दिल्लीवालों का भरोसा जीतने के लिए सरकार और सरकारी तंत्र भी कुछ तो करे !
दबंगों के विरुद्ध जनता कैसे लड़े ?जनता को सलाह दी जाती है कि पुलिस में कम्प्लेन कर दो या कोर्ट में केस कर दो किंतु ये सब करने की अपेक्षा आत्महत्या करना ज्यादा सरल लगता है जनता को क्योंकि ऐसे लोगों का साथ कोई सरकारी तंत्र देगा इस बात से तो समाज का भरोसा ही टूट चुका है आज जैसी कानून व्यवस्था है अपने देश में उसमें भरोसा किस पर किया जाए !और जब ये हाल दिल्ली का हो तो देश का क्या होगा !
दबंद लोग आज कहीं भी कब्ज़ा कर लेते हैं छत पर रखी हुई किसी की टंकियों का पानी बंद कर देते हैं किसी की कार की हवा निकाल देते हैं किसी को गालियाँ देने लगते हैं किसी को चांटा मार देते हैं सरकार ऐसे लोगों के विरुद्ध अपने आपसे कोई एक्सन क्यों नहीं लेती है ऐसे लोगों के ऊपर कम्प्लेन करने से लोग डरते हैं क्योंकि प्रशासन की ओर से उनकी सुरक्षा की कोई श्योरिटी नहीं होती है आखिर किससे कम्प्लेन कहें दिल्ली वाले जिन पर भरोस हो !
दबंगों के विरुद्ध जनता कैसे लड़े ?जनता को सलाह दी जाती है कि पुलिस में कम्प्लेन कर दो या कोर्ट में केस कर दो किंतु ये सब करने की अपेक्षा आत्महत्या करना ज्यादा सरल लगता है जनता को क्योंकि ऐसे लोगों का साथ कोई सरकारी तंत्र देगा इस बात से तो समाज का भरोसा ही टूट चुका है आज जैसी कानून व्यवस्था है अपने देश में उसमें भरोसा किस पर किया जाए !और जब ये हाल दिल्ली का हो तो देश का क्या होगा !
दबंद लोग आज कहीं भी कब्ज़ा कर लेते हैं छत पर रखी हुई किसी की टंकियों का पानी बंद कर देते हैं किसी की कार की हवा निकाल देते हैं किसी को गालियाँ देने लगते हैं किसी को चांटा मार देते हैं सरकार ऐसे लोगों के विरुद्ध अपने आपसे कोई एक्सन क्यों नहीं लेती है ऐसे लोगों के ऊपर कम्प्लेन करने से लोग डरते हैं क्योंकि प्रशासन की ओर से उनकी सुरक्षा की कोई श्योरिटी नहीं होती है आखिर किससे कम्प्लेन कहें दिल्ली वाले जिन पर भरोस हो !
भ्रष्टाचार को व्यापार माननेवाले अपराधी हों या अधिकारी इन्हें चिन्हित कैसे किया जाए और कार्यवाही ऐसी क्या हो जिसे देखकर औरों को भी सबक मिले !दिल्ली में अभी तक तो शिकायत करने वालों पर ही भारी पड़ते हैं अपराधी !गुंडई रोकने और आम आदमियों का भरोसा जीतने के लिए भी कुछ करे सरकार ! जिम्मेदारियाँ तो तय हों !!
इस समय पूर्वी दिल्ली में बिल्डिंग से संबंधित किसी समस्या के लिए EDMC वाले कहते हैं दिल्ली सरकार से कहो दिल्ली सरकार कहती है कि ये काम मोदी सरकार का है अंत में निरपराध होते हुए भी पीड़ित व्यक्ति को केस करने की सलाह दी जाती है जिसमें खर्चा वो करे जिसका कोई अपराध न हो वही लोगों से हाथ पर जोड़ते घूमे अंत में अपराधियों के द्वारा धमकाया वही जाए सबसे डर कर केस वापस ले ले फिर निराश हताश होकर सहता रहे अपराधियों के जुल्म !इसे कानून का शासन कहा जाए या अपराधियों का ? इसके उदाहरण तो अनेकों होंगे किंतु मेरी जानकारी में है पूर्वी दिल्ली की ऐसी ही एक बिल्डिंग एवं इसमें रहने वाले हैरान परेशान डरपोक लोग !इनकी प्रशासन से एक ही शिकायत है कि अपराधियों के विरुद्ध कम्प्लेन करने वालों को धमकियाँ तो तुरंत मिलने लगती हैं काम हो या न हो! इसलिए कितनी भी मुशीबत उठाएँगे किंतु कम्प्लेन नहीं करेंगे !
इस समय पूर्वी दिल्ली में बिल्डिंग से संबंधित किसी समस्या के लिए EDMC वाले कहते हैं दिल्ली सरकार से कहो दिल्ली सरकार कहती है कि ये काम मोदी सरकार का है अंत में निरपराध होते हुए भी पीड़ित व्यक्ति को केस करने की सलाह दी जाती है जिसमें खर्चा वो करे जिसका कोई अपराध न हो वही लोगों से हाथ पर जोड़ते घूमे अंत में अपराधियों के द्वारा धमकाया वही जाए सबसे डर कर केस वापस ले ले फिर निराश हताश होकर सहता रहे अपराधियों के जुल्म !इसे कानून का शासन कहा जाए या अपराधियों का ? इसके उदाहरण तो अनेकों होंगे किंतु मेरी जानकारी में है पूर्वी दिल्ली की ऐसी ही एक बिल्डिंग एवं इसमें रहने वाले हैरान परेशान डरपोक लोग !इनकी प्रशासन से एक ही शिकायत है कि अपराधियों के विरुद्ध कम्प्लेन करने वालों को धमकियाँ तो तुरंत मिलने लगती हैं काम हो या न हो! इसलिए कितनी भी मुशीबत उठाएँगे किंतु कम्प्लेन नहीं करेंगे !
पूर्वी दिल्ली कृष्णा नगर में k-71 दुग्गल बिल्डिंग नाम से एक चार मंजिला बिल्डिंग है जिसमें सोलह फ्लैट हैं बिल्डर सारे फ्लैट बेचकर चला गया था ! सामूहिक छत होने के कारण शर्दी में धूप सेकते एवं गर्मियों में बिजली चले जाने पर लोग खुली हवा में छत पर लेट जाया करते थे !किंतु आज की स्थिति ये है कि ऊपर की मंजिल में रहने वाले मात्र दो लोगों ने छत पर जाने आने का रास्ता बंद कर दिया है ताला लगा दिया है ताली उनके पास है यहाँ तक कि अब तो टंकियों में पानी तक नहीं भरा जा सकता इतने डेंगू आदि का शोर मचा रहा किंतु टंकियाँ साफ नहीं कराई जा सकतीं !फ्लैटों में रहने वाले दस बारह परिवार पानी के बिना बुरी तरह से परेशान हैं किंतु उन लोगों की धमकियों से डरे सहमे बेचारे शिकायत छोड़िए अब तो अपनी परशानी भी बताने में डरने लगे हैं बिल्डिंग वाले जैसे जैसे डरते जा रहे हैं वैसे वैसे वो लोग अपनी पदोन्नत्ति करते जा रहे हैं ।उनके कथनानुशार ववो दिल्ली सरकार क्या केंद्र सरकार को कुछ नहीं समझते जिसे जहाँ जो शिकायत करनी हो सो कर ले उनका क्या बिगाड़ लेगा !श्री मान जी अब तो अपने को SHO बताने लगे हैं और कहने लगे हैं कि छत मैंने खरीद ली है किंतु पिछले बीस वर्षों से जो टंकियाँ रखी हैं वो जबर्दश्ती बंद की जा सकती हैं क्या ?किंतु उनसे कोई ये पूछने वाला नहीं है कि छत में ताला तुमने लगाया कैसे क्या अधिकार था तुम्हारे पास ?ऐसे तो कल बेसमेंट वाले बेसमेंट बंद कर देंगे लोग अपने अपने दरवाजे सामने की सीढ़ियाँ बंद कर देंगे उन्हें कैसे रोका जाएगा !
शुरू से हुआ कुछ ये कि बिल्डिंग के जब सारे फ्लैट बिक गए उसके कुछ वर्ष बाद बिल्डिंग में रहने वालों की जानकारी के बिना बिल्डर से किसी ने आधी छत खरीद ली और उस पर बिल्डिंग में रहने वालों से बिना कोई सलाह मशविरा किए बिना ही एक मोबाईल टावर लगवा दिया जिसका किराया वो लेता है जबकि वो बिल्डिंग में रहता भी नहीं है और न ही बिल्डिंग में उसका कोई फ्लैट ही है । शुरू में कहा गया था कि बिल्डिंग के मेंटिनेंस के रूप में 4000 रूपए महीने एवं एक गार्ड देख रेख के लिए बिल्डिंग वालों को दिया जाएगा उस हिसाब से अब तक लाखों में बनते हैं किंतु न तो कुछ दिया गया और न ही कोई गार्ड आया ! रेडिएशन का खतरा है या नहीं सुना है कि इस पर रिसर्च चल रही है किंतु यदि बाद में पता लगा कि रेडिएशन का खतरा है तो ये खतरा बिल्डिंग में रहने वाले लोग अभी तक क्यों भोगते आ रहे हैं जबकि उनका उस टावर से कोई लेना देना नहीं है किराया वो ले रहा है और खतरा बिल्डिंग वाले उठा रहे हैं ।इसका जवाब देने के लिए कोई अधिकारी तैयार नहीं है ।
दूसरी बात टावर में अक्सर कुछ न कुछ ठीक करने के बहाने अपरिचित लोग बिल्डिंग में बिना पूछे बताए घुसते रहते हैं अगर वो कभी कोई बारूद रख कर भी चले जाएँ तो पता तभी चलेगा जब विस्फोट होगा । लापरवाही सरकार की भोग रहे हैं बिल्डिंग वाले ! इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है ?
बिल्डिंग वालों ने अपरिचित देखकर कई बार एतराज किया तो वो लड़के लड़ने लगे तब पुलिस बोलाई गई किंतु पुलिस को उन लोगों ने प्रसन्न कर लिया और दसपाँच लोग लेकर बिल्डिंग में रहने वालों को वो लोग धमका गए खबरदार जो अबकी शिकायत की आदि आदि और भी बड़ी बड़ी धमकियाँ !तब से बिल्डिंग वाले बेचारे पूरी तरह शांत हो गए हैं अब कोई कुछ भी करे उनकी बला से !किंतु बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए क्या ये सही है !
दूसरी बात टावर में अक्सर कुछ न कुछ ठीक करने के बहाने अपरिचित लोग बिल्डिंग में बिना पूछे बताए घुसते रहते हैं अगर वो कभी कोई बारूद रख कर भी चले जाएँ तो पता तभी चलेगा जब विस्फोट होगा । लापरवाही सरकार की भोग रहे हैं बिल्डिंग वाले ! इसके लिए जिम्मेदार आखिर कौन है ?
बिल्डिंग वालों ने अपरिचित देखकर कई बार एतराज किया तो वो लड़के लड़ने लगे तब पुलिस बोलाई गई किंतु पुलिस को उन लोगों ने प्रसन्न कर लिया और दसपाँच लोग लेकर बिल्डिंग में रहने वालों को वो लोग धमका गए खबरदार जो अबकी शिकायत की आदि आदि और भी बड़ी बड़ी धमकियाँ !तब से बिल्डिंग वाले बेचारे पूरी तरह शांत हो गए हैं अब कोई कुछ भी करे उनकी बला से !किंतु बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए क्या ये सही है !
दिल्ली प्रशासन की ये लापरवाही देखकर पीड़ित सक्षम लोग तो बिल्डिंग छोड़कर चले गए हैं कुछ किराए पर उठकर बाहर रहने को मजबूर हैं जबकि अक्षम लोग अभी भी यहीं रह रहे हैं कहाँ जाएँ वो ?अब तो कहीं कोई शिकायत करके भी रिस्क नहीं लेना चाहते हैं यहाँ तक कि आज उन पर क्या बीत रही है पूछने पर भी वो बताने में डरते हैं। उन्हें MCD या पुलिस आदि प्रशासन पर भरोसा तो अब बिलकुल नहीं रहा इसलिए सारी समस्याएँ सह रहे हैं बेचारे !
बिल्डिंग वालों की इसी कमजोरी का लाभ उठाने के लिए बिल्डिंग में सबसे ऊपर जिनका फ्लैट है वो अब अपने को ShO बताने लगे हैं अब उन्हें भी चाहिए धन ! उन्होंने टावर लगने से बची आधी छत पर भी लगभग पिछले एक वर्ष से किसी को टंकियाँ देखने जाने तक के लिए मना कर रखा है !दूसरी ओर छत पर कुछ जगह और खाली है उसके नीचे रहने वाले व्यक्ति अब अपने को वकील कहने लगे हैं उन्हें भी कुछ चाहिए अन्यथा उनके लिए टंकियाँ रखने की बात तो दूर छत पर से पानी का पाइप भी नहीं निकलने देते हैं लापरवाह अधिकारियों की कृपा से ये रौब है उनका !इस प्रकार से उन दोनों लोगों ने बिल्डिंग वालों का सामूहिक ताला बदल दिया है अब छत पर जाने के लिए लोग उन्हीं लोगों की कृपा पर आश्रित हैं , ताली उन्हीं लोगों के पास है !इतना डेंगू का शोर मचा रहा टंकियाँ साफ रखने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन दिखाई सुनाई पड़ते रहे किंतु उन लोगों ने साफ साफ कह दिया कि जिससे जिसको शिकायत करनी हो कर दे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता !आदि आदि !
पहले भी कुछ वर्षों से कभी टंकियाँ फाड़ दी जाती रही हैं कभी गोबर कुत्ते की बीट कूड़ा आदि डाल दिए जाते रहे हैं यहाँ तक कि एक बार तो मरी हुई बिल्ली जो पहले छत पर पड़ी हुई देखी गई थी वो उठाकर टंकी में डाल दी गई थी लोग उसी पानी से बर्तन धोते नहाते कुल्ला आदि करते रहे । जब बिल्ली बिलकुल गल गई तब बिल्डिंग वालों को पता लगा तब साफ कराई गईं टंकियाँ !
अब तो वो लोग यहाँ तक कहने लगे हैं कि छत हमने खरीद ली है और बिल्डिंग वालों को धमकाकर पानी बिलकुल बंद कर रखा है कई महीनों से ये यातनाएँ झेल रहे लोग आज भी उन लोगों के विरुद्ध मुख खोलने को तैयार नहीं हैं !
बिल्डिंग दिनोंदिन पुरानी होती जा रही है कभी कभी वेसमेंट में पानी भर जाता है लोग डरते हुए भी उसे इसलिए ठीक नहीं करवा रहे हैं कि बिल्डिंग का मेन्टीनेंश जो तय हुआ था वो या तो टावर वाले दें बिल्डिंग की रिपेयरिंग करवायी जाए अन्यथा टावर तुरंत हटाया जाए तो हम लोग खुद रिपेयरिंग करवा लेंगे !
अंधेर तो ये है कि अब तो सबसे नीचे की फ्लोर वाले भी वेसमेंट में ताला डालने की चर्चा करने लगे हैं वहाँ पीने के पानी की मोटरें लगी हैं जिनसे काम चल रहा है ! यहाँ एक दो लोग व्यापारिक कार्य कर रहे हैं उन्हें उतनी दिक्कत नहीं है !इसलिए वो क्यों बोलें ! कुल मिलाकर बिल्डिंग वालों को न तो कानून व्यवस्था का भय है और न ही कानून व्यवस्था पर भरोसा ही है इसलिए वो किसी एप्लीकेशन पर साइन तक करने से डरते हैं इतने डराए धमकाए जा चुके हैं ।
बिल्डिंग वालों की इसी कमजोरी का लाभ उठाने के लिए बिल्डिंग में सबसे ऊपर जिनका फ्लैट है वो अब अपने को ShO बताने लगे हैं अब उन्हें भी चाहिए धन ! उन्होंने टावर लगने से बची आधी छत पर भी लगभग पिछले एक वर्ष से किसी को टंकियाँ देखने जाने तक के लिए मना कर रखा है !दूसरी ओर छत पर कुछ जगह और खाली है उसके नीचे रहने वाले व्यक्ति अब अपने को वकील कहने लगे हैं उन्हें भी कुछ चाहिए अन्यथा उनके लिए टंकियाँ रखने की बात तो दूर छत पर से पानी का पाइप भी नहीं निकलने देते हैं लापरवाह अधिकारियों की कृपा से ये रौब है उनका !इस प्रकार से उन दोनों लोगों ने बिल्डिंग वालों का सामूहिक ताला बदल दिया है अब छत पर जाने के लिए लोग उन्हीं लोगों की कृपा पर आश्रित हैं , ताली उन्हीं लोगों के पास है !इतना डेंगू का शोर मचा रहा टंकियाँ साफ रखने के लिए बड़े बड़े विज्ञापन दिखाई सुनाई पड़ते रहे किंतु उन लोगों ने साफ साफ कह दिया कि जिससे जिसको शिकायत करनी हो कर दे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता !आदि आदि !
पहले भी कुछ वर्षों से कभी टंकियाँ फाड़ दी जाती रही हैं कभी गोबर कुत्ते की बीट कूड़ा आदि डाल दिए जाते रहे हैं यहाँ तक कि एक बार तो मरी हुई बिल्ली जो पहले छत पर पड़ी हुई देखी गई थी वो उठाकर टंकी में डाल दी गई थी लोग उसी पानी से बर्तन धोते नहाते कुल्ला आदि करते रहे । जब बिल्ली बिलकुल गल गई तब बिल्डिंग वालों को पता लगा तब साफ कराई गईं टंकियाँ !
अब तो वो लोग यहाँ तक कहने लगे हैं कि छत हमने खरीद ली है और बिल्डिंग वालों को धमकाकर पानी बिलकुल बंद कर रखा है कई महीनों से ये यातनाएँ झेल रहे लोग आज भी उन लोगों के विरुद्ध मुख खोलने को तैयार नहीं हैं !
बिल्डिंग दिनोंदिन पुरानी होती जा रही है कभी कभी वेसमेंट में पानी भर जाता है लोग डरते हुए भी उसे इसलिए ठीक नहीं करवा रहे हैं कि बिल्डिंग का मेन्टीनेंश जो तय हुआ था वो या तो टावर वाले दें बिल्डिंग की रिपेयरिंग करवायी जाए अन्यथा टावर तुरंत हटाया जाए तो हम लोग खुद रिपेयरिंग करवा लेंगे !
अंधेर तो ये है कि अब तो सबसे नीचे की फ्लोर वाले भी वेसमेंट में ताला डालने की चर्चा करने लगे हैं वहाँ पीने के पानी की मोटरें लगी हैं जिनसे काम चल रहा है ! यहाँ एक दो लोग व्यापारिक कार्य कर रहे हैं उन्हें उतनी दिक्कत नहीं है !इसलिए वो क्यों बोलें ! कुल मिलाकर बिल्डिंग वालों को न तो कानून व्यवस्था का भय है और न ही कानून व्यवस्था पर भरोसा ही है इसलिए वो किसी एप्लीकेशन पर साइन तक करने से डरते हैं इतने डराए धमकाए जा चुके हैं ।
अब तो सरकार की ईमानदारी पर ही भरोसा है कि वो सक्षम अधिकारियों को भेजकर वस्तुस्थिति समझें और रहने वाले लोगों से उनकी परेशानियाँ पूछें छत खोलवावें टंकियों की स्थिति देखें स्वतः पता चल जाएगा लोगों की परेशानियों का ! लोगों से सच्चाई समझने के लिए उन्हें विश्वास में लेना होगा क्योंकि शासन प्रशासन से कई बार धोखा खा चुके हैं वो लोग ! इसलिए वो इतनी आसानी से कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं ।
हैरान परेशान लोग जा हमसे शिकायत करते हैं तो हमने कई बार कम्प्लेन किए किंतु कार्यवाही तो हुई नहीं हमें धमकियाँ मिलने लगीं !फिलहाल आज मैं भी सामने नहीं आना चाहता हूँ । सरकार सक्षम है उसके पास संसाधन हैं वो चाहे तो इन लोगों की मदद कर सकती है या कोई मीडिया कर्मी मदद करना चाहे तो वो उद्घाटित कर सकता है सम्पूर्ण वृत्त !
श्रीमान जी !मैं किसी से कोई कम्प्लेन नहीं कर रहा मैं तो जिम्मेदार लोगों को केवल सूचित कर रहा हूँ हमारा कर्तव्य अपराध के विरुद्ध आवाज उठाने वाले समाज सेवी पत्रकारों के साथ साथ निगम ,क्षेत्रीय विधायक श्री बग्गा जी एवं सांसद श्री महेशगिरी जी तथा दिल्ली सरकार के जिम्मेदार लोगों को सूचित करना है यदि किसी के मन में कानूनी मदद करने की इच्छा हो और मदद करना चाहे तो बिल्डिंग के लोग आप सभी के आभारी होंगे !
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