Tuesday, 15 September 2015

EDMC की डिस्पेंसरी में पैसे दो तो दवाई मिले अन्यथा चले जाओ चाचा नेहरू में ये कहना है यहाँ के डॉक्टरों का !

 जनता को जलील करने वाले ऐसे लोगों का जनता आखिर क्या कर ले !कहाँ से लावे इतने कैमरे और कैसे टेप करे इनकी हरकतें !फिर सुनावे किसे !फिर ऐसे लोगों के कहर से बचे कैसे !आमआदमी को तो सब कुछ सोचना पड़ता है । सरकार का निगरानी तंत्र बिलकुल फेल है और जनता की कहीं सुनी नहीं जाती ,दावे कोई कितने भी क्यों न करे !
     जनता की सेवा के लिए बने जिन सरकारी विभागों से जनता ही संतुष्ट नहीं हैं उन्हें बंद क्यों नहीं कर दिया जाता ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों की हमेंशा हमेंशा के लिए छुट्टी क्यों नहीं कर दी जाती है !जिससे ऐसे लोगों से काम लेने के लिए जनता का उत्साह बढ़े !
    जब दिल्ली में EDMC की डिस्पेंसरियों में स्वास्थ्य सेवाओं का इतना बुरा हाल है तो सुदूर गाँवों में क्या बीतती होगी मरीजों पर !
     जब  सरकारी कर्मचारियों से काम लेना सरकार के बश में ही नहीं है तो सरकार क्यों बढ़ाती जा रही है उनकी सैलरी !आखिर सैलरी भी तो जनता के पैसों से दी जाती है तो ये लोग जनता के कामों में क्यों करते हैं मक्कारी ?
    जनता को काम लेना पड़ता है और जनता की बात वो लोग सुनते नहीं हैं ऐसे लोगों को ठीक करने के अधिकार जनता को क्यों नहीं दिए जाते अन्यथा बंद कर दिए जाएँ ऐसे विभाग जो काम न करने के लिए या फिर  घूस लेकर काम करने वाले लोगों को सैलरी देने के लिए बदनाम हों !ऐसे लोगों पर गुस्सा होकर भी जनता क्या बिगाड़ लेगी उनका !
    सरकार का ऐसा कौन सा विभाग या हेल्प लाइन नंबर है जिसमें जनता की समस्याएँ सीधे सुनी जाती हों और दोषियों पर कार्यवाही भी की जाती हो !
    सरकारी डिस्पेंसरियों में भी इतना भ्रष्टाचार !
   बंधुओ ! हमारी दोनों बेटियाँ सरकारी स्कूलों में पढ़ती हैं एक पूर्वी दिल्ली नगर निगम का है तो दूसरा दिल्ली सरकार का है !एक कक्षा 5 में है तो दूसरी कक्षा 6 में है । हमारी दोनों बेटियों के पैर गाँठों के पास से अचानक बाहर की ओर तेजी से मुड़ने लगे ! हम लोग घबरा गए और स्कूल वालों के कहने पर स्कूल में ही चलने वाली नगर निगम की डिस्पेंसरी में ले जाकर बच्चों को दिखाया जो केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्ष बर्धन के क्लीनिक के सामने चलती है । जहाँ डॉ.अजय ने सारी रिपोर्टें देखीं और इसे बिटामिन 'डी' की कमी से होने वाली बीमारी बताया जिससे बचाव के लिए उन्होंने Calton  D Fort और calcitas अपनी डिस्पेंसरी से दिलवाए और इसे बिना नागा तीन महीने तक लगातार  खिलाने के लिए कहा और बोले कि जब ख़त्म हो जाए तब यहीं से ले जाना किंतु खिलाते रहना हमने कहा ठीक है ।
    उनके बगल के कमरे में जो सज्जन दवा दे रहे थे  उन्होंने 200 रुपए माँगे और साफ कहा कि ये सबको देने होते हैं ऐसा डॉक्टर साहब का आदेश है मैंने कहा किंतु यहाँ तो दवाएँ फ्री मिलती हैं इस पर उसने कहा कि ऐसा नहीं है जब मैं डॉक्टर साहब के पास कहने जाने लगा तो उन्होंने हमें यह कहते हुए मना कर दिया कि आज आप पैसे मत दो और ले जाओ !यह सुनकर मैं चला आया ! जब दवा ख़त्म हुई तो मैंने मार्केट में ट्राई किया तो सेम स्पेलिंग की दवा नहीं मिली अंत में फिर डिस्पेंसरी गया वहाँ डॉ अजय मिले जिन्होंने पहले देखा था किंतु आज वो नाराज थे (संभवतः 200रुपए न देने के कारण) उन्होंने बात भी ठीक से नहीं की और हमसे कहा कि आप चाचा नेहरू में जाकर दिखा लो वहीँ मिल सकती हैं तुम्हें मुफ्त दवाएँ  ! 
    मैंने कहा वहाँ लाइन बहुत लम्बी होती है इतनी जल्दी दवा नहीं मिल पाएगी और आपने तो कहा था कि ये दवा तीन महीने लगातार चलनी है नागा  मत करना जबकि हमारे पास अब दवा बिलकुल नहीं है नागा  हो जाएगा ये दवा बाजार में मिल भी नहीं रही है तो उन्होंने कहा इसके लिए मैं क्या करूँ ! तो मैंने कहा आप इसकी जगह कोई दूसरी दवा लिख दो जो बाजार में मिल जाए ! ऐसा मैंने उनसे विशेष निवेदन किया तो उन्होंने कहा ये दवा बच्चों के लिए विशेष हार्मफुल है इसलिए हम नहीं दे सकते !आप बारह बजे आकर डॉक्टर रत्नाकर से बात करो !जबकि डॉक्टर रत्नाकर उस समय भी उन्हीं के साथ बैठे थे बातें चल रही थीं इसलिए मुझे दोपहर में बुलाया गया था !खैर ,मैं डॉक्टर रत्नाकर के पास बारह बजे गया तो वो कुर्सी पर बैठे सो रहे थे मैंने जैसे ही बुलाया तो वो झल्ला उठे और हमें डाँटते हुए उन्होंने कहा कि सुबह जब तुमसे कह दिया गया था कि चाचा नेहरू जाओ तो फिर चले आए हमारा शिर खाने !यहाँ कोई दवा नहीं है आप यहाँ से निकल जाओ !आदि आदि !!
   इस पर डॉक्टर अजय एवं स्टॉप ने भी उन्हीं का साथ दिया हम अपनी बेटी का हाथ पकड़े अपमानित निराश एवं किंकर्तव्य विमूढ़ होकर वापस लौट आए !रास्ते में लँगड़ाती हुई हमारी बिटिया हमसे बार बार पूछ रही थी कि पापा अब क्या करोगे !हमारा पैर अब ठीक नहीं होगा क्या ?तो मैंने कहा कि बेटा प्राइवेट में चलकर दिखाएँगे तुम क्यों परेशान  हो और मैंने प्राइवेट में दिखाया जहाँ का इलाज अभी भी चल रहा है ! 
        हमारे प्रश्नों का उत्तर कौन देगा ?   
  • आखिर हमसे दो सौ रुपए क्यों माँगे गए थे जबकि  दवाएँ सरकारी तौर पर निशुल्क देने की योजना है ? 
  •  डॉक्टर हमें चाचा नेहरू  भेजने की जिद क्यों कर रहे थे क्या वे इतने अयोग्य हैं कि उन्हें बिटामिन डी और कैल्शियम की गोलियाँ  भी देने की जानकारी नहीं है !और यदि हाँ तो ऐसे अयोग्य डाक्टरों एवं असक्षम डिस्पेंसरियों पर करोड़ों रुपए क्यों बर्बाद किए जा रहे हैं और ऐसे अयोग्य एवं अकर्मण्य डाक्टरों को क्यों दी जा रही है लाखों रुपए की सैलरी ? 
  • डॉक्टर अजय एक सप्ताह तक बच्चों को दवा खिलाने के बाद ऐसा क्यों कह रहे थे कि ये बच्चों के लिए विशेष हार्मफुल है और यदि ऐसा था तो उन्होंने चिकित्सा प्रारम्भ ही क्यों की थी ? 
  • डिस्पेंसरी से हमें भगाने का अधिकार इन्हें किसने दिया है ?और उनके इसी व्यवहार का परिणाम है कि डिस्पेंसरी सूनी पड़ी रहती है आखिर ऐसे डॉक्टरों के पास लोग आकर क्या करें ! 
  •  महिलाओं की चिकित्सा का भी यही हाल है उनकी बीमारी आरामी पर तो ध्यान होता नहीं है अपितु उनका आपरेशन करने में पूरी ऊर्जा लगाई जा रही होती है ! 
  •  EDMC की ऐसी डिस्पेंसरियों पर जनता की कमाई के करोड़ों रुपए क्यों बर्बाद किए जाते हैं जहाँ जनसेवाओं को बोझ समझा जाता हो ! 
  •  यदि यहाँ कुछ जिम्मेदारी भी निभाई जाती होती तो आस पास तक के लोगों को आखिर क्यों नहीं पता होता है कि यहाँ कोई डिस्पेंसरी भी चलती  है । 
  • यहाँ के अफसरों की क्यों नहीं है कोई जिम्मेदारी कि वो देखें तो सही कि आखिर ये लोग करते क्या हैं कभी कभी किसी स्कूल में चक्कर मार आए  बस !केवल खाना पूर्ति के लिए रखे गए हैं ये !आश्चर्य !जनता के पैसे की इतनी बर्बादी !और नहीं है कोई देखने वाला !क्या हुआ बेकार में केजरीवाल और मोदी जी जैसे कर्मठ लोगों को लेन का लाभ यदि वो सरकारी विभागों की मक्कारी ही नहीं दूर कर सके !तब तो कांग्रेस क्या बुरी थी !





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