Thursday, 14 May 2015

देव मंदिरों में साईं पूजा के पाप से आती हैं भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएँ !जानिए कैसे ?

 ऐसे  लोगों का मुख नहीं देखना चाहते बाबा केदारनाथ हों या बाबा पशुपतिनाथ !जो साईं में आस्था रखते हुए भगवान के यहाँ भी हाजिरी लगाना चाहते हैं किन्तु वो ये क्यों नहीं सोचते हैं कि ऐसा करना तो भगवान का अपमान है ! 
  साईं जैसे पीरों फकीरों को भगवान बनाकर पूजने के कारण बार बार आ रहे हैं भूकंप!बाढ़,बीमारियाँ ,बलात्कार ,हत्या ,लूटपाट आदि सभी प्रकार के अपराध, भ्रष्टाचार आदि बढ़ते जा रहे हैं !जब साईं पूजा का प्रचार प्रसार कम था तब न तो इतने अपराध थे और न ही इतनी प्राकृतिक आपदाएँ !आज देश का धार्मिक धन या तो साईं के पास या अन्य पाखंडियों के पास समिटता जा रहा है यज्ञ बंद होते जा  रहे हैं इसके साइड इफेक्ट तो होंगे ही ! 
  बंधुओ ! यदि कोई व्यक्ति अपनी पत्नी की जगह उसी घर में किसी दूसरी स्त्री को रखैल बनाकर रख ले  तो क्या उसकी पत्नी सह जाएगी !यदि ऐसा ही कोई स्त्री करे तो क्या उसका पति सह जाएगा ?इसी प्रकार से कोई अपने बाप की जगह किसी और को बाप बनाकर अपने घर में रखना चाहे तो क्या उसका पिता सह जाएगा !यदि नहीं तो देवी देवता क्यों सह जाएँ उनके मंदिरों में मची साईं भगदड़ को !इसलिए भलाई इसी में है कि साईं नाम के घुसपैठियों से सनातन धर्म के मंदिरों को मुक्त करवाया जाए !

बंधुओ ! देवी देवताओं की उपेक्षा करके यदि साईं आदि पीरों फकीरों को  पूजोगे तो यही होगा ! 

     बंधुओ ! जब केदार नाथ जी में इतने लोग मरे तो संपूर्ण समाज की तरह मैं भी बहुत दुखी था दिन रात बेचैनी थी तो मैंने भगवान शिव का ध्यान करके रोते हुए कहा "  स्वामी !हम सांसारिक लोगों पर इतना क्रोध !ऐसा तांडव !अपने चारों और लगा लिए शवों के ढेर !स्वामी आप तो गलतियाँ क्षमा कर देते रहे हैं आप पर तो आपके भक्तों को इतना भरोसा है कि आपके भक्त आपका नाम लेकर बड़ी बड़ी बिपत्तियाँ सह जाते हैं आपके भरोसे हमेंशा गरजा करते हैं वे !और आप ही यदि ऐसे ठुकराएँगे तो वे अनाथ हो जाएँगे !आप तो भोले बाबा हैं और आपका अपने भक्तों पर ऐसा क्रोध !स्वामी !आपके भक्तों का संहार कोई दूसरा कर ही नहीं सकता ये तो आपकी इच्छा के बिना संभव ही नहीं है !फिर अपने भक्तों की गलतियाँ माफ कर देते तो !स्वार्थी दुनियाँ से उकता कर लोग आपकी शरण में आते हैं स्वामी आप भी क्रोध करेंगे तो किसकी ओर ताकेंगे निराश हताश लोग !बंधुओ !ऐसा कहते भाव विभोर लोग होता हुआ सो गया मैं !

     रात में स्वप्न में एक शिव मंदिर दिखा जिसमें शिव जी का मंदिर सूना पड़ा था किंतु उसी में रखे साईं पत्थर की पूजा बड़े धूम धाम से हो रही थी !वहीँ किसी की एक अज्ञात आवाज आ रही थी कि इसे गलती नहीं गुंडई कहते हैं जिसका मंदिर उसकी उपेक्षा और भूत प्रेतों का पूजन वो भी भोले बाबा के सामने !मतलब क्या वो गलतियाँ माफ कर देते हैं तो कुछ भी करोगे !इसलिए ईश्वरी शक्तियों को भी अब अपना परिचय देना चाहिए!
     इसके बाद सपना टूट गया !  इस विषय में बहुत सोच विचार पूर्वक मैंने निर्णय किया कि ईश्वर के मंदिरों में होने वाली पीरों फकीरों भूतों प्रेतों की पूजा बंद करवाने के लिए हमें प्रयास करना चाहिए !दूसरी बात इन पीरों फकीरों को पूजने वाले लोगों का ईश्वर के मंदिरों में प्रवेश बंद किया जाना चाहिए !अन्यथा साईंवालों का मनहूस चेहरा देखते ही देवी देवता क्रोध से तमतमा उठते हैं और हो जाता है भूकंप ,आँधी तूफान ,बाढ़ जैसा कोई न कोई बड़ा उपद्रव !        
    ये तो हम सब लोगों को सोचना होगा कि आखिर क्यों आ रहे हैं बार बार भूकंप ?आँधी तूफान ,बाढ़ आदि !गाँव के गाँव नदियों की बाढ़ में बहते जा रहे हैं आखिर क्यों !कहीं डेंगू तो कहीं स्वाइन फ्लू !हर तरफ से संहार ही संहार नजर आ रहा है आखिर क्यों ?जब साईं पूजा नहीं थी तब इतने उपद्रव नहीं होते थे और न ही इतने बलात्कार ,हत्याएँ लूट पाट  आदि ही थी आज क्यों ये सब होने लगा है !
    अरे पापियों ! भगवानों के मंदिरों में भगवानों को दिखा दिखा कर साईं पत्थरों को पूजोगे तो ऐसे ही आएँगे भूकंप और बहुत सारी  प्राकृतिक आपदाएँ !कुछ लोगों के साईंपापों का फल आज संपूर्ण समाज भोगने को मजबूर है ! 
  साईं के बहाने पूजा पाठ मंदिरों शास्त्रों एवं परंपराओं को ड्रामा सिद्ध करने की तैयारी !

    रावण ने मायावी साधू बनकर सीता का हरण किया था और साईं मायावी देवता बनकर संस्कृति का हनन कर रहे हैं ! 

    अरे हिन्दुओ !आज कुछ मायावी लोग तुम्हारे देवी देवता ,योगी,सिद्ध आदि बनने के लिए घात लगाए बैठे हैं यदि तुम थोड़ा भी चूके तो वो लोग तुम्हारे देवी देवता गुरु सिद्ध साधक आदि कुछ भी बन बैठेंगे !फिर तुम्हारी पीढ़ियों तक को अनादि काल तक उन्हें ढोना पड़ेगा ।  

   साईं या किसी और ऐसे वैसे व्यक्ति को देवता मानने का मतलब हमारे धर्म में सबकुछ काल्पनिक और माननेवाली चीजें  ही हैं !इस धर्म में सच्चाई कुछ भी नहीं है !जो जिसे जब और जैसे चाहे वो उसे देवी देवता बना ले और मढ़ दे हिंदुओं के मंदिरों पर !और मंदिरों में रखकर पुजवाना चालू करवा दे कितनी बड़ी साजिश है सनातनधर्मी हिंदुओं के साथ !जिसे हिन्दू अभी समझ नहीं रहे हैं आगे इसके कितने घातक परिणाम होंगे इसकी अभी कल्पना भी नहीं की जा सकती !

      शास्त्र को न जानने वाले कुछ अज्ञानी लोगों ने साईं को देवता बना तो लिया और मंदिरों में रखकर पुजवाने भी लगे किंतु जब कोई किसी अन्यधर्मी किसी और की मूर्तियाँ मंदिरों में रखकर पुजवाना चाहेगा तो उसे किस नियम से रोका  जाएगा !वो अपने श्रद्धा पुरुष के लिए कहेगा कि ये भी बड़े दयालू हैं ये सबकी मनोकामनाएँ पूर्ण कर देते हैं!

 आखिर साईं को देवता बनाकर पूजने की मजबूरी क्या थी ! क्या हिन्दू धर्म में देवी देवता नहीं थे ?

    देवी देवताओं की उपासना करने के लिए समझाया जाता है कि जो पाप करेगा भगवान उस पर गुस्सा होते हैं इसलिए पाप अपराध आदि गलत काम छोड़कर देवी देवताओं की शरण में आओ किन्तु साईं वाले कहने लगे कि कुछ भी करो साईं सब माफ कर देंगे ये बाबा बड़े दयालू हैं !बंधुओ !क्या ये अप्रत्यक्ष रूप से अपराधों को प्रमोट करना या उनका समर्थन करना नहीं है !

    अरे हिंदुओ ! तुम्हारे जैसा कायर कौन हो सकता है जो अकारण अपने मंदिरों में एक साधारण से बुड्ढे की मूर्तियाँ पुजवा रहा है ,कोई स्वाभिमानी व्यक्ति अपने बाप को छोड़कर किसी और को बाप नहीं बना सकता तुम अपना भगवान बदल लेते हो !कुछ लोग अपने श्रद्धा पुरुष की पोशाक किसी और के पहन लेने पर परेशान हो जाते हैं किन्तु तुम्हारे अंदर वो स्वाभिमान क्यों नहीं है!कोई अपने गुरू की निंदा नहीं सुन सकता तुम अपने भगवान की निंदा सुनते हो !

   अरे !साईं पूजक हिन्दुओ ! क्या तुम्हें भी लगता है कि साईं बाबा बड़े दयालू हैं और यदि हाँ तो श्री राम कृष्ण शिव दुर्गा आदि देवी देवताओं की दया पर भरोसा नहीं रहा क्या तुम्हें !आखिर क्यों अपमानित करवा  रहे हो अपने देवी देवताओं को !क्यों लजाते घूम रहे हो अपने भगवानों को !बुड्ढे के प्रतिमा पत्थरों के आगे क्यों गिड़गिड़ा रहे हो तुम ! ऐ भिक्षुकों ! यदि केवल कुछ माँगने के लिए ही अपने देवी देवताओं  को लजाते साईं पत्थरों के सामने रोते घूम रहे हो तुम तो कभी पवित्र भावना से अपने देवी देवताओं से भी कुछ माँग कर तो देखते !

     ऐ पाप प्रेमियो ! आखिर देवी देवताओंको छोड़कर तुम साईं के यहाँ गए क्या समझकर !केवल इसीलिए न कि साईं के यहाँ पाप करने को रोका  नहीं जाता अपितु पीठ ठोकी जाती है कि कुछ भी करो बाबा बचा लेंगे क्योंकि वो बहुत दयालू हैं !यदि ये नहीं तो और ऐसा क्या है जो देवी देवताओं से अलग हैं !

    किसी के कहने मात्र से किसी को देवता मान लिया जाएगा क्या ?किसी को देवता मानने के लिए शास्त्र की सहमति लेनी आवश्यक है! कुछ लोगों ने अपने अनुयायियों को समझा रखा है कि हम मरें तो हमारी भी मूर्तियाँ मंदिरों में लगाई जाएँ और हमारा भी आरती पूजन उसी प्रकार से हो जैसे साईं बुड्ढे का होता है !आप स्वयं सोचिए बाबाओं की ऐसी महत्वाकाँक्षा को कैसे पूरा किया जा सकेगा !

   जिन सनातन धर्म ग्रंथों से देवी देवताओं के विषय में हमें प्रेरणा मिलती है उनमें साईं की चर्चा ही नहीं है संत साहित्य में साईं की चर्चा नहीं है आजादी के इतिहास में साईं की चर्चा नहीं है साहित्यकारों में साईं की चर्चा नहीं है भक्तसंतों की परंपरा में साईं की चर्चा नहीं है ,साईं को किसी मंदिर में जाते देखा नहीं गया आदि आदि फिर साईं देवता किस बात के !

      आज धर्म के नाम पर पाखण्ड की भरमार होती जा रही है आश्रमों के नाम पर ऐय्याशी के अड्डे बनते जा रहे हैं बाबा लोग अपनी अपनी सुविधानुशार धर्म पालन की सलाह दे रहे हैं जैसे जो लोग अपनी  शिष्याओं के प्रति बासना का भाव रखते हैं वो उन्हें कृष्ण की रासलीलाओं को बासनात्मक बताकर उनके उदाहरणों से अपनी ओर आकर्षित करते  हैं कि जब कृष्ण ने ऐसा किया तो हम आप क्यों न करें !इसी प्रकार से और भी अनेकों उदाहरण हैं । 

       ऐसे  सभी प्रकार के पाखंडों से बचने के लिए हमें धर्म के मामले में शास्त्रों को आगे करके चलना होगा अगर कोई पंडित महात्मा पुजारी गुरु आदि आपको कोई उपदेश करता है या ज्योतिष एवं तंत्र सम्बन्धी कोई उपदेश या शंका समाधान करता है तो उचित है कि आप उससे प्रमाण पूछिए कि ये  किस आधार पर कह रहे हैं आप ! जिसदिन आप ऐसा करना सीख जाएँगे उसीदिन आपको मूर्ख बनाना इन पाखंडियों को बंद करना होगा !

   

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