Wednesday, 12 April 2017

काम कराने के लिए जिन्हें घूस देनी ही पड़ती है उन्हें सैलरी क्यों देती है सरकार ?

     शिक्षा और चिकित्सा में सबका होना चाहिए समान अधिकार फिर प्राइवेट स्कूल अस्पताल क्यों ?जनता के लिए जरूरी सुविधाओं में भी भेद भाव क्यों !अनपढ़ या अल्पशिक्षित शिक्षकों से कैसे पढ़वा लेंगे आप !उन्हें नौकरी देने वालों पर क्या कार्यवाही करेंगे आप !अवैध कामों को करवाने वाले अधिकारियों कर्मचारियों से कैसे निपट सकेंगे आप !जमीनों पर अवैधकब्ज़ा करवाने वालों की बंद कीजिए सैलरी और उनके विरुद्ध कीजिए कार्यवाही !
     PM साहब !उन्हें सैलरी क्यों देते हैं आप जो जनता से घूस भी लेते हैं !ये जनता के खून पसीने की गाढ़ी कमाई के टैक्स से प्राप्त धन होता है जो सैलरी में दिया जाता है | ये देने का क्या लाभ यदि उन्हें घूस लेकर ही काम करना है तो !सरकार के पास बिना घूस के काम करवाने का कोई तरीका है ही नहीं यदि होता तो नोटबंदी  के समय बैंक कर्मचारी घूस देने वालों का क्यों देते साथ !इसलिए घूसखोरी रोक पाना संभव नहीं ही है तो इनके चेहरों पर लिखवा दे सरकार कि कौन कितने पैसे लेकर काम करेगा !  
      अपराध एवं घूसखोरी के लिए जिम्मेदार है सरकार और सरकारी तंत्र !घूसखोरी रोकना सरकार चाहती हो तो घूस लेते हुए पकड़े गए लोगों के चेहरे पर टैटू बनवाकर लिखवा दे कि ये कितने रूपए लेते पकड़ा गया है !इतना तो तो कर ही सकती है सरकार यदि वो घूस  खोरी के इस में सम्मिलित नहीं है तो !see more.... https://www.facebook.com/Gaddaron-Ko-Pahchano-174388199662360/
      सरकारी अधिकारी कर्मचारी अपराधों के प्रकट होने के बाद वहाँ पहुँचते हैं मौका मुआयना करने !किन्तु वही अपराध जब तक गुप्त रूप में होते रहते हैं तब तक वे इन्हें रोकने में रूचि क्यों नहीं लेते हैं शिकायत मिलने के बाद भी नहीं !ये अपराधों में उनकी संलिप्तता को प्रकट करता है | ऐसे अधिकारियों कर्मचारियों को जिम्मेदार मानते हुए उनके विरुद्ध होनी चाहिए उन अपराधों को करने वालों के तरह ही शक्त कार्यवाही !
      अपराधों के होने में अपराधियों का उतना दोष नहीं है जितना अपराध होने देने वालों का है !क्योंकि वो अपराधों को न होने देने के लिए ही जो लोग सैलरी लेते हैं फिर भी यदि अपराध होते रहते हैं तो उन अधिकारियों कर्मचारियों को कर्तव्य भ्रष्ट और अर्थ भ्रष्ट मानकर सस्पेंड किया जाए और जनता के खून पसीने की कमाई से उन्हें दी गई सैलरी की पाई पाई वसूली जाए !
    नियमों का पालन कराने के लिए अधिकारियों कर्मचारियों को सैलरी दी जाती है फिर भी यदि नियम विरुद्ध काम होते हुए मिलते हैं तो इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को सस्पेंड किया जाए और उन्हें आज तक दी गई सैलरी की पाई पाई  वापस ली जाए !
     अवैधबूचड़ खाने आज तक चल कैसे रहे हैं इन्हें चलने देने के लिए जिम्मेदार लोगों को तुरंत सस्पेंड किया जाए और आज तक दी गई सैलरी की पाई पाई  वापस ली जाए !
     रिहायशी इलाकों में जिन कामों को करने की अनुमति नहीं दी गई फिर भी यदि वे चल रहे हैं इसमें उन जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को घूसखोरी के द्वारा सम्मिलित मानते हुए उन पर कार्यवाही की जाए और वापस ली जाए आजतक दी गई सैलरी !
     कानपुर के कल्याणपुर कला में फूलेश्वर शिवमंदिर के पीछे हमने एक प्लॉट 1997 में ख़रीदा था तब वहाँ  आस पास जो बचत की या अन्य सरकारी जमीन पड़ी हुई थी  जिसमें स्कूल अस्पताल पार्क आदि बनवाने के लिए बोला गया था !किंतु आज उन सरकारी जमीनों को भी लोगों ने कब्ज़ा करके घेर लिए घर बना रहे हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी उन लोगों से पैसे ले लेकर चले जाते हैं !आज भी उन जगहों की रजिस्ट्री चेक की जाए तो न वे पुस्तैनी हैं और न उनकी खरीदी हुई हैं फिर वे उनकी हुईं कैसे !घूस लेकर सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों ने कब्जे करवा दिए हैं उनके ऐसे कब्जों के लिए उन अधिकारियों कर्मचारियों को सस्पेंड करके उनसे आज तक की सैलरी क्यों न वसूली जाए !
        ऐसी ही सरकारी जमीनों को कब्ज़ा करके बिना पिलर दिए ही 5 इंच चौड़ी दीवारों पर चार चार मंजिल के माकन बना कर खड़े कर दिए गए हैं जो भूकंप का जरा सा झटका झेलने की स्थिति में नहीं हैं किंतु सरकारी मशीनरी उनसे ऐसा करने के पैसे ले गई है अब मरे सो मरे !
     इसलिए मेरा सरकार से निवेदन है कि सरकारी जमीनों पर जब जो कब्जे करवाए गए हैं वहाँ उस समय से आज तक जो भी अधिकारी कर्मचारी रहे हैं इसे न रोक पाने के लिए उन्हें जिम्मेदार मानते हुए घूसखोरी के इस अपराध में सम्मिलित उन्हें माना जाए और तुरंत सस्पेंड किया जाए तथा उनसे वसूली जाए उन्हें दी गई सम्पूर्ण सैलरी!आखिर उन्होंने रोका क्यों नहीं !
   जो शिक्षक पढ़े ही नहीं हैं तो वो पढ़ाएँगे क्या इसलिए वे बेचारे पढ़ा भी नहीं पाते हैं !किन्तु सरकार उन्हें शिक्षक मानकर अब भी सैलरी लुटाए जा रही है आखिर उनकी परीक्षा  लेती  इंटरव्यू दोबारा क्यों नहीं करवाती है सरकार !और अयोग्य शिक्षकों को निकाल बाहर करे !आज तक की सैलरी की पाई पाई वसूल ले !
     ऐसे आयोग शिक्षकों को नौकरी पर रखा किसने और क्यों ?उन जिम्मेदार लोगों को खोजा जाए यदि वे रिटायर्ड हो चुके हों या अब इस दुनियाँ में न भी रहे हों तो भी उनके सर्विस टाइम में बनाई गई संपत्तियों को जप्त किया जाए !और जो जीवित हैं उनके साथ ये तो किया ही जाए साथ में दंडात्मक कार्यवाही भी की जाए !और ऐसे शिक्षकों को सस्पेंड करके उनके स्थानों पर तुरंत नई नियुक्तियाँ की जाएँ !साथ ही उनसे आज तक दी गई सैलरी वापस ली जाए !
     निगम वाले तो प्रायः भ्रष्ट होते ही हैं दिल्ली के निगमों के कर्मचारी तो भ्रष्टाचार में भी सबसे ऊपर हैं !दिल्ली के निगम वालों का वश चले तो ये दूसरों के घर किराए पर उठाकर आजीवन उसका किराया खुद खाते रहें इतने नीच हैं इनमें से बहुत से अधिकारी कर्मचारी लोग !ऐसे लुटेरों को पद दे देकर बैठा दिया गया है जिनसे नमस्ते करने तक का मन नहीं करता उन बेशर्मों के आगे सर सर मैडम मैडम कह कर गिड़ गिड़ाना पड़ता है जनता को !सरकारों के पाले हुए लुटेरों से जनता को जूझना पड़ता है घूस दे देकर काम करवाना पड़ता है और सरकार इन्हें फोकट में सैलरी बाँटती रहती है !जनता को तो काम लेना होता है किन्तुं वे कामचोर लोग सैलरी ले लेते हैं किन्तु काम नहीं करते हैं | सरकार को यदि यही स्वीकार्य है तो निगम कर्मचारियों के चेहरों पर लिखवा दिए जाएँ दाम !किस अवैध काम को करने देने के लिए किसे कितने पैसे देने पड़ेंगे
मोबाईल टावरों से कैंसरआदि बड़ी बीमारियाँ फ़ैल रही हैं सुप्रीम कोर्ट ने मोबाइल टावर बंद करायाsee more.....http://navbharattimes.indiatimes.com/india/man-claims-cell-tower-gave-him-cancer-supreme-court-shuts-it-down/articleshow/58137754.cms
सरकार मूक दर्शक बनी हुई है बैध तो बैध सही अवैध मोबाईल टावरों की भरमार है राष्ट्रिय राजधानी दिल्ली में !क्या बिना घूस लिए लगाने दिए गए होंगे ये ! जब दिल्ली की ये स्थिति है तो बाकी  सारे देश में क्या हो रहा होगा इसकी कल्पना ही की जा सकती है ! इसका एक मात्र कारण घूस खोरी है सरकार कहती है भ्रष्टाचार घट रहा है किन्तु भ्रष्टाचार तो दिन दूना रात चौगुना बढ़ता जा रहा है !
       मोबाईल टावरों के विषय में कानूनों का पालन न करने को लेकर सरकार जिम्मेदार है  !गैर कानूनी टॉवर लगाया जाना और फिर उनका लगातार चलते रहना फिर ऐसे मोबाईल टावरों के रेडिएशन एवं  मैकेनिकों के नाम पर अवैध टावरों पर आने जाने वाले आपराधिक तत्वों से खतरा झेलने वाले वहाँ रहने वाले लोगों की सहमति न लेना उनकी जिंदगी और सुरक्षा से खिलवाड़ करते रहने के लिए सरकार है जिम्मेदार !यदि वे अपरिचित लोग कोई विस्फोटक आदि घर में रखकर चले जाएँ और बाद में वो विस्फोट करें इसके लिए सरकार जिम्मेदार है !मोबाईल टावर के कारण बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भरे और बिल्डिंग गिरे इसके लिए सरकार और सरकार का घूस तंत्र जिम्मेदार है !
     राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निगमों की ये स्थिति है कि वो अवैध टावरों से पीड़ित लोगों की शिकायत सुनने को तैयार नहीं हैं उलटे वो उन्हीं से टॉवर हटवाने के लिए पैसे माँगते हैं कहते हैं कि' जज को पैसे नहीं दिए जाएँगे तो जज लोग अवैध टावरों को हटाने वाले केसों में उन्हें ही स्टे देते हैं जो उन्हें पैसे देते हैं और तारीखें आगे बढ़ाते चले जाते हैं !क्योंकि मोबाईल टावर एसोसिएशन वाले लोग जजों को दो दो चार चार करोड़ रूपए दे देते हैं तुम भी तो दो अन्यथा काटते रहो कोर्टों के चक्कर !यदि ये सही है तो इसके लिए सरकार नहीं तो कौन जिम्मेदार है !सरकार अवैध कामों को यदि रोक नहीं सकती तो उससे और आशा की भी कैसे जाए !
     देश वासियों का मानना है कि इन्हीं अवैध कामों से तो सरकार और सरकारी कर्मचारियों की आमदनी होती है वैध काम करने वाले घूस क्यों देंगे !इसीलिए सरकारों  में सम्मिलित लोग और सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग अवैध काम भी चलवाते रहते हैं और सरकार भ्रष्टाचार विरोधी भाषण दे दे कर जनता को मूर्ख बनाया करती है !ऐसे ही अवैध जमीनों पर कब्जे करवाती है सरकार !सभी प्रकार के अवैध और आपराधिक कामों के लिए केवल और केवल सरकार और उसका भ्रष्ट तंत्र जिम्मेदार है इसके अलावा किसी भू माफिया हत्यारे अपहरण करने वाले ,बलात्कारियों आदि को बदनाम किया जाना कतई ठीक नहीं है वो तो धंधा करने निकले होते हैं अवैध कामों में उन्हें ज्यादा पैसे मिल जाते हैं इसलिए वे ऐसे काम पकड़ लेते हैं यदि ऐसे काम न मिलें तो वो भी अच्छे काम ही करेंगे !चूँकि घूस लेकर सरकारी विभाग वो काम करने की अघोषित छूट देते हैं तो वो भी कर रहे हैं अन्यथा वो कोई दूसरा धंधा चुन लेते यदि सरकार और सरकारी तंत्र ईमानदार होता तो !
     रिहायशी इलाकों में व्यापार करने की परमीशन तो नहीं दी जा सकती है किंतु सरकारी लुटेरों को घूस देकर आप भी वही काम उसी जगह पर कर सकते हैं जिसके लिए आपको अनुमति मिलना कठिन होता है !कुल मिलाकर सरकारों और सरकारी कर्मचारियों ने ये हालात पैदा कर दिए हैं कि यदि आप भ्रष्टाचार विरोधी और ईमानदार हैं तो आपको काम नहीं करने दिया जाएगा यदि आप घूस दे सकते हैं तो देश की सारी संपत्ति आपकी हैं और आप जहाँ तक चाहें वहाँ तक उपयोग करें सब संपत्ति आपकी ही है !
     
  सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ऐसे ही अवैध कामों को प्रोत्साहित करके बड़े बड़े अपराधी गुंडे मवालियों को करोड़ों अरबोंपति बनवा देते हैं और खुद बन जाते हैं उन्हीं के साथ मिलकर लूटते खाते और सरकार को बेवकूप बनाते रहते हैं !
         पूर्वी दिल्ली EDMC के एक अधिकारी ने नाम न लेने की शर्त पर बताया कि हमारे ऐसे कामों में जज भी हमारे साथ मिले होते हैं इसमें उन्हें उनका हिस्सा पहुँचा दिया जाता है इसीलिए वे हमारी सुविधा के अनुशार अवैध कामों को सुविधा पहुँचाने के लिए लंबी लंबी तारीखें देते रहते हैं और EDMC के मामलों में हम लोगों की सेटिंग के अनुसार ही  फैसले सुना दिया करते हैं जज लोग भी !उन्होंने बताया कि अपनी इसी तकनीक के तहत दिल्ली में सैकड़ों अवैध मोबाईल टावर दसों वर्षों से हम लोग चलवाए जा रहे हैं हमसे कौन पूछता है कोई पूछेगा तो कह देंगे कोर्ट ने स्टे दे  रखा है स्टे सुनते ही उसकी बोलती बंद !ये कानून का दुरुपयोग नहीं तो क्या है ! 
     उन्होंने बताया कि कई मोबाईल टावर तो ऐसे हैं जो जिनके घरों पर लगे हुए हैं किराया उन्हें नहीं किसी दूसरे तीसरे को दिलवाया जाता है और उस घर वाले लोग  दौड़ते घूम रहे होते हैं किन्तु क्या कर पाते हैं बेचारे ! हम लोग तो उन्हें भी चलवाए जा रहे हैं हमसे पूछता कौन है !मोबाईल टावर की अरबोंपति कंपनियाँ करोड़ों रूपए जजों को देती हैं इसीलिए जज भी उनके विरुद्ध चल रहे केसों को लटकाए चले जा रहे हैं इसी घूस खोरी के बल पर पूरी दिल्ली में हजारों अवैध मोबाईल टावर वैध से अधिक मजबूती से चलाए  जा रहे हैं वो बिल्डिंगें गिरें तो गिरें ,रेडिएशन से बीमारियाँ बढ़ें तो बढ़ें कानून वालों को तो  पैसा चाहिए !    पूर्वी निगम के अधिकारी की ये बातें सुनकर मुझे लगा यदि ये सच कह रहे हैं तो न्यायालयों से भी न्याय की अपेक्षा कैसे की जाए और इन्हें सच क्यों न माना जाए आखिर राजधानी में इतनी बड़ी संख्या में लगे हानिकारक अवैध मोबाईल टावर एक झटके में हटवा क्यों नहीं दिए जाते हैं  इसका सीधा सा अर्थ नीचे से ऊपर तक चल रही घूस खोरी है सरकार के हर विभाग में  घूस खोरी है !और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है !जब राष्ट्रीय राजधानी की ऐसी दुर्दशा है तो पूरे देश में क्या हो रहा होगा इसकी कल्पना की जा सकती है !
     सरकारों के द्वारा काम करने के लिए नियुक्त इन्हीं घूसखोर भ्रष्टाचारियों ने राष्ट्रीय राजधानी की एक बिल्डिंग की छत पर बिल्डिंग में रहने वाले 16 फ्लैट मालिकों की सहमति लिए बिना,MCD की अनुमति लिए बिना,बिल्डिंग की मजबूती का परीक्षण किए बिना,इस रिहायशी बिल्डिंग में रहने वाले परिवार जनों के स्वास्थ्य पर रेडिएशन के असर का परीक्षण किए बिना ,57 फिट ऊँची बिल्डिंग में बिल्डिंग संबंधी ऊँचाई के नियमों का ध्यान दिए बिना इस बिल्डिंग की छत पर एक  मोबाईल टॉवर घूस लेकर लगवा दिया !उसका किराया जिसको मिलता है उसका इस बिल्डिंग से लीगल कोई संबंध ही नहीं है निगम लिखकर दे चुका है कि ये वैध नहीं है फिर भी 13 वर्षों से चलाए जाए रहे हैं EDMC वाले ! अवैध होने के बाद भी इसके रेडिएशन से बिल्डिंग वालों का स्वास्थ्य ख़राब होने के बाद भी ,मेंटिनेंस के अभाव में बिल्डिंग के बेसमेंट में पानी भर जाने के बाद भी इसे हटवाने के लिए लाखों रूपए माँग रहे हैं EDMC के घूसखोर लोग !
    टॉवर लगाते समय इन लोगों के द्वारा  कहा गया था कि इससे मिलने वाला किराया बिल्डिंग के मेंटीनेंस पर खर्च किया जाएगा किंतु पिछले बारह वर्षों में आज तक एक पैसा भी बिल्डिंग मेंटिनेंस में न नहीं लगाया गया है बेसमेंट में पानी भी भर जाता है किन्तु EDMC वाले और भूमाफिया गिरोह सारा पैसा खाए जा रहे हैं । बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है  मेंटिनेंस न होने के कारण बेसमेंट में अक्सर पानी भरा रहने लगा है !बिल्डिंग में रहने वाले लोग इस बात पर अड़े हैं कि जब तक ये अवैध मोबाईल टावर नहीं हटेगा तबतक हम अपने पैसों से बिल्डिंग की मेंटिनेंस नहीं करवाएँगे !और मोबाइल टावर इसलिए न हट पा रहा हो क्योंकि इस अवैध मोबाईल टावर को बनाए रखने में सरकारी अधिकारी कर्मचारी ही अवैधटावर का किराया खाने वाले गैरकानूनी लोगों की मदद कर रहे हों और सरकार मूकदर्शक बनी हो कल कोई दुर्घटना घटती या बिल्डिंग गिर जाती है तो उस हादसे के लिए घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार होगा !
    इसी के-71,छाछी बिल्डिंग कृष्णा नगर दिल्ली -51 रिहायसी बिल्डिंग की छत पर लगे मोबाईल टॉवर की रिपेयरिंग के नाम पर बिल्डिंग के बीचोंबीच से गई सीढ़ियों से अक्सर छत पर आते जाते रहने वाले अपरिचित एवं अविश्वसनीय मैकेनिकों या उनके बहाने  अन्य आपराधिक तत्वों के द्वारा यदि कोई विस्फोटक आदि  बिल्डिंग में रख दिया जाता है और कोई बड़ा विस्फोट आदि हो जाता है तो इस घूस खोर सरकारी मशीनरी के अलावा दूसरा कौन जिम्मेदार माना जाएगा !
      इस बिल्डिंग में सोलह फ्लैट हैं जिनमें पानी की सप्लाई के लिए बिल्डिंग की छत पर पानी की सामूहिक 12 टंकियाँ किंतु इसी उपद्रवी गिरोह के दबंगों ने टंकियाँ फाड़ दीं और उनके पाइप काट दिए गए हैं 9 परिवारों का पानी पिछले तीन वर्षों से बिलकुल बंद कर दिया है !
      बिल्डिंग दिनोंदिन जर्जर होती जा रही है  बिल्डिंग के बेसमेंट में पिछले दो तीन वर्षों से अक्सर पानी भरा रहता है । टॉवर रेडिएशन से लोग बीमार हो रहे हैं किंतु सरकारी मशीनरी घूस के लोभ के कारण अवैध टॉवर हटाने में लाचार है ऐसे लोगों के विरुद्ध सरकार के लगभग सभी जिम्मेदार विभागों में कम्प्लेन किए गए किंतु उन लोगों के विरुद्ध तो कारवाही हुई नहीं अपितु कम्प्लेन करने वालों पर कई बार हमले हो चुके !जो एक बार पिट जाता है वो या तो अपना फ्लैट बेचकर चला जाता है या फिर किराए पर उठा देता है या फिर खाली करके ताला बंद करके चला जाता है । 

       महोदय ! MCD के अधिकारियों की मिली भगत से ये पूरा गिरोह फल फूल रहा है अवैध होने के बाब्जूद पिछले 12 वर्षों से ये टॉवर लगा होना आश्चर्य की बात नहीं है क्या ! इसके लिए जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी जब कुछ कर ही नहीं पा रहे हैं ऊपर से गैर कानूनी कार्यों के समर्थन में दबंग लोगों की मदद करते जा रहे हैं ऐसे लोगों को सैलरी आखिर दी किस काम के लिए जा रही है !इस अवैध मोबाईल टावर को कानूनी संरक्षण दिलवाने के लिए इसी गिरोह के कुछ लोगों ने मोबाइलटावर हटाने के विरुद्ध  स्टे ले लिया जिनसे पैसे लेकर MCD वाले ठीक से पैरवी नहीं करते इसी प्रकार से इसे पिछले 12 वर्षों से खींचे जा रहे हैं वो किराया खाते जा रहे हैं उन्हें घूस देते जा रहे हैं । ऐसे तो ये अवैध होने के बाद भी कभी तक चलाया जा सकता है ये सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है !
    चिंता की बात ये है कि  सरकारी कामकाज करने और कानूनों का पालन जनता से करवाने के लिए जो अधिकारी कर्मचारी नियुक्त किए जाते हैं और उन्हें जनता की खून पसीने की कमाई से सरकार सैलरी देती है वो सरकार उनसे काम भी करवावे ये क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं होनी चाहिए !उचित तो है कि सरकार उनसे कानून के अनुसार काम ले किंतु यदि सरकारी लापरवाही के कारण ऐसा नहीं किया जा सकता है तो कम से कम इतनी जिम्मेदारी तो सरकार को भी सुनिश्चित करनी ही चाहिए कि सरकार के अधिकारी कर्मचारी गैरकानूनी या कानून के विरुद्ध किए जाने वाले कार्यों में अपराधियों या गुंडों या दबंग लोगों का साथ न दें !फिर भी यदि वे ऐसा करते हैं तो ऐसे अपराधों को खोजने और सम्बंधित सरकारी कर्मचारियों और गुंडों माफियाओं को दण्डित करने की कठोर प्रक्रिया सरकार विकसित करे !अन्यथा जनता कम्प्लेन करती है और सरकारी मशीनरी के कुछ भ्रष्ट लोग गैर कानूनी कार्यों के विरुद्ध कार्यवाही तो करते ही नहीं हैं अपितु कम्प्लेन करने वाले की सूचना गुंडों को देकर उसी को पिटवा देते हैं इसप्रकार से अपराधों का संबर्धन कर रही है सरकारी मशीनरी !दोबारा से कम्प्लेन करने की कोई हिम्मत नहीं जुटा पाता है और गैर कानूनी कार्य हों या अपराध दिनोंदिन बढ़ते चले जाते हैं ।

    सरकार करना चाहे तो अपराधों की संख्या बहुत जल्दी घटा सकती है सबसे पहले भ्रष्टाचारियों और अपराधियों की आमदनी के स्रोत खोजने एवं कुचलने के लिए खुपिया तंत्र विकसित किए जाएँ भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारियों को न केवल सस्पेंड किया जाए अपितु उनसे आज तक की सारी सैलरी वसूली जाए इसी प्रकार से दबंगों गुंडों माफियाओं की सारी संपत्ति जप्त की जाए तब लोग अपराध एवं भ्रष्टाचार करने से डरेंगे !
     जगह जमीनों के कब्जे या अवैध निर्माण हों उन्हें देखने पकड़ने के लिए गूगलमैप का उपयोग किया जाना चाहिए जिस सन में जिन जमीनों पर अवैध कब्ज़ा या अवैध निर्माण किया गया है उस समय में उस क्षेत्र में ऐसे अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी जिस भी अधिकारी कर्मचारी की रही हो किंतु वो ऐसा करने में नाकाम रहा हो तो घटित हुए ऐसे अपराधों में उसे रोकने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों को बराबर का जिम्मेदार मानकर कार्यवाही उनपर भी अपराधियों की तरह ही की जानी चाहिए अन्यथा अधिकारियों कर्मचारियों को ऐसे अपराधों में सम्मिलित मान कर उन पर भी कठोर कार्यवाही किए बिना सरकारों और नेताओं के अपराध और भ्रष्टाचार को रोकने के संकल्प दोहराते रहने को कोर प्रदर्शन मानते हुए ऐसे अपराधों में सरकारों की संलिप्तता  बराबर की मानी जानी चाहिए !भ्रष्ट नेताओं की गैर कानूनी कमाई के प्रमुख स्रोत हैं भ्रष्ट अधिकारियों कर्मचारियों पर कठोर कार्यवाही न किया जाना !     
     सरकारी लोग ही यदि सरकार के द्वारा निर्मित कानूनों के विरुद्ध घूस लेकर दबंगों और अपराधियों को प्रोत्साहित करेंगे तो कानूनों का पालन कौन करेगा और क्यों करेगा और उसे क्यों करना चाहिए !कालेधन के विरुद्ध सरकार के द्वारा चलाए गए नोटबंदी अभियान में बैंक वालों के द्वारा कालेधन वालों का साथ दिए  गंभीर अपराध मानकर कठोर दंड से दण्डित किया जाना चाहिए ! 


     आश्चर्य ये है कि जिस कर्तव्य के लिए जो सरकारी कर्मचारी सरकार से एक ओर तो सैलरी लेता है वहीँ दूसरी ओर अपने संवैधानिक कर्तव्य के विरुद्ध जाकर अवैध और गैर कानूनी कामों को प्रोत्साहित करता है किंतु उनके विरुद्ध कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है !स्टे के कारण कोई अन्य विभाग सुनता नहीं है और से तब तक रहेगा जब तक MCD वालों को घूस मिलती रहेगी !हमलों के डर से बिल्डिंग में रहने वाले लोग केस कर नहीं सकते !किंतु MCD यदि इस टावर को अवैध घोषित कर ही चुकी है इसके बाद भी 12  वर्षों से चलाए जा रही है तो ये अवैध किस बात का !और इसमें हो रहे भ्रष्टाचार की जाँच क्यों नहीं होनी चाहिए !

       इस बिल्डिंग संबंधी भ्रष्टाचार से स्थानीय पार्षद से लेकर सांसद जी का कामकाजी कार्यालय न केवल सुपरिचित है अपितु 6 महीनों से वे भी बड़ी मेहनत कर रहे हैं किंतु बेचारे दबगों के विरुद्ध कुछ कर पाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं SDM साहब भी बेचारे आकर देख सुन कर लौट गए पुलिस विभाग तो से सुनते ही मौन है !और EDMC के इस स्टे वाले दाँव से सब चकित हैं!
        इस भ्रष्टाचार के विरुद्ध न केवल कठोर कार्यवाही की जाए अपितु आजतक का प्राप्त किराया भी या तो बिल्डिंग मेंटिनेंस में लगाने के लिए दिया जाए या फिर राजस्व विभाग में जमा कराया जाए किंतु इन दबंगों को सबक सिखाने के लिए इनसे जरूर वसूला जाना चाहिए !

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