Friday, 11 November 2016

मोदी सरकार का भ्रष्टाचार पर बज्रप्रहार !भ्रष्ट नेताओं में मचा हाहाकार ! ये है सजीव प्रधानमंत्री का ईमानदार परिचय !

     नरेंद्र मोदी जी देश की सुरक्षा के लिए ऐसे सोचते हैं जैसे किसी बेटी का बाप अपनी बेटी की सुरक्षा के विषय में सोचता है वो देश के लोगों से हो या विदेश के लोगों से हाथ जोड़ते हों या गले मिलते हों या पैर छूते  हों या जी हुजूरी करते हों इसमें उनका निजी स्वार्थ कुछ भी नहीं है लालच उनका केवल अपने भारत को सुखी शांत सुरक्षित एवं समृद्ध बनाना है !नवाज शरीफ की माँ के पैर छूने हों या कलाम साहब के बाड़े भाई के उनका इसमें 
वोटों का कोई स्वार्थ नहीं था !छत्तीसगढ़ में 104 वर्ष की कुँअर बाई ने बकरियाँ बेचकर शौचालय बनाया मोदी जी ने स्टेज पर उनका न केवल सम्मान किया अपितु स्नेह और आदर भावना से उनके पैर छुए थे !वाराणसी में सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर रहे कर्नल निज़ामुद्दीन के पैर छुए थे ।देश के मुशलमानों को ऐसा आदर पहले किसी प्रधानमंत्री से मिला था क्या ?मोदी जी  देश के प्रधानमंत्री हैं इसलिए देश के सवा सौ करोड़ देशवासियों को अपना मानते हैं इसीभावना  से देश के बुजुर्गों का अपनेपन से सम्मान करते हैं !फिर भी विरोधी नेता उन्हें मुस्लिम विरोधी सिद्ध करते हैं कहते हैं कि मोदी जी ने उनकी टोपी नहीं लगाई !
    हे देशवासियो !अपने देश में भ्रष्टाचार भयंकर है ऐसी लूटमार में कैसे जिया जा सकता है हर सामान में मिलावट बता बता कर विज्ञापन करने वाले बाबा जी हजारों करोड़ के ईमानदार उद्योगपति बन गए और चालाकी से देश के अधिकाँश व्यापारियों को बेईमान सिद्ध कर दिया इसी बहाने मोदी सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया क्योंकि मिलावट रोकने की जिम्मेदारी उनकी है बाबा पंडित पुजारी मुल्ला मौलवी लेखक पत्रकार नेता अभिनेता अधिकारी कर्मचारी यहाँ तक कि अपने अपने धंधे में धोखाधड़ी और मिलावट करने वाले  व्यापारी लोग भी मिलावट के लिए सरकार को दोषी ठहराते हैं । अब ये मिलावट और धोखाधड़ी से कमाया गया पैसा अगर पकड़ा नहीं जाएगा तो उन्हें सबक कैसे मिले और ये मिलावट रुकेगी  कैसे ? 
      जनता से धर्म और सेवा कार्यों के नाम पर पैसा इकठ्ठा करके व्यापार करने या ऐय्यासी भोगने वाले बाबा जोगी लोग झूठ साँच बोलकर समाज को बहकाते घूम रहे हैं उनमें से कई ने आश्रम नाम के ऐय्यासी के अड्डे बनाए हुए हैं औरतें भी रखी हुई हैं गृहस्थों से ज्यादा उनके अपने बच्चे भी हैं और वो गृहस्थों से अधिक अच्छी परवरिस में पल बढ़ रहे हैं उन्हें पालने पोषने के लिए वो स्कूल गुरुकुल आदि कोई सेवा कार्य चला लेते हैं उन्हीं में उनके भी बीबी बच्चे छिपे बने रहते हैं सबकुछ करते हुए भी बाबा जी ब्रह्मचारी विरक्त आदि सबकुछ बने रहते हैं वो चाहें एक गिलास दूध पीकर रहने की बात कहें या फिर हवा पीकर रहने की उनकी सब चाल जाता है उनकी बीबियाँ सबकुछ छिपा लिया करती हैं !उन्हें जब पैसे की कमी हुई या उनके व्यापार में जब घाटा हुआ तब सधुअई और सेवा कार्यों के नाम पर जनता से माँग लिया करते हैं और मुनाफा हुआ तो उनका अपना और अपने अघोषित बीबी बच्चों का !इसीलिए वो कहा करते हैं मेरे नाम एक भी पैसा नहीं हैं और न कही एकाउंट है !उनके बीबी बच्चों को लोग जानते नहीं हैं इसलिए वो विरक्त भी हैं साधू संन्यासी भी हैं !अन्यथा चैरिटेबल संस्थाओं में इतनी बड़ी आमदनी का जुगाड़ कहाँ रहता है कि वो हजारों करोड़ की कमाई भी कर लें !किंतु धर्म कर्म के नाम पर यह खिलवाड़ क्यों और कब तक ?
        भाग्य बताने तथा बदलने और जवानी बरकरार रखने या बीमारियाँ भगाने के लिए नग नगीने यंत्र तंत्र ताबीज या दवा आदि बनाने बेचने वाले तरह तरह की लोक लुभावनी गारंटियाँ लेने वाले समाज से लेकर टीवी चैनलों पर तक स्वतंत्र रूप से बकवास करते हैं इनकी योग्यता और दावों का परीक्षण कहाँ हुआ और किसने किया ? ऐसा करना जरूरी नहीं था क्या ? सरकार के विश्वविद्यालयों में आयुर्वेद भी पढ़ाया जाता है तंत्र मन्त्र भी पढ़ाया जाता है और ज्योतिष भी पढ़ाई जाती है सामान्य पाठ्यक्रमों की तरह ही सबकी कक्षाएँ होती हैं सबकी डिग्रियाँ हासिल की जाती हैं सरकार यदि इन विषयों में व्याप्त भ्रष्टाचार समाप्त करना चाहती तो मेडिकल की तरह ही यहाँ भी सभी विषयों की डिग्रियाँ अनिवार्य कर और फर्जी डिग्री या बिना डिग्री वालों को खदेड़ देती किंतु ऐसा नहीं किया जा सका !इसीलिए धार्मिक अपराधी लोग तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं जिनका शास्त्रों से कोई लेना देना ही नहीं है ये लोग धन धर्म आदि सबके साथ खिलवाड़ कर रहे हैं पति - पत्नी में एक दूसरे के प्रति चारित्रिक बहम डालकर फूट डालकर खुद चरित्र शोषण कर रहे हैं धन लूट रहे हैं उनके घरों में अपने बच्चे पैदा कर रहे हैं ऐसी घटनाएँ पारिवारिक कलह का कारण बनी हुई हैं !लोग न कह पा रहे हैं न सह पा रहे हैं । ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने के लिए इनके दावों की न जाँच करने के लिए की जवाबदेही  सरकारों की होती है इन क्षेत्रों में व्याप्त इतने भयंकर भ्रष्टाचार पर सरकार कोई कठोर कदम क्यों न उठावे और मेडिकल की तरह ही डिग्रीहोल्डर विद्वानों के अलावा सारे झोलाछापों को खदेड़ बाहर करे !
    हजार पाँच सौ के नोटों की तरह ही सरकार सरकारी विभागों के अधिकारियों कर्मचारियों को रातों रात सस्पेंड करे और अगले दिन स्वतंत्र परीक्षाएँ या इंटरव्यू करवा कर नई नियुक्तियाँ करे !
         सरकारी नौकरियों में व्याप्त भयंकर भ्रष्टाचार आज किसी से छिपा नहीं हैं  घूस  देने में सक्षम एवं सोर्स सिफारिस वाले अयोग्य लोगों भी सरकारी नौकरियाँ मिलजाती हैं और उन लोगों से कई गुना अधिक योग्य लोग बेरोजगार लाचार होकर बेरोजगारी गरीबी और लाचारी का जलालत पूर्ण जीवन जी रहे होते हैं ये योग्य लोग योग्य स्थानों पर नहीं पहुँच पाए इसलिए इनकी योग्यता देश और समाज के काम नहीं आ पाई और जिन अयोग्य लोगों को भ्रष्टाचार के बलपर योग्य स्थानों पर बैठाया गया है उनमें उस लायक योग्यता न होने के कारण वे देश और समाज के लिए कुछ करने उन्हें कुछ समझाने सिखाने पढ़ाने लायक हैं ही नहीं वो तो केवल सैलरी और घूस के लिए आफिसों में हाजिरी लगाने जाते हैं चले आते हैं उनमें जो कुछ ईमानदार लोग हैं उन्होंने कुछ इज्जत बचा रखी है अन्यथा आज सरकारी स्कूलों का काम प्राइवेट स्कूल सँभाल रहे हैं डाकसेवा का काम कोरियर कंपनियाँ देख रही हैं टेलीफोन क्षेत्र में मदद प्राइवेट कंपनियाँ कर रही हैं सरकारी अस्पतालों का काम प्राइवेट अस्पताल देख रहे हैं । ये सरकार से बहुत कम सैलरी देकर भी अच्छी और विश्वसनीय सेवाएँ उपलब्ध करवा रहे हैं !उन्हें दस पंद्रह हजार में काम करने वाले लोग मिलजाते हैं तो सरकार ऐसे लोगों को लाखों रुपए क्यों बाँटती है सैलरी उतने धन में तो बहुत लोगों की बेरोजगारी दूर की जा सकती है और वो वर्तमान सरकारी कर्मचारियों की अपेक्षा काम के प्रति  अपनी जवाबदेही भी समझते हैं और वो योग्य भी हैं और उनकी शार्टेज भी नहीं है सरकारी शिक्षकों की परीक्षा करवादीजिए अभी  दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा सर्कार और सरकारी कर्मचारियों दोनों के दाँत दिखाई पड़ जाएँगे !
       सरकारी अधिकारी प्रायः जनता के किसी काम नहीं आ पा रहे हैं वो सब  सुख सुविधाओं  से पूर्ण एयरकंडीसंड  सरकारी आफिसों में केवल बैठे अपने सीनियर अधिकारियों नेताओं के फोनों की प्रतीक्षा किया करते हैं वो या तो स्वतंत्र नहीं हैं या फिर लापरवाह हैं उन्हें जनता से जुड़े हर मामले में नेताओं की सिफारिसों का इंतज़ार बना रहता है मानलो हमने इस करवा दिया फाई नेता जी का फोन वैसा करने को आ गया तो क्या करेंगे इस दुविधा में महीनों लेटर लटकाए रहते हैं यदि किसी लेटर पर कोई सिफारिसी फोन नहीं आता तो उस भाग्यहीन पर बिचार करने की जरूरत क्या है उसे कूड़ेदान में फ़ेंक दिया जाता है !कुछ कर्तव्यनिष्ठ अधिकारियों को काम करने का अभ्यास भी होता है वो उन पत्रों को जाँच के लिए आगे बढ़ा देते हैं किंतु वे पत्र जाँच करने के लिए लिए पहुँचते उन्हीं कर्मचारियों के पास हैं जिनकी लापरवाही के कारण कंप्लैनर को अपनी फर्याद लेकर बड़े अधिकारियों के पास आना पड़ा था !वो कर्मचारी जाँच के लिए जब कंप्लैनर के घर जाते हैं तो उसे न केवल धमकाते हैं अपितु अब उससे घूस का अमाउंट भी अधिक माँगते हैं बताते हैं कि अब तो बहुत लोगों को देना पड़ेगा !ये लेटर जहाँ जहाँ होकर आया है उन सबको पूजना पड़ेगा अन्यथा जाँच रिपोर्ट में मैं वैसा वैसा लिखूँगा जिसमें तुम्हारे और तुम्हारे घर वालों के साथ जैसा जैसा होगा उसमें तुम तुम नहीं रहोगे जेल में पड़े पड़े सड़  जाओगे !लोगों को घबड़ाकर देनी पड़ती है घूस !यहाँ अधिकारी लोग आम जनता के किस काम आ पाते हैं !
         किसी विभाग का कोई छोटा कर्मचारी यदि किसी का काम करने को मना कर देता है और कोई मजबूरी बता देता है तो आप बड़े से बड़े अफसर के पास फर्याद सुनाकर  देख लीजिए वो उसी कर्मचारी से पूछेगा वो कर्मचारी वही मजबूरी अपने अधिकारी को भी बता देगा अधिकारी वो बात कंप्लेन करने वाले को बता देगा बस यदि आप उस अधिकारी के अपने नहीं हैं तो अधिकारी को बस इतना ही करना होता है !मान लो आपके फोन में केबल फाल्ट है आप कंप्लेन करते हैं तो लाइनमैन 100 Rs ठीक करने के लिए माँगता है यदि आपने नहीं दिए और ऊपर कम्प्लेन कर दी तो वो बता देगा कि अंडरग्राउंड केबल ख़राब है अधिकारी यही उत्तर आपको दे देगा !इसके बाद आप उसी कर्मचारी को सौ रूपए देंगे वो उसी समय आपकी केबल ठीक कर देगा !इसका मतलब कि जिस विभाग को वो अधिकारी है उस विभाग के कर्मचारी उसकी कीमत 100 रूपए की भी नहीं मानते हैं ऐसे अधिकारियों की सैलरी पर सरकार लाखों रूपए बेकार में लुटाए जा रही है !
         आफिसों में अधिकारियों की  भूमिका क्या केवल इतनी ही होनी चाहिए !
       आम जनता से मिलने जुलने या बात चीत करने में अधिकारी लोग अपनी बेइज्जती क्यों समझते हैं क्या 
     इसीलिए उन्हें दी जाती है लाखों रुपए की सैलरी भारी भरकम सम्मान और उनकी सारी सुख सुविधाओं पर लाखों रूपए खर्च किए जाते हैं !यदि ऐसे अधिकारियों ने IAS ,IPS, PCS जैसी कठिन परीक्षाओं को पास न भी किया होता तो भी देश समाज एवं उन विभागों का आखिर क्या बिगड़ जाता !जब उन्हें कुछ करना ही नहीं है विभागों के अफसरों  को तो उनके कर्मचारियों ने बिलकुल सजावटी गमले की तरह रख रखा है उन्हें चाय पानी समय से देते रहते हैं !आफिसों के एक सजे सँवरे सुख सुविधा पूर्ण एयरकंडीसंड कमरे में अधिकारियों की प्राण प्रतिष्ठा करके उनके कर्मचारी उनके सामने तो साहब साहब  कर जाते हैं पीठ पीछे उनकी बहुत बुराई करते हैं उनके प्रति समाज में खौफ पैदा करते हैं और उन्हें बड़ा गुस्सैल खुँखार आदि बताकर उनसे आम जनता को मिलने ही नहीं देते हैं  और उन्हें घूस खोर बता बता कर उनके नामपर खूब वसूली किया करते हैं ।
         सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों की गैर जिम्मेदारी के कारण सरकारी जमीनों पर कब्जे होते रहते हैं !
      घूस ले लेकर अधिकारी कर्मचारी लोग गुंडे माफियाओं के लिए ऐसे काम करते हैं जैसे सरकार उन्हें ऐसे ही कामों के लिए सैलरी देती है !कानपुर में I I T और कल्याणपुर के बीच में सरकारीमशीनरी के सहयोग से कई सरकारी जमीनों पर भू माफियाओं ने कब्ज़ा किए और प्लाटिंग करके जमीनें बेच दीं लोगों ने उस पर मकान  बना डाले अब उन जमीनों के नियमिती करण का दबाव सरकारों और निगमों पर डाला जा रहा है यदि इस हो जाता है तो ये घूसखोर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों एवं भू माफियाओं के अपराधों का प्रोत्साहन नहीं तो और क्या है !सरकारीमशीनरी की मदद से ऐसे कब्जे तो हर शहर में किए जा रहे हैं जिसके पास घूस देने के पैसे हैं उसके लिए कल्पवृक्ष बने हुए हैं सरकारी अधिकारी और कर्मचारी लोग !
          सरकारी जमीनों पर कब्ज़ा करके सरकारीमशीनरी की मदद से खेला जा रहा है खतरनाक खेल !
भूमाफिया लोगों की जो बदनाम जमीनें बिकती नहीं हैं उनमें वो बिना पिलर के बिना किसी मजबूती के पाँच पाँच इंच की चौड़ी दीवारों पर चार चार पाँच पाँच मंजिल की बिल्डिंगें बनाकर खड़ी कर देते हैं गरीब लोगों को किराए पर रहने वाले स्कूली बच्चों को कुछ सस्ता किराया करके उठा दी जाती हैं किराए पर !चेकिंग करने वाली सरकारी मशीनरी ऐसा करने के भूमाफियाओं से पैसे ले लेती है इसके बाद वो मकान मजबूत मान लिए जाते हैं !ईश्वर न करे कल कोई भूकम्प आता है तो क्या मंजर होगा कल्पना करके मन सिहर उठता है !
     भ्रष्टाचार के माता पिता हैं ये चार लोग इन पर नकेल कसे बिना कैसे समाप्त  हो जाएगा भ्रष्टाचार ?

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