के लिए गालियाँ निकल ही जाती हैं कोई कैसे संभाले अपने को !वैसे भी इज्जत भीख में तो मिलती नहीं है इज्जत पाने वाला आचरण जिसका होगा उसे इज्जत मिलेगी ही !
आदरणीय राहुल जी !मैं आपको अपनी हिन्दी दोहा चौपाइयों में लिखी गई दुर्गा सप्तशती की पुस्तक भेंट करना चाहता हूँ क्या आपका समय हमें भी मिल पाएगा !
आश्विन नवरात्र के पावन पर्व पर जगज्जननी माता दुर्गा को कोटिशः प्रणाम करते हुए हमारी ओर से आपको आपके पारिवारिक सदस्यों एवं समस्त स्वजनों को कोटि कोटि बधाई !
अनंत अनंत मंगल कामनाएँ , नितनूतन मंगलमय हो !
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आश्विन नवरात्र के पावन पर्व पर जगज्जननी माता दुर्गा को कोटिशः प्रणाम करते हुए हमारी ओर से आपको आपके पारिवारिक सदस्यों एवं समस्त स्वजनों को कोटि कोटि बधाई !
अनंत अनंत मंगल कामनाएँ , नितनूतन मंगलमय हो !
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खून बहाकर मनाए जाने वाले त्योहारों में भाईचारे का संदेश आखिर क्या है ?
जिन त्योहारों में हम सबको खुश नहीं रख सकते उन त्योहारों का उद्देश्य आखिर क्या है जिन लोगों के त्योहारों में निरपराध पशुओं की हत्याएँ की जा रही हों ,निरीह जीवों में हाहाकार मचा हो वहां कहाँ भाई चारा कहाँ प्रेम और किसे बधाई दें !ऐसे संहार पसंद त्योहारों में हम सम्मिलित नहीं हैं ईश्वर हमें क्षमा करे !
संदेश त्योहारों में
त्योहारों को मनाने की परंपरा पड़ी ही आखिर क्यों ? त्यौहार मनाने का कुछ तो
त्योहारों की परिभाषा आखिर क्या है और उद्देश्य आखिर क्या होता है ?
बधाई करवा चौथ की सनातनी सौभाग्यवती नारियों को !
संकष्टी करक पर्व श्री गणेश चतुर्थी (करवाचौथ) के पावन पर्व पर समस्त सौभाग्यवती स्त्रियों को बहुत बहुत बधाई !
बंधुओ ! लव मैरिज वालों को करवा चौथ की राम राम ?
जिनकी मैरिज भी न हुई हो केवल लवलबाते ही घूम रहे हों उस पर भी करवा चौथ कर रहे हों उन्हें बॉय बॉय !
विवाहित संबंधों में कुछ दिखावा नहीं करना होता है !क्योंकि वहाँ संबंधों पर संकट की आशंका नहीं होती है ।
न स्नानं न विलेपनं न कुसुमं नालंकृता मूर्धजा: ।
वाण्येका समलंकरोति पुरुषं या संस्कृता धार्यते
क्षीयन्ते खलु भूषणानि सततं वाग्भूषणं भूषणम् ।।
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पुरुष की शोभा अपने बाहु में केयूर पहनने से नहीं होती,
न ही चन्द्रमा जैसे उज्ज्वल हार पहनने से; स्नान, चन्दन लेप,
पुष्प शृंगार से अथवा केश सॅवारने से भी नहीं होती है। अपितु
एकमात्र सुसंस्कृत एवं परिशुद्ध वाणी ही सुशोभित करती है।
क्योंकि भूषण तो घिसकर नष्ट हो जाते हैं लेकिन वाणी ही सदा
के लिए भूषण है, जो नष्ट नहीं होती
बाबा विश्वनाथ जी के श्री चरणों में प्रार्थना है कि प्रभो ! श्रद्धेय जगद्गुरु शंकराचार्य जी महाराज जी को दीर्घायुष्य एवं उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें !
अमित शाह ने भगवान कृष्ण से की बाबा रामदेव की तुलना -पंजाब केशरी
किन्तु यह तुलना कहाँ तक तर्कसंगत है पता नहीं क्या समानता देखी गई दोनों में खैर जो भी हो ये तो नेता लोग हैं ये तो सर्वतंत्र स्वंतत्र होते ही हैं वैसे भी जब पावर अपने हाथ में हो तो बहुत सोच बिचार कर बोलने की जरूरत भी क्या है फिर भी खोजते हैं दोनों में क्या हैं समानताएँ जैसे ' यादव ' कुल से दोनों सम्बंधित हैं अर्थात यादवों के यहाँ गौएँ श्री कृष्ण जी ने भी चराई थीं और बाबा जी तो पैदाइसी यादव हैं, श्री कृष्ण जी योग योगेश्वर थे और बाबा जी के पास भी योग का ऐश्वर्य है । श्री कृष्ण जी के पास रानियाँ बहुत थीं बाबा जी .... !श्री कृष्ण जी पांडवों के दूत भी बने थे और बाबा जी ....!श्री कृष्ण जी ने गीता कही थी और बाबा जी ....! ब्राह्मणों की सेना आते देखकर श्री कृष्ण जी भाग खड़े हुए थे पुलिस वाले देखकर महिलाओं के कपड़ों में बाबा जी भी .... !श्री कृष्ण जी के पास द्वारिका का साम्राज्य था तो बाबा जी के पास पतंजलि का ! श्री कृष्ण जी कहीं एक जगह डट कर नहीं रहे तो बाबा जी किसी एक मुद्दे पर डट कर नहीं रहते ! काला मन शुद्ध करने के लिए साधुत्व,फिर काला तन अर्थात अस्वस्थ शरीर शुद्ध करने के लिए दवा दारू बेचना इसी प्रकार से सुना है कि अब कालाधन खोज रहे हैं !होंगी और भी समानताएँ जो हम सबको पता नहीं हैं गोबर्धन उठाते किसी ने देखा नहीं है !
बंधुओ !और जो हो सो हो किन्तु उपमा और तुलना में भगवानों की मर्यादा बनी और बची रहने दी जाए वही अधिक अच्छा होगा अन्यथा इन्हीं बातों से प्रेरित होकर कुछ लोग साईं की तुलना भगवान से करते करते आज मंदिरों में साईं की मूर्तियाँ भी रखने लगे भगवान की तरह उनकी पूजा भी करने लगे !
साईं पूजा और गो रक्षा के प्रयास साथ साथ नहीं किए जा सकते !
साईं पूजा भी होती रहे और गो हत्या भी बंद हो जाए ये दोनों बातें साथ साथ नहीं हो सकतीं !जिसे लगता है हो सकती हैं वो कर के देख ले उसे रोक किसने है!
जो लोग कहते हैं साईं का पूजन तो करने दिया जाए किन्तु गो रक्षा के विरुद्ध आंदोलन किया जाए ऐसे किसी गो भक्त ने हमें पहले भी सलाह दी थी किन्तु जब हमने उसकी सच्चाई पता लगाई तो पता चला कि गो रक्षा के नाम पर वो वसूल रहे हैं मोटा फंड और करते कुछ नहीं हैं इसलिए ऐसे लोग गो रक्षा की केवल चर्चा करते रहना चाहते हैं करना कुछ नहीं चाहते ये उनकी धार्मिक कायरता है अन्यथा गो रक्षा के लिए भी साथ साथ ही प्रयास किए जाएं और ऐसा कुछ हो जो दिखाई भी पड़े !अन्यथा साईं पूजन का समर्थन और गो रक्षा के प्रयास साथ साथ हो ही नहीं सकते हँसना और गाल फुलाना एक साथ कैसे संभव है !ऐसी धार्मिक कायरता धारण करने की अपेक्षा मौन ही क्यों न रहा जाए !यह तो उसी तरह का फौरी और काम चलाऊ इलाज है वस्तुतः अशास्त्रीय परंपराओं के विरुद्ध लड़ा जाना चाहिए एक वैचारिक युद्ध !
यदि हम साईं का अशास्त्रीय पूजन मंदिरों में होना बंद नहीं करा सकते तो हम न तो गो हत्या बंद करा सकते और न ही नशा बंद करा सकते हैं क्योंकि साईं मांस भी खाते थे साईं चिलम भी पीते थे !जिस चीज को हम पूजते हैं उसका विरोध कैसे कर सकेंगे ?
सुना है साईंयों ने सनातनधर्मियों के विरुद्ध कंप्लेन की है !
ये तो उसी तरह की बात हुई कि चोर किसी के घर में घुसा हो और घर वाले पकड़ कर धुनाई कर रहे हों इसके बाद चोर ही पुलिस कंप्लेन की बात कहकर धमका रहा हो तो मुश्किल में पकड़ आने वाले चोर को घर वाले छोड़ देंगे क्या ! पंगा साईं ने लिया है घुसपैठ भी साईं ने की है सजा के हकदार साईं और उनके अनुयायी हैं पंगा उन्होंने लिया है ! न वो सनातन धर्म के मंदिरों में साईँ नाम की छीछालेदर फैलाते और न ही यह समस्या पैदा होती !अब साईंयों के लिए उचित तो यह है कि अपनी गन्दगी वे खुद साफ करें !अन्यथा केस करें या क्लेश किन्तु अब बुड्ढे को पूजने नहीं दिया जाएगा !
अब सनातन धर्मियों को हर हाल में साईं मुक्त मंदिर चाहिए !
यदि इस्लामधर्म को कुरआन के आधार पर चलाया जा सकता है, ईसाई धर्म बाइबिल के आधार पर चलाया जा सकता है तो सनातन धर्म अपने धर्मशास्त्रों के आधार पर क्यों नहीं चलाया जा सकता ? जिन साईं का समर्थन तो छोड़िए नाम तक सनातन धर्म में नहीं है भारतीय महापुरुषों की श्रेणी तक में नहीं है ऐसे घुसपैठियों से सनातन धर्मी अपना कोई सम्बन्ध तक स्वीकार नहीं कर सकते ! इसलिए साईंधर्मी इस सच्चाई को ठीक से समझ लें कि सनातन धर्म के मंदिर सनातन धर्म शास्त्रों के आधार पर ही चलेंगे इसमें किसी के कहने पर या किसी के दबाव पर या किसी द्रव्यक्रीत मीडिया कर्मी तथा बाबा बैरागियों आदि के कहने पर भी समझौता नहीं किया जा सकता !
सनातन धर्म केवल अपने धर्म शास्त्रों के प्रति जवाब देय है
जो धर्म शास्त्रों को मानेगा उसे सनातन धर्मी अपना मानेंगे जो धर्मशास्त्रीय मर्यादाओं के समर्थन में प्राण प्राण से समर्पित हैं उन्हें ही अपना संत धर्माचार्य आदि माना जाएगा !सनातन धर्मी ऐसे किसी व्यक्ति को संत या धर्माचार्य मानने के लिए बाध्य नहीं है जो सनातन धर्म एवं धर्मशास्त्रों के विरुद्ध रची जा रही साजिश में न केवल सम्मिलित हों अपितु द्रव्य लोभ से साईँ जैसों की दलाली करते घूम रहे हों !यदि हमारी इस बात से किसी सनातन धर्मी को ठेस लगती हो तो साईं को भगवान बताकर पूजने के समर्थन में कोई एक भी शास्त्रीय सूत्र उन्हें देना चाहिए अन्यथा सनातन धर्म को शास्त्रों के हिसाब से चाहिए !
कहने पर
साईं वाले सनातन धर्म वालों को साईं विरोध के लिए कानून की दृष्टि से सजा दिलवाना चाह रहे हैं ये तो ऐसे उताने चल रहे हैं जैसे जो यह कहेंगे वही कानून में मान लिया जाएगा ! क्या सनातन धर्मियों की पीड़ा वहाँ सुनी ही नहीं जाएगी और सनातन धर्मी लटका दिए जाएँगे शूली पर !
आम औरतों की तरह हमें भी इज्जत दें : दीपिका पादुकोण - जी न्यूज़
किन्तु रहना भी तो आपको आम औरतों की तरह ही चाहिए किसी को इज्जत दी नहीं जाती अपितु उसका रहन सहन आचार व्यवहार सदाचार आदि इतना उन्नत होता है कि उसका शिर श्रद्धा से झुक ही जाता है । इसी प्रकार से नग्न या अर्धनग्न रहकर नंगपन से पैसे कमाने के लिए अशोभनीय आचरण करने वाले स्त्री पुरुषों के लिए गालियाँ निकल ही जाती हैं कोई कैसे संभाले अपने को !वैसे भी इज्जत भीख में तो मिलती नहीं है इज्जत पाने वाला आचरण जिसका होगा उसे इज्जत मिलेगी ही !
आदरणीय राहुल जी !मैं आपको अपनी हिन्दी दोहा चौपाइयों में लिखी गई दुर्गा सप्तशती की पुस्तक भेंट करना चाहता हूँ क्या आपका समय हमें भी मिल पाएगा !
आश्विन नवरात्र के पावन पर्व पर जगज्जननी माता दुर्गा को कोटिशः प्रणाम करते हुए हमारी ओर से आपको आपके पारिवारिक सदस्यों एवं समस्त स्वजनों को कोटि कोटि बधाई !
अनंत अनंत मंगल कामनाएँ , नितनूतन मंगलमय हो !
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आश्विन नवरात्र के पावन पर्व पर जगज्जननी माता दुर्गा को कोटिशः प्रणाम करते हुए हमारी ओर से आपको आपके पारिवारिक सदस्यों एवं समस्त स्वजनों को कोटि कोटि बधाई !
अनंत अनंत मंगल कामनाएँ , नितनूतन मंगलमय हो !
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खून बहाकर मनाए जाने वाले त्योहारों में भाईचारे का संदेश आखिर क्या है ?
जिन त्योहारों में हम सबको खुश नहीं रख सकते उन त्योहारों का उद्देश्य आखिर क्या है जिन लोगों के त्योहारों में निरपराध पशुओं की हत्याएँ की जा रही हों ,निरीह जीवों में हाहाकार मचा हो वहां कहाँ भाई चारा कहाँ प्रेम और किसे बधाई दें !ऐसे संहार पसंद त्योहारों में हम सम्मिलित नहीं हैं ईश्वर हमें क्षमा करे !
संदेश त्योहारों में
त्योहारों को मनाने की परंपरा पड़ी ही आखिर क्यों ? त्यौहार मनाने का कुछ तो
त्योहारों की परिभाषा आखिर क्या है और उद्देश्य आखिर क्या होता है ?
बधाई करवा चौथ की सनातनी सौभाग्यवती नारियों को !
संकष्टी करक पर्व श्री गणेश चतुर्थी (करवाचौथ) के पावन पर्व पर समस्त सौभाग्यवती स्त्रियों को बहुत बहुत बधाई !
बंधुओ ! लव मैरिज वालों को करवा चौथ की राम राम ?
जिनकी मैरिज भी न हुई हो केवल लवलबाते ही घूम रहे हों उस पर भी करवा चौथ कर रहे हों उन्हें बॉय बॉय !
विवाहित संबंधों में कुछ दिखावा नहीं करना होता है !क्योंकि वहाँ संबंधों पर संकट की आशंका नहीं होती है ।
लव मैरिज में सम्बन्ध बनाए और बचाए रखने के लिए प्रेम दिखाना ही पड़ता है
क्योंकि दोनों लोग दोनों की कमजोरियाँ जानते हैं कि किसका दिल कितनी जल्दी
किसको देखकर बहने लगता है इसलिए कब किसको कहाँ कौन और अधिक अच्छा सौदा पट
जाए उसी दिन हमारे सम्बन्ध संकट में इसलिए यहाँ प्रेम दिखाते रहना पड़ता
है !
बिना मैरिज वाले केवल लवलबाते हुए संबंधों में तो प्रेम हो या न हो दिखाना जरूर पड़ता है जो दिखा नहीं पाया सो गया काम से !
करवा चौथ की शॉपिंग इतनी महँगी क्यों !
विवाहित संबंधों में कुछ दिखावा करना नहीं होता है !इसलिए यहाँ धन महत्वपूर्ण नहीं होता है यहाँ मन का महत्त्व होता है जो सामान मिल पाया उसी से श्रद्धा पूर्वक पूर्ण निष्ठा से पूजा की जाती है ।
लव मैरिज में धन और मन दोनों से पूजा की जाती है अर्थात वस्त्र आभूषण आदि
शौक शान में जितना धन लगाया जाएगा वैसी पूजा होती है और जो धन नहीं लगा
सकता उसकी लम्बी आयु माँगने में मन कहाँ लगता है वैसे भी ऐसे लोगों की
दीर्घायु माँगकर भी क्या करना !
यही कारण है कि यह पता होते हुए भी कि सौभाग्यवती स्त्रियाँ ही इस व्रत को रखती हैं हमें नहीं रखना चाहिए फिर भी रखती हैं केवल इसलिए कि साल भर में पटाए गए प्रेमी की परीक्षा आखिर कैसे की जाए ! अबकी बार करवाचौथ में कौन चीज कितनी महँगी रही वो इन्हीं लोगों की शॉपिंग से आँका जाता है क्योंकि सौभाग्यवती स्त्रियों को घर देखकर चलना पड़ता है किन्तु जिनका घर ही न बसा हो सबकुछ हवा में ही हो वो क्यों देखें घर ?वहाँ तो न खाता न बही जो प्रेमिका कहे सो सही !
प्रेमिकाओं की शॉपिंग देख देखकर अब विवाहिताएँ भी लड़ने लगी हैं अपने पतियों से कि जो अपनी पत्नी को प्रेम करते हैं वो इतनी महँगी शॉपिंग करवाते हैं लगता है कि तुम हमें प्रेम ही नहीं करते हो !
नरेंद्र मोदी को अल्लाह याद आए तो अज़ान के वक़्त चुप हुए अमित शाह -ABP News
बंधुओ ! जिनकी एक टोपी न पहनने के कारण ही तो हिंदुत्वपार्टी के वर्तमान प्रधान पुरुषआदरणीय द्वय किंतना सराहे गए थे तब कितने गढ़े गए थे इसके समर्थन में तर्क और भाव अब क्या कहेंगे वो लोग जिन्हें मोदी जी का टोपी पहनने से इनकार कर देना बहुत पसंद आया था !
हमारा कहने का मतलब केवल इतना है कि राजनीति में सत्ता सबकी कमजोरी और मजबूरी दोनों होती है ये बात सबको समझनी चाहिए !और इसमें कोई बुरी बात नहीं है राजनीति में जाने का प्रथम और अंतिम लक्ष्य केवल सत्ता पाना ही होता है !
कोई योगी मृत्यु भय से नहीं डरता फिर पुलिस भय से सलवार कुर्ता पहन कर भाग खड़ा होने वाला योगी कैसा ?
योगियों को मृत्यु भय नहीं होता है जो सिक्योरिटी लेकर घूमे वो योगी कैसा !जरा सी विपरीत परिस्थिति आते ही सलवार कुर्ता पहन कर छिपकर भागने लगे ,रोता हुआ मीडिया के सामने आवे,व्यापार करे राजनीति करे,सांसारिक प्रपंचों में भयंकर व्यस्त हो ये सब कुछ कोई आम आदमी तो कर सकता है किन्तु योगी को शोभा नहीं देते !और यदि कोई अपने को योगी कहते हुए ये सब करता है और मृत्यु भय से भयभीत होकर सरकार से सुरक्षा माँगता है तो ये योग का अपमान है !
योग करेंगे या व्यायाम ! क्योंकि योगियों को मृत्यु नहीं होता है जबकि और सबको होता है !
व्यापारियों को सिक्योरिटी
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