इसलिए सादगी पूर्ण कोई कोई निर्णय लेना ही है तो किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों एवं सामान्यवर्ग के लोगों के समान जीवन जीने का पवित्र व्रत लीजिए !क्योंकि सरकारी आफिस काम करने के लिए हैं आराम करने के लिए नहीं फिर AC आदि सुख सुविधाएँ क्यों ?
VIP कल्चर हटाना ही है तो सरकारी आफिसों और गाड़ियों से हटवाइए AC आदि सुख सुविधा के सारे साजो सामान !कार्यस्थलों को जितना सुख सुविधा पूर्ण बनाया जाएगा काम करने में उतना ही अधिक मन नहीं लगेगा !कार्यस्थल काम करने के लिए होते हैं घर आराम करने के लिए होते हैं आराम करने की जगह होनी चाही सुख सुविधाएँ किंतु काम करने की जगह ही यदि सुख सुविधाओं के सामान उपलब्ध करवा दिए जाएँगे तो लोग काम क्यों करेंगे आराम ही करेंगे जैसा कि हो रहा है आजकल सरकारी विभागों में !
एक खेत में गेहूं की मड़ाई अर्थात दँवरी का काम चल रहा था अप्रैल का महीना खुले आसमान के नीचे धूप और लू के थपेड़ों के बीच काम चलता था किसान और उसके मजदूर लगे हुए थे | सभी लोग अपने अपने कामों में चुपचाप लगे रहते थे एक दो बार पानी घर से कोई ले आता था तो लोग पी लिया करते थे !खेत के आस पास छाया दूर दूर तक नहीं थी !एक दिन किसान ने सोचा कि धूप से बचने का कुछ प्रबंध किया जाए उसने एक मड़ई बना ली इसके बाद पानी का एक घड़ा रख लिया !अब तो हर किसी को आधे आधे घंटे में प्यास लगने लगी लोग बहाने बना बनाकर मड़ई में चले जाते और आराम करने लगते धीरे धीरे वर्तमान सरकारी विभागों की तरह आराम करने की प्रवृत्ति मजदूरों में बढ़ती चली गई कामकाज चौपट होने लगा !अब आलसियों से कोई काम कहा जाए तो काम करने से खुद तो कतराने लगे और किसान को ही काम में फँसाए रखने लगे उससे नास्ता मँगावें बीड़ी का बण्डल तंबाकू आदि मँगाकर उसी में फँसाए रखने लगे अब वो बेचारा किसान सामान लेकर दे और ये आराम करें !हद तो तब हो गई जब उसे गाँव भेजकर पानी मँगाने के लिए घड़े का पानी छिपकर फैला दिया करते और प्यास का बहाना बताकर किसान को पानी लेने के लिए भेज दिया करते !बिलकुल अपने देश के सरकारी कार्यालयों की तरह !सरकार यदि इनपर थोड़ी भी शक्ति करना चाहे तो ये सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग ही सरकार को अपने काम बताने लग जाते हैं अपने कार्यालयों का कंप्यूटर प्रिंटर AC कुर्सी जैसा जरूरी सामान खराब करके बैठ जाया करते हैं सरकार की ओर से जैसे ही अंकुश लगाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई तो ये अपने इतने काम गिनाने लग जाते हैं कि सरकार इन्हीं के कामों में उलझी रहती है फिर इनसे काम करने को कहे किस मुख से !इसीलिए ये बेचारे काम करने से बच जाते हैं सरकार उसी किसान की तरह उलझी रहती है इन्हीं की सेवा सुश्रूषा सैलरी आदि सारे संसाधन जुटाने में !
किसानों मजदूरों की आमदनी से कई कई गुना ज्यादा सैलरी लुटा रही है अपने कर्मचारियों को और काम बिलकुल न के बराबर ले पाती है इन्हें यदि ऐसी ही परिस्थिति में सरकार प्राइवेट विभागों में भेजना चाहे तो इन्हें सरकार जितनी सैलरी आज दे रही है वे प्राइवेट वाले कंपनी मालिक इनके काम काज के हिसाब से इसकी पाँच प्रतिशत से अधिक नहीं देंगे सैलरी !इनका काम काज इतनी घटिहा क्वालिटी का है कोई जिम्मेदारी नहीं होती !
किसानों गरीबों ग्रामीणों मजदूरों को भी यदि सुख सुविधाएँ उपलब्ध करवा दी जाएँ तो वो लोग भी सरकारी कर्मचारियों की तरह आलसी ,अकर्मण्य और बीमार होने लगेंगे उन्हें भी शुगर, BP,हार्ड अटैक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा ! इसके साथ ही खेती किसानी के कामों से आमदनी तो छोड़िए लागत निकालना कठिन हो जाएगा सरकार एकबार सुविधाएँ देकर देखे तो सही सरकारी विभागों की तरह ही खेत खलिहान भी चौपट हो जाएँगे !
कुल मिलाकर आम आदमी की अपेक्षा कई कई गुना अधिक सैलरी लेने एवं सुख सुविधाओं के कारण बर्बाद हो चुके हैं सरकारी विभागों के लोग !बिलकुल अकर्मण्य और आलसी हो चुके हैं अधिकारी कर्मचारी !काम करने वाले लोगों को जितनी अधिक सुख सुविधाएँ दी जाएँगी काम करने की भावनाएँ उतनी अधिक मरती चली जाती है AC लगाकर रिक्से नहीं खींचे जा सकते !ये भी बात सच है कि सुख सुविधाएँ दी ही भोगने के लिए जाती हैं भोगी न जाएँ तो बेकार !इसीलिए तो सरकार के द्वारा सरकारी कार्यालयों में प्रदत्त सरकारी सुख सुविधाएँ अधिक से अधिक भोगने में बिजी हैं सरकारी अधिकारी कर्मचारी लोग !चलो सरकार का पैसा बिलकुल बर्बाद नहीं जाने दे रहे हैं !
टेलीफोन का कम्प्लेन कई बार करने पर भी ठीक नहीं हुआ तो GM के यहाँ जाकर कंप्लेन उन्होंने किसी को फोन किया उसने लाइनमैन पार्क में लेटा था उसने जवाब दिया कि मैं कंप्लेन पर हूँ और जो नंबर आप दे रहे हैं वो ठीक नहीं हो सकता क्योंकि वो अंडर ग्राउंड केबल ही ख़राब हो गई है !ये सूचना तुरंत GM दे दी गई है GM ने कस्टमर को बता दिया उधर GM के सूचित करने से पहले ही लाइन मैन से कस्टमर की मुलाकात हो गई तो उसने वही फोन ठीक करने के लिए 100 रूपए माँगे उसने दे दिए तो तुरंत ठीक कर दिया गया फोन !क्या 100 के बराबर भी नहीं होनी चाहिए अधिकारियों की औकात !फिर सरकार उन्हें क्यों देती है इतनी सैलरी !
टेलीफोन का कम्प्लेन कई बार करने पर भी ठीक नहीं हुआ तो GM के यहाँ जाकर कंप्लेन उन्होंने किसी को फोन किया उसने लाइनमैन पार्क में लेटा था उसने जवाब दिया कि मैं कंप्लेन पर हूँ और जो नंबर आप दे रहे हैं वो ठीक नहीं हो सकता क्योंकि वो अंडर ग्राउंड केबल ही ख़राब हो गई है !ये सूचना तुरंत GM दे दी गई है GM ने कस्टमर को बता दिया उधर GM के सूचित करने से पहले ही लाइन मैन से कस्टमर की मुलाकात हो गई तो उसने वही फोन ठीक करने के लिए 100 रूपए माँगे उसने दे दिए तो तुरंत ठीक कर दिया गया फोन !क्या 100 के बराबर भी नहीं होनी चाहिए अधिकारियों की औकात !फिर सरकार उन्हें क्यों देती है इतनी सैलरी !
सुख सुविधा भोगने की भावना ने अधिकारियों को आफिसों के कोप भवनों में कैद कर रखा है अधिकारियों के आलसी स्वभाव को जानने लगे हैं उनके नीचे के कर्मचारी गण इसीलिए कर्मचारी काम नहीं करते अपने सीनियर को देख देख कर वे भी वैसे ही हो गए हैं !
दिल्ली के प्रतिभा जैसे सरकारी स्कूलों की ये स्थिति है कि शिक्षकों को उनके अपने विषयों की जानकारी छात्रों से भी कम है वो छोटी छोटी चीजें गाइड देखकर पढ़ाते हैं बच्चे कोई मीनिंग पूछ दें तो मोबाईल पर देखकर बताते हैं ऐसे लोगों से सरकार बच्चों का भविष्य ठीक करवाना चाहती है जिन्हें प्राइवेट स्कूल वाले अपने स्कूलों फ्री में भी नहीं रखते उन्हें सरकार लुटा रही है सैलरी !
इसलिए सरकार सबसे पहले अपने कर्मचारियों को योग की जगह कर्मयोग सिखावे !तब रुकेगा भ्रष्टाचार ! जो ईमानदारी पूर्वक परिश्रम से कमाई हुई संपत्ति का भोग करेंगे वही स्वस्थ रहेंगे ! कामचोर आलसी अकर्मण्य घूसखोर भ्रष्टाचारी लोग कितना भी योग कर लें बीमार ही रहेंगे उनके बच्चे बिगड़ेंगे ही मुशीबतें आएंगी ही !दूसरों का हिस्सा पचाना इतना आसान होता है क्या ?स्वच्छता अभियान तभी सफल है जब भ्रष्टाचारियों घूसखोरों आलसियों अकर्मण्य लोगों से मुक्त करवाए जाएँ सरकारी विभाग !इसके अलावा लाल बत्तियाँ हटा कर समय पास करना या मुद्दों से ध्यान भटकाना ठीक नहीं है |
दिल्ली के प्रतिभा जैसे सरकारी स्कूलों की ये स्थिति है कि शिक्षकों को उनके अपने विषयों की जानकारी छात्रों से भी कम है वो छोटी छोटी चीजें गाइड देखकर पढ़ाते हैं बच्चे कोई मीनिंग पूछ दें तो मोबाईल पर देखकर बताते हैं ऐसे लोगों से सरकार बच्चों का भविष्य ठीक करवाना चाहती है जिन्हें प्राइवेट स्कूल वाले अपने स्कूलों फ्री में भी नहीं रखते उन्हें सरकार लुटा रही है सैलरी !
इसलिए सरकार सबसे पहले अपने कर्मचारियों को योग की जगह कर्मयोग सिखावे !तब रुकेगा भ्रष्टाचार ! जो ईमानदारी पूर्वक परिश्रम से कमाई हुई संपत्ति का भोग करेंगे वही स्वस्थ रहेंगे ! कामचोर आलसी अकर्मण्य घूसखोर भ्रष्टाचारी लोग कितना भी योग कर लें बीमार ही रहेंगे उनके बच्चे बिगड़ेंगे ही मुशीबतें आएंगी ही !दूसरों का हिस्सा पचाना इतना आसान होता है क्या ?स्वच्छता अभियान तभी सफल है जब भ्रष्टाचारियों घूसखोरों आलसियों अकर्मण्य लोगों से मुक्त करवाए जाएँ सरकारी विभाग !इसके अलावा लाल बत्तियाँ हटा कर समय पास करना या मुद्दों से ध्यान भटकाना ठीक नहीं है |
No comments:
Post a Comment