Monday, 3 April 2017

सीता ' और 'सूर्पणखा' को एक तराजू पर नहीं तौला जा सकता !महिलाएँ तो दोनों थीं किन्तु स्वभाव और संयम अपना अपना !!

    महिला सुरक्षा ही क्यों ? बेचारे पुरुषों की सुरक्षा कौन करेगा ? 'एंटीरोमियो' ही क्यों ? 'एंटीरोमियो एंड जूलियट' क्यों नहीं ?'महिला सुरक्षा के नाम पर सारा दोष पुरुषों पर ही मढ़ दिया जाएगा क्या ?महोदय !ग़लतियाँ केवल पुरुषों या लड़कों की ही नहीं हैं इसलिए अकेले उन्हें ही दोषी ठहराना ठीक नहीं होगा !पुरुष और लड़के भी सदाचारी होते हैं  लड़कियाँ  महिलाएँ भी गलत होती हैं!प्रेमप्यार के पाखंडों में भटकने वाले स्त्रीपुरुष एक जैसे विचारों के एवं एक जैसे आचार व्यवहार से युक्त होते हैं !
      सीता जी तो लंका में जाकर भी सुरक्षित लौटीं जबकि सूर्पणखा राम जी के पास भी सुरक्षित नहीं रह सकी !सीताओं की सुरक्षा करना तो सरकार का जरूरी कर्तव्य है किंतु सूर्पणखाओं की सुरक्षा कैसे कर सकती है सरकार !वैसे भी सुरक्षा केवल महिलाओं की ही क्यों ?सुरक्षा व्यवस्था में पक्षपात क्यों !सुरक्षा सबको क्यों न मिले ? अब इन्हें ही देखिए क्या ये जोड़े माता पिता से पूछ कर आए होंगे क्या लग रहा है कि इन्हें कोई जबरदस्ती पकड़ कर लाया है क्या इनमें कोई हैरान परेशान उदास या परबश लग रहा है क्या ?सब में एक दूसरे को खुश कर देने की होड़ सी लगी हुई है ईश्वर न करे इनमें कहीं किसी के साथ कोई अप्रिय वारदात हो जाए तो लड़का दोषी तुरंत मान लिया जाएगा !उठने लगेगी उसे फाँसी पर लटका देने की माँग !सरकार से तुरंत स्तीफा माँगा जाने लगेगा !पुलिस को कोसा जाने लगेगा !ऐसे देश और समाज चल पाएगा क्या ?
      पुलिस यदि इन जोड़ों के पास जाकर इन्हें इस करने से रोके रखावे तो फूहड़ता कही जाएगी यदि इनसे कहे कि सार्वजनिक जगहों पर शिष्टता शालीनता से बैठो तो प्यार पर पहरा बताया जाएगा मीडिया के कुछ छिछले चरित्र के लोग अभी दहाड़ने लग जाएँगे !फ़िल्म वाले बिना पेंदी के लोटे अभी पुलिस के विरुद्ध बोलने लग जाएँगे !विरोधी पार्टियों के नेताओं के मुख में अभी सत्ता प्राप्ति के लिए पानी आने लगेगा !किन्तु ये कोई बताने को तैयार नहीं है कि आखिर इनकी सुरक्षा की कैसे जाए ! कोई तो सुझावे सरकार को वैसा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा !सुंसंस्कारों के लिए समर्पित ये सरकार वैसा करेगी इस भरोसा रखा जाना चाहिए !कुछ लड़के ऐसी लड़कियों के धोखे से भली महिलाओं और अच्छी लड़कियों पर भी हमले करने लगे हैं वो वास्तविक चिंता की बात है इनसे स्वीकृति पाकर वो वहाँ भी स्वीकृति की आशा रखते हैं !उन्हें शक्ति पूर्वक कसने की आवश्यकता है । 
'सुरक्षा के सारे संसाधनों से संपन्न  होने पर भी अपनी नाक कटा बैठी !इसमें गलती लक्ष्मण जी की थी या सूर्पणखा की ?क्या सीता जी की तरह ही शालीनता पूर्वक सूर्पणखा भी रहती तो भी उसकी नाक कट जाती क्या ?इस प्रकरण में गलती लक्ष्मण जी की कितनी थी और सूर्पणखा की कितनी थी उस युग की रावणसरकार की तरह ही जो भी सरकार महिला सुरक्षा के नाम पर सीता और सूर्पणखा के अंतर को समझे बिना केवल लड़कों और पुरुषों को ही जिम्मेदार मानकर उनके विरुद्ध कार्यवाही करने लगती है तो उस सरकार की भी वही दशा होती है जो लंका सरकार की हुई थी !रामायण की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि आप जिस पात्र के जैसी वेषभूषा धारण करते हैं जिसके जैसा हाव भाव बनाते हैं समाज भी आपको वैसा ही समझने लगती है और आपके साथ वैसा ही व्यवहार करने लगता है !इसलिए हमें रामायण के दर्पण में हमेंशा अपने को देखते रहना चाहिए !सुधरना सबको पड़ेगा तब सुधार होगा केवल कुछ लोगों की ओर इशारा कर देने मात्र से यदि वेसुधर भी गए तो केवल उनके सुधर जाने से समाज नहीं बदल जाएगा !'सीताजी' बिना सुरक्षा के भी सुरक्षित रह सकीं कैसे ?और 'सूर्पणखा संपूर्ण सुरक्षा के बाद भी नाक कटा बैठी !जिन्हें नाक कटाना होता है उन्हें कोई रखा नहीं सकता ! 
    इसी प्रकार सीता जी राक्षसों के यहाँ से भी सुरक्षित लौटीं और सूर्पणखा श्री राम के पास से भी नाक कटवा कर ही गई !
 मज़बूरी या मनोरंजन -
सीता जी को मजबूरी में जाना पड़ा था जंगल जबकि  सूर्पणखा मनोरंजन के लिए जंगल गई थी !
     सीता जी एक चोटी बाँधती हैं - (राजत सीस जटा एक बेनी )
सूर्पणखा बाल बिखराए घूम रही थी !"रूप भयंकर प्रकटत भई "
     सीता जी अपने भावी पति श्री राम के सामने भी जाती हैं तो भी अपना जो सामान्य श्रृंगार था वो भी  धो कर गईं थीं उन्हें भरोसा था कि वो बिना श्रृंगार के ही बहुत सुन्दर लगती हैं इसलिए उनके श्रृंगार से उनका सौन्दर्य ढक जाता था -"करि मज्जन सिय सखिन्ह समेता !!"घर से बिना नहाए थोड़ा आई होंगी मंदिर !उधर सूर्पणखा को अपनी सुंदरता पर भरोसा ही नहीं था इसलिए वो ब्यूटीपार्लरी उत्कट श्रृंगार करके "रुचिर रूप धरि प्रभु पहिं जाई !" प्रभु श्री राम को रिझाने पहुँचती है किंतु बिना श्रृंगार किए हुए भी सीता जी श्री राम को आकर्षित कर लेती हैं और सुश्रृंगारित  सूर्पणखा  को देखकर श्री राम प्रभु कहते हैं कि तुमने इतना अधिक श्रृंगार किया है कि बिलकुल राक्षसी लगती हो यथा -"राक्षसी प्रतिभासि मे "
  सीता जी और सूर्पणखा के आचरण में बहुत बड़ा अंतर था आप स्वयं देखिए -  
सीता जी बलपूर्वक लंका ले जाई गईं थीं सूर्पणखा खुद जंगल आई थी !
  सीता जी अपरहण से लंका ले जाई गईं किंतु सूर्पणखा स्वयं गई थी लक्ष्मण जी के पास !
         बलात्कारी भी पहले रूचि परखते हैं !
       सीता जी जिस बासनात्मक समर्पण को ठुकरा देती हैं सूर्पणखा उसी के लिए लार बहा रही थी !
       जैसी करनी वैसी भरनी  -
 सीता जी ने रावण के विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया था किंतु  सूर्पणखा स्वयं लिए घूम रही थीं विवाह प्रस्ताव !
      सुरक्षा अपनी अपने हाथ -
सीता जी लंका में भी बैठकर त्रैलोक्यविजयी रावण को डाँट रही थीं और सूर्पणखा गिड़गिड़ा रही थी लक्ष्मण जी से !
 लंका शराबियों कबाबियों नशेड़ियों गंजेड़ियों का देश -
 सीता जी लंका से भी सुरक्षित लौटीं किंतु सूर्पणखा श्री राम जी के भी पास जाकर नाक कटा कर ही लौटी !
  बलात्कारियों में भी उन राक्षसों से बड़े बलात्कारी आज नहीं हैं -
सीता जी का वे राक्षस भी कुछ नहीं बिगाड़ सके माता सीता ने ये प्रत्यक्ष दिखा दिया !सूर्पणखा रामादल में भी सुरक्षित नहीं थी उसने ये दिखा दिया !
       सरकार की सुरक्षा के बलपर सुरक्षित होंगी महिलाएँ जिनका इस मानना है उनसे खुली बहस के लिए कभी भी तैयार हूँ मैं वो केवल समझ दें कि सरकार क्या करे जिससे महिलाओं की  सकती है ! सूर्पणखा जैसी सुरक्षा किसे मिलेगी जिस पर सारी लंका कुर्वान हो गई फिर भी ...!
      सीता जी की सुरक्षा में केवल राम लक्ष्मण जी थे और सूर्पणखा की सुरक्षा में सारी लंका की पुलिस फ़ोर्स तैनात थी किंतु कोई लड़का हो या लड़की जब किसी से प्रेम प्यार की बातें करने जाता है तो सिक्योरिटी लेकर जाएगा क्या ?ऐसे प्राणी तो खोजते ही सूनसान झाड़ी जंगल खाली बसें अँधेरी जगह अपनों परिचतों से बिलकुल दूर ताकि कोई देख न ले पहचान न ले ऐसी परिस्थिति में सरकार कैसे कैसे प्रयास कर सकती है कोई बुद्धिमान ज्ञानवान समझदार स्त्री पुरुष उपाय सुझावे  तो सही !
शरीर की सजावट से झलकता है मन की सेक्सभाव !बलात्कारी भी परख लेते हैं -
     सीता जी !राजभवनों में भी सहज श्रृंगार प्रिय थीं सूर्पणखा जंगलों  में भी ब्यूटीपार्लरी सजावट की शौक़ीन थी !
        जिस सूर्पणखा का भाई इतना बड़ा पराक्रमी रहा हो उसके पास इतनी विशाल सेना रही हो और अपनी बहन के प्रति इतना समर्पित रहा हो कि उसने बहन की सुरक्षा सम्मान स्वाभिमान के लिए सारे खान दान का बलिदान कर दिया हो फिर भी पीछे न हटा हो ऐसे भाई की इतनी भाग्यशाली बहन सूर्पणखा जैसी महिला भी मनोरंजन के लिए जंगल जाकर अपनी नाक कटवा बैठी वो भी किसी बलात्कारी और ब्याभिचारी से नहीं अपितु सभी सद्संस्कारों के शिरोमणि श्री लक्ष्मण जी से !सूर्पणखा जैसी कुसंस्कारी बहन का भाई उसके सम्मान के लिए परिवार सहित जूझ गया किंतु न उसकी कटी नाक न जोड़वा सका और न ही सम्मान स्वाभिमान वापस करवा सका !
         वैसे देखा जाए तो अकेले जंगल जाने की क्या आवश्यकता थी सूर्पणखा को उसके घूमने फिरने के लिए सभी साधनों से सुरक्षित लंका में जगह कम थी क्या ? किंतु जब कोई सूर्पणखा अपने माता पिता आदि अभिभावकों के अपनी सुरक्षा संबंधी बहुमूल्य समर्पण और सुझावों को समझ पाने में और उसकी कदर करने में चूक जाती है तो नाक उसकी तो कटती ही है साथ ही रावण जैसे महान पराक्रमी अपने भाई के परिवार का भी सत्यानाश करवा डालती है !
     माना कि सूर्पणखा युवा थी बालिग थी इसलिए वो अपने जीवन का फैसला स्वयं ले सकती थी ऐसा करने का अधिकार भी उसे लंका के  संविधान के तहत प्राप्त था कि वो क्या पहने कहाँ जाए कैसे रहे किससे मिले क्या करे क्या न करे इसके विषय में उसे कोई सलाह दे अंकुश लगाए ये उसे पसंद नहीं था उसे अपने स्वतंत्र अधिकारों के साथ स्वच्छंदता पूर्वक ही जीना यदि पसंद था तो उसका लिया फैसला ही  यदि उस पर भारी पड़ गया तो उसे अपने फैसले के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए स्वयं सहना  था अपनी गलती के लिए भाई के परिवार को बर्बाद करना कहाँ तक न्यायायोचित था !दूसरी बात रावण जैसा भाई स्वयं महान पराक्रमी था उसके लड़के नाती पोते लाखों में थे सब एक से एक बड़े वीर बलवान थे !इसके अलावा लंका में रावण सरकार की अपनी इतनी भारी भरकम परं पराक्रमी राक्षसी सेना थी ये सब सूर्पणखा की सुरक्षा के लिए समर्पित थी किंतु नाक कटाने जाते समय इन सब सिक्योरिटी फोर्सेस को साथ ले जाती क्या ?इतनी मूर्ख वो भी नहीं थी !
     सूर्पणखावादी लोग वैसे भी एकांत ही खोजते हैं पार्कों पार्किंगों झाड़ियों जंगलों खेतों खलिहानों आदि एकांत स्थानों का चयन दोनों आपसी सहमति से करते हैं ऐसे समयों में इनकी आपसी समझ साझा हो जाती है मरने जीने की कसमें दोनों साथ साथ खाते हैं यहाँ तक कि माता पिता आदि अपने प्रति समर्पित शुभ चिंतक अपने अभिभावकों की भी परवाह नहीं करते हैं उन्हें भी बिना बताए घर से चले जाने वाले निरंकुश बच्चों की सुरक्षा सरकार कैसे कर ले !    
    सरकार केवल उन्हीं की सुरक्षा कर सकती है जो खुद भी सुरक्षित रहना चाहते हैं सरकार का काम केवल कानून व्यवस्था सुधारना है उसी में सभी सुरक्षित हो जाएँगे उसमें महिला सुरक्षा की अलग से बात करने की आवश्यकता ही नहीं है !
    आजकल छोटी छोटी बच्चियों के साथ भी लोग अत्याचार करने लगे हैं ये बिगड़ते संस्कारों का दोष है शिक्षकों धर्माचार्यों एवं बड़े बूढ़े लोगों में घटता नैतिक लगाव ऐसी दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार है । इसमें सरकारों की भूमिका कितनी है यही न कि नैतिक शिक्षा के नाम पर कुछ और लोगों को सैलरी देने लगेगी सरकार !किंतु जैसे वो पढ़ाते नहीं हैं तो सरकार उनके विरुद्ध कुछ बयान देने के अलावा और क्या कर लेती है ऐसी ही खानापूर्ति नैतिक शिक्षकों   के साथ भी की जा सकती है सरकार उनके जीवन में नैतिकता कैसे भर सकती है !

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